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कोरोना वायरस समस्या और समाधान पर निबंध/essay on coronavirus in hindi

 कोरोना वायरस समस्या और समाधान पर निबंध

संक्रामक रोग का कारक: कोरोना वायरस


कोरोना वायरस पर निबंध


लॉकडाउन समस्या या समाधान


लॉकडाउन पर निबंध हिन्दी में


कोरोना वायरस और भारतीय अर्थव्यवस्था


मेरे प्रिय साहित्यकार: जयशंकर प्रसाद


मेरे प्रिय लेखक / कहानीकार/साहित्यकार


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मेरे प्रिय साहित्यकार: जयशंकर प्रसाद


मेरे प्रिय लेखक / कहानीकार/साहित्यकार




प्रमुख विचार-बिन्द (1) प्रस्तावना, (2) साहित्यकार का परिचय, (3) साहित्यकार की साहित्य-सम्पदा, (4) छायावाद के श्रेष्ठ कवि, श्रेष्ठ (5) गद्यकार, (6) उपसंहार।


प्रस्तावना - संसार में सबकी अपनी-अपनी रुचि होती है। किसी व्यक्ति की रुचि चित्रकारी में है तो किसी की संगीत में। किसी की रुचि खेलकूद में है तो किसी की साहित्य में। मेरी अपनी रुचि भी साहित्य में रही है। साहित्य प्रत्येक देश और प्रत्येक काल में इतना अधिक रचा गया है कि उन सबका पारायण तो एक जन्म में सम्भव ही नहीं है। फिर साहित्य में भी अनेक विधाएँ हैं— कविता, उपन्यास, नाटक, कहानी, निबन्ध आदि। अतः मैंने सर्वप्रथम हिन्दी-साहित्य का 106


यथाशक्ति अधिकाधिक अध्ययन करने का निश्चय किया और अब तक जितना अध्ययन हो पाया है, उसके आधार पर मेरे सर्वाधिक प्रिय साहित्यकार हैं- जयशंकर प्रसाद प्रसाद जी केवल कवि ही नहीं, नाटककार, उपन्यासकार, कहानीकार और निबन्धकार भी हैं। प्रसाद जी ने हिन्दी-साहित्य में भाव और कला, अनुभूति और अभिव्यक्ति, वस्तु और शिल्प सभी क्षेत्रों में युगान्तरकारी परिवर्तन किये हैं। उन्होंने हिन्दी भाषा को एक नवीन अभिव्यंजना-शक्ति प्रदान की है। इन सबने मुझे उनका प्रशंसक बना दिया है और वे मेरे प्रिय साहित्यकार बन गये हैं।


साहित्यकार का परिचय-श्री जयशंकर प्रसाद जी का जन्म सन् 1889 ई० में काशी के प्रसिद्ध सुँघनी साहू परिवार में हुआ था। आपके पिता नाम श्री बाबू देवी प्रसाद था। लगभग 11 वर्ष की अवस्था में ही जयशंकर प्रसाद ने काव्य-रचना आरम्भ कर दी थी। सत्रह वर्ष की अवस्था तक इनके ऊपर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा। इनके पिता, माता व बड़े भाई का देहान्त हो गया और परिवार का समस्त उत्तरदायित्व इनके सुकुमार कन्धों पर आ गया। गुरुतर उत्तरदायित्वों का निर्वाह करते हुए एवं अनेकानेक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों की रचना करने के उपरान्त 15 नवम्बर, 1937 ई० को आपका देहावसान हुआ। 48 वर्ष के छोटे-से जीवन में इन्होंने जो बड़े-बड़े काम किये, उनकी कथा सचमुच अकथनीय है।


साहित्यकार की साहित्य सम्पदा– प्रसाद जी की रचनाएँ सन् 1907-08 ई० में सामयिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगी थीं। ये रचनाएँ ब्रजभाषा की पुरानी शैली में थीं, जिनका संग्रह 'चित्राधार' में हुआ। सन् 1913 ई० में ये खड़ी बोली में लिखने लगे। प्रसाद जी ने पद्य और गद्य दोनों में साधिकार रचनाएँ कीं। इनका वर्गीकरण इस प्रकार है


1. काव्य– कानन कुसुम, प्रेम पथिक, महाराणा का महत्त्व, झरना, ह आँसू, लहर और कामायनी (महाकाव्य)


2. नाटक -इन्होंने कुल मिलाकर 13 नाटक लिखे। इनके प्रसिद्ध नाटक हैं— चन्द्रगुप्त, स्कन्दगुप्त, अजातशत्रु, जनमेजय का नागयज्ञ, कामना और ध्रुवस्वामिनी ।


3. उपन्यास–कंकाल, तितली और इरावती


4. कहानी–प्रसाद की विविध कहानियों के पाँच संग्रह हैं—छाया ,प्रतिध्वनि, आकाशदीप, आँधी और इन्द्रजाल।


5. निबन्ध–प्रसाद जी ने साहित्य के विविध विषयों से सम्बन्धित निबन्ध वि लिखे, जिनका संग्रह है-काव्य और कला तथा अन्य निबन्ध | 


छायावाद के श्रेष्ठ कवि–छायावाद हिन्दी कविता के क्षेत्र का एक आन्दोलन है जिसकी अवधि सन् 1920-1936 ई० तक मानी जाती है। 'प्रसाद' जी छायावाद के जन्मदाता माने जाते हैं। छायावाद एक आदर्शवादी काव्यधारा है, जिसमें प्र वैयक्तिकता, रहस्यात्मकता, प्रेम, सौन्दर्य तथा स्वच्छन्दतावाद की सबल अभिव्यक्ति हुई है। प्रसाद की 'आँसू' नाम की कृति के साथ हिन्दी में छायावाद का जन्म हुआ। आँसू का प्रतिपाद्य है-विप्रलम्भ शृंगार। प्रियतम के वियोग की । पीड़ा वियोग के समय आँसू बनकर वर्षा की भाँति उमड़ पड़ती है—


जो घनीभूत पीड़ा थी, स्मृति सी नभ में छायी। दुर्दिन में आँसू बनकर, वह आज बरसने आयी ।।


प्रसाद के काव्य में छायावाद अपने पूर्ण उत्कर्ष पर दिखाई देता है । यथा- सौन्दर्य-निरूपण एवं शृंगार भावना, प्रकृति-प्रेम, मानवतावाद, प्रेम भावना, आत्माभिव्यक्ति, प्रकृति पर चेतना का आरोप, वेदना और निराशा का स्वर, देश-प्रेम की अभिव्यक्ति, नारी के सौन्दर्य का वर्णन, तत्त्व-चिन्तन, आधुनिक बौद्धिकता, कल्पना का प्राचुर्य तथा रहस्यवाद की मार्मिक अभिव्यक्ति। अन्यत्र इंगित छायावाद की कलागत विशेषताएँ अपने उत्कृष्ट रूप में इनके काव्य में उभरी हुई दिखाई देती हैं।


‘आँसू' मानवीय विरह का एक प्रबन्ध काव्य है। इसमें स्मृतिजन्य मनोदशा एवं प्रियतम के अलौकिक रूप-सौन्दर्य का मार्मिक वर्णन किया गया है। 'लहर' आत्मपरक प्रगीत मुक्तक है, जिसमें कई प्रकार की कविताओं का संग्रह है। प्रकृति के रमणीय पक्ष को लेकर सुन्दर और मधुर रूपकमय यह गीत 'लहर' से संगृहीत है


बीती विभावरी जाग री ।


अम्बर-पनघट में डुबो रही


तारा-घट ऊषा नागरी ।


 'प्रसाद' की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण रचना है-कामायनी महाकाव्य, जिसमें प्रतीकात्मक शैली पर मानव- चेतना के विकास का काव्यमय निरूपण किया गया है। आचार्य शुक्ल के शब्दों में, "यह काव्य बड़ी विशद कल्पनाओं और मार्मिक उक्तियों से पूर्ण है। इसके विचारात्मक आधार के अनुसार श्रद्धा या रागात्मिका वृत्ति ही मनुष्य को इस जीवन में शान्तिमय आनन्द का अनुभव कराती है। वही उसे आनन्द-धाम तक पहुँचाती है, जब कि इड़ा या बुद्धि आनन्द से दूर भगाती है।” अन्त में कवि ने इच्छा, कर्म और ज्ञान तीनों के सामंजस्य पर बल दिया है; यथा


ज्ञान दूर कुछ क्रिया भिन्न है, इच्छा पूरी क्यों हो मन की ? एक दूसरे से मिल न सके, यह विडम्बना जीवन की।


श्रेष्ठ गद्यकार– गद्यकार प्रसाद की सर्वाधिक ख्याति नाटककार के रूप में है। उन्होंने गुप्तकालीन भारत को आधुनिक परिवेश में प्रस्तुत करके गांधीवादी अहिंसामूलक देशभक्ति का सन्देश दिया है। साथ ही अपने समय के सामाजिक आन्दोलनों का सफल चित्रण किया है। नारी की स्वतन्त्रता एवं महिमा पर उन्होंने सर्वाधिक बल दिया है। उनके प्रत्येक नाटक का संचालन सूत्र किसी नारी पात्र के ही हाथ में रहता है। उपन्यास और कहानियों में भी सामाजिक भावना का प्राधान्य है। उनमें दाम्पत्य-प्रेम के आदर्श रूप का चित्रण किया गया है। उनके निबन्ध विचारात्मक एवं चिन्तनप्रधान हैं, जिनके माध्यम से प्रसाद ने काव्य और काव्य-रूपों के विषय में अपने विचार प्रस्तुत किये हैं।


उपसंहार—पद्य और गद्य की सभी रचनाओं में इनकी भाषा संस्कृतनिष्ठ एवं परिमार्जित हिन्दी है। इनकी शैली आलंकारिक एवं साहित्यिक है। कहने की आवश्यकता नहीं है कि इनकी गद्य-रचनाओं में भी इनका छायावादी कवि हृदय झाँकता हुआ दिखाई देता है। मानवीय भावों और आदर्शों में उदारवृत्ति का सृजन विश्व-कल्याण के प्रति इनकी विशाल हृदयता का सूचक है। हिन्दी-साहित्य के लिए प्रसाद जी की यह बहुत बड़ी देन है। 'प्रसाद' की रचनाओं में छायावाद पूर्ण प्रौढ़ता, शालीनता, गुरुता और गम्भीरता को प्राप्त दिखाई देता है। अपनी विशिष्ट कल्पना शक्ति, मौलिक अनुभूति एवं नूतन अभिव्यक्ति पद्धति के फलस्वरूप प्रसाद हिन्दी साहित्य में मूर्धन्य स्थान पर प्रतिष्ठित हैं। समग्रतः यह कहा जा सकता है कि प्रसाद जी का साहित्यिक व्यक्तित्व बहुत महान् है जिस कारण वे मेरे सर्वाधिक प्रिय साहित्यकार रहे हैं।



2.


कोरोना वायरस समस्या और समाधान पर निबंध


संक्रामक रोग का कारक: कोरोना वायरस


कोरोना वायरस पर निबंध 



प्रमुख विचार-बिन्दु - (1) प्रस्तावना, (2) कोरोना कैसे फैलता है, (3) कोरोना वायरस के लक्षण, (4) कोरोना वायरस से बचने के कुछ उपाय, (5) कोरोना | वायरस का चीन पर पहला वार, (6) कोरोना वायरस से निपटने के लिए खोज, (7) लॉकडाउन की भारत ने की पहली पहल (8) उपसंहार।


प्रस्तावना - कोरोना वायरस कहाँ से आया, कैसे आया हमें पता ही नहीं चला। लेकिन समाचार की दृष्टि से यह कोरोना वायरस चीन के वुहान राज्य से फैला। कहा जाता है कि चीन के वुहान राज्य के समुद्री-खाद्य बाजार अर्थात् पशु मार्किट से निकलकर चीन के कई राज्यों में फैला और देखते-ही-देखते इसने लाखों लोगों की जिंदगी से खेलना शुरू कर दिया। इस कोरोना वायरस ने 180 देशों को और अनेक राज्यों को अपने चपेट में ले लिया। अभी तक दिसम्बर, में 2019 चीन में पहली कोरोना वायरस से मौत की पुष्टि हुई है। इस वायरस ने लगभग दो लाख लोगों की जान ली है। 7 जनवरी, 2020 को चीन ने वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन को नए वायरस 'कोरोना वायरस (Covid 19)' के बारे में जानकारी दी।


कोरोना कैसे फैलता है- कोरोना वायरस संक्रमित मरीज के छींकने से इसके आस-पास के लोगों तक तेजी से फैलता है। किसी कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के थूक को सतह पर छूने से और फिर, अपने मुँह, चेहरे, नाक को हाथ लगाने से फैलता है। यह कोरोना वायरस यात्रा कर रहे किसी संक्रमित व्यक्ति के कारण तेजी से फैल सकता है। इतना ही नहीं हवाई जहाज की सीट पर यह कई घंटों तक जिन्दा रहकर स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। कहा जा सकता है कि एक कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति हजारों लोगों को संक्रमित कर सकता है। कोरोना वायरस मनुष्य के शरीर में बिना कोई लक्षण दिखाए 14 दिनों तक एक्टिव रह सकता है।


कोरोना वायरस के लक्षण- तेज बुखार, गले में दर्द, खत्म न होने वाली खाँसी और साँस लेने में तकलीफ होती है। अंत में यह फेफड़ों को कमजोर बना देता है, जिससे मरीज को साँस लेने में कठिनाई होती है। यह शरीर के दूसरे अंगों को भी नाकाम कर देता है, जिससे मरीज की मृत्यु हो जाती है।


कोरोना वायरस से बचने के कुछ उपाय- अपने आपको कोरोना वायरस से मुक्त रखने के लिए हमें 20 सेकेंड तक बार-बार अपने हाथ धोने चाहिए। हम चाहें तो हैंड सैनेटाइजर का प्रयोग कर सकते हैं। हमेशा घर से बाहर निकलते समय मुँह पर मास्क पहनकर निकलें और घर आकर मास्क को साफ कर लें। छींकते समय अपने मुँह को कोहनी से अथवा टिश्यू पेपर से ढक लें और टिश्यू पेपर को कूड़ेदान में फेंक दें। अगर कोई इंसान बाहर से सफर करके आया हो, तो दो हफ्ते तक अपने आप घर पर रहें और लोगों से दूरी बनाए रखें, इससे संक्रमण का खतरा कम होगा। इस समय सामजिक दूरी बनाए रखना सबसे बेहतर उपाय माना जा रहा है। तकरीबन इस संकट की घड़ी में सभी देशों ने लॉकडाउन करने का फैसला कर दिया और उसे शीघ्र ही लागू कर दिया, जो इस समय सही उपाय है।


कोरोना वायरस का चीन पर पहला वार- 11 जनवरी, 2020 को चीन ने 61 वर्षीय आदमी की मौत की जानकारी दी, जिसने वुहान के पशु बाजार से सामान खरीदा था। दिल का दौड़ा पड़ने से उसकी मृत्यु हो गई। 16 जनवरी को एक दूसरी मौत की खबर आई। इसी तरह देखते ही देखते नेपाल, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, ताइवान, अमेरिका, भारत, इटली आदि देशों को अपने पंजों में जकड़ लिया।


चीन ने जनवरी के आखिरी दिनों में यह दावा किया कि यह एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में फैलता है, जोकि काफी भयानक है, लेकिन बहुत देर हो गई थी। पूरा विश्व इसकी चपेट में आ चुका था और फिर संक्रमित लोगों तथा मृत्यु के मुख में जाने वालों की संख्या लाखो-हजारों में आ चुकी है। 11 मार्च, 2020 को वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने कोरोना वायरस को एक भयानक महामारी घोषित कर दिया।


कोरोना वायरस से निपटने के लिए खोज – पूरी दुनिया कोरोना वायरस से निपटने के लिए वैक्सीन की खोज में जुट गई है, लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। दुनिया भर के वैज्ञानिक, डॉक्टर्स इसकी खोज के लिए दिन-रात लगे हुए हैं। इसमें आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक आदि संस्थाएँ भी प्रयत्नशील हैं।


लॉकडाउन की भारत ने की पहली पहल-21 मार्च को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की समस्त विद्वज्जन और वरिष्ठ जनता ने एक साथ मिल-जुलकर भारत में लॉकडाउन कर दिया। जिसके चलते अब तक चार बार यही निर्णय किया गया और जनता ने इसे अपना और अपने देश का हित मानते हुए इसका पालन किया। सारे देश में धारा 144 लगा दी गई। दुकानें, दफ्तर, स्कूल, रेस्टोरेंट, होटल सब बन्द कर दिए गए, ताकि इस महामारी से छुटकारा मिल जाए। परिणाम काफी हद तक सफल रहा। सामाजिक दूरी बनाए रखने के कारण संक्रमित लोगों और मृत्युदर में कमी आई। किन्तु खेद है, जैसे किसी भी जगह की स्वच्छता में जिस प्रकार कुछ लोग बाधक बन जाते हैं, जैसे सत्य की खोज में कुछ अज्ञानी अपना ज्ञान बाँटने लगते हैं, जैसे किसी संस्थान में आग लग जाने के बाद कुछ लोग हाथ तापने लगते हैं, वैसे ही कुछ साम्प्रदायिक और राजनीति का रोना रोने वाले राजनेता अपने भड़काऊ भाषणों से, अपने कुकर्मों से भोली जनता को बहकाने से बाज नहीं आते। ऐसे लोग 'हम तो डूबेंगे सनम लेकर तुमको भी डूबेगे' वाली कहावत को चरितार्थ करते हैं। ऐसे लोगों से बचना ही श्रेयष्कर है, क्योंकि कँटीली झाड़ियों को कोई अपने घर की शोभा नहीं बनाता।


उपसंहार – देखा जा रहा है, जहाँ मरीजों का इलाज चल रहा है वहाँ हर चीज में कोरोना वायरस का प्रकोप है। कोरोना वायरस बहुत समय तक हवा में और कपड़ों में कई घंटों तक जीवित रह सकता है। भारत की जनता को चाहिए कि वह कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकार द्वारा दी गईं हिदायतों से अपनी एवं अपने परिवार की रक्षा करे। साथ ही असमाजिक दुष्प्रभाव फैलाने वाले लोगों और उनके मोबाइल संदेशों एवं भाषण से दूर रहें। वे सभी इस कोरोना वायरस से भी अधिक खतरनाक और हानिकारक वायरस हैं।





3.


 लॉकडाउन समस्या या समाधान


लॉकडाउन पर निबंध हिन्दी में




प्रमुख विचार-बिन्द- (1) प्रस्तावना, (2) लॉकडाउन के लाभ (3) लॉकडाउन से हानि, (4) उपसंहार।




प्रस्तावना-लॉकडाउन यह मानवजाति के इतिहास में पहली बार है, जहाँ पूरे ने देश में धारा 144 के तहत सबको घर में रहने की सलाह दी गई है। यह इसलिए किया गया; क्योंकि एक ऐसे जानलेवा वायरस ने हमला बोल दिया कि पूरी दुनिया में लाखों लोग की जान चली गई है और अब भी संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। कोरोना वायरस से बचने का सिर्फ एक ही उपाय है, सामाजिक दूरी। यह संक्रमण एक इंसान से दूसरे इंसान में तेजी से फैलता है। भारत सरकार ने हिदायत दी है कि हम पर्सनल और प्रोफेशनल रिश्ते से हर संभव दूरी बनाए रखें, तभी हमें इस वायरस से मुक्ति मिल सकती है। भारत के सभी राज्यों में लोग घर पर रहकर सरकार के निर्देशों का पालन कर रहे हैं।




लॉकडाउन के लाभ- रोजमर्रा की जिंदगी में हम कार्यालय के कार्यों में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हमें अपने परिवार के साथ वक्त बिताने का मौका नहीं मिलता। पहले 21 दिनों के लॉकडाउन में हमें वे बहतरीन पल मिले जिसमें अपने 1 प्रियजनों के साथ वक्त व्यतीत किया। जहाँ कुछ लोगों ने यूट्यूब से वीडियो देखकर भोजन बनाना सीखा। कुछ लोगों ने घर पर परिवार संग अंत्याक्षरी खेला, कुछ ने मशहूर चलचित्र और बेव-सेसिस देखा। कुछ लोगों को; जिन्हें अपने बच्चों के साथ वक्त बिताने का अवसर नहीं मिलता था, लॉकडाउन के कारण यह सुअवसर प्राप्त हुआ। बच्चों के साथ वीडियो गेम्स, कैरम जैसे खेलों का आनन्द लिया। विद्यालय में छुट्टी होने के कारण घर बैठकर शिक्षकों ने ऑनलाइन क्लासेज का सहारा लिया ताकि विद्यार्थियों की शिक्षा में कोई रुकावट नहीं आए।


लोगों को लॉकडाउन के इन कुछ दिनों में अपने दिल में दबे शौक पूरा करने का मौका मिला। आम आदमी से लेकर बड़े-बड़े सेलेब्रिटीज ने इसका फायदा उठाया। किसी ने कोई वाद्य यन्त्र बजाना सीखा, किसी ने नृत्य सीखा और अभ्यास किया जो दैनिक जीवन में असम्भव है।


लॉकडाउन रहने के कारण कोरोना वायरस के मरीजों में गिरावट आई और संक्रमण फैलने का खतरा कम हुआ। हमारे रोजमर्रा की जिंदगी की चीजों में कमी न हो इसलिए किराने के सामान, फल, सब्जी और दवाइयाँ बाजार में उपलब्ध रहीं। लॉकडाउन से बड़े-बड़े कारखानों और वाहनों का चलना निषेध हो गया, जिसके कारण प्रदूषण की कमी आई। कल-कारखानों का कचरा जो बाहर नदी आदि के जल में प्रवाहित कर दिया जाता था, उस पर रोक लग गई। में स्वच्छन्द अब वायु प्रदूषण में नियन्त्रण आ चुका है, साथ ही जल और ध्वनि प्रदूषण में भी गिरावट आई है, जो प्रकृति के लिए लाभदायक है। परिंदे आकाश रूप से सैर कर रहे हैं। वायु पहले के मुकाबले शुद्ध हो गई है। आकाश का रंग नीला है जिसके रंग को हम भूल गए थे। लॉकडाउन के कारण प्रदूषित वातावरण हर प्रकार से शुद्ध हो गया है।


लॉकडाउन से हानि– बड़े-बड़े कार्यालय, कल-कारखानों को बन्द करने के कारण मजदूरों पर आफत आ गई है। जो मजदूर दैनिक मजदूरी पर जीवन-यापन करते थे, उनके घरों का चूल्हा तक जलना बन्द हो गया। बस्ती में लोग भूखे सो रहे हैं। गरीब घरों पर लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर पड़ा है। उनके पास घर लौटने तक पैसे नहीं हैं। देश में ऐसी परिस्थिति के कारण को समझते हुए देश की सरकार ने प्रधानमंत्री राहत कोष से जरूरतमंद लोगों की सहायता करने का निर्णय लिया। बहुत सारे लोगों ने भी आगे आकर मदद करना आरम्भ कर दिया। लगभग सभी देशों के कारोबार को भारी क्षति हुई है।


बड़े-बड़े कारखानों को बन्द करने के कारण से उनको भयानक हानि सहन करनी पड़ रही है। बाकी व्यवसायियों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। लॉकडाउन से भारत को अनुमानत: 100 अरब डॉलर तक घाटा होने की आशंका है। कोरोना वायरस से 14 अप्रैल तक देश में लॉकडाउन रखना चाहती थी किन्तु अब 31 मई तक क्रमश: चार चरणों में लॉकडाउन की व्यवस्था की गई है।


भारत में लॉकडाउन के कारण घर में रहते हुए लोगों को मानसिक समस्या हो सकती है। इससे छोटे बच्चों को काफ़ी समस्या हुई है। वे बाहर खेलने-कूदने में असमर्थ हैं। कई लोग डिप्रेशन का शिकार भी हो सकते हैं। इन सबसे बचने के लिए एक उपाय यह है कि अपने आपको ज्यादा-से-ज्यादा कामकाजों में लगाए रखें, जिससे यह सब ख्याल हमारे मस्तिष्क में न आएँ।


उपसंहार – भारत में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना के प्रकोप को नियन्त्रण करने के लिए 14 अप्रैल तक पूरी तरह से लॉकडाउन की घोषणा की थी लेकिन संक्रमण को बढ़ते हुए देखकर चार चरणों में 31 मई तक बढ़ा दी है। इनके निर्देशों का पालन करना हमारा कर्त्तव्य है, ताकि शीघ्रातिशीघ्र इस जानलेवा महामारी से मुक्ति मिल सके। तभी हम और हमारी सरकार सामान्य जीवन व्यतीत कर पाएँगे। जिंदगी से बढ़कर कोई चीज नहीं होती, घर पर रहकर ही हम इस महामारी पर नियन्त्रण कर सकते हैं।



4.


कोरोना वायरस और भारतीय अर्थव्यवस्था


प्रमुख विचार-बिन्दु-(1) प्रस्तावना, (2) अर्थव्यवस्था के लिए कुछ | पूर्वानुमान, (3) टीके के जरिये प्रतिरोधक क्षमता विकसित करना, (4) चीन और | अमेरिका की अर्थव्यवस्थाओं में संकुचन का प्रभाव, (5) भारत की स्थिति, (6) प्राकृतिक आपदा में चुनौती देता भारत, (7) उपसंहार।


प्रस्तावना-कोरोना वायरस महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ गई है। दुनिया भर के कई देशों में लॉकडाउन लागू हुआ, जिसकी बुरी मार अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ी है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने बताया है कि यह मंदी अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट के कारण 2009 में आई मंदी के मुकाबले बदतर होगी। हालाँकि निर्यात पर कम निर्भरता और सामाजिक दूरी के उपायों को शीघ्रता से लागू करने के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन शायद कुछ अन्य विकासशील देशों की तुलना में अच्छा रहे।


अर्थव्यवस्था के लिए कुछ पूर्वानुमान-सर्वप्रथम हमें मौजूदा दौर में अर्थव्यवस्था के बारे में की जाने वाली भविष्यवाणियों की सीमाओं को समझना चाहिए। अर्थशास्त्रियों की स्थिति में त्वरित सुधार की उम्मीद बहुत कम दिखती है और उन्हें लगता है कि मंदी का असर लंबे समय तक रह सकता है। यद्यपि उनके पूर्वानुमान अलग-अलग हैं, जो नोवेल कोरोना वायरस के प्रसार की वास्तविक स्थिति पर निर्भर करेंगे; जैसे आई०एम०एफ० के विशेषज्ञों का अनुमान है कि अर्थव्यवस्था 2021 तक वापस सँभल सकेगी अथवा उसकी रिकवरी हो सकेगी, बशर्ते दुनिया के देशों को कोरोना वायरस पर काबू पाने तथा दिवालियेपन और छँटनियों को रोकने में सफलता मिलती हो। उम्मीद की जा रही है कि बी०सी०जी० जैसे वर्तमान में प्रयुक्त टीकों में से कोई हमें कोरोना वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता दे सकेगा। साथ ही अन्य बीमारियों के लिए काम आने वाली 69 दवाओं से भी उम्मीद लगाई जा रही है।


टीके के जरिये प्रतिरोधक क्षमता विकसित करना-इस समय दुनिया भर का वैज्ञानिक समुदाय कोरोना वायरस पर नियन्त्रण के उपायों को लेकर अनुसंधान में जुटा है, लेकिन आमतौर पर इस बात पर सहमति है कि टीके के विकास में 12 से 18 महीने लग सकते हैं। ब्रिटिश जैसे देशों ने 'नियन्त्रण' की रणनीति अपनाकर वायरस के फैलाव की गति को कम करते हुए आबादी में सामूहिक प्रतिरक्षा विकसित करने की कोशिश की, किन्तु जल्दी ही उनकी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संक्रमण के मामलों को सँभालना कठिन होने लगा और उन्हें यह रणनीति छोड़नी पड़ी। वही कई देशों में इस समय जारी वायरस के दमन की रणनीति के तहत आबादी के बड़े हिस्से में सामूहिक प्रतिरक्षा क्षमता विकसित नहीं हो सकेगी, क्योंकि प्रयास अधिकतम लोगों को वायरस से बचाने पर केन्द्रित है।


कोई टीका न होने के कारण से जब लॉकडाउन हटेगा तो नए मामले सामने आ सकते हैं क्योंकि वायरस श्रृंखला पूर्णतः टूटने की संभावना नहीं है। सरल गणितीय मॉडलों के अनुसार, यदि लॉकडाउन हटता है तो 100 में से 80. व्यक्तियों के स्वस्थ और प्रतिरोधी रहने की संभावना है। जो बाकी 20 लोग बीमार पड़ेगे, उनमें से पाँच को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ सकती है। इसके परिणामस्वरूप अधिकतम रोगियों वाली स्थिति में सुधार से स्वास्थ्य सेवा पर सराहनीय स्तर का ही दवाब पड़ेगा और रोगियों की देखभाल भी की जा सकेगी।


संभव है वायरस निष्क्रिय होकर हमारे बीच मौजूद रहे और मौसम विशेष में पुनः सक्रिय हो। इसलिए दीर्घावधि में यह महत्त्वपूर्ण है कि आबादी में इसके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो। इसलिए अनेक चरणों में लॉकडाउन लागू करना आवश्यक हो सकता है। इसके अतिरिक्त सभी देशों में वायरस का एक जैसा प्रसार नहीं है, इसलिए वैश्विक व्यापार और यात्रा को लेकर समन्वय की आवश्यकता होगी।


चीन और अमेरिका की अर्थव्यवस्थाओं में संकुचन का प्रभाव-वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास में सर्वाधिक योगदान करने वाले देशों में से एक चीन पी० में संकुचन तय है और अब अमेरिका में कोरोना वायरस के तेज की जी०डी० फैलाव के मद्देनजर उसकी अर्थव्यवस्था में भी संकुचन दिखेगा।


चीनी अर्थव्यवस्था के आरम्भिक संकुचन के अनुमानों में आपूर्ति श्रृंखलाओं और उत्पादन में व्यवधान जैसे कारकों को शामिल किया गया है। अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप जैसी अर्थव्यवस्थाओं में लॉकडाउन और चीनी निर्यात के ऑर्डरों के रद्द होने की आशंका को देखते हुए संकुचन कहीं अधिक व्यापक हो सकता है। वर्तमान समय में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में अभूतपूर्व व्यवधान आने की आशंका है। लॉकडाउन के वर्तमान स्तरों पर वैश्विक जी०डी०पी० में 15% तक संकुचन हो सकता है। अधिकांश अर्थशास्त्रियों को भारी अनिश्चितता की वर्तमान स्थियों के तहत माँग और पूर्ति के एक-दूसरे पर पड़ने वाले दबावों की चिन्ता है।


लॉकडाउन के कारण व्यवसायों को अपनी सेवाओं के लिए उपभोक्ता नहीं मिलता है— जो आरम्भ में पूर्ति संबंधी झटका साबित हो सकता है। जैसे-जैसे श्रमिकों और उद्यमियों की आय घटने लगती है, उनकी तरफ से माँग की कमी हो जाती है और माँग में इस कमी से और भी बड़ी संख्या में व्यवसायियों की आय कम होती है और यह चक्र जारी रहता है। कई अर्थशास्त्रियों को लगता है कि जी०डी०पी० पर माँग में कमी का असर पूर्ति संबंधी झटके के मुकाबले अधिक नहीं दिखेगा।


यदि लॉकडाउन के कारण एक महीने में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में 50% की गिरावट होती है और उसके बाद के दो महीनों में सीमित आर्थिक गतिविधियों के कारण अतिरिक्त 2596 की कमी होती है, तो जी०डी०पी० में 10% की कमी आएगी। इस समय स्वास्थ्य और जिन्दगी सर्वोच्च प्राथमिकताएँ हैं और सामाजिक दूरी रखना सबसे कारगर उपाय है। भले ही अर्थव्यवस्था पर इसका विपरीत असर पड़ता हो।


भारत की स्थिति-यद्यपि भारत को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा किन्तु भारतीय अर्थव्यवस्था शायद उन विकासशील देशों की तुलना में अच्छी रहे, जो विश्व व्यापार पर पूरी तरह निर्भर हैं। निर्यात पर कम निर्भरता का मतलब है – विश्व व्यापार में गिरावट का सीमित प्रभाव। इस तथ्य और हमारे सबसे बड़े आयात कच्चे तेल की कम कीमत के मद्देनजर संभव है कि हमारी अर्थव्यवस्था बाह्य झटके से बच जाए।



जहाँ तक नीति की बात है तो भारत ने महामारी के प्रसार के शुरुआती दिनों में ही लॉकडाउन घोषित कर दिया था। इससे कोविड-19 के मरीजों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को तैयार करने में हमें अतिरिक्त समय मिल गया। साथ ही हमें दुनिया भर में वैज्ञानिकों द्वारा दिए जा रहे अध्ययनों का भी लाभ मिला है।


प्राकृतिक आपदा में चुनौती देता भारत-भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद भले ही कृषि क्षेत्र हो, लेकिन वर्तमान समय में भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास के पीछे मध्यमवर्गीय एवं निम्नवर्गीय लोगों का बड़ा हाथ है। यही कारण है कि भारत को एक 'मिडिल इन्कम ग्रुप की अर्थव्यवस्था' के रूप में परिभाषित किया जाता है। कोविड-19 के जारी वैश्विक संकट के बीच भारतीय परिदृश्य में आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे अधिक चर्चा दो पहलुओं पर रही है। पहला, भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी कमजोर आबादी अर्थात् किसान, असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर, दैनिक मजदूरी के लिए शहरों में पलायन करने वाले मजदूर और शहरों में सड़क के किनारे छोटा-मोटा व्यापार करके आजीविका चलाने वाले लोग। दूसरा, भारतीय अर्थव्यवस्था में उत्पादन करने वाले अर्थात् वह क्षेत्र जो इस देश में पूँजी तथा गैर-पूँजी वस्तुओं का उत्पादन करता है।


दुनिया भर की सरकारें इन दोनों ही पहलुओं पर काम कर रही हैं। सरकारों ने अपने ही देश में स्थिति से निपटने के लिए बड़े राहत पैकेज का ऐलान किया है। सरकार ने पहले चरण में जो पैकेज जारी किया है वह पूरी तरह से कमजोर तथा असंगठित क्षेत्र के लोगों की समस्याओं के निवारण के लिए है। कोरोना वायरस के कारण से आए आर्थिक संकट से जूझ रहे इस तबके के लिए सरकार ने 1.7 लाख करोड़ रुपये का पैकेज जारी किया है।


वैश्विक स्तर पर अमेरिका ने सबसे बड़ा आर्थिक पैकेज अपनी अर्थव्यवस्था के लिए जारी किया है। अमेरिका ने करीब 30 करोड़ लोगों के लिए 2 ट्रिलियन डॉलर अर्थात् कुल 151 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज जारी किया है। यह भारत के कुल बजट के लगभग 5 गुना अधिक है। यह अमेरिका की पूरी अर्थव्यवस्था के लिए है।


केन्द्र तथा राज्य सरकारों द्वारा जारी हो रहे राहत पैकेज के बीच में इस प्रमुख बिन्दु पर विशेष ध्यान दिया गया। मध्यमवगीय लोगों को चर्चा का बिन्दु इसलिए जरूरी है कि अर्थव्यवस्था में जारी हर संकट के बीच मध्यम वर्ग सबसे अधिक कमजोर होता है, सरकार द्वारा जारी होने वाले राहत पैकेज में यह वर्ग शामिल नही हो पाता है। भारत ने अपने इस वर्ग के लोगों के लिए 20 लाख करोड़ रुपये का ऐलान किया है।


उपसंहार – भारत हमेशा से परिस्थितियों से जूझने वाला राष्ट्र रहा है। परिस्थितियों को उसने अपनी कार्य-क्षमता को आगे बढ़ाने का हथियार समझा है। उसने अपने बल पर विश्वगुरु होने का सौभाग्य प्राप्त किया है और स्वयं को समृद्ध बनाया है। वह परिस्थितियों का दास नही है। अब वह प्रधानमंत्री की स्वदेशी योजना के अन्तर्गत कार्य करता हुआ बहुत ही कम समय में विकास के शिखर पर चढ़ने का प्रयास करता हुआ विकसित राष्ट्र की श्रेणी में आएगा।



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