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यूपी बोर्ड कक्षा 10वी सामाजिक विज्ञान अध्याय 14 जन-संघर्ष और आंदोलन //10th Social Science notes

 यूपी बोर्ड कक्षा 10वी सामाजिक विज्ञान अध्याय 14 जन-संघर्ष और आंदोलन 


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5    जन-संघर्ष और आंदोलन




याद रखने योग्य बिन्दु




1.नेपाल लोकतंत्र की तीसरी लहर' के देशों में एक है जहाँ लोकतंत्र 1990 के दशक में कायम हुआ। नेपाल में राजा औपचारिक रूप से राज्य का प्रधान बना रह लेकिन वास्तविक सत्ता का प्रयोग जनता के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथों में था।


2.फरवरी 2005 में राजा ज्ञानेंद्र ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को अपदस्थ करके जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को भंग कर दिया। अप्रैल 2006 में हुए आंदोलन क लक्ष्य शासन की बागडोर राजा के हाथ से लेकर दोबारा जनता के हाथों में सौंपना था।


3.संसद की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने एक 'सेवेन पार्टी अलायंस' (सप्तदलीय गठबंधन-एस.पी.ए.) बनाया और नेपाल की राजधानी काठमांडू में चार

दिन के 'बंद' का आह्वान किया।


4. 24 अप्रैल, 2006 अल्टीमेटम का अंतिम दिन था। इस दिन राजा बाध्य होकर तीनों माँगों को मान लिया। एस.पी.ए. ने गिरिजा प्रसाद कोईराला को अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री चुना। संसद पुनः बहाल हुई और इसने अपनी बैठक में कानून पारित किए।


5.  2008 में राजतंत्र के खत्म होने पर नेपाल संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य बना तथा 2015 में यहाँ एक नये संविधान को अपनाया गया।


6.बोलिविया लातिनी अमेरिका का एक गरीब देश है।


7.सरकार ने कोचबंबा शहर में जलापूर्ति के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को बेच दिए। इस कंपनी ने आनन-फानन में पानी की कीमत में चार गुना इजाफा कर दिया।


8.अप्रैल 2000 में हुई हड़ताल के कारण सरकार ने 'मार्शल लॉ' लगा दिया। लेकिन, जनता की ताकत के आगे बहुराष्ट्रीय कंपनी के अधिकारियों को शहर छोड़कर भागना पड़ा। सरकार को आंदोलनकारियों की सारी माँगें माननी पड़ी। बहुराष्ट्रीय कंपनी के साथ किया गया करार रद्द कर दिया गया और जलापूर्ति दोबारा नगरपालिका को सौंपकार पुरानी दरें कायम कर दी गई। इस आंदोलन को 'बोलिविया के जलयुद्ध के नाम से जाना गया।


9.सन् 2006 में बोलिविया में सोशलिस्ट पार्टी को सत्ता हासिल हुई।




महत्त्वपूर्ण शब्दावली 




माओवादी- चीनी-क्रांति के नेता माओ की विचारधारा को मानने वाले साम्यवादी। माओवादी, मजदूरों और किसानों के शासन को स्थापित करने के लिए सशस्त्र क्रांति के जरिए सरकार को उखाड़ फेंकना चाहते हैं। 


दबाव-समूह – दबाव-समूह का निर्माण तब होता है जब समान पेशे, हित, आकांक्षा अथवा मत के लोग एक समान उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एकजुट होते हैं। 



 बामसेफ- 'बामसेफ' (बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्पलाइज फेडरेशन—BAMCEF) मुख्यतया सरकारी कर्मचारियों का संगठन है जो जातिगत भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाता है।




बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक


प्रश्न 1. लोकतंत्र की जड़ें किस प्रकार मजबूत होती हैं?


(क) परस्पर सामंजस्य द्वारा


(ख) जन-विरोधी गतिविधियों द्वारा


 (ग) जन-आंदोलनों द्वारा


(घ) धरना प्रदर्शन द्वारा


उत्तर-


(ग) जन-आंदोलनों द्वारा


प्रश्न 2. आंदोलन जनता की …...भागीदारी पर निर्भर होते हैं। 


(क) दबाव-समूह


(ख) बंद हड़ताल


(ग) विरोध


(घ) स्वतः स्फूर्त


उत्तर-


(क) दबाव-समूह


प्रश्न 3. दबाव-समूह सरकारी नीतियों को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?


(क) संगठन द्वारा


(ग) नियंत्रण द्वारा


(ख) एकजुटता द्वारा


 (घ) इनमें से कोई नहीं


उत्तर-


(ख) एकजुटता द्वारा


प्रश्न 4. नर्मदा बचाओ आंदोलन किससे संबंधित है?


(क) सतलुज बाँध


(ख) हीराकुड बाँध


(ग) नागार्जुन बाँध


(घ) सरदार सरोवर बाँध


उत्तर-


(घ) सरदार सरोवर बाँध



प्रश्न 5. नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना हुई



(क) 2005 में 


(ख) 2006 में


 (ग) 2008 में 


(घ) 2015 में 


उत्तर- (ग) 2008 में



अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 2 अंक


प्रश्न 1. नेपाल की राजधानी कौन-सी है?


उत्तर- नेपाल की राजधानी काठमाण्डू है।


प्रश्न 2. एस.पी.ए. ने किसको नेपाल का प्रधानमंत्री चुना?


 उत्तर- एस.पी.ए. ने गिरिजाप्रसाद कोईराला को अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री चुना।


प्रश्न 3. बहुराष्ट्रीय कंपनी ने जलमूल्य कितना बढ़ा दिया?


उत्तर- बहुराष्ट्रीय कंपनी ने जलमूल्य में चार गुना वृद्धि कर दी।


प्रश्न 4. सन् 2006 में बोलिविया में किसे सत्ता प्राप्त हुई?


उत्तर- सन् 2006 में बोलिविया में "सोशलिस्ट पार्टी" को सत्ता प्राप्त हुई।


प्रश्न 5. जन-आंदोलन किस पर निर्भर होते हैं?


उत्तर- जन-आंदोलन अथवा जन-संघर्ष जनता की स्वतः स्फूर्त भागीदारी पर निर्भर होते हैं।


प्रश्न 6. असम गण परिषद् क्या है?


उत्तर- विदेशी लोगों के विरुद्ध छात्रों का असम आंदोलन असमगण परिषद् में परिवर्तित हो गया।



प्रश्न 7. भारत के लोकतंत्र को दबाव-समूह किस प्रकार प्रभावित करते हैं? 


उत्तर- दबाव-समूह के आंदोलन राजनीति में भागीदारी तो नहीं करते अपितु उसे प्रभावित अवश्य करते हैं।


प्रश्न 8. साधारण जनता प्रशासन से किस प्रकार अपनी आवश्यकताएँ बता सकती है? 


उत्तर- साधारण जनता की प्रशासन से अनेक अपेक्षाएँ तथा आकांक्षाए होती हैं, जिन्हें वह आंदोलनों द्वारा व्यक्त करती है।


प्रश्न 9. संतुलित दृष्टिकोण क्या है?


उत्तर- सत्तारूढ़ दल द्वारा दबाव समूह आंदोलन को लोकतंत्र के आलोक में समझना तथा समाधान करना, संतुलित दृष्टिकोण है। 


प्रश्न 10. दबाव समूहों का निर्माण किस प्रकार होता है?


उत्तर- किसी विशेष समूह के हितार्थ अथवा किसी विशेष योजना के हितार्थ अथवा विरोध में जन-समूहों द्वारा संगठन कर सत्तासीन दल पर दबाव बनाना, दवाब समूहों का निर्माण करना है।


प्रश्न 11. भारत के दो पड़ोसी देशों के नाम बताइए।


उत्तर- श्रीलंका और नेपाल।



प्रश्न 12. एस.पी.ए. से क्या तात्पर्य है?


उत्तर- संसद की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने मिलकर एक सप्तदलीय गठबंधन एस.पी.ए. तैयार किया। एस.पी.ए. (सेवेन पार्टी अलांइस) सप्तदलीय

गठबंधन है।


प्रश्न 13. सामान्य नागरिक सत्ता में किस प्रकार की भागीदारी करते हैं?


उत्तर- सामान्य नागरिक विवेकपूर्ण निर्णय लेकर मतदान कर सत्ता में जागरूक भागीदारी कर सकते हैं।



लघु उत्तरीय प्रश्न 3 अंक


प्रश्न 1."नर्मदा बचाओ" आंदोलन क्या है?


उत्तर- भारत में नर्मदा बचाओ आंदोलन एक विशिष्ट मुद्दे को लेकर किया गया आंदोलन है। इस आंदोलन का उद्देश्य नर्मदा नदी पर बाँध बनने को रोकना था। शनैः शनैः इस आंदोलन का रूप व्यापक होता गया।


प्रश्न 2. वर्ग विशेषी हित-समूह क्या है?


उत्तर- किसी एक वर्ग के विशेष वर्ग के हित में दबाव बनाने वाले समूह को वर्ग विशेषी हित-समूह कहते हैं। वर्ग विशेषी हित-समूह भी महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वाह करते हैं।


प्रश्न 3.दबाव समूह और राजनीतिक दल में दो अन्तर बताइए। 


या

दबाव समूह और राजनीतिक दल में क्या अन्तर है? समझाकर लिखिए। दबाव समूह का एक उदाहरण दीजिए।


या राजनैतिक दल और दबाव समूह का अन्तर लिखिए। किन्हीं तीन बिंदुओं पर प्रकाश डालिए।


उत्तर


दबाव समूह     राजनीतिक दल


दबाव समूह

राजनीतिक दल

(i) ये चुनाव नहीं लड़ते हैं।

(i) ये चुनाव लड़ते हैं।


(ii)इनका प्रत्यक्ष उद्देश्य राजनीतिक सत्ता पर नियन्त्रण करने का नहीं होता।


(ii)इनका प्रत्यक्ष उद्देश्य राजनीतिक सत्ता पर नियन्त्रण करने का होता है।

(iii)दबाव समूहों का निर्माण तब होता है जब समान पेशे, हित, आकांक्षा अथवा मत के लोग एक समान उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एकजुट होते हैं।


(iii)राजनीतिक दल समूह के कल्याण के लिए कुछ नीतियों तथा कार्यक्रमों पर समझौता करते हैं।




(iv)उदाहरण नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन, ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट्स फेडरेशन तथा जमात-ए-इस्लामिक आदि।

(iv) उदाहरण – (भारतीय जनता पार्टी) भाजपा, सोशलिस्ट पार्टी तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस आदि।





दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 6. अंक


प्रश्न 1. दबाव-समूह और आंदोलन राजनीति को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?



उत्तर- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, हमारी प्रत्येक गतिविधियों का समाज पर प्रभाव पड़ता है। हमारे द्वारा किए गए सामूहिक क्रियाकलाप यदि एक संगठन अथवा गतिविधि का रूप लेते हैं, तो उनका व्यापक रूप आंदोलन अथवा दबाव-समूह बन जाता है। इस प्रकार के समूह राजनीति को अनेक प्रकार से प्रभावित करते हैं—


#.आंदोलन तथा दबाव समूह अपने लक्ष्य प्राप्ति एवम् संबंधित गतिविधियों के लिए जनमानस का समर्थन तथा सहानुभूति प्राप्त करने हेतु भरसक प्रयत्न करते हैं। इस प्रकार के समूह जन-संचार माध्यमों को भी प्रभावित करने की चेष्टा करते हैं, जिससे कि संचार माध्यमों द्वारा उनके आंदोलनों को अधिक लोकप्रियता प्राप्त हो सके।


#.दबाय समूह अधिकतर हड़ताल, धरना, प्रदर्शन तथा सरकारी कार्यों को बाधित करने के प्रयासों का आश्रय लेते हैं।



#.व्यापारी वर्ग अधिकृत व्यावसायिक “लाबिस्ट" नियुक्त करते हैं अथवा बहुमूल्य विज्ञापनों को प्रायोजित करते हैं। दबाव-समूह अथवा आंदोलनकारी समूह के कुछ व्यक्ति प्रशासन के परामर्श समितियों तथा अधिकारी निकायों में प्रतिभागिता करते हैं।



#.यद्यपि दबाव-समूह तथा जन-आंदोलन दलीय राजनीति में प्रत्यक्ष रूप से प्रतिभागी नहीं होते किन्तु राजनीतिक दलों को वह प्रभावित करना चाहते हैं। इस प्रकार के समूह किसी राजनीतिक दल से संबंधित नहीं होते, किन्तु उनका भी एक राजनीतिक पक्ष नहीं होता है, एक विचारधारा होती है। अत: अनेक रूपों में दबाव समूह तथा राजनीति एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।


#.अनेक कारणों से तो दबाव-समूहों का जन्म ही राजनीतिक दलों द्वारा होता है तथा कुछ दबाव-समूह राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में ही कार्यरत हैं। भारत के अनेक मजदूर-संगठन, छात्र-संगठन, कृषक आंदोलन या तो बड़े-बड़े राजनीतिक दलों द्वारा ही बनाए जाते हैं अथवा उनकी संबद्धता राजनीतिक दलों से किसी-न-किसी प्रकार होती है।


#.यदा-कदा इस प्रकार के आंदोलन राजनीतिक रूप में परिवर्तित भी हो जाते हैं। यथा असम में 1970 में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) ने विदेशियों (बाहरी लोग) के विरोध में एक आंदोलन चलाया जिसकी परिणिति “असम गण परिषद्” के रूप में हुई।



#. अधिकांश दबाव-समूहों तथा आंदोलनों का राजनीतिक दलों से प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता। दोनों परस्पर विरोधी होते हैं। दोनों दलों के मध्य संवाद स्थापित रहता है तथा आपसी सामंजस्य की वार्ता जारी रहती है। राजनीतिक दलों के अधिकतर नवीन नेताओं का आविर्भाव दबाव समूह तथा आंदोलनकारी समूहों से होता है।


प्रश्न 2. आंदोलन तथा दबाव-समूहों के प्रभाव किस प्रकार सकारात्मक होते हैं?


उत्तर- जन-आंदोलन के विषय अधिक सकारात्मक होते हैं। प्रथम दृष्टव्य के आधार पर तो ऐसा आभास होता है कि किसी एक वर्ग के हितों की रक्षा करने वाले दबाव-समूह लोकतंत्र के लिए अहितकर हैं। लोकतंत्र के अंतर्गत किसी एक वर्ग की नहीं अपितु सभी हितों की सुरक्षा होनी चाहिए अथवा ऐसा भी प्रतीत हो सकता है कि इस प्रकार के लोग सत्ता का उपयोग तो करना चाहते हैं, किन्तु उत्तरदायित्व की भावना से बचना भी चाहते हैं। चुनावी काल में सभी राजनीतिक दलों को जनता का सामना करना पड़ता है लेकिन इस प्रकार के समूह जनता के प्रति उत्तरदायी नहीं होते। संभव है कि दबाव-समूहों को जन समर्थन तथा धनार्जन की सुविधा प्राप्त न हो लेकिन यह समूह अपने प्रभावपूर्ण विचारों के बल पर सत्तारूढ़ दल का तथा जनमानस का दृष्टिकोण परिवर्तित करने में सफल हो जाते हैं, किन्तु यदि कुछ संतुलित दृष्टिकोण अपनाएँ तो स्पष्ट होगा कि जड़ें और अधिक सुदृढ़ हुई हैं। प्रशासन के ऊपर दबाव डालना कोई अहितकर गतिविधि नहीं अपितु लोकतांत्रिक प्रक्रिया के आधार पर एक सर्वमान्य अधिकार है। सामान्यतः प्रशासन धनिक वर्ग तथा शक्तिशाली वर्ग के प्रभाव में आ जाता है। ऐसी स्थिति में जनसाधारण के हितों से संबंधित आंदोलन, दबाव-समूह इस अनुचित दबाव के प्रतिकार में उपयोगी भूमिका का निर्वाह करते हैं तथा जनसाधारण की समस्याओं तथा आवश्यकताओं से सरकार को परिचित कराते हैं। इस प्रकार इनकी भूमिका सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।



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