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Class 10 science chapter 11 electricity विद्युत notes in hindi

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कक्षा 10वी विज्ञान अध्याय 11 विद्युत



Class 10 science chapter electricity notes in hindi


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वैद्युत आवेश


वैद्युत आवेश पदार्थ का वह गुण है, जिसके कारण वह वैद्युत व चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न या अनुभव करता है।


आवेश,  q=ne


जहाँ, n = इलेक्ट्रॉनों की संख्या, e = इलेक्ट्रॉन पर आवेश है।


वैद्युत आवेश का मात्रक कूलॉम होता है।


वैद्युत आवेश दो प्रकार के होते हैं 


(i) ऋणात्मक वैद्युत आवेश 


(ii) धनात्मक वैद्युत आवेश


#.एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश 1.6 x 10-¹⁹ कूलॉम ऋणावेश के बराबर होता है। अतः इलेक्ट्रॉन की कमी से वस्तु धनावेशित तथा इलेक्ट्रॉन की अधिकता से वस्तु ॠणावेशित होती है।


#. एक प्रोटॉन पर आवेश 1.6 × 10-¹⁹ कूलॉम धनावेश के बराबर होता है।




वैद्युत धारा


किसी चालक में वैद्युत आवेश के प्रवाह की दर को वैद्युत धारा कहते हैं। इसे I से प्रदर्शित करते हैं। यदि किसी चालक में t समय में q आवेश प्रवाहित हो, तो चालक में उत्पन्न 


वैद्युत धारा (I) = आवेश (q)/समय (t)


आवेश (q)  = ne




जहाँ, n = चालक में प्रवाहित इलेक्ट्रॉनों की संख्या है।


वैद्युत धारा का मात्रक कूलॉम/सेकण्ड तथा SI मात्रक ऐम्पियर होता है।


1 मिलीऐम्पियर = 10-³ ऐम्पियर


 1 माइक्रोऐम्पियर = 10-⁶ ऐम्पियर


#.किसी चालक में धारा का प्रवाह मुक्त इलेक्ट्रॉन के कारण होता है।


#.किसी परिपथ में धारा की दिशा धनात्मक आवेश के प्रवाह की दिशा में या इलेक्ट्रॉन के प्रवाह के विपरीत दिशा में होती है। 



अमीटर


किसी परिपथ में वैद्युत धारा की माप अमीटर नामक उपकरण से की जाती है व इसे परिपथ में श्रेणीक्रम में लगाया जाता है। इसका प्रतिरोध निम्न होता है।


वैद्युत विभव


एकांक धनावेश को अनन्त से किसी बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य, उस बिन्दु का वैद्युत विभव कहलाता है। इसे V से प्रदर्शित करते हैं। यदि किसी आवेश को अनन्त से किसी बिन्दु तक लाने में W कार्य किया जाए, तो उस बिन्दु का वैद्युत विभव,


 V = w/q


वैद्युत विभव (V) का मात्रक जूल/कूलॉम अथवा वोल्ट होता है।





वोल्ट की परिभाषा


 यदि अनन्त से किसी बिन्दु तक 1 कूलॉम आवेश लाने में 1 जूल कार्य किया जाए, तो उस बिन्दु का वैद्युत विभव 1 वोल्ट होगा। 



1 मिलीवोल्ट = 10-³वोल्ट


1 माइक्रोवोल्ट = 10-⁶ वोल्ट


1 किलोवोल्ट = 10³ वोल्ट 1 मेगावोल्ट = 10⁶ वोल्ट




विभवान्तर


किसी वैद्युत परिपथ के दो बिन्दुओं के बीच एकांक आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किए गए कार्य को उन बिन्दुओं के बीच विभवान्तर कहते हैं। इसे V से प्रदर्शित करते हैं। यदि किसी चालक में आवेश q को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में W जूल कार्य करना पड़े, तो उन बिन्दुओं के बीच विभवान्तर,


 V = W/q


विभवान्तर का मात्रक जूल/कूलॉम अथवा वोल्ट होता है।


वोल्टमीटर


किसी परिपथ में विभवान्तर की माप वोल्टमीटर नामक उपकरण से की जाती है व इसे परिपथ में समान्तर क्रम में लगाया जाता है। इसका प्रतिरोध उच्च होता है।


वैद्युत परिपथ


वैद्युत धारा के प्रवाह के बन्द मार्ग को वैद्युत परिपथ कहते हैं। प्रत्येक वैद्युत परिपथ में विभिन्न अवयव; जैसे-वैद्युत उपकरण, स्विच तार, आदि लगे होते हैं। किसी वैद्युत परिपथ का ऐसा आरेख, जो उसमें लगे उपकरणों व धारा स्रोत के विभिन्न सम्बन्धों को चिन्हों द्वारा प्रदर्शित करता है, वैद्युत परिपथ आरेख कहलाता है। इन अवयवों को परिपथ में परिपथ आरेख के अनुसार व्यवस्थित किया जाता है।





ओम का नियम


ओम के नियम के अनुसार, यदि किसी चालक की भौतिक अवस्थाएँ (जैसे-लम्बाई, परिच्छेद का क्षेत्रफल, चालक का पदार्थ व ताप) अपरिवर्तित रहें, तो चालक में बहने वाली धारा, चालक के सिरों के विभवान्तर के अनुक्रमानुपाती होती है। यदि किसी चालक के सिरों पर लगा विभवान्तर V तथा उसमें बहने वाली धारा I हो,


तब


V = RI अथवा I = V/ R


जहाँ, R एक नियतांक है, जिसका मान चालक के आकार (लम्बाई व अनुप्रस्थ-काट के क्षेत्रफल), पदार्थ व ताप पर निर्भर करता है। इसे चालक का वैद्युत प्रतिरोध कहते हैं।


 ओम का नियम केवल धात्विक चालकों तथा मिश्रधातु चालकों के लिए ही सत्य है।





यदि विभवान्तर V और इसके संगत धारा I के मध्य ग्राफ खींचा जाता है, तो ग्राफ में एक सरल रेखा प्राप्त होती है, जोकि मूलबिन्दु से जाती है।



वैद्युत प्रतिरोध


किसी चालक का वह गुण, जिसके कारण वह वैद्युत धारा के प्रवाह का विरोध करता है, चालक का प्रतिरोध अथवा वैद्युत प्रतिरोध कहलाता है। इसे R से व्यक्त करते हैं।


अर्थात्


प्रतिरोध (R) = विभवान्तर (V) /धारा (I)


प्रतिरोध का मात्रक वोल्ट / ऐम्पियर अथवा ओम होता है।


1 मेगाओम = 10⁶ ओम, 1 माइक्रोओम = 10-⁶


 ओम किसी चालक का प्रतिरोध लम्बाई, क्षेत्रफल, ताप व चालक के पदार्थ पर निर्भर करता है। ताप व लम्बाई बढ़ाने पर प्रतिरोध बढ़ता है, जबकि क्षेत्रफल बढ़ाने पर प्रतिरोध घटता है।


प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले कारक



 वैद्युत प्रतिरोध निम्न कारकों पर निर्भर करता है


(i) लम्बाई किसी भी चालक तार का प्रतिरोध R. चालक की लम्बाई l के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात्


अतः हम कह सकते हैं कि किसी चालक की लम्बाई में वृद्धि होने पर चालक के प्रतिरोध में भी वृद्धि होती है। 


(ii) क्षेत्रफल किसी भी चालक तार का वैद्युत प्रतिरोध R चालक के अनुप्रस्थ- काट के क्षेत्रफल A के व्युत्क्रमानुपाती होता है 


अर्थात्


अतः हम कह सकते हैं कि किसी चालक के अनुप्रस्थ-काट के क्षेत्रफल A में वृद्धि होने पर चालक का प्रतिरोध R कम होता है। यही कारण है कि मोटे तार का प्रतिरोध कम व पतले तार का प्रतिरोध अधिक होता है।


(iii) पदार्थ की प्रकृति यदि समान लम्बाई व समान अनुप्रस्थ-काट के क्षेत्रफल के तारों को भिन्न-भिन्न पदार्थों द्वारा निर्मित किया जाता है, तो दोनों चालक तारों का प्रतिरोध भी भिन्न-भिन्न होता है।



विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता


किसी चालक का प्रतिरोध R, उसकी लम्बाई l के अनुक्रमानुपाती तथा समान अनुप्रस्थ-काट के क्षेत्रफल A के व्युत्क्रमानुपाती होता है।


अर्थात्


 R = ρl/A अथवा ρ =RA/l


जहाँ, ρ एक नियतांक है, जिसका मान केवल चालक तार के पदार्थ पर निर्भर करता है। इसे पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध अथवा विशिष्ट प्रतिरोधकता कहते हैं।


अतः किसी चालक के पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध, उस पदार्थ के 1 मी लम्बे व 1 मी? अनुप्रस्थ-काट के क्षेत्रफल वाले तार के वैद्युत प्रतिरोध के बराबर होता है। विशिष्ट प्रतिरोध का मात्रक ओम-मी अथवा ओम-सेमी होता है।


प्रतिरोधों का संयोजन


संयोजन के प्रकार



दैनिक जीवन में समान्तर क्रम संयोजन की उपयोगिता


समान्तर क्रम संयोजन का दैनिक जीवन में बहुत अधिक लाभ है, क्योंकि घरों अथवा कार्यालयों में वैद्युत परिपथों का प्रतिरोध भिन्न होता है तथा उनके विभिन्न मान की धारा, प्रचालन के लिए चाहिए। समान्तर क्रम संयोजन में परिणामी प्रतिरोध का मान कम होता है। अतः उनकी आवश्यकता के अनुसार, धारा के मान का वितरण हो जाता है।



वैद्युत ऊर्जा


किसी चालक में वैद्युत आवेश प्रवाहित होने के कारण जो ऊर्जा व्यय होती है, उसे वैद्युत ऊर्जा कहते हैं।


अतः वैद्युत ऊर्जा, W = विभवान्तर x आवेश


W = V x q जूल किसी चालक में सेकण्ड t में व्यय वैद्युत ऊर्जा,


W = V.I.t जूल यदि चालक का प्रतिरोध R ओम है, तो व्यय वैद्युत ऊर्जा, W = I²Rt जूल


[ V = IR] [ओम के नियम से


वैद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव


वैद्युत धारा के प्रवाह से किसी चालक तार के ताप बढ़ने की घटना को वैद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव कहते हैं।

इसे जूल का ऊष्मीय प्रभाव कहते हैं।



 इस नियम के अनुसार प्रतिरोध में उत्पन्न ऊष्मा


(i) प्रतिरोध में प्रवाहित धारा के वर्ग के समानुपाती होती है।


(ii) प्रतिरोध के समानुपाती होती है।


(iii) उस समय के समानुपाती होती है, जिस समय के लिए धारा प्रतिरोध में प्रवाहित होती है।


वैद्युत ऊर्जा के विभिन्न रूपों में सूत्र निम्नलिखित हैं


H = I²Rt = V.I.t = V² t/R जूल


धारा के ऊष्मीय प्रभाव का उपयोग वैद्युत बल्ब व वैद्युत में किया जाता है।




इलेक्ट्रॉन-वोल्ट


जब कोई इलेक्ट्रॉन 1 वोल्ट के विभवान्तर द्वारा त्वरित होता है, तो उसके द्वारा अर्जित ऊर्जा 1 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट कहलाती है।


1 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट (eV) = 1.6 x 10-¹⁹ जूल




वैद्युत सामर्थ्य अथवा वैद्युत शक्ति


किसी वैद्युत परिपथ में वैद्युत ऊर्जा के व्यय होने की दर को वैद्युत सामर्थ्य अथवा वैद्युत शक्ति कहते हैं। इसे P से प्रदर्शित करते हैं।


वैद्युत सामर्थ्य, P  = ऊर्जा / समय


यदि किसी वैद्युत परिपथ में सेकण्ड में W जूल ऊर्जा व्यय होती है, तो परिपथ की


वैद्युत सामर्थ्य, P = W / t


इसका मात्रक जूल/सेकण्ड अथवा वाट होता है।


यदि W /t = 1 जूल/सेकण्ड है, तो P = 1 वाट


वाट की परिभाषा यदि किसी वैद्युत परिपथ में 1 जूल/सेकण्ड की दर से ऊर्जा व्यय हो रही है, तो उस परिपथ की वैद्युत सामर्थ्य 1 वाट होगी।


P = VI वाट                           [: W = Vit]



P = V²/R= वाट                      [: W = V²t/R



P = I² R वाट                           [:: W = I²Rt]



1 किलोवाट 10³ वाट, 1 मेगावाट = 10⁶ वाट 


यान्त्रिकी में सामर्थ्य का मात्रक अश्वशक्ति होता है। 1 अश्वशक्ति = 746 वाट




किलोवाट घण्टा (kWh)


किसी परिपथ में जुड़े 1 किलोवाट के उपकरण में 1 घण्टे में व्यय होने वाली वैद्युत ऊर्जा 1 किलोवाट-घण्टा अथवा 1 यूनिट कहलाती है।




'किलोवाट घण्टा अथवा यूनिटों की संख्या

:     ( वाट x घण्टे)/1000


(वोल्ट ⨯ ऐम्पियर x घण्टे)/1000


1 किलोवाट घण्टा = 3.6 x 10⁶ जूल,


1 मेगावाट-घण्टा = 10⁶ वाट-घण्टा



       बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक


प्रश्न 1. एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश होता है



(a) - 9.1x10-¹⁹ कूलॉम


(b) – 1.6 x 10-¹⁹ कूलॉम


(c) + 9.1 x 10-¹⁹ कूलॉम


(d) + 1.6 ×10-¹⁹ कूलॉम


उत्तर (b) इलेक्ट्रॉन ऋणात्मक वैद्युत आवेशित कण है, जिस पर आवेश - 1.6 × 10-¹⁹ कूलॉम के बराबर होता है।


प्रश्न 2. एक प्रोटॉन पर वैद्युत आवेश की मात्रा होती है



(a) 1.0x10-19 कूलॉम


(c) 1.6 × 10¹⁹ कूलॉम


(b) 6.25 × 10¹⁹ कूलॉम


(d) 1.6 x 10-¹⁹ कूलॉम


उत्तर (d) प्रोटॉन एक धनावेशित कण है तथा इस पर आवेश इलेक्ट्रॉन के आवेश के बराबर होता है, परन्तु प्रोटॉन का आवेश धनावेशित होता है। अत: प्रोटॉन पर वैद्युत आवेश की मात्रा 1.6 × 10-19 कूलॉम होती है।




प्रश्न 3. ऐम्पियर-सेकण्ड किसका मात्रक है?


(a) वैद्युत ऊर्जा का         


(b) वैद्युत वाहक बल का


(c) आवेश का


(d) वैद्युत धारा का


उत्तर (c) 



प्रश्न 4. किसी वैद्युत बल्ब के फिलामेण्ट द्वारा 1 ऐम्पियर धारा ली जाती है। फिलामेण्ट की अनुप्रस्थ काट से 16 सेकण्ड में प्रवाहित इलेक्ट्रॉनों की संख्या होगी


(a) 10²⁰


 (b) 10¹⁶


(c) 10⁸


(d) 10²³


उत्तर (a) 



प्रश्न 5. किसी चालक तार में वैद्युत धारा का प्रवाह होता है


(a) मुक्त इलेक्ट्रॉनों द्वारा


 (b) प्रोटॉनों द्वारा 


(c) आयनों द्वारा


(d) न्यूट्रॉनों द्वारा


उत्तर (a) 



प्रश्न 6. धारा के परिमाण का मात्रक है अथवा किसी वैद्युत परिपथ में बहने वाली वैद्युत धारा का मात्रक है


(a) ऐम्पियर


(b) वोल्ट


(c) ओम


(d) वाट


उत्तर - (a) 


प्रश्न 7. यदि एक इलेक्ट्रॉन को अनन्त से किसी बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य 64 जूल है, तो उस बिन्दु पर कार्यरत् वैद्युत विभव का मान क्या होगा?


 (a) 4x10²⁰ वोल्ट


(b) 10²⁰ वोल्ट


(c ) 10¹⁹ वोल्ट


(d) 2 x 10²⁰ वोल्ट



उत्तर (a) 


प्रश्न 8. विभवान्तर का मापक यन्त्र है।


(a) धारामापी 


(b) वोल्टमीटर


 (c) अमीटर


(d) ओम-मीटर


 उत्तर (b) विभवान्तर का मापन वोल्टमीटर द्वारा किया जाता है।



प्रश्न 9. निम्न में से कौन-सा कथन ओम के नियम को व्यक्त करता है? 


(a) धारा / विभवान्तर = नियतांक 


(b) विभवान्तर x धारा = नियतांक 


(c) विभवान्तर = धारा x प्रतिरोध 


(d) धारा = विभवान्तर प्रतिरोध


उत्तर (c) 



प्रश्न 10. ओम के नियमानुसार, विभवान्तर व धारा के बीच ग्राफ होगा अथना ओम के नियम के अनुसार धारा व विभवान्तर में ग्राफ बनेगा



(a) एक सरल रेखा 


(b) एक वृत्त


(c) एक अर्द्धवृत्त


(d) एक लगातार दिशा बदलती रेखा


 उत्तर (a) ओम के नियमानुसार, विभवान्तर व धारा के बीच ग्राफ एक सरल रेखा होगी।


प्रश्न 11. ओम का नियम सत्य है



(a) केवल धात्विक चालकों के लिए


 (b) केवल अधात्विक चालकों के लिए


(c) केवल अर्द्धचालकों के लिए 


(d) सभी के लिए 


उत्तर (a) ओम का नियम केवल धात्विक चालकों तथा मिश्रधातु चालकों के लिए ही सत्य होता है।


प्रश्न 12. प्रतिरोध का मात्रक होता है।


(a) ओम


(b) ओम / सेमी


(C) ओम-सेमी


(d) वोल्ट


उत्तर (a) ओम 


प्रश्न 13. 1.5 वोल्ट वि. वा. बल के सेल का आन्तरिक प्रतिरोध 3 ओम है, तो सेल से प्राप्त धारा का अधिकतम मान होगा



(a) 1.5 ऐम्पियर


(b) 0.5 ऐम्पियर


 (c) 3.0 ऐम्पियर


 (d) 15.0 मिली ऐम्पियर 


उत्तर (b) 



प्रश्न 14.ताप बढ़ाने पर किसी चालक का वैद्युत प्रतिरोध


(a) अपरिवर्तित रहता है


 (b) बढ़ता है।


(c) घटता है


(d) कभी बढ़ता और कभी घटता है। 


उत्तर (b) 


प्रश्न 15. पाँच प्रतिरोधकों, जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोध 1/5 ओम है, इनका उपयोग करके कितना अधिकतम प्रतिरोध बनाया जा सकता है?


(a) 1/5 ओम


(b) 10 ओम


(c) 5 ओम 


(d) 1 ओम



 उत्तर (d) अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में जोड़ना होगा।




प्रश्न 16. 4 ओम के चार प्रतिरोध एक-दूसरे के समान्तर क्रम में जोड़े गए हैं. में तो तुल्य प्रतिरोध होगा


 (a) 4 ओम 


(b) 2 ओम 


(c) 3


 (d) 1 ओम 


उत्तर (d) 



प्रश्न 17. किलोवाट घण्टा किस भौतिक राशि का मात्रक है? 


(a) समय


(b) द्रव्यमान


(c) ऊर्जा


(d) शक्ति



उत्तर (c) किलोवाट-घण्टा वैद्युत ऊर्जा का मात्रक है। इसे साधारण भाषा में यूनिट भी कहा जाता है।


प्रश्न 18. 1 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट तुल्य है


 (a) 1.6 x 10-¹⁹ जूल के


(b) 3.2 x 10-²⁴ जूल के


(c) 3.6x10¹⁶ जूल के


(d) 1.6 x 10¹⁹ जूल के


उत्तर (a) 1 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट (eV) = 1.6 × 10-¹⁹जूल


प्रश्न 19. एक अश्व शक्ति बराबर होती है


(a) 726 वाट के


(b) 736 वाट के


(c) 746 वाट के


(d) 756 वाट के


उत्तर (c) एक अश्व शक्ति = 746 वाट






लघु उत्तरीय प्रश्न 2 अंक




प्रश्न 1. कूलॉम की परिभाषा लिखिए। 


उत्तर कूलॉम आवेश की इकाई है एक कूलॉम आवेश, आवेश की वह मात्रा है,जो किसी चालक में 1 ऐम्पियर की धारा बहने पर 1 सेकण्ड में प्रवाहित होता है।


  प्रश्न 2. 1 ऐम्पियर की परिभाषा दीजिए।


उत्तर – किसी परिपथ में 1 सेकण्ड में 1 कूलॉम आवेश प्रवाहित हो, तब परिपथ में प्रवाहित वैद्युत धारा ऐम्पियर होगी।



प्रश्न 3. वैद्युत धारा की दिशा तथा आवेश की गति की दिशा में क्या सम्बन्ध है?


  उत्तर – किसी परिपथ में धनात्मक आवेश के प्रवाह की दिशा को धारा प्रवाह की दिशा माना जाता है। अतः चालक में वैद्युत धारा की दिशा इलेक्ट्रॉन के बहने की

दिशा के विपरीत होती है।



प्रश्न 4. किसी चालक AB में इलेक्ट्रॉन A से B की ओर बह रहे हैं, धारा की दिशा ज्ञात कीजिए।



उत्तर – किसी चालक में वैद्युत धारा की दिशा इलेक्ट्रॉन के बहने की दिशा के विपरीत होती है। अतः चालक AB में धारा की दिशा B से A की ओर होगी।



प्रश्न 5. अमीटर का क्या कार्य है? इसे परिपथ में किस प्रकार जोड़ते हैं?


 उत्तर परिपथ में धारा मापन हेतु अमीटर का उपयोग किया जाता है। इसे परिपथ के श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है।



 प्रश्न 6. धातुओं में वैद्युत चालन किसके द्वारा होता है?


अथवा किसी धात्वीय तार में वैद्युत धारा का प्रवाह किसके द्वारा होता है? 



उत्तर किसी धात्वीय तार में वैद्युत धारा का प्रवाह मुक्त इलेक्ट्रॉनों द्वारा होता है।



प्रश्न 7. आवेश q, विभवान्तर V तथा कार्य W में क्या सम्बन्ध है ? 


उत्तर यदि किसी चालक में आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में W जूल कार्य करना पड़े, तो उन बिन्दुओं के बीच विभवान्तर


V =  कार्य (W) / आवेश (q)



प्रश्न 8. ओम का नियम लिखिए।



उत्तर ओम के नियम के अनुसार, यदि किसी चालक की भौतिक अवस्थाएँ (जैसे-लम्बाई, परिच्छेद का क्षेत्रफल, चालक का पदार्थ व ताप) नियत रहें, तो चालक में बहने वाली धारा, चालक के सिरों के विभवान्तर के अनुक्रमानुपाती होती है।



प्रश्न 9. ओम के नियम की परिसीमाएँ लिखिए।


उत्तर कोई भी चालक ओम के नियम का पालन उसी समय तक करता है, जब तक कि चालक की भौतिक अवस्थाएँ; जैसे- लम्बाई, परिच्छेद का क्षेत्रफल, चालक का पदार्थ व ताप, नियत रहें।


प्रश्न 10. किसी धात्विक चालक के प्रतिरोध पर ताप परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ता है?


 उत्तर – धात्विक चालक का ताप बढ़ाने पर चालक का प्रतिरोध बढ़ जाता है और ताप कम करने पर चालक का प्रतिरोध कम हो जाता है।



प्रश्न 11. समान पदार्थ के दो तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो, तो इनमें से किसमें वैद्युत धारा आसानी से प्रवाहित होगी, जबकि उन्हें समान वैद्युत स्रोत से संयोजित किया जाता है, क्यों?


उत्तर – किसी तार का प्रतिरोध (R) उसके अनुप्रस्थ-काट के क्षेत्रफल (A) के व्युत्क्रमानुपाती होता है। जो तार मोटा है, उसका अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल A अधिक है, अतः प्रतिरोध कम है। यही कारण है कि मोटे तार में से वैद्युत धारा अधिक सरलता से प्रवाहित होगी।


प्रश्न 12. दो तार, जिनके प्रतिरोध 4 ओम और 2 ओम हैं, श्रेणीक्रम में एक बैटरी से जुड़े हैं। पहले तार में 2 ऐम्पियर की धारा बह रही है। दूसरे तार में धारा का मान कितना होगा?


उत्तर – जब दो या दो से अधिक प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े हों, तो उनमें प्रवाहित धारा समान होती है। चूँकि प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े हैं, अतः दोनों प्रतिरोध तारों

में समान धारा 2 ऐम्पियर प्रवाहित होगी।


प्रश्न 13. वैद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव से आप क्या समझते हैं?


 उत्तर वैद्युत धारा के प्रवाह से किसी चालक तार के ताप बढ़ने की घटना को वैद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव कहते हैं। वैद्युत बल्ब, हीटर, इस्तरी तथा वैद्युत आर्क, आदि वैद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर कार्य करते हैं। 


प्रश्न 14. किसी चालक तार में धारा प्रवाहित करने पर उसमें उत्पन्न ऊष्मा किन-किन कारकों पर निर्भर करती हैं? स्पष्ट कीजिए। 


उत्तर किसी चालक तार में धारा प्रवाहित करने पर उसमें उत्पन्न ऊष्मा चालक की लम्बाई, उसके तार तथा तार की मोटाई पर निर्भर करती है। 



प्रश्न 15. वैद्युत सामर्थ्य की परिभाषा लिखिए।


अथवा MKS पद्धति में वैद्युत सामर्थ्य का मात्रक लिखिए।


 उत्तर किसी वैद्युत परिपथ में वैद्युत ऊर्जा के व्यय होने की दर को वैद्युत सामर्थ्य अथवा वैद्युत शक्ति कहते हैं।


वैद्युत सामर्थ्य (P) = ऊर्जा/समय =जूल/सेकण्ड


अतः वैद्युत सामर्थ्य का MKS पद्धति में मात्रक जूल/सेकण्ड या वाट होता है। 




 प्रश्न 16. एक वैद्युत बल्ब पर 240 वोल्ट, 60 वाट लिखा है। इसका क्या अर्थ है?


उत्तर यदि किसी वैद्युत बल्ब पर 240 वोल्ट, 60 वाट लिखा है, तो इसका अर्थ है कि यदि वैद्युत बल्ब को 240 वोल्ट पर जलाया जाए, तो इसमें 60 वाट की

वैद्युत शक्ति क्षय होगी। 



प्रश्न 17. श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत युक्तियों को समांतर क्रम में संयोजित करने के क्या लाभ हैं?


उत्तर वैद्युत युक्तियों को समांतर क्रम में संयोजित करने के निम्न लाभ हैं



 (i) समांतर क्रम में प्रत्येक युक्ति में पूर्ण विद्युत विभव प्राप्त होता है, जबकि धारा विभक्त हो जाती हैं। प्रत्येक युक्ति में धारा उसके प्रतिरोध के अनुसार जाती है।


(ii) यदि एक युक्ति को ऑन/ऑफ करते हैं, तो अन्य युक्तियाँ अपना कार्य सुचारू रूप से करती रहती हैं।


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