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यूपी बोर्ड कक्षा 10वी सामाजिक विज्ञान अध्याय 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय/Up board Class 10 Social Science Chapter 1

  यूपी बोर्ड कक्षा 10वी सामाजिक विज्ञान अध्याय 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय


सामाजिक विज्ञान के महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर


Up board Class 10 Social Science Chapter 1

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याद रखने योग्य मुख्य बिन्दु


1.यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय के कारण ही वहाँ राजतन्त्र व साम्राज्यवाद के विरुद्ध अनेक विद्रोह और क्रांतियों हुई और यूरोप में राष्ट्र-राज्यों की स्थापना सम्भत हो सकी।



2.राष्ट्रवाद पर आधारित यूरोपीय क्रांतिकारियों के प्रयासों के दौरान फ्रांस के दार्शनिक अर्न्स्ट रेनन ने राष्ट्र के स्वरूप और राष्ट्र की विशेषताओं को अपने 

व्याख्यान के द्वारा स्पष्ट किया था।



3.राष्ट्रवाद की सबसे पहली अभिव्यक्ति 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रांति में हुई। फ्रांस की इस क्रांति में मध्यम वर्ग की प्रमुख भूमिका थी। फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने राष्ट्रीय भावना के विकास हेतु ऐसे अनेक कदम उठाए, जिनसे देशवासियों में एक 'सामूहिक पहचान की भावना का विकास हो सके। 



4.फ्रांस में नागरिक संहिता', जिसे नेपोलियन की संहिता' के नाम से भी जाना जाता है, का निर्माण 1804 ई. में हुआ।


5.यूरोपीय महाद्वीप में कुलीन वर्ग ही सबसे अधिक शक्तिशाली सामाजिक वर्ग था। औद्योगिकीकरण के फलस्वरूप यूरोप में अनेक नवीन सामाजिक वर्गों का उदय हुआ। इनके श्रमिक वर्ग और मध्यम वर्ग की विद्रोह और क्रांतियों में विशेष भूमिका रही। 



6.  1815 ई. में ब्रिटेन, रूस, ऑस्ट्रिया और प्रशा जैसी वे शक्तियाँ, जिन्होंने नेपोलियन को हराया था, उनके प्रतिनिधि यूरोप के लिए एक समझौता तैयार करने हेतु वियना में मिले। 1815 ई. में आयोजित वियना शांति-संधि की अध्यक्षता ड्यूक मैटरनिख ने की थी। वियना कांग्रेस में हुई वियना संधि में फ्रांस को कमजोर करके तथा रूस, प्रशा, ऑस्ट्रिया आदि को शक्तिशाली बनाकर नेपोलियन द्वारा समाप्त किए गए राजतन्त्रों को बहाल करने का प्रयास किया गया था। इसका उद्देश्य नेपोलियन द्वारा युद्धों के दौरान किए गए बदलावों का समाप्त करना था।


7.  1815 ई. के बाद के वर्षों में क्रांतिकारियों का प्रमुख उद्देश्य उन राजतन्त्रीय व्यवस्थाओं का विरोध करना था, जो वियना कांग्रेस के बाद सामने आई थीं। इस समय अनेक क्रांतिकारी भूमिगत हो गए थे और उन्होंने अनेक गुप्त संगठन बना लिए थे।



8. इटली में क्रांतिकारी ज्युसेपे मेत्सिनी द्वारा इटली के एकीकरण हेतु प्रयास किए गए। इस उद्देश्य के लिए उसने यंग इटली' और यंग-यूरोप' नामक संगठन और उसने राजतन्त्रीय शक्तियों व रूढ़िवादी शक्तियों को हरा दिया। अपने प्रयासों से अन्ततः वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हुआ मैटरनिख ने उसे हमारी सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन बताया।


9.राजतन्त्रीय रूढ़िवाद के विरुद्ध उदारवादी राष्ट्रवादियों के नेतृत्व में इटली, जर्मनी, ऑटोमन साम्राज्य, आयरलैण्ड और पोलैण्ड जैसे देशों में क्रांति की दिशा में प्रयास किए गए। पहली क्रांति: जुलाई, 1830 में फ्रांस में हुई और उसमें रूढ़िवादी ताकतों को परास्त कर दिया गया। इसके बाद लुई फिलिप की अध्यक्षता में संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना हुई। इस घटना का सारे यूरोप पर प्रभाव पड़ा और वहाँ भी विद्रोह हुए। फ्रांस के सन्दर्भ में मैटरनिख ने एक बार कहा था, जब फ्रांस छींकता है तो बाकी यूरोप को सर्दी हो जाती है।"


10.इंग्लैण्ड के औद्योगीकरण की दृष्टि से आगे होने के कारण यूरोप के अन्य देशों के उद्योगों की परेशानियों बढ़ गयीं। दूसरी ओर कुलीन वर्ग के कारण यूरोप के किसानों की दयनीय दशा हो गयी। 1848 ई. में इन्हीं कारणों से पेरिस के लोग सड़कों पर उतर आए और उन्होंने विद्रोह कर दिया। लुई फिलिप को भागने के लिए विवश होना पड़ा और राष्ट्रीय सभा के द्वारा एक नवीन गणतन्त्र की घोषणा की गयी। 



11.1848 ई. का वर्ष 'उदारवादियों की क्रांति का वर्ष' कहलाता है।


12.इस समय फ्रांस, जर्मनी, इटली, पोलैंड, ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य के उदारवादी मध्यवगों द्वारा राष्ट्रीय एकीकरण हेतु क्रांतिकारी प्रयास किए गए और जर्मनी में सर्व-जर्मन नेशनल एसेंबली की जीत हुई। वहाँ सेंट पॉल चर्च में 18 मई, 1848 ई. को फ्रैंकफर्ट संसद में जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों ने अपना स्थान ग्रहण किया। उनके द्वारा एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया।


13.नए जर्मन राष्ट्र के लिए सेंट पॉल चर्च में आयोजित फ्रैंकफर्ट संसद की अध्यक्षता हेतु प्रशा के राजा फ्रेडरीख विल्हेम चतुर्थ को न्योता दिया गया और उन्हें ताज पहनाने की कोशिश की गयी, परन्तु उसके द्वारा यह पेशकश अस्वीकार कर दी गयी। इससे कुलीन वर्ग और सेना का विरोध बढ़ गया और एसेंबली भंग कर दी गयी। 



14.जर्मनी में प्रशा के ऑटो वॉन बिस्मार्क द्वारा जर्मनी के एकीकरण का नेतृत्व सम्भाला गया। बिस्मार्क के नेतृत्व में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से हुए युद्धों में प्रशा की जीत हुई और जर्मनी का एकीकरण पूरा हुआ। इसके बाद 1871 ई. में वर्साय में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया। 18 जनवरी, 1871 ई. को वर्साय के महल के बेहद ठण्डे शीशमहल (हॉल ऑफ मिरर्स) में नए स्वतन्त्र जर्मन साम्राज्य की घोषणा हुई।



15.19वीं सदी के मध्य इटली 7 राज्यों में बैठा हुआ था। 1830 ई. के दशक में ज्युरोपे मेत्सिनी और उसके द्वारा मार्गेई नामक स्थान पर गठित एक गुप्त संगठन 'यंग इटली' के सदस्यों द्वारा इटली के एकीकरण हेतु प्रयास शुरू हुआ, परन्तु 1831 ई. और 1848 ई. में इटली में क्रांतिकारी विद्रोहियों को असफलता प्राप्त हुई। इसके बाद इटली के एकीकरण हेतु विक्टर इमेनुएल द्वितीय, उसके मंत्री कातूर और ज्युरोपेगैबॉलीने प्रयास शुरू किए और अन्ततः उन्हें अपना लक्ष्य प्राप्त करने में सफलता प्राप्त हुई।


20.1707 ई. में इंग्लैण्ड तथा स्कॉटलैण्ड के बीच 'ऐक्ट ऑफ यूनियन' नामक एक समझौता हुआ था, जिसके फलस्वरूप ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन हुआ। इससे इंग्लैण्ड का स्कॉटलैण्ड पर प्रभुत्व स्थापित हुआ। आयरलैण्ड को भी बलपूर्वक यूनाइटेट किंगडम में शामिल कर लिया गया और एक नष्ट ब्रितानी राज्य का निर्माण हुआ।




 21.उन्नीसवीं शताब्दी में एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की स्मृति को बनाए रखने हेतु फ्रांस में स्वतन्त्रता और गणतन्त्र के प्रतीकों द्वारा मारीआन के रूप में जन-राष्ट्र का विचार दर्शाया गया। इसी प्रकार जर्मन राष्ट्र का प्रतीक अर्मेनिया बन गयी। उसे वीरता का प्रतीक बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहने दर्शाया गया है।



 22.1871 ई. के बाद यूरोप में गम्भीर राष्ट्रवादी तनाव का क्षेत्र बाल्कन क्षेत्र और वहाँ के निवासी स्लाव बने। बाल्कन क्षेत्र का अधिकांश क्षेत्र ऑटोमन साम्राज्य के अधीन थे।


23.बाल्कन क्षेत्र में तनाव के कारण इस क्षेत्र में कई युद्ध हुए और अन्ततः यही बाल्कन क्षेत्र 1914 ई. के प्रथम विश्वयुद्ध का कारण बना।





महत्त्वपूर्ण शब्दावली




निरंकुशवाद-ऐसी सरकार या शासन व्यवस्था, जिसकी सत्ता पर किसी का कोई अंकुश नहीं होता। यह केन्द्रीकृत, सैन्य बल पर आधारित और दमनकारी सरकारें होती हैं।



 कल्पनादर्श – इसे युटोपिया भी कहा जाता है। इसमें ऐसे आदर्श समाज की कल्पना की जाती है, जिसका साकार होना लगभग असम्भव होता है।


जनमत संग्रह – एक प्रत्यक्ष मतदान, जिसके माध्यम से एक क्षेत्र के समस्त लोगों से किसी प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए कहा जाता है। सढ़िवाद ऐसा राजनीतिक दर्शन, जो परम्पराओं, रिवाजों और स्थापित संस्थाओं पर बल देता है। यह तीव्र परिवर्तन की उपेक्षा करते हुए धीरे-धीरे परिवर्तन को प्राथमिकता देता है।


विचारधारा-एक विशेष प्रकार की सामाजिक एवं राजनीतिक दृष्टि को दर्शाने वाला विचारों का समूह


नारीवाद - स्त्री-पुरुषों की सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक समानता की सोच के आधार पर महिलाओं के हितों और अधिकारों का बोध कराने वाली विचारधारा नृजातीय-एक साझा, नस्ली, जनजातीय या सांस्कृतिक उद्गम अथवा पृष्ठभूमि, जिसे कोई समुदाय अपनी पहचान मानता है।



 उदारवाद यह लैटिन भाषा के लिवर शब्द से बना है, जिसका अर्थ है- 'आजाद। यूरोप में मध्यवर्गों के लिए इसका अर्थ या व्यक्ति के लिए आजादी या

कानूनी दृष्टि से समानता। 



 घोषणा-पत्र एक प्रकार का प्रपन्न, जिसमें किसी प्रकार की घोषणाएँ दी होती हैं। ये घोषणाऐं उस विषय से सम्बन्धित होती हैं, जिस पर यह आधारित होता है। 



राष्ट्रवाद वह भावना अथवा विचारधारा, जिसके माध्यम से जनता में राजनैतिक, सामाजिक व आर्थिक एकीकरण सम्भव हुआ।


प्रभुसत्ता-राष्ट्रीय विषयों पर निर्णय लेने की स्वतन्त्रता, जो पहले राजतन्त्रों के पास थी और राष्ट्र राज्यों के बनने के बाद वहाँ के नागरिकों के पास आ गयी। 



 संहिता ऐसी नियमावली, जिसमें नियमों की विस्तृत सूची होती है।


मताधिकार किसी भी विषय के निर्णय अथवा सरकार को चुनने की प्रक्रिया में जनता को प्राप्त मत देने का अधिकार।


महासंघ-छोटी-छोटी इकाइयों से बना एक बड़ा संघ। यह राज्यों अथवा सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक आदि किसी भी प्रकार की इकाइयों का हो सकता है। में 


राष्ट्र राज्य-एक ऐसा आधुनिक राज्य, जिसमें एक केन्द्रीय शक्ति की प्रभुसत्ता हो तथा उसके शासकों व नागरिकों में एक साझा पहचान का भाव हो।



 जर्मेनिया यह जर्मन राष्ट्र का रूपक थी। इसे वीरता के प्रतीक बलूत के वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहने हुए दर्शाया गया है।


मारीआन-फ्रांस में राष्ट्रीय भावना के रूपक के रूप में दर्शाई गयी एक नारी की छवि। यह ईसाइयों का लोकप्रिय नाम था और इसे सिक्कों और डाक टिकटों पर दर्शाया गया था।




महत्त्वपूर्ण तिथियाँ


• 1688 ई. -इंग्लैंड की गौरवमयी क्रांति


● 1707 ई. -इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच 'ऐक्ट ऑफ यूनियन' द्वारा 'यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन' का गठन।


• 1789 ई.-फ्रांसीसी क्रांति का आरम्भ और लुई सोलहवें के शासन का अन्त


● 1797 ई. - नेपोलियन का इटली पर हमला, नेपोलियाई युद्धों की शुरुआत


● 1801 ई.-यूनाइटेड किंगडम और आयरलैंड का मिलाप


● 1804 ई. -नेपोलियन द्वारा 'नागरिक संहिता' बनाया जाना


● 1807 ई.-ज्युसेपे मेत्सिनी का जन्म


● 1814-1815 ई.-नेपोलियन का पतन, वियना शांति संधि


● 1821 ई. -यूनानी स्वतन्त्रता संग्राम का आरम्भ


● 1830 ई. -फ्रांस की जुलाई क्रांति



● 1891 ई.-मेत्सिनी द्वारा 'यंग इटली' नामक संगठन का गठन


● 1832 ई. -यूनान एक स्वतन्त्र राष्ट्र बना


● 1848 ई. -फ्रांस की क्रांति, आर्थिक परेशानियों से ग्रस्त कारीगरों, औद्योगिक मजदूरों और किसानों की बगावत, मध्यवर्ग द्वारा संविधान व प्रतिनिध्यात्मक सरकार के गठन की माँग, इतालवी, जर्मन, मैग्यार, पोलिश, चेक आदि की राष्ट्र-राज्यों की माँग।


● 1859-1870 ई. -इटली का एकीकरण


● 1861 ई. -इमेनुएल द्वितीय इटली का शासक बना


● 1866 ई.-ऑस्ट्रिया और प्रशा के बीच युद्ध


● 1866-1871 ई. -जर्मनी का एकीकरण


● 1870 ई. -इटली के एकीकरण की प्रक्रिया पूरी होना


• 1871 ई. -जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया पूरी होना


● 1905 ई. -हैब्सबर्ग और ऑटोमन साम्राज्यों में स्लाव राष्ट्रवाद का मजबूत होना


• 1914 ई.-प्रथम विश्वयुद्ध का आरम्भ




बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक


प्रश्न 1. इनमें से किस वर्ष में फ्रांस में नागरिक संहिता, जिसे नेपोलियन की संहिता के नाम से भी जाना जाता है, का उदय हुआ?


(क) 1800 ई.


(ख) 1802 ई.


(ग) 1804 ई.


(घ) 1806 ई.


उत्तर-(ग) 1804 ई.



प्रश्न 2.'यंग इटली सोसाइटी' का संस्थापक कौन था?



(क) गैरीबॉल्डी 


(ख) बिस्मार्क


 (ग) काबूर


(घ) मेजिनी


उत्तर-


(घ) मेजिनी


प्रश्न 3. फ्रांस में गणतंत्र की घोषणा किस वर्ष हुई?


(क) 1815 ई.


(ख) 1830 ई.


(ग) 1848 ई.


(घ) 1871 ई.


उत्तर- (ग) 1848 ई.




प्रश्न 4.निम्न में से किस संधि के फलस्वरूप यूनान को एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में मान्यता मिली?


(क) पेरिस की संधि


(ख) वर्साय की संधि


(ग) वियना की संधि


(घ) कुस्तुनतुनिया की संधि


उत्तर(घ) कुस्तुनतुनिया की संधि


प्रश्न 5.निम्न में से यह किसका कथन है-"जब फ्रांस छींकता है, तो बाकी यूरोप को सर्दी-जुकाम हो जाता है?”


(क) मैटरनिख 


(ख) कावूर 


(ग) बिस्मार्क 


(घ) मेत्सिनी


उत्तर-


(क) मैटरनिख


प्रश्न 6.फ्रांस की क्रांति हुई



(क) 1788 ई. 


(ख) 1789 ई.


(ग) 1790 ई.


 (घ) 1787 ई.


उत्तर-


(ख) 1789 ई.


प्रश्न 7.राष्ट्रवाद का प्रारम्भ जिस देश से हुआ, वह है



(क) जमनी


(ख) इटली


(ग) फ्रांस


(घ) इंग्लैण्ड


उत्तर- (ग) फ्रांस



प्रश्न 8.जर्मनी को किस वर्ष एक स्वतन्त्र राज्य घोषित किया गया?


(क) 1871 ई. 


(ख) 1872 ई.


 (ग) 1876 ई.


 (घ) 1880 ई.


उत्तर- (क) 1871 ई.


प्रश्न 9.जर्मनी का एकीकरण का श्रेय इनमें से किसे दिया जाता है? 


(क) ऑटो वॉन बिस्मार्क


(ख) काइजर विलियम प्रथम


(ग) हिटलर


(घ) मेत्सिनी


उत्तर-


(क) ऑटो वॉन बिस्मार्क


प्रश्न 10. नेपोलियन का सम्बन्ध किस देश से था?




(क) जर्मनी


(ख) इटली 


(ग) फ्रांस


(घ) इंग्लैंड


उत्तर-


(ग) फ्रांस


प्रश्न 11. इटली का एकीकरण किसके नेतृत्व में किया गया?


(क) ज्युसेपे गैरीबॉल्डी


(ख) ऑटो वान बिस्मार्क


(ग) नेपोलियन


(घ) विलियम प्रथम


उत्तर-


(क) ज्युसेपे गैरीबॉल्डी


प्रश्न 12.1848 की फ्रांसीसी राज्य क्रांति के फलस्वरूप


(क) निरंकुश राजतंत्र की स्थापना हुई।


(ख) सीमित राजतंत्र की स्थापना हुई।


(ग) सैन्य शासन की स्थापना हुई।


(घ) गणतंत्र की स्थापना हुई।


उत्तर


(घ) गणतंत्र की स्थापना हुई।




अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 2 अंक


प्रश्न 1. किस प्रसिद्ध फ्रांसीसी चित्रकार ने चार चित्रों की श्रृंखला बनाई?



 उत्तर- फ्रेडरिक सॉरयू ने (1848 ई. में)।



प्रश्न 2. उन्नीसवीं शताब्दी में यूरोप में राजनीतिक एवं मानसिक जगत् भारी परिवर्तन आने के क्या कारण थे? 


उत्तर- राष्ट्र राज्य का उदय।


प्रश्न 3. निरंकुशवाद से क्या तात्पर्य है?


उत्तर- एक ऐसी सरकार या शासन-व्यवस्था जिसका सत्ता पर किसी प्रकार का कोई अंकुश नहीं होता। ऐसी सरकार जनता के अनुकूल कार्य नहीं करती। ये अत्यंत केंद्रीकृत, सैन्य बल पर आधारित और दमनकारी सरकारें होती थीं।


प्रश्न 4. जर्मनी के एकीकरण में सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान किसका था? जर्मन राष्ट्र का प्रथम सम्राट कौन घोषित किया गया? 


 उत्तर- जर्मनी के एकीकरण में ऑटो वॉन बिस्मार्क का सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान था। प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मन राष्ट्र का प्रथम सम्राट घोषित किया गया।


प्रश्न 5. जनमत संग्रह क्या है?


उत्तर- जनमत संग्रह एक प्रत्यक्ष मतदान है जिसके जरिए एक क्षेत्र के सभी लोगों से एक प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए पूछा जाता है।


प्रश्न 6. उदारवाद क्या है?


उत्तर


उदारवाद liberalism शब्द का हिंदी रूपांतरण है। liberalism शब्द लैटिन भाषा के liber पर आधारित है, जिसका अर्थ है-स्वतंत्रता। नए मध्य वर्गों के लिए उदारवाद का मतलब था-व्यक्ति के लिए आजादी और

कानून के समक्ष सबकी बराबरी।


प्रश्न 7. नृजातीय शब्द का अर्थ बताइए। 


उत्तर- एक साझा नस्ली जनजातीय या सांस्कृतिक उद्गम अथवा पृष्ठभूमि जिसे कोई समुदाय अपनी पहचान मानता है।




प्रश्न 8.. जर्मन राष्ट्र का रूपक क्या था? वह किस बात का प्रतीक था?


उत्तर- जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र की रूपक थी। चाक्षुष अभिव्यक्तियों में जर्मेनिया बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती है क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है।


प्रश्न 9. नारीवाद क्या था?


उत्तर- स्त्री-पुरुष को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक समानता की सोच के आधार पर महिलाओं के अधिकारों और हितों का बोध नारीवाद है।


प्रश्न 10. ऑटो वॉन बिस्मार्क को जर्मनी के एकीकरण का जनक क्यों कहा जाता है? दो कारण लिखिए।


उत्तर- (i) बिस्मार्क ने सुधार एवं कूटनीति के अंतर्गत जर्मनी के क्षेत्रों का प्रशाकरण अथवा प्रशा का एकीकरण करने का प्रयास किया।


(ii) बिस्मार्क ने जर्मनी के एकीकरण के लिए 'रक्त और लौह की नीति का पालन किया। इस नीति से तात्पर्य था कि सैन्य उपायों द्वारा ही जर्मनी का एकीकरण करना।



लघु उत्तरीय प्रश्न 3 अंक


प्रश्न 1. यूरोप में 'राष्ट्र के विचार के निर्माण में संस्कृति ने किस प्रकार महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। 


उत्तर- यूरोप में राष्ट्र के विचार के निर्माण में संस्कृति ने निम्नलिखित भूमिका निभाई


(i) यूरोप में कला, काव्य, कहानियों, किस्सों और संगीत ने राष्ट्रवादी भावनाओं को निर्मित करने और उन्हें व्यक्त करने में काफी सहयोग दिया। जर्मनी इसका सर्वोत्तम उदाहरण है।


(ii) रूमानी कलाकारों और कवियों ने एक साझा संस्कृति तथा साझा सामूहिक विरासत की अनुभूति को राष्ट्र का आधार बनाया। ग्रीक इसका एक अच्छा उदाहरण है।


(iii) राष्ट्रीय संदेश को अधिकाधिक लोगों तक पहुँचाने के लिए स्थानीय बोलियों पर बल दिया गया और स्थानीय लोक साहित्य को एकत्र किया गया। उदाहरण-पोलैंड व जर्मनी आदि।


(iv) राष्ट्रवाद की भावना को जिंदा रखने के लिए संगीत का उपयोग किया गया। भाषा ने इसमें विशेष योगदान दिया।


प्रश्न 2."ज्युसेपे मेत्सिनी और कावूर ने इटली के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।


उत्तर- 1830 के दशक में ज्युसेपे मेत्सिनी ने एकीकृत इतालवी गणराज्य के लिए एक सुविचारित कार्यक्रम प्रस्तुत करने की कोशिश की थी। उसने अपने उद्देश्यों के प्रसार के लिए यंग इटली नामक एक गुप्त संगठन भी बनाया था। 1831 से 1848 तक क्रांतिकारी विद्रोह हुए लेकिन इसे असफलता हाथ लगी। सार्डिनिया पीडमॉण्ट के राजा विक्टर इमेनुएल द्वितीय के मंत्री प्रमुख कावूर ने इटली के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसने इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आंदोलन का नेतृत्व किया न तो वह एक क्रांतिकारी था और न ही जनतंत्र में विश्वास रखने वाला। इतालवी अभिजात वर्ग के तमाम अमीर और शिक्षित सदस्यों की तरह वह इतालवी भाषा से कहीं बेहतर फ्रेंच बोलता था। फ्रांस से सार्डिनिया-पीडमॉण्ट की एक चतुर कूटनीतिक संधि, जिसके पीछे कावूर का हाथ था, से वह 1859 में ऑस्ट्रिया को हराने में कामयाब रहा।


प्रश्न 3. "नेपोलियन ने निःसंदेह फ्रांस में लोकतंत्र को नष्ट किया था, परंतु प्रशासनिक क्षेत्र में उसने क्रांतिकारी सिद्धांतों का समावेश किया था,

ताकि पूरी व्यवस्था अधिक तर्कसंगत और कुशल बन सके।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।



उत्तर नेपोलियन ने नि:संदेह फ्रांस में लोकतंत्र को नष्ट किया था परंतु प्रशासनिक क्षेत्र में उसने क्रांतिकारी सिद्धांतों का समावेश किया था ताकि पूरी व्यवस्था अधिक तर्कसंगत और कुशल बन सके। 1804 ई. की नागरिक संहिता (जिसे आमतौर पर नेपोलियन की संहिता के नाम से जाना जाता है),


के तहत निम्नलिखित परिवर्तन किए गए थे


 (1) जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए गए थे।


(ii) उसने कानून के समक्ष बराबरी और संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया।


 (iii) डच गणतंत्र, स्विट्जरलैंड, इटली और जर्मनी में नेपोलियन ने प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया। सामंती व्यवस्था को खत्म किया।


(iv) किसानों को भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति दिलाई।


 (v) शहरों में भी कारीगरों के श्रेणी संघों के नियंत्रणों को हटा दिया गया।


 (vi) यातायात और संचार व्यवस्थाओं को सुधारा गया।



प्रश्न 4. 1848 की उदारवादियों की क्रांति में किन विचारों को आगे बढ़ाया गया?


उत्तर 1848 में जब अनेक यूरोपीय देशों में किसान और मज़दूर विद्रोह कर रहे थे तब वहाँ पढ़े-लिखे मध्य वर्गों की एक क्रांति भी हो रही थी। इस क्रांति से राजा को गद्दी छोड़नी पड़ी थी और एक गणतंत्र की घोषणा की गई जो सभी पुरुषों के सार्विक मताधिकार पर आधारित थी। यूरोप के अन्य भागों में न जहाँ अभी तक स्वतंत्र राष्ट्र अस्तित्व में नहीं आए थे; जैसे-जर्मनी, इटली, पोलैंड। वहाँ के उदारवादी मध्यम वर्गों ने संविधानवाद की माँग को राष्ट्रीय एकीकरण की माँग से जोड़ दिया। उन्होंने बढ़ते जन-असंतोष का फायदा उठाया और एक राष्ट्र राज्य के निर्माण की मांगों को आगे बढ़ाया। यह राष्ट्र राज्य संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठन बनाने की आजादी जैसे संसदीय सिद्धांतों पर आधारित था।



प्रश्न 5. 1848 की उदारवादी क्रांति का क्या परिणाम हुआ?


उत्तर- रूढ़िवादी शक्तियाँ 1848 में उदारवादी आंदोलनों को दबा पाने में कामयाब हुईं किंतु वे पुरानी व्यवस्था बहाल नहीं कर पाईं। राजाओं को यह वे समझ में आना शुरू हो गया था कि उदारवादी राष्ट्रवादी क्रांतिकारियों को रियायतें देकर ही क्रांति को समाप्त किया जा सकता था। अत: 1848 के बाद के वर्षों में मध्य और पूर्वी यूरोप की निरंकुश राजशाहियों ने उन परिवर्तनों को प्रारंभ किया जो पश्चिमी यूरोप में 1815 से पहले हो चुके थे। इस प्रकार हैब्सबर्ग अधिकार वाले क्षेत्रों और रूस से भू-दासत्व और बँधुआ समाप्त कर दी गई हैब्सबर्ग शासकों ने हंगरी के लोगों को ज्यादा स्वायत्तता प्रदान की हालाँकि इससे निरंकुश मैग्यारों के प्रभुत्व का रास्ता ही साफ हुआ।


प्रश्न 6. उदारवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।



 उत्तर- उदारवाद लैटिन भाषा के शब्द 'लिबर' से बना है, जिसका अर्थ है-आजाद। नए मध्यम वर्गों के लिए उदारवाद का अर्थ था-व्यक्ति के लिए आज़ादी और कानून के समक्ष बराबरी। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थी


(i) उदारवाद एक ऐसी सरकार पर ज़ोर देता था जो सहमति से बनी हो। 


(ii) उदारवाद निरंकुश शासक और पादरी वर्ग के विशेषाधिकारों की समाप्ति, संविधान तथा संसदीय प्रतिनिधि सरकार का पक्षधर था। 


(iii) 19वीं सदी के उदारवादी निजी संपत्ति के स्वामित्व की अनिवार्यता पर भी बल देते थे।


 (iv) आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद, बाज़ारों की मुक्ति और चीजों तथा पूँजी के आवागमन पर राज्य द्वारा लगाए गए नियंत्रणों को खत्म करने के पक्ष में था। ये एक ऐसे एकीकृत आर्थिक क्षेत्र में निर्माण के पक्ष में थे जहाँ वस्तुओं, लोगों और पूँजी का आवागमन बाधारहित हो।



प्रश्न 7. नेपोलियन द्वारा किए गए सुधारों का वर्णन कीजिए।


 उत्तर- नेपोलियन बोनापार्ट विश्व के महानतम व्यक्तियों में से एक था। उसके असाधारण कार्यों और आश्चर्यजनक विजयों ने 1799 ई. से 1815 ई.तक सम्पूर्ण यूरोप को प्रभावित किया। उसके प्रमुख सुधार निम्नलिखित हैं 


1. शासन सम्बन्धी सुधार नेपोलियन की शासन व्यवस्था प्रतिभा, व्यापकता और कार्यक्षमता के सिद्धान्तों पर आधारित थी। देश की अराजकता को समाप्त करने के लिए उसने शासन का केन्द्रीकरण कर दिया।


2. आर्थिक सुधार- नेपोलियन ने पेरिस में बैंक ऑफ फ्रांस की स्थापना कराई। मादक द्रव्यों, नमक आदि पर कर लगाया, मजदूरों का वेतन निश्चित किया, चोरबाजारी, सट्टेबाजी, मुनाफाखोरी को समाप्त किया। 


3. धार्मिक सवार-नेपोलियन ने अपने देशवासियों को धार्मिक स्वतन्त्रता प्रदान करने का प्रयत्न किया। राज्य की ओर से सभी को अपने धर्म काआचरण करने की स्वतन्त्रता प्रदान की गई थी।



 4. न्याय सम्बन्धी सुधार- नेपोलियन ने फ्रांस के लिए विधि संहिताओं का निर्माण करवाया। इसे 'नेपोलियन कोड' के नाम से भी जाना गया। नेपोलियन का यह कार्य फ्रांस को एक स्थायी देन थी।


5. शिक्षा सम्बन्धी सुधार-नेपोलियन ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण सुधार किए। उसने फ्रांस में राष्ट्रीय शिक्षा की नींव डाली और पेरिस में एक विश्वविद्यालय की स्थापना भी की।


6. सार्वजनिक सुधार - नेपोलियन ने सार्वजनिक हित के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण सुधार किए। उसने बेरोजगारी को दूर किया। आवागमन को सुगम बनाने के लिए 229 पक्की सड़कों का निर्माण कराया।



 प्रश्न 8. यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति का क्या योगदान था?


उत्तर- यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को निम्नलिखित उदाहरणों से समझा जा सकता है 


प्रथम उदाहरण के रूप में हम रूमानीवाद नामक सांस्कृतिक आन्दोलन को ले सकते हैं। रूमानीवाद एक ऐसा सांस्कृतिक आन्दोलन था जो विशिष्ट प्रकार की राष्ट्रीय भावना का विकास करना चाहता था।


द्वितीय उदाहरण के रूप में हम क्षेत्रीय बोलियों को ले सकते हैं। क्षेत्रीय बोलियाँ राष्ट्र निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती थीं, क्योंकि यही यथार्थ रूप में आधुनिक राष्ट्रवादियों के सन्देश को अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुँचाती थीं जो अधिकांशतः निरक्षर थे।


तृतीय उदाहरण के रूप में हम संगीत को ले सकते हैं। कैरोल कुर्पिस्की, एक पोलिश नागरिक, ने राष्ट्रीय संघर्ष का अपने ऑपेरा में संगीत के रूप में गुणगान किया और पोलेनेस और माजुरला जैसे लोकनृत्यों को राष्ट्रीय प्रतीकों में बदल दिया।


प्रश्न 9. रेनन की समझ के अनुसार एक राष्ट्र की विशेषताओं का संक्षिप्त विवरण दें। उसके मतानुसार राष्ट्र क्यों महत्त्वपूर्ण है? 


उत्तर- रेनन की समझ के अनुसार एक राष्ट्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं


(i) रेनन के अनुसार एक राष्ट्र तब बनता है जब वहाँ के लोगों द्वारा लंबे प्रयास और निष्ठा से इसके लिए काम किया जाता है। 


(ii) अतीत में समान गौरव का होना, वर्तमान में समान इच्छा संकल्प का होना, साथ मिलकर महान काम करना और आगे ऐसे काम और करने की इच्छा एक जनसमूह होने की यह सब ज़रूरी शर्तें हैं।


(iii) राष्ट्र एक बड़ी और व्यापक एकता है। उसका अस्तित्व रोज़ होने वाला जनमत संग्रह है...। प्रांत उसके निवासी हैं; अगर सलाह लिए जाने का किसी को अधिकार है तो वह निवासी ही है, किसी देश का विलय करने या किसी देश पर उसकी इच्छा के विरुद्ध कब्ज़ा जमाए रखने में एक राष्ट्र की वास्तव में कोई दिलचस्पी होती नहीं है। 


(iv) राष्ट्रों का अस्तित्व में होना एक अच्छी बात ही नहीं है, बल्कि यह एक ज़रूरत भी है। उनका होना स्वतंत्रता की गारंटी है और अगर दुनिया में केवल एक कानून और उसका केवल एक मालिक होगा तो स्वतंत्रता का लोप हो जाएगा।


प्रश्न 10. जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाएँ या जर्मनी का एकीकरण कब और कैसे हुआ?


उत्तर- राष्ट्रवादी भावनाएँ मध्यमवर्गीय जर्मन लोगों में काफी व्याप्त थीं। उन्होंने 1848 में जर्मन महासंघ के विभिन्न इलाकों को जोड़कर एक निर्वाचित संसद द्वारा शासित राष्ट्र-राज्य बनाने का प्रयास किया था। मगर इस पहल को राजशाही और फौज की ताकत ने मिलकर दबा दिया। उनका प्रशा के बड़े भू-स्वामियों ने भी समर्थन किया। उसके बाद प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण के आंदोलन का नेतृत्व सँभाल लिया। उसका मुख्य मंत्री ऑटो वॉन बिस्मार्क इस प्रक्रिया का जनक था, जिसने प्रशा की सेना और नौकरशाही की मदद ली। 7 वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से तीन युद्धों में प्रशा की जीत हुई और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई। जनवरी 1871 में वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया। इस तरह 1871 में जर्मनी का एकीकरण हुआ।


प्रश्न 11. फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने क्या कदम उठाए ?


उत्तर

 प्रारंभ से ही फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने ऐसे अनेक कदम उठाए, जिनसे फ्रांसीसी लोगों में एक सामूहिक पहचान की भावना उत्पन्न हो सकती थी। ये कदम निम्नलिखित थे


(i) पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया, जिसे एक संविधान के अंतर्गत समान अधिकार प्राप्त थे। 


(ii) एक नया फ्रांसीसी झंडा चुना गया, जिसने पहले के राष्ट्रध्वज की जगह ले ली।


(iii) स्टेट जनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा और उसका नाम बदलकर नेशनल एसेंबली कर दिया गया।


 (iv) नई स्तुतियाँ रची गईं, शपथें ली गईं, शहीदों का गुणगान हुआ और यह सब राष्ट्र के नाम पर हुआ।


(v) एक केंद्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई, जिसने अपने भू-भाग में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाए।


 (vi) आंतरिक आयात-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिए गए और भार तथा नापने की एक समाने व्यवस्था लागू की गई।


 (vii) क्षेत्रिय बोलियों को हतोत्साहित किया गया और पेरिस में फ्रेंच जैसी बोली और लिखी जाती थी, वही राष्ट्र की साझा भाषा बन गई।


प्रश्न 12. मारीआन और जर्मेनिया कौन थे? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उसका क्या महत्त्व था?



उत्तर फ्रांसीसी क्रांति के समय कलाकारों ने स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र जैसे विचारों को व्यक्त करने के लिए नारी प्रतीकों का सहारा लिया। इनमें मारीआन और जर्मेनिया अत्यधिक प्रसिद्ध हैं।


मारीआन – यह लोकप्रिय ईसाई नाम है। अतः फ्रांस ने अपने स्वतंत्रता के नारी प्रतीक को यही नाम दिया। यह छवि जन राष्ट्र के विचार का प्रतीक थी। इसके चिह्न स्वतंत्रता व गणतंत्र के प्रतीक लाल टोपी, तिरंगा और कलगी थे। मारीआन की प्रतिमाएँ सार्वजनिक चौराहों और अन्य महत्त्वपूर्ण स्थानों पर लगाई गई ताकि जनता को राष्ट्रीय एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद आती रहे और वह उससे अपना तादात्मय (तालमेल) स्थापित कर सके। मारीआन की छवि सिक्कों डाक टिकटों पर अंकित की गई थी।


 जर्मेनिया - यह जर्मन राष्ट्र की नारी रूपक थी। चाक्षुष अभिव्यक्तियों में वह

 बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती है क्योंकि जर्मनी में बलूत वीरता का प्रतीक है, उसने हाथ में जो तलवार पकड़ी हुई थी उस पर यह लिखा हुआ है "जर्मन तलवार जर्मन राइन की रक्षा करती है।" इस प्रकार जर्मेनिया, जर्मनी में स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र की प्रतीक बनकर उभरी एक नारी छवि थी।


प्रश्न 13. बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा?


उत्तर. 1871 ई. के बाद यूरोप में बाल्कन क्षेत्र (प्रदेश) गंभीर राष्ट्रवादी तनाव का क्षेत्र बन गया। इस राष्ट्रवादी तनाव के निम्नलिखित कारण थे 


(i) इस क्षेत्र की अपनी भौगोलिक व जातीय भिन्नता थी।


(ii) इस क्षेत्र में आधुनिक यूनान, रोमानिया, बुल्गेरिया, अल्वेरिया, मेसिडोनिया, क्रोएशिया, बोस्निया हर्जेगोविना, स्लोवेनिया, सर्बिया, मॉन्टिनिग्रो आदि देश थे जहाँ पर स्लाव भाषा बोलने वाले लोग रहते थे। ये सभी तुर्कों से भिन्न थे।


(iii) तुर्की और इन ईसाई प्रजातियों के बीच मतभेदों के कारण यहाँ पर हालात भयंकर हो गए।


(iv) जब स्लाव राष्ट्रीय समूहों में स्वतंत्रता व राष्ट्रवाद का विकास हुआ। तो तनाव की स्थिति और भी भयंकर हो गई।


(v) इस कारण इन राज्यों में आपसी प्रतिस्पर्धा और हथियारों की होड़ लग गई। इसने स्थिति को और गंभीर बना दिया।


(vi) यूरोपीय देश (रूस, जर्मनी, इंग्लैंड, ऑस्ट्रिया, हंगरी) भी इन क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहते थे ताकि काला सागर से होने वाले व्यापार और व्यापारिक मार्ग पर उनका नियंत्रण हो। उपर्युक्त कारणों से इस क्षेत्र में यूरोपीय देशों और इन राज्यों में आपस में कई युद्ध हुए, जिसका अंतिम परिणाम प्रथम विश्वयुद्ध के रूप में सामने आया।




दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 6 अंक




प्रश्न 1. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बताएँ कि 19वीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए?



उत्तर- 19वीं शताब्दी में लगभग पूरे यूरोप में राष्ट्रीयता का विकास हुआ जिस कारण राष्ट्र राज्यों का उदय हुआ। इनमें बेल्जियम व पोलैंड भी ऐसे ही देश थे। 1815 ई. में नेपोलियन की हार के बाद वियना संधि द्वारा बेल्जियम और पोलैंड को मनमाने तरीके से अन्य देशों के साथ जोड़ दिया गया, जिनका आधार यूरोपीय सरकारों की यह रूढ़िवादी विचारधारा थी कि राज्य व समाज की स्थापित पारंपरिक संस्थाएँ; जैसे— राजतंत्र, चर्च, सामाजिक ऊँच-नीच, संपत्ति और परिवार आदि बने रहने चाहिए। इसका बेल्जियम व पोलैंड ने विरोध किया। अपने को स्वतंत्र राष्ट्र-राज्य के रूप में स्थापित किया। इनका निर्माण इस प्रकार हुआ


1. बेल्जियम - वियना कांग्रेस द्वारा बेल्जियम को हॉलैंड के साथ मिला दिया गया। परंतु दोनों देशों में ईसाई धर्म के कट्टर विरोधी मतानुयायी रहते थे। जहाँ बेल्जियम में कैथोलिक थे, वहीं हॉलैंड में प्रोटेस्टेट । हॉलैंड का शासक भी हॉलैंडवासियों को बेल्जियमवासियों से श्रेष्ठ मानता था। अत: इस श्रेष्ठता को बनाए रखने के लिए उसने सभी स्कूलों में प्रोटेस्टेंट धर्म की शिक्षा देने की राजाज्ञा जारी की। इसका बेल्जियमवासियों ने कड़ा विरोध किया, इसमें इंग्लैंड ने उनका साथ दिया जिस कारण हॉलैंड को बेल्जियम को 1830 में स्वतंत्र करना पड़ा। बाद में यहाँ पर इंग्लैंड जैसी संवैधानिक व्यवस्था कायम हुई।


2. पोलैंड-वियना संधि द्वारा ही पोलैंड को दो भागों में बाँटा गया और इसका बड़ा भाग रूस को इनाम के तौर पर दे दिया गया। परंतु जब वहाँ के लोगों में राष्ट्रीय भावना का विकास हुआ तो 1848 में पोलैंड और वारसा में क्रांति आरंभ हुई। इसे रूसी सेनाओं ने कठोरता से दबा दिया, परंतु राष्ट्रवादियों ने हार नहीं मानी और दुबारा विद्रोह किया, जिसमें उन्हें सफलता मिली।


प्रश्न 2. यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के


(NCERT)


लिए तीन उदाहरण दीजिए। उत्तर- राष्ट्रवाद के विकास में नवीन परिस्थितियों, जैसे कि युद्ध, क्षेत्रीय विस्तार, शिक्षा आदि का जितना योगदान रहा है, उतना ही योगदान संस्कृति का


भी रहा है। इसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित है


1. फ्रेडरिक सॉरयू का युटोपिया - 1848 ई. में फ्रांस के फ्रेडरिक सॉरयू ने चार चित्रों की एक श्रृंखला बनाई, जिसके द्वारा विश्वव्यापी प्रजातांत्रिक और सामाजिक गणराज्यों के स्वप्न को साकार रूप देने का प्रयास किया गया। उसने कल्पना पर आधारित आदर्श राज्य या समाज (युटोपिया) को दर्शाया। इन चित्रों में सभी स्त्री, पुरुषों और बच्चों को स्वतंत्रता की प्रतिमा की वंदना करते हुए दिखाया गया है। जिनके हाथों में मशाल व मानव के अधिकारों का घोषणा-पत्र है। इनमें उनकी पोशाकों को भी राष्ट्रीय आधार देने के लिए एक जैसी रखी गई, तिरंगे झंडे, भाषा व राष्ट्रगान द्वारा भी राष्ट्र राज्य के रूप को प्रकट करने का प्रयास किया गया।


2. कार्लकैस्पर फ्रिट्ज का स्वतंत्रता के वृक्ष का रोपण-जर्मन चित्रकार कार्लकैस्पर फ्रिट्ज ने स्वतंत्रता के वृक्ष का रोपण करते हुए एक चित्र बनाया है। इसकी पृष्ठभूमि में फ्रेंच सेनाओं को ज्वेब्रकेन शहर पर कब्जा करते हुए दिखाया गया। इसमें फ्रांसीसी सैनिकों को नीली, सफेद व लाल पोशाकों में दिखाया गया है जो वहाँ के नागरिकों का दमन कर रहे हैं, जैसे-किसी किसान की गाड़ी छीन रहे हैं, कुछ महिलाओं को तंग कर रहे हैं या किसी को घुटने के बल बैठने पर मजबूर कर रहे हैं। अतः शोषितों द्वारा जो स्वतंत्रता का वृक्ष रोपते हुए दर्शाया गया है उस पर एक तख्ती लगी है जिस पर जर्मन में लिखा हुआ है—“हमसे आज़ादी और समानता ले लो - यह मानवता का आदर्श रूप है।" यह एक तरह से फ्रांसीसियों पर किया गया व्यंग्य था क्योंकि वे कहते थे कि वे जहाँ जाते हैं, वहाँ राजतंत्र का अंत करके नई आदर्श व्यवस्था कायम करते हैं यानी वे मुक्तिदाता


3. यूजीन देलाक्रोआ की 'द मसैकर ऐट किऑस'- फ्रांस के रूमानीवादी चित्रकार देलाक्रोआ ने 1824 ई. में एक चित्र बनाया था। इसमें एक घटना को चित्रित किया गया है जब तुर्कों ने 20,000 यूनानियों को मार डाला था। इसे किऑस द्वीप कहा जाता है। इसमें महिलाओं व बच्चों की पीड़ा को केन्द्रबिंदु बनाया गया है जिसे चटकीले रंगों से रँगा गया है ताकि देखने वालों की भावनाएँ जागृत हों और उनके मन में यूनानियों के प्रति सहानुभूति उत्पन्न हो। इस प्रकार कलाकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रवाद को उभारा और संस्कृति का इसमें महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।


प्रश्न 3.1789 की फ्रांसीसी क्रांति का फ्रांस व यूरोप पर क्या प्रभाव पड़ा?


या फ्रांस की क्रांति के दो परिणाम बताइए। 



उत्तर- 1789 में फ्रांस में जो क्रांति हुई उसके फ्रांस और यूरोप पर निम्नलिखित व्यापक प्रभाव पड़े थे फ्रांस पर प्रभाव


(i) लुई वंश के शासन का अंत हुआ और उसके स्थान पर लोकतांत्रिक शासन की स्थापना हुई।


(ii) सरकार द्वारा लोक-कल्याणकारी कार्य किए गए, जैसे-सड़कों, पुलों, नहरों, अस्पतालों, बाँधों, स्कूलों आदि का निर्माण। 


(iii) समानता, स्वतंत्रता, भ्रातृत्व की भावना से भरे हुए नए समाज की नींव रखी गई।


(iv) न्याय व्यवस्था का पुनर्गठन करके देश के लिए नवीन कानून संहिता लागू की गई।


(v) प्रभुसत्ता, राजतंत्र के हाथों से निकलकर जनता में निवास करने लगी।


(vi) इस्टेट जनरल के स्थान पर सक्रिय नागरिकों द्वारा चुनी गई नेशनल एसेंबली का गठन किया गया।


 (vii) फ्रेंच भाषा को राष्ट्र भाषा और फ्रेंच तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज घोषित किया गया।


(viii) आंतरिक आयात-निर्यात शुल्क हटा दिए गए। साथ ही भार व नाप की एकसमान व्यवस्था लागू की गई। 


(ix) शासक और पादरी वर्ग के विशेषाधिकारों का अंत किया गया तथा कानून के समक्ष सबको बराबर माना गया। संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया गया। 



यूरोप पर प्रभाव


 (i) यूरोप में भी राष्ट्रवाद को मजबूती मिली और राष्ट्र राज्यों का उदय होने लगा।


(ii) लोकतंत्रीय सिद्धांत को विश्व आधार मिला तथा 'सरकार जनता द्वारा और जनता के लिए होनी चाहिए' इस विचार को बल मिला।


 (iii) यूरोप में भी समाजवादी विचारधारा का प्रचार होने लगा, जिस कारण सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक समानता के सिद्धांतों पर बल दिया जाने लगा।


(iv) यूरोप के अन्य राष्ट्र के लोग भी मानवीय अधिकारों की माँग करने लगे।


(v) यूरोप के निरंकुश राजतंत्रों ने अपने यहाँ क्रांतिकारियों का दमन करना आरंभ कर दिया।


प्रश्न 4. फ्रांस की क्रांति के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।


 उत्तर- 1789 ई. में फ्रांस में एक क्रांति हुई जिसके द्वारा वहाँ पर लुई वंश की गई। इस क्रांति के शासन का अंत हुआ और वहाँ पर लोकतंत्र की स्थापना के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे


1. अयोग्य शासक–फ्रांस की क्रांति के समय यहाँ पर लुई वंश का शासन था जिसका शासक लुई XVI था। वह एक अयोग्य, जिद्दी और अदूरदर्शी, कर्त्तव्यहीन शासक था। वह सुधारों का पक्षधर नहीं था बल्कि अपनी निरंकुशता को कायम रखना चाहता था। इस कारण जनता उसके विरुद्ध हो गई।


2. मध्यम वर्ग–यहाँ पर औद्योगिक क्रांति होने के कारण मध्यम वर्ग का उदय हो गया था जिसमें छोटे उद्योगपति, डॉक्टर, वकील, अध्यापक और निम्न पदों पर कार्य करने वाले अधिकारी आते थे। यह वर्ग नवीन विचारों और राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत था और लोकतंत्र का पक्षधर और निरंकुश राजशाही का विरोधी था। अतः जब जनता राजशाही के विरुद्ध हुई तो इसने उसका पूर्ण समर्थन किया।


3. आम जनता की दयनीय स्थिति-इस समय शासक, उच्च वर्ग और कुलीन वर्ग जहाँ विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत कर रहा था, वहीं आम जनता की स्थिति बड़ी दयनीय थी तथा लोग रोजी-रोटी को तरस रहे थे।



4. मजदूर वर्ग की दुर्दशा- इस समय फ्रांस में जो उद्योग स्थापित हुए थे, उनमें मजदूरों के कार्य करने के लिए स्वास्थ्यवर्धक परिस्थितियाँ नहीं थीं। इनके काम के घंटे निश्चित नहीं थे, न ही प इन्हें उचित वेतन मिलता था। यदि कोई मजदूर किसी दुर्घटना का शिकार हो जाता था तो उद्योगपति उसे मुआवजा नहीं देते थे। इस कारण इस वर्ग में असंतोष था। मौका आते ही यह वर्ग क्रांति का ने पक्ष लेने लगा।


5. दार्शनिकों का प्रभाव- इस समय जो दार्शनिक वर्ग उदित हुआ उसने जनता को प्रशासन की दुर्दशा, न्याय व्यवस्था की कमियों व फ्रांसीसी समाज की बुराइयों से अवगत करवाया। इन्होंने जनता में क्रांतिकारी भावनाओं का संचार किया जिस कारण जनता क्रांति करने के लिए अग्रसर हो गई।


6. स्वतंत्रता पर प्रतिबंध - इस समय फ्रांसीसी सरकार ने लोगों की स्वतंत्रता पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगा रखे थे, यहाँ तक कि उनके धार्मिक विश्वासों पर भी प्रतिबंध लगे हुए थे। फ्रांस में प्रोटेस्टेंट धर्मावलंबियों पर अत्याचार होते थे। इस पर सरकार ने न्याय व स्वतंत्रता की अवहेलना करते हुए 'लेत्र द काशे' (बिना कार बताए कैद के आदेश-पत्र) जारी करके स्थिति को और भी भयानक बना दिया, जिससे जनता में असंतोष की भावना जागृत हो गई और वह क्रांति के मार्ग पर बढ़ गई।


प्रश्न 5. अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए?


 उत्तर- नेपोलियन के नियंत्रण में जो क्षेत्र आया वहाँ उसने अनेक सुधारों की शुरुआत की। उनके द्वारा किए गए सुधार निम्नलिखित थे


 (i) प्राचीन सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक व्यवस्था को नष्ट किया गया।


(ii) सामाजिक समानता स्थापित करने के लिए निम्न व उच्च वर्ग के भेद को खत्म किया गया।


(iii) 1804 ई. की नेपोलियन संहिता ने जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए थे। उसने कानून के समक्ष समानता और संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया।


(iv) समान कर प्रणाली लागू की गई। प्रतिष्ठा मंडल की स्थापना करके विद्वानों, कलाकारों व देशभक्तों को सम्मानित किया गया।


(v) डच गणतंत्र, स्विट्जरलैंड, इटली और जर्मनी में नेपोलियन ने प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया। 


(vi) सामंती व्यवस्था को खत्म किया और किसानों को भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति दिलाई।


 (vii) शहरों में कारीगरों के श्रेणी संघों के नियंत्रणों को हटा दिया गया।यातायात और संचार व्यवस्थाओं को सुधारा गया।


 (viii) आर्थिक सुधार करने के उद्देश्य से 'बैंक ऑफ फ्रांस' की स्थापना की गई। 


(ix) उसने दंड विधान को कठोर बनाया तथा जूरी प्रथा व मुद्रित पत्रों को पुनः प्रारंभ किया।


(x) शिक्षा की उन्नति के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रांस की स्थापना की, जहाँ लैटिन, फ्रेंच भाषा, साधारण विज्ञान व गणित की मुख्य तौर पर शिक्षा दी जाती थी।


(xi) कैथोलिक धर्म को राजधर्म बनाया। इस प्रकार किसानों, कारीगरों, मजदूरों और नए उद्योगपतियों ने नई-नई मिली आजादी को चखा।


प्रश्न 6. वियना संधि क्या थी? इसके प्रमुख उद्देश्यों और व्यवस्थाओं का वर्णन कीजिए। 



या वियना कांग्रेस सम्मेलन कब और कहाँ हुआ?



उत्तर 1815 ई. में ब्रिटेन, रूस, प्रशा और ऑस्ट्रिया जैसी यूरोपीय शक्तियों, जिन्होंने मिलकर नेपोलियन को हराया था, के प्रतिनिधि यूरोप के लिए  एक समझौता तैयार करने के लिए वियना में मिले। इस सम्मेलन की मेजबानी ऑस्ट्रिया के चांसलर ड्यूक मैटरनिख ने की। इसमें प्रतिनिधियों ने 1815 ई. की वियना संधि तैयार की, जिसका उद्देश्य उन सारे बदलावों को खत्म करना था जो नेपोलियन युद्धों के दौरान हुए थे। इस संधि की मुख्य व्यवस्थाएँ निम्नलिखित थी




(i) फ्रांसीसी क्रांति के दौरान हटाए गए बूब वंश को सत्ता में बहाल किया गया और फ्रांस ने उन इलाकों को खो दिया जिन पर कब्जा उसने नेपोलियन के अधीन किया था।


 (ii) फ्रांस की सीमाओं पर कई राज्य कायम कर दिए गए ताकि भविष्य में फ्रांस विस्तार न कर सके।


 (iii) फ्रांस के उत्तर में नीदरलैंड्स का राज्य स्थापित किया गया, जिसमें बेल्जियम शामिल था और दक्षिण में पीडमॉण्ट में जेनेवा जोड़ दिया गया। 


(iv) प्रशा को उसकी पश्चिमी सीमाओं पर महत्त्वपूर्ण नए इलाके दिए गए जबकि ऑस्ट्रिया को उत्तरी इटली का नियंत्रण सौंपा गया।


 (v) नेपोलियन ने 39 राज्यों का जो जर्मन महासंघ स्थापित किया था, उसे बरकरार रखा गया।


(vi) पूर्व में रूस को पोलैंड का एक हिस्सा दिया गया जबकि प्रशा को मैक्सनी का एक हिस्सा प्रदान किया गया। 



(vii) इन सबका मुख्य उद्देश्य उन राजतंत्रों की बहाली था जिन्हें नेपोलियन ने बर्खास्त कर दिया था। साथ ही यूरोप में एक नयी रूढ़िवादी व्यवस्था कायम करने का लक्ष्य भी था।



प्रश्न 7. इटली के एकीकरण पर प्रकाश डालिए।


या इटली के एकीकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।


 या इटली के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले तीन नेताओं के नाम लिखिए। 


 उत्तर- 19वीं शताब्दी में इटली के एकीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ हुई, जो निम्न प्रकार थी


(i) इस समय इटली अनेक वंशानुगत राज्यों व बहुराष्ट्रीय हैब्सबर्ग साम्राज्य में बिखरा हुआ था।


(ii) इतालवी भाषा संपूर्ण इटली में नहीं बोली जाती थी। अनेक स्थानों पर इसके अनेक रूप प्रचलित थे।


 (iii) 1830 के दशक में ज्युसेपे मेत्सिनी ने इटली को एकीकृत करने के लिए सबसे ज्यादा प्रयास किया और उसने यंग इटली नामक गुप्त संगठन स्थापित किया।


(iv) 1831 और 1848 में जो क्रांतिकारी विद्रोह असफल हुए उनके कारण इतालवी राज्यों में एक बिखराव आ गया जिन्हें संगठित करने के लिए सार्डिनिया-पीडमॉण्ट के शासक विक्टर इमेनुएल द्वितीय आगे आया।


(v) सार्डिनिया-पीडमॉण्ट के प्रधानमंत्री कावूर ने इटली के राज्यों को संगठित करने के लिए प्रारंभ हुए आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया और फ्रांस व सार्डिनिया-पीडमॉण्ट के बीच एक कूटनीतिक संधि की। 


(vi) 1859 ई. में सार्डिनिया-पीडमॉण्ट ने ऑस्ट्रिया को पराजित किया। इस युद्ध में ज्युसेपे गैरीबॉल्डी के नेतृत्व में अनेक सैनिकों ने भी भाग लिया।


(vii) 1860 ई. में दक्षिणी इटली व दो सिसलियों के राज्यों में सार्डिनिया-पीडमॉण्ट के सैनिकों ने प्रवेश किया। यहाँ पर स्थानीय किसानों की मदद से वे स्पेन को पराजित कर सके।



(vii) 1861 में विक्टर इमेनुएल द्वितीय को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया और 1870 में यह एकीकरण पूर्ण हुआ


 प्रश्न 8. यूरोप में राष्ट्रवाद के उत्थान के लिए कौन-से कारण उत्तरदायी थे? विस्तारपूर्वक लिखिए।


उत्तर- 18वीं शताब्दी के मध्य तक राष्ट्र राज्यों का उदय नहीं हुआ था। विभिन्न देश अलग-अलग भागों में, भाषाओं में, कैंटनों में बंटे हुए थे। किंतु 19वीं शताब्दी के प्रारंभ तक राष्ट्रवादी भावनाएँ फैलने लगी और राष्ट्र राज्यों का निर्माण हुआ। यूरोप में राष्ट्रवादी भावनाएँ फैलने के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे


1. मध्यम वर्ग का उदय– 18वीं सदी तक यूरोप के विभिन्न देशों में दो प्रमुख वर्ग थे-कुलीन तथा दास या कृषक वर्ग। औद्योगीकरण के कारण नए सामाजिक समूह अस्तित्व में आए। श्रमिक वर्ग तथा मध्यम वर्ग जो उद्योगपतियों, व्यापारियों और सेवा क्षेत्र के लोगों से बने थे। इस वर्ग ने कुलीन विशेषाधिकारों की समाप्ति तथा शिक्षित और उदारवादी मध्यम वर्गों के बीच राष्ट्रीय एकता के विचारों को बढ़ाया।


2. उदारवादी विचारधारा का प्रारंभ-19वीं शताब्दी में यूरोप में एक नई विचारधारा (उदारवाद) पनपने लगी। नए मध्य वर्गों के लिए इसका अर्थ था-व्यक्ति के लिए आजादी और कानून के समक्ष सबकी बराबरी उदारवाद एक ऐसी सरकार पर जोर देता था जो आपसी सहमति से बनी हो। आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद, बाजारों की मुक्ति और चीजों तथा पूँजी के आवागमन पर राज्य द्वारा लगाए गए नियंत्रणों को समाप्त करने के पक्ष में था। नया व्यापारी वर्ग एक ऐसी आर्थिक नीति का पक्षधर था जहाँ वस्तुओं, लोगों, पूँजी का आवागमन बाधारहित हो। इस विचारधारा ने राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा दिया।


3. यूनान का स्वतंत्रता संग्राम-यूनान के स्वतंत्रता संग्राम ने पूरे यूरोप में राष्ट्रीय भावनाओं का संचार किया। यूनानियों का आजादी के लिए संघर्ष 1821 में प्रारंभ हुआ। 1832 की कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी। इस स्वतंत्रता संग्राम ने यूरोप के अन्य देशों को भी एकीकरण करने के लिए प्रेरित किया।


4. संस्कृति की भूमिका- राष्ट्रवाद के विकास में युद्धों व क्रांतियों के साथ-साथ संस्कृति की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। कला, काव्य, कहानियों और संगीत ने राष्ट्रवादी भावनाओं को विकसित करने तथा व्यक्त करने में सहयोग दिया। राष्ट्र की सच्ची आत्मा लोकगीतों, जन-काव्य और लोक नृत्यों से प्रकट होती थी। स्थानीय बोलियों पर बल और लोक साहित्य को एकत्र करने का उद्देश्य राष्ट्रीय भावना को फैलाना था, ; जैसे—पोलैंड अब स्वतंत्र भू-क्षेत्र नहीं था किंतु संगीत और भाषा के माध्यम से राष्ट्रीय संघर्ष का संगीत से गुणगान किया गया तथा विभिन्न लोकनृत्यों को राष्ट्रीय प्रतीकों में बदल दिया गया।


5. भाषा-भाषा ने राष्ट्रीय भावनाओं के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। रूसी कब्जे के बाद पोलैंड में रूसी भाषा को लाद दिया गया। इसके सदस्यों ने राष्ट्रवादी विरोध के लिए भाषा को हथियार बनाया। चर्च के आयोजनों में पोलिश भाषा का प्रयोग हुआ। परिणामस्वरूप पादरियों और बिशपों को जेल में डाल दिया गया। पोलिश भाषा रूसी प्रभुत्व के विरुद्ध संघर्ष के प्रतीक के रूप में देखी जाने लगी।


6. जन विद्रोह-1830 के दशक में यूरोप में जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई। यूरोप के उन इलाकों में जहाँ कुलीन वर्ग अभी भी सत्ता में था और कृषक कर्ज के बोझ तले दबे थे। शहरों और गाँवों में कई कारणों से गरीबी थी। बेरोजगारी तथा खाद्यान्न की कमी के कारण लोगों ने विद्रोह करने शुरू कर दिये। इन विद्रोहों के कारण रूढ़िवादी सरकारें कमजोर पड़ने लगीं तथा राष्ट्रवादी भावनाएँ विकसित होने लगीं।



प्रश्न 10. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था


उत्तर- ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का विकास एक लंबी संवैधानिक प्रक्रिया द्वारा हुआ। इसमें किसी प्रकार की रक्तरंजित क्रांति नहीं हुई। अतः इस प्रक्रिया को आमतौर पर हम 'रक्तहीन क्रांति' के नाम से भी जानते हैं। यह प्रक्रिया निम्नलिखित

प्रकार है


(i) 18वीं शताब्दी से पूर्व ब्रितानी एक राष्ट्र नहीं था जबकि ब्रितानी द्वीप समूह में अंग्रेज, वेल्श, स्कॉट या आयरिश पहचान वाले नृजातीय समूह रहते थे जिनकी अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक व राजनैतिक परंपराएं थीं।


(ii) इनमें आंग्ल राष्ट्र ने अपनी धन-दौलत, अहमियत और सत्ता के बल पर अन्य द्वीप समूह के राष्ट्रों पर अपना प्रभाव स्थापित करना प्रारंभ किया। 


(iii) 1688 ई. में एक लंबे संघर्ष के माध्यम से राजतंत्र की समस्त शक्ति आंग्ल संसद के अधीन आ गई और एक राष्ट्र का निर्माण किया गया जिसका केन्द्र इंग्लैंड था।


(iv) इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच ऐक्ट ऑफ यूनियन 1707 ई. में हुआ जिसके द्वारा यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन किया गया। इसी के माध्यम से स्कॉटलैंड पर इंग्लैंड का प्रभुत्व स्थापित हो गया। 


(v) स्कॉटलैंड में ब्रितानी पहचान का विकास करने के लिए यहाँ की संस्कृति व राजनैतिक संस्थाओं को योजनाबद्ध ढंग से नष्ट किया

गया; जैसे—स्कॉटिश हाइलैंड्स के वासियों को उनकी गेलिक भाषा बोलने और राष्ट्रीय पोशाक पहनने से रोका गया। इस कारण मजबूर होकर लोगों को अपना देश छोड़कर अन्य जगहों पर जाना पड़ा। 


(vi) आयरलैंड में भी ऐसा किया गया और यहाँ पर अंग्रेजों ने धार्मिक मतभेद को हथियार बनाया। आयरलैंड में कैथोलिक व प्रोटेस्टेंट दो धार्मिक गुट थे। अंग्रेजों ने प्रोटेस्टेंटों की मदद करके कैथोलिक को दबाया।


(vii) 1798 ई. में वोल्फ़ टोन और उसकी यूनाइटेड आयरिशमेन नेतृत्व में जो विद्रोह हुआ उसे दबा दिया गया और आयरलैंड को यूनाइटेड किंगडम का भाग बना लिया गया।


(viii) ब्रितानी राष्ट्र का निर्माण करके इसके राष्ट्रीय प्रतीकों— यूनियन बैंक (ब्रिटेन का झंडा) और गॉड सेव आवर नोबल किंग (राष्ट्रीय गान) - को संपूर्ण यूनाइटेड किंगडम में प्रचारित व प्रसारित किया गया।


प्रश्न 12.निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए (क) ज्युसेपे मेत्सिनी, (ख) काउंट कैमिलो दे कातूर, (ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध, (घ) फ्रैंकफर्ट संसद, (ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका। 



उत्तर- (क) ज्युसेपे मेत्सिनी-मेत्सिनी इटली का एक क्रांतिकारी था।


इसका जन्म 1807 में जेनोआ में हुआ था और वह कार्बोनारी के गुप्त संगठन का सदस्य बन गया। 24 वर्ष की अवस्था में लिगुरिया में क्रांति करने के लिए उसे देश से बहिष्कृत कर दिया गया। तत्पश्चात् इसने दो और भूमिगत संगठनों की स्थापना की- पहला था मार्सेई में यंग इटली और दूसरा बर्न में यंग यूरोप, जिसके सदस्य पोलैंड, फ्रांस, इटली और जर्मन राज्यों में समान विचार रखने वाले युवा थे। मेत्सिनी का विश्वास था कि ईश्वर की मर्जी के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई थी। अतः इटली का एकीकरण ही इटली की मुक्ति का आधार हो सकता था। उसने राजतंत्र का घोर विरोध किया और उसके मॉडल पर जर्मनी, पोलैंड, फ्रांस, स्विट्जरलैंड में भी गुप्त संगठन बने। इसी कारण मैटरनिख ने उसके विषय में कहा कि वह 'हमारी सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन' है।


 (ख) काउंट कैमिलो दे काबूर-कावूर इटली में मंत्री प्रमुख था, जिसने इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आंदोलन का नेतृत्व किया। वैचारिक तौर पर न तो वह क्रांतिकारी था और न ही जनतंत्र में विश्वास रखने वाला। इतालवी अभिजात वर्ग के तमाम अमीर और शिक्षित सदस्यों की तरह वह इतालवी भाषा से कहीं बेहतर फ्रेंच बोलता था। अत: इटली के सम्राट विक्टर इमेनुएल ने उसे 1852 को सार्डिनिया-पीडमॉण्ट का प्रधानमंत्री बनाया। उसने यहाँ पर आर्थिक, शैक्षिक कृषि के विकास के लिए कार्य किए तथा सेना में सुधार किया। उसने फ्रांस व सार्डिनिया पीडमॉण्ट के बीच एक कूटनीतिक संघि की। अपनी इन कूटनीतिक चालों के कारण उसने इटली की समस्याओं की तरफ यूरोपीय देशों का ध्यान आकर्षित किया। 6 जून, 1861 ई. में उसकी मृत्यु हो गई। फिर भी वह अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल रहा जिनके कारण 18 फरवरी, 1861 ई. में इटली की संसद ने इमेनुएल द्वितीय को 'इटली का सम्राट' घोषित किया तथा इटली का एकीकरण संभव हुआ। सार्डिनिया-पीडमॉण्ट 1859 में ऑस्ट्रियाई बलों को हरा पाने में कामयाब हुआ।


 (ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध-यूनानी स्वतंत्रता युद्ध ने पूरे यूरोप के शिक्षित अभिजात वर्ग में राष्ट्रीय भावनाओं का संचार किया। 15वीं सदी से यूनान ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था। यूरोप में क्रांतिकारी राष्ट्रवाद की प्रगति से यूनानियों का आजादी के लिए संघर्ष 1821 में आरंभ हो गया। यूनान में राष्ट्रवादियों को निर्वासन में रह रहे यूनानियों के साथ पश्चिमी यूरोप के अनेक लोगों का भी समर्थन मिला जो प्राचीन यूनानी संस्कृति के प्रति सहानुभूति रखते थे। कवियों और कलाकारों ने यूनान को 'यूरोपीय सभ्यता का पालना' बताकर प्रशंसा की और एक मुस्लिम साम्राज्य के विरुद्ध यूनान के संघर्ष के लिए जनमत जुटाया। अंग्रेज कवि लॉर्ड बायरन ने धन एकत्रित किया और बाद में युद्ध लड़ने भी गए, जहाँ 1824 में बुखार से उनकी मृत्यु हो गई। अंततः 1832 की कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी।


(घ) फ्रैंकफर्ट संसद-जर्मन इलाकों में बड़ी संख्या में राजनीतिक संगठनों ने फ्रैंकफर्ट शहर में मिलकर एक सर्व-जर्मन नेशनल एसेंबली के पक्ष में मतदान का फैसला किया। 18 मई, 1848 को, 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने एक सजे-धजे जुलूस में जाकर फ्रैंकफर्ट संसद में अपना स्थान ग्रहण किया। यह संसद सेंट पॉल चर्च में आयोजित हुई। उन्होंने एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को सौंपी गई जिसे संसद के अधीन रहना था। जब प्रतिनिधियों ने प्रशा के राजा फ्रेडरीख विल्हेम चतुर्थ को ताज पहनाने की पेशकश की तो उसने उसे अस्वीकार कर उन राजाओं का साथ दिया जो निर्वाचित सभा के विरोधी थे। इस प्रकार जहाँ कुलीन वर्ग और सेना का विरोध बढ़ गया, वहीं संसद का सामाजिक आधार कमजोर हो गया। संसद में मध्यम वर्गों का प्रभाव अधिक था, जिन्होंने मजदूरों और कारीगरों की माँगों का विरोध किया, जिससे वे उनका समर्थन खो बैठे। अंत में प्रशा के राजा के इंकार के कारण फ्रैंकफर्ट संसद के सभी निर्णय स्वतः समाप्त हो गए जिससे उदारवादियों व राष्ट्रवादियों में निराशा हुई। प्रशा के सैनिकों ने क्रांतिकारियों को कुचल दिया जिससे यह संसद भंग हो गई।


(ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका- राष्ट्रवादी संघर्षों के वर्षों में बड़ी संख्या में महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया था। महिलाओं ने अपने राजनीतिक संगठन स्थापित किए, अखबार शुरू किए और राजनीतिक बैठकों और प्रदर्शनों में भाग लिया। इसके बावजूद उन्हें एसेंबली के चुनाव के दौरान मताधिकार से वंचित रखा गया था। जब सेंट पॉल चर्च में फ्रैंकफर्ट संसद की सभा आयोजित की गई थी तब महिलाओं को केवल प्रेक्षकों की हैसियत से दर्शक दीर्घा में खड़े होने दिया गया।




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