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कक्षा 10वी हिन्दी‘ संस्कृत खण्ड’अध्याय 05 देशभगक्त : चंद्रशेखर के गद्यांशों का सन्दर्भ सहित अनुवाद

 कक्षा 10वी हिन्दी‘ संस्कृत खण्ड’अध्याय 05 देशभगक्त : चंद्रशेखर के गद्यांशों का सन्दर्भ सहित अनुवाद

  

प्रश्न उत्तर   प्रश्न 1. चन्द्रशेखरः कः आसीत् ?   उत्तर चन्द्रशेखर: एकः प्रसिद्धः क्रान्तिकारी देशभक्तः आसीत्।   प्रश्न 2. केन कारणेन चन्द्रशेखरः न्यायालये आनीत: ?   उत्तर चन्द्रशेखर: राजद्रोहस्य आरोपे न्यायालये आनीतः।    प्रश्न 3. चन्द्रशेखर: स्वनाम किम् अकथयत् ?   उत्तर चन्द्रशेखर: स्वनाम आजादः इति अकथयत् ।    प्रश्न 4. चन्द्रशेखर: स्वपितुः नामः किम् अकथयत् ?   उत्तर चन्द्रशेखरः स्वपितुः नामः स्वतन्त्र इति अकथयत्।   प्रश्न 5. 'कारागार एवं मम गृहम्' इति कः अवदत् ? अथवा   'कारागर एव मम गृहम् कस्य वचनम् अस्ति?   उत्तर 'कारागार एव मम गृहम्' इति चन्द्रशेखरः अवदत् ।    प्रश्न 6. चन्द्रशेखर: स्वगृहम् कुत्र किम् अवदत् ?   उत्तर चन्द्रशेखर: स्वगृहम् कारागारम् अवदत् ।     प्रश्न 7. न्यायाधीश: चन्द्रशेखरं किम् अदण्डयत् ?   अथवा    न्यायाधीश: चन्द्रशेखरं कथम् अदण्डयत् ?    उत्तर न्यायाधीश: चन्द्रशेखरं पञ्चदश कशाघातान् अदण्डयत्।   प्रश्न 8. दुर्मुखः कः आसीत् ?    उत्तर दुर्मुख: चाण्डाल: आसीत्।    प्रश्न 9. कशयाताहितः चन्द्रशेखरः पुनःपुनः किम् अवदत् ?   उत्तर कशयाताड़ितः चन्द्रशेखरः पुनः पुनः 'जयतु भारतम्' इति अवदत् ।    प्रश्न 10. चन्द्रशेखरस्य रक्तबिन्दवः अग्निस्फुलिङ्गाः केषां कृते भविष्यन्ति ?   उत्तर चन्द्रशेखरस्य रक्तबिन्दवः शत्रूणां कृते अग्निस्फुलिङ्गाः भविष्यन्ति

   
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 गद्यांश 1


( स्थानम् – वाराणसीन्यायालयः, न्यायाधीशस्य पीठे एकः दुर्धर्षः पारसीक: तिष्ठति, आरक्षकाः चन्द्रशेखरं तस्य सम्मुखम् आनयन्ति। अभियोगः प्रारभते।


चन्द्रशेखरः पुष्टाङ्गः गौरवर्णः षोडशवर्षीयः किशोर: ।)


आरक्षकःश्रीमन्! अयम् अस्ति चन्द्रशेखरः। अयं राजद्रोही। गतदिने अनेनैव असहयोगिनां सभायां एकस्य आरक्षकस्य दुर्जयसिंहस्य मस्तके प्रस्तरखण्डेन प्रहारः कृतः तेन दुर्जयसिंहः आहतः।


न्यायाधीशः - (तं बालकं विस्मयेन विलोकयन्) रे बालक! तव किं नाम?




चन्द्रशेखर: - आजाद: (स्थिरीभूय) ।


न्यायाधीशः - तव पितुः किं नाम?


चन्द्रशेखर: – स्वतन्त्रः ।


न्यायाधीशः – त्वं कुत्र निवससि? तव गृहं कुत्रास्ति?



चन्द्रशेखरः  – कारागार एव मम गृहम् ।


न्यायाधीशः - (स्वगतम्) कीदृशः प्रमत्तः स्वतन्त्रतायै अयम् ? (प्रकाशम्) अतीव धृष्ट: उद्दण्डश्चायं नवयुवकः ।


अहम् इमं पञ्चदश कशाघातान् दण्डयामि।


चन्द्रशेखरः – नास्ति चिन्ता।



अथवा


न्यायाधीशः - (तं बालकं विस्मयेन विलोकयन) रे बालक! तव किं नाम ?


चन्द्रशेखरः  –आजाद: (स्थिरीभूय) ।


न्यायाधीशः – तव पितुः किं नाम?


चन्द्रशेखरः - स्वतन्त्रः।


न्यायाधीशः – त्वं कुत्र निवससि? तव गृहं कुत्रास्ति?



चन्द्रशेखरः कारागार एवं मम गृहम्।



न्यायाधीशः –(स्वगतम्) कीदृशः प्रमत्तः स्वतन्त्रतायै अयम् ?

(प्रकाशम्) अतीव धृष्टः उद्दण्डश्चार्य नवयुवकः 


अथवा


आरक्षकः – श्रीमन्! अयम् अस्ति चन्द्रशेखरः। अयं राजद्रोही। गतदिने अनेनैव असहयोगिनां सभायां एकस्य आरक्षकस्य दुर्जयसिंहस्य मस्तके प्रस्तरखण्डेन प्रहारः कृतः तेन दुर्जयसिंह आहतः ।


न्यायाधीशः – (तं बालकं विस्मयेन विलोकयन्) रे बालक! तव कि नाम?


चन्द्रशेखरः– आजाद: (स्थिरीभूय) ।


न्यायाधीशः – तव पितुः किं नाम ?


चन्द्रशेखरः – स्वतन्त्रः 


न्यायाधीशः – त्वं कुत्र निवससि ? तव गृहं कुत्रास्ति?


चन्द्रशेखरः – कारागार एव मम गृहम् ।


सन्दर्भ प्रस्तुत संस्कृत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक के 'संस्कृत खण्ड' में संकलित 'देशभक्तः चन्द्रशेखरः' नामक पाठ से लिया गया है। इस अंश में देशभक्त बालक चन्द्रशेखर की निर्भीकता का वर्णन है।


अनुवाद – (स्थान- वाराणसी न्यायालय न्यायाधीश के आसन पर एक उच्छृंखल पारसी बैठा है। सिपाही चन्द्रशेखर को उसके सामने लाते हैं। मुकदमा शुरू होता है। चन्द्रशेखर पुष्ट अंगोंवाला गोरे रंग का सोलह वर्षीय किशोर है।)


सिपाही – श्रीमान! यह चन्द्रशेखर है। यह राजद्रोही है। पिछले दिनों इसने ही असहयोगियों की सभा में एक सिपाही दुर्जनसिंह के माथे पर पत्थर के टुकड़े से प्रहार किया, जिससे दुर्जनसिंह घायल हो गया।


न्यायाधीश – (उस बालक को आश्चर्य से देखते हुए) रे बालक! तेरा क्या नाम है?


चन्द्रशेखर – आजाद (दृढ़ होकर)।


न्यायाधीश – तेरे पिता का क्या नाम है?


चंद्रशेखर – स्वतन्त्र


न्यायाधीश – तुम कहाँ रहते हो? तुम्हारा घर कहाँ है? 


चन्द्रशेखर –जेलखाना (कारागार) ही मेरा घर है। 


न्यायाधीश – (अपने आप से) यह स्वतन्त्रता के लिए कितना मतवाला है? (प्रकट रूप में) यह अत्यन्त ढीठ और उद्दण्ड नवयुवक है। मैं इसे पन्द्रह कोड़ों की सजा देता हूँ।


चन्द्रशेखर – चिन्ता नहीं है।


               



             गद्यांश 2


(ततः दृष्टिगोचरौ भवतः- कौपीनमात्रावशेषः, फलकेन दृढं बद्धः चन्द्रशेखरः, कशाहस्तेन चाण्डालेन, अनुगम्यमानः कारावासाधिकारी गण्डासिंहश्च)


गण्डासिंहः – (चाण्डालं प्रति) दुर्मुख! मम आदेशसमकालमेव कशाघातः कर्त्तव्यः । (चन्द्रशेखर प्रति) रे दुर्विनीत युवक ! लभस्व इदानीं स्वाविनयस्य फलम्। कुरु राजद्रोहम्। दुर्मुख! कशाघातः एकः (दुर्मुखः चन्द्रशेखरं कशया ताड़यति।) 



चन्द्रशेखर  –    जयतु भारतम्




गण्डासिंह: – दुर्मुख! द्वितीयः कशाघात:। (दुर्मुख: पुन: ताडयति।)ताडित: चन्द्रशेखर: पुन: पुन: "भारतं जयतु" इति वदति। (एवं स पञ्चदशकशाघातैः ताडितः ।)

यदा चन्द्रशेखर: कारागारात् मुक्त: बहिः आगच्छति, तदैव सर्वे जनाः तं परितः वेष्टयन्ति, बहवः बालकाः तस्य पादयोः पतन्ति, तं मालाभि अभिनन्दयन्ति च


चन्द्रशेखरः – किमिदं क्रियते भवद्भिः ? वयं सर्वे भारतमातुः अनन्यभक्ताः । तस्याः शत्रूणां कृते मदीया: रक्तबिन्दवः अग्निस्फुलिङ्गाः भविष्यन्ति


("जयतु भारतम्" इति उच्चैः कथयन्तः सर्वे गच्छन्ति।)



सन्दर्भ प्रस्तुत संस्कृत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक के 'संस्कृत खण्ड' में संकलित 'देशभक्तः चन्द्रशेखरः' नामक पाठ से लिया गया है। इस अंश में देशभक्त बालक चन्द्रशेखर की निर्भीकता का वर्णन है।




अनुवाद (तब लँगोट मात्र धारण किए हुए, हथकड़ी से दृढ़तापूर्वक बँधे हुए चन्द्रशेखर तथा हाथ में कोड़ा थामे हुए चाण्डाल का अनुगमन करता हुआ जेल अधिकारी गण्डासिंह दिखाई पड़ता है।)


गण्डासिंह


(चाण्डाल से) हे दुर्मुख! मेरे आदेश देते ही कोड़े लगाना। (चन्द्रशेखर से) अरे उद्धण्ड युवक! अब तू अपनी उद्घण्डता का फल प्राप्त कर (और) राजद्रोह कर! हे दुर्मुख! एक कोड़े का प्रहार करो। (दुर्मुख चन्द्रशेखर को कोड़े लगाता है।)


चन्द्रशेखर – जय भारत।



गण्डासिंह –  हे दुर्मुख! दूसरा कोड़ा (लगा)। (दुर्मुख फिर कोड़ा लगाता है।) प्रताड़ित होने पर चन्द्रशेखर बार-बार कहता है। 'जय भारत'। (इस प्रकार वह पन्द्रह कोड़ों से पीटा जाता है।) जब चन्द्रशेखर बन्दीगृह (जेल) से छूटकर बाहर आता है, तब सारे लोग उसे चारों ओर से घेर लेते हैं। बहुत से बालक उसके पैरों पर गिरते हैं तथा मालाओं से उसका स्वागत करते हैं।


चन्द्रशेखर


आप लोग यह क्या कर रहे हैं? हम सब भारत माता के परम भक्त हैं। उसके दुश्मनों हेतु हमारी रक्त की ये बूंदे आग की चिंगारियाँ होगी। ('जय भारत' ऐसा ऊँची ध्वनि में कहते हुए सब चल पड़ते हैं।)


               प्रश्न उत्तर


प्रश्न 1. चन्द्रशेखरः कः आसीत् ?


उत्तर चन्द्रशेखर: एकः प्रसिद्धः क्रान्तिकारी देशभक्तः आसीत्।


प्रश्न 2. केन कारणेन चन्द्रशेखरः न्यायालये आनीत: ?


उत्तर चन्द्रशेखर: राजद्रोहस्य आरोपे न्यायालये आनीतः। 


प्रश्न 3. चन्द्रशेखर: स्वनाम किम् अकथयत् ?


उत्तर चन्द्रशेखर: स्वनाम आजादः इति अकथयत् ।



प्रश्न 4. चन्द्रशेखर: स्वपितुः नामः किम् अकथयत् ?


उत्तर चन्द्रशेखरः स्वपितुः नामः स्वतन्त्र इति अकथयत्।


प्रश्न 5. 'कारागार एवं मम गृहम्' इति कः अवदत् ? अथवा 

'कारागर एव मम गृहम् कस्य वचनम् अस्ति?


उत्तर 'कारागार एव मम गृहम्' इति चन्द्रशेखरः अवदत् । 


प्रश्न 6. चन्द्रशेखर: स्वगृहम् कुत्र किम् अवदत् ?


उत्तर चन्द्रशेखर: स्वगृहम् कारागारम् अवदत् । 



प्रश्न 7. न्यायाधीश: चन्द्रशेखरं किम् अदण्डयत् ?


अथवा


 न्यायाधीश: चन्द्रशेखरं कथम् अदण्डयत् ?


 उत्तर न्यायाधीश: चन्द्रशेखरं पञ्चदश कशाघातान् अदण्डयत्।


प्रश्न 8. दुर्मुखः कः आसीत् ? 


उत्तर दुर्मुख: चाण्डाल: आसीत्।



प्रश्न 9. कशयाताहितः चन्द्रशेखरः पुनःपुनः किम् अवदत् ?

 उत्तर कशयाताड़ितः चन्द्रशेखरः पुनः पुनः 'जयतु भारतम्' इति अवदत् । 


प्रश्न 10. चन्द्रशेखरस्य रक्तबिन्दवः अग्निस्फुलिङ्गाः केषां कृते भविष्यन्ति ?


उत्तर चन्द्रशेखरस्य रक्तबिन्दवः शत्रूणां कृते अग्निस्फुलिङ्गाः भविष्यन्ति


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