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Class 12 chemistry chapter 2 विलयन NCERT full solutions pdf //परासरण क्या है? परासरण दाब के लिए व्यंजक लिखिए/राउल्ट के नियम को परिभाषित कीजिए तथा उसकी सीमाएँ बताइए

 कक्षा 12वी रसायन विज्ञान अध्याय 2 विलयन

class 12 chemistry chapter 2 vilayan Full solutions NCERT 


मोलरता को उदाहरण सहित समझाइए।


मोल प्रभाज से आप क्या समझते हैं? समझाइए। 


ऐल्कोहॉल एवं जल के एक विलयन में आण्विक अन्योन्य क्रिया की क्या भूमिका है?


ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता में, हमेशा कमी आने की प्रवृत्ति क्यों होती है?


मोलल उन्नयन स्थिरांक किसे कहते हैं?


परासरण क्या है? परासरण दाब के लिए व्यंजक लिखिए।


प्रतिलोम परासरण से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।


अपसामान्य अणुसंख्य गुणों से आप क्या समझते हैं? किसी एक उदाहरण द्वारा इसको स्पष्ट कीजिए।


हिमांक में अवनमन तथा विलेय के अणुभार में क्या सम्बन्ध है?


परासरण दाब को उदाहरण द्वारा समझाइए।


राउल्ट के नियम को परिभाषित कीजिए तथा उसकी सीमाएँ बताइए।


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मोलरता को उदाहरण सहित समझाइए।



 मोलरता (M) किसी निश्चित ताप पर, प्रति लीटर विलयन में घुलित विलेय पदार्थ के मोलों की संख्या को उस ताप पर उस विलयन की मोलरता कहा जाता है। 


मोलरता की इकाई मोल/लीटर है।




उदाहरण–  0.2 मोलरता का तात्पर्य यह है कि विलेय के 0.2 मोल को एक लीटर विलयन में घोला गया है।



प्रश्न 2. मोल प्रभाज से आप क्या समझते हैं? समझाइए। 


अथवा मोल अंश से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।




 मोल प्रभाज – एक विलयन में किसी घटक विशेष का मोल प्रभाज उस घटक के मोलों की संख्या तथा विलयन में उपस्थित सभी घटकों के कुल मोलों की संख्या के अनुपात के बराबर होता है


घटक के मोलों की संख्या


एक घटक का मोल प्रभाज (X) =घटक के मोलो की संख्या / विलयन में उपस्थित कुल मोलों की संख्या



प्रश्न 3. ऐल्कोहॉल एवं जल के एक विलयन में आण्विक अन्योन्य क्रिया की क्या भूमिका है?



उत्तर –  ऐल्कोहॉल तथा जल दोनों के अणुओं के मध्य उपस्थित हाइड्रोजन आबंध, अणुओं के मध्य उपस्थित अन्योन्य बलों में से एक होता है। जब ऐल्कोहॉल तथा जल परस्पर मिलाये जाते हैं, तो ऐल्कोहॉल तथा जल के अणुओं के मध्य नए हाइड्रोजन आबन्ध बनते हैं। परन्तु ये आबन्ध, पूर्व आबन्धों की अपेक्षा दुर्बल होते है। जिसके कारण आकर्षण बलों का परिणाम क्रमशः घटने लगता है तथा विलयन राउल्ट नियम से धनात्मक विचलन प्रदर्शित करता है। इसके कारण विलयन का वाष्प दाब बढ़ जाता है तथा क्वथनांक घटता है।


प्रश्न 4. ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता में, हमेशा कमी आने की प्रवृत्ति क्यों होती है? 


उत्तरगैस + द्रव  → विलेय गैस, AH = ऋणात्मक


 

गैस की विलेयता ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है। चूँकि ताप में वृद्धि हो रही है अतः ला शांतलिए सिद्धान्त के अनुसार साम्य प्रतीत दिशा की ओर अग्रसर होगा, जिससे ताप में कमी हो जाये। इसके कारण द्रव में गैस की विलेयता में कमी आ जाती है।




प्रश्न 5. मोलल उन्नयन स्थिरांक किसे कहते हैं?


उत्तर – विलायक के 1000 ग्राम में विलेय पदार्थ के मोल को घोलने पर क्वथनांक में होने वाली वृद्धि (उन्नयन), मोलल उन्नयन स्थिरांक कहलाता है। 


मोलल उन्नयन स्थिराक का मान प्रत्येक विलायक के लिए स्थिर रहता है, चाहे विलेय पदार्थ कोई भी हो, क्योंकि जब विलायक में एक मोल घोलते हैं, तो उससे प्राप्त अणुओं की संख्या सदैव स्थिर रहती है।



परासरण क्या है? परासरण दाब के लिए व्यंजक लिखिए।


उत्तरपरासरण अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली से होकर, किसी शुद्ध विलायक से विलयन में अथवा एक तनु विलयन से सान्द्र विलयन में विलायक का स्वतः प्रवाह, परासरण कहलाता है।


परासरण दाब का व्यंजक


pV = nRT, p = (n/V) .RT, p = CRT 


जहाँ,


p= परासरण दाब,


V = विलयन का आयतन


R = गैस स्थिरांक


T = परमताप


n = विलेय के मोलों की संख्या = w/m


w = विलेय की मात्रा,


m = विलेय का अणुभार



 प्रति-परासरण क्या है? इसका उपयोग लिखिए।


                   अथवा


 प्रतिलोम परासरण से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।



उत्तर – यदि परासरण दाब से अधिक दाब विलयन पर लगाया जाता है, तो विलायक के अणु विलयन (अधिक सान्द्रता) से शुद्ध विलायक (कम सान्द्रता) की ओर प्रवाहित होने लगते हैं चूँकि यह प्रक्रिया, परासरण की क्रिया के विपरीत दिशा में होती है, इसलिए यह क्रिया व्युत्क्रम परासरण कहलाती है। इस प्रक्रम का प्रयोग समुद्री जल प्राप्त करने के लिए तथा घरों में शुद्ध पेयजल प्राप्त करने के लिए। किया जाता है। 



अपसामान्य अणुसंख्य गुणों से आप क्या समझते हैं? किसी एक उदाहरण द्वारा इसको स्पष्ट कीजिए।



उत्तर सामान्य अणुसंख्य गुणधर्म तनु विलयनों के वे भौतिक गुणधर्म जो विलयन में उपस्थित कणों (अणुओं या आयनों) की संख्या अर्थात् मात्रा पर निर्भर करते हैं, लेकिन उनके आकार तथा प्रकृति पर निर्भर नहीं करते हैं, अणुसंख्य गुणधर्म कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में विलयन के वे गुणधर्म जो विलयन में उपस्थित कुल कणों की संख्या तथा विलेय के कणों की संख्या के अनुपात पर निर्भर करते हैं, अणुसंख्य गुणधर्म कहलाते हैं। 


उदाहरण परासरण दाब अणुसंख्य गुणधर्म है, क्योंकि यह विलयन में उपस्थित अणुओं/आयनों की संख्या पर निर्भर करता है, उनकी प्रकृति पर नहीं। 




हिमांक में अवनमन तथा विलेय के अणुभार में क्या सम्बन्ध है?



उत्तर हिमांक में अवनमन, (∆Tₜ,) = मोलल अवनमन स्थिरांक x मोललता 


∆Tₜ = मोलल अवनमन स्थिरांक xविलेय के मोलों की संख्या / विलायक का द्रव्यमान (किग्रा में)



 ∆Tₜ = Kᶠ ×(w/m')/(W/1000)



 ∆Tₜ= (1000x Kᶠ x w)/W.∆Tᶠ


या  m' =(1000 x Kᶠ x w)/W∆Tᶠ


जहाँ, m' = विलेय का अणुभार, w = विलेय का भार


Kᶠ = मोलल अवनमन स्थिरांक, W = विलायक का भार



 परासरण दाब की परिभाषा दीजिए।


                       अथवा 


परासरण दाब को उदाहरण द्वारा समझाइए। 


उत्तर परासरण दाब (p ) अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली से होकर, किसी शुद्ध विलायक से विलयन में अथवा एक तनु विलयन से सान्द्र विलयन में विलायक का स्वत: प्रवाह, परासरण कहलाता है।


किसी विलयन का परासरण दाब उस बाह्य दाब के बराबर माना जा सकता है, जिसे विलयन पर आरोपित करने पर परासरण की क्रिया रुक जाए।


उदाहरण लोहे के एक बन्द पात्र में विलयन व विलायक को अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली द्वारा पृथक्-पृथक् रखने पर कुछ समय पश्चात् परासरण की क्रिया शुरू हो जाती है तथा पिस्टन P पर लगा दाब बढ़ जाता है, जो दाबमापी द्वारा माप लिया जाता है। इस बार पिस्टन P पर दाब बढ़ाकर परासरण की क्रिया को रोक दिया जाता है तथा दाब मापक द्वारा दाब का अन्तर ज्ञात कर लिया जाता है। यह बढ़ाया गया दाब ही विलयन का परासरण दाब है।




राउल्ट का वाष्प दाब अवनमन नियम क्या है? परिभाषित कीजिए।


                   अथवा


 राउल्ट के नियम को परिभाषित कीजिए तथा उसकी सीमाएँ बताइए।



उत्तरराउल्ट का वाष्प दाब अवनमन का नियम इस नियम के अनुसार, अवाष्पशील विलेय पदार्थों के विलयनों के लिए, वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन विलयन में विलेय के मोल प्रभाज के बराबर होता है।


गणितीय रूप में, (pᵒ - Ps) / pᵒ  =X विलेय = n/(n+N)


जहाँ, p° − Ps =वाष्प दाब में अवनमन


 (pᵒ - Ps) / pᵒ = वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन


X विलेय = विलेय के मोल प्रभाज,


 n = विलेय के मोलों की संख्या

 N = विलायक के मोलों की संख्या



राउल्ट के नियम की सीमाएँ


(i) राउल्ट का नियम केवल अवाष्पशील विद्युत-अपघट्यों के तनु विलयनों पर लागू होता है।


(ii) राउल्ट का नियम केवल उन अवाष्पशील पदार्थों के विलयनों पर लागू होता है, जो विलायक से रासायनिक अभिक्रिया नहीं करते हैं।


(iii) चूँकि विद्युत अपघट्य विलयन में वियोजित होते हैं, अत: उनके विलयनों विद्युत-अपघट्य में पर राउल्ट का नियम लागू नहीं होता है।


(iv) जो पदार्थ विलयन में संगुणित होते हैं, उन पर भी राउल्ट का नियम लागू नहीं होता है।


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