Class 10th Sanskrit up board exam paper 2023 solutions
यूपी बोर्ड परीक्षा पेपर 2023 कक्षा 10 वी संस्कृत पेपर का सम्पूर्ण हल
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेब साइट Subhansh classes.com पर यदि आप गूगल पर up board class 10th Sanskrit paper solutions 2023 सर्च कर रहे हैं तो आप बिलकुल सही जगह पर आ गए हैं हम आपको अपनी इस पोस्ट में कक्षा 10वी संस्कृत वार्षिक परीक्षा पेपर का सम्पूर्ण हल बताएंगे इसलिए आप पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें यदि आपको पोस्ट पसन्द आए तो अपने दोस्तो को भी शेयर करें।
अनुक्रमांक मुद्रित पृष्ठों की संख्या : 7
923 818 (DS)
2023
कक्षा –10वी
विषय –संस्कृत
समय: 3 घण्टे 15 मिनट [quites: 70]
निर्देश :
(i)प्रारम्भ के 15 मिनट परीक्षार्थियों को प्रश्न-पत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं।
(ii) प्रश्न-पत्र दो खण्डों अ तथा खण्ड ब में विभाजित है।
(iii)खण्ड अ तथा ब 2 उपखण्डों, उपखण्ड (क), (ख) में विभाजित हैं।
(iv) प्रश्न-पत्र के खण्ड अ में बहुविकल्पीय प्रश्न हैं जिसमें सही विकल्प चुनकर O.M.R. Sheet में नीले अथवा काले बाल पॉइन्ट पेन से सही विकल्प वाले गोले को पूर्ण रूप से भरें ।
(v) खण्ड अ में बहुविकल्पीय प्रश्न हेतु प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
(vi) प्रत्येक प्रश्न के सम्मुख उनके अंक निर्धारित किये गये हैं।
(vii) खण्ड ब के प्रत्येक उपखण्ड के सभी प्रश्न एक साथ करना आवश्यक है। प्रत्येक उपखण्ड नये पृष्ठ से प्रारंभ किये जाएँ ।
(viii)सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
खण्ड अ
(वस्तुनिष्ठ प्रश्न) उपखण्ड (क)
प्रश्न सं. 1 एवं 2 गद्यांश आधारित प्रश्न हैं। गद्यांश को ध्यान से पढ़िए और उत्तर का चयन कीजिए ।
आहिभवतः सिन्धुवेलां यावत् विकीर्णाः भारतगौरवगाथाः कालिदासेन स्वकृतिषूपनिबद्धाः । रघुवंशे, मेघे, कुमारसम्भवे च भारतदेशस्य विविधभूभागानां गिरिकाननादीनां यादृक् स्वाभाविकं मनोहारि च चित्रणं लभ्यते, स्वचक्षुषाऽनवलोक्य तदसम्भवमस्ति ।
1.उक्त गद्यांश का शीर्षक है :1
(A)विश्वकविः रवीन्द्रः
(B) आदिशङ्कराचार्य:
(C) कविकुलगुरुः कालिदासः
(D) गुरुनानकदेवः
2.भारतगौरवगाथाः केन स्वकृतिषूपनिबद्धाः 1
(A) आदिशङ्करेण
(C) भवभूतिना
(B) गुरुनानकेन
(D)कालिदासेन
3.सावित्रीबाई कस्य समाजसुधारकस्य पत्नी आसीत् ?1
(A) शङ्कराचार्यस्य
(B) मदनमोहनमालवीयस्य
(C) गुरुनानकस्य
(D) ज्योतिरावगोविन्दरावइत्याख्यस्य
4.द्रोणः केन मनसा प्रत्यभाषत ?
(A) द्वेषमना
(B) दुग्धम् अप्रीतमना
(C) न द्वेषमना
(D) प्रीतमना
5.वाणी कं समलङ्करोति ?
(A)पशुम्
(B) सर्पम्
(D) पशुं न सर्पम्
(C) पुरुषम्
6.अविज्ञाते जलाशये किं न करणीयम् ?1
(A) स्नानम्
(B) भोजनम्
(C) शयनम्
(D) न भोजनं न शयनम्
7.श्रद्धावान् किं लभते ?
(A)ध्यानम्
(B) ज्ञानम्
(C) पूजनम्
(D) गमनम्
8.गान्धिनः पूर्णनाम किम् आसीत् ?
(A) चन्दगान्धी
(B)मोहनः
(C) मोहनदास करमचन्द गांधी
(D)मोहनदासः
9.नागानन्दनाटकस्य रचयिता कः अस्ति ?1
(A) बाणः
(C) भारविः
(B) कालिदासः
(D) हर्ष: / हर्षवर्धन :
10.चिकित्सकस्य किं कार्यमस्ति ?
(A)रुग्णस्यचिकित्सा
(B) पशुचिकित्सा
(C)दानवचिकित्सा
(D) रोगीदर्शनम्
उपखण्ड (ख)
11. 'अक्' प्रत्याहार के वर्ण हैं :
(A)अ, इ, उ
(B) अ, इ, उ, ऋ
(C) अ, इ, उ, ऋ, लृ
(D) इ, उ, ऋ, लृ
12.'थ' का उच्चारण स्थान है :1
(A) कंठ
(B) मूर्धा
(D) दाँत
(C) ओष्ठ
18.'त्त्वं करोषि' में सन्धि है :1
(A) अनुस्वार सन्धि
(B) परसवर्ण सन्धि
(C) टुत्व सन्धि
(D) श्चुत्व सन्धि
14. 'यशस्तनोति' का सन्धि-विच्छेद है :1
(A) यशस्त + नोति
(B) यश: + तनोति
(C) यशस्तनो + ति
(D) शस्तनोति + य
15. 'राजानम्' पद किस विभक्ति एवं वचन का रूप है ?1
(A) द्वितीया, बहुवचन
(B) द्वितीया, द्विवचन
(C) द्वितीया, एकवचन
(D) प्रथमा, एकवचन
16. 'नदी' पद का सप्तमी एकवचन का रूप है :1
(A) नदीन
(B) नदीआम्
(C) नदीद्
(D) नद्याम्
17.'स्थास्यामि' रूप है :1
(A) लोट् लकार, उत्तम पुरुष, एकवचन
(B) लट् लकार, प्रथम पुरुष, एकवचन
(C) लुट् लकार, उत्तम पुरुष, एकवचन
(D) लृट् लकार, मध्यम पुरुष, एकवचैन
18.'वस्तु' रूप किस लकार का है ?1
(A) लट् लकार
(B) लोट् लकार
(C) लृट् लकार
(D) लड् लकार
19. 'उपतरम्' में समास हैं :1
(A) द्विगु
(B) बहुव्रीहि
(C) अव्ययीभाव
(D) द्वन्द्व
20. 'चन्द्रशेखर' का समास विग्रह है :1
(A) चन्द्रेश शेखरे यस्य सः
(B) इन्दु शेखरे यस्य सः
(C) चाँद शेखरे यस्य सः
(D) चन्द्रः शेखरे यस्य सः
खण्ड ब
(वर्णनात्मक प्रश्न) उपखण्ड (क)
निर्देश: सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
21. निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक गद्यांश का हिन्दी में कीजिए : अनुवाद
(क) तेन च शैशवसङ्गीत, सान्ध्यगीतं, प्रभातसङ्गीतं, नाटकेषु - रुद्रचण्डं, वाल्मीकिप्रतिभागीतिनाट्यं, विसर्जनम्, राजर्षिः चोखेरवाली, चित्राङ्गदा, कौड़ी ओकमलः, गीताञ्जलिः इत्यादयो बहवः ग्रन्थाः विरचिताः । गीताञ्जलिः वैदेशिकैः नोबुलपुरस्कारेण पुरस्कृतश्च । एवं बहूनि प्रशस्तानि पुस्तकानि बङ्गसाहित्याय प्रदत्तानि ।
(ख) अत्रैव निर्वासनकाले तेन विश्वप्रसिद्धं गीतारहस्यं नाम गीतायाः कर्मयोगप्रतिपादकं नवीनं भाष्यं रचितम् । कर्मसु कौशलमेव कर्मयोगः, गीता तमेव कर्मयोगं प्रतिपादयति । अतः सर्वे जनाः कर्मयोगिनः स्युः इति तेन उपदिष्टम् । कारागारात् विमुक्तोऽयं देशवासिभिरभिनन्दितः । तदनन्तरं स 'होमरूल' सत्याग्रहे सम्मिलितवान् ।
22. निम्नलिखित पाठों में से किसी एक पाठ का सारांश हिन्दी भाषा में लिखिए:
(क) कविकुलगुरुः कालिदासः
(ख) संस्कृतभाषायाः गौरवम्
(ग) दीनबन्धुः ज्योतिबा फुले
23. निम्नलिखित श्लोकों में से किसी एक श्लोक की हिन्दी में व्याख्या कीजिए:
(क) एवमुक्तः सव्यसाची मण्डलीकृतकार्मुकः । तस्थौ भासं समुद्दिश्य गुरुवाक्यप्रणोदितः ।।
(ख) सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम् । एतद्विद्यात् सभासेन लक्षणं सुखदुःखयोः ।।
24.निम्नलिखित सूक्तियों में से किसी एक सूक्ति की हिन्दी में व्याख्या कीजिए :
(क) काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमताम् ।
(ख) मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते ।
(ग) योगस्थः कुरु कर्माणि ।
25.निम्नलिखित में से किसी एक श्लोक का संस्कृत में अर्थ लिखिए :
(क) श्लोकस्तु श्लोकतां याति यत्र तिष्ठन्ति साधवः । लुप्यते तत्र यत्र तिष्ठन्त्यसाधवः ।। लकारी
(ख) सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयान्न ब्रूयात्सत्यमप्रियम् । प्रियं च नानृतं ब्रूयादेष धर्मः सनातनः ।।
26. (क) निम्नलिखित में से किसी एक पात्र का चरित्र-चित्रण हिन्दी में कीजिए :
(i) "महात्मनः संस्मरणानि" पाठ के आधार पर "महात्मा गांधी" का ।
(ii) “यौतुकः पापसञ्चय:” पाठ के आधार पर “रमानाथ” का ।
(iii) “वयं भारतीय:” पाठ के आधार पर “आफताब" का ।
(ख) निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर संस्कृत में लिखिए:
(i) सुमेधायाः पितुः किं नाम ?
(ii)महात्मागान्धी महानुभावस्य मातुः नाम किम् ?
(iii) जीमूतवाहनस्य पितुः किं नाम ?
उपखण्ड (ख)
27.(क) निम्नलिखित वाक्यों में दिए गए रेखांकित पदों के किसी एक में विभक्ति का नाम लिखिए:
(i) त्वं पादाभ्यां चलसि ।
(ii) मध्यं मोदकाः रोचन्ते ।
(iii) ग्रामात् आगच्छामि ।
(ख) निम्नलिखित में से किसी एक पद में प्रयुक्त प्रत्यय लिखिए:2
(i) हत्वा
(ii) चलितुम्
(iii) गमनीयः
28. निम्नलिखित में से किसी एक का वाच्य परिवर्तन कीजिए:3
(क) उषा पत्रं लिखति ।
(ख) त्वया चल्यते ।
(ग) बालिका पुस्तिकां पठति ।
29.निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं तीन वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए :3x2=6
(क) राम और कृष्ण पढ़ते हैं।
(ख) क्या मैं जाऊँ ?
(ग) सीता राम के साथ वन गयी ।
(घ) पुत्र का कल्याण ।
(ङ) बालक अध्यापक से गणित पढ़ते हैं ।
30. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संस्कृत में आठ वाक्यों में निबन्ध लिखिए :
(क) विद्या
(ख) सत्सङ्गतिः
(ग) परोपकारः
(घ) अस्माकं विद्यालय:
(ङ) महाकविः कालिदासः
31. निम्नलिखित पदों में से किन्हीं दो पदों का संस्कृत वाक्यों में प्रयोग कीजिए :
(क) सदा
(ख) करोति
(ग) यथाशक्तिः
(घ) विहाय
(ङ) गच्छन्
ये भी पढ़ें 👇👇👇👇
Class 10th Sanskrit up board exam paper 2023 solutions
यूपी बोर्ड परीक्षा पेपर 2023 कक्षा 10 वी संस्कृत पेपर का सम्पूर्ण हल
अनुक्रमांक मुद्रित पृष्ठों की संख्या : 7
923 818 (DS)
2023
कक्षा –10वी
विषय –संस्कृत
समय: 3 घण्टे 15 मिनट [quites: 70]
निर्देश :
(i)प्रारम्भ के 15 मिनट परीक्षार्थियों को प्रश्न-पत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं।
(ii) प्रश्न-पत्र दो खण्डों अ तथा खण्ड ब में विभाजित है।
(iii)खण्ड अ तथा ब 2 उपखण्डों, उपखण्ड (क), (ख) में विभाजित हैं।
(iv) प्रश्न-पत्र के खण्ड अ में बहुविकल्पीय प्रश्न हैं जिसमें सही विकल्प चुनकर O.M.R. Sheet में नीले अथवा काले बाल पॉइन्ट पेन से सही विकल्प वाले गोले को पूर्ण रूप से भरें ।
(v) खण्ड अ में बहुविकल्पीय प्रश्न हेतु प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
(vi) प्रत्येक प्रश्न के सम्मुख उनके अंक निर्धारित किये गये हैं।
(vii) खण्ड ब के प्रत्येक उपखण्ड के सभी प्रश्न एक साथ करना आवश्यक है। प्रत्येक उपखण्ड नये पृष्ठ से प्रारंभ किये जाएँ ।
(viii)सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
खण्ड अ
(वस्तुनिष्ठ प्रश्न) उपखण्ड (क)
प्रश्न सं. 1 एवं 2 गद्यांश आधारित प्रश्न हैं। गद्यांश को ध्यान से पढ़िए और उत्तर का चयन कीजिए ।
आहिभवतः सिन्धुवेलां यावत् विकीर्णाः भारतगौरवगाथाः कालिदासेन स्वकृतिषूपनिबद्धाः । रघुवंशे, मेघे, कुमारसम्भवे च भारतदेशस्य विविधभूभागानां गिरिकाननादीनां यादृक् स्वाभाविकं मनोहारि च चित्रणं लभ्यते, स्वचक्षुषाऽनवलोक्य तदसम्भवमस्ति ।
1.उक्त गद्यांश का शीर्षक है :1
(A)विश्वकविः रवीन्द्रः
(B) आदिशङ्कराचार्य:
(C) कविकुलगुरुः कालिदासः
(D) गुरुनानकदेवः
उत्तर –(C) कविकुलगुरुः कालिदासः
2.भारतगौरवगाथाः केन स्वकृतिषूपनिबद्धाः 1
(A) आदिशङ्करेण
(C) भवभूतिना
(B) गुरुनानकेन
(D)कालिदासेन
उत्तर –(D)कालिदासेन
3.सावित्रीबाई कस्य समाजसुधारकस्य पत्नी आसीत् ?1
(A) शङ्कराचार्यस्य
(B) मदनमोहनमालवीयस्य
(C) गुरुनानकस्य
(D) ज्योतिरावगोविन्दरावइत्याख्यस्य
उत्तर –(D) ज्योतिरावगोविन्दरावइत्याख्यस्य
4.द्रोणः केन मनसा प्रत्यभाषत ?
(A) द्वेषमना
(B) दुग्धम् अप्रीतमना
(C) न द्वेषमना
(D) प्रीतमना
उत्तर –(B) दुग्धम् अप्रीतमना
5.वाणी कं समलङ्करोति ?
(A)पशुम्
(B) सर्पम्
(D) पशुं न सर्पम्
(C) पुरुषम्
उत्तर –(C) पुरुषम्
6.अविज्ञाते जलाशये किं न करणीयम् ?1
(A) स्नानम्
(B) भोजनम्
(C) शयनम्
(D) न भोजनं न शयनम्
उत्तर –(D) न भोजनं न शयनम्
7.श्रद्धावान् किं लभते ?
(A)ध्यानम्
(B) ज्ञानम्
(C) पूजनम्
(D) गमनम्
उत्तर –(B) ज्ञानम्
8.गान्धिनः पूर्णनाम किम् आसीत् ?
(A) चन्दगान्धी
(B)मोहनः
(C) मोहनदास करमचन्द गांधी
(D)मोहनदासः
उत्तर –(C) मोहनदास करमचन्द गांधी
9.नागानन्दनाटकस्य रचयिता कः अस्ति ?1
(A) बाणः
(C) भारविः
(B) कालिदासः
(D) हर्ष: / हर्षवर्धन :
उत्तर –(D) हर्ष: / हर्षवर्धन :
10.चिकित्सकस्य किं कार्यमस्ति ?
(A)रुग्णस्यचिकित्सा
(B) पशुचिकित्सा
(C)दानवचिकित्सा
(D) रोगीदर्शनम्
उत्तर –(D) रोगीदर्शनम्
उपखण्ड (ख)
11. 'अक्' प्रत्याहार के वर्ण हैं :
(A)अ, इ, उ
(B) अ, इ, उ, ऋ
(C) अ, इ, उ, ऋ, लृ
(D) इ, उ, ऋ, लृ
उत्तर –(C) अ, इ, उ, ऋ, लृ
12.'थ' का उच्चारण स्थान है :1
(A) कंठ
(B) मूर्धा
(D) दाँत
(C) ओष्ठ
उत्तर –(D) दाँत
13.'त्त्वं करोषि' में सन्धि है :1
(A) अनुस्वार सन्धि
(B) परसवर्ण सन्धि
(C) टुत्व सन्धि
(D) श्चुत्व सन्धि
14. 'यशस्तनोति' का सन्धि-विच्छेद है :1
(A) यशस्त + नोति
(B) यश: + तनोति
(C) यशस्तनो + ति
(D) शस्तनोति + य
15. 'राजानम्' पद किस विभक्ति एवं वचन का रूप है ?1
(A) द्वितीया, बहुवचन
(B) द्वितीया, द्विवचन
(C) द्वितीया, एकवचन
(D) प्रथमा, एकवचन
उत्तर –(C) द्वितीया, एकवचन
16. 'नदी' पद का सप्तमी एकवचन का रूप है :1
(A) नदीन
(B) नदीआम्
(C) नदीद्
(D) नद्याम्
उत्तर –(D) नद्याम्
17.'स्थास्यामि' रूप है :1
(A) लोट् लकार, उत्तम पुरुष, एकवचन
(B) लट् लकार, प्रथम पुरुष, एकवचन
(C) लृट् लकार, उत्तम पुरुष, एकवचन
(D) लृट् लकार, मध्यम पुरुष, एकवचैन
उत्तर –(C) लृट् लकार, उत्तम पुरुष, एकवचन
18.'वस्तु' रूप किस लकार का है ?1
(A) लट् लकार
(B) लोट् लकार
(C) लृट् लकार
(D) लड् लकार
उत्तर –(B) लोट् लकार
19. 'उपतरम्' में समास हैं :1
(A) द्विगु
(B) बहुव्रीहि
(C) अव्ययीभाव
(D) द्वन्द्व
20. 'चन्द्रशेखर' का समास विग्रह है :1
(A) चन्द्रेश शेखरे यस्य सः
(B) इन्दु शेखरे यस्य सः
(C) चाँद शेखरे यस्य सः
(D) चन्द्रः शेखरे यस्य सः
उत्तर –(D) चन्द्रः शेखरे यस्य सः
खण्ड ब
(वर्णनात्मक प्रश्न) उपखण्ड (क)
निर्देश: सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
21. निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक गद्यांश का हिन्दी में कीजिए : अनुवाद
(क) तेन च शैशवसङ्गीत, सान्ध्यगीतं, प्रभातसङ्गीतं, नाटकेषु - रुद्रचण्डं, वाल्मीकिप्रतिभागीतिनाट्यं, विसर्जनम्, राजर्षिः चोखेरवाली, चित्राङ्गदा, कौड़ी ओकमलः, गीताञ्जलिः इत्यादयो बहवः ग्रन्थाः विरचिताः । गीताञ्जलिः वैदेशिकैः नोबुलपुरस्कारेण पुरस्कृतश्च । एवं बहूनि प्रशस्तानि पुस्तकानि बङ्गसाहित्याय प्रदत्तानि ।
उत्तर –उन्होंने नाटकों में शैशव संगीत, संध्या गीता, प्रभात संगीत जैसी कई रचनाओं की रचना की - रुद्रचंद, वाल्मीकि प्रतिभा नाट्यम, विसर्जन, राजर्षि चोखेरवाली, चित्रांगदा, कौड़ी ओकामल, गीतांजलि आदि। गीतांजलि को विदेशियों ने नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया था इस प्रकार बंगाली साहित्य को अनेक उत्कृष्ट पुस्तकें प्रदान की गईं।
(ख) अत्रैव निर्वासनकाले तेन विश्वप्रसिद्धं गीतारहस्यं नाम गीतायाः कर्मयोगप्रतिपादकं नवीनं भाष्यं रचितम् । कर्मसु कौशलमेव कर्मयोगः, गीता तमेव कर्मयोगं प्रतिपादयति । अतः सर्वे जनाः कर्मयोगिनः स्युः इति तेन उपदिष्टम् । कारागारात् विमुक्तोऽयं देशवासिभिरभिनन्दितः । तदनन्तरं स 'होमरूल' सत्याग्रहे सम्मिलितवान् ।
उत्तर – अपने निर्वासन के दौरान यहीं पर उन्होंने कर्म योग की व्याख्या करने वाली गीता पर एक नई टिप्पणी विश्व प्रसिद्ध गीता रहस्य लिखी थी। कर्मों में निपुणता कर्म योग है और गीता उस कर्म योग का प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए, उन्होंने सिखाया कि सभी लोगों को कर्मयोगी होना चाहिए। उन्हें जेल से रिहा किया गया और देशवासियों ने उनका स्वागत किया। इसके बाद वे होम रूल सत्याग्रह में शामिल हो गए।
22. निम्नलिखित पाठों में से किसी एक पाठ का सारांश हिन्दी भाषा में लिखिए:
(क) कविकुलगुरुः कालिदासः
(ख) संस्कृतभाषायाः गौरवम्
(ग) दीनबन्धुः ज्योतिबा फुले
उत्तर –
प्रस्तुत पाठ में कविवर कालिदास के जीवन के विषय में बताया गया है कि कालिदास ने हिमालय से समुद्रपर्यन्त तक भारत की यशोगाथा को अपने काव्य में किस प्रकार निरूपित किया है। भारत के विविध प्रदेशों का सुन्दर और स्वाभाविक वर्णन इनके काव्य में मिलता है। संस्कृत के कवियों में कोई भी कालिदास की तुलना नहीं कर पाया है।
कविकुलगुरू कालिदास का जीवन परिचय
महाकवि कालिदास संस्कृत के कवियों में श्रेष्ठ हैं। इनके नाम से पूर्व 'कविकुलगुरु' विशेषण का प्रयोग किया जाता है। ये भारत के ही नहीं, बल्कि विश्व के श्रेष्ठ कवि के रूप में भी जाने जाते हैं। इनके जन्म स्थान और स्थिति के विषय में विद्वानों में एकमत नहीं हैं। इन्होंने अपनी कृतियों में भी अपने जन्म के विषय में कुछ नहीं लिखा है। एक जनश्रुति के अनुसार, महाकवि कालिदास को विक्रमादित्य का सभारत्न माना जाता है, परन्तु विक्रमादित्य का स्थितिकाल भी पूर्ण रूप से स्पष्ट नहीं है।
कुछ विद्वान् इन्हें चन्द्रगुप्त द्वितीय का समकालीन मानते हैं। इस महान कवि को सभी अपने-अपने देश में उत्पन्न हुआ सिद्ध करते हैं। कुछ विद्वान् इन्हें कश्मीर में उत्पन्न हुआ और कुछ बंगाल प्रदेश में उत्पन्न हुआ मानते हैं तो कुछ आलोचक इन्हें उज्जैन में जन्म प्राप्त किया भी मानते हैं। कवि का उज्जयिनी प्रेम भी इस मत की कुछ पुष्टि करता है। कालिदास द्वारा रचित कृतियों में वर्ण व्यवस्था के वर्णन को देखकर इन्हें ब्राह्मण परिवार में उत्पन्न हुआ माना जाता है। ये शिवभक्त थे, परन्तु राम के प्रति भी इनकी अपार श्रद्धा थी। 'रघुवंशम्' महाकाव्य की रचना से यह बात पूर्णतः स्पष्ट हो जाती है।
कृतियाँ
इस महान् कवि की प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं नाटक
कालिदास के प्रमुख नाटक निम्न प्रकार हैं
1. मालविकाग्निमित्रम् इसमें अग्निमित्र और मालविका की प्रणय (प्रेम) की कथा का वर्णन है।
2. विक्रमोर्वशीयम् इस नाटक में पुरूरवा तथा उर्वशी की प्रेम कथा का नाट्य रूपान्तरण किया गया है। इस नाटक में पाँच अंक हैं।
3. अभिज्ञानशाकुन्तलम् यह कालिदास का सर्वश्रेष्ठ व अद्वितीय नाटक है। इसमें सात अंकों में मेनका के द्वारा जन्म देकर परित्यक्ता, पक्षियों द्वारा पोषित तथा महर्षि कण्व द्वारा पालित पुत्री शकुन्तला तथा दुष्यन्त की प्रणय कथा तथा दुष्यन्त के साथ प्रेम विवाह और उसके पश्चात् वियोग और पुनर्मिलन की कथा का वर्णन किया गया है।
महाकाव्य
कालिदास के प्रमुख महाकाव्य निम्न हैं।
1. रघुवंशम् इस महाकाव्य में राजा दिलीप से लेकर अग्निवर्ण तक के सूर्यवंशी (इक्ष्वाकुवंशी) राजाओं की उदारता का उन्नीस सर्गों में वर्णन है।
2. कुमारसम्भवम् इस महाकाव्य में शिवजी तथा पार्वती के पुत्र कुमार कार्तिकेय के जन्म से लेकर देवताओं के सेनापतित्व के रूप में तारकासुर वध तक की कथा 18 सर्गों में वर्णित है।
गीतिकाव्य
कालिदास के प्रमुख गीतिकाव्य निम्न हैं 1. ऋतुसंहार इस गीतिकाव्य में छः ऋतुओं का अत्यन्त सुन्दर वर्णन किया गया है।
2. मेघदूतम् इस खण्ड काव्य में प्रकृति के अन्तः एवं बाह्य दोनों रूपों के वर्णन के साथ-साथ विरही यक्ष द्वारा मेघ को दूत बनाकर उसके द्वारा अपनी विरहिनी यक्षिणी के पास सन्देश भेजने तथा कुबेर नगरी अलका पुरी के सौन्दर्य का मर्म भेदी वर्णन किया गया है।
भारतीय जीवन पद्धति का चित्रण
कालिदास ने अपनी रचनाओं में काव्योचित गुणों का समावेश करते हुए भारतीय जीवन पद्धति का सर्वांगीण चित्रण किया है। इनके काव्य में जड़ प्रकृति भी मानव की सहचरी के रूप में चित्रित की गई है।
प्रकृति मानव-सहचरी के रूप में
'मेघदूतम्' में कवि ने बाह्य तथा अन्तः प्रकृति का मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। कवि के विचार में मेघ, धूप, ज्योति, जलवायु का समूह ही नहीं, बल्कि वे मानव के समान ही संवेदनशील प्राणी हैं। 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक में वन के वृक्ष शकुन्तला को आभूषण प्रदान करते हैं और हरिण शावक शकुन्तला का मार्ग रोककर अपना निश्छल प्रेम प्रदर्शित करता है।
मानव मूल्यों की प्रतिष्ठा
कालिदास ने अपने काव्य के आधार पर समाज में मानव मूल्यों को प्रतिष्ठापित करने का सफल प्रयास किया है। शकुन्तला को देखकर मन दुष्यन्त के मन में काम की इच्छा उत्पन्न होने पर भी वे क्षत्रिय धर्म का पालन करते हुए विवाह करने के योग्य होने पर ही उससे विवाह करते हैं।
आदर्श जन-जीवन का निरूपण
'रघुवंशम्' में रघुवंशी राजाओं में भारतीय जन-जीवन का आदर्श रूप निरूपित किया गया है। रघुवंशी राजा प्रजा की भलाई के लिए ही प्रजा से कर लेते थे। वे सदा सत्य वचन बोलते थे।
काव्यगत विशेषताएँ
कालिदास की प्रमुख काव्यगत विशेषताएँ निम्न हैं रस कालिदास के काव्यों में मुख्य रस श्रृंगार है। करुण आदि रस उसके सहायक होकर प्रयुक्त किए गए हैं।
गुण कालिदास ने रस के अनुरूप ही प्रसाद और माधुर्य गुण को अपनाया है। रीति कालिदास वैदर्भी रीति के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं। अलंकार कालिदास ने उपमा अलंकार का प्रयोग किया है।
भारत की यशोगाथा
कालिदास ने हिमालय से सागर तक भारत के यश की गाथा को अपने काव्य में निरूपित किया है। 'रघुवंशम्', 'मेघदूतम्' और 'कुमारसम्भवम्' में भारत के विविध प्रदेशों का सुन्दर और स्वाभाविक वर्णन मिलता है। संस्कृत के कवियों में कोई भी कवि कालिदास की तुलना नहीं कर पाया है।
23. निम्नलिखित श्लोकों में से किसी एक श्लोक की हिन्दी में व्याख्या कीजिए:
(क) एवमुक्तः सव्यसाची मण्डलीकृतकार्मुकः । तस्थौ भासं समुद्दिश्य गुरुवाक्यप्रणोदितः ।।
उत्तर – इस लक्ष्य पर आपको प्रहार करना है। इन शब्दों को सुनकर और बाएं हाथ के अर्जुन से प्रेरित होकर, उन्होंने अपने धनुष को गोल कर दिया। पक्षी को देखकर अर्जुन उठ खड़ा हुआ और उसे मारने की कोशिश की।
(ख) सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम् । एतद्विद्यात् सभासेन लक्षणं सुखदुःखयोः ।।
उत्तर –व्याख्या मनु के अनुसार, पराधीनता में सब दुःख होता है और स्वाधीनता में सब सुख होता है अर्थात् दूसरे के अधीन रहना सबसे बड़ा दुःख है और अपने अधीन रहना सबसे बड़ा सुख है। विद्या के संक्षेप में यही सुख और दुःख के लक्षण हैं।
24.निम्नलिखित सूक्तियों में से किसी एक सूक्ति की हिन्दी में व्याख्या कीजिए :
(क) काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमताम् ।
(ख) मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते ।
उत्तर –व्याख्या पृथ्वी पर मानव ही नहीं, अपितु अन्य जीवधारी भी जल और अन्न के महत्त्व को भली-भाँति जानते हैं। जल और अन्न के बिना किसी भी जीव का जीवित रहना असम्भव है, परन्तु मानव जल और अन्न को छोड़कर सभी प्रकार से धन का संग्रह करने में लगा रहता है। वह हीरे, पन्ने, जवाहरात, रत्न और मणियों का संग्रह करके धनी बनना चाहता है। वह इन्हें ही अपने जीवन में अमूल्य एवं महत्त्वपूर्ण मानता है, परन्तु वास्तविकता कुछ और ही है। ये सभी तो मात्र पत्थर के टुकड़े हैं। वास्तव में, जल, अन्न एवं सुवाणी ही सच्चे रत्न हैं।
(ग) योगस्थः कुरु कर्माणि ।
25.निम्नलिखित में से किसी एक श्लोक का संस्कृत में अर्थ लिखिए :
(क) श्लोकस्तु श्लोकतां याति यत्र तिष्ठन्ति साधवः । लुप्यते तत्र यत्र तिष्ठन्त्यसाधवः ।। लकारी
(ख) सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयान्न ब्रूयात्सत्यमप्रियम् । प्रियं च नानृतं ब्रूयादेष धर्मः सनातनः ।।
उत्तर –संस्कृतार्थः अस्मिन् श्लोके महर्षिः मनुः सत्यभाषणस्य विषये कथयति-य जनः सदा सत्यं वदेत्। सदा प्रियं वदेत्। तादृशं सत्यं कदापि न वदेत् यस्य वदनेन कस्यापि पीड़ा भवेत्। तादृशं प्रियम अपि न वदेत् यत् सत्यं नास्ति। इत्थं प्रकारेण सत्यं प्रियं भाषणं सर्वेषां समीचीनः धर्मः अस्ति।
26. (क) निम्नलिखित में से किसी एक पात्र का चरित्र-चित्रण हिन्दी में कीजिए :
(i) "महात्मनः संस्मरणानि" पाठ के आधार पर "महात्मा गांधी" का ।
उत्तर – परिचय
भारतवर्ष की पुण्य भूमि पर अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया, उनमें से एक थे-महात्मा गाँधी । उनका पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी था। उनका जन्म पोरबन्दर में 2 अक्टूबर, 1869 को हुआ था। उनके पिता का नाम करमचन्द गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गाँधी मातृ भूमि की स्वतन्त्रता के प्रेमी थे। पाठ के आधार पर गाँधीजी के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
सत्यपालक के रूप में
गाँधीजी ने बचपन से ही अपने जीवन में सत्य का पालन किया। एक बार गाँधीजी ने हरिश्चन्द्र नाटक देखा। उस नाटक का उनके मन पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि हरिश्चन्द्र नाटक को देखकर गाँधीजी ने झूठ न बोलने का दृढ़ निश्चय किया। कठिन परिस्थितियाँ उत्पन्न होने पर भी गाँधीजी ने आजीवन सत्य का पथ नहीं छोड़ा।
दृढ़ प्रतिज्ञावादी
गाँधीजी किसी भी कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व दृढ़ प्रतिज्ञा करते थे कि जब तक मैं इस कार्य को सम्पन्न नहीं कर लूँगा, तब तक चैन की नींद नहीं सोऊँगा। इसी दृढ़ शक्ति के आधार पर उन्होंने ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो' का बिगुल बजाया। अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा के आधार पर ही उन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश कर दिया।
कष्ट सहिष्णु
गाँधीजी कष्ट सहिष्णु व्यक्ति थे। उन्होंने अपने जीवन में अनेक कष्टों का सामना किया, लेकिन कभी भी हार नहीं मानी। वे उन कष्टों का समाधान भी अवश्य ही निकाल लिया करते थे। 1893 ई. की बात है, जब गाँधीजी बम्बई नगर से अफ्रीका के 'नेटाल' नगर पहुँचे, तो वहाँ पर उन्होंने भारतीयों को अपमानित होते हुए देखा। अफ्रीका के नेटाल नगर के यूरोपीय व्यक्तियों से शिक्षित भारतीय नहीं मिल सकते थे। वहाँ रह रहे भारतीयों को 'कुली' और गाँधीजी को 'कुलियों का वकील' कहा जाता था। उन्होंने इस अपमान को सहन किया तथा निरन्तर संघर्ष किया।
नैतिकता के पालक
गाँधीजी के जीवन में नैतिकता का महत्त्वपूर्ण स्थान था। वह नैतिकता के विरुद्ध कोई भी कार्य नहीं करते थे। नैतिकता के प्रबल पक्षधर होने का प्रमाण इस बात से मिलता है कि जब एक बार उनके विद्यालय में भाषा के ज्ञान की परीक्षा के लिए निरीक्षक आए और निरीक्षक ने जब कक्षा में बैठे सभी विद्यार्थियों से 'केटल' शब्द लिखने के लिए कहा, तब गाँधीजी ने 'केटल' शब्द अशुद्ध लिख दिया। कक्षा अध्यापक के कहने पर भी गाँधीजी ने 'केटल' शब्द को नकल करके ठीक नहीं किया।
दीन-हीनों के नेता
गाँधीजी दीन-हीनों के नेता थे तथा उन्हीं के हित चिन्तक थे। उनके हितों की रक्षा के लिए उन्होंने लगातार संघर्ष किया। अपने इसी आचरण के कारण उन्हें अनेक बार गोरे लोगों द्वारा अपमानित भी होना पड़ा, किन्तु उन्होंने उनका पक्ष लेना नहीं छोड़ा। भारतीय जनता की वास्तविक दशा जानने के लिए उन्होंने भारत भ्रमण भी किया।
शान्ति के अग्रदूत
गाँधीजी अहिंसा के पुजारी और शान्ति के अग्रदूत थे। अतः वे अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए उग्रवाद का सहारा लेना उचित नहीं मानते थे, क्योंकि उनका मानना था कि उग्रवाद हमेशा ही व्यक्तियों के मन में ईर्ष्या पैदा करता है। ईर्ष्या के कारण ही व्यक्तियों के घर-के-घर नष्ट हो जाते हैं। सामान्य जीवन में तो वे उग्रवाद के पक्षधर थे ही नहीं, परन्तु उन्होंने स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए भी कभी भी उग्रवाद का समर्थन नहीं किया। उनके समय में पंजाब में उग्रवादियों द्वारा लोगों के साथ क्रूरता का व्यवहार किया जाता था और उन्हें कोड़ों से शारीरिक दण्ड दिया जाता था। गाँधीजी ने इसका पूर्णतः विरोध किया था।
स्वदेशी वस्तुओं के पक्षधर
गाँधीजी स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने के पक्षधर थे। विदेशी वस्त्रों के उपयोग से भारतीय उद्योगों के विकास पर प्रभाव पडेगा, इसी कारण उनका मानना था कि यदि हम स्वदेशी वस्तुओं को अपनाएँगे, तो हमारे देश का विकास होगा। अपनी इसी स्वदेशी आन्दोलनरूपी विचारधारा के बल पर उन्होंने बम्बई में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई, जिसमें हजारों लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने लोगों को बताया कि विदेशी वस्त्र पहनना पाप है और विदेशी वस्त्रों को जलाकर हमने पाप को जला दिया है। इस प्रकार गाँधीजी के नेतृत्व में भारतीयों ने विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार कर स्वदेशी वस्त्रों के उपयोग पर बल दिया।
भेदभाव के विरोधी
गाँधीजी भेदभाव के विरोधी थे। वे मानते थे हम सब ईश्वर की सन्तान हैं, न कोई छोटा है और न कोई बड़ा, सभी समान हैं। वे व्यक्तियों में कोई अन्तर नहीं मानते थे, भले ही वह किसी भी जाति, रंग अथवा लिंग का हो। उन्होंने इस सामाजिक बुराई का अनेक कष्ट उठाकर भी कड़ा विरोध किया। दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने रंगभेद के विरुद्ध आन्दोलन चलाया और इसमें सफलता प्राप्त करके लौटे। इस प्रकार निष्कर्षतः हम कह सकते हैं कि गाँधीजी सत्यपालक, नैतिकता के पक्षधर, रंगभेद के विरोधी आदि अनेक चारित्रिक गुणों से विभूषित होते हुए, भारतमाता के सच्चे सपूत तथा मानवता के सच्चे
(ii) “यौतुकः पापसञ्चय:” पाठ के आधार पर “रमानाथ” का ।
(iii) “वयं भारतीय:” पाठ के आधार पर “आफताब" का ।
(ख) निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर संस्कृत में लिखिए:
(i) सुमेधायाः पितुः किं नाम ?
(ii)महात्मागान्धी महानुभावस्य मातुः नाम किम् ?
उत्तर – मातु: नाम पुतली बाई
(iii) जीमूतवाहनस्य पितुः किं नाम ?
उपखण्ड (ख)
27.(क) निम्नलिखित वाक्यों में दिए गए रेखांकित पदों के किसी एक में विभक्ति का नाम लिखिए:
(i) त्वं पादाभ्यां चलसि ।
(ii) मध्यं मोदकाः रोचन्ते ।
(iii) ग्रामात् आगच्छामि ।
(ख) निम्नलिखित में से किसी एक पद में प्रयुक्त प्रत्यय लिखिए:2
(i) हत्वा
(ii) चलितुम्
(iii) गमनीयः
28. निम्नलिखित में से किसी एक का वाच्य परिवर्तन कीजिए:3
(क) उषा पत्रं लिखति ।
(ख) त्वया चल्यते ।
(ग) बालिका पुस्तिकां पठति ।
29.निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं तीन वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए :3x2=6
(क) राम और कृष्ण पढ़ते हैं।
(ख) क्या मैं जाऊँ ?
(ग) सीता राम के साथ वन गयी ।
(घ) पुत्र का कल्याण ।
(ङ) बालक अध्यापक से गणित पढ़ते हैं ।
30. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संस्कृत में आठ वाक्यों में निबन्ध लिखिए :
(क) विद्या
(ख) सत्सङ्गतिः
(ग) परोपकारः
(घ) अस्माकं विद्यालय:
(ङ) महाकविः कालिदासः
उत्तर – . महाकवि कालिदासः संस्कृत साहित्यस्य सर्वश्रेष्ठ कविः अस्ति ।
सः नाटककारः, महाकाव्य निर्माता गीतिकाव्यस्य कर्ता च आसीत् ।
तेषु प्रमुख ग्रंथेषु मालविकाग्निमित्रम् विक्रमोर्वशीयम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम् नाटकरूपेण ।
कुमारसम्भवम्, रघुवंशम् महाकाव्यरूपेण ऋतुसंहार, मेघदूतम् च गीतिकाव्यरूपेण प्रसिद्धमस्ति ।
वैदर्भी रीति प्रयोगे तस्य प्रतिभा सर्वतोन्मुखी आसीत्।
• तस्य कृतिषु प्रसाद माधुर्य गुणानाञ्च अपूर्व सम्मिश्रणम् अस्ति तेषु कृत्रिमता, क्लिष्टताया च अभावों दृश्यते।
महाकवि कालिदासस्य काव्येषु रसानां परिपाकः अपि उत्तमरूपेण अस्ति।
काव्येषु शब्दलाघव तस्य कलात्मक रूचेः परिचालकः अस्ति।
• सः चरित्र-चित्रणे अपि असाधारण पटुः आसीत् ।
महाकवि कालिदासस्य उपमा अलंकारः अतीव प्रसिद्धं वर्तते। उक्तमपि "उपमा कालिदासस्य"।
31. निम्नलिखित पदों में से किन्हीं दो पदों का संस्कृत वाक्यों में प्रयोग कीजिए :
(क) सदा
(ख) करोति
(ग) यथाशक्तिः
(घ) विहाय
(ङ) गच्छन्