Class 10th Hindi up board half yearly paper 2025
कक्षा 10वीं हिन्दी अर्द्धवार्षिक परीक्षा पेपर 2025 का सम्पूर्ण हल
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अर्द्धवार्षिक परीक्षा पेपर 2025
कक्षा-10 वी
विषय - हिन्दी
समय: 3.15 घंटे पूर्णाकः 70
निर्देश-1. इस प्रश्न-पत्र के दो खण्ड, खण्ड-अ तथा खण्ड-व है।
2. खण्ड-अ में 1 अंक के 20 बहुविकल्पीय प्रश्न है जिनके उत्तर ओ. एम. आर.उत्तर-पत्रक पर देने है।
3. प्रश्न के अंक उसके सम्मुख अंकित है।
4. खण्ड-ब में 50 अंक के वर्णनात्मक प्रश्न है।
5. खण्ड-ब में सभी प्रश्नो का उत्तर एक साथ ही करे।
खण्ड-'अ' बहुविकल्पीय प्रश्न
1. निम्न में से छायावादी युग के लेखक है-
(a) पदमसिंह शर्मा
(b) प्रभाकार
(c) अमृतराय
(d) सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
2. 'शुक्लयुग' के नाटककार निम्नलिखित में से कौन नहीं है ?
(a) जयशंकर प्रसाद
(b) डॉ. रामकुमार वर्मा
(c) हरिकृष्ण प्रेमी
(d) भारतेन्दु हरिशचन्द्र
3. सन्नाटा के लेखक है-
(a) अज्ञेय
(b) जैनेन्द्र कुमार
(c)रामवृक्ष बेनीपुरी
(d) वासुदेवशरण अग्रवाल
4. 'वोल्गा से गंगा' कहानी संग्रह है-
(a) प्रेमचन्द का
(b) जैनेन्द्र कुमार
(c) राहुल सांकृत्यायन का
(d) यशपाल का
5. गोदान की विधा है-1
(a) कहानी
(b) उपन्यास
(c)एकांकी
(d) निबन्ध
6. संगीत व संवाद के माध्यम से किसे प्रस्तुत किया जाता है?
(a)नाटक
(b) कहानी
(c) उपन्यास
(d) एकांकी
7. नाटक शब्द की व्युत्पत्ति किस धातु से हुई है ?
(a)नाट्
(b) नट्
(c) नेट
(d) इनमे से कोई नहीं
8. लहरों के राजहंस के लेखक है-1
(a) धर्मवारी भारती
(b) मोहन राकेश
(c)कमलेश्वर
(d) राजेन्द्र यादव
9. भोर का तारा एकांकी का प्रकाशन कब हुआ ?
(a) वर्ष 1938
(b) वर्ष 1937
(c) वर्ष 1950
(d) वर्ष 1945
10. 'भारत-दुर्दशा' किस विद्या की रचना है ?
(a) जीवनी
(b) आत्मकथा
(c) रेखाचित्र
(d) एकांकी
(E)नाटक
11. दक्षिण भारत की झलक किस विधा की रचना है ?
(a)डायरी विधा
(b) नाटक विधा
(c) एकांकी विधा
(d) यात्रा साहित्य विधा
12. हंस पत्रिका के सम्पादक का नाम है ?
(a) मुंशी प्रेमचन्द
(b) विष्णु प्रभाकर
(c) जयशंकर प्रसाद
(d) महादेवी वर्मा
13. रस सिद्धान्त के आदि प्रवर्तक कौन है ?
(a) भरत मुनि
(b)मानुदत्त
(c) विश्वनाथ
(d) भामह
14. अलंकार का शाब्दिक अर्थ है-
(a) आभूषण
(b) आकर्षण
(c) सौन्दर्य
(d) प्रकृति
15. छन्द को पढ़ते समय आने वाले विराम को क्या कहते है ?
(a) गति
(b) यति
(c) तुक
(d) गण
16. किस शब्द में उपसर्ग का प्रयोग हुआ है-
(a) उपकार
(b) लाभदायक
(c) अपनापन
(d) समझदार
17. 'प्रत्यय' शब्द निर्मित है-
(a) प्रतृ + अय
(b) प्रत्यय
(c) प्रति + अय
(d) प्रति+य
18. 'हानि-लाभ' में समास है-
(a) द्वन्द्व
(b)कर्मधारय
(c) द्विगु
(d)बहुव्रीहि
19. तत्सम और तद्भव का कौन-सा युग्म सही है?
(a) कर्हाट-कड़ाहे
(b) कपित्थ-कैथा
(c) कुक्षि-कोख
(d) b और c दोनो
20. निम्न में से आम का पर्यायवाची है-
(a) क्षीर
(b)रसाल
(c) दुग्ध
(d) अम्बर
खण्ड-'ब' (वर्णनात्मक प्रश्न)
6. निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
विश्वास पात्र मित्र जीवन की एक औषध है हमें अपने मित्रो से यह आशा रखनी चाहिए कि वे उत्तम संकल्पों में हमे दृढ़ करेंगे दोषो और त्रुटियो से हमें बचाएँगे, | हमारे सत्य, पवित्रता और मर्यादा के प्रेम को पुष्ट करेंगे, जब हम कुमार्ग पर पैर रखेंगे, तब वे हमें सचेत करेंगे, जब हम हतोत्सहित होंगे, तब हमें उत्साहित करेंगे। सारांश यह है कि वे हमें उत्तमतापूर्वक जीवन-निर्वाह करने में हर तरह से सहायता देंगे। सच्ची मित्रता में उत्तम से उत्तम वैद्य की सी निपुणता और परख होती है, अच्छी से अच्छी माता कीन्सी धैर्य और कोमलता होती है। ऐसी ही मित्रता करने का प्रत्यन्त प्रत्येक पुरुष को करना चाहिए।
(क) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
(ख) गद्यांश के रेखांकित अंशो की व्याख्या कीजिए।
(ग) (अ) व्यक्ति को अपने मित्र से क्या उम्मीद करनी चाहिए ?
(ब) एक सच्चा मित्र किसे कहा गया है ?
2. दिए गए पद्यांश पर आधारित तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
चरन-कमल बंदी हरि राइ।जाकी कुपा पंगु गिरि लंघे, अंधे की सब कुछ दरसाइ। बहिरी सुनै, गूँग पुनि बोले, रंक चले सिर छत्र धराइ।सूरदास स्वामी करूनामय, बार-बार बंदी तिहिपाइए
(क) प्रस्तुत पद्यांश में सूरदास जी किसके चरणों की बार-बार वन्दना करते है ?
(ख) प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
(ग) प्रस्तुत पद्यांश में कौन-सा अलंकार है?
3. दिए गए संस्कृत गद्यांश का सन्दर्भ-सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए।
एषा नगरी भारतीय संस्कृतेः संस्कृतभाषायाश्च केन्द्रस्थलम अस्ति। इत एव संस्कृतवाङ् मयस्य संस्कृतेश्च आलोकः सका प्रस्टतः। मुगलयुवराजः दाराशिकोहः अत्रागत्य भारतीय दर्शन-शास्त्राणाम् अध्ययनम् अकरोत्। स तेषां ज्ञानेन तथा प्रभावितः अभवत्, यत तेन उप निषदाम् अनुवादः फारसीभाषायांकारितः।
4. दिए गए संस्कृत पद्यांश का सन्दर्भ-सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए।
नीर-क्षीर-विवेके हंसालस्य त्वमेव तनुषे चेत्। विश्वस्मिन्नधुनान्यः कुलव्रतं पालथिश्यति कः ।।
5. अपने पठित खण्डकाव्य के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक का उत्तर दीजिए। 3
(क) (i) 'मेवाड मुकुट' खण्डकाव्य के द्वितीय सर्ग की कथा को अपने शब्दों में लिखिए।
(ii) 'मेवाड मुकुट' खण्डकाव्य के आधार पर भामाशाह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
(ख) (i) 'अग्रपूजा' खण्डकाव्य के पंचम सर्ग (राजसूययज्ञ) का सारांश लिखिए।
(ii)' अग्रपूजा' खण्डकाव्य के आधार पर युधिष्ठिर का बरित्र-चित्रण कीजिए।
(ग) (i) 'कर्मवीर भरत' खण्डकाव्य के आधार पर अन्तिम सर्ग की कथावस्तु का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
(ii)' कर्मवीर भरत' खण्डकाव्य के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
(घ) (i)' जय सुभाष' खण्डकाव्य के सप्तम सर्ग (अन्तिम सर्ग) की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
(ii) 'सुभाष चन्द्र बोस ने देश के लिए अपने सुखों को त्याग दिया तथा देश की आजादी के लिए संघर्ष करते रहे। इसे अलग-अलग उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए।
(ङ) (i) 'मातृभूमि के लिए' खण्डकाव्य के प्रथम सर्ग की कथावस्तु को अपने शब्दो में लिखिए।
(ii) चन्द्रशेखर आजाद के जीवन की दो वीरतापूर्ण घटनाओं का उल्लेख करें।
च) (i) 'तुमुल' खण्डकाव्य के द्वादश सर्ग (राम-विलाप और सौमित्र का उपचार) की 'कथावस्तु' का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
(ii)' तुमुल' खण्डकाव्य के नायक लक्ष्मण का चरित्र-चित्रण कीजिए।
(छ) (i)' ज्योति जवाहर' खण्डकाव्य के आधार पर बताइए कि कवि द्वारा वर्णित कलिंग युद्ध प्रसंग का क्या महत्व है ?
(ii)' ज्योति जवाहर' खण्डकाव्य के आधार पर जवाहरलाल नेहरू का चरित्र-चित्रण कीजिए।
(ज)(i)'कर्ण' खण्डकाव्य के छठे सर्ग का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
(ii)' कर्ण' खण्डकाव्य के आधार पर कर्ण का चरित्र-चित्रण कीजिए।
(झ) (i)' मुक्तिदूत' के चतुर्थ सर्ग की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
(ii)' मुक्तिदूत' खण्डकाव्य के नाम द्वारा चलाए गए एक मुख्य आन्दोलन और उसके प्रभावो का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
6.(क) दिए गए लेखको में से किसी एक लेखक का जीवन-परिचय देते हुए उनकी एक प्रमुख रचना का उल्लेख कीजिए।
(अ)आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(ब) जयप्रकाश भारती
जीवन-परिचय
लोकप्रिय बाल पत्रिका 'नन्दन' के सम्पादक एवं प्रसिद्ध लेखक जयप्रकाश भारती का जन्म 2 जनवरी, 1936 में उत्तर प्रदेश के प्रमुख नगर मेरठ में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री रघुनाथ सहाय था, जो मेरठ के प्रसिद्ध वकील और कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता थे। भारती जी ने अपनी बी. एस. सी. तक की शिक्षा मेरठ में ही पूरी की। छात्र जीवन में इन्होंने अपने पिता को अनेक सामाजिक गतिविधियों में संलिप्त देखा था, जिसका व्यापक प्रभाव इनके जीवन पर भी पड़ा। इससे इन्होंने समाजसेवी संस्थाओं में प्रमुखता से भाग लेना आरम्भ कर दिया। साक्षरता के प्रचार-प्रसार में इनका उल्लेखनीय योगदान रहा है, इन्होंने अनेक वर्षों तक मेरठ में निःशुल्क प्रौढ़ रात्रि पाठशाला का संचालन किया। इनका निधन 5 फरवरी, 2005 को हो गया। सम्पादन के क्षेत्र में इनकी विशेष रुचि रही। इन्होंने 'सम्पादन-कला विशारद' की उपाधि प्राप्त करके मेरठ से प्रकाशित 'दैनिक प्रभात' तथा दिल्ली से प्रकाशित 'नवभारत टाइम्स' में पत्रकारिता का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। ये अनेक वर्षों तक दिल्ली से प्रकाशित 'साप्ताहिक हिन्दुस्तान' के सह-सम्पादक भी रहे
रचनाएँ – भारती जी की अनेक पुस्तकें यूनेस्को और भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत की गई हैं
-हिमालय की पुकार, अनन्त प्रकाश, अथाह सागर, विज्ञान की विभूतियाँ, देश हमारा देश हमारा, चलो चाँद पर चलें, सरदार भगतसिंह, हमारे गौरव के प्रतीक, उनका बचपन यूँ बीता, ऐसे थे हमारे बापू, लोकमान्य तिलक, बर्फ की गुड़िया, अस्त्र-शस्त्र आदिम युग से अणु युग तक, भारत का संविधान, संयुक्त राष्ट्र संघ, दुनिया रंग-बिरंगी आदि। इसके अतिरिक्त इन्होंने ढेर सारा बाल-साहित्य भी सृजित किया है।
भाषा-शैली – अधिकांशतः बाल साहित्य का सृजन करने वाले जयप्रकाश भारती की रचनाओं की भाषा स्वाभाविक रूप से सरल है। विज्ञान सम्बन्धी रचनाओं में विज्ञान की पारिभाषिक शब्दावली का प्रयोग हुआ है, पर शेष स्थानों पर सरल साहित्यिक हिन्दी का प्रयोग हुआ है। जयप्रकाश भारती ने अपनी रचनाओं में वर्णनात्मक, चित्रात्मक व भावात्मक शैली का प्रयोग किया है।
हिन्दी साहित्य में स्थान
जयप्रकाश भारती जी मुख्यतः बाल साहित्य और वैज्ञानिक लेखों के क्षेत्र में प्रसिद्ध हुए हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने लेख, कहानियाँ, रिपोर्ताज आदि अन्य साहित्यिक विधाओं से हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया है। इन्होंने वैज्ञानिक विषयों को हिन्दी में प्रस्तुत करके तथा उसे सरल, रोचक, उपयोगी और चित्रात्मक बनाकर अन्य साहित्यकारों का मार्ग निर्देशन किया है।
(स) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(ख) दिए गए कवियों में से किसी एक कवि का जीवन-परिचय देते हुए उनकी एक प्रमुख रचना का उल्लेख कीजिए। 5
(अ) महादेवी वर्मा
(ब)सूरदास
(स) माखनलाल चतुर्वेदी
(अ) महादेवी वर्मा जीवन परिचय- हिंदी साहित्य में आधुनिक मीरा के नाम से प्रसिद्ध कवियित्री एवं लेखिका महादेवी वर्मा का जन्म वर्ष 1907 में उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद शहर में हुआ था। इनके पिता गोविंदसहाय वर्मा भागलपुर के एक कॉलेज में प्रधानाचार्य थे। माता हेमरानी साधारण कवयित्री थीं एवं श्री कृष्ण में अटूट श्रद्धा रखती थीं। इनके नाना जी को भी ब्रज भाषा में कविता करने की रुचि थी। नाना एवं माता के गुणों का महादेवी पर गहरा प्रभाव पड़ा। इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में और उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई थी। नौ वर्ष की अल्पायु में ही इनका विवाह स्वरूप नारायण वर्मा से हुआ, किंतु इन्हीं दिनों इनकी माता का स्वर्गवास हो गया, ऐसी विकट स्थिति में भी इन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा।
अत्यधिक परिश्रम के फल स्वरुप इन्होंने मैट्रिक से लेकर एम.ए. तक की परीक्षाएं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। वर्ष 1933 में इन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्या पद को सुशोभित किया। इन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए काफी प्रयास किया साथ ही नारी की स्वतंत्रता के लिए ये सदैव संघर्ष करती रही। इनके जीवन पर महात्मा गांधी का तथा कला साहित्य साधना पर रविंद्र नाथ टैगोर का प्रभाव पड़ा।
7. अपनी पाठ्य-पुस्तक में से कुण्ठस्थ कोई एक श्लोक लिखिए जो इस प्रश्न-पत्र में न आया हो।
8. निम्नलिखित में से किन्ही दो का संस्कृत में अनुवाद कीजिए।
(क) सदाचार की रक्षा करनी चाहिए।
(ख) गाय का दूध पीना चाहिए।
(ग) विघा सभी धनों में श्रेष्ठ है।
(घ) हम भारत के नागरिक है।
(ङ) बड़ों का आदर करो।
9. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में दीजिए।
(क) श्वेत केतुः कस्य पुत्रः आसीत् ?
(ख) नीर-क्षीर विषये हंसस्य का विशेषता अस्ति ?
(ग) कोशगतः भ्रमरः किम् अचिन्तयत ?
(घ) गीतायाः कः सन्देशः ?
10. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबन्ध लिखिए।
(क) मोबाइल फोन से लाभ और हानि।
(ख) जीवन में खेलकूद की उपयोगिता।
(ग) जनसंख्या वृद्धि एक राष्ट्रीय समस्या है।
(घ) स्वच्छ भारतः एक कदम स्वच्छता की ओर
(ङ) मेरा प्रिय कवि
प्रस्तावना – संसार में अनेक प्रसिद्ध साहित्यकार हुए हैं, जिनकी अपनी-अपनी विशेषताएँ हैं। यदि मुझसे पूछा जाए कि मेरा प्रिय साहित्यकार कौन है? तो मेरा उत्तर होगा-महाकवि तुलसीदास। यद्यपि तुलसी के काव्य में भक्ति-भावना प्रधान है, परन्तु उनका काव्य कई सौ वर्षों के बाद भी भारतीय जनमानस में रचा-बसा हुआ है और उनका मार्ग दर्शन कर रहा है, इसलिए तुलसीदास मेरे प्रिय साहित्यकार हैं।
आरम्भिक जीवन-परिचय – प्रायः प्राचीन कवियों और लेखकों के जन्म के बारे में सही-सही जानकारी नहीं मिलती। तुलसीदास के विषय में भी ऐसा ही है, किन्तु माना जाता है कि 1511 ई. (संवत् 1568 वि.) में बाँदा जिले में इनका जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। इनके ब्राह्मण माता-पिता ने इन्हें अशुभ मानकर जन्म लेने के बाद ही इनका त्याग कर दिया था। अत: इनका बचपन बहुत ही कठिनाइयों में बीता। गुरु नरहरिदास ने इनको शिक्षा दी।
इनका विवाह रत्नावली नाम की कन्या से हुआ था। विवाह उपरान्त उसकी एक कटु उक्ति सुनकर इन्होंने राम-भक्ति को ही अपने जीवन का ध्येय बना लिया, इन्होंने अपने जीवनकाल में लगभग सैंतीस ग्रन्थों की रचना की, परन्तु इनके बारह ग्रन्थ ही प्रामाणिक माने जाते हैं। इस महान् भक्त कवि का देहावसान 1623 ई. (संवत् 1680 वि.) में हुआ।
काव्यगत विशेषताएँ – तुलसीदास का जन्म ऐसे समय में हुआ था, जब हिन्दू समाज मुसलमान शासकों के अत्याचारों से आतंकित था। लोगों का नैतिक चरित्र गिर रहा था और लोग संस्कारहीन हो रहे थे। ऐसे में समाज के सामने एक आदर्श स्थापित करने की आवश्यकता थी, ताकि लोग उचित-अनुचित का भेद समझकर सही आचरण कर सकें। यह भार तुलसीदास ने सँभाला और 'रामचरितमानस' नामक महान् काव्य की रचना की। इसके माध्यम से इन्होंने अपने प्रभु श्रीराम का चरित्र-चित्रण किया, हालाँकि यह एक भक्ति-भावना प्रधान काव्य है। 'रामचरितमानस' के अतिरिक्त इन्होंने कवितावली, गीतावली, दोहावली, विनयपत्रिका, जानकीमंगल, रामलला नहछू, रामायण, वैराग्य सन्दीपनी, पार्वतीमंगल आदि ग्रन्थों की रचना भी की है, परन्त इनकी प्रसिद्धि का मुख्य आधार 'रामचरितमानस' ही है।
तुलसीदास जी वास्तव में, एक सच्चे लोकनायक थे, क्योंकि इन्होंने कभी किसी सम्प्रदाय या मत का खण्डन नहीं किया, वरन् सभी को सम्मान दिया, इन्होंने निर्गुण एवं सगुण दोनों धाराओं की स्तुति की। अपने काव्य के माध्यम से इन्होंने कर्म, ज्ञान एवं भक्ति की प्रेरणा दी। 'रामचरितमानस' के आधार पर इन्होंने एक आदर्श भारतवर्ष की कल्पना की थी, जिसका सकारात्मक प्रभाव हुआ भी, इन्होंने लोकमंगल को सर्वाधिक महत्त्व दिया। साहित्य की दृष्टि से भी तुलसी का काव्य अद्वितीय है। इनके काव्य में सभी रसों को स्थान मिला है। इन्हें संस्कृत के साथ-साथ राजस्थानी, भोजपुरी, बुन्देलखण्डी, प्राकृत, अवधी, ब्रज, अरबी आदि भाषाओं का ज्ञान भी था, जिनका प्रभाव इनके काव्य में दिखाई देता है। इन्होंने विभिन्न छन्दों में रचना करके अपने पाण्डित्य का प्रदर्शन किया है। तुलसी ने प्रबन्ध तथा मुक्त दोनों प्रकार के काव्यों में रचनाएँ कीं। इनकी प्रशंसा में कवि जयशंकर प्रसाद ने लिखा
"प्रभु का निर्भय सेवक था, स्वामी था अपना, जाग चुका था, जग था जिसके आगे सपना। प्रबल प्रचारक था जो उस प्रभु की प्रभुता का, अनुभव था सम्पूर्ण जिसे उसकी विभुता का। राम छोड़कर और की, जिसने कभी न आस की, रामचरितमानस-कमल, जय हो तुलसीदास की।
उपसंहार– तुलसीदास जी अपनी इन्हीं सब विशेषताओं के कारण हिन्दी साहित्य के अमर कवि हैं। निःसन्देह इनका काव्य महान् है। तुलसी ने अपने युग और भविष्य, स्वदेश और विश्व, व्यक्ति और समाज सभी के लिए महत्त्वपूर्ण सामग्री दी है। अतः ये मेरे प्रिय कवि हैं। अन्त में इनके बारे में यही कहा जा सकता है
“कविता करके तुलसी न लसे,
कविता लसी पा तुलसी की कला।”