a

कक्षा 9वी हिन्दी यूपी बोर्ड अर्द्ध वार्षिक परीक्षा पेपर 2022 का सम्पूर्ण हल

 Up board class 9th hindi half yearly paper 2022

class 9th hindi up board half yearly exam paper 2022-23


कक्षा 9वी हिन्दी यूपी बोर्ड अर्द्ध वार्षिक परीक्षा पेपर 2022 का सम्पूर्ण हल 

half yearly model paper 2022 hindi kaksha 10,class 10th model paper 2022,up board yearly exam class 9 hindi paper 2022,9th hindi half yearly exam paper 2022,class 9 hindi sample paper 2021,rbse 9th hindi half yearly paper 2021,9th hindi half yearly exam paper 2021-22,rbse class 9th hindi half yearly paper 2021,rbse 9th hindi paper half yearly 2021,9th hindi half yearly exam 2022,class 9th half yearly hindi paper,class 9 half yearly exam hindi paper 2022
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेब साइट subhansh classes.com पर यदि आप गूगल पर up board half yearly exam paper 2022-23 सर्च कर रहे हैं तो आप बिलकुल सही जगह पर आ गए हैं हम आपको अपनी इस पोस्ट में कक्षा 12वी Hindi के पेपर का सम्पूर्ण हल बताएंगे तो आप पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें और अपने दोस्तो को शेयर करें यदि आप कुछ पुछना चाहते हैं तो आप हमारे youtube chennal पर subhansh classes पर कॉमेंट करके ज़रूर बताईए 
   

              अर्द्धवार्षिक परीक्षा


                   कक्षा-9वी


                 विषय – हिन्दी



समय - 3 घण्टा                          पूर्णांक - 70


निर्देश :- (1) खण्ड 'अ' में प्रश्न बहुविकल्पीय है,

(2) खण्ड 'ब' में वर्णनात्मक प्रश्न है।

(3) प्रत्येक खण्ड के सभी प्रश्न एक साथ करना आवश्यक है। 

(4) प्रत्येक प्रश्नों के निर्धारित अंक उनके सम्मुख निर्दिष्ट है।


           खण्ड 'अ' (बहुविकल्पीय प्रश्न)


प्रश्न 1. 'नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना किस युग में हुई


(क) भारतेन्दु युग 


(ख) द्विवेदी युग


(ग) छायावाद युग


(घ) छायावादोत्तर युग

उत्तर –(क) भारतेन्दु युग 


प्रश्न 2.'उपन्यास सम्राट माने जाते है।


(क) श्यामसुन्दर दास


 (ख) जयशंकर प्रसाद


(ग) प्रेमचन्द्र


 (घ) जैनेन्द्र कुमार

उत्तर –(ग) प्रेमचन्द्र


प्रश्न 3. हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म कब हुआ


(क) 1905 ई0 में


 (ख) 1907 ई0 में 


(ग) 1909 ई0 में


(घ) 1911 ई0 में


उत्तर – (ख) 1907 ई0 में 


 प्रश्न 4. महादेवी वर्मा किस वाद की कवयित्री मानी जाती है।


(क) प्रगतिवाद


(ख) प्रयोगवाद


(ग) छायावादोत्तर युग


(घ) छायावाद

उत्तर –(घ) छायावाद


प्रश्न 5. 'इन्दुमती' कहानी के लेखक है


(क) किशोरी लाल गोस्वामी 


(ख) प्रेमचन्द्र


(ग) रामचन्द्र शुक्ल


(घ) जय शंकर प्रसाद

उत्तर –(क) किशोरी लाल गोस्वामी 


प्रश्न 6. 'पृथ्वीराज रासो' के रचनाकार कौन है ।


(क) भूषण


(ख) केशव


(ग) चन्द्रवरदायी


(घ) दलपति विजय

उत्तर –(ग) चन्द्रवरदायी


प्रश्न 7. 'विनय पत्रिका' की भाषा है


(क) अवधी


(ख) ब्रज


(ग) खड़ी बोली


(घ) भोजपुरी

उत्तर –(ख) ब्रज


प्रश्न 8. प्रेमाश्रयी सूफी काव्यधारा का सम्बन्ध किससे है


(क) कृष्ण भक्ति से   (ग) निर्गुण भक्ति से


(ख) सगुण भक्ति से   (घ) राम भवित्त से


प्रश्न 9. 'नरसीजी का मायरा' के रचनाकार है 


(क) कबीर


(ख) मीराबाई


(ग) मैथलीशरण गुप्त


(घ) अज्ञेय

उत्तर –(ख) मीराबाई


प्रश्न 10. ईश्वर कहाँ रहता है?


(क) मूर्ति में


 (ख) काशी में


(ग) प्राणी के हृदय में


(घ) काबा में

उत्तर –(ग) प्राणी के हृदय में


 प्रश्न 11. स्थायी भावों की कुल संख्या है


(क) 9


(ख) 10


(ग) 11


(घ) 12

उत्तर –(क) 9


प्रश्न 12. श्रृंगार रस का स्थायी भाव है


(क) शोक


(ख) हास


(ग) निवेद


(घ) रति

उत्तर –(घ) रति


प्रश्न 13. चारों चरणों में समान मात्राओं वाले छंद को क्या कहते है


(क) सम मात्रिक छन्द


(ख) विषम मात्रिक छंद


 (ग) अर्द्ध सम मात्रिक छन्द


 (घ) ये सभी

उत्तर –(क) सम मात्रिक छन्द


प्रश्न 14. चौपाई के प्रत्येक चरण में मात्रायें होती है


(ग) 16


(ख) 13


(घ) 15


(क) 11

उत्तर –(ख) 13


प्रश्न 15. 'तरनि तनूजा तट तमाल तरूवर बहु छाय' में कौन सा अलंकार है


(क) अनुप्रास 


(ख) यमक


(ग) उत्प्रेक्षा


(घ) इनमें से कोई नहीं ।

उत्तर –(क) अनुप्रास.


प्रश्न  16.  'तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती थीं' में कौन सा अलंकार है 


(क) रूपक


(ख) यमक


(ग) श्लेष


(घ) उपमा

उत्तर –(ख) यमक


प्रश्न 17. निम्न में से शुद्ध वर्तनी का चयन कीजिए।


(क) उन्नती


(ख) उन्नति


(ग) उनती


(घ) उनति

उत्तर –(ख) उन्नति


प्रश्न 18. निम्न में तत्सम है


(क) अनजान 


(ख) सच


(ग) पत्ता


(घ) पोटक


उत्तर –(घ) पोटक


प्रश्न 19. अनाथ' का विलोम है


(क) धनी


(ख) सनाथ


(ग) निर्धन


(घ) बेकार


उत्तर–(ख) सनाथ


प्रश्न 20. 'अमिय' का पर्यायवाची है 


(क) विष


(ख) सुधा


(ग) मधुप


(घ) आम


उत्तर –(ख) सुधा



               खण्ड - 'ब' (वर्णनात्मक)


प्रश्न 1. निम्नलिखित गद्याश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिये 2x3=6



संसार में ऐसे मनुष्य भी होते है, जो अपने आमोद-प्रमोद के आगे किसी की जान की भी परवाह नही करते, शायद इसका उसे अब भी विश्वास न आता था। सभ्य संसार इतना निर्मम इतना कठोर है, इसका ऐसा मर्मभेदी अनुभव अब तक न हुआ था। वह उन पुराने जमाने के जीवों में था, जो लगी हुई आग को बुझाने मुर्दे को कन्धा देने, किसी के छप्पर को उठाने और किसी कलह को शान्त करने के लिये सदैव तैयार रहते थे।


1. उपर्युक्त गंधाश के पाठ और लेखक का नाम लिखिये। 

उत्तर –मंत्र नामक कहानी से

लेखक – प्रेम चंद्र


 2. रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर – प्रेम चंद्र जी ने आपनी इस कहानी के मध्यम से उस घमंडी डॉ चड्डा के कठोर और स्वार्थी स्वभाव का चित्रण किया है, किस प्रकार अपने से उसने एक बूढ़े के आखरी सहारे उसके पुत्र को तड़पता छोड़ कर वह खेलने चला गया।


3. बूढ़े भगत को किस प्रकार के मनुष्यों का अनुभव न हुआ था?

उत्तर –सभ्य संसार इतना निर्मम इतना कठोर है, इसका ऐसा मर्मभेदी अनुभव अब तक न हुआ था। 


 प्रश्न 2. निम्न संस्कृत गद्यांश का संदर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए।


(क) रामकृष्णः एकः विलक्षणः महापुरुषः अभवत् । तस्य विषये महात्मना गान्धिना उक्तम्- "परमहंसस्य रामकृष्णस्य जीवन चरितं धर्माचरणस्य प्रायोगिक विवरणं विद्यते। तस्य जीवनम् अस्म्यम् ईश्वरदर्शनाथ शक्तिं प्रददाति। तस्य जीवनम् अहिंसायाः मूर्तिमान पाठः

विद्यते । "


उत्तर –सन्दर्भ - यह गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक के अन्तर्गत संस्कृत खण्ड के 'परमहंसः रामकृष्णः' नामक पाठ से उद्धृत है।


हिंदी अनुवाद –रामकृष्ण एक उल्लेखनीय महान व्यक्ति है। महात्मा गांधी ने उनके बारे में कहा: "परमहंस रामकृष्ण का जीवन धर्म के अभ्यास का एक अनुभवजन्य लेखा है। उनका जीवन हमें ईश्वरदर्शननाथ की शक्ति देता है। उनका जीवन अहिंसा का एक सन्निहित पाठ है।


प्रश्न 3. निम्न संस्कृत पद्यांश का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए ।


 अक्रोधेन जयेत् क्रोधमसाधुं साधुना जयेत् ।

जयेत् कदर्य दानेन जयेत् सत्येन चानृतम् ।। तेजोऽसि तेजो मयि धेहि, वीर्यमसि वीर्य मयि घेहि।


उत्तर –सन्दर्भ वर्तमान नीति-श्लोक हमारी पाठ्यपुस्तक 'संस्कृत पद्य पीयूषम' के 'नीतिनवनितम' पाठ से लिया गया है।

अनुवाद–क्रोध पर विजय क्रोध न कर के ही प्राप्त हो सकती है, तथा दुष्टता पर विजय सौम्य स्वभाव तथा सद्व्यवहार द्वारा ही होती है। कंजूसी की प्रवृत्ति पर विजय दान देने से ही सम्भव होती है, और झूठ बोलने की प्रवृत्ति पर सत्यवादिता से ही विजय प्राप्त होती है।


(अथवा )


बलमसि बलं मयि चेहि, ओजोडसि ओजोमयि घेहि।।


प्रश्न 4. 'लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी की कथा संक्षेप में लिखिए।

उत्तर –लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी एक सामाजिक एकांकी है || सामाजिक यथार्थ के घटनाक्रम पर आधारित इसका संपूर्ण कथानक भावनाप्रधान और अत्यंत मर्मस्पर्शी है ।। एकांकी के संपूर्ण कथानक में एक तरफ रौशन का चरित्र है जो पत्नी वियोग व पुत्र की गंभीर बीमारी के कारण परेशान व दुःखी है


 (अथवा) दीपदान एकांकी के आधार पर उसकी नायिका पन्नाधाय का चरित्र-चित्रण लिखिए। 


प्रश्न 5. अपनी पाठ्य पुस्तक से कण्ठस्थ किया हुआ कोई एक श्लोक लिखिए, जो इस प्रश्न पत्र पर न आया हो। 

उत्तर –अन्यायोपार्जितं वित्तं दशवर्षाणि तिष्ठति ।

प्राप्ते चैकादशे वर्षे समूलं तद् विनश्यति ॥


प्रश्न 6. (क) निम्नलिखिक लेखकों में से किसी एक लेखक का जीवन परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनायें लिखिए।


(1) प्रेमचन्द्र


(2) महादेवी वर्मा

उत्तर –जीवन परिचय- हिंदी साहित्य में आधुनिक मीरा के नाम से प्रसिद्ध कवियित्री एवं लेखिका महादेवी वर्मा का जन्म वर्ष 1907 में उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद शहर में हुआ था। इनके पिता गोविंदसहाय वर्मा भागलपुर के एक कॉलेज में प्रधानाचार्य थे। माता हेमरानी साधारण कवयित्री थीं एवं श्री कृष्ण में अटूट श्रद्धा रखती थीं। इनके नाना जी को भी ब्रज भाषा में कविता करने की रुचि थी। नाना एवं माता के गुणों का महादेवी पर गहरा प्रभाव पड़ा। इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में और उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई थी। नौ वर्ष की अल्पायु में ही इनका विवाह स्वरूप नारायण वर्मा से हुआ, किंतु इन्हीं दिनों इनकी माता का स्वर्गवास हो गया, ऐसी विकट स्थिति में भी इन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा।


अत्यधिक परिश्रम के फल स्वरुप इन्होंने मैट्रिक से लेकर एम.ए. तक की परीक्षाएं  प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। वर्ष 1933 में इन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्या पद को सुशोभित किया। इन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए काफी प्रयास किया साथ ही नारी की स्वतंत्रता के लिए ये सदैव संघर्ष करती रही। इनके जीवन पर महात्मा गांधी का तथा कला साहित्य साधना पर रविंद्र नाथ टैगोर का प्रभाव पड़ा।


रचनाएं- महादेवी जी ने पद्य एवं गद्य दोनों ही विधाओं पर समान अधिकार से अपनी लेखनी चलाई। इनकी कृतियां निम्नलिखित हैं-


1.नीहार- यह महादेवी जी का प्रथम काव्य संग्रह है। उनके इस काव्य में 47 भावात्मक गीत संकलित हैं और वेदना का स्वर मुखर हुआ है।


2. रश्मि- इस काव्य संग्रह में आत्मा-परमात्मा के मधुर संबंधों पर आधारित 35 कविताएं संकलित हैं।


3.नीरजा- इस संकलन में 58 गीत संकलित है, जिनमें से अधिकांश विरह-वेदना से परिपूर्ण है। कुछ गीतों में प्रकृति का मनोरम चित्र अंकित किया गया है।


4.सान्ध्य गीत- 58 गीतों के इस संग्रह में परमात्मा से मिलन का चित्रण किया गया है।


5. दीपशिखा- इसमें रहस्य-भावना प्रधान 51 गीतों को संग्रहित किया गया है।


6. अन्य रचनाएं- अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएं, श्रृंखला की कड़ियां, पथ के साथी, क्षणदा, साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध, संकल्पिता, मेरा-परिवार, चिंतन के क्षण आदि प्रसिद्ध गद्य रचनाएं हैं, इनके अतिरिक्त-सप्तवर्णा, सन्धिनी, आधुनिक कवि नामक गीतों के समूह प्रकाशित हो चुके हैं।


(ख) निम्नलिखित कवियों में से किसी एक कवि का जीवन परिचय लिखिए


(1) कबीरदास


(2) जयशंकर प्रसाद

उत्तर –जीवन-परिचय

जयशंकर प्रसाद बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे। उनका जन्म 1890 ई. में काशी के  'सुँघनी साहू' नामक प्रसिद्ध वैश्य परिवार में हुआ था। उनके यहाँ तम्बाकू का व्यापार होता था। उनके पिता देवीप्रसाद और पितामह शिवरत्न साहू थे। इनके पितामह परम शिवभक्त और दयालु थे। उनके पिता भी अत्यधिक उदार और साहित्य प्रेमी थे। प्रसाद जी का बचपन सुखमय था। बाल्यकाल में ही उन्होंने अपनी माता के साथ धारा क्षेत्र, ओंकारेश्वर, पुष्कर, उज्जैन और ब्रज आदि तीर्थों की यात्राएँ कीं। यात्रा से लौटने के बाद पहले उनके पिता का और फिर चार वर्ष पश्चात् ही उनकी माता का निधन हो गया।


प्रसाद जी की शिक्षा-दीक्षा और पालन-पोषण का प्रबन्ध उनके बड़े भाई शम्भूरत्न ने किया और क्वीन्स कॉलेज में उनका नाम लिखवाया, किन्तु उनका मन वहाँ न लगा। उन्होंने अंग्रेज़ी और संस्कृत का अध्ययन स्वाध्याय से घर पर ही प्राप्त किया। उनमें बचपन से ही साहित्यानुराग था। वे साहित्यिक पुस्तकें पढ़ते और काव्य रचना करते रहे। पहले तो उनके भाई उनकी काव्य-रचना में बाधा डालते रहे, परन्तु जब उन्होंने देखा कि प्रसाद जी का मन काव्य-रचना में अधिक लगता है, तब उन्होंने इसकी पूरी स्वतन्त्रता उन्हें दे दी। प्रसाद जी स्वतन्त्र रूप से काव्य-रचना के मार्ग पर बढ़ने लगे। इसी बीच उनके बड़े भाई शम्भूरन जी का निधन हो जाने से घर की स्थिति खराब हो गई। व्यापार भी नष्ट हो गया। पैतृक सम्पत्ति बेचने से कर्ज से मुक्ति तो मिली,

पर वे क्षय रोग का शिकार होकर मात्र 47 वर्ष की आयु में 15 नवम्बर, 1937 को इस संसार से विदा हो गए।


रचनाएँ –  जयशंकर प्रसाद हिन्दी साहित्य के स्वनाम धन्य रत्न हैं। उन्होंने काव्य, कहानी, उपन्यास, नाटक आदि सभी विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई है।


'कामायनी' जैसे विश्वस्तरीय महाकाव्य की रचना करके प्रसादजी ने हिन्दी साहित्य को अमर कर दिया। कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में भी उन्होंने कई अद्वितीय रचनाओं का सृजन किया। नाटक के क्षेत्र में उनके अभिनव योगदान के फलस्वरूप नाटक विधा में 'प्रसाद युग' का सूत्रपात हुआ। विषय वस्तु एवं शिल्प की दृष्टि से उन्होंने नाटकों को नवीन दिशा दी। भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीय भावना, भारत के अतीतकालीन गौरव आदि पर आधारित 'चन्द्रगुप्त', 'स्कन्दगुप्त' और 'ध्रुवस्वामिनी' जैसे प्रसाद-रचित नाटक विश्व स्तर के साहित्य में अपना बेजोड़ स्थान रखते हैं। काव्य के क्षेत्र में वे छायावादी काव्यधारा के प्रवर्तक कवि थे। उनकी प्रमुख कृतियाँ निम्नलिखित हैं


काव्य –  आँसू, कामायनी, चित्राधार, लहर और झरना।


 कहानी – आँधी, इन्द्रजाल, छाया, प्रतिध्वनि आदि।


उपन्यास – तितली, कंकाल और इरावती।


नाटक –  सज्जन, कल्याणी - परिणय, चन्द्रगुप्त, स्कन्दगुप्त, अजातशत्रु, प्रायश्चित, जनमेजय का नागयज्ञ, विशाखा, ध्रुवस्वामिनी आदि।


निबन्ध काव्य-कला एवं अन्य निबन्ध।


प्रश्न 7. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए 2+2=4


 (क) श्रीकृष्ण कौन थे?


(ख) रामदास नारायणपुर में रहता है। 


(ग) मोहन अपनी पुस्तक पढ़ता है। 


(घ) राम अयोध्या के राजा थे।


प्रश्न 8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में दीजिए।


(क) क्रोधं केन जयेत् ?


 (ख) रामः कीदृशं भाषते ?


(ग) कः प्रजापतिः समः श्रीमान् आसीत्? 


प्रश्न 9. निम्नलिखित मुहावरों एवं लोकोतियों में से किसी एक का अर्थ लिखकर अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए।


(क) आँखों के आगे अंधेरा छाना ।


 (ख) का वर्षा जब कृषि सुखानी। 


प्रश्न 10.(क) सहायक अध्यापक पद के लिए पत्र शैली में शिक्षा-निदेशक के नाम एक आवेदन-पत्र लिखिए।


(अथवा )

अपनी शुल्क मुक्ति हेतु प्रधानाचार्य जी को एक प्रार्थना पत्र लिखिए।


स्कूल फीस माफी के लिए प्रार्थना पत्र हिन्दी में 


सेवा में,

       प्रधानाध्यापक महोदय/ महोदया

       मीरा बाई जूनियर हाईस्कूल, हमीरपुर 

विषय- फीस माफी के लिए प्रार्थना पत्र

श्रीमान या श्रीमती,

         आपसे मेरा सविनय निवेदन यह है कि मैं 12वी कक्षा का छात्र हूँ। मै एक निर्धन परिवार से संबंध रखता हूँ, मेरे पिताजी किसान हैं वे किसी तरह परिवार का भरण पोषण कर पाते हैं, इसीलिए मेरी पढ़ाई का खर्च देने में असमर्थ हैं, अतः मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि आप मेरी विद्यालय शुल्क माफ करने की कृपा करें जिससे मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकूं। मैं आपको पूर्ण विश्वास दिलाता हैं, कि अपने आचरण और पठन-पाठन में आपको किसी शिकायत का मौका नहीं दूंगा।

धन्यवाद

दिनांक- 11/12/2022


                                आपका आज्ञाकारी शिष्य

                                  नाम- सुभांश 

                                 कक्षा 12वी 



भी पढ़ें 👉👉class 9th hindi up board half yearly paper 2022

👉up board class 9th social science half yearly paper 2022

👉👉👉up board half yearly exam paper class 9th science


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad