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          रिपोतार्ज क्या है

भारत में भ्रष्टाचार की समस्या है ?


रिपोतार्ज किसे कहते हैं ? (Reportaj kise kahate Hain)

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यदि आप भी उन लोगों में से हैं जिन्हें नहीं पता कि रिपोतार्ज किसे कहते हैं ? तथा रिपोतार्ज कितने प्रकार के होते हैं ? रिपोतार्ज के कौन - कौन से अंग हैं ? एक अच्छा रिपोतार्ज लिखने के लिए किन -किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ? इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए बने रहिये इस पोस्ट पर.


मेरे प्रिय विद्द्यार्थियों रिपोतार्ज शब्द को तो हम बचपन से ही सुनते रहे हैं लेकिन सच्चाई यही हैं कि रिपोतार्ज किसे कहते हैं ? यह तथ्य हम में से अधिकांश लोग नहीं जानते हैं. तो दोस्तों बने रहिये हमारी वेबसाइट पर. हिंदी भाषा में रिपोतार्ज का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान हैं. यहां पर हम आज की पोस्ट में आपको रिपोर्ताज और उसके प्रमुख लेखकों के बारे में बताएंगे। हिंदी साहित्य में रिपोतार्ज से संबंधित लेखकों के बारे में इस पोस्ट में आपको जानकारी देंगे


       रिपोतार्ज की परिभाषा



रिपोर्ट के कलात्मक तथा साहित्यिक रूप को रिपोतार्ज कहते हैं। वास्तव में रेखाचित्र की शैली में प्रभावोत्पादक ढंग से लिखे जाने में ही रिपोतार्ज की सार्थकता है। आंखों देखी और कानों सुनी घटनाओं पर भी रिपोतार्ज लिखा जा सकता है। कल्पना के आधार पर रिपोतार्ज नहीं लिखा जा सकता है।



          रिपोतार्ज का अर्थ



जिस गद्द साहित्य में किसी घटना या घटनास्थल का आंखों देखा हाल जब साहित्यिक और कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है, तो उसे रिपोतार्ज कहते हैं।





          रिपोतार्ज के जनक



हिंदी में रिपोर्ताज का जनक शिवदान सिंह चौहान को माना जाता है। 'लक्ष्मीपुरा' जो कि रुपाभ पत्रिका के दिसंबर 1938 में प्रकाशित हुआ था, हिंदी प्रथम रिपोतार्ज माना जाता है।



  रिपोतार्ज के लेखक का जन्म कब से मना जाता है?


इसका विकास सन 1936 ईस्वी के बाद दितीय विश्व युद्ध के समय पाश्चात्य प्रभाव से हुआ। जीवन की सूचनाओं की कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए रिपोतार्ज का जन्म हुआ। रिपोतार्ज पत्रकारिता के क्षेत्र की विधा है। 'रिपोतार्ज' शब्द का उद्भव 'फ्रांसीसी' भाषा से माना जाता है।


    रिपोतार्ज लेखकों के नाम 


सर्वश्री प्रकाश चंद्र गुप्त, रांगेय राघव, प्रभाकर माचवे तथा अमृतराय आदि ने रोचक रिपोतार्ज लिखे हैं। पर हिंदी में साहित्यिक, श्रेष्ठ रिपोर्ताज लिखे जाने की पूरी संभावनाएं हैं।


       रिपोतार्ज की विशेषताएं


➡️ रिपोतार्ज आंखों देखा वर्णन जैसा प्रतीत होता है।



➡️इसमें समसामयिक घटनाओं को वास्तविक रूप में प्रस्तुत किया जाता है।



➡️इसमें निजी सूक्ष्म निरीक्षण के आधार पर मनोवैज्ञानिक विश्लेषण होता है।



➡️इसकी शैली विवरणात्मक तथा वर्णनात्मक होती है।



➡️यह पत्रकारिता के गुणों से संपन्न होता है।




प्रमुख रिपोतार्ज और उसके लेखक

 प्रमुख रिपोतार्ज और उसके लेखक



     


        लेखक _  रिपोर्ताज


लेखक- शिवदान सिंह चौहान


रिपोर्ताज- लक्ष्मीपुरा (1938), मौत के खिलाफ जिंदगी की लड़ाई


लेखक-  रांगेय राघव


रिपोर्ताज- तूफानों के बीच (1946), स्वराज भवन


लेखक- प्रकाश चंद्र गुप्त


रिपोर्ताज- अल्मोड़ा का बाजार, बंगाल का अकाल


लेखक- उपेंद्रनाथ अश्क


रिपोर्ताज- पहाड़ों में प्रेममय संगीत


लेखक- भदंत आनंद कौसल्यायन


रिपोर्ताज- देश की मिट्टी बुलाती है


लेखक- शमशेर बहादुर सिंह


रिपोर्ताज- प्लॉट का मोर्चा (1952)


लेखक- कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर'


रिपोर्ताज- क्षण बोले कण मुस्काए (1953)


लेखक- श्रीकांत वर्मा


रिपोर्ताज- अपोलो का रथ


लेखक- शिवसागर मिश्र


रिपोर्ताज- वे लड़ेंगे हजारों साल (1966)


लेखक- धर्मवीर भारती


रिपोर्ताज- युद्ध यात्रा (1972)


लेखक- फणीश्वर नाथ 'रेणु'


रिपोर्ताज- नेपाली क्रांति (1978)


ऋण जल धन जल (1977)


श्रुत अश्रुत पूर्व (1984)


एकलव्य के नोट्स


लेखक- विवेकी राय


रिपोर्ताज- जुलूस रुका है (1977)



बाढ़! बाढ़!! बाढ़!!!


लेखक- भगवतशरण उपाध्याय


रिपोर्ताज- खून के छींटे


लेखक- रामकुमार वर्मा


रिपोर्ताज- पेरिस के नोट्स


लेखक- कमलेश्वर


रिपोर्ताज- क्रांति करते हुए आदमी को देखना


लेखक- श्रीकांत वर्मा


रिपोर्ताज- मुक्ति फौज

 



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