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यूपी बोर्ड कक्षा 10वी सामाजिक विज्ञान अध्याय 2 भारत में राष्ट्रवाद का सम्पूर्ण हल/Up board class 10 social science full notes in hindi

 यूपी बोर्ड कक्षा 10वी सामाजिक विज्ञान अध्याय 2 भारत में राष्ट्रवाद का सम्पूर्ण हल



Up board class 10 social science full notes in hindi



         अध्याय 2 भारत में राष्ट्रवाद

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                  भारत में राष्ट्रवाद




याद रखने योग्य मुख्य बिन्दु


1•भारत में आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय में उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन की विशेष भूमिका थी। 


2● प्रथम विश्वयुद्ध के कारण विश्व के अन्य देशों के समान भारत की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक स्थिति में भी अनेक परिवर्तन हुए। देश में प्रायः सभी

वस्तुओं की कीमतें दोगुनी हो गई ,जिसके परिणामस्वरूप लोगों की कठिनाइयाँ बढ़ गयीं। ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेज सरकार ने युवकों की जबरन भर्ती शुरू कर दी. जिससे वहाँ चारों तरफ रोष व्याप्त हो गया। उधर 1918-1919 और 1920-1921 की अवधियों में देश के अनेक भागों में फसल खराब हो गयीं। इसी समय देश के अधिकांश भागों में पलू की महामारी भी फैल गयी। एक अनुमान के अनुसार इस दुर्भिक्ष और अकाल के कारण देश में 120-130 लाख लोग मारे गए।


3• 1915 ई. में महात्मा गांधी दक्षिणी अफ्रीका से भारत वापस लौटे। दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने एक नए प्रकार के जन-आन्दोलन का मार्ग अपनाकर वहाँ की नस्लभेदी सरकार से लोहा लिया। अपने इसी नए प्रकार के विरोध करने के मार्ग अथवा तरीके को उन्होंने बाद में 'सत्याग्रह' का नाम दिया। भारत आने पर उन्होंने अपने इसी सत्याग्रह के तरीके से अंग्रेजों के विरुद्ध किए जाने वाले आन्दोलनों का संचालन किया।


4• भारत आने के बाद गांधीजी ने देश के अनेक स्थानों पर सत्याग्रह आन्दोलन का संचालन किया। 1916 ई. में उन्होंने बिहार प्रान्त के चम्पारण क्षेत्र का दौरा किया और अंग्रेजों की दमनकारी बागान व्यवस्था के विरुद्ध किसानों को संघर्ष करने हेतु प्रेरित किया। 1917 ई. में उन्होंने गुजरात के खेड़ा नामक जिले के किसानों की सहायता के लिए सत्याग्रह आन्दोलन चलाया। इसके उपरान्त 1918 ई. में अहमदाबाद में सूती कपड़ा कारखाने के मजदूरों के समर्थन में सत्याग्रह आन्दोलन के लिए भी गए। 



5.1919 ई. में ब्रिटिश सरकार के द्वारा रॉलट ऐक्ट के नाम से एक कानून पारित किया। इस ऐक्ट के आधार पर अंग्रेजी प्रशासन को आन्दोलनकारियों की

राजनीतिक गतिविधियों का दमन करने और राजनीतिक कैदियों को उन पर बिना मुकदमा चलाए ही दो साल तक कैद में रखने का अधिकार प्राप्त हो गया।

भारतीयों ने इसे काला कानून के नाम से सम्बोधित किया। 



6.13 अप्रैल, 1919 ई. जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ। इस दिन अमृतसर में शांतिपूर्ण ढंग से सभा कर रहे सत्याग्रहियों पर जनरल डायर ने गोलियाँ चलवा डीं। आस-पास के गाँवों के बहुत से लोग इस दिन इसी बाग में वैसाखी का मेला देखने के लिए भी आए हुए थे। जनरल डायर ने इस मैदान से बाहर निकलने के सभी रास्तों को बन्द करवा दिया और इसके बाद अपने सैनिकों को गोली चलाने का आदेश दिया। इस हत्याकांड में सैकड़ों लोगों ने वहीं दम तोड़ दिया।


7. 1920 ई. में कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में एक समझौता हुआ और असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रम की स्वीकृति पर मोहर लगा दी गयी। जनवरी, 1921 ई. में यह असहयोग खिलाफत आन्दोलन आरम्भ कर दिया गया।


8.1922 ई. में गोरखपुर के चौरी-चौरा नामक स्थान पर आन्दोलनकारियों पर पुलिस ने हिंसक कार्यवाही करनी शुरू कर दी। इससे आन्दोलनकारी हिंसक हो। उठे और उनका पुलिस से टकराव हुआ। इसके बाद उग्र भीड़ ने वहाँ के पुलिस थाने को आग लगा दी, जिसमें कुछ अंग्रेज सिपाहियों की मृत्यु हो गयी। जब गांधीजी ने इस घटना के बारे में सुना तो उन्होंने असहयोग आन्दोलन को वापस लेने का निर्णय किया। 


9● 1928 ई. में साइमन कमीशन भारत आया। भारतीय आन्दोलनकारियों ने साइमन कमीशन वापस जाओ' के नारों और प्रदर्शन से उसका विरोध किया।

साइमन कमीशन के विरुद्ध होने वाले इस आन्दोलन में कांग्रेस के साथ मुस्लिम लीग ने भी भाग लिया। 



10● 1928 ई. में गुजरात के बारडोली तालुका में अंग्रेजों द्वारा भूमि राजस्व बढ़ाने के विरुद्ध एक आन्दोलन किया गया। इस आन्दोलन को 'बारडोली सत्याग्रह' के नाम से जाना जाता है। इस आन्दोलन का नेतृत्व सरदार वल्लभभाई पटेल के द्वारा किया गया और उनके प्रयासों से अन्ततः यह आन्दोलन सफल रहा। 


11● 1929 ई. में पं. जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की माँग को औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया गया। इस अधिवेशन में यह निर्णय किया गया कि 26 जनवरी, 1930 ई. को स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। साथ ही इसी दिन लोग पूर्ण स्वराज के संघर्ष हेतु शपथ लेंगे।


12• 1930 ई. में महात्मा गांधी ने वायसराय लॉर्ड इरविन को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने अपनी 11 माँगों का उल्लेख किया। उन्होंने यह भी लिखा कि यदि 11 मार्च तक उनकी माँगें नहीं मानी गयीं तो कांग्रेस के द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू कर दिया जाएगा। इरविन झुकने को तैयार नहीं हुए। परिणामतः महात्मा गांधी ने अपने 78 विश्वसनीय वॉलंटियरों के साथ दांडी यात्रा शुरू कर दी और इसी के साथ सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू हो गया। 



13.दांडी यात्रा: गांधीजी के साबरमती आश्रम से 240 किलोमीटर दूर गुजरात के दांडी नामक कस्बे में जाकर समाप्त होनी थी। अपनी इस यात्रा में गांधीजी और उनकी टोली ने 24 दिन तक प्रत्येक दिन 10 किलोमीटर की दूरी तय करके अपनी इस यात्रा को पूरा किया।


14● 1931 ई. में महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन को वापस ले लिया तथा दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए लन्दन गए। इससे पूर्व कांग्रेस पहले गोलमेज सम्मेलन का बहिष्कार कर चुकी थी। लंदन में उनके साथ हुई वार्ता बीच में ही टूट गयी और गांधीजी को निराश ही भारत वापस लौटना पड़ा।



15• 1932 ई. में महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन पुनः शुरू कर दिया। लगभग सालभर तक यह आन्दोलन चला, परन्तु इसके उपरान्त इसकी गति धीमी होती गयी। 1934 ई. में याद आन्दोलन समाप्त हो गया।


16● क्रिप्स मिशन की असफलता और द्वितीय विश्वयुद्ध के प्रभावस्वरूप भारत में व्यापक रूप से असंतोष उत्पन्न हुआ। 1942 ई. में महात्मा गांधी के द्वारा 'भारत छोड़ो आन्दोलन शुरू कर दिया गया। इस आन्दोलन में अंग्रेजों को पूरी तरह भारत को छोड़कर जाने और भारत को पूर्ण रूप से मुक्त करके उन्हें आजादी देने की माँग की गयी थी।


महत्त्वपूर्ण शब्दावली


1• बहिष्कार किसी भी व्यक्ति के साथ जुड़ने अथवा उसके साथ किसी भी प्रकार का सम्पर्क रखने से मना कर देना या किसी प्रकार की गतिविधियों में अपनी

हिस्सेदारी व वस्तुओं के प्रयोग व खरीदारी से इनकार करना प्रायः यह विरोध प्रदर्शित करने का एक रूप होता था। गिरमिटिया मजदूर-औपनिवेशिक शासन के समय अनेक लोगों को काम करने के लिए फिजी, गुयाना, वेस्टइंडीज आदि स्थानों पर ले जाया गया था। इन्हीं लोगों को बाद में गिरमिटिया कहा जाने लगा। उन्हें इन स्थानों पर एक अनुबंध के तहत ले जाया जाता था। बाद में इस अनुबंध को ही मजदूर 'गिरमिट कहने

लगे। इसी कारण आगे चलकर इन मजदूरों को गिरमिटिया कहा जाने लगा।


2• सत्याग्रह सत्याग्रह' का अर्थ है- सत्य के लिए आग्रह करना। सत्याग्रह करने वाला केवल अहिंसक मार्ग के द्वारा ही अपनी माँग के लिए आग्रह करता है। 


3● रौलट ऐक्ट-अंग्रेज सरकार के द्वारा बनाया गया एक कानून: जिसके आधार पर अंग्रेज सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को सख्ती के साथ बन्द करने और राजनीतिक कैदियों को दो साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में रखने का अधिकार था। भारतीयों के द्वारा इस कानून को काला कानून के नाम से सम्बोधित किया गया।


4• साइमन कमीशन सर जॉन साइमन के नेतृत्व में गठित एक आयोगः जो भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्य-शैली का अध्ययन करने के लिए आया था।

हरिजन महात्मा गांधी के द्वारा अछूतों को 'हरिजन' अर्थात् 'ईश्वर की संतान कहा गया था। 


5• स्वदेशी अपने देश में बनी वस्तुओं का प्रयोग करना; जिससे स्वदेशी उद्योगों के हितों को प्रोत्साहन प्राप्त हो सके।


सविनय अवज्ञा–विनम्रतापूर्वक सरकार की आज्ञा की अवेहलना करना, जिससे ब्रिटिश सरकार अपना शासन संचालित न कर पाए। इस आन्दोलन को गांधीजी के द्वारा आरम्भ किया गया था। असहयोग किसी को किसी भी प्रकार का सहयोग न देना। असहयोग आन्दोलन: भारत के स्वाधीनता आन्दोलन के समय महात्मा गांधी के नेतृत्व में चलाया गया। इस आन्दोलन में उन्होंने भारतवासियों से सरकार के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग न करने का आह्वान किया था।


महत्त्वपूर्ण तिथियाँ


1.1914-1918 ई. प्रथम विश्वयुद्ध


2• 1918-1919 ई. - बाबा रामचन्द्र द्वारा उत्तर प्रदेश के किसानों को संगठित किया गया।


3● 1916 ई. -लखनऊ समझौता।


4 • 1917-1918 ई. चम्पारण सत्याग्रह


5• अप्रैल, 1919 ई. -रॉलट ऐक्ट के खिलाफ गांधीवादी हड़ताल, जलियाँवाला बाग हत्याकांड।


6 • जनवरी, 1921 ई. -असहयोग आन्दोलन और खिलाफत आन्दोलन का आरम्भ।


फरवरी, 1922 ई-चौरी-चौरा काण्ड, गांधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को वापस लेना।


7• मई, 1924 ई.- अल्लूरी सीताराम की गिरफ्तारी, हथियारबन्द्र आदिवासी संघर्ष समाप्त।


 8• दिसम्बर 1929 ई. -लाहौर अधिवेशन, कांग्रेस के द्वारा पूर्ण स्वराज की माँग को स्वीकार कर लेना।


9. 1930 ई. -भीमराव अम्बेडकर द्वारा दलित वर्ग एसोसिएशन की स्थापना।


10• मार्च, 1930 ई. गांधीजी द्वारा दांही में नमक कानून का उल्लंघन व सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत।


11● मार्च, 1931 ई. गांधीजी द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन को वापस लिया जाना। 


12● 1931 ई.-गांधी-इर्विन समझौता।


13• दिसम्बर 1931 ई.दूसरा गोलमेज सम्मेलन ।


14● 1932 ई. सविनय अवज्ञा आन्दोलन पुनः आरम्भ, पूना समझौता।


15 ● 1934 ई. - सविनय अवज्ञा आन्दोलन की समाप्ति।


16● 1940 ई. मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान की माँग


17● 1942 ई.-क्रिप्स मिशन: भारत छोड़ो आन्दोलन।।


18● 1946 ई. - भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम पारित 


19● 1947 ई.-भारत को आजादी प्राप्त हुई।


20• 26 जनवरी, 1950 ई. भारत में संविधान लागू हुआ।




बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक




प्रश्न 1.महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से वापस कब लौटे?


 (क) 1914 


(ख) 1915


 (ग) 1918 


(घ) 1919


उत्तर-


(ख) 1915




प्रश्न 2. सविनय अवज्ञा आन्दोलन में महात्मा गांधी ने नमक को अत्यधिक महत्त्व क्यों दिया?




(क) नमक का प्रयोग अमीर-गरीब सभी करते थे


(ख) यह भोजन का अभिन्न हिस्सा था


(ग) नमक तैयार करने पर सरकार का एकाधिकार था


(घ) उपर्युक्त में से सभी




उत्तर-


(क) नमक का प्रयोग अमीर-गरीब सभी करते थे



प्रश्न 3 अप्रैल, 1919 किस घटना से सम्बन्धित है?



(क) सत्याग्रह आन्दोलन की शुरुआत


 (ख) साइमन कमीशन का भारत आगमन


(ग) असहयोग आन्दोलन की शुरुआत 


(घ) जलियाँवाला बाग हत्याकांड


उत्तर-


(घ) जलियाँवाला बाग हत्याकांड महात्मा गांधी ने 




प्रश्न 4.असहयोग आन्दोलन कब आरम्भ किया?


(क) 1919 ई. को


(ख) 1920 ई. को


(ग) 1922 ई. को


(घ) 1923 ई. को


उत्तर-


(ख) 1920 ई.





प्रश्न 5.पूना पैक्ट किन दो नेताओं के बीच हुआ?



(क) गांधीजी और डॉ. अम्बेडकर


(ख) गांधीजी और नेहरू


(ग) गांधीजी और सरदार पटेल


(घ) नेहरू और सुभाषचन्द्र बोस



उत्तर


 (क) गांधीजी और डॉ. अम्बेडकर


प्रश्न 6.सविनय अवज्ञा आन्दोलन कब चलाया गया?



(क) 1920


 (ख) 1927


 (ग) 1930


(घ) 1935


उत्तर- (ग) 1930


प्रश्न 7.भारत के लिए डोमेनियन स्टेट्स का ऐलान किसके द्वारा किया गया?



(क) लॉर्ड लिटन द्वारा (ग) लॉर्ड कर्जन द्वारा


(ख) लॉर्ड इरविन द्वारा (घ) लॉर्ड रिपन द्वारा


उत्तर-


(ख) लॉर्ड इरविन द्वारा


प्रश्नः 8. सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत किस महत्त्वपूर्ण घटना के साथ की गयी?


(क) रॉलेट ऐक्ट की घोषणा


(ख) नमक-कानून तोड़कर


(ग) साइमन कमीशन के आगमन


 (घ) जलियाँवाला बाग हत्याकांड


उत्तर-


(ख) नमक-कानून तोड़कर 



प्रश्न 9'करो या मरो' का नारा किसका था?




(क) सुभाष चन्द्र बोस


(ख) चन्द्रशेखर आजाद


(ग) भगत सिंह


(घ) महात्मा गांधी


उत्तर-


(घ) महात्मा गांधी




प्रश्न 10.'वन्दे मातरम्' गीत किसके द्वारा लिखा गया था?


(क) बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वार


 (ख) रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा


(ग) अबनीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा


(घ) महात्मा गांधी द्वारा


उत्तर


(क) बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा 



प्रश्न 11. असहयोग आन्दोलन का मुख्य कारण क्या था?




(क) रॉलेट ऐक्ट


(ख) प्रथम विश्वयुद्ध


(ग) खिलाफत आन्दोलन


(घ) प्रथम विश्वयुद्ध


उत्तर-


(ग) खिलाफत आन्दोलन


प्रश्न 12. भारत आने पर गांधी जी ने अपना सबसे पहला सत्याग्रह आन्दोलन कौन-सा किया?




(क) बारडोली सत्याग्रह आन्दोलन


(ख) खेड़ा सत्याग्रह आन्दोलन


(ग) चम्पारण सत्याग्रह आन्दोलन


(घ) अहमदाबाद आन्दोलन


उत्तर- (ग) चम्पारण सत्याग्रह आन्दोलन





अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 2 अंक




प्रश्न 1. रॉलेट ऐक्ट क्या था?


उत्तर- रॉलेट ऐक्ट 1919 ई. में पारित एक ऐसा कानून था जिसमें भारतीयों पर किसी तरह के मुकदमे को चलाए बिना शंका के आधार पर गिरफ्तार कर दो साल तक जेल में बंद किया जा सकता था।


प्रश्न 2. भारत आने के बाद गांधी जी द्वारा चलाया गया पहला आंदोलन कौन-सा था?


उत्तर दक्षिणी अफ्रीका से भारत लौटने के बाद गांधी जी ने 1916 ई. में बिहार के चम्पारण से अपने पहले सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की, यहाँ के किसान नील की खेती के विरोध में आंदोलन चला रहे थे।


प्रश्न 3, गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को ही क्यों चुना?


 या गांधी जी ने अपनी पुस्तक 'हिन्द स्वराज' में असहयोग आंदोलन के पक्ष में क्या तर्क दिया?



उत्तर महात्मा गांधी ने अपनी पुस्तक 'हिन्द स्वराज' में कहा था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही स्थापित हुआ था और यह शासन इसी सहयोग के कारण चल पा रहा है। अगर भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले ले तो साल भर के भीतर ब्रिटिश शासन ढह जाएगा और स्वराज की स्थापना हो जाएगी।


प्रश्न 4. असहयोग आन्दोलन कब और क्यों वापस लिया गया? 


उत्तर. असहयोग आन्दोलन 1922 ई० में चौरी-चौरा की घटना के कारण वापस लिया गया।


प्रश्न 5.खिलाफत आंदोलन किसने शुरू किया था? 


उत्तर- मोहम्मद अली तथा शौकत अली ने।


प्रश्न6. साइमन कमीशन का गठन क्यों किया गया था, इसका विरोध क्यों हुआ? 


उत्तर- सर जॉन साइमन के नेतृत्व में एक वैधानिक आयोग का गठन किया गया। राष्ट्रवादी आंदोलन के जवाब में गठित किए गए इस आयोग को भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्य-शैली का अध्ययन करना था और उसके बारे में सुझाव देने थे। इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था, सारे अंग्रेज थे। इसलिए साइमन कमीशन का भारत में विरोध हुआ।


प्रश्न 7..जब सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ उस समय किन समुदायों के बीच संदेह और अविश्वास का माहौल बना हुआ था?


 उत्तर.जब सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ उस समय कुछ मुस्लिम उत्तर समुदायों के बीच संदेह और अविश्वास का माहौल बना हुआ था। कांग्रेस से कटे हुए मुसलमानों का बड़ा वर्ग किसी संयुक्त संघर्ष के लिए तैयार नहीं था। बहुत सारे मुस्लिम नेता और बुद्धिजीवी भारत में अल्पसंख्यकों के रूप में मुसलमानों की हैसियत को लेकर चिंता जता रहे थे। उनको भय था कि हिंदू बहुसंख्यक के वर्चस्व की स्थिति में अल्पसंख्यकों की संस्कृति और पहचान खो जाएगी।


प्रश्न 8. लोगों को एकजुट करने में झंडे का क्या योगदान था ?


 उत्तर.राष्ट्रवादी नेता लोगों को एकजुट करने के लिए बंगाल में स्वदेशी उत्तर आंदोलन के दौरान एक तिरंगा झंडा (हरा, पीला, लाल) तैयार किया गया। इसमें ब्रिटिश भारत के आठ प्रांतों का प्रतिनिधित्व करते कमल के आठ फूल और हिंदुओं व मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता एक अर्द्धचंद्र दर्शाया गया था। 1921 तक गांधी जी ने भी तिरंगा सफेद, हरा और लाल, जिसके मध्य में चरखा था, तैयार कर लिया था। जुलूसों में यह झंडा थामे शासन के प्रति अवज्ञा का

संकेत था। 




 प्रश्न 9. स्वदेशी आंदोलन की प्रेरणा से अबनीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत माता की विख्यात छवि को किस प्रकार चित्रित किया?


उतर इस पेंटिंग में भारत माता की एक संन्यासिनी के रूप में दर्शाया गया है। वह शांत, गंभीर, देवी और आध्यात्मिक गुणों से युक्त दिखाई देती है। इस से मातृछवि के प्रति श्रद्धा को राष्ट्रवाद में आस्था का प्रतीक माना जाने लगा।


प्रश्न 10. गांधी-इरविन समझौता कब हुआ? इसकी कोई एक शर्त बताइए। 


उत्तर 5 मार्च, 1931 को गांधी जी और इरविन के बीच समझौता हुआ था। इस समझौते में सरकार ने वचन दिया कि हिंसा के आरोप में गिरफ्तार लोगों को छोड़कर सभी राजनीतिक बंदी रिहा कर दिए जाएंगे।


प्रश्न 11. असहयोग आंदोलन के दौरान विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार से विदेशी वस्तुओं पर क्या प्रभाव पड़ा?


उत्तर- असहयोग आंदोलन के दौरान विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया और विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी। 1921 से 1922 के बीच विदेशी कपड़ों का आयात आधा रह गया था। उसकी कीमत 102 करोड़ से घटकर 57 करोड़ रह गई। बहुत सारे स्थानों पर व्यापारियों ने विदेशी चीजों का व्यापार करने या विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से इंकार कर दिया।


प्रश्न 12. 'केसरी' समाचार पत्र का प्रकाशन किसके द्वारा किया गया? 


उत्तर- बाल गंगाधर तिलक द्वारा।


प्रश्न 13. 1859 के 'इनलैंड इमिग्रेशन ऐक्ट की कोई एक विशेषता लिखिए।


 उत्तर- बागान में काम करने वाले मजदूरों को बिना इजाजत बागान से बाहर जाने की छूट नहीं होती थी।


प्रश्न 14. पूर्ण स्वराज का उद्घोष कब किया गया?


उत्तर- 31 दिसम्बर, 1929 को लाहौर अधिवेशन में।



लघु उत्तरीय प्रश्न 3 अंक



प्रश्न1. भारत में लोगों द्वारा 'रॉलेट ऐक्ट' का किस प्रकार विरोध किया गया? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।


या रॉलेट ऐक्ट क्या था? उसका विरोध कैसे किया गया? क्या परिणाम हुआ?



उत्तर- रॉलेट ऐक्ट- रॉलेट ऐक्ट 1919 ई. में पारित एक ऐसा कानून था जिसमें भारतीयों पर किसी तरह के मुकदमे को चलाए बिना शंका के आधार पर गिरफ्तार कर दो साल तक जेल में बंद किया जा सकता था।


 परिणाम-अंग्रेजों ने राष्ट्रवादियों पर दमन शुरू करने के साथ मार्शल लॉ लागू कर दिया। 13 अप्रैल को जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ।


विरोध-भारत में लोगों द्वारा 'रॉलेट ऐक्ट' का विरोध निम्न प्रकार से किया गया था 


(i) विभिन्न शहरों में रैली-जुलूसों का आयोजन किया गया।


(ii) रेलवे वर्कशॉप्स में कामगार हड़ताल पर चले गए। 


(iii) कई शहरों में दुकानदारों ने दुकान बंद करके अपना विरोध जताया।


प्रश्न 2. साइमन कमीशन की रिपोर्ट से कांग्रेस क्यों असन्तुष्ट थी? कांग्रेस ने किस नई नीति की घोषणा की?


उत्तर- साइमन कमीशन में एक भी भारतीय सदस्य के शामिल नहीं के कारण कांग्रेस इसकी रिपोर्ट से असन्तुष्ट थी। कांग्रेस ने 'पूर्ण स्वराज' की नई नीति की घोषणा की। दिसम्बर 1929 में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन मे ‘पूर्ण स्वराज' की माँग को औपचारिक रूप से मान लिया गया तथा तय किया गया कि 26 जनवरी, 1930 को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाएगा और उस दिन लोग पूर्ण स्वराज के लिए संघर्ष की शपथ लेंगे।




प्रश्न 3. पूना पैक्ट पर किसके हस्ताक्षर हुए? उसकी दो शर्तें लिखिए।



उत्तर- पूना पैक्ट पर गांधी जी और डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के हस्ताक्षर हुए। सितम्बर 1932 में हुए पूना पैक्ट की दो शर्तें निम्नलिखित हैं


(i) अम्बेडकर द्वारा दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की माँग को वापस लेना।


(ii) दलित वर्गों को प्रांतीय एवं केन्द्रीय विधायी परिषदों में आरक्षण दिया जाना।


प्रश्न 4. अल्लूरी सीताराम राजू कौन थे? विद्रोहियों को गांधी जी के विचारों से प्रेरित करने में उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।


उत्तर- अल्लूरी सीताराम राजू आंध्र प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र के रहने वाले थे तथा उन्होंने गुडेंम विद्रोहियों को नेतृत्व प्रदान किया था। वे बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे। वे खगोलीय घटनाओं का सटीक अनुमान लगा सकते थे, बीमार लोगों का इलाज करते थे।


राजू महात्मा गांधी की महानता के गुण गाते थे। उनका कहना था कि वह असहयोग * आंदोलन से प्रेरित हैं। उन्होंने लोगों को खादी पहनने तथा शराब छोड़ने के लिए प्रेरित किया। साथ ही उन्होंने यह दावा भी किया कि भारत अहिंसा के बल पर नहीं बल्कि केवल बल प्रयोग के जरिए ही आजाद हो सकता है।


प्रश्न 5. नमक यात्रा उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक थी। स्पष्ट कीजिए।


उत्तर- 31 जनवरी, 1930 को गांधी जी ने वायसराय इरविन को एक खत लिखा। इस खत में उन्होंने ग्यारह माँगों का उल्लेख किया था। इनमें से कुछ सामान्य माँगें थीं, जबकि कुछ माँगें उद्योगपतियों से लेकर किसानों तक विभिन्न तबकों से जुड़ी हुई थीं। गांधी जी इन माँगों के माध्यम से समाज के सभी वर्गों को अपने साथ जोड़ना चाहते थे ताकि सभी उनके अभियान में शामिल हो सकें। इनमें से सर्वाधिक प्रमुख माँग नमक कर को समाप्त करने के बारे में थी। सफलतापूर्वक नमक यात्रा निकालकर गांधी जी ने औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार को अपने सत्याग्रह के तरीके से उत्तर दिया। नमक यात्रा वास्तव में उपनिवेशवाद के विरुद्ध प्रतिरोध का एक सबसे बड़ा प्रतीक थी।


प्रश्न 6. उन परिस्थितियों की व्याख्या कीजिए जिनमें गांधीजी ने 1931 में सविनय अवज्ञा आंदोलन को वापस लेने का निर्णय लिया।


उत्तर- गांधी जी ने समझौता के तहत 1931 ई. में सविनय अवज्ञा आंदोलन को वापस लेने का निर्णय लिया था, इसके निम्नलिखित कारण थे


(i) सरकार राजनीतिक कैदियों को रिहा करने पर राजी हो गयी थी। 


(ii) सरकार ने दमनकारी नीति चला रखी थी जिसके तहत शांतिपूर्ण सत्याग्रहियों पर हमले किए गए, महिलाओं और बच्चों को मारा पीटा गया और लगभग एक लाख लोग गिरफ्तार किए गए।


(iii) औद्योगिक मजदूरों ने अंग्रेजी शासन का प्रतीक पुलिस चौकियों, नगरपालिका भवनों, अदालतों और रेलवे स्टेशनों पर हमले शुरू कर दिए थे।




प्रश्न 7. सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति लोगों और उपनिवेशक सरकार ने किस प्रकार प्रतिक्रिया व्यक्त की? स्पष्ट कीजिए।


उत्तर- देश के विभिन्न भागों में हजारों लोगों ने नमक कानून तोड़ा और सरकारी नमक कारखानों के सामने प्रदर्शन किए। आंदोलन फैला तो विदेशी कपड़ों का बहिष्कार किया जाने लगा। शराब की दुकानों की पिकेटिंग होने लगी। किसानों ने लगान और चौकीदारी कर चुकाने से इंकार कर दिया। गाँवों में तैनात कर्मचारी इस्तीफे देने लगे। बहुत सारे स्थानों पर जंगलों में रहने वाले वन कानूनों का उल्लंघन करने लगे।


औपनिवेशिकं सरकार कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार करने लगी। जब महात्मा गांधी को गिरफ्तार कर लिया गया तो शोलापुर के औद्योगिक मजदूरों ने अंग्रेजी शासन का प्रतीक पुलिस चौकियों, नगरपालिका भवनों, अदालतों और रेलवे स्टेशनों पर हमले शुरू कर दिए। सरकार ने दमनकारी नीति अपनाते हुए औरतों, बच्चों और शांतिपूर्ण सत्याग्रहियों को मारा-पीटा और लगभग एक लाख लोगों को गिरफ्तार किया।


प्रश्न 8 रॉलेट ऐक्ट के खिलाफ़ चले आंदोलन का दमन किस प्रकार किया गया?


उत्तर- गांधी जी रॉलेट ऐक्ट जैसे अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ़ अहिंसक नागरिक अवज्ञा चाहते थे। इसे 6 अप्रैल, 1919 को एक हड़ताल से शुरू होना था। विभिन्न शहरों में रैली-जुलूसों का आयोजन किया गया। रेलवे वर्कशॉप्स में कामगार हड़ताल पर चले गए। दुकानें बंद हो गईं। इस व्यापक जन उभार से चिंतित तथा रेलवे व टेलीग्राफ़ जैसी संचार सुविधाओं के भंग हो जाने की आशंका से भयभीत अंग्रेज़ों ने राष्ट्रवादियों का दमन शुरू कर दिया। अमृतसर में बहुत सारे स्थानीय नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। गांधी जी के दिल्ली प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई। 10 अप्रैल को पुलिस ने अमृतसर में एक शांतिपूर्ण जुलूस पर गोली चला दी। इसके बाद लोग बैंकों, डाकखानों और रेलवे स्टेशनों पर हमले करने लगे। मार्शल लॉ लागू कर दिया गया और जनरल डायर ने पंजाब में कमान सँभाल ली।


प्रश्न 9


खिलाफत आंदोलन क्यों शुरू हुआ?


उत्तर- पहले विश्व युद्ध में ऑटोमन तुर्की की हार हो चुकी थी। इस आशय की अफ़वाह फैली हुई थी कि इस्लामिक विश्व के आध्यात्मिक नेता (खलीफ़ा) ऑटोमन सम्राट पर एक बहुत सख्त शांति संधि थोपी जाएगी। खलीफ़ा की तात्कालिक शक्तियों की रक्षा के लिए 1919 में बंबई में एक खिलाफ़त समिति का गठन किया गया था। मोहम्मद अली और शौकत अली बंधुओं के साथ-साथ कई युवा मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर संयुक्त जन कार्यवाही की संभावना तलाशने के लिए महात्मा गांधी के साथ चर्चा शुरू कर दी थी। सितंबर 1920 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में महात्मा गांधी ने भी दूसरे नेताओं को राजी कर लिया कि खिलाफत आंदोलन के समर्थन और स्वराज के लिए एक असहयोग आंदोलन शुरू किया जाना चाहिए।


प्रश्न 10. गांधी-इरविन समझौते के प्रावधानों का वर्णन कीजिए। 


उत्तर- सविनय अवज्ञा आन्दोलन के परिप्रेक्ष्य में 5 मार्च, 1931 को गांधी-इरविन समझौता हुआ। इरविन उस समय भारत के वायसराय थे। इस समझौते के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित थे


(i) सविनय अवज्ञा आन्दोलन स्थगित कर दिया जाएगा।


(ii) सरकार अध्यादेशों व मुकदमों को वापस ले लेगी। 


(iii) हिंसात्मक अपराधियों को छोड़कर अन्य समस्त राजनीतिक बन्दियों को मुक्त कर दिया जाएगा।


 (iv) शराब, अफीम व विदेशी वस्तुओं की दुकानों पर धरना देने वालों को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।


(v) समुद्र तट से एक निश्चित दूरी पर नमक बनाने की छूट होगी।


(vi) जमानतें व जुर्माने वसूल नहीं किए जाएँगे।


 (vii) जिन व्यक्तियों ने सरकारी नौकरी छोड़ दी है, उन्हें वापस लेने में उदार नीति अपनाई जाएगी। 


(viii) कांग्रेस द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेगी। 


(ix) विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का राजनीतिक हथियार के रूप में प्रयोग नहीं किया जाएगा।


(x) कांग्रेस पुलिस अत्याचारों के विरुद्ध निष्पक्ष जाँच की माँग को त्याग देगी।



प्रश्न 11. राष्ट्रवाद के विकास का विश्व पर क्या प्रभाव पड़ा?


उत्तर- राष्ट्रवाद के विकास के विश्व पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े


(i) विश्व में राष्ट्र-राज्यों का उदय हुआ।


(ii) समस्त जनसमुदाय यह विचारने लगा कि वे कौन हैं, उनकी पहचान किस बात से परिभाषित होती है। अतः वे अपने आप को किसी देश के नागरिक के रूप में परिभाषित करने लगे जिससे उनमें राष्ट्र के प्रति लगाव उत्पन्न होने लगा।


(iii) इस परिभाषा के लिए नए प्रतीकों, नए चिह्नों, नए गीतों व विचारों के नए संपर्क स्थापित किए तथा समुदायों की सीमाओं को दोबारा परिभाषित किया।


(iv) इस परिभाषा के निर्माण के लिए समस्त जनसमुदायों ने अपने-अपने ढंग से संघर्ष किया, जो कई स्थानों पर काफी लम्बा भी चला।



प्रश्न 12. सक्रिय राजनीति में भाग लेने से पूर्व गांधी जी ने किन-किन स्थानों पर सत्याग्रह आंदोलन किए? इनके प्रारंभ करने के क्या कारण थे?


उत्तर सक्रिय राजनीति में भाग लेने से पहले गांधी जी ने अपने गुरु गोपालकृष्ण गोखले के कहने पर 'भारत भ्रमण' किया। इस दौरान उन्होंने कई स्थानों पर सत्याग्रह आंदोलन चलाए, जिनमें प्रमुख हैं


1. चम्पारण सत्याग्रह - 1916 ई. में उन्होंने बिहार के चम्पारण क्षेत्र का दौरा किया और वहाँ के किसानों को दमनकारी बागान व्यवस्था के खिलाफ सत्याग्रह करने के लिए प्रेरित किया।


2. गुजरात सत्याग्रह - 1917 ई. में गुजरात के खेड़ा जिले में किसानों की मदद के लिए सत्याग्रह किया क्योंकि फसल खराब हो जाने और प्लेग की महामारी के कारण किसान लगान नहीं चुका पा रहे थे जबकि सरकार उनसे जबरन लगान वसूल कर रही थी।


3. अहमदाबाद सत्याग्रह - 1918 ई. में अहमदाबाद के सूती कपड़ा कारखानों में कार्य करने वाले मज़दूरों के हितों की रक्षा के लिए उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन किया।


उपर्युक्त आंदोलन में उन्हें सफलता भी मिली जिस कारण आम आदमी में उनकी अलग पहचान स्थापित हुई।


प्रश्न 13. जलियाँवाला बाग काण्ड पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।


उत्तर


रॉलेट ऐक्ट के विरोध में पंजाब के अमृतसर जिले की जनता अत्यन्त आक्रोशित थी। इस शहर में सैनिक शासन लागू करके नियन्त्रण जनरल डायर को दिया गया था। 12 अप्रैल, 1919 को नगर में सार्वजनिक सभा पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया, जिसकी पूरी जानकारी जनता को नहीं कराई गई।


13 अप्रैल को बैसाखी का त्योहार था। इसी दिन सरकार की नीति का विरोध करने के लिए जलियाँवाला बाग में एक सार्वजनिक सभा का आयोजन किया गया।


सभा शान्तिपूर्वक चल रही थी। तभी जनरल डायर ने 200 देशी और 50 गोरे सिपाहियों को साथ लेकर बाग के एकमात्र दरवाजे को रोक लिया और निहत्थी जनता पर गोलियों की बौछार शुरू कर दी। 10 मिनट तक निहत्थी भीड़ पर गोलियों की बौछार होती रही। इस हत्याकाण्ड में हजारों व्यक्ति मारे गए और असंख्य घायल हुए। इस घटना से भारतीयों में भयंकर असन्तोष की लहर दौड़ गई।




प्रश्न 13. जलियाँवाला बाग काण्ड पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।


उत्तर- रॉलेट ऐक्ट के विरोध में पंजाब के अमृतसर जिले की जनता अत्यन्त आक्रोशित थी। इस शहर में सैनिक शासन लागू करके नियन्त्रण जनरल डायर को दिया गया था। 12 अप्रैल, 1919 को नगर में सार्वजनिक सभा पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया, जिसकी पूरी जानकारी जनता को नहीं कराई गई।


13 अप्रैल को बैसाखी का त्योहार था। इसी दिन सरकार की नीति का विरोध करने के लिए जलियाँवाला बाग में एक सार्वजनिक सभा का आयोजन किया गया।


सभा शान्तिपूर्वक चल रही थी। तभी जनरल डायर ने 200 देशी और 50 गोरे सिपाहियों को साथ लेकर बाग के एकमात्र दरवाजे को रोक लिया और निहत्थी जनता पर गोलियों की बौछार शुरू कर दी। 10 मिनट तक निहत्थी भीड़ पर गोलियों की बौछार होती रही। इस हत्याकाण्ड में हजारों व्यक्ति मारे गए और असंख्य घायल हुए। इस घटना से भारतीयों में भयंकर असन्तोष की लहर दौड़ गई।


प्रश्न 14. प्रथम विश्वयुद्ध के भारतीय समाज व अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा? 



उत्तर- प्रथम विश्वयुद्ध के भारतीय समाज व अर्थव्यवस्था पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े


(i) इस विश्वयुद्ध ने एक नयी आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पैदा कर दी।


 (ii) इसके कारण रक्षा व्यय में भारी इजाफ़ा हुआ।


(iii) इस खर्चे की भरपाई करने के लिए युद्ध के नाम पर कर्जे लिए गए। और करों में वृद्धि की गई। 


(iv) सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया और आयकर शुरू किया गया। युद्ध के दौरान कीमतें तेजी से बढ़ रही थीं।


(v) 1913 से 1918 के बीच कीमतें दोगुनी हो चुकी थीं, जिसके कारण आम लोगों की मुश्किलें बढ़ गई थीं।


(vi) गाँवों में सिपाहियों को जबरन भर्ती किया गया जिसके कारण ग्रामीण इलाकों में व्यापक गुस्सा था।


(vii) 1918-19 और 1920-21 में देश के बहुत सारे हिस्सों की फसलें खराब हो गई, जिसके कारण खाद्य-पदार्थों का भारी अभाव पैदा हो गया। 


(viii) उसी समय फ्लू की महामारी फैल गई।


(ix) 1921 की जनगणना के मुताबिक दुर्भिक्ष और महामारी के कारण 120-130 लाख लोग मारे गए।




प्रश्न 15. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?


उत्तर सत्याग्रह के विचार का मूल आधार सत्य की शक्ति पर आग्रह तथा सत्य की खोज करना है। गांधी जी इसके प्रबल समर्थक थे तथा उन्होंने इसकी व्याख्या इस प्रकार की


(i) अगर आपका उद्देश्य सच्चा है, यदि आपका संघर्ष अन्याय के खिलाफ है तो उत्पीड़क से मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं।


(ii) प्रतिशोध की भावना या आक्रामकता का सहारा लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे भी अपने संघर्ष में सफल हो सकता है।


(iii) इसके लिए दमनकारी शत्रु की चेतना को झिंझोड़ना चाहिए। उत्पीड़क शत्रु को ही नहीं बल्कि सभी लोगों को हिंसा के जरिए सत्य को स्वीकार करने पर विवश करने की बजाय सच्चाई को देखने और उसे सहज भाव से स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।


(iv) इस संघर्ष में अंततः सत्य की ही जीत होती है। गांधी जी का अटूट विश्वास था कि अहिंसा का धर्म सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँध सकता है।




दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 6 अंक




प्रश्न 1.भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में सविनय अवज्ञा आंदोलन के महत्त्व का वर्णन कीजिए।


उत्तर


1929 ई. के अपने लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वतंत्रता की माँग को अपना आदर्श घोषित किया, परंतु यह आदर्श तब तक पूरा नहीं हो सकता था जब तक ब्रिटिश सरकार का जोर-शोर से विरोध न किया जाए। इस तरह महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1930 ई. में कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया। इस आंदोलन का श्रीगणेश महात्मा गांधी की दांडी यात्रा और नमक कानूनों को तोड़कर शुरू किया गया। कई उतार-चढ़ाव के साथ यह आंदोलन 1934 ई. तक चलता रहा। इस आंदोलन को 1934 में वापस ले लिया गया। फिर भी इसने राष्ट्रीय आंदोलन पर अपने गहरे प्रभाव छोड़े


(i) सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान लोगों का ब्रिटिश शासन विश्वास जाता रहा और वे ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध लड़ने के लिए। एकजुट होने लगे।


(ii) सविनय अवज्ञा आंदोलन के चलाए जाने के साथ भारत में क्रांतिकारी आंदोलन फिर से जागृत हो गए। इसी काल में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त आदि क्रांतिकारी देशभक्तों ने दिल्ली में एसेंबली में दो बम फेंके।


(iii) इस आंदोलन के दौरान भारतीयों को ब्रिटिश सरकार की कठोर यातनाओं को सहना पड़ा परंतु अपने संघर्ष से जो अनुभव उन्हें मिला वह अमूल्य था। इस अनुभव ने आगे आने वाले स्वतंत्रता संघर्ष में उनका बड़ा मार्गदर्शन किया और एक सफल संघर्ष के दाँव-पेंच समझा दिए।


प्रश्न 2. गांधी जी की नमक यात्रा का वर्णन कीजिए।


या नमक सत्याग्रह क्यों प्रारम्भ किया गया था? उसका संक्षिप्त विवरण दीजिए। 


उत्तर 31 जनवरी, 1930 को गांधी जी ने वायसराय इरविन को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने 11 माँगों का उल्लेख किया था। इन माँगों के जरिए वे समाज के सभी वर्गों को जोड़ना चाहते थे। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण माँग नमक कर को खत्म करने के बारे में थी। नमक का अमीर-गरीब सभी इस्तेमाल करते थे। यह भोजन का एक अभिन्न हिस्सा था। इसलिए नमक पर कर और उसके उत्पादन पर सरकारी इजारेदारी को महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार का सबसे दमनात्मक पहलू बताया था।


महात्मा गांधी का यह पत्र एक चेतावनी की तरह था। उन्होंने लिखा था कि यदि 11 मार्च तक इन माँगों को नहीं माना गया तो कांग्रेस सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू कर देगी। इरविन झुकने को तैयार नहीं थे। महात्मा गांधी ने अपने 78 विश्वस्त वॉलंटियरों के साथ नमक यात्रा शुरू कर दी। यह यात्रा साबरमती में गांधी जी के आश्रम से 240 किलोमीटर दूर दांडी नामक गुजराती तटीय कस्बे में जाकर खत्म होनी थी। गांधी जी की टोली ने 24 दिन तक हर रोज लगभग 10 मील का सफ़र तय किया। गांधी जी जहाँ भी रुकते हज़ारों लोग उन्हें सुनने आते। इन सभाओं में गांधी जी ने स्वराज का अर्थ स्पष्ट किया और आह्वान किया कि लोग शांतिपूर्वक अंग्रेजों की अवज्ञा करें। 6 अप्रैल को वे दांडी पहुँचे और उन्होंने समुद्र का पानी उबालकर नमक बनाना शुरू कर दिया। यह कानून का उल्लंघन था।


हज़ारों लोगों ने नमक कानून तोड़ा और सरकारी नमक कारखाने के सामने प्रदर्शन किए। आंदोलन फैला तो विदेशी कपड़ों का बहिष्कार किया जाने लगा। शराब की दुकानों की पिकेटिंग होने लगी। किसानों ने लगान और चौकीदारी कर चुकाने से इनकार कर दिया। गाँवों में तैनात कर्मचारी इस्तीफ़े देने लगे।


इन घटनाओं से चिंतित औपनिवेशिक सरकार कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार करने लगी। सरकार ने दमन चक्र चलाया तो गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन वापस ले लिया।



प्रश्न 3. सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल विभिन्न सामाजिक समूह कौन-से थे? उन्होंने आंदोलन में क्यों हिस्सा लिया?


उत्तर सविनय अवज्ञा आंदोलन में निम्नलिखित सामाजिक समूहों ने हिस्सा लिया


संपन्न किसान— गाँवों में व्यवसायी वर्ग की तरह संपन्न किसानों ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का पूर्णरूपेण समर्थन किया। उन्होंने अपने समुदायों को एकजुट किया और कई बार अनिच्छुक सदस्यों को बहिष्कार के लिए मजबूर किया। उनके लिए स्वराज की लड़ाई भारी लगान के खिलाफ़ लड़ाई थी, लेकिन जब 1931 में लगानों के घंटे बिना आंदोलन वापस ले लिया गया तो उन्हें बड़ी निराशा हुई। गरीब किसान केवल लगान में ही कमी नहीं चाहते थे, वे चाहते थे कि उन्हें ज़मीदारों को जो भाड़ा चुकाना था उसे माफ़ कर दिया जाए। इसके लिए उन्होंने कई रेडिकल आंदोलनों में हिस्सा लिया, जिनका नेतृत्व अक्सर समाजवादियों और कम्युनिस्टों के हाथों में होता था।


व्यवसायी वर्ग-व्यवसायी वर्ग ने अपने कारोबार को फैलाने के लिए ऐसी औपनिवेशिक नीतियों का विरोध किया जिनके कारण उनकी व्यावसायिक गतिविधियों में रुकावट आती थी। वे विदेशी वस्तुओं के आयात से सुरक्षा चाहते थे। इसके लिए इन्होंने पहले सविनय अवज्ञा आंदोलन का समर्थन किया।


मजदूर वर्ग जैसे जैसे उद्योगपति कांग्रेस के निकट आने लगे मजदूर कांप्रेस से दूर होते गए। फिर भी कुछ मज़दूरों ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लिया। उन्होंने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार जैसे कुछ गांधीवादी विचारों को कम वेतन व खराब कार्य स्थितियों के खिलाफ अपनी लड़ाई से जोड़ लिया था। 1930 में रेलवे कामगारों की और 1932 में गोदी कामगारों की हड़ताल हुई। 1930 में छोटानागपुर के टीन खानों के हजारों मजदूरों ने गांधी टोपी पहनकर रैलियों और बहिष्कार अभियानों में हिस्सा लिया।


महिलाएं- सविनय अवज्ञा आंदोलन में महिलाओं ने बड़े पैमाने पर भाग लिया। गांधी जी के नमक सत्याग्रह के दौरान हजारों महिलाएँ उनको बात सुनने के लिए घर से बाहर आ जाती थी। उन्होंने जुलूसों में हिस्सा लिया, नमक बनाया, विदेशी कपड़ों की होली जलाई। बहुत सारी महिलाएं जेल भी गई। गांधी जी के आह्वान के बाद महिलाओं ने बड़ी संख्या में इस आंदोलन में भाग लिया।



प्रश्न 4. भारत में राष्ट्रवाद की भावना पनपने में किन-किन कारकों का योगदान था ?


या भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के तीन कारणों को लिखिए।


 उत्तर


राष्ट्रवाद की भावना तब पनपती है जब लोग ये महसूस करने लगते  हैं कि वे एक ही राष्ट्र के अंग हैं। तब वे एक-दूसरे को एकता के सूत्र में बाँधने वाली कोई साझा बात ढूँढ लेते हैं। सामूहिक अपनेपन की यह भावना आंशिक रूप से संयुक्त संघर्षों से पैदा हुई थी। इतिहास व साहित्य, लोक-कथाएँ व गीत, चित्र व प्रतीक सभी ने राष्ट्रवाद को साकार करने में अपना योगदान दिया था। भारत में राष्ट्रवाद की भावना पनपने में योगदान देने वाले कुछ प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं


(i) 20वीं सदी में राष्ट्रवाद के विकास के साथ भारत की पहचान भी भारत माता की छवि का रूप लेने लगी। यह तस्वीर पहली बार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने बनाई थी। 1870 के दशक में उन्होंने मातृभूमि की स्तुति के रूप में 'वंदे-मातरम्' गीत लिखा था। बाद में इसे उन्होंने अपने उपन्यास 'आनंदमठ' में शामिल कर लिया। यह गीत बंगाल में स्वदेशी आंदोलन में खूब गाया गया। स्वदेशी आंदोलन की प्रेरणा से अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत माता की विख्यात छवि को चित्रित किया। इस पेंटिंग में भारत माता को एक संन्यासिनी के रूप में दर्शाया गया है। इस मातृछवि के प्रति श्रद्धा को राष्ट्रवाद में आस्था का प्रतीक माना जाने लगा।


(ii) राष्ट्रवाद का विचार भारतीय लोक कथाओं को पुनर्जीवित करने के आंदोलन से भी मज़बूत हुआ। 19वीं सदी के अंत में राष्ट्रवादियों ने भाटों व चारणों द्वारा गाई-सुनाई जाने वाली लोक कथाओं को दर्ज करना शुरू कर दिया। उनका मानना था कि यही कहानियाँ हमारी परंपरागत संस्कृति की तस्वीर पेश करती हैं जो बाहरी ताकतों के • प्रभाव से भ्रष्ट और दूषित हो चुकी हैं। अपनी राष्ट्रीय पहचान को ढूंढ़ने और अपने अतीत में गौरव का भाव पैदा करने के लिए लोक परंपरा को बचाकर रखना जरूरी था।


(iii) राष्ट्रवादी नेता लोगों में राष्ट्रवाद की भावना भरने के लिए चिह्नों और प्रतीकों के बारे में जागरूक होते गए। 1921 तक गांधी जी ने भी स्वराज का झंडा तैयार कर लिया था। यह तिरंगा था (सफेद, हरा और लाल)। इसके मध्य में गांधीवाद प्रतीक चरखे को जगह दी गई जो आत्मसहायता का प्रतीक था। जुलूसों में यह झंडा थामे चलना शासन के प्रति अवज्ञा का संकेत था।


(iv) इतिहास की पुर्नव्याख्या राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने का एक और साधन था। अंग्रेज़ों की नज़र में भारतीय पिछड़े हुए और आदिम लोग थे जो अपना शासन खुद नहीं सँभाल सकते। इसके जवाब में भारत के लोग अपनी महान उपलब्धियों की खोज में अतीत की ओर देखने लगे। उन्होंने इस गौरवमयी प्राचीन युग के बारे में लिखना शुरू किया जब कला और वास्तुशिल्प, विज्ञान और गणित, धर्म और संस्कृति, कानून और दर्शन, हस्तकला और व्यापार फल-फूल रहे थे। इस ने राष्ट्रवादी इतिहास में पाठकों को अतीत में भारत की महानता व उपलब्धियों पर गर्व करने और ब्रिटिश शासन के तहत दुर्दशा से ची मुक्ति के लिए संघर्ष का मार्ग अपनाने का आह्वान किया जाता था। इस प्रकार राष्ट्रवाद की भावना फैलाने में विभिन्न तत्त्वों ने योगदान दिया।



प्रश्न 5. गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? उनके द्वारा यह आन्दोलन वापस लेने के प्रमुख कारण क्या थे?


 या असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया गया? आन्दोलनकारियों केचार कार्य लिखिए।


उत्तर

 कांग्रेस ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1920 ई. में असहयोग आन्दोलन शुरू करने का निर्णय लिया। यह एक क्रान्तिकारी कदम था। कांग्रेस ने पहली बार सक्रिय कार्यवाही अपनाने का निश्चय किया। इस क्रान्तिकारी परिवर्तन के अनेक कारण थे। अब तक महात्मा गांधी ब्रिटिश सरकार की न्यायप्रियता में विश्वास करते थे और उन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सरकार को पूरा सहयोग दिया था, किन्तु जलियाँवाला बाग नरसंहार, पंजाब में मार्शल लॉ और हण्टर कमेटी की जाँच ने उनका अंग्रेजों के न्याय से विश्वास उठा दिया। उन्होंने अनुभव किया कि अब पुराने तरीके छोड़ने होंगे। कांग्रेस से उदारवादियों के अलग हो जाने के बाद कांग्रेस पर पूरी तरह से गरमपन्थियों का नियन्त्रण हो गया। उधर तुर्की और मित्रराष्ट्रों में सेवर्स की सन्धि की कठोर शर्तों से मुसलमान भी रुष्ट थे। देश में अंग्रेजों के प्रति बड़ा असन्तोष था। महात्मा गांधी ने मुसलमानों के खिलाफत आन्दोलन में उनका साथ दिया तथा असहयोग आन्दोलन छेड़ने का विचार किया।


सितम्बर, 1920 ई. में कलकत्ता में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में महात्मा गांधी ने असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव रखा। सी.आर. दास, बी.सी. पाल, ऐनी बेसेण्ट, जिन्ना और मालवीय जी ने इसका विरोध किया, लेकिन दिसम्बर, 1920 ई. में कांग्रेस के नियमित अधिवेशन में असहयोग का प्रस्ताव बहुमत से पारित हो गया तथा विरोधियों ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया।


इस आन्दोलन के मुख्य बिन्दु थे-खिताबों तथा मानव पदों का त्याग, स्थानीय निकायों में नामजदगी वाले पदों से इस्तीफा, सरकारी दरबारों या सरकारी अफसरों के सम्मान में आयोजित उत्सवों में भाग न लेना, बच्चों को स्कूलों से हटा लेना, अदालतों का बहिष्कार, फौज में भरती का बहिष्कार आदि। असहयोगियों के लिए अहिंसा तथा सत्य का पालन करना आवश्यक था। गांधी जी को विश्वास था कि इस आन्दोलन से एक वर्ष में 'स्वराज' की प्राप्ति हो जाएगी। इस आन्दोलन का भारतीय जनता पर गहरा प्रभाव पड़ा। विदेशी वस्तुओं की होली जलाई गई। बहुत से छात्रों ने स्कूल तथा कॉलेजों का बहिष्कार किया। महात्मा गांधी ने 'केसर-ए-हिन्द' का खिताब छोड़ दिया। 13 नवम्बर, 1921 को प्रिंस ऑफ वेल्स के भारत आगमन के समय बम्बई (मुम्बई) में हड़ताल रखी गई। दिसम्बर, 1921 में प्रिंस के कोलकाता आगमन पर भी हड़ताल रखी गई। ब्रिटिश सरकार ने इस आन्दोलन को कुचलने के लिए व्यापक दमन चक्र चलाया। महात्मा गांधी के अलावा सभी कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। चौरी-चौरा की एक अप्रिय घटना के कारण महात्मा गांधी ने यह आन्दोलन 1922 ई. में वापस ले लिया।


प्रश्न 6. महात्मा गांधी जी के सत्याग्रह पर एक निबन्ध लिखिए। 


 या भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में गांधी जी के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।



उत्तर- महात्मा गांधी अप्रैल 1893 में दक्षिण अफ्रीका गये थे तथा जनवरी 1915 में वे भारत लौटे। उन्होंने एक नए तरह के जनांदोलन के रास्ते पर चलते हुए वहाँ की नस्लभेदी सरकार से सफलतापूर्वक लोहा लिया था। इस पद्धति को वे सत्याग्रह कहते थे।


भारत आने के बाद गांधी जी ने कई स्थानों पर सत्याग्रह आन्दोलन चलाया। 1917 में उन्होंने बिहार के चम्पारण इलाके का दौरा किया और दमनकारी बागान व्यवस्था के खिलाफ किसानों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया। 1917 में ही उन्होंने गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों की मदद के लिए सत्याग्रह का आयोजन किया। फसल खराब हो जाने और प्लेग की महामारी के कारण खेड़ा जिले के किसान लगान चुकाने की हालत में नहीं थे। वे चाहते थे कि लगान वसूली में ढील दी जाए। 1918 में गांधी जी सूती कपड़ा कारखानों के मजदूरों के बीच सत्याग्रह आन्दोलन चलाने अहमदाबाद जा पहुँचे।


इस कामयाबी से उत्साहित गांधी जी ने 1919 में प्रस्तावित रॉलेट ऐक्ट के - खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आन्दोलन चलाने का फैसला लिया। भारतीय सदस्यों के भारी विरोध के बावजूद इस कानून को इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने बहुत जल्दबाजी में पारित कर दिया था। इस कानून के जरिए । सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनीतिक कैदियों को दो 1 साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने को अधिकार मिल गया था। महात्मा गांधी ऐसे अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ अहिंसक ढंग से नागरिक अवज्ञा चाहते थे।


■रॉलेट सत्याग्रह में सफलता मिलने के बाद उन्होंने असहयोग आन्दोलन शुरु किया। यह आन्दोलन 1 अगस्त, 1920 को शुरु हुआ था और इसके तहत । ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ असहयोग जताने के लिए लोगों से अपील की थी। इस आन्दोलन में स्कूल, कॉलेज, न्यायालय न जाएँ और न ही कर चुकाएँ, ये सारी चीजें लोगों को करने के लिए कहा गया था। तत्पश्चात् इस आन्दोलन का स्वरूप सविनय अवज्ञा आन्दोलन में परिवर्तित हो गया।



इसके बाद गांधी जी ने नमक सत्याग्रह (जिसे दांडी सत्याग्रह या दांडी आन्दोलन के नाम से भी जाना जाता है।) शुरु किया। ब्रिटिश हुकूमत ने नमक पर एकाधिकार कर दिया था जिसके बाद 12 मार्च, 1930 को गांधी जी ने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से दांडी गाँव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था। गांधी जी ने फिर ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत छोड़ो आन्दोलन शुरु किया। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का 8 अगस्त, 1942 को बंबई में सत्र हुआ था जिसमें गांधी ने 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का नारा दिया था। इस आन्दोलन के बाद गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन उसके बाद भी युवा कार्यकर्ता हड़ताल और तोड़फोड़ करते रहे और आन्दोलन को जारी रखा। अंततः 15 अगस्त, 1947 को भारत एक अलग देश बना। इस प्रकार सविनय अवज्ञा आन्दोलन, दांडी सत्याग्रह और भारत छोड़ो आन्दोलन ऐसे प्रमुख उदाहरण थे जिनमें गांधी जी ने आत्मबल को सत्याग्रह के हथियार के रूप में प्रयोग किया।



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