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सदाचार पर निबंध //essay on sadachar/essay on virtue

 सदाचार पर निबंध //essay on sadachar


essay on virtue in hindi









 सदाचार 




प्रस्तावना - कोई आपकी ईमानदारी, आपकी सच्चाई, आपकी बुद्धिमत्ता अथवा आपकी अच्छाई के बारे में नहीं जान पाता, जब तक आप अपने कार्य द्वारा उदाहरण प्रस्तुत न करें। प्रत्येक परिवार तथा उसके सदस्य एक समाज के अंग हैं। उस समाज से सम्बन्धित कुछ नियम तथा मर्यादाएँ हैं। इन मर्यादाओं का पालन करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए किसी-न-किसी सीमा तक अनिवार्य होता है। सत्य बोलना, चोरी न करना, दूसरों का भला सोचना और करना, सबसे प्रेमपूर्वक व्यवहार करना तथा स्त्रियों का सम्मान करना और उनकी ओर बुरी नजर न डालना आदि कुछ ऐसे गुण हैं जो सदाचार के अन्तर्गत आते हैं। सदाचार का सार यह है कि व्यक्ति अन्य व्यक्तियों की स्वतन्त्रता का अतिक्रमण किए बिना अपना गौरव बनाए रहे।


सदाचार का अर्थ- सदाचार का अर्थ है- अच्छा नैतिक व्यवहार, व्यक्तिगत आचरण और चरित्र। दूसरे शब्दों में सदाचार, व्यवहार और कार्य करने का उचित और स्वीकृत तरीका हैं। सदाचार जीवन को सहज, आसान, सुखद और सार्थक बनाता है। मनुष्य भी एक जन्तु ही है लेकिन यह सदाचरण ही है, जो उसे बाकी जन्तुओं से अलग करता है।


सच्चरित्रता एक नैतिक गुण - सच्चरित्रता सदाचार का सबसे बड़ा गुण होता है। सदाचारी व्यक्ति का हर जगह गुणगान होता है। सच्चरित्र विशेषताएँ ही मानव को अलग और श्रेष्ठ बनाती हैं। तर्क और नैतिक आचरण ही ऐसे गुण हैं जो मनुष्यों को श्रेष्ठतम की श्रेणी में लाते हैं। तर्क और नैतिक निर्णय लेने की क्षमता जैसे असाधारण लक्षण केवल मनुष्यों में ही पाए जाते हैं।


समाज एक स्रोतसच्चरित्रता एक नैतिक गुण होता हैं। हम समाजीकरण की प्रक्रिया के दौरान, अनेक नैतिक मानदंडों और मानकों का अधिग्रहण कर सकते हैं। बच्चे समाज के अन्य सदस्यों के साथ बातचीत करते समय नैतिक मूल्यों का अनुकरण कर सीख सकते हैं। इसके अतिरिक्त रीति-रिवाज भी नैतिक आचरण का एक स्रोत है, जिसे समाजीकरण की प्रक्रिया के दौरान विकसित किया जा सकता है।


जन्मजात गुणपियाजे कोहलबर्ग आदि मनोवैज्ञानिकों के सिद्धांतों के अनुसार बच्चे नैतिक मानकों के साथ पैदा होते हैं और बड़े होने पर उन्हें विकसित करते हैं। ये वे नैतिक मूल्य होते हैं जो हमारे माता-पिता और परिवार से हमें विरासत में मिलते हैं।


मानव-जीवन में सदाचार का महत्व - मानव जीवन में सदाचार का बहुत महत्त्व होता है। इसमें सबसे प्रमुख वाणी की मधुरता मायने रखती है। क्योंकि आप लाख दिल के अच्छे हों, लेकिन अगर आपकी भाषा अच्छी नहीं, तो सब किए-कराए पर पानी फिर जाता है। हमें कई बार लोगों की बहुत सी बातें चुभती हैं जिन्हें नजरअंदाज करना ही अच्छा माना जाता है।


संयम सदाचार का गुण-अक्सर लोग हमारे साथ अच्छा आचरण नहीं करते। हमें शारीरिक और मानसिक यातना भी झेलनी पड़ सकती है, उस स्थिति में भी स्वयं पर संयम रखना सदाचरण कहलाता है। 


सामाजिक नियम - हम मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं, अत: समाज के नियमों का पालन करना हमारा नैतिक एवं मौलिक कर्त्तव्य बनता है। हमने अक्सर बड़े-बुजुर्गों को ऐसा कहते हुए सुना है कि अगर समाज में रहना है तो सामाजिक नियमों को मानना ही पड़ता है।


सम्मान संस्कार का अभिन्न अंग-सदाचरण हमें सबका सम्मान करना सिखाता है। इज्जत और सम्मान हर किसी को अच्छा लगता है और यह हमारे संस्कार का अभिन्न हिस्सा भी है। बड़ों को ही नहीं वरन् छोटों को भी सम्मान देना चाहिए। क्योकि अगर आप उनके सम्मान की अपेक्षा रखते हैं तो आपको भी वही इज्जत उन्हें भी देनी होगी। सम्मान देने पर ही हमें भी सामने से सम्मान मिलता है। छोटों से तो विशेषकर अच्छे से बात करना चाहिए, क्योंकि वे बड़ों को देखकर ही अनुकरण करते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन की यात्रा बिना बाधा के निरंतर चलती रहे, तो उसके लिए हम जैसे अपेक्षा स्वयं के लिए करते हैं वैसा ही दूसरों के साथ भी करना चाहिए। 


सनातन धर्म की सीख-सच बोलना चाहिए किन्तु अप्रिय सत्य नहीं, यहीं सनातन धर्म है। किसी को मन, वचन और कर्म से दुःख नहीं पहुँचाना चाहिए। पुरुषों को पराई स्त्रियों को बुरी दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। उन्हें माता सरीखा आदर देना चाहिए। ये सभी बातें सदाचरण की सूची में आती हैं।


उपसंहार एक अच्छा आचरण या व्यवहार ही सदाचरण की श्रेणी में आता है। अच्छे आचरण से आप सबका मन मोह सकते हैं। शिष्टाचार, सदाचार से थोड़ा  भिन्न होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि एक दुराचारी व्यक्ति भी शिष्ट आचरण कर सकता है, किन्तु एक सदाचारी मनुष्य कभी अशिष्ट नहीं हो सकता है और न ही दुराचार कर सकता है। प्राय: लोग इसे एक ही समझते हैं और इसमें भेद नहीं कर पाते।


"इत्र से कपड़ों को महकाना कोई बड़ी बात नहीं, मजा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबू आये।"


अच्छा आचरण ही ऐसा हथियार है जिसके प्रयोग से हम इस दुनिया से जाने के बाद भी लोगों की यादों में हमेशा जीवित रहते हैं। मनुष्य इस संसार में खाली हाथ आता है और खाली हाथ ही चले जाना है। यह हमारे सत्कर्म और सदाचरण ही होते हैं जो हमें इस दुनिया में अमर करते हैं।



सदाचार पर निबंध (Virtue Essay in Hindi)


जैसे की सच बोलना किसी व्यक्ति की पहचान बन जाती है, उसी प्रकार सदाचार भी आपको समाज में एक अलग नाम और पहचान दिलाता है। हम सदैव अच्छे गुणों को सीखने के लिये अग्रसित रहते हैं और हमे उन गुणों में सदाचार को भी जरुर शामिल करना चाहिए।


सदाचार पर निबंध (250 शब्दों का निबंध)



हमारे जीवन के लिए सदाचार महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे हमारी भलाई और खुशी के लिए आवश्यक बुनियादी गुण हैं। एक बहेतरीन और स्वस्थ जीवन जीने के लिए  सदाचार को जीवन में  विकसित करने की आवश्यकता होती है। सदाचार से अक्षय धन मिलता है। सदाचार ही बुराइयों को नष्ट करता है। सभी धर्मों का सार एक मात्र सदाचार ही है। सदाचार के  गुण  से मनुष्य का चरित्र उज्ज्वल बनता है।



 

यह शब्द संस्कृृत भाषा के सत् और आचार शब्दों से मिलकर बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ होता है सज्जन का आचरण। सदाचार से संसार में मनुष्य को आदर सन्मान मिलता है। संसार में उसकी प्रतिष्ठा  बढ़ती रहती है। सदाचार मनुष्य आत्मविश्वास  से भरपुर होता है।किसी भी मनुष्य के लिए सदाचार जीवन में अपनाना गौरव की बात होती है।


सदाचार हमें स्पष्ट सोच देता है। सदाचार मनुष्य को काम, क्रोध, लोभ, मोह तथा अहंकार से दूर रखता है। जीवन में सदाचार सत्संग, अध्यन तथा अभ्यास के द्वारा प्रतिपादित होता है। सदाचार मनुष्य जीवन को सार्थकता प्रदान करता है। यह वो गहना है, जिसकी तुलना में विश्व की कोई भी मूल्यवान वस्तु तुच्छ नजर आती है।



 

सदाचार का बल संसार की सबसे बड़ी शक्ति मानी जाती है क्योंकि इसके सामने  मनुष्य  की सभी मानसिक दुर्बलताओं अपने घुटने टेक देती है। समाज के कल्याण का हिस्सा बनने के लिए सदैव सदाचार का पालन करें और अपने बच्चों को भी को सदाचार अवश्य सिखाएं। क्योंकि यह वह गुण है जिसकी वजह से हमारा व्यक्तित्व निखारता है और पूरा जीवन शांतिमय बनता है।  सदाचारी व्यक्ति मरणोपरांत के बाद भी याद किया जाता है।






सदाचार पर 300 शब्दों में निबंध



परिचय


सदाचार एक ऐसा विषय है जो हर मनुष्य को जरुर सीखना चाहिए और इसकी उपयोगिता हर उम्र के लोगो को कही न कही जरुर होती है। एक बच्चे के चरित्र का निर्माण बचपन से ही होने लगता है और सबसे पहला जगह उसका घर होता है, उसके बाद वह स्थान जहाँ वो खेलता है और आस पास के लोग। बच्चे हर जगह से कुछ न कुछ सीखते रहते हैं इस लिये अभिभावकों को यह ध्यान देते रहना चाहिए की बच्चे कुछ गलत न सीखे। तथा इसके साथ ही उनमे अच्छी आदतें विकसित हों।


सदाचार का महत्त्व


सदाचार का महत्त्व हमारे जीवन में बहुत अधिक होता है। कई बार लोग हमे हमारे नाम से अधिक व्यहार से जानते हैं। जैसे की हम कही जा रहे हों तो रास्ते में कोई बीच में खड़ा हो, तो हम उसे डटने या उचें स्वर में बात करने से अच्छा है की नम्रता से बोले और हमारे बोलने के अंदाज मात्र से सामने वाला हमारे व्यहार का अंदाजा आसानी से लगा सकता है। हो सकता है की आप बहुत ही भले इंसान हो, क्या पता आपने बहुत दान पुण्य किया हो परंतु यदि आपके व्यहार में एक सही लहजा नहीं हुआ तो सब व्यर्थ है। सदाचार आपके व्यक्तित्व को परिभाषित करता है।



जीवन जीने का सही तरीका


कई बार लोगों को यह बात सताती है की जीवन को सही तरीके से कैसे जीया जाये? तो उत्तर यह है की एक व्यक्ति को अपने जीवन में अच्छा आचरण, वाणी में मधुरता और जीवन को सयंम के साथ जीना चाहिए। क्योंकि वो उसका व्यक्तित्व ही होता है जो अमर होता है और ये सदाचार के माध्यम से ही आता है। जीवन में पैसे बहुत लोग कमाते हैं परंतु नाम कम ही कमा पाते हैं।


निष्कर्ष


सदाचार जीवन जीने का सही तरीका है और हम सबको इसका पालन करना चाहिए। आपके व्यवहार में शालीनता आपके जीवन को और आनंद से भर देती है। ऐसे लोगों से हर कोई बात करना चाहता है जिसका व्यवहार उत्तम हो। बच्चों को शुरू से सदाचार सिखायें और जीवन में नेक कर्म करने की प्रेरणा देते रहें।


सदाचार पर 400 शब्द का निबन्ध



परिचय


कहते हैं की यदि मनुष्य का कोई सबसे अच्छा मित्र हो सकता है तो वो है सदाचार। क्यों की यह कभी आपको धोका नहीं देगा और आजीवन एक पूंजी की तरह आपके साथ रहता है। सदाचार का अर्थ अपने बड़ो की बात मनना, अपने व्यवहार में मधुरता और दूसरों का निःस्वार्थ भाव से सेवा करना, आदि होता है। एक सदाचारी व्यक्ति सदैव जीवन में नाम कमाता है और उसे मरणोपरांत भी याद किया जाता है।


सदाचार का आपके जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव


सदाचार आपके चरित्र निर्माण का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है। यह आपके जीवन को तो सुंदर बनता है ही, साथ ही आपके व्यक्तित्व को भी निखारता है। एक अच्छे आचरण वाले व्यक्ति की पूछ हर जगह होती है। कई बार किसी का आचरण कोई ऐसा कार्य करवा देता है की जिसकी उम्मीद न हो। हर किसी को यह जरुर सीखना चाहिए। एक सदाचारी सदैव सभी प्रकार के बुरे कर्मों जैसे की क्रोध, ईर्ष्या, आदि से दूर रहता है और उसका जीवन सदैव सुखमयी होता है। यह कभी आपमें घमंड नहीं आने देता और बेहद निर्मल एवं शांत स्वभाव का बनाता है।


जीवन का अलंकार है सदाचार



जीवन हर कोई जीता है पर लोगों में भेद किस प्रकार पता चलता है? लोगों में अंतर उनके व्यवहार, बोलने के तरीके से, वे किस प्रकार लोगो की सहायता करते हैं, इन सब बातों से लोगों में अंतर पता चलता है। और हम कभी भी किसी ऐसे व्यक्ति को ही याद करते हैं जो सदैव आपकी सहायता करतें हो, आपसे मृदु वाच्य बोलते हों। ये सभी गुण आपके व्यक्तित्व को और निखार देती हैं और आपके जीवन में अलंकर की तरह काम करती हैं।


हमारे इतिहास में ऐसे कई उदहारण हैं जो इस बात को प्रमाणित करते हैं जैसे की हमारे देश के बापू। भला गांधीज को कौन नहीं जनता, उन्होंने नैतिकता की शिक्षा दी और सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया। हम सब आज भी उन्हें उनके सदाचार की लिये जानते हैं। इसके अलावा इतिहास में ऐसे कई नाम दर्ज हैं जो सदाचार के बहुत अच्छे उदहारण हैं।


निष्कर्ष


हम यह कह सकते हैं की एक सदाचारी अच्छे आचरण का प्रत्यक्ष उदहारण होता है। जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाई आ जाये वे कभी पीछे नहीं भागते और डट कर मुसीबतों का सामना करते हैं। सदाचार कभी आपको मुसीबत में नहीं डालता, इस लिये अपने बच्चों को सदाचार अवश्य सिखाएं और उन्हें सदैव इसका पालन करने की सीख दें। उन्हें समाज के कल्याण का हिस्सा बनना सिखाएं और अपने जीवन का उद्देश्य केवल धन कमाना मात्र न रह कर जन हित में कुछ समय देना भी सिखाएं। यूं तो बच्चे जो देखते हैं वाही सीखते हैं, इस लिये आप भी इन बातों को प्रयोग में लायें और जीवन में कुछ अलग कर के जाएँ।



 सदाचार पर 500 शब्दों का निबंध – 3 



परिचय


वैसे देखा जाये तो सदाचार शब्द सत और आचार शब्द से मिल कर बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ अच्छा और आचरण है। यह शब्द केवल अच्छे आचरण मात्र तक सीमित नहीं है, अपितु इसका अर्थ बहुत ही व्यापक होता है। सदाचरण आपके जीवन को सही गति और दिशा देता है, जो व्यक्ति को बहुत आगे ले जाता है। ऐसा व्यक्ति जीवन में कभी निराश नहीं होता। कई बार आपका व्यवहार आपके बिगड़े काम बना देता है। अर्थात हम यह कह सकते हैं की सदाचार किसी भी प्रकार से हानिकारक नहीं होता और हर व्यक्ति को इसे जरुर अपनाना चाहिए।



सदाचारी के गुण


एक सदाचारी कभी भी केवल अपने हित के बारे में नहीं सोचता, वह अपने साथ-साथ समाज के हित एवं कल्याण का अभिन्न हिस्सा बन जाता है। उनकी सोच स्पष्ट होती है, सदैव लोक कल्याण उनकी प्राथमिकता होती है, वे सम्पर्पण का भाव रखते हैं, सदैव सत्य के साथी होते हैं, जिनकी वाणी में शहद जैसी मिठास होती है, जो कुरूणा का सागर अपने साथ लिये फिरते है और आवश्कता पड़ने पर सदैव आपके साथ खड़े रहते हैं। हालांकि ऐसे लोग हमारे समाज में बहुत कम हैं, परंतु हैं, और हम इनकी संख्या बढ़ा सकते हैं वो भी स्वयं में ये परिवर्तन ला कर।


वे क्रोध, ईर्ष्या जैसे भावना से दूर रहते हैं और कभी किसी की बुराई करने में समय व्यतीत नहीं करते। वे किसी काम को छोटा नहीं समझते और हमेशा सबको आगे बढ़ने की शिक्षा देते हैं। वे सैदव सकारात्मक होते हैं और उनसे बात कर के हमरा भी नजरिया बदल जाता है। इतने गुणों के धनि व्यक्ति इतने आसानी से नहीं मिलते, इस लिये कोशिश करें की ऐसे विचारों को आप अपने जीवन में अवश्य लायें और दूसरों के लिये एक आदर्श आप भी बनें।


एक सदचारी व्यक्ति


एक सदाचारी व्यक्ति जीवन में सदैव आपकी मदद करता है अब वह किस रूप में आपसे मिलता है ये देखने वाली बात है;


एक मित्र के रूप में


यदि आपका मित्र सदाचारी है तो कभी भी उसका साथ न छोड़ें क्यों की वे खुद तो सत्य के राह पर चलते हैं ही साथ ही साथ आपको भी ले जाते हैं। आप यदि भटक भी जाएँ तो ये आपको भटकने नहीं देते और भगवन के किसी दूत की तरह आपका साथ देते हैं। इनमे छल नहीं होता और कभी भी आपसे आगे निकले के होड़ में आपका नुकसान नहीं करते। इस लिये ऐसे मित्र को कभी न छोड़ें।


एक गुरु के रूप में


वे आपके जीवन के सच्चे मार्गदर्शक बन जाते हैं और आपके सार्वंगिक विकास पर ध्यान देते हैं। कहने का अर्थ यह है की आप एक सदाचारी का साथ कभी न छोड़े और उनसे सीखे और अपने जीवन को भी उनके सदाचारी इत्र की तरह महकाएं।


निष्कर्ष


सदाचार को अपने जीवन में अपनाना बहुत ही बड़ी बात है और यह अचानक नहीं आता इसके लिये एकांत में बैठ के मंथन करना पड़ता है। समाज को अपना परिवार समझना पड़ता है और इस प्रकार दूसरों की मदद कर के हम सदाचार का पालन कर सकते हैं और समाज में अपनी एक अलग पहचान बना सकते हैं।


सदाचार पर निबंध (800 शब्दों का निबंध)



प्रस्तावना

हम अपने मन, वाणी और वर्तन के द्वारा जो अच्छा कार्य करते है उसे सदाचार कहा जाता है। यह हमारे जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण गुण माना जाता है। मनुष्य जीवन में सदाचार का होना आसान बात नही है , इसके लिए हमें कठोर तपस्या, साधना, संयम और त्याग की  आवश्यकता पड़ती है। सदाचार के द्वारा आप एक मजबूत चरित्र  का निर्माण कर सकते हो।


सामाजिक व्यवस्था के लिए सदाचार का  अधिक महत्त्व  है। सदाचार मानव को पशुओं से अलग करता है और एक श्रेष्ठ मानव की पहचान देता है। सदाचारी व्यक्ति  मानसिक रूप से संतुष्ट काफी होता है, जिसकी खुशियां हमेशा द्वार पर रहती हैं और दुखों को वह अपने नजदीक भी नहीं आने देता।



 

सदाचार का महत्व



बड़े बड़े ऋषि मुनि, साधु संत और विश्व के महापुरुषों ने ही सदाचार को अपनाकर ही संसार को शांति एवं अहिंसा का पाठ पढ़ाने में कामियाब रहे। सदाचार की राह पकड़ कर ही मनुष्य ईश्वर के समीप हो सकता है। इस गुण के द्वारा मनुष्य धार्मिक, बुद्धिमान और दीर्घायु बनता है और सदेव उसे सुख की प्राप्ति होती है। देश, राष्ट्र और समाज के कल्याण के लिए हर मनुष्य में सदाचार होना बेहद जरुरी है।


स्वामी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी रामतीर्थ, स्वामी विवेकानन्द जैसे सदाचारी पुरूष ने आचरण और विचारों से पूरे विश्व को प्रभावित किया।सदाचार मनुष्य को देवत्व प्रदान करता है। सदाचार एक ऐसा अनमोल अलंकार है, जिसे अपनाने के बाद मनुष्य को किसी भी कीमती रत्न की जरुरत नही पड़ेगी।


सदाचार का अर्थ



सदाचार दो संस्कृत शब्दों का मिलन है। सत् और आचार शब्दों से मिलकर बना यह शब्द काफी प्रभावशाली है। सदाचार सदाचार का अर्थ होता है एक अच्छा आचरण। सदाचार में सत्य, अहिंसा,विश्वास और मैत्री-भाव जैसे जीवनविकास के गुण भी शामिल होते है। सदाचार को धारण करने वाले व्यक्ति सदाचारी कहलाता है।



 

सदाचार को कभी बेचा या खरीदा नही जा सकता। उसकी कीमत कभी नही आंकी जा सकती। सदाचार हमें उत्तम शिक्षा, अनुशासन और सत्संगति से प्राप्त होता है। इसके अलावा इसे प्राप्त करने का कोई अन्य मार्ग नहीं है।


सदाचार और विद्यार्थी जीवन


विद्यार्थी जीवन पूरे जीवन की आधारशिला है। विनम्रता, परोपकार, सच्चरित्रता, सत्यवादिता जैसे गुण विद्यार्थी को सिखाने चाहिए। ताकि वो जीवन के हर क्षेत्र में बुराइयों से बच सके और खुद को नकारात्मक वातावरण से दूर रखे। विद्यार्थी को अपना अधिक से अधिक  समय सत्संगति के साथ गुजारना चाहिए। विद्यार्थी जीवन में सिखाए गए सदाचार के पाठ उन्हें आदर्श विद्यार्थी बनने के पथ पर ले जाते है। एक आदर्श विद्यार्थी समाज के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणादायी होता है।


सदाचार के लाभ


सदाचार हमें माता-पिता और गुरू की आज्ञा का पालन करना सिखाता है। साथ ही साथ में परोपकार, अहिंसा, नम्रता और दया जैसे गुण को विकसित करता है। सदाचार से मनुष्य को हर जगह पर आदर मिलता है। संसार में उसकी पूजा और प्रतिष्ठा होती है। सदाचार जीवन में अपनाने से शरीर स्वस्थ, बुद्धि निर्मल और मन प्रसन्न रहता है। सदाचारी व्यक्ति को कोई भी कार्य कठिन और मुश्किल नहीं लगता।


यह मनुष्य को असत्य और बेईमानी से दूर रखता है। उसे जीवन में कभी असफल नहीं होने देता है। सदाचारी व्यक्ति हमेशा दूसरों के दुखों को देखकर भावुक हो जाता है और दुखी लोगों के दुःख दूर करने के लिए सदा तत्पर रहता है। सदाचारी व्यक्ति के व्यक्तित्व में एक अनोखा आकर्षण होता है। इसलिए उनके संपर्क में आने वाले दुराचारी व्यक्ति भी दुराचार को छोड़कर सदाचार को अपना लेता है।


दुराचारी  को हर जगह से दुत्कारा जाता है। इस प्रकार की व्यक्ति का जीवन दुखों से भरा रहता है। जगह जगह पर उसे अपमान मिलता है। दुराचारी व्यक्ति धर्म एवं पुण्य से हीन होता है। ऐसे लोगो को ना ही तो  सुख मिलता है और ना ही सदगति प्राप्त होती है।


सदाचार और वर्तमान समय


आज के इस विकसित युग में सदाचार की भावना लोगों में लुप्त होती नजर आ रही है। आज वर्तमान काल में समाज में भ्रष्टाचार, लांच रिश्वत, गुना खोरी कई दूषणो अपना घेरा डाला हुआ है। मानव मानव का प्रतिस्पर्धी बन गया है। सदाचार और नैतिकता जैसे गुणों को आज  बचपन से ही सीखने की जरुरत है, वरना पृथ्वी पर से सदाचार जैसे शब्दों का नामोनिशान मिट जायेगा। अगर पृथ्वीपर सदाचार ही नहीं रहेगा तो  यह इंसान एक खतरनाक नर भक्षी का रूप भी धारण कर सकता है।


निष्कर्ष

सदाचार भारतीय संस्कृृति का एक हिस्सा है। सदाचार को जीवन में अपनाने से लौकिक और आत्मिक सुख की प्राप्ति होती है। यदि धन नष्ट हो जाये तो मनुुष्य का कुछ भी नहीं बिगड़ता, स्वास्थ्य बिगड़ जाने पर कुछ हानि होती है पर चरित्रहीन होने पर मनुष्य का सर्वस्व नष्ट हो जाता है। इसलिए सभी को सदाचार के व्रत को जीवन में अपनाना चाहिए। सदाचार ही मनुष्य जीवन को सार्थक बनाता है।


सदाचार का मूल्य वास्तविक प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक है इसलिए हमें अपने जीवन में सदाचार को पूरी गंभीरता से शामिल करना चाहिए। इस प्रकार हम अपने जीवन को तो श्रेष्ठ करेंगे ही, साथ ही औरों के लिए भी मार्गदर्शक और प्रेरणादायी बनेंगे।






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