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जल की उपयोगिता पर निबंध/जल ही जीवन है पर निबंध/jal hi jeevan hai par nibandh/jal ki upyogita par nibandh

 जल की उपयोगिता पर निबंध


 जल ही जीवन है पर निबंध


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रूपरेखा-(1) प्रस्तावना, (2) मानव-जीवन के लिए जल का महत्त्व, (3) स्वस्थ रहने के लिए जल का महत्त्व, (4) पेड़-पौधों के लिए जल का महत्त्व, (5) पशु-पक्षी और अन्य जीवों के लिए जल का महत्त्व।


प्रस्तावना- हमारे जीवन में जल का बहुत महत्त्व है। जल के बिना कुछ भी संभव नहीं है। जल के बिना मनुष्य के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। पृथ्वी पर जल पाया जाता है इसलिए इसे अनोखा ग्रह कहते हैं। जल के कारण ही आज मनुष्य जाति पृथ्वी पर विकसित हो सकी है। मनुष्य, पशुओं, पेड़-पौधों सभी के लिए जल आवश्यक होता है। यदि पृथ्वी से जल समाप्त हो जाए तो कोई भी जीव-जन्तु जीवित नहीं रह पाएगा क्योंकि सभी जीव-जन्तु जल का उपयोग करते हैं। यह चिंता का विषय है कि मनुष्य ने अपनी व्यावसायिक गतिविधियों के द्वारा पृथ्वी पर पाए जाने वाले जल को संकट में डाल दिया है। पृथ्वी के 78% भाग पर महासागर पाए जाते हैं जिनमें नमकीन जल मिलता है परन्तु यह पीने के योग्य नहीं होता है। पीने योग्य जल को मीठा जल या मीठा पानी कहते हैं। पृथ्वी पर मौजूद कुल जल में से 2.17 प्रतिशत जल ही पीने योग्य है।


मानव-जीवन के लिए जल का महत्त्व-मनुष्य के लिए जल बहुत महत्त्वपूर्ण है। बिना भोजन किए मनुष्य 7 दिनों तक जीवित रह सकता है पर बिना जल पिए वह 3 दिन में ही मर जाएगा। हम सभी लोगों को प्यास लगती है और प्यास बुझाने के लिए जल का सेवन करते हैं। स्वस्थ रहने के लिए एक व्यक्ति को प्रतिदिन 2 से 3 लीटर पानी का सेवन करना चाहिए। प्यास लगने पर जब पानी नहीं मिलता है तो बड़ी बेचैनी अनुभव होती है। इससे ही जल का महत्त्व पता चलता है। मनुष्य के लिए जल ही जीवन है। हमें जल का संरक्षण करना चाहिए क्योंकि पृथ्वी से जल तेजी से विलुप्त हो रहा है। मनुष्य की व्यावसायिक गतिविधियों ने आज पीने लायक जल को संकट में डाल दिया है। बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों द्वारा प्रदूषण फैलाया जा रहा है। रासायनिक कचरे को नदियों झीलों, तालाबों में बहाया जा रहा है जिससे जल दूषित हो रहा है। हमें इसे रोकने के लिए मजबूत कदम उठाने होंगे।


स्वस्थ रहने के लिए जल का महत्त्व-मनुष्य के शरीर में 65 से 80% तक जल पाया जाता है। रक्त 7%होता है। स्वस्थ रहने के लिए हमें साफ और शुद्ध जल का सेवन करना चाहिए। दूषित जल पीने से पीलिया, गैसें, संक्रामक रोग, चेचक, पेचिश, दस्त जैसी बीमारियाँ हो जाती हैं। दस्त के रोग में शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है। इसलिए ओआरएस (ORS) का घोल रोगी को दिया जाता है। जल को साफ करने के लिए उसमें ब्लीचिंग पाउडर, फिटकरी डाली जाती है। यदि जल दूषित हो तो उसे उबालना चाहिए, जिससे उसके सभी बैक्टीरिया मर जायें। जल को साफ कपड़े में छानकर पीना चाहिए।


पेड़-पौधों के लिए जल का महत्त्व-मनुष्य की तरह पेड़-पौधों को भी जल की क आवश्यकता होती है। पौधे अपनी जड़ों से जल ग्रहण करते हैं और सभी शाखाओं, पत्तियों तक जल पहुँचा देते हैं। पेड़-पौधों के तने में जल एकत्रित होता है। बिना पानी के कोई भी पेड़-पौधा विकसित नहीं होता है। पानी न मिलने पर सभी पेड़-पौधे मुरझा जाते हैं और शीघ्र ही सूख जाते हैं। हम जितनी प्रकार की सब्जियाँ और फल खाते हैं वे सभी पेड़-पौधों से प्राप्त होते हैं। मनुष्य के जीवित रहने के लिए पेड़-पौधों का जीवित रहना बहुत आवश्यक है। बिना पानी के सभी पेड़-पौधे सूख जाएँगे और कोई फसल नहीं होगी। गेहूँ, मक्का, चावल जैसी मूलभूत अनाज की खेती जल के द्वारा ही संभव हो पाती है। यदि पृथ्वी से जल ही गायब हो जाए तो कोई भी फसल नहीं हो पाएगी और मनुष्य भूखा मर जाएगा।


पशु-पक्षी और अन्य जीवों के लिए जल का महत्त्व- मनुष्य की तरह पशु-पक्षियों और अन्य जीवों को भी प्यास लगती है। गाय, भैंस, बकरी, भेड़, शेर भालू, पक्षी और दूसरे जीव भी पानी पीते हैं। यह एक ऐसी चीज है जिसके बिना कोई भी जीवित नहीं रह सकता है। कुछ ही ऐसे दुर्लभ जीव हैं जो ना के बराबर पानी का सेवन करते हैं पर अधिकतर पशु-पक्षी और जीव-जन्तु पानी का इस्तेमाल करते हैं। रेगिस्तान में पाए जाने वाले ऊँट को "रेगिस्तान का जहाज" कहते हैं क्योंकि वह एक बार में 50 लीटर तक पानी पीकर अपने शरीर में संचित कर लेता है और कई दिनों तक बिना पानी के जीवित रह सकता है।


जल संरक्षण के उपाय-जल एक कीमती संसाधन है। इसे व्यर्थ में बर्बाद नहीं करना चाहिए। सभी टंकियों को ठीक कराना चाहिए जिनसे लगातार पानी गिरता रहता है। नहाते समय बहुत अधिक पानी नष्ट नहीं करना चाहिए। आवश्यकता के अनुसार पानी इस्तेमाल करना चाहिए। वर्षा के पानी को हार्वेस्ट करना चाहिए और उसे किसी टैंक या तालाब में एकत्रित करना चाहिए। वाहनों-गाड़ियों और घर की सफाई करते समय जल बहुत अधिक नष्ट नहीं करना चाहिए। दूषित पानी को नदियों, तालाबों और जलाशयों में नहीं छोड़ना चाहिए। इससे जल दूषित होता है और उसके अंदर के मछलियाँ और दूसरे जीव-जन्तु मर जाते हैं। 



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