Class 10th Home Science Chapter 09 भोजन पकाने एवं परोसने की विधियाँ नोट्स हिन्दी
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खण्ड घ : भोजन तथा पोषण विज्ञान
अध्याय 09 भोजन पकाने एवं परोसने की विधियाँ
[ Short Introduction of This Chapter ]
भोजन पकाना
भोजन पकाकर खाना बहुत महत्त्वपूर्ण होता है, क्योंकि पकाने के बाद भोजन स्वादिष्ट तथा सुपाच्य हो जाता है। भोजन पकाने के बाद उसका रंग व बनावट आकर्षक हो जाती है। सही विधि से पकाया गया भोजन स्वास्थ्यवर्द्धक होता है।
भोजन पकाने के मुख्य उद्देश्य / लाभ
भोजन पकाने के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं
1• पाक क्रिया का मुख्य उद्देश्य भोज्य सामग्री को सुपाच्य बनाना है।
2• उच्च ताप पर पकाने से भोज्य सामग्री रोगाणुमुक्त हो जाती है।
3• पाक क्रिया में रंगों एवं मसालों का प्रयोग भोज्य सामग्री को स्वादिष्ट बनाने के साथ आकर्षक रूप प्रदान करता है। पाक क्रिया द्वारा किसी एक ही खाद्य सामग्री) को विभिन्न व्यंजनों के रूप में विविधता दी जा सकती है।
4.कुछ पाक क्रियाओं द्वारा विभिन्न खाद्य सामग्रियों का संरक्षण किया जा सकता है।
भोजन पकाने की विधियाँ
भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ निम्नलिखित हैं
1. जल के माध्यम से पाक क्रिया इस विधि से खाद्य सामग्री को दो प्रकार से पकाया जाता है।
(i) उबालना यह सरल एवं सुविधाजनक विधि है।
(ii) मन्द ताप इस ताप पर पकाने से खाद्य सामग्री नर्म व स्वादिष्ट रहती है।
2. वाष्प के माध्यम से पाक क्रिया यह भोजन पकाने की सर्वोत्तम विधि है। वाष्प में भोजन पकाने के लिए प्रेशर कुकर का उपयोग किया जाता है, इससे भोजन जल्दी पक जाता है व सुपाच्य भी होता है। इससे पोषक तत्त्व नष्ट नहीं होते हैं।
3. चिकनाई के माध्यम से पाक क्रिया इस विधि में खाद्य सामग्रियों को तीन प्रकार से पकाया जाता है।
(i) उथली विधि इसमें परौंठा, चीला आदि को तवे पर थोड़ा-थोड़ा घी लगाकर सेंका जाता है।
(ii) तलने की गहरी विधि इसमें पूड़ी, पकौड़ी आदि को घी या तेल में तला जाता है।
(iii) तलने की शुष्क विधि इसमें उन खाद्य सामग्रियों को पकाया जाता है, जिनमें अपनी चिकनाई पर्याप्त होती है।
4. वायु के माध्यम से पाक क्रिया इस विधि में खाद्य सामग्रियों को तीन प्रकार से पकाया जाता है।
(i) भूनना इसमें आलू, शकरकन्द आदि भूनकर पकाए जाते हैं।
(ii) सेंकना ओवन में सेंकने की विधि द्वारा पाक क्रिया होती है।
(iii) भट्ठी या तन्दूर में पकाना इसमें रोटी, डबलरोटी, ब्रेड, बिस्कुट आदि बनाए जाते हैं।
पाक क्रिया का खाद्य सामग्री के पोषक तत्त्वों पर प्रभाव
सन्तुलित आहार के आवश्यक पोषक तत्त्वों कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन या खनिज लवण पर पाक क्रिया के पड़ने वाले मुख्य प्रभाव निम्नलिखित हैं।
1. कार्बोहाइड्रेट पर पाक क्रिया का प्रभाव पाचन के दृष्टिकोण से अच्छा माना जाता है।
2. वसा को निरन्तर उच्च ताप प्रदान करने पर 'एक्रोलीन' नामक यौगिक बनता है,जो शरीर में पहुँचकर स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है।
3. प्रोटीन पाक क्रिया का प्रभाव प्रोटीन को सामान्यतः अधिक सुपाच्य बना देता है।
4. विटामिन्स पर पाक क्रिया के प्रभाव के अन्तर्गत, विटामिन A जल के साथ पकाने पर अप्रभावित, किन्तु वसा के साथ पकाने पर प्रतिकूल रूप से प्रभावित होता है। इसी प्रकार विटामिन B एवं C पर पाक क्रिया का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जबकि विटामिन D अप्रभावित रहता है।
5. खनिज लवणों पर पाक क्रिया का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
पाक क्रिया में पौष्टिक तत्त्वों की सुरक्षा के उपाय
पाक क्रिया में पौष्टिक तत्त्वों की सुरक्षा के उपाय निम्नलिखित हैं।
1. खाद्य सामग्री को ढककर पकाना चाहिए।
2. आवश्यकता से अधिक नहीं पकाना चाहिए।
3. शीघ्र गलाने के उद्देश्य से सोडे का प्रयोग नहीं करना चाहिए, यह हानिकारक है।
4. जल में घुलनशील विटामिन की सुरक्षा हेतु खाद्य सामग्री को कम पानी में पकाना चाहिए तथा इस्तेमाल होने वाले पानी को फेंकना नहीं चाहिए।
भोजन परोसना
भोजन परोसने की निम्नलिखित तीन शैलियाँ प्रचलित हैं ।
1. देशी या भारतीय शैली इसमें सामान्यतः एक व्यक्ति को भोजन परोसने के लिए सदैव तत्पर रहना पड़ता है।
2. पाश्चात्य शैली इसमें भोजन एकसाथ मेज पर रख दिया जाता है। अतः इसमें परोसने वाले व्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती।
3. बुफे विधि यह अधिक व्यक्तियों को भोजन कराने की सुविधा तथा स्थान की कमी के आधार पर रूपान्तरित पाश्चात्य विधि के समान है।
भोजन परोसते समय ध्यान रखने योग्य बातें
भोजन परोसते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
1.भोजन परोसने वाले व्यक्ति को स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उसके हाथ अच्छी तरह से धुले होने चाहिए। वस्त्र स्वच्छ तथा बाल बँधे हुए होने चाहिए।
2.भोजन सदैव प्रेमपूर्वक परोसा जाना चाहिए। प्रेमपूर्वक भोजन परोसना मनोवैज्ञानिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। प्रेम व आदर से परोसा गया भोजन
व्यक्ति की सभ्यता एवं संस्कृति को दर्शाता है।
3.भोजन परोसने के सभी बर्तन तथा स्थान अर्थात् मेज आदि पूरी तरह से स्वच्छ होने चाहिए।
4.भोजन को सदैव उपयुक्त ताप पर ही परोसा जाना चाहिए। कुछ विशेष भोजन सामान्य ताप पर, अन्य गर्म अवस्था में, जबकि कुछ अन्य सामग्री ठण्डी ही परोसनी आवश्यक होती हैं। अतः गृहिणी को ध्यान रखना चाहिए कि कौन-सी खाद्य सामग्री किस अवस्था में परोसी जाए।
5.भोजन परोसते समय परोसने वाले बर्तनों का उपयुक्त प्रयोग किया जाना चाहिए।इससे कार्यकुशलता में वृद्धि होती है तथा भोजन का आकर्षण भी बढ़ता है।
भोजन में सब्जियों का महत्त्व
भोजन में सब्जियों का महत्त्व निम्नलिखित है ।
1.सब्जियों को सुरक्षात्मक खाद्य सामग्री माना जाता है।
2.सब्जियाँ विटामिन एवं खनिज लवणों का उत्तम स्रोत होती हैं। ये विटामिन एवं खनिज लवण हमारे स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से लाभदायक होते हैं। हरी सब्जियों को काटने से पूर्व धोना चाहिए अन्यथा उनके पौष्टिक तत्त्व पानी में बह जाते हैं।
3.सब्जियों में रेशे की भरपूर मात्रा होती है। अतः सब्जियाँ कब्ज निवारक होती हैं।
4.सब्जियाँ शरीर में अम्ल एवं क्षार के सन्तुलन को बनाए रखने में सहायक होती हैं।
5.सब्जियाँ भूख बढ़ाती हैं।
6.सब्जियों के समावेश से हमारा भोजन अधिक रुचिकर एवं विविधतापूर्ण बनता है।
खाद्य पदार्थों के संरक्षण की विधियाँ
खाद्य पदार्थों की संरचनात्मक विशिष्टता तथा पौष्टिकता को विकृति से बचाने के लिए खाद्य पदार्थों का संरक्षण आवश्यक होता है। खाद्य पदार्थों के संरक्षण के लिए
निम्नलिखित विधियाँ अपनाई जाती हैं।
1• कुछ खाद्य पदार्थ सुखाकर संरक्षित किए जाते हैं।
2.कुछ खाद्य वस्तुओं को सिरके में अथवा तेल व नमक डालकर संरक्षित रखा जाता है।
3.रासायनिक विधियों में, बेंजोइक एसिड व सोडियम बेंजोएट आदि का प्रयोग किया जाता है।
4.कुछ वस्तुओं को उबालकर टिन के डिब्बों में भरकर बन्द कर दिया जाता है।
5. चाशनी के रूप में मुरब्बा बनाकर भी फल आदि का संरक्षण सम्भव है।
महत्त्वपूर्ण बिन्दु
1• उबालना, भूनने, तलने एवं सेंकने में, उबालना सर्वोत्तम विधि है।
2. प्रेशर कुकर में भोजन भाप के माध्यम से पकने के कारण जल्दी पक जाता है।अतः समय की बचत होती है। इसमें पका भोजन सुपाच्य होता है एवं उसके पोषक तत्त्व नष्ट नहीं होते हैं।
3.कच्ची सब्जियों को खाने से शरीर में खनिज लवण, विटामिन्स इत्यादि पोषक तत्त्व अधिक मात्रा में मिलते हैं।
4.दूध में विटामिन C का अभाव रहता है।
5. दूध को उबालने पर उसके सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं।
6.भोजन पकाने से पहले एवं पकाते समय तथा परोसते समय सम्बन्धित व्यक्ति के हाथों इस्तेमाल होने वाले बर्तनों तथा उपकरणों की स्वच्छता का ध्यान रखना
चाहिए अन्यथा भोजन के संक्रमित होने की आशंका रहती है।
7• खाना खाने से पहले हाथ साबुन एवं पानी से धोने चाहिए।
[ बहुविकल्पीय प्रश्न Objective Questions ]
प्रश्न 1. सही विधि से पकाया गया भोजन होता है?
(a) आकर्षक
(b) सुपाच्य
(c) स्वास्थ्यवर्द्धक
(d) हानिकारक
उत्तर (c) स्वास्थ्यवर्द्धक
प्रश्न 2. पाक क्रिया का व्यवस्थित अध्ययन कहलाता है?
(a) पाक-विज्ञान
(c) पाक-शास्त्र
(b) पाक-कला
(d) 'b' और 'c' दोनों
उत्तर (d) 'b' और 'c' दोनों
प्रश्न 3. सब्जियों को धोना चाहिए
(a) काटने के बाद
(b) छीलने से पहले
(c) छीलने के बाद
(d) कभी नहीं
उत्तर (b) छीलने से पहले
प्रश्न 4. खाने का सोड़ा मिलाकर पकाने से नष्ट होता है।
अथवा बेकिंग पाउडर अथवा खाने का सोड़ा मिलाकर पकाने से भोजन का नष्ट होने वाला पोषक तत्त्व है?
(a) कार्बोहाइड्रेट
(b) प्रोटीन
(c) विटामिन 'बी'
(d) खनिज लवण
उत्तर (c) विटामिन 'बी'
प्रश्न 5. भोजन पकाने की विधि है?
(a) उबालना
(b) सेंकना
(c) भाप द्वारा
(d) ये सभी
उत्तर (d) ये सभी
प्रश्न 6. भोजन पकाने की सर्वोत्तम विधि है
(a) उबालना
(b) भूनना
(c) तलना
(d) सिझाना (स्ट्रिम करना)
उत्तर (a) उबालना
प्रश्न 7. भोजन पकाने की कौन-सी विधि पौष्टिक तत्वों को सुरक्षित रखती है?
अथवा किस विधि से भोजन पकाने पर पोषक तत्व नष्ट नहीं होते हैं?
(a) भाप द्वारा पकाना
(b) तलना
(c) भूनना
(d) उबालना
उत्तर (a) भाप द्वारा पकाना
प्रश्न 8. डबल रोटी व बिस्कुट बनाने की विधि कहलाती हैं ?
(a) ग्रिलिंग
(b) रोस्टिंग
(c) बेकिंग
(d) टोस्टिंग
उत्तर (c) बेकिंग
प्रश्न 9. भोजन पकाने में किसका प्रयोग हानिकारक होता है?
(a) घी का
(b) मसाले का
(c) सोडे का
(d) ये सभी
उत्तर (c) सोडे का
प्रश्न 10.सब्जियों को पकाने का सबसे अच्छा तरीका कौन-सा है?
(a) फ्राइंग
(b) बेकिंग
(c) उबालना
(d) स्टीमिंग
उत्तर स्टीमिंग
प्रश्न 11. जल द्वारा भोजन पकाने में उबाल कितने ताप पर आता है?
(a) 90°C
(b) 100°C
(c) 85°C
(d) 70°C
उत्तर (b) 100°C
प्रश्न 12. भोजन परोसने के लिए प्रयोग करनी चाहिए
(a) हाथ की अंगुलियों
(b) काँटेदार चम्मच काँटे
(c) लकड़ी की छुरियों
(d) परोसने वाली चम्मच / बड़े चम्मच
उत्तर (d) परोसने वाली चम्मच/बड़े चम्मच
प्रश्न 13. खाद्य पदार्थों का संरक्षण किया जा सकता है।
(a) सुखाकर
(b) चाशनी में डालकर
(c) तेल व नमक द्वारा
(d) ये सभी
उत्तर (d) ये सभी
प्रश्न 14. प्रेशर कुकर में खाना पकाया जाता है।
(a) भूनकर
(b) भाप द्वारा
(c) उबालकर
(d) तलकर
उत्तर (b) भाप द्वारा
प्रश्न 15. ओवन में किस विधि द्वारा खाना बनाया जाता है?
(a) भूनकर
(b) उबालकर
(c) सेंककर
(d) तलकर
उत्तर (c) सेककर
प्रश्न 16. किस प्रकार भोजन पकाने में समय की बचत होती है?
(a) तलकर
(b) उबालकर
(c) प्रेशर कुकर द्वारा
(d) भूनकर
उत्तर (c) प्रेशर कुकर द्वारा
प्रश्न 17. दूध में कौन-सा विटामिन नहीं पाया जाता?
अथवा दूध में किस विटामिन का अभाव रहता है?
(a) A
(b) D
(c) C
(d) K
उत्तर (c) C
प्रश्न 18. दूध को उबालने पर निम्नलिखित में से क्या नष्ट हो जाता है?
(a) उसके पोषक तत्त्व
(b) उसके सूक्ष्म जीव
(c) उसका स्वाद
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (b) उसके सूक्ष्म जीव
प्रश्न 19 खाना खाने से पहले हाथ धोने चाहिए।
(a) राख से
(b) अपमार्जक से
(c) पानी से
(d) साबुन एवं पानी
उत्तर (d) साबुन एवं पानी से
प्रश्न 20. किसी भी भोज्य पदार्थ से प्राप्त ऊर्जा को नापने की इकाई है।
(a) ग्राम
(b) औस
(c) डिग्री
(d) कैलोरी
उत्तर (d) कैलोरी
[ अतिलघु उत्तरीय प्रश्न Short Question Answers ]
प्रश्न 1. खाद्य सामग्री को क्यों पकाया जाता है?
उत्तर – खाद्य सामग्री को स्वादिष्ट, सुपाच्य एवं रोगाणुमुक्त बनाने के लिए पकाया जाता है।
प्रश्न 2. भोजन पकाने के क्या उददेश्य है?
उत्तर – भोजन पकाने के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है।
(a)• पाक क्रिया का मुख्य उद्देश्य भोज्य सामग्री को सुपाच्य बनाना है।
(b)• उच्च ताप पर पकाने से भोज्य सामग्री रोगाणुमुक्त हो जाती है।
(c)• पाक क्रिया में रंगों एवं मसालों का प्रयोग भोज्य सामग्री को स्वादिष्ट बनाने के साथ आकर्षक रूप प्रदान करता है।
प्रश्न 3. भोजन पकाने की प्रमुख विधियाँ कौन-कौन सी हैं ?
अथवा भोजन पकाने की चार विधियों के नाम बताइए।
उत्तर – भोजन पकाने की चार प्रमुख विधियाँ हैं
1. भूनना व सेंकना
2. उबालना
3. तलना
4. वाष्प द्वारा
प्रश्न 4. भोजन को उबालकर पकाते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर – खाद्य सामग्री को उबालने के लिए केवल उतना ही जल लेना चाहिए, जो वस्तु को पकाने के लिए आवश्यक हो। उबालते समय बर्तन को सदैव ढककर रखना चाहिए। इससे खाद्य सामग्री शीघ्र पक जाती है एवं उसके पोषक तत्त्व नष्ट नहीं होते।
प्रश्न 5. भाप के दाब से भोजन कैसे पकाया जाता है? इससे क्या लाभ होता है?
अथवा प्रेशर कुकर में खाना जल्दी क्यों पकता है? अथवा भाप द्वारा भोजन पकाने के क्या लाभ हैं?
उत्तर – प्रेशर कुकर में खाना भाप के माध्यम से पकने के कारण जल्दी पक जाता है और सुपाच्य होता है तथा उसके पोषक तत्त्व भी नष्ट नहीं होते हैं।
प्रश्न 6. धीमी आँच पर भोजन पकाने के क्या लाभ हैं?
उत्तर – धीमी आँच पर पकाया गया भोजन कोमल, स्वादिष्ट, सुगन्धित एवं पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इस विधि द्वारा मुख्यतः माँस, मछलियों, अण्डे, सब्जियों व साबुत दालों को पकाया जाता है।
प्रश्न 7. गहरी चिकनाई और उथली चिकनाई में तलने की विधि के बारे में लिखिए।
अथवा तलने की विधियों के नाम उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर – तलने की मुख्यतः तीन विधियाँ हैं।
1. गहरी विधि इसमें पूड़ी, पकौड़ी आदि को गर्म घी तथा तेल में डालकर तला जाता है।
2. उथली विधि इसमें पराँठा, चीला आदि को तवे पर थोड़ा-थोड़ा घी या तेल लगाकर सेंका जाता है।
3. तलने की शुष्क विधि इसमें उन खाद्य सामग्रियों को पकाया जाता है, जिनमें अपनी चिकनाई पर्याप्त मात्रा में होती है।
प्रश्न 8. भोजन को तलकर पकाने की दो हानियाँ लिखिए।
उत्तर –भोजन को तलकर पकाने से होने वाली दो हानियों निम्न है
1. भोजन को तलकर बनाने से पोषक तत्वों का हास होता है।
2. तलकर बनाए गए भोजन के सेवन से कोलेस्ट्रॉल है।
प्रश्न 9. भूनने और सेंकने में क्या अन्तर है?
उत्तर – भूनने को विधि में खाद्य सामग्री को राख अथवा वालू के माध्यम से पकाया जाता है। इस विधि से सामान्यतः आलू, शकरकन्द, बाजरा, बने आदि भूने जाते है। सेंकने की विधि में खाद्य सामग्री को सीधे आग की आँच में पकाया जाता है, जिससे भोजन अन्दर तक पक जाता है। जैसे-रोटी, कवाब आदि।
प्रश्न 10. जल में घुलनशील विटामिन्स को पकाने में आप क्या सावधानी बरतेंगी?
उत्तर – जल में घुलनशील विटामिन की सुरक्षा हेतु खाद्य सामग्री को कम पानी में पकाना चाहिए तथा इस्तेमाल होने वाले पानी को फेंकना नहीं चाहिए।
प्रश्न 11. भोजन परोसने की भारतीय और आधुनिक शैली के दो अन्तर बताइए।
अथवा भोजन परोसने की स्वदेशी शैली और पाश्चात्य शैली में अन्तर बताइए।
उत्तर – भोजन परोसने की भारतीय और आधुनिक शैली के दो अन्तर निम्न हैं।
1. देशी या भारतीय शैली इस विधि में भूमि पर आसन, चौकी आदि बिछाकर भोजन ग्रहण किया जाता है। इसमें प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग थाली में भोजन परोसा जाता है।
2. आधुनिक शैली
इस विधि में भोजन मेज पर सुसज्जित ढंग से रखकर ग्रहण किया जाता है तथा भोजन करने वाले व्यक्ति कुर्सियों पर बैठते हैं। सभी खाद्य पदार्थ डोंगों, प्लेटों आदि में सामान्यतः मेज के मध्य में सजा दिए जाते हैं।
प्रश्न 12. भोजन परोसने की कौन-कौन-सी विधियों हैं?
उत्तर – भोजन परोसने की दो मुख्य विधियों है
1. देशी या भारतीय विधि
2. पाश्चात्य विधि
प्रश्न 13. भोजन परोसते समय गृहिणी को किस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर – भोजन परोसते समय गृहिणी को हर प्रकार की सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।
प्रश्न 14. भोजन परोसते समय किस प्रकार की स्वच्छता रखनी चाहिए?
अथवा भोजन पकाने से पहले या पकाते समय एवं परोसते समय किस प्रकार की स्वच्छता रखनी चाहिए?
अथवा भोजन पकाने से पहले एवं पकाते समय स्वच्छता का ध्यान क्यों रखना चाहिए?
उत्तर – भोजन पकाने से पहले या पकाते समय तथा परोसते समय सम्बन्धित व्यक्ति को अपने हाथों इस्तेमाल होने वाले बर्तनों तथा उपकरणों की स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। स्वच्छता के अभाव में भोजन के दूषित अथवा संक्रमित होने की आशंका रहती है।
प्रश्न 15. हरी सब्जियों का हमारे भोजन में क्या महत्त्व है? सब्जियों का सूप बनाने की विधि लिखिए।
अथवा आहार में हरी सब्जियों का क्या महत्व है?
अथवा हरी सब्जियाँ हमारे भोजन का प्रमुख अंश क्यों मानी जाती हैं?
अथवा सब्जियों का हमारे भोजन में क्या महत्त्व है?
उत्तर – सब्जियों को सुरक्षात्मक खाद्य सामग्री माना जाता है। सब्जियाँ विभिन्न विटामिन्स एवं खनिज लवणों का उत्तम स्रोत हैं। ये खनिज लवण तथा विटामिन्स हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। सब्जियाँ भूख बढ़ाती हैं तथा सब्जियों में रेशे भरपूर मात्रा में होते हैं, जो कब्ज निवारक होते हैं।
प्रश्न 16. हरी शाक-सब्जियों को काटने से पूर्व धोना चाहिए, क्यों ?
अथवा सब्जियों को काटने से पूर्व क्यों धोते हैं?
उत्तर – हरी शाक-सब्जियों को काटने के पश्चात् धोने से उनके खनिज लवण तथा विटामिन पानी के साथ वह जाते हैं, जिससे उनकी पौष्टिकता नष्ट हो जाती है। अतः हरी शाक-सब्जियों को काटने से पूर्व धो लेना चाहिए।
प्रश्न 17. कच्ची सब्जियों को खाने से शरीर को कौन-कौन-से पोषक तत्त्व अधिक मात्रा में मिलते हैं?
उत्तर – कच्ची सब्जियों को खाने से शरीर को खनिज लवण, विटामिन्स आदि पोषक तत्त्व अधिक मात्रा में मिलते हैं।
[ लघु उत्तरीय प्रश्न Question Answers ]
प्रश्न 1. पाक क्रिया के लाभ लिखिए।
अथवा पाक क्रिया के उद्देश्य लिखिए।
उत्तर – पाक क्रिया के लाभ/उद्देश्य निम्नलिखित हैं।
1. पाक क्रिया का मुख्य उद्देश्य भोज्य सामग्री को सुपाच्य बनाना है।
2. उच्च ताप पर पकाने से भोज्य सामग्री रोगाणुमुक्त हो जाती है।
3. पाक क्रिया में रंगों एवं मसालों का प्रयोग भोज्य सामग्री को स्वादिष्ट बनाने के साथ आकर्षक रूप प्रदान करता है।
4. पाक क्रिया द्वारा किसी एक ही खाद्य सामग्री को विभिन्न व्यंजनों के रूप में विविधता दी जा सकती है।
5. कुछ पाक क्रियाओं द्वारा विभिन्न खाद्य सामग्रियों का संरक्षण किया जा सकता है।
प्रश्न 2. भोजन बनाने की उत्तम विधि क्या है?
अथवा भाप द्वारा भोजन पकाने से क्या लाभ हैं?
अथवा भाप द्वारा पकाया गया भोजन पौष्टिक तथा सुपाच्य क्यों होता है?
अथवा भोजन प्रकाने की सर्वोत्तम विधि कौन-सी है और क्यों?
उत्तर – भोजन पकाने की सर्वोत्तम विधि 'भाप द्वारा पकाना' है।
भाप द्वारा भोजन पकाने के निम्नलिखित लाभ हैं
1. भाप के दाब से भोजन को पकाने के लिए प्रेशर कुकर का प्रयोग किया जाता है। भाप द्वारा भोजन पकाने से खाद्य सामग्री शीघ्र पककर तैयार हो जाती है।
2. इस विधि द्वारा भोजन पकाने से उसमें उपस्थित पोषक तत्त्व बहुत कम मात्रा में नष्ट होते हैं।
3. इससे पकाया गया भोजन सामान्य रूप से अधिक नर्म तथा सुपाच्य होता है।
4. इस विधि में वाष्प वर्तन से बाहर नहीं निकल पाती, जिससे खाद्य पदार्थ कम समय में तैयार हो जाता है तथा ईंधन का व्यय भी कम होता है।
अतः स्वास्थ्य, मितव्ययिता तथा समय की बचत की दृष्टि से यह विधि श्रेष्ठ है।
प्रश्न 3. प्रेशर कुकर में खाना बनाने के क्या लाभ हैं?
अथवा प्रेशर कुकर के प्रयोग से समय तथा शक्ति की बचत कैसे होती है?
अथना प्रेशर कुकर की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – प्रेशर कुकर में खाना बनाने के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं।
(i) भोजन कम समय में पक जाता है, जिससे समय की बचत होती है।
(ii) ईंधन एवं जल की बचत होती है।
(iii) अधिक ताप एवं दाब पर भोजन बनने के कारण सभी कीटाणु मर जाते हैं।
(iv) प्रेशर कुकर में खाना पकाने में ताप का वितरण समान रूप से होता है। अतःसम्पूर्ण भोजन समान रूप से पकता है।
(v) अधिक ऊँचाई वाले स्थानों या ऐसे क्षेत्रों में, जहाँ दाब की कमी होती हैं, वहाँ प्रेशर कुकर में खाना बनाना सुविधाजनक होता है। इससे ईंधन एवं समय की बचत भी होती है।
(vi) प्रेशर कुकर में बनने वाला भोजन पौष्टिक एवं स्वादिष्ट होता है।
प्रश्न 4. पाक क्रिया का वसा पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर – साधारणतः पाक क्रिया का वसा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, परन्तु अधिक ताप पर निरन्तर गर्म करने से वसा का एक नया यौगिक बन जाता है, जिसे एकोलीन के नाम से जाना जाता है। यह यौगिक खाने योग्य नहीं होता। अतः इससे युक्त आहार ग्रहण करने से हानि होती है। यदि वसा युक्त भोजन को बार-बार गर्म किया जाए, तो वह सरलता से पचने योग्य नहीं रहता। वसा अधिक ताप के प्रभाव से ग्लिसरॉल के रूप में विघटित भी हो सकती है।
प्रश्न 5. प्रोटीन पर पाक क्रिया का क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – खाद्य सामग्री में विद्यमान प्रोटीन पर पाक क्रिया का प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव प्रोटीन के स्रोत के अनुसार भिन्न-भिन्न होता है। वनस्पति जगत से प्राप्त होने वाले प्रोटीन पर पाक क्रिया का अच्छा प्रभाव पड़ता है। समुचित ताप पर इन खाद्य सामग्रियों को पकाने से उसमें विद्यमान प्रोटीन अधिक सुपाच्य बन जाते हैं, जबकि प्राणिजगत से प्राप्त होने वाले प्रोटीन पर पाक क्रिया का प्रभाव कुछ भिन्न रूप में पड़ता है। इस वर्ग की खाद्य सामग्रियों को यदि उच्च तापमान पर पकाया जाता है, तो उनमें विद्यमान प्रोटीन सामान्य से अधिक कठोर हो जाते हैं तथा इस स्थिति में उनका पाचन कठिनाई से होता है।
प्रश्न 6. पाक क्रिया का पौष्टिक तत्त्वों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर – पाक क्रिया का खाद्य सामग्री के पोषक तत्त्वों पर प्रभाव सन्तुलित आहार के आवश्यक पोषक तत्वों कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन तथा खनिज लवण पर पाक क्रिया के पड़ने वाले मुख्य प्रभाव निम्नलिखित हैं
1. कार्बोहाइड्रेट पर पाक क्रिया का प्रभाव पाचन के दृष्टिकोण से अच्छा माना जाता है।
2. वसा को निरन्तर उच्च ताप प्रदान करने पर 'एक्रोलीन' नामक यौगिक बनता हैं, जो शरीर में पहुँचकर स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है।
3. प्रोटीन पाक क्रिया का प्रभाव प्रोटीन को सामान्यतः अधिक सुपाच्य बना देता है।
4. विटामिन्स पर पाक क्रिया के प्रभाव के अन्तर्गत, विटामिन A जल के साथ पकाने पर अप्रभावित, किन्तु वसा के साथ पकाने पर प्रतिकूल रूप से प्रभावित होता है। इसी प्रकार विटामिन B एवं C पर पाक क्रिया का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जबकि विटामिन D अप्रभावित रहता है।
5. खनिज लवणों पर पाक क्रिया का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 7. भोजन हमारे लिए क्यों आवश्यक है? भोजन बनाते समय पोषक तत्त्वों की रक्षा आप कैसे करेंगी?
अथवा भोजन पकाने की प्रक्रिया में पौष्टिक तत्त्वों की सुरक्षा के उपाय लिखिए।
उत्तर – शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन अति आवश्यक है। प्रत्येक जीव-जन्तु न केवल जीवित रहने के लिए बल्कि स्वस्थ व सक्रिय जीवन बिताने के लिए भोजन करते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी आयु लिंग, काम की दशा आदि के अनुसार अपने भोजन में सभी आवश्यक पोषक तत्वों को शामिल करें।
भोजन पकाने की प्रक्रिया में पौष्टिक तत्वों की सुरक्षा निम्नलिखित उपायों को अपनाकर की जा सकती है।
1. सब्जियों को यथासम्भव छिलके सहित पकाना चाहिए, क्योंकि छिलके में अत्यधिक पोषक तत्त्व विद्यमान रहते हैं।
2. हरी पत्ते वाली सब्जियों को काटने से पूर्व धो लेना चाहिए। काटने के पश्चात् धोने से जल में घुलनशील विटामिन बह जाते हैं।
3. सब्जियों को तेज आँच पर नहीं पकाना चाहिए।
4. सब्जियों को कम पानी में पकाना चाहिए।
5. भोजन में अधिक मिर्च-मसालों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
6. भोजन सदैव ढककर रखना चाहिए।
7. भोजन का बार-बार गर्म नहीं करना चाहिए।
8. शीघ्र गलाने के उद्देश्य से सोडे का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 8. भोजन परोसते समय स्वच्छता क्यों आवश्यक है?
अथवा भोजन परोसते सयम किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर – भोजन परोसते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
1.भोजन परोसने वाले व्यक्ति को स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
2.उसके हाथ अच्छी तरह से धुले होने चाहिए, वस्त्र स्वच्छ तथा बाल बंधे हुए होने चाहिए।
3. भोजन सदैव प्रेमपूर्वक परोसा जाना चाहिए।
4.भोजन परोसने के सभी वर्तन, स्थान तथा मेज आदि पूरी तरह से स्वच्छ होने चाहिए।
5.भोजन को सदैव उपयुक्त ताप पर ही परोसा जाना चाहिए।
6.भोजन परोसते समय परोसने वाले बर्तनों का उपयुक्त प्रयोग किया जाना चाहिए। इससे कार्यकुशलता में वृद्धि होती है तथा भोजन का आकर्षण भी बढ़ता है।
प्रश्न 9. भोजन परोसने की बुफे प्रणाली से क्या तात्पर्य है?
अथवा भोजन परोसने की बुफे शैली का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर – यह विधि घरेलू स्तर पर प्रचलित नहीं है। सामान्यतः यह उत्सवों, विशेष मौकों व होटलों आदि में प्रयुक्त होती है। स्थान व समय तथा बर्तनों के अभाव में बुफे विधि उत्तम है।
यह शैली, पाश्चात्य शैली के समान ही होती है। इसमें केवल यह अन्तर होता है कि भोजन खड़े होकर किया जाता है। इसके अन्तर्गत एक मेज पर भोज्य सामग्री व विभिन्न व्यंजन विशेष कलात्मक रूप से सजा दिए जाते हैं, साथ ही मेजों पर नैपकिन, चम्मच, प्लेटें, बाउल आदि भी रख दिए जाते हैं।
भोजन करने के लिए व्यक्ति मेज के निकट आकर प्लेट, चम्मच आदि लेते हैं तथा इच्छानुसार भोजन अपनी प्लेट में लेकर मेज से दूर खड़े होकर, भोजन ग्रहण करते हैं,ताकि अन्य व्यक्ति भी अपना भोजन ले सकें।बुफे शैली में जल के लिए अलग से मेज की व्यवस्था की जाती है, जिस पर ग्लासों में पानी रखा जाता है।
[ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न Long Question Answers ]
प्रश्न 1. भोजन पकाने का मुख्य उद्देश्य बताइए। अथवा भोजन पकाने के मुख्य उद्देश्य क्या है? आप भोजन पकाते समय कीजिए। किन-किन बातों का ध्यान रखेंगी?
अथवा पाक क्रिया से आप क्या समझती हैं? पाक क्रिया के मुख्य उद्देश्य को स्पष्ट विस्तार से स्पष्ट कीजिए।
अथवा भोजन पकाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? विस्तार से लिखिए।
अथवा भोजन पकाते समय पौष्टिक तत्त्वों की सुरक्षा का ध्यान आप कैसे रखेंगी?
उत्तर –
पाक क्रिया का अर्थ
प्रकृतिक रूप में पाई जाने वाली खाद्य सामग्री को खाद्य व्यंजन के रूप में तैयार करने की सम्पूर्ण क्रियाएं हो सम्मिलित रूप से पाक क्रियाएँ कहलाती है। उदाहरणस्वरूप किसी सब्जी को धोने, काटने, छीलने, उबालने तथा छोकने आदि की समस्त क्रियाएँ भली-भाँति सेंकना आदि क्रियाएँ पाक क्रिया कहलाती है। स्पष्ट है कि पाक क्रिया के एक क्रियाएं कहलाती है। इसी प्रकार आटा गूंधना, रोटी बेलना तथा रोटी को तवे पर लिए विभिन्न क्रियाएं सम्पन्न करनी पड़ती है। आधुनिक समय में पाक क्रिया अत्यधिक व्यवस्थित कार्य है। पाक क्रिया का व्यवस्थित अध्ययन करने वाले विषय को पाकशास्त्र या पाक कला के रूप में जाना जाता है।
भोजन पकाने या पाक क्रिया के मुख्य उद्देश्य
भोजन पकाने अथवा पाक क्रिया के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं ।
भोजन पकाने या पाक क्रिया के मुख्य उद्देश्य
• भोजन को स्वादिष्ट बनाना
• भोजन को सुपाच्य बनाना
.भोजन को आकर्षक बनाना
.भोजन को कीटाणुरहित बनाना
• भोजन में विविधता प्रदान करना
1. भोजन को स्वादिष्ट बनाना पाक-क्रिया का उद्देश्य होता है, भोजन को अधिक-से-अधिक स्वादिष्ट बनाना। विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्रियाँ कच्ची अवस्था में स्वादिष्ट नहीं होतीं तथा उनका स्वाद अरुचिकर रहता है। इन खाद्य सामग्रियों को अगर पाक क्रिया द्वारा तैयार किया जाता है. तो ये स्वादिष्ट बन जाती हैं तथा इन्हें रुचिपूर्वक खाया जा सकता है।
2. भोजन को सुपाच्य बनाना खाद्य सामग्री को पकाने से उसके जटिल अवयव टूटकर एक सीमा तक सरल अवयवों में परिवर्तित हो जाते हैं। इससे भोजन नर्म व चबाने योग्य तथा सुपाच्य हो जाता है।
3. भोजन को आकर्षक बनाना खाद्य सामग्री को पकाने का एक उद्देश्य उसे आकर्षक बनाना भी है। पकने पर आहार का स्वाद अच्छा तथा स्वरूप आकर्षक हो जाता है। उसमें मन को अच्छी लगने वाली एक प्रकार की सुगन्ध उत्पन्न हो जाती है।
4. भोजन को कीटाणुरहित बनाना विभिन्न भोज्य पदार्थों तथा शाक-सब्जियों पर अनेक प्रकार के फफूँद एवं जीवाणु होते हैं। वर्षा ऋतु में तो इनकी संख्या अत्यधिक होती है। बिना पके हुए भोज्य पदार्थों का सेवन करने से ये कीटाणु शरीर में प्रवेश करके अनेक रोगों की उत्पत्ति का कारण बन सकते हैं। भोज्य पदार्थों को पकाते समय उच्च ताप पर ये कीटाणु लगभग नष्ट हो जाते हैं।
5. भोजन में विविधता प्रदान करना पाक क्रिया का एक उद्देश्य खाद्य सामग्री को विविधता प्रदान करना भी है। पाक क्रिया के माध्यम से एक ही खाद्य सामग्री को भिन्न-भिन्न व्यंजनों के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। आहार की विविधता से व्यक्ति की आहार के प्रति रुचि बनी रहती है।
6. संरक्षण खाद्य सामग्री को पकाने का एक उद्देश्य उसे अधिक समय तक सुरक्षित रखना भी है। कच्ची खाद्य सामग्री शीघ्र ही सड़ने लगती है, परन्तु समुचित पाक क्रिया द्वारा तैयार सामग्री बहुत अधिक समय तक सुरक्षित रह सकती है; जैसे- अचार, मुरब्बा, जैम, सॉस आदि के रूप में खाद्य सामग्री को बहुत अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
भोजन पकाते समय ध्यान देने योग्य बातें
भोजन पकाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
भोजन पकाते समय ध्यान देने योग्य बातें
1. स्वच्छ एवं कीटाणुरहित भोजन
2.स्वादिष्ट एवं पोषक तत्त्वों से युक्त भोजन
1. स्वच्छ एवं कीटाणुरहित – भोजन भोजन पकाते समय स्वच्छता का सर्वाधिक ध्यान रखा जाना चाहिए। इसके लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान रखा जाता है
(i) भोजन सदैव स्वच्छ बर्तनों में पकाना चाहिए, क्योंकि गन्दे बर्तनों में कीटाणु उपस्थित रहते हैं।
(ii) भोजन बनाते समय गृहिणी के नाखून साफ होने चाहिए, क्योंकि नाखूनों की गन्दगी में अनेक कीटाणु होते हैं, जो अनेक रोगों का कारण बन सकते हैं।
(iii) यदि पीतल के बर्तन में भोजन पकाया जा रहा है, तो वह बर्तन कलई किए हुए होना चाहिए अन्यथा भोजन विषैला होने का भय रहता है।
(iv) खाना पकाते समय गृहिणी को अपने बाल बाँधकर रखने चाहिए, जिससे उनके भोजन में बाल गिरने की सम्भावना न रहे।
2. स्वादिष्ट एवं पोषक तत्वों से युक्त भोजन भोजन पकाने का मुख्य उद्देश्य स्वादिष्ट एवं पौष्टिक भोजन तैयार करना होता है। अतः इसके लिए निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए
(i) भोजन को पकाते समय वर्तन को खुला नहीं रखना चाहिए। खुला रहने से इसमें कीटाणु व धूल गिरने की सम्भावना बनी रहती है तथा भोजन की सुगन्ध भी कम हो जाती है।
(ii) निश्चित अवधि से अधिक देर तक पकाने से भोजन का स्वाद तथा उसके पोषक तत्व के नष्ट होने की सम्भावना रहती है।
(iii) भोजन को बार-बार गर्म करने से भी उसके पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
(iv) चावल व शाक-सब्जियों को पकाते समय आवश्यकतानुसार ही पानी का प्रयोग करना चाहिए, जिससे भोजन पकने के उपरान्त पानी फेंकना न पड़े, क्योंकि इनके पानी में पोषक तत्व होते हैं।
(v) आवश्यकता से अधिक मसालों का उपयोग करने से भोजन का स्वाभाविक स्वाद नष्ट हो जाता है।
प्रश्न 2. भोजन पकाने की कौन-कौन सी विधियाँ हैं? सर्वोत्तम विधि का उल्लेख कीजिए?
अथवा भोजन पकाने की विधियों के नाम लिखिए। किन्हीं दो विधियों का वर्णन कीजिए।
अथवा भोजन पकाने की प्रमुख विधियों का वर्णन कीजिए।
अथवा भोजन के तत्त्वों/पोषकों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए भोजन पकाने की दो विधियों लिखिए।
अथवा भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की दो विधियों के बारे में लिखिए।
अथवा भोजन पकाने की किन्हीं दो विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – भोजन पकाने की आवश्यकता
खाद्य सामग्रियों को स्वादिष्ट बनाने, नर्म, चबाने योग्य, सुपाच्य बनाने के लिए, आहार को विविधता एवं आकर्षण प्रदान करने के लिए भोजन को पकाना अत्यन्त आवश्यक है। इसके अतिरिक्त भोजन को कीटाणुरहित करने एवं खाद्य सामग्री को संरक्षित रखने में भी भोजन को पकाना उपयोगी होता है।
भोजन पकाने की विधियाँ
भोजन पकाने की चार मुख्य विधियाँ हैं।
1. जल द्वारा इस विधि में किसी भी प्रकार के ईंधन का प्रयोग कर जल को गर्म किया जाता है, जिसमें भोजन को पकाया जाता है। इस विधि द्वारा दो प्रकार से भोजन पकाया जा सकता है।
(i) उबालकर पकाना यह भोजन पकाने की अत्यन्त प्राचीन एवं सरल विधि, है। पकाए जाने वाले भोज्य पदार्थ को किसी भगौने में पानी डालकर चूल्हे अथवा आग पर चढ़ा दिया जाता है। उबलने पर पानी का ताप 100° सेग्रे रहता है। कुछ समय पश्चात् भोज्य पदार्थ अच्छी प्रकार पक जाता है। इस विधि द्वारा प्रायः दाल, चावल, आलू, अरवी व अन्य प्रकार की सब्जियाँ पकाई जाती हैं। सब्जियों को छिलके सहित उबालने से इनके पोषक तत्त्व नष्ट नहीं होते। चावल पकाते समय कम पानी का प्रयोग करना चाहिए तथा पकने के बाद पानी को फेंकना नहीं चाहिए, क्योंकि इसमें पोषक तत्त्व विद्यमान रहते हैं। उबालकर पकाया गया भोजन सुपाच्य रहता है।
(ii) धीमी आँच पर पकाना इसमें भोज्य पदार्थ को मसालो सहित थोड़े पानी में डालकर मन्द आँच (लगभग 82° सेग्रे) पर पकाया जाता है। फल, सब्जियाँ, मांस आदि पकाने की यह एक उत्तम विधि है, जिसमें भोजन के पोषक तत्व नष्ट नहीं होते।
2. भाप या वाष्प द्वारा भोजन पकाने की यह एक आधुनिक विधि है, जिसमें भोजन के अधिकांश पौष्टिक तत्त्व सुरक्षित रहते हैं। भाप द्वारा भोजन पकाने के लिए प्रेशर कुकर का प्रयोग किया जाता है। यह भगौने के आकार का होता है, जिसमें थोड़े से पानी के साथ भोज्य पदार्थ डालकर वायु अवरोधक ढक्कन लगा दिया जाता है। इसे अंगीठी अथवा गैस बर्नर पर रखने से पानी गर्म होकर भाप में परिवर्तित हो जाता है। भाप के दबाव व ताप के द्वारा अपेक्षाकृत कम समय में भोजन पक जाता है। विभिन्न प्रकार की दालें, सब्जियां, मांस आदि पकाने के लिए वह सर्वोत्तम विधि है।
3. चिकनाई द्वारा इस विधि से भोजन पकाने के लिए तेल अथवा घी को माध्यम के रूप में प्रयोग किया जाता है। तेल अथवा घी में भोज्य पदार्थों को पकाने को विधि को तलना कहते हैं। इसके लिए निम्न प्रकार की विधियों का प्रयोग किया जाता है
(i) उथली विधि इस विधि में चौड़ी व उथली कढ़ाई अथवा तवे को उपयोग में लाया जाता है। कढ़ाई में थोड़ा तेल अथवा घी डालकर उसे आग पर चढ़ा दिया जाता है। घी अथवा तेल के अच्छी तरह गर्म हो जाने पर इससे भोज्य पदार्थों को तला जाता है। आलू की टिकिया, कटलेट्स, परांठे, चीले, मसाला डोसा, आमलेट इत्यादि इसी विधि से बनाए जाते हैं।
(ii) गहरी विधि इस विधि में गहरी कढ़ाई प्रयोग में लाई जाती है। कढ़ाई में तेल अथवा घी पर्याप्त मात्रा में डालकर उसे अधिक गर्म (लगभग 175 सेग्रे तक) किया जाता है। अब भोज्य पदार्थ को इसमें अच्छी प्रकार तला जाता है। इस विधि में प्रायः सभी प्रकार के पकवान, जैसे-पूड़ी, कचौड़ी, समोसे, पकौड़ियाँ तथा विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ आदि बनाई जाती हैं। इस विधि द्वारा भोजन पकाने की विधि अत्यन्त प्राचीन है। इस विधि द्वारा भोजन स्वादिष्ट तो बनता है, परन्तु गरिष्ठ होने के कारण सुपाच्य नहीं. होता।
(iii) तलने की शुष्क विधि इस विधि द्वारा प्रत्येक खाद्य सामग्री को नहीं पकाया जा सकता। सामान्य रूप से उन्हीं खाद्य सामग्रियों को इस विधि द्वारा पकाया जाता है, जिनमे अपनी चिकनाई पर्याप्त मात्रा में होती है। जब चिकनाई युक्त खाद्य सामग्री को पर्याप्त ताप पर गर्म किया जाता है, तो उसके अन्दर की चिकनाई गर्म होकर बाहर आ जाती है। इस प्रकार आन्तरिक चिकनाई के माध्यम से ही खाद्य पदार्थ तैयार हो जाता है। सोयाबीन का हलवा इसी विधि द्वारा पकाया जाता है।
4. वायु द्वारा वायु द्वारा भोजन पकाने की प्रचलित विधियां निम्नलिखित है।
(i) भूनना इस विधि में भोजन सामग्री को गर्म राख अथवा बालू में पकाया जाता है। इसमें शुष्क उष्णता अथवा उष्ण वायु पकाने के माध्यम का कार्य करती है। यह विधि आलू, अरवी, चना, जौ, ज्वार, मक्का आदि भूनने में प्रयोग की जाती है।
(ii) सेंकना सामान्य रूप से भूनना एवं सेंकना एक ही समझा जाता है, किन्तु वास्तव में इन दोनों क्रियाओं में अन्तर है। सेंकने की क्रिया के अन्तर्गत सम्बन्धित खाद्य सामग्री को आग के सम्पर्क में लाया जाता है। सामान्य रूप से धुएँ रहित जलते हुए अंगारों पर वस्तुओं को सेंका जाता है।
प्रश्न 3. भोजन परोसने की शैलियों का वर्णन करते हुए अपनी दृष्टि में उपयुक्त शैली का उल्लेख कीजिए।
अथवा भोजन परोसने की दो विधियाँ लिखिए।
अथवा भोजन परोसने की विभिन्न शैलियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – भोजन परोसने की तीन विधियाँ या शैलियाँ होती हैं, जो निम्नलिखित हैं।
1. देशी विधि
2. विदेशी विधि
3. बुफे विधि
1. देशी विधि (भारतीय शैली) – यह शुद्ध भारतीय विधि है। इस विधि में भोजन ग्रहण करने वाले व्यक्ति/व्यक्तियों के लिए भूमि पर आसन बिछाया जाता है व खाने के बर्तन रखने के लिए आसन के सामने चौकी अथवा पटरा रखा जाता है। प्रत्येक व्यक्ति का भोजन अलग-अलग थालियों तथा कटोरियों में परोसा जाता है।
देसी विधि में भोजन परोसते समय ध्यान देने योग्य बातें निम्नलिखित है ।
(i) प्रत्येक वस्तु को परोसने के लिए अलग- अलग चम्मच अथवा चमचा होना चाहिए।
(ii) तरल पदार्थों अथवा सब्जियों जैसे- दाल, खीर आदि को कटोरियों में परोसना चाहिए।
(iii) थाली में शुष्क पदार्थों; जैसे-रोटी, पापड़, पूड़ी, चावल आदि को रखा जाता है। पाली में भोज्य पदार्थों को इस प्रकार एक आपस में न मिलें। में
(iv) विभिन्न प्लेटों में रखे गए पदार्थ जैसे सलाद आदिल अलग रखे जाने चाहिए।
(v) सभी बर्तन साफ-सुथरे, चमकदार होने चाहिए तथा इनमें रखे हुए पदार्थ निश्चित स्तर तक ही हों, वे इधर-उधर फैलने नहीं चाहिए।
(vi) शुरुआत में थोड़ी-थोड़ी खाद्य सामग्री ही परोसी जानी चाहिए।
(vii) खाने वाले को आवश्यकतानुसार पूछकर ही भोजन परोसना चाहिए। आवश्यकता से अधिक परोसने पर खाद्य पदार्थ बचेंगे एवं व्यर्थ होंगे।
2. विदेशी विधि (पाश्चात्य शैली) इस विधि में भोजन मेज पर ढंग से रखकर ग्रहण किया जाता है तथा भोजन करने वाले व्यक्ति कुर्सियों पर बैठते हैं। सभी खाद्य पदार्थ डोंगों, प्लेटों आदि में सामान्यतः मेज के मध्य में सजा दिए जाते हैं। इस विधि में बार-बार परोसने वाले व्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती। यदि मेज पर स्थान है, तो सभी व्यक्ति एक साथ भोजन ग्रहण कर सकते हैं। सामान्य रूप से मेज पर आठ व्यक्ति एक साथ भोजन कर सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपनी आवश्यकतानुसार प्लेट, बाउल आदि में भोज्य पदार्थ लेता है। आवश्यकता पड़ने पर दोबारा या अधिक बार वह स्वयं ले लेता है। इस कारण यह भोजन परोसने की सर्वोत्तम विधि मानी जाती है। इस विधि में कुछ विशिष्ट बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए।
(i) मेज के मध्य भाग में डोगों में सब्जियाँ, दालें इत्यादि सजाकर रखी जानी चाहिए।
(ii) प्रत्येक होगे के साथ परोसने के लिए एक चम्मच रखी होनी चाहिए।
(iii) प्रत्येक व्यक्ति के प्रयोग के लिए नैपकिन होनी चाहिए।
(iv) यदि काँटे, छुरी आदि का प्रयोग किया जाना है, तो उनकी उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
(v) प्रत्येक व्यक्ति की कुर्सी के सामने मेज पर किनारे से 4-6 सेमी अन्दर की ओर एक बड़ी प्लेट रखी जानी चाहिए।
(vi) सब्जी की प्लेट या बाउल, बड़ी प्लेट के दाई ओर रखी जानी चाहिए।
(Vii) छुरी प्लेट के दाई ओर तथा काँटा प्लेट के बाई ओर होना चाहिए।
(vi) आवश्यकतानुसार मेज के केन्द्रीय भाग में अचार, मुरब्बे आदि रखे जा सकते हैं।
3. बुफे विधि/ शैली यह विधि घरेलू स्तर पर प्रचलित नहीं है। सामान्यतः यह उत्सवों, विशेष अवसरों व होटलों आदि में प्रयुक्त होती है। स्थान व समय तथा बर्तनों के अभाव में बुफे विधि उत्तम है। यह शैली, पाश्चात्य शैली के समान ही होती है। इसमें केवल यह अन्तर होता है कि भोजन खड़े होकर किया जाता है। इसके अन्तर्गत एक मेज पर भोज्य सामग्री व विभिन्न व्यंजन विशेष कलात्मक रूप से सजा दिए जाते हैं, साथ ही मेजों पर नैपकिन, चम्मच प्लेटें बाउल आदि भी रख दिए जाते हैं।
भोजन करने के लिए व्यक्ति मेज के निकट आकर प्लेट, चम्मच आदि लेते हैं तथा इच्छानुसार भोजन अपनी प्लेट में लेकर मेज से दूर खड़े होकर भोजन ग्रहण करते हैं, ताकि अन्य व्यक्ति भी अपना भोजन ले सके। बुफे शैली में जल के लिए अलग से मेज की व्यवस्था की जाती है, जिस पर ग्लासों में पानी रखा जाता है।
FAQ.
Q.होम साइंस में क्या क्या पढ़ना होता है?
Ans.होम साइंस शिक्षा के अन्तर्गत पाक शास्त्र, पोषण, गृह अर्थशास्त्र, उपभोक्ता विज्ञान, बच्चों की परवरिश, मानव विकास,आन्तरिक सज्जा, वस्त्र एवं परिधान, गृह-निर्माण आदि का अध्ययन किया जाता है।
Q.गृह विज्ञान की 5 शाखाएं कौन सी हैं ?
Ans.गृह विज्ञान की निम्न शाखाएं – अन्तर्गत पाक शास्त्र, पोषण, गृह अर्थ शास्त्र, उपभोक्ता विज्ञान, मानव विकास, आंतरिक सज्जा, वस्त्र व परिधान, गृह निर्माण इत्यादि शाखाएं है।
Q.गृह विज्ञान का दूसरा नाम क्या है ?
Ans.अमेरिका में इसे 'गृह अर्थशास्त्र' (Home Economics) तथा इंग्लैण्ड व भारत में इसे 'गृह विज्ञान' (Home Science) के नाम से प्रचलित है।
Q.गृह विज्ञान के जनक कौन है?
Ans.गृह विज्ञान का जनक जस्टस फ्रीहेर वॉन लीबिग को माना जाता हैं।
Q.गृह विज्ञान की शुरुआत कब हुई थी ?
Ans.भारत में गृह विज्ञान का अध्ययन सर्वप्रथम 1920 से 1940 तक ब्रिटिश काल से शुरू किया गया था।
Q.गृह विज्ञान का पुराना नाम क्या है ?
Ans. गृह विज्ञान के पुराने कई नाम प्रचलित थे जैसे गृह शिल्प या घरेलू अर्थशास्त्र
Q.भारत में विज्ञान का जनक कौन है?
Ans. भारत में विज्ञान के जनक सर जगदीश चंद्र बोस (1858 - 1937) माना जाता हैं