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up board ncert class 10 social science chapter 15 notes in hindi

 यूपी बोर्ड कक्षा 10वी सामाजिक विज्ञान अध्याय 15 लोकतंत्र के परिणाम का सम्पूर्ण हल



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6         लोकतंत्र के परिणाम


याद रखने योग्य मुख्य बिन्दु


1.लोकतंत्र शासन की अन्य व्यवस्थाओं से बेहतर है। तानाशाही और अन्य व्यवस्थाएँ ज्यादा दोषपूर्ण हैं। 



2.लोकतांत्रिक शासन में नागरिकों में समानता, व्यक्ति की गरिमा कायम रहना, बेहतर फैसले किये जाते हैं, टकरावों को रोकता है, गलतियों को सुधारने की गुंजाइश होती है।


3.लोकतंत्र में सबसे बड़ी चिंता होती है कि लोगों का अपना शासक चुनने का अधिकार और शासकों पर नियंत्रण बरकरार रहे। 


4.लोकतांत्रिक व्यवस्था राजनीतिक समानता पर आधारित होती है। प्रतिनिधियों के चुनाव में हर व्यक्ति का वजन बराबर होता है। व्यक्तियों को राजनीतिक


5.क्षेत्र में परस्पर बराबरी का दर्जा तो मिल जाता है लेकिन इसके साथ-साथ हम आर्थिक समानता को भी बढ़ता हुआ पाते हैं।


6.लोकतंत्र का सीधे-सीधे अर्थ बहुमत की राय से शासन करना नहीं है। बहुमत को सदा ही अल्पमत का ध्यान रखना होता है। व्यक्ति की गरिमा और आजादी के मामले में लोकतांत्रिक व्यवस्था किसी भी अन्य शासन प्रणाली से काफी आगे है। 



7.बहुमत के शासन का अर्थ धर्म, नस्ल अथवा भाषायी आधार के बहुसंख्यक समूह का शासन नहीं होता। बहुमत के शासन का मतलब होता है कि हर फैसले या

चुनाव में अलग-अलग लोग और समूह बहुमत का निर्माण कर सकते हैं या बहुमत में हो सकते हैं।




महत्त्वपूर्ण शब्दावली


 लोकतंत्र – एक ऐसी शासन व्यवस्था जिसमें जनता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है। ये प्रतिनिधि जनता के हितों को ध्यान में रखकर कानून बनाते हैं तथा जनता की इच्छा तक अपने पद पर रहते हैं।


वैध शासन-वह शासन व्यवस्था जो कुछ नियमों और कानूनों के आधार पर काम करें।


तानाशाही एक ऐसी शासन व्यवस्था जिसमें एक व्यक्ति या एक दल का शासन हो। उसी का आदेश कानून माना जाए, लोगों को अपने विचार व्यक्त करने, अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार न हो यह व्यवस्था तानाशाही कहलाती है।


राजनीतिक समानता लोकतंत्र में सभी व्यक्ति समान रूप से प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं तथा सभी को राजनीतिक क्षेत्र में परस्पर बराबर का दर्जा मिलता है। इसे राजनीतिक समानता कहते हैं।


आर्थिक समानता—किसी भी देश में होने वाली आय का वितरण इस प्रकार हो जिससे सभी को उसका बराबर लाभ मिले और सभी लोग बेहतर जीवन गुजार सकें। इस स्थिति को आर्थिक समानता कहते हैं।


आर्थिक असमानता—किसी देश की कुल आय का अधिकांश भाग मुट्ठी भर लोगों के पास हो तथा समाज के अन्य लोग जीवन बसर करने के लिए काफी कम साधन प्राप्त कर सकें तथा उनकी आमदनी भी कम हो, यह स्थिति आर्थिक असमानता कहलाती है।



बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक


प्रश्न 1.लोकतंत्र शासन अन्य व्यवस्थाओं से है।


(क) समान्तर


(ख) बेहतर


(ग) बेकार


(घ) कुछ नहीं


उत्तर- (ख) बेहतर


प्रश्न 2.विश्व के सौ से भी अधिक देश दावा करते हैं।


(क) लोकतंत्र का


(ख) राजतंत्र का


(ग) तानाशाही का


(घ) किसी का नहीं


उत्तर-


(क) लोकतंत्र का


प्रश्न 3.लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों को अधिकार प्राप्त है


(क) स्वयं राज करने का


(ख) शासन-व्यवस्था ठीक करने का


(ग) अपनी सरकार चुनने का


(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं


उत्तर


(ग) अपनी सरकार चुनने का


प्रश्न 4. 'मानवाधिकार दिवस' कब मनाया जाता है?



(क) 10 दिसम्बर


(ख) 5 सितम्बर


(ग) 14 नवम्बर


(घ) 15 अगस्त


उत्तर


(क) 10 दिसम्बर


प्रश्न 5.लोकतांत्रिक सरकार में सभी नागरिक….. हैं।


(क) एकसमान


(ख) अलग-अलग


(ग) अच्छे


(घ) बुरे



उत्तर

(क) एकसमान


प्रश्न 6.शिकायतों का बना रहना लोकतंत्र की ….का प्रतीक है।


(क) असफलता


(ख) सफलता


(ग) आजादी


(घ) खुशी


उत्तर- (ख) सफलता



अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 2 अंक


प्रश्न 1. लोकतंत्र का अर्थ बताइए।


उत्तर- एक ऐसी शासन-व्यवस्था जिसमें जनता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है। ये प्रतिनिधि जनता के हितों को ध्यान में रखकर कानून बनाते हैं तथा जनता की इच्छा तक अपने पद पर रहते हैं।


प्रश्न 2. पारदर्शिता से क्या तात्पर्य है?


उत्तर- लोकतांत्रिक शासन में यदि कोई नागरिक यह जानना चाहे कि फैसले लेने में नियमों का पालन हुआ है या नहीं तो वह इसका पता कर सकता है। उसे यह न सिर्फ जानने का अधिकार है बल्कि उसके पास उसके साधन भी उपलब्ध हैं। इसे पारदर्शिता कहते हैं।


प्रश्न 3. तानाशाही शासन-व्यवस्था से क्या तात्पर्य है?


उत्तर- एक ऐसी शासन-व्यवस्था जिसमें एक व्यक्ति या एक दल का शासन हो। उसी का आदेश कानून माना जाए, लोगों को अपने विचार व्यक्त करने, अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार न हो, यह व्यवस्था तानाशाही कहलाती है।



प्रश्न 4. राजनीतिक समानता का अर्थ बताइए।


उत्तर- लोकतंत्र में सभी व्यक्ति समान रूप से प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं तथा सभी को राजनीतिक क्षेत्र में परस्पर बराबरी का दर्जा मिलता है। इसे राजनीतिक समानता कहते हैं।


प्रश्न 5. आर्थिक समानता का अर्थ बताइए।


उत्तर- किसी भी देश में होने वाली आय का वितरण इस प्रकार हो जिससे सभी को उसका बराबर लाभ मिले और सभी लोग बेहतर जीवन गुजार सकें। इस स्थिति को आर्थिक समानता कहते हैं।


प्रश्न 6.लोकतंत्र में सबसे बड़ी चिंता क्या होती है?


उत्तर- लोकतंत्र में सबसे बड़ी चिंता यह होती है कि लोगों को अपना शासक चुनने का अधिकार होता है ताकि शासकों पर नियंत्रण बरकरार रहे।


प्रश्न 7. देश का आर्थिक विकास किन कारकों पर निर्भर करता है?


उत्तर-देश का आर्थिक विकास निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है


(i) देश की जनसंख्या का आकार।


(ii) वैश्विक स्थिति।


(iii) अन्य देशों से सहयोग।


प्रश्न 8.'कानून का शासन' किस शासन-व्यवस्था का नाम है?


उत्तर  लोकतंत्रात्मक शासन-व्यवस्था का।



लघु उत्तरीय प्रश्न 3 अंक


प्रश्न 1.किन्हीं चार तरीकों को स्पष्ट कीजिए, जिनमें लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ असमानता और गरीबी को कम करने में समर्थ रही हैं?


उत्तर- लोकतांत्रिक व्यवस्था में जब देश में आर्थिक विकास तेज होता है तो ऐसी स्थिति में राजनीतिक समानता तो कायम रहती है लेकिन आर्थिक समानता कायम नहीं रह पाती। ऐसी स्थिति में सरकार अधिक आय वालों से कर के रूप में रकम वसूल करती है तथा गरीब और मध्यम वर्ग के लिए कई लोककल्याणकारी कार्य करती है; जैसे—सरकारी अस्पताल, सरकारी स्कूल, जन-वितरण प्रणाली की दुकान तथा अन्य जन-सुविधाएँ उपलब्ध कराती है जिससे आर्थिक विषमता में कमी आती है।


असमानता और गरीबी कम करने के लिए किए गए उपाय निम्नलिखित हैं


 (i) गरीबों के लिए जनकल्याण योजनाएँ चलाना।


(ii) बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देना।


(iii) निर्धन छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करना।


(iv) निर्धन वृद्ध व्यक्ति को वृद्धावस्था पेंशन प्रदान करना।


प्रश्न 2."सैद्धांतिक रूप में लोकतंत्र को अच्छा माना जाता है, परंतु व्यवहार में इसे इतना अच्छा नहीं माना जाता।" इस कथन की पुष्टि तर्क सहित कीजिए।


उत्तर- लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही सरकार का गठन करते हैं। उनसे यह उम्मीद की जाती है कि वे जनता के अनुकूल और उनकी भावनाओं के अनुरूप शासन करें। लेकिन चुने हुए प्रतिनिधि जनता की उपेक्षा करने लगते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान नहीं कर पाते। इसलिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में जन-आंदोलन भी काफी देखने को मिलते हैं क्योंकि जनता अपना असंतोष जन-आंदोलन के माध्यम से दिखाती है। इसलिए पिछले 50 वर्षों से लगातार लोकतंत्र बहुत कम ही देशों में कायम रहा है।




प्रश्न 3.भारतीय लोकतंत्र की तीन बताइए।



उत्तर-भारतीय लोकतंत्र की तीन प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं


1. सरकार का निर्माण जन-निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा होता है और वे लोगों के प्रति उत्तरदायी होते हैं।


2. राजनीतिक सत्ता की प्राप्ति के लिए एक से अधिक दलों के मध्य प्रतिस्पर्धा होती है।


3. चुनाव सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर समय-समय पर होते हैं।


प्रश्न 4. लोकतंत्रीय व्यवस्थाएँ आर्थिक असमानताओं को कम क्यों नहीं कर पाई हैं?


उत्तर- लोकतंत्रीय व्यवस्था में हम आर्थिक असमानता को बढ़ा हुआ पाते हैं। मुट्ठी भर लोग आय और संपत्ति में अपने अनुपात से बहुत ज्यादा हिस्सा पाते हैं। समाज के सबसे निचले हिस्से के लोगों को जीवन-बसर करने के लिए काफी कम साधन मिलते हैं। उनकी आमदनी गिरती जा रही है। वास्तविक जीवन में लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ आर्थिक असमानताओं को कम करने में ज्यादा सफल नहीं हो पाई हैं। हमारे मतदाताओं में गरीबों की संख्या काफी बड़ी है इसलिए कोई भी पार्टी उनके मतों से हाथ धोना नहीं चाहेगी। फिर भी लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकारें गरीबी के सवाल पर उतना ध्यान देने को तत्पर नहीं जान पड़तीं जितने की हम उनसे उम्मीद करते हैं। अनेक गरीब देशों के लोग अपनी खाद्य-आपूर्ति के लिए भी अब अमीर देशों पर निर्भर हो गए हैं।



दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 6 अंक


प्रश्न 1. भारत में लोकतांत्रिक सरकार नागरिकों की गरिमा और आजादी के लिए किस प्रकार प्रयत्नशील है?


उत्तर- व्यक्ति की गरिमा और आजादी के मामले में लोकतांत्रिक व्यवस्था किसी भी अन्य शासन-प्रणाली से काफी आगे है। प्रत्येक व्यक्ति अपने साथ के लोगों से सम्मान पाना चाहता है। अकसर टकराव तभी पैदा होते हैं जब कुछ लोगों को लगता है कि उनके साथ सम्मान का व्यवहार नहीं किया गया। गरिमा और आजादी की चाह ही लोकतंत्र का आधार है। वैसे लोकतांत्रिक सरकारें सदा नागरिकों के अधिकारों का सम्मान नहीं करतीं फिर जो समाज लंबे समय गुलाम रहे हैं उनके लिए यह अहसास करना आसान नहीं है कि सभी व्यक्ति समान हैं।


दुनिया के अधिकांश समाज पुरुष-प्रधान रहे हैं। महिलाओं के लंबे संघर्ष के बाद यह माना जाने लगा है कि महिलाओं के साथ गरिमा और समानता का व्यवहार लोकतंत्र की जरूरी शर्त है। भारत में स्वतंत्रता के तुरंत बाद महिलाओं को भी पुरुषों के समान दर्जा देते हुए सभी आर्थिक, राजनीतिक तथा सामाजिक अधिकार बिना किसी भेदभाव के दिए गए। स्त्रियों की साक्षरता सुधारने के लिए बहुत से स्कूल-कॉलेज खोले गए। पंचायतों में महिलाओं को आरक्षण दिया गया। इस प्रकार महिलाओं की गरिमा के लिए बहुत-से काम किए गए। यही बात जातिगत असमानता पर भी लागू होती है। भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था ने कमजोर और भेदभाव का शिकार हुई जातियों के लोगों को समान दर्जे और अवसर के दावे को बल दिया है। आज भी जातिगत भेदभाव और दमन के उदाहरण देखने को मिलते हैं पर इनके पक्ष में कानूनी या नैतिक बल नहीं मिलता। भारत में जातिगत भेदभाव दूर करने के लिए अस्पृश्यता कानून बनाया गया है जिसके द्वारा छुआछूत के व्यवहार का निषेध किया गया है। इसके अतिरिक्त सभी जातियों को बिना किसी भेदभाव के समान अधिकार दिए गए हैं। और पिछड़ी हुई जातियों को अपना उत्थान करने के, उन्हें और लोगों के बराबर लाने के लिए विशेषाधिकार दिए गए हैं। इस प्रकार भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था ने व्यक्ति की गरिमा और आजादी के लिए बहुत प्रयत्न किए हैं।



प्रश्न 2. लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैध सरकार का गठन करता है?


 या लोकतांत्रिक शासन प्रणाली से होने वाले कोई चार लाभ लिखिए।



उत्तर लोकतांत्रिक व्यवस्था उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैध सरकार का गठन करती है। निम्नलिखित तत्त्वों से इसे समझा जा सकता है


1. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव-सभी लोकतांत्रिक देशों में एक निश्चित अवधि के बाद चुनाव कराए जाते हैं। ये चुनाव निष्पक्ष होते हैं। सभी दल स्वतंत्र रूप से अपने उम्मीदवारों को खड़ा करते हैं और मतदाता अपनी इच्छानुसार किसी को भी चुन सकते हैं। ये प्रतिनिधि जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं और जनता की इच्छा पर्यंत अपने पद पर बने रहते हैं।


2. कानूनों पर खुली चर्चा- लोकतांत्रिक देशों में सरकार जो भी कानून बनाती है वह एक लंबी प्रक्रिया के बाद बनता है। उस पर पूरी बहस तथा विचार-विमर्श किया जाता है फिर उसे जनता के समक्ष रखा जाता है। इसलिए इस बात की संभावना होती है कि लोग उसके फैसलों को मानेंगे और वे ज्यादा प्रभावी होंगे।


3. सूचना का अधिकार - लोकतांत्रिक देशों में नागरिकों को सरकार तथा काम-काज के बारे में जानकारी पाने का अधिकार प्राप्त है। यदि कोई नागरिक यह जानना चाहे कि फैसले लेने में नियमों का पालन हुआ है या नहीं तो वह इसका पता कर सकता है। उसे यह न सिर्फ जानने का अधिकार है बल्कि उसके पास इसके साधन भी उपलब्ध हैं।


4. जवाबदेह सरकार का गठन-लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक ऐसी सरकार का गठन होता है जो कायदे-कानून को मानती है और लोगों के प्रति जवाबदेह होती है। लोकतांत्रिक सरकार नागरिकों को निर्णय प्रक्रिया में हिस्सेदार बनाने और खुद को उनके प्रति जवाबदेह बनाने वाली कार्यविधि भी विकसित कर लेती है। इस प्रकार लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था निश्चित रूप से अन्य शासनों से बेहतर है, यह वैध शासन-व्यवस्था है, इसलिए पूरी दुनिया में लोकतंत्र के विचार के प्रति समर्थन का भाव है।



प्रश्न 3. लोकतंत्र किन स्थितियों में सामाजिक विविधता को सँभालता है और उनके बीच सामंजस्य बैठाता है?



उत्तर- लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ अनेक तरह के सामाजिक विभाजनों को सँभालती हैं। इससे इन टकरावों के विस्फोटक या हिंसक रूप लेने का अंदेशा कम हो जाता है। कोई भी समाज अपने विभिन्न समूहों के बीच के टकरावों को स्थायी तौर पर खत्म नहीं कर सकता। इनके बीच बातचीत से सामंजस्य बैठाने का तरीका विकसित कर सकते हैं। सामाजिक अंतर, विभाजन और टकरावों को सँभालना निश्चित रूप से लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक बड़ा गुण है। इसके लिए लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की दो शर्तों को पूरा करना होता है


(i) लोकतंत्र का अर्थ बहुमत की राय से शासन करना नहीं है। बहुमत को सदा ही अल्पमत का ध्यान रखना होता है। उनके साथ काम करने की जरूरत होती है तभी सरकार जन-सामान्य की इच्छा का प्रतिनिधित्व कर पाती है। बहुमत और अल्पमत की राय कोई स्थायी चीज नहीं होती।


(ii) बहुमत के शासन का अर्थ धर्म, नस्ल अथवा भाषायी आधार के बहुसंख्यक समूह का शासन नहीं होता। बहुमत के शासन का मतलब होता है कि हर फैसले या चुनाव में अलग-अलग लोग और समूह बहुमत का निर्माण कर सकते हैं। लोकतंत्र तभी तक लोकतंत्र रहता है जब तक प्रत्येक नागरिक को किसी-न-किसी अवसर पर बहुमत का हिस्सा बनने का मौका मिलता है।


प्रश्न 4. भारतीय लोकतंत्र की सफलता के लिए किन्हीं चार आवश्यक दशाओं का वर्णन कीजिए।


उत्तर- भारतीय लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक चार दशाएँ निम्नलिखित हैं—


1. निष्पक्ष प्रेस–लोकतंत्र की सफलता के लिए निष्पक्ष प्रेस का होना अति आवश्यक है। प्रेस दलों और पूँजीपतियों से स्वतन्त्र होनी चाहिए, ताकि वह सच्चे समाचार दे सके। स्वस्थ जनमत-निर्माण के लिए आवश्यक है कि प्रेस ईमानदार, निष्पक्ष और संकुचित साम्प्रदायिक भावनाओं से ऊपर हो।


2. गरीबी का अन्त-लोकतंत्र की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि गरीबी का अन्त किया जाये, जनता को भरपेट भोजन मिले और मजदूरों का शोषण न हो तथा समाज में आर्थिक समानता हो।


3. राजनीतिक दलों का आर्थिक तथा राजनीतिक सिद्धान्तों पर आधारित होना–लोकतंत्र की सफलता में राजनीतिक दलों का विशेष हाथ होता है। राजनीतिक दल धर्म व जाति पर आधारित न होकर आर्थिक तथा राजनीतिक सिद्धान्तों पर आधारित होने चाहिए।


4. नागरिकों का उच्च चरित्र - लोकतंत्र की सफलता के लिए नागरिकों का चरित्र ऊँचा होना चाहिए। नागरिकों में सामाजिक एकता की भावना होनी चाहिए और उन्हें प्रत्येक समस्या पर राष्ट्रीय हित से सोचना चाहिए। उच्च चरित्र का नागरिक अपना मत नहीं बेचता और न ही झूठी बातों का प्रचार करता है। वह उन्हीं बातों तथा सिद्धान्तों का साथ देता है, जिन्हें वह ठीक समझता है।


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