Nobel Prize Winner 2025
नवाचार ही आर्थिक प्रगति का इंजन' बताने वाले तीन अर्थशास्त्रियों को नोबेल
इस साल 2025 के अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिए जोएल मोकिर, फिलिप अधियन और पीटर होविट को चुना गया है। मोकिर और होविट अमेरिका में, जबकि अघियन ब्रिटेन में प्रोफेसर हैं। नोबेल समिति ने बताया कि इन अर्थशास्त्रियों ने बताया कि नवाचार से कैसे आर्थिक विकास का रास्ता खुलता है। तकनीक तेजी से बदलती है और हम सभी पर असर डालती है। नवाचार ही आर्थिक प्रगति का इंजन है।
रायल स्वीडिश एकेडमी आफ साइंसेज के मुताबिक पुरस्कार का आधा हिस्सा मोकिर को "तकनीकी - प्रगति के माध्यम से सतत विकास की जरूरी शर्तों की पहचान के लिए और शेष आधा पुरस्कार संयुक्त रूप से अधियन और होविट को "रचनात्मक सूजन के जरिये सतत विकास के सिद्धांत के लिए" दिया जाएगा। समिति के अध्यक्ष जान हैसलर ने विजेताओं की घोषणा करते हुए कहा कि अर्थशास्त्रियों ने दिखाया आर्थिक विकास को हल्के में नहीं लिया जा सकता। हमें रचनात्मकता के मूल तंत्र को बनाए रखना होगा, ताकि हम फिर से गतिरोध में न फंस जाएं। बता दें कि पुरस्कार के तहत 11 मिलियन क्रोन (लगभग 10.63 करोड़ रुपये) रुपये दिए जाते हैं। अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार को औपचारिक तौर पर अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में बैंक आफ स्वीडन प्राइज इन इकोनोमिक साइंसेज के रूप में जाना जाता है। बैंक ने 1968 में नोबेल की स्मृति में इसकी स्थापना की थी।
नई तकनीक पुरानी को बदल देती है: 1992 में अर्थशास्त्रियों ने एक गणितीय माडल तैयार किया था, जिसे रचनात्मक विध्वंस कहा गया।
इसके मुताबिक, बाजार में जब भी नया और बेहतर उत्पाद प्रवेश करता है तो कंपनियों के पुराने उत्पाद बिकना बंद हो जाते हैं। नवाचार नएपन का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए इसे रचनात्मक कहा जाता है। हालांकि, इसमें विध्वंस भी होता है क्योंकि जिस कंपनी की तकनीक पुरानी हो जाती है, वह प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाती है। एपी के मुताबिक अधियन और होविट का माडल दिखाता है कि अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) में निवेश कितना जरूरी है। नए के आने और पुराने के खत्म होने का सिलसिला कभी खत्म नहीं होता।
सतत विकास ही न्यू नार्मलः जोएल मोकिर ने ऐतिहासिक स्त्रोतों के जरिये ये साबित किया कि सतत विकास कैसे न्यू नार्मल बन जाता है। उन्होंने दिखाया कि यदि नवाचारों को खुद से विकसित होने की प्रक्रिया में एक दूसरे से आगे बढ़ना है,
हमें वैज्ञानिक आधार पर ये जानना होगा कि कोई चीज क्यों और कैसे काम करती है। औद्योगिक क्रांति से पहले वैज्ञानिक स्पष्टीकरण अक्सर कम होते थे, जिससे नई खोजों को आगे बढ़ाना मुश्किल रहता था। उन्होने जोर दिया कि समाज को भी नए विचारों को स्वीकार करने और बदलाव के लिए तैयार रहना होगा।
कौन हैं नोबेल विजेता अर्थशास्त्रीः मोकिर (79) का जन्म नीदरलैंड्स में 1946 में हुआ था। उन्होंने येल यूनिवर्सिटी से अपनी पीएचडी पूरी की और वर्तमान में अमेरिका की नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। वह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की संरक्षणवाद की नीतियों के प्रबल विरोधी हैं। उनका मानना है कि वैश्विक विकास और नवाचार के लिए ये ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि विकास के लिए खुलापन बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि यूरोप को हाईटेक इनोवेशन को बढ़ावा देकर अमेरिका व चीन का एकाधिकार तोड़ना चाहिए। फिलिप अधियन (69) फ्रांसीसी मूल के अर्थशास्त्री हैं, जिनका जन्म 1956 में पेरिस में हुआ था। उन्होंने कैंब्रिज स्थित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वह कालेज डी फ्रांस और इनसीड, पेरिस और लंदन स्कूल आफ इकोनामिक्स एंड पोलिटिकल साइंस, यूके में प्रोफेसर हैं। अधियन ने साल 2017 में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों के चुनाव अभियान के दौरान उनकी आर्थिक नीतियां तैयार करने में मदद की थी। वह फ्रांस को एआइ के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कमिशन की सहअध्यक्षता भी कर रहे हैं। पीटर होविट (79) का जन्म 1946 में कनाडा में हुआ। उन्होंने नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। फिलहाल वह अमेरिकी की ब्राउन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं।
नोबेल शांति पुरस्कार 2025 में किसे दिया गया है
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित मारिया कोरिना मचाडो वेनेजुएला की विपक्षी पार्टी की नेता है। मचाडो को वेनेजुएला में आयरन लेडी कहा जाता है। मचाद्धे दुनिया में पहली बार तब सुर्खियों में आई जब 14 फरवरी 2012 को उन्होंने वेनेजुएला के तत्कालीन राष्ट्रपति शावेज का भाषण बंद करा दिया था। वर्ष 2012 में उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था।
वेनेजुएला में लोकतंत्र के लिए संघर्ष कर रहीं मचाडो
मचाडो ने सुमाते नामक संगठन की स्थापना की, जो दक्षिण अमेरिकी राष्ट्र वेनेजुएला में लोकतंत्र की बेहतरी के लिए काम करता है। वे देश में मुफ्त और निष्पक्ष चुनावों की मांग करती रही हैं। नोबेल शांति पुरस्कार के लिए मचाडो के नाम का एलान करते हुए नार्वे की नोबेल कमेटी ने कहा कि जब तानाशाह सत्ता पर कब्जा कर लें तो उनके खिलाफ खड़े होने और विरोध करने वाले स्वतंत्रता के उन साहसी रक्षकों को पहचानना जरूरी हो जाता है। अब तक 112 लोगों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। बता दें कि ये एकमात्र पुरस्कार है, जिसकी घोषणा नार्वे की राजधानी ओस्लो में की जाती है।