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यूपी बोर्ड कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान अध्याय 18 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक/class 10 social science notes

 यूपी बोर्ड कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान अध्याय 18 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक


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2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक




याद रखने योग्य मुख्य बिन्दु


1.प्राकृतिक संसाधनों के प्रत्यक्ष उपयोग पर आधारित अनेक गतिविधियाँ हैं। इन्हें प्राथमिक क्षेत्रक की गतिवविधि कहा जाता है। ये गतिविधियाँ कृषि, पशुपालन, खनन, मत्स्य पालन, वनोत्पाद से संबंधित हैं।


2.प्राथमिक क्षेत्रक को कृषि एवं सहायक क्षेत्रक भी कहा जाता है।


3.द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधियों के अन्तर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के जरिए अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधियों में उद्योग विनिर्माण, बाँध, जल आपूर्ति, विद्युत आदि प्रमुख हैं।


4.द्वितीयक क्षेत्रक को 'औद्योगिक क्षेत्रक' भी कहा जाता है।


5.तृतीयक क्षेत्रक के अन्तर्गत सेवा क्षेत्र सम्मिलित होते हैं। तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियों में संचार, यातायात के साधन, भण्डारण, बैंकिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार आदि सम्मिलित हैं।


6.तृतीयक क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक भी कहा जाता है।




7.भारत के संदर्भ में एक उल्लेखनीय तथ्य है कि यद्यपि सकल घरेलू उत्पाद में तीनों क्षेत्रकों की हिस्सेदारी में परिवर्तन हुआ है। तृतीयक क्षेत्रक की सकल घरेलू उत्पाद में हिस्सेदारी लगभग 50% है, जबकि रोजगार के क्षेत्र में तृतीयक क्षेत्र में कार्यरत लोगों की संख्या लगभग 20% है। भारत में सबसे अधिक रोजगार प्राथमिक क्षेत्र से प्राप्त होता है।


8.संगठित क्षेत्रक में वे उद्यम अथवा कार्य-स्थान आते हैं जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है। वे क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं।


महत्त्वपूर्ण शब्दावली


आर्थिक क्रियाएँ–वे सभी गतिविधियाँ जिनसे लोगों को कोई-न-कोई आय प्राप्त होती है, आर्थिक क्रियाएँ कहलाती हैं: जैसे-खेतों में काम करना, दुकानों, दफ्तरों, बैंकों, स्कूलों आदि में काम करना आदि।



 प्राथमिक क्रियाएँ–जब हम प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करके किसी वस्तु का उत्पादन करते हैं, तो इसे प्राथमिक क्रियाएँ या प्राथमिक क्षेत्रक गतिविधियाँ

कहा जाता है जैसे कृषि करना, मत्स्य पालन, डेयरी उत्पाद तथा खनिज अयस्क निकालना आदि। द्वितीयक 


क्षेत्रक गतिविधियाँ—इसके अंतर्गत प्राकृतिक उत्पादों का प्रयोग करके मनुष्य के लिए जरूरी वस्तुओं का विनिर्माण किया जाता है। यह प्रक्रिया किसी कारखाने, कार्यशाला या घर में हो सकती है; जैसे-कपास के पौधे से प्राप्त रेशे का उपयोग कर हम कपड़ा तैयार करते हैं। मिट्टी से ईंट बनाते हैं और ईंटों से भवनों का निर्माण करते हैं।


तृतीयक क्षेत्रक गतिविधियाँ—ये वे गतिविधियाँ हैं जो किसी वस्तु का उत्पादन नहीं करतीं बल्कि अपनी सेवाएँ प्रदान करती हैं। ये क्रियाएँ प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में मदद करती हैं, जैसे-परिवहन सेवाएँ, वकील, डॉक्टर तथा शिक्षकों की सेवाएँ आदि इसी क्षेत्र में आती हैं।


सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) –किसी विशेष वर्ष में प्रत्येक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य, उस वर्ष में कुल उत्पादन की जानकारी प्रदान करता है। तीनों क्षेत्रकों के उत्पादों के योगफल को देश का सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं।



सार्वजनिक क्षेत्रक–सार्वजनिक क्षेत्रक में उत्पादन तथा वितरण के सभी साधनों पर सरकार का स्वामित्व होता है। इनका ध्येय लाभ कमाना नहीं होता। सरकारी सेवाओं पर किए गए व्यय की भरपाई करों द्वारा की जाती है। रेलवे अथवा डाकघर इसके उदाहरण हैं।


निजी क्षेत्रक–निजी क्षेत्रक में उत्पादन तथा वितरण के सभी साधनों का स्वामित्व एकल व्यक्ति या कंपनी के हाथों में होता है। इनका ध्येय लाभ प्राप्त करना होता है। इनकी सेवाओं को प्राप्त करने के लिए हमें कंपनी के स्वामियों को भुगतान करना पड़ता है। टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड तथा रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड जैसी कंपनियाँ निजी स्वामित्व की हैं।


मौसमी बेरोजगारी—यह बेरोजगारी की वह स्थिति है जिसमें लोगों को पूरे साल काम नहीं मिलता। साल के कुछ महीनों में ये लोग बेरोजगार रहते हैं: जैसे-ग्रामीण क्षेत्र में खराब मौसम के कारण ऐसी बेरोजगारी उत्पन्न होती है।




बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक


प्रश्न 1. भारत में सबसे अधिक शिशु मृत्यु दर वाले दो राज्य हैं


(क) ओडिशा और मध्य प्रदेश


(ख) बिहार और गोवा


(ग) तेलंगाना और पश्चिम बंगाल


(घ) सिक्किम और असोम


उत्तर


(क) ओडिशा और मध्य प्रदेश


प्रश्न 2. कौन-सा क्षेत्रक सबसे अधिक रोजगार देता है?


(क) द्वितीयक क्षेत्रक


(ख) प्राथमिक क्षेत्रक


(ग) तृतीयक क्षेत्रक


(घ) इनमें से कोई नहीं


उत्तर-


(ख) प्राथमिक क्षेत्रक


प्रश्न 3. निम्नलिखित में से किसे प्रच्छन्न रोजगार के नाम से भी जाना जाता है?


(क) अति रोजगार


(ख) नियमित रोजगार


(ग) अनियमित रोजगार


(घ) अल्प रोजगार


उत्तर


(घ) अल्प रोजगार


प्रश्न 4. सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक आधार पर विभाजित हैं—


(क) रोजगार की शर्तें


(ख) आर्थिक गतिविधि के स्वभाव


(ग) उद्यमों के स्वामित्व


(घ) उद्यम में नियोजित श्रमिकों की संख्या


उत्तर


(ग) उद्यमों के स्वामित्व



प्रश्न 5. एक वस्तु का अधिकांशतः प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन क्षेत्रक की गतिविधि है।


या एक वस्तु का अधिकांशतः प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन कहा जाता है


(क) प्राथमिक


 (ग) तृतीयक


(ख) द्वितीयक


 (घ) सूचना प्रौद्योगिकी


उत्तर


(क) प्राथमिक


प्रश्न 6. निम्नलिखित में से किस वर्ष महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी ऐक्ट (योजना) चलायी गयी? 



(क) 2008


(ख) 2010 


(ग) 2005


 (घ) 2000



उत्तर

(ग) 2005


प्रश्न 7. जी.डी.पी. से क्या तात्पर्य है?


(क) सकरल घरेलू उत्पाद


(ख) विशाल घरेलू उत्पाद 


(ग) सकल घरेलू उत्पाद


 (घ) सकल दैनिक उत्पाद


उत्तर-


(ग) सकल घरेलू उत्पाद


अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 2 अंक


प्रश्न 1.आर्थिक क्रियाएँ क्या हैं?



 उत्तर वे सभी गतिविधियाँ जिनसे लोगों को कोई-न-कोई आय प्राप्त होती है या धन की प्राप्ति होती है, आर्थिक क्रियाएँ कहलाती हैं; जैसे-एक नर्स का हॉस्पिटल में काम करना, बैंकों में काम करना आदि।


प्रश्न 2. प्राथमिक क्रियाएँ क्या हैं?


उत्तर- जब हम प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करके किसी वस्तु का उत्पादन करते हैं, तो इसे प्राथमिक क्षेत्रक गतिविधियाँ कहा जाता है; जैसे—कृषि, मत्स्य पालन, पशुपालन, खनन, वनोत्पाद आदि।


प्रश्न 3. बेरोजगारी से क्या तात्पर्य है?


उत्तर- वह स्थिति जिसमें कोई व्यक्ति काम करना चाहता है तथा उसमें काम करने की क्षमता भी है किंतु फिर भी उसे काम नहीं मिलता है तो उसे बेरोजगारी कहते हैं।


प्रश्न 4.सकल घरेलू उत्पाद से क्या तात्पर्य है? 


उत्तर  एक अर्थव्यवस्था में एक लेखांकन वर्ष में प्रत्येक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य के कुल जोड़ को सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है।


प्रश्न 5. द्वितीयक क्षेत्रक क्या है?


उत्तर इसके अंतर्गत प्राकृतिक उत्पादों को उद्योगों में निर्मित करके उपयोग के लायक बनाया जाता है। यह द्वितीयक क्षेत्रक कहलाता है।


प्रश्न 6 तृतीयक क्षेत्रक से क्या तात्पर्य है?


या अर्थव्यवस्था के तृतीयक क्षेत्र से आप क्या समझते हैं? कोई दो उदाहरण दीजिए।



उत्तर इसके अंतर्गत क्रियाएँ किसी वस्तु का उत्पादन नहीं करती बल्कि सेवाओं का उत्पादन करती है। ये क्रियाएँ प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में मदद करती हैं, जैसे-वकील, डॉक्टर, शिक्षक, परिवहन सेवाएँ आदि सेवाएँ प्रमुख हैं।


प्रश्न 7. मौसमी बेरोजगारी क्या है?


उत्तर- मौसमी बेरोजगारी वह स्थिति है जिसमें लोगों को पूरे साल काम नहीं मिलता। साल के कुछ महीनों में ये लोग बेरोजगार रहते हैं।


प्रश्न 8. सार्वजनिक क्षेत्रक से क्या तात्पर्य है?


उत्तर सार्वजनिक क्षेत्रक में अधिकांश परिसंपत्तियों पर सरकार का स्वामित्व होता है और सरकार ही सभी सेवाएँ उपलब्ध कराती है। रेलवे और डाकघर सार्वजनिक क्षेत्रक के उदाहरण हैं।


प्रश्न 9. द्वितीयक क्षेत्रक के दो उदाहरण दीजिए।


उत्तर- (1) बस का निर्माण तथा (2) मेज का निर्माण।


प्रश्न 10. रोजगार के 'संगठित क्षेत्र' को परिभाषित कीजिए। 


उत्तर- संगठित क्षेत्र (क्षेत्रक) से तात्पर्य उन उद्यमों अथवा कार्य-स्थानों से है जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है। ये क्षेत्र सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं और उन्हें सरकारी नियमों एवं विनियमों का अनुपालन करना होता है।


प्रश्न 11. अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की किन्हीं तीन समस्याओं का उल्लेख कीजिए।


उत्तर- (i) श्रमिकों को कम वेतन मिलता है और प्राय: यह नियमित नहीं होता है।


(ii) श्रमिकों का रोजगार अनिश्चित होता है।


(iii) श्रमिकों को सवेतन छुट्टी तथा बीमारी के कारण छुट्टी आदि नहीं मिलती है।



लघु उत्तरीय प्रश्न 3 अंक


प्रश्न 1.आर्थिक क्रियाओं से क्या अभिप्राय है? प्रमुख आर्थिक क्रियाओं का वर्णन कीजिए।


या आर्थिक क्रियाओं के तीन प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए |


उत्तर- वे सभी क्रियाएँ जिनसे मनुष्य को धन प्राप्त होता है, आर्थिक क्रियाएँ कहलाती हैं; जैसे—खेती करना, नौकरी करना आदि। आर्थिक क्रियाएँ तीन प्रकार की होती हैं


1. प्राथमिक आर्थिक क्रियाएँ-प्रकृति के सहयोग से जो आर्थिक क्रियाएँ की जाती हैं उन्हें प्राथमिक आर्थिक क्रियाएँ कहते हैं, जैसे- -खनन कार्य, कृषि कार्य तथा मत्स्य पालन आदि।


2. द्वितीयक आर्थिक क्रियाएँ-वे क्रियाएँ जो प्राकृतिक उत्पादों की सहायता से विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करती हैं, उन्हें द्वितीयक क्रियाएँ कहते हैं; जैसे—कपास से कपड़े बनाना, लकड़ी से कागज बनाना आदि।


3. तृतीयक आर्थिक क्रियाएँ –वे क्रियाएँ जो किसी वस्तु का उत्पादन नहीं करतीं, बल्कि प्राथमिक व द्वितीयक आर्थिक क्रियाओं के विकास में सहायता करती हैं, उन्हें तृतीयक आर्थिक क्रियाएँ कहते हैं; जैसे—परिवहन के साधन, बैंक तथा बीमा कंपनियाँ आदि।


प्रश्न 2. प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं? शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।



उत्तर- प्रच्छन्न बेरोजगारी से अभिप्राय ऐसी परिस्थिति से है जिसमें लोग प्रत्यक्ष रूप से काम करते दिखाई दे रहे हैं किंतु वास्तव में उनकी उत्पादकता शून्य होती है अर्थात् यदि उन्हें उनके काम से हटा दिया जाए तो भी कुल उत्पादकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। भारत के गाँवों में कृषि क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर प्रच्छन्न बेरोजगारी पाई जाती है; जैसे-भूमि के एक छोटे-से टुकड़े पर जरूरत से ज्यादा श्रमिक काम करते हैं क्योंकि उनके पास कोई और काम नहीं होता। इससे प्रच्छन्न बेरोजगारी की स्थिति पैदा होती है। इसी प्रकार शहरों में प्रच्छन्न बेरोजगारी छोटी दुकानों में तथा छोटे व्यवसायों में पाई जाती है।



प्रश्न 3. खुली बेरोजगारी एवं प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए।


उत्तर खुली बेरोजगारी—वह परिस्थिति जिसमें किसी देश में श्रमशक्ति तो अधिक होती है किंतु औद्योगिक ढाँचा छोटा होता है, वह सारी श्रमशक्ति को नहीं खपा पाता अर्थात् श्रमिक काम करना चाहता है किंतु उसे काम नहीं मिलता। यह बेरोजगारी भारत के अधिकतर औद्योगिक क्षेत्र में पाई जाती है। प्रच्छन्न या गुप्त बेरोजगारी-वह परिस्थिति जिसमें व्यक्ति काम में लगे हुए दिखाई देते हैं किंतु वास्तव में वे बेरोजगार होते हैं; जैसे- भूमि के किसी टुकड़े पर आठ लोग काम कर रहे हैं किंतु उत्पादन उतना ही हो रहा है जितना पाँच लोगों के काम करने से होता है। ऐसे में तीन अतिरिक्त व्यक्ति जो काम में लगे हैं वह छुपे हुए बेरोजगार हैं क्योंकि उनके काम से उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।


प्रश्न 4. रा.ग्रा.रो.गा.अ.-2005 (NREGA-2005) के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।



उत्तर


केंद्र सरकार ने भारत के 200 जिलों में 'काम का अधिकार' लागू करने के लिए एक कानून बनाया है। इसे 'राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम-2005' (NREGA-2005) कहते हैं। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं


(i) उन सभी लोगों को जो काम करने में सक्षम हैं और जिन्हें काम की जरूरत है, को सरकार द्वारा वर्ष में 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई है।


(ii) यदि सरकार रोजगार उपलब्ध कराने में असफल रहती है तो वह लोगों को बेरोजगारी भत्ता देगी।


(iii) इस अधिनियम में उन कामों को वरीयता दी जाएगी, जिनसे भविष्य में भूमि से उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।


प्रश्न 5.अपने क्षेत्र से उदाहरण लेकर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक की गतिविधियों एवं कार्यों की तुलना कीजिए



उत्तर- सार्वजनिक क्षेत्रक-वे उद्योग जो सरकारी तंत्र के अधीन होते हैं सार्वजनिक उद्योग कहलाते हैं; जैसे-भारतीय रेल, लोहा-इस्पात उद्योग, जहाज निर्माण आदि। सार्वजनिक क्षेत्र में ऐसी वस्तुओं या सेवाओं का निर्माण होता है जो लोगों के लिए कल्याणकारी हैं। इनका उद्देश्य निजी हित या लाभ कमाना नहीं होता बल्कि सार्वजनिक लाभ इनका उद्देश्य होता है। इस क्षेत्र में वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमत का निर्धारण सरकार द्वारा किया जाता है।


निजी क्षेत्रक–वे उद्योग जो निजी व्यक्तियों के स्वामित्व में होते हैं निजी क्षेत्रक कहलाते हैं। इसमें वे उद्योग आते हैं जो आम जनता की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं; जैसे—टेलीविजन, एयर कंडीशनर, फ्रिज आदि बनाने वाले उद्योग। ये गतिविधियाँ निजी लाभ कमाने के उद्देश्य से की जाती हैं। निजी क्षेत्र कल्याणकारी कार्य करने के लिए बाध्य नहीं है। यदि वह ऐसा कोई काम करता भी है तो उसकी अधिक कीमत लेता है; जैसे—निजी विद्यालय सरकारी विद्यालयों से अधिक फीस वसूलते हैं। निजी क्षेत्र के उद्योगों में वस्तुओं की कीमतों का निर्धारण बाजारी शक्तियों द्वारा होता है।


प्रश्न 6. व्याख्या कीजिए कि किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक कैसे योगदान करता है?


या देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्र के योगदान पर एक टिप्पणी लिखिए।


उत्तर- किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्रक का उद्देश्य लाभ कमाना नहीं होता। सभी है। महत्त्वपूर्ण गतिविधियों का संचालन सार्वजनिक क्षेत्रक के द्वारा किया जाता




ऐसी गतिविधियाँ जिनकी आवश्यकता समाज के सभी सदस्यों को होती है; जैसे—सड़कों, पुलों, रेलवे, पत्तनों, बिजली आदि का निर्माण और बाँध आदि से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना सार्वजनिक क्षेत्रक का काम है। सरकार ऐसे भारी व्यय स्वयं उठाती है। सरकार किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए गेहूँ और चावल खरीदती है। इसे अपने गोदामों में भंडारित करती है और राशन की दुकानों के माध्यम से उपभोक्ताओं को कम मूल्य पर बेचती है। इस प्रकार सरकार किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को सहायता पहुँचाती है।


सभी के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएँ उपलब्ध कराना जैसे प्राथमिक कार्य भी सार्वजनिक क्षेत्रक में आते हैं। समुचित ढंग से विद्यालय चलाना और गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध कराना सरकार का कर्त्तव्य है। इस प्रकार किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक का योगदान महत्त्वपूर्ण है।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 6 अंक


प्रश्न 1. उत्पादन के साधनों के स्वामित्व के आधार पर आर्थिक गतिविधियों का वर्णन कीजिए।


उत्तर- आर्थिक गतिविधियों को विभाजित करने का एक तरीका यह है कि परिसंपत्तियों के स्वामित्व और सेवाओं के वितरण के लिए जिम्मेदार कौन है? इस आधार पर दो प्रकार के उद्यम पाए जाते हैं- (i) सार्वजनिक तथा (ii) निजी।



1. सार्वजनिक क्षेत्रक—इसमें उत्पादन तथा वितरण के साधनों पर सरकार का स्वामित्व होता है और सरकार ही सभी सेवाएँ उपलब्ध कराती है। सार्वजनिक क्षेत्रक का ध्येय लाभ कमाना नहीं बल्कि जन-सेवा होता है। सरकारें सेवाओं (Services) पर किए गए व्यय की भरपाई करों (Taxes) या अन्य तरीकों से करती हैं। रेलवे, डाक-व्यवस्था, बैंक तथा बीमा कंपनियाँ आदि सार्वजनिक क्षेत्रक के उदाहरण हैं। ऐसे काम जो देश हित से जुड़े हैं तथा जिनका प्रभाव पूरे देश पर पड़ता है, सरकार के नियंत्रण में ही रहते हैं।


2. निजी क्षेत्रक-निजी क्षेत्रक में परिसंपत्तियों पर स्वामित्व और सेवाओं के वितरण की जिम्मेदारी एकल व्यक्ति या कंपनी के हाथों में होती है। निजी क्षेत्रक की गतिविधियों का ध्येय लाभ अर्जित करना होता है। इनकी सेवाओं को प्राप्त करने के लिए हमें इन एकल स्वामियों और कंपनियों को भुगतान करना पड़ता है। टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड अथवा रिलायन्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड जैसी कंपनियाँ निजी स्वामित्व में हैं।


अधिकांश गतिविधियाँ ऐसी है जिनकी प्राथमिक जिम्मेदारी सरकार पर है। इन पर व्यय करने की अनिवार्यता भी सरकार की है; जैसे-स्वास्थ्य व शिक्षा री सुविधाएँ उपलब्ध कराना। कुछ गतिविधियाँ ऐसी हैं जिन्हें सरकारी समर्थन की की आवश्यकता होती है। निजी क्षेत्रक उन उत्पादनों अथवा व्यवसायों को तब तक जारी नहीं रख सकते जब तक सरकार उन्हें प्रोत्साहित नहीं करती।



प्रश्न 2. "भारत में विकास प्रक्रिया से जी.डी.पी. में तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी में वृद्धि हुई है।" क्या आप इस कथन से सहमत हैं? विस्तार से बताइए।


उत्तर भारत में विकास प्रक्रिया से जी.डी.पी. में तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी में वृद्धि हुई है। वर्ष 1973-74 और 2013-14 के बीच चालीस वर्षों में यद्यपि सभी क्षेत्रको में उत्पादन में वृद्धि हुई है किंतु सबसे अधिक वृद्धि तृतीयक क्षेत्रक के उत्पादन में हुई है। वर्ष 2013-14 में तृतीयक क्षेत्रक सबसे बड़े उत्पादक क्षेत्रक के रूप में उभरा। भारत में प्राथमिक क्षेत्रक का जी.डी.पी. में योगदान केवल एक-चौथाई है जबकि द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रको का योगदान जी.डी.पी. में तीन-चौथाई है। भारत में तृतीयक क्षेत्रक के महत्त्वपूर्ण होने के कई कारण हैं; जैसे- 1. कृषि के क्षेत्र में तथा द्वितीयक क्रियाओं के क्षेत्र में विकास हुआ, जिससे उनसे संबंधित सेवाओं की माँग बढ़ गई। 2. भारत जैसे विकासशील देश में इन सुविधाओं/सेवाओं को बुनियादी सुविधाएँ/सेवाएँ माना जाता है। इसलिए सरकार इनका प्रबंध अच्छी तरह से करती है। 3. आय के बढ़ने के साथ-साथ लोग होटल, पर्यटन, निजी अस्पताल, निजी विद्यालयों की माँग शुरू कर देते हैं। इससे भी सेवाओं का क्षेत्र विस्तृत होता है। 4. विगत दशकों में सूचना व संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित सेवाओं में तीव्र वृद्धि हुई है। इस प्रकार स्पष्ट है कि तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी में काफी वृद्धि हुई है। इससे जी.डी.पी. में प्राथमिक व द्वितीयक क्षेत्रकों के मुकाबले तृतीयक क्षेत्रक का योगदान बढ़ता जा रहा है।


प्रश्न 3. संगठित और असंगठित क्षेत्रकों की रोजगार परिस्थितियों की तुलना कीजिए।


या संगठित और असंगठित क्षेत्रकों में अन्तर कीजिए। 



उत्तर- संगठित और असंगठित क्षेत्रकों की रोजगार परिस्थितियों में बहुत अंतर पाया जाता है। इन दोनों क्षेत्रकों की तुलना निम्नलिखित प्रकार से कर



संगठित क्षेत्रक


असंगठित क्षेत्रक


1.ये क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं।


ये क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं होते।

2.इसमें सरकारी नियमों, विनियमों का पालन किया जाता है।

इसमें सरकारी नियमों, विनियमों का पालन नहीं किया जाता।


3.यहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है।

यहाँ रोजगार की अवधि नियमित नहीं होती।


4.इस क्षेत्रक में कर्मचारियों को रोजगार-सुरक्षा के लाभ मिलते हैं। उन्हें सवेतन छुट्टी, भविष्य निधि,सेवानुदान आदि प्राप्त होता है।

इस क्षेत्रक में कर्मचारियों को रोजगार सुरक्षा नहीं मिलती। यहाँ सवेतन छुट्टी, भविष्य निधि, सेवानुदान आदि का कोई प्रावधान नहीं होता है।

5.सरकारी संस्थानों, सरकारी सहायता प्राप्त संस्थाओं तथा  बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम करना इसके उदाहरण हैं।


इसमें भूमिहीन श्रमिक, छोटे किसान, सड़कों पर विक्रय करने वाले, श्रमिक तथा कबाड़ उठाने वाले लोग शामिल हैं।


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