CAA कानून क्या है Citizenship Amendment Act
नागरिकता संशोधन अधिनियम
CAA कानून 9 मार्च को लागू हो चुका है इस कानून के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले है कई लोग इस कानून को लेकर भ्रमकता भी फैला रहे हैं यह कानून क्या है इस कानून में किसको नागरिकता मिलेंगी संपूर्ण जानकारी इस लेख में आपको देने वाले है।
यह CAA कानून किसी विशेष समुदाय के खिलाफ नहीं बनाया गया है यह कानून सिर्फ तीन पड़ोसी देशों से आए शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देना का प्रावधान किया गया है इस कानून के अनुशार दिसम्बर 2014 से पहले से रह रहे गैर मुस्लिम छह धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाने का प्रावधान किया गया है इस नियम के अनुशार किसी भी समुदाय की नागरिकता नहीं जाने वाली है यह सिर्फ भ्रम मात्र है।
CAA यानी की नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) – इस कानून के अनुशार तीन पड़ोसी देश बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी, दिसंबर 2014 से पहले से भारत में आने वाले छह धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाएगी।
Q.भारत में नया सीएए कानून क्या है?
Ans.यह नागरिकता देने का कानून है, CAA से किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता नहीं जाएगी, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। यह कानून केवल उन लोगों के लिए है जिन्हें वर्षों से उत्पीड़न सहना पड़ा और जिनके पास दुनिया में भारत के अलावा और कोई जगह नहीं है। कोरोना के कारण नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने में देरी हुई है
Q.CAA कानून किसने कब लागू हुआ
Ans – नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) 11मार्च 2024 सोमवार को देश में लागू हो गया। कानून को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई। नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था। बाद में इस विधेयक को राष्ट्रपति का अनुमोदन मिल गया था।
Q.CAA लागू होने से क्या होगा?
क्या है CAA
नागरिकता संशोधन कानून – इसके लागू होने से पड़ोसी देशों यानी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों यानी हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसियों को भारतीय नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा. ये वे अल्पसंख्यक हैं जो पिछले कई सालों से शरणार्थी के तौर पर भारत में बसे हुए हैं
Q.CAA क्या है पूरी जानकारी हिंदी में?
Ans – CAA में विदेशियों के लिए नागरिकता का प्रावधान है। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) 2019 लागू होता है तो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत में आकर बसने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाएगी
Q.सीएए के लिए कौन आवेदन कर सकता है?
Ans – नागरिकता संशोधन अधिनियम अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन बौद्ध, ईसाई और पारसी शरणार्थियों के लिए भारतीय नागरिकता पाने का तरीका है। गृह मंत्रालय ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के नियमों को अधिसूचित किया।
Q.सीएए का मुख्य उद्देश्य क्या है?
Ans – सीएए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, पारसी, बौद्ध और ईसाई आप्रवासियों के लिए अवैध आप्रवासियों की परिभाषा में संशोधन करना चाहता है, जो बिना दस्तावेज के भारत में रह रहे हैं।
Q.सीएए से कितने लोगों को नागरिकता मिली?
Ans – एक रिपोर्ट में बताया गया था कि 31 दिसंबर 2014 तक भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिमों की संख्या 31,313 थी. कानून लागू होने के तुरंत बाद इन्हें नागरिकता मिल जाएगी. इन लोगों में सबसे ज्यादा 25 हजार 447 लोग हिंदू और 5 हजार 807 सिख थे. इनके अलावा 55 ईसाई, बौद्ध और पारसी धर्म के 2-2 लोग थे।
Q.भारत में सीएए की शुरुआत किसने की?
Ans – गृह मंत्रालय ने 11 मार्च को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से बिना दस्तावेज वाले गैर- मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) के कार्यान्वयन के नियमों को अधिसूचित किया।
Q.CAA की राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
Ans – 11 दिसंबर 2019 को भारतीय संसद में सीएए को पारित किया गया था. 12 दिसंबर को राष्ट्रपति ने इस विधेयक की मंजूरी दे दी थी इसके पक्ष में 125 और खिलाफ में 105 वोट पड़े थे।
Q.मुसलमान CAA का विरोध क्यों कर रहे हैं?
Ans – इस कानून का विरोध सबसे ज्यादा मुसलमान कर रहे हैं. उनका मानना है कि इस कानून को लागू करने में उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है, इसमें मुसलमानों को भी रखना चाहिए. साथ ही मुसलमानों का यह भी तर्क है कि नागरिकता पाने के लिए शरणार्थी अपना धर्म भी बदल सकते हैं.
Q.CAA पर सरकार का तर्क
Ans – सरकार का यह मानना है कि CAA केवल मुस्लिम-बहुल देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करता है. साथ ही सरकार का ये भी तर्क है कि इन देशों में मुस्लिम बहुसंख्यक है फिर वह कैसे प्रताड़ित हुए. इसीलिए यहां पर प्रताड़ित होकर आने वाले अल्पसंख्यकों को ही नागरिकता दी जानी चाहिए।