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up pre board exam paper 2022 class 10 hindi full solutions pdf //यूपी प्री बोर्ड परीक्षा पेपर कक्षा 10वी हिन्दी का सम्पूर्ण हल

Class 10 hindi pre board exam paper full solutions 2022


यूपी प्री बोर्ड परीक्षा पेपर 2022 कक्षा 10वी हिन्दी पेपर का सम्पूर्ण हल

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            पूर्वानुमानित परीक्षा 2022


                        कक्षा दशम


                        विषय: हिन्दी



निर्धारित समय: 3:15 घण्टे                  पूर्णांक : 70


सामान्य निर्देश:


1. प्रत्येक प्रश्नों के उत्तर खण्डों के क्रमानुसार ही कीजिए ।


2. कृपया जांच लें प्रश्न पत्र में प्रश्नों की कुल संख्या 12 तथा मुद्रित पृष्ठों की संख्या 05 है।


3. कृपया प्रश्न का उत्तर लिखना शुरू करने से पहले प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखिए।


5.


4.घण्टी का प्रथम संकेत प्रश्न पत्रों के वितरण एवं प्रश्न पत्र को पढ़ने के लिए है।


5. 15 मिनट के पश्चात घण्टी के द्वितीय संकेत पर प्रश्न पत्र हल करना प्रारम्भ कीजिए ।



प्र. 1निम्नलिखित कथनों में कोई लिखिए एक कथन सत्य है, पहचानकर


1. 'रस मीमांसा' के रचनाकार आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी हैं।


2. 'प्रेम पथिक' जय शंकर प्रसाद की कहानी है।


3. 'साहित्य और कला' के लेखक भगवत शरण उपाध्याय हैं।


4. राम विलास शर्मा सुप्रसिद्ध कवि हैं।



ख.वियोग हरि के भावुकता प्रधान गद्य के दर्शन किस युग में हुए?            


  उत्तर भारतेंदु युग


ग.'शिक्षा और संस्कृति' के लेखक का नाम लिखिए। 


उत्तर राजेन्द्र बाबू


घ.शुक्ल युग की कालावधि लिखिए।


1938से 1943 ई.

ङ.रायकृष्ण दास ने अपना 'साधन' ग्रन्थ किस विधा में लिखा? 


उत्तर . गधगीत

प्र. 2 क.'शिवा बावनी' के रचनाकार का नाम लिखिए।1


उत्तर . कवि भूषण

ख.प्रगतिवादी युग की दो विशेषताएं लिखिए।   (2)


उत्तर
.
(i) प्राचीन रूढ़ियों एवं मान्यताओं का विरोध

(ii) मानवता वादी प्रवृत्त


ग. प्रयोगवादी काव्य की दो प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।                                            (2)


प्र. 3निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक के नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए।          (2+2+2=6)


संगसाजों ने उन गुफाओं पर रौनक बरसाई है, चितेरे जैसे रंग और रेखा में दर्द और दया की कहानी लिखते गए हैं, कलावंत छेनी से मूरतें उभारते-कोरते गए हैं, वैसे ही अजन्ता पर कुदरत का नूर बरस पड़ा है, प्रकृति भी वहां थिरक उठी है। बम्बई के सूबे में बम्बई और हैदराबाद के बीच विन्ध्याचल के पूरब-पश्चिम दौड़ती पर्वत मालाओं से निचौंधे पहाड़ों का एक सिलसिला उत्तर से दक्खिन चला गया है, जिस सद्याद्रि कहते हैं। अजन्ता के गुहा मन्दिर उसी पहाड़ी जंजीर को सनाथ करते हैं।


1. गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।


2. रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।


3. अजन्ता की गुफाएं किसे सनाथ करती हैं?


ख.जब एक बार मनुष्य अपना पैर कीचड़ में डाल देता है तब फिर यह नहीं देखता है कि वह कहां और कैसी जगह पर पैर रखता है। धीरे-धीरे उन बुरी बातों में अभ्यस्त होते-होते तुम्हारी घृणा कम हो जाएगी। पीछे तुम्हें उनसे चिढ़ न मालूम होगी, क्योंकि तुम यह सोचने लगोगे कि चिढ़ने की बात ही क्या है। तुम्हारा विवेक कुंठित हो जाएगा और तुम्हें भले बुरे की पहचान न रह जाएगी। अन्त में होते-होते तुम भी बुराई के भक्त बन जाओगे। अतः अपने हृदय को उज्ज्वल और निष्कलंक रखने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि बुरी संगत की छूत से बचो। 


1. पाठ के लेखक और पाठ का नाम लिखिए।


2. रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।


3. मनुष्य का विवेक कब कुंठित हो जाता है? 


(i) पाठ का नाम – मित्रता
लेखक का नाम – आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या– लेखक इस पाठ के माध्यम से हमे अपने हृदय को पवित्र रखने की सलाह दे रहे हैं। इसके लिए हमे बुरी संगति से हमेशा दूर रहना चाहिए।


(iii) जब मनुष्य बुरी संगति में फस जाता है तो उसका विवेक कुंठित हो जाता है।


प्रश्न 4.निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए व काव्यगत सौन्दर्य लिखिए


                                           (1+4+1=6)


क.गिरा अलिन मुख पंकज रोकी। प्रगट न लाज निसा अवलोकी ।।


लोचन जलु रह लोचन कोना। जैसे परम कृपन कर सोना ।।


सकुची व्याकुलता बड़ जानी। धरि धीरजु प्रतीति उर आनी ।। 


तन मन बचन मोर पनु साचा । रघुपति पद सरोज चितुराचा ।। ऐसा रण, राणा करता था,


सन्दर्भ प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक के काव्यखण्ड के 'धनुष-भंग' शीर्षक से लिया गया है। यह कवि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के बालकाण्ड' से लिया गया है।



प्रसंग प्रस्तुत पद्यांश में सीता जी का श्रीराम के प्रति सात्विक प्रेम का सुन्दर चित्रण प्रस्तुत किया गया है।


व्याख्या यहाँ कवि सीता जी की वाणी की असमर्थता को प्रकट करते हुए कहते हैं कि सीता जी के प्रेमभाव की वाणीरूपी भ्रमरी को उनके मुखरूपी कमल रोक रखा है अर्थात् वह कुछ बोल नहीं पा रही हैं। जब वह भ्रमरी लज्जारूपी रात देखती है, तो वह अत्यन्त मौन होकर कमल में बैठी रहती है और स्वयं को प्रकट नहीं करती, क्योंकि वह तो रात्रि के बीत जाने पर ही प्रातः काल में प्रकट होकर गुनगुनाती है अर्थात् सीता जी लज्जा के कारण कुछ नहीं कह पाती और उनके मन की बात मन में ही रह जाती है।


उनका मन अत्यन्त भावुक है, जिसके कारण उनकी आँखों में आँसू छलछला आते हैं, परन्तु वह उन आँसुओं को बाहर नहीं निकलने देतीं।


सीता जी के आँसू आँखों के कोनों में ऐसे समाए हुए हैं जैसे महाकंजूस का सोना घर के कोनों में ही गड़ा रहता है। सीता जी अत्यन्त विचलित हो रही थीं, जब उन्हें अपनी इस व्याकुलता का बोध हुआ तो वह सकुचा गईं और अपने हृदय में धैर्य रखकर अपने मन में यह विश्वास लाईं कि यदि मेरे तन, मन, वचन से श्रीराम का वरण सच्चा हैं, रघुनाथ जी के चरणकमलों में मेरा चित्त वास्तव में अनुरक्त है तो ईश्वर मुझे उनकी दासी अवश्य बनाएँगे।


काव्य सौन्दर्य


कवि ने सीता जी के प्रेम तथा श्रीराम से विवाह करने की विचलित स्थिति को व्यक्त किया है।


भाषा         अवधी


शैली       प्रबन्ध और चित्रात्मक


रस         श्रृंगार



गुण             माधुर्य




छन्द          दोहा


शब्द-शक्ति।      अभिधा एवं लक्षणा


अलंकार


अनुप्रास अलंकार 'लोचन कोना', 'परम कृपन' और 'धीरे धीरजु' में क्रमशः 'न', 'प' और 'ध' तथा 'र' वर्ण की पुनरावृत्ति होने से यहाँ अनुप्रास अलंकार है।


उपमा अलंकार 'जैसे परम कृपन कर सोना' यहाँ समता बताने वाले शब्द 'जैसे' का प्रयोग किया गया है। इसलिए यहाँ उपमा अलंकार है।



ख. पर उसको था सन्तोष नहीं, क्षण-क्षण आगे बढ़ता था वह, पर कम होता था रोष नहीं।।


कहता था लड़ता मान कहां,मैं कर लूं रक्त-स्नान कहां। जिस पर तय विजय हमारी है। वह मुगलों का अभिमान कहां।।


प्र. 5 क.निम्नलिखित में से किसी एक लेखक का जीवन परिचय व रचनाएं लिखिए।      (2+1=3)


1. जयशंकर प्रसाद


2. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल


3. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद


4. भगवत शरण उपाध्याय


. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

जीवन-परिचय


सफल राजनीतिज्ञ और प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकार देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 1884 ई. में बिहार राज्य के छपरा जिले के जीरादेई नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम महादेव सहाय था। इनका परिवार गाँव के सम्पन्न और प्रतिष्ठित कृषक परिवारों में से था। ये अत्यन्त मेधावी छात्र थे। इन्होंने कलकत्ता (वर्तमान में कोलकाता) विश्वविद्यालय से एम. ए. और कानून की डिग्री एल. एल. बी. की परीक्षा उत्तीर्ण की। सदैव प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाले राजेन्द्र प्रसाद ने मुजफ्फरपुर के एक कॉलेज में अध्यापन कार्य किया। इन्होंने सन् 1911 में वकालत शुरू की और सन् 1920 तक कोलकाता और पटना में वकालत का कार्य किया। उसके पश्चात् वकालत छोड़कर देश सेवा में लग गए। इनका झुकाव प्रारम्भ से ही राष्ट्रसेवा की ओर था।


सन् 1917 में गाँधी जी के आदर्शों और सिद्धान्तों से प्रभावित होकर इन्होंने चम्पारण के आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया और वकालत छोड़कर पूर्णरूप से राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े।


अनेक बार जेल की यातनाएँ भी भोगीं। इन्होंने विदेश जाकर भारत के पक्ष को विश्व सम्मुख रखा। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद तीन बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सभापति और सन् 1962 तक भारत के राष्ट्रपति रहे। 'सादा जीवन उच्च विचार' इनके जीवन का मूल मन्त्र था। सन् 1962 में इन्हें 'भारत रत्न' से अलंकृत किया गया। जीवनपर्यन्त हिन्दी और हिन्दुस्तान की सेवा करने वाले डॉ. प्रसाद जी का देहावसान 28 फरवरी, 1963 में हो गया।


रचनाएँ डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-भारतीय शिक्षा, गाँधीजी की देन, शिक्षा और संस्कृत साहित्य, मेरी आत्मकथा, बापूजी के कदमों में, मेरी यूरोप यात्रा, संस्कृत का अध्ययन, चम्पारण में महात्मा गाँधी और खादी का अर्थशास्त्र आदि।


भाषा-शैली डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की भाषा सरल, सुबोध और व्यावहारिक हैं। इनके निबन्धों में संस्कृत, उर्दू, अंग्रेजी, बिहारी शब्दों का प्रयोग हुआ है। इसके अतिरिक्त जगह-जगह ग्रामीण कहावतों और शब्दों का भी प्रयोग हुआ है। इन्होंने भावानुरूप छोटे-बड़े वाक्यों का प्रयोग किया है। इनकी भाषा में बनावटीपन नहीं है। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की शैली भी उनकी भाषा की तरह ही आडम्बर रहित है। इसमें इन्होंने आवश्यकतानुसार ही छोटे-बड़े वाक्यों का प्रयोग किया है। इनकी शैली के मुख्य रूप से दो रूप प्राप्त होते हैं- साहित्यिक शैली और भाषण शैली।


हिन्दी साहित्य में स्थान


डॉ. राजेन्द्र प्रसाद 'सरल सहज भाषा और गहन विचारक' के रूप में सदैव स्मरण किए जाएँगे। यही सादगी इनके साहित्य में भी दृष्टिगोचर होती है। हिन्दी के आत्मकथा साहित्य में सम्बन्धित सुप्रसिद्ध पुस्तक 'मेरी आत्मकथा' का विशेष स्थान है। ये हिन्दी के अनन्य सेवक और उत्साही प्रचारक थे, जिन्होंने हिन्दी की जीवनपर्यन्त सेवा की। इनकी सेवाओं का हिन्दी जगत् सदैव ऋणी रहेगा।




ख.निम्नलिखित कवियों में से किसी एक का जीवन परिचय व रचनाएं लिखिए।                (2+1=3)


1. बिहारी लाल


2. महादेवी वर्मा


3. अशोक वाजपेई


4. सुभद्रा कुमारी चौहान


प्र. 6 निम्नलिखित का सन्दर्भ सहित हिन्दी अनुवाद कीजिए'।                                    (1+3=4)


"विश्वस्य स्रष्टा ईश्वरः एक एव' इति भारतीय संस्कृतेः मूलम। विभिन्न मतावलम्बिनः विविधैः नामभिः एकम एव ईश्वरं भजन्ते। अग्निः, इन्द्रः, कृष्णः, करीमः, रामः, रहीमः, जिनः, बुद्धः, खिस्तः, अल्लाहः, इत्यादीनि नामानि एकस्य एव परमात्मनः सन्ति। तम् एव ईश्वरं जनाः गुरुः इत्यपि मन्यन्ते । अतः सर्वेषां मतानां समभावः सम्मानश्च अस्माकं संस्कृतेः सन्देशः ।


अथवा


मानं हित्वा प्रियो भवति क्रोधं हित्वा न शोचति । कामं हित्वार्थवान भवति लोभं हित्वा सुखी भवेत् ।।




प्र. 7क.अपनी पाठ्य पुस्तक से कण्ठस्थ किया हुआ एक श्लोक लिखिए जो इस प्रश्न पत्र में न आया हो।(2)


ख.निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में लिखिए।                                            (1+1=2)


1.भूमेः गुरुतरा किम अस्ति?



2.ज्ञानं कुत्र सम्भवति?



3. गीतायाः कः सन्देशः ।


प्र. 8 क.करुण अथवा हास्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।                                       (2)


ख.रूपक अथवा उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा व उदाहरण लिखिए।                                     (2)


ग. सोरठा अथवा रोला छन्द का लक्षण व उदाहरण लिखिए।                                               (2)


प्र. 9 क. निम्नलिखित उपसर्गों में से किन्हीं तीन के मेल से एक-एक शब्द लिखिए।                 (1+1+1=3)

परि, सु, उप, सह, अप, अधि, अन


ख. निम्नलिखित प्रत्ययों में से किन्हीं दो प्रत्ययों के मेल से एक-एक शब्द लिखिए।                                           (1+1=2)


वट, वाँ, ता, त्व


ग. किन्हीं दो का सनाम समास विग्रह कीजिए(1+1=2)


भला-बुरा, धर्माधर्म, नवग्रह, त्रिभुव


घ. निम्नलिखित में से किन्हीं दो के तत्सम शब्द लिखिए- (1+1=2) 


सुहाग, आँवला, दही, पत्थर


ङ.निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं दो के दो-दो पर्यायवाची लिखिए।              (1+1=2)


कुबेर, नाव, तलवार, धनुष


प्र. 10 क.निम्नलिखित में से किन्हीं दो का सन्धि विच्छेद कर सन्धि का नाम लिखिए। 


गुर्वादेशः, मन्वन्तरः, दध्यानय, मात्राज्ञा



ख.निम्नलिखित शब्दों के चतुर्थी एकवचन के रूप लिखिए-


 1. मति अथवा मधु


 2. नदी अथवा फल



ग. निम्नलिखित में से किसी एक की धातु लकार, पुरुष एवं वचन लिखिए।                                    (2)


हसेम, अपठत्


घ. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो का संस्कृत में अनुवाद कीजिए ।                        (1+1=2)


1. मैं घर जाऊंगा।


2. राधा ने पुस्तक पढ़ी।


3. गंगा हिमालय से निकलती है। 


4. गुरुजी को नमस्कार है।


प्र. 11 निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबन्ध लिखिए।                                                (6)


क. यातायात की समस्याएं


ख. राष्ट्रीय एकता


घ. राज भाषा हिन्दी


ग. आजादी का अमृत उत्सव



प्र. 12 स्वपठित खण्डकाव्य के नायक का चरित्र चित्रण कीजिए। 


अथवा 


खण्ड काव्य के शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए।



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