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Microbes in Human Welfare Class 12th Ncert Notes।।मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव अध्याय 07 जीव विज्ञान

मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव अध्याय 07 जीव विज्ञान

Microbes in Human Welfare Class 12th Ncert Notes


Microbes in Human Welfare Class 12th Question Answers

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Microbes in Human Welfare Class 12th Ncert Notes in hindi सर्च कर रहे हैं तो आप बिलकुल सही जगह पर आ गए हैं इस पोस्ट में हम आपको मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव से 

 सम्बंधित जानकारी देने वाले है इसलिए आप पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें।




मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव का संक्षिप्त विवरण
Microbes in Human Welfare Short Introduction

ऐसे जीव, जिन्हें नग्न आँखों से नहीं देखा जा सकता है, सूक्ष्मजीव कहलाते हैं। नेटोजोआ, विषाणु, जीवाणु, शैवाल (सूक्ष्मपादप समूह) तथा कवक को सूक्ष्मजीवों के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाता है। इनका अध्ययन सूक्ष्मजीव विज्ञान (Morobiology) कहलाता है। एण्टोनी वान ल्यूवेनहॉक को सूक्ष्मजीव विज्ञान का जनक माना जाता है। सूक्ष्मजीव विभिन्न रोगों के संचरण के अतिरिक्त अनेक लाभदायक क्रियाओं के लिए भी उत्तरदायी होते हैं, जो निम्न हैं.


1. घरेलू उत्पादों में सूक्ष्मजीव

विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीवों का उपयोग औद्योगिक रूप से खाद्य पदार्थों के निर्माण किया जाता है; उदाहरण-लैक्टोबैसिलस वुल्गैरिस (जीवाणु), स्ट्रेप्टोकोकस लैक्टिस एवं स्ट्रेप्टोकोकस थर्मोफिलस का उपयोग दही, योगहर्ट् तथा पनीर निर्माण में किया जाता है। इससे दही जैसे डेयरी उत्पादों में विटामिन B की मात्रा में वृद्धि होती है।


•यीस्ट (सैकैरोमाइसीस) कवक का उपयोग शराब तथा बेकरी उद्योग में क्रमश: एल्कोहॉल तथा डबल रोटी बनाने में किया जाता है। यीस्ट की सहायता से शर्करा एवं स्टार्च युक्त पदार्थों (शीरा, गन्ने तथा फलों का रस, आलू, जौं, मक्का तथा अन्य खाद्यान्न) का किण्वन (Fermentation) कर एल्कोहॉल युक्त पेय पदार्थ का निर्माण किया जाता है। यीस्ट में जाइमेज तथा इन्वर्टेज एन्जाइम होते हैं। इस कवक की कोशिकाएँ किण्वन की प्रक्रिया में शर्कराओं को तोड़ कर कार्बन डाइऑक्साइड तथा एल्कोहॉल बनाती हैं।


•प्रोपिओनिबैक्टीरियम शेरमानी नामक जीवाणु की उपस्थिति के कारण स्विस चीज़ (पनीर) में बड़े-बड़े छिद्र होते हैं।


2. औद्योगिक उत्पादों में सूक्ष्मजीव

सूक्ष्मजीवों से अनेक औद्योगिक उत्पादों की प्राप्ति होती है; जैस-एस्पर्जिलस नाइगर से ऑक्सेलिक अम्ल, माइकोडर्मा एसीटी एवं एसीटोबैक्टर एसीटी द्वारा

सिरका उत्पादन।


• चाय उद्योग में चाय की पत्तियों पर माइक्रोकोकस कैन्डीकेन्स की किण्वन क्रिया द्वारा क्यूरिंग (Curing) कराई जाती है, जिससे चाय की पत्तियों में विशेष स्वाद आता है।


•सूक्ष्मजीवों द्वारा प्रतिजैविक (Antibiotics) का निर्माण किया जाता है। प्रतिजैविक पदार्थ अन्य सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को सन्दमित करते हैं; उदाहरण-पेनिसिलिन नोटेटम नामक कवक से प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त स्ट्रेप्टोमाइसिन, (प्रथम प्रतिजैविक) इसकी खोज एलैक्जेण्डर फ्लेमिंग ने की थी। यह पेनिसिलियम टेरामाइसिन, नियोमाइसिन, आदि प्रतिजैविकों का संश्लेषण स्ट्रेप्टोमाइसिस जीवाणु से किया जाता है।


•सूक्ष्मजीव एन्जाइम्स का संश्लेषण करते हैं, जिनका व्यवसायिक (Industrial)  उपयोग हेतु संवर्धन माध्यम से निष्कर्षण किया जाता हैं, जैसे- लाइपेज, पेक्टिनेज, स्ट्रेप्टोकाइनेज, आदि।


•ट्राइकोडर्मा पॉलीस्पोरम से साइक्लोस्पोरिन - A (प्रतिरक्षा निषेधात्मक औषधि) तथा यीस्ट मोनास्कस परप्यूरियस से स्टैटिन (रुधिर कोलेस्टेरॉल लघुकरण कारक) को प्राप्त किया जाता है।


•कैन्डिडा लाइपोलाइटिका तथा जिओट्राइकम जवानिकस से प्राप्त लाइपेज एन्जाइम अपमार्जक के निरूपण (Formulations) में उपयोगी होता है।


•जीवाणु स्ट्रैप्टोकोकस की हीमोलाइटिक प्रजाति से स्ट्रैप्टोकाइनेज एन्जाइम का संश्लेषण किया जाता है। इसको टिश्यू प्लाज्मिनोजन एक्टिवेटर (Tissue Plasminogen Activator or TPA) भी कहा जाता है। इस एन्जाइम को आनुवंशिक रूप से रूपान्तरित करके, मायोकार्डियल इन्फेकशन (Myocardial infraction) तथा अन्य हृदय रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को रुधिर वाहिनियों में रुधिर के थक्कों को घुलनशील बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।


3. वाहितमल उपचार में सूक्ष्मजीव (जैव उपचारण)

•सूक्ष्मजीव अपशिष्ट पदार्थों; जैसे-वाहित जल में उपस्थित जैव प्रदूषक तथा कार्बनिक पदार्थों का अपघटन करके पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करते हैं। यह प्रक्रिया 'जैव उपचारण' कहलाती है।


•जल में व्यर्थ अपशिष्ट पदार्थों, जैसे-मल-मूत्र, आदि के मिलने से जल प्रदूषित हो जाता है, यह वाहित मल कहलाता है।


•वाहित मल के उपचार में छनित्र मलकुण्ड, सैप्टिक टैंक व ऑक्सीकरण तालाब, आदि लघु इकाईयाँ बनायी जाती हैं।


•फ्लॉक्स, जीवाणु तथा कवक तन्तुओं का जाल सदृश्य झुण्ड होता है। ये कार्बनिक पदार्थों का पाचन करते हैं, रोगकारकों को हटाते हैं और पोषकों को वाहित मल की बहि:धारा में छोड़ देते हैं।


गंगा एक्शन प्लान पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से हमारे देश की दो प्रमुख नदियों में प्रदूषण कम करने के लिए 'गंगा एक्शन प्लान' तथा 'यमुना एक्शन प्लान' जैसी परियोजना को क्रमशः सन् 1985 में चरण 1 में व चरण 2 में प्रारम्भ किया। इन परियोजनाओं के अन्तर्गत बड़ी मात्रा में उत्पन्न वाहित मल उपचार संयन्त्रों को बनाने का प्रस्ताव है, जिससे मात्र उपचारित वाहितमल ही नदियों में प्रवाहित किया जाए।


4. बायोगैस के उत्पादन में सूक्ष्मजीव

ऊर्जा स्रोतों के रूप में 'बायोगैस' बनाने हेतु सूक्ष्मजीवों (मीथेनोजन या मीथेनोबैक्टर जीवाणु) का उपयोग किया जाता है। बायोगैस (गोबर गैस) का मुख्य घटक मीथेन (50-70%), CO, (30-40%), अल्प मात्रा में हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, एथिलीन, एसीटिलीन, एथेन, प्रोपेन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड (H,S) हैं। इस प्रक्रिया के अन्त में प्राप्त ठोस अपशिष्ट का प्रयोग कृषि में खाद के रूप में किया जाता है।


5. जैव नियन्त्रण कारक के रूप में सूक्ष्मजीव

बैसिलस थ्यूरिन्जिएन्सिस एक भूमिगत जीवाणु है, जो बीजाणुजनन के समय क्रिस्टल प्रोटीन बनाता है। यह विशिष्ट प्रकार के कीट; जैसे-कपास का बॉलवर्म तथा अन्य दीमक, तितली, चींटी को नष्ट करता है। इस जीवाणु की क्राई जीन का उपयोग पादपों में रोगों के प्रति प्रतिरोधकता उत्पन्न करने में किया जाता है। ये प्राकृतिक कीटनाशी का कार्य करते हैं। इसी प्रकार मुक्त जीवी ट्राइकोडर्मा कवक का प्रयोग भी जैव नियन्त्रण में किया जाता है।


6. जैव उर्वरक के रूप में सूक्ष्मजीव

• विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव; जैसे-जीवाणु (स्वतन्त्र एवं सहजीवों नील-हरित शैवाल या सायनोबैक्टीरिया) तथा कवक अपनी जैविक क्रियाओं द्वारा मृदा में पोषक तत्वों की मात्रा में वृद्धि करते हैं तथा जैविक उर्वरक (Biofertiliser) कहलाते हैं।


•स्वतन्त्रजीवी जीवाणु (क्लॉस्ट्रिडियम, एजोटोबैक्टर) सहजीवी जीवाणु, राइजोबियम तथा फ्रैंकिया दलहनी तथा अदलहनी पादपों (कैज्युराइना रूबस) में वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का भूमि में स्थिरीकरण करते हैं।


•टेरिडोफाइट एजोला पिन्नेटा एवं सायनोबैक्टीरिया, एनाबीना, नॉस्टॉक, ऑलोसीरा, सहजीवी तथा स्वतन्त्र रूप से जैविक नाइट्रोजनी उर्वरक का कार्य करते हैं। कवक उच्चवर्गीय पादपों की मूल में सहजीवी के रूप में जैव उर्वरक की भाँति कार्य करते हैं; जैसे-कवकमूल सम्बन्ध।


[ Microbes in Human Welfare Class 12th objective Questions answer ]


         { बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक }


प्रश्न 1. लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया द्वारा दूध का दही में परिवर्तन होने से किस विटामिन की मात्रा में वृद्धि होती है?


(a) विटामिन-C


(b) विटामिन-D)


(c) विटामिन-B 


(d) विटामिन-E


उत्तर (c) विटामिन B


प्रश्न 2. शर्करा से एल्कोहॉल का उत्पादन करने वाला कवक है

(a) यीस्ट 


(b) पेनिसिलियम 


(c) राइजोपस 


(d) म्यूकर

उत्तर (a) यीस्ट किण्वन द्वारा एल्कोहॉल का निर्माण करते हैं।


प्रश्न 3. सर्वप्रथम खोजी गई एण्टीबायोटिक है


(a) पेनिसिलिन


(b) एरिथ्रोमाइसिन


(c) एम्पोटेरिसिन


(d) क्लॉरेम्फेनिकॉल


उत्तर (a) पेनिसिलिन


प्रश्न 4. पेनिसिलिन की खोज किसने की थी?


(a) वीजमान ने


(b) स्मिथ ने


(c) फ्लेमिंग ने


(d) आर्बर ने


उत्तर (c) फ्लेमिंग ने पेनिसिलिन की खोज की थी।


प्रश्न 5. स्ट्रेप्टोमाइसिन एवं टैरामाइसिन प्रतिजैविक औषधि प्राप्त होती है?


(a) जीवाणु से


(b) कवक से


(c) विषाणु से


(d) सायनोजीवाणु से


उत्तर (a) जीवाणु से


प्रश्न 6. गोबर से गोबर गैस उत्पादन के बाद बचे अपशिष्ट का क्या किया जाता है?


(a) जला दिया जाता है


(b) लैंडफिल में भर दिया जाता है


(c) खाद की तरह प्रयोग होता है।


(d) निर्माण सामग्री के रूप में प्रयोग होता है।


 उत्तर (c) खाद के रूप में प्रयोग होता है।


प्रश्न 7. बीटी (Bt) जीव विष किस जीवाणु द्वारा उत्पादित होता है?


(a) बैसिलस वुल्गैरिस


(b) बैसिलस थ्यूरिन्जिएन्सिस


(c) बैसिलस सबटाइलिस


 (d) बैसिलस मेगाथीरियम


उत्तर (b) बैसिलस ब्यूरिन्जिएन्सिस


प्रश्न 8. बैसिलस प्यूरिन्जिएन्सिस कार्य करता है?


(a) जैव उर्वरक का


(b) जैविक कीटनाशक का


(c) जैव ऊर्जा का


(d) इन सभी का


उत्तर (b) जैविक कीटनाशक का


प्रश्न 9. मुक्तजीवी फंगस ट्राइकोडर्मा का प्रयोग किया जाता है?


 (a) कीटों को मारने में


(b) पादप रोगों के जैव नियन्त्रण में


(c) बटरफ्लाई के कैटरपिलर के नियन्त्रण में


 (d) एण्टीबायोटिक्स निर्माण में


उत्तर (b) पादप रोगों के जैव नियन्त्रण में


प्रश्न 10. निम्नलिखित में से कौन पादपों के साथ सहजीवी सम्बन्ध स्थापित करते हैं?


(a) राइजोबियम


(b) माइकोराइजा


(c) नॉस्टॉक


(d) दोनों (a) व (b)


उत्तर (d) राइजोबियम एवं माइकोराइजा दोनों


प्रश्न 11. दलहनी पौधों की जड़ों में पाया जाता है?


(a) राइजोबियम लेग्यूमीनोसेरम


(b) एनाबीना


(c) बैसिलस


(d) इनमें से कोई नहीं


उत्तर (a) राइजोबियम लेग्यूमीनोसेरम 


प्रश्न 12. निम्न में से कौन-सा नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीव नहीं है?


(a) एनाबीना


(c) एजोटोबैक्टर


(b) नॉस्टॉक


(d) स्यूडोमोनास


उत्तर (d) स्यूडोमोनास


[ Microbes in Human Welfare Class 12th short Questions answer ] 

          { अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 1 अंक }


प्रश्न 1. दूध से दही बनाने वाले बैक्टीरिया का नाम लिखिए। 

 उत्तर – लैक्टोबैसिलस जीवाणु दूध से दही बनाने में सहायता करता है।


प्रश्न 2. जीवाणुओं को नग्न नेत्रों द्वारा नहीं देखा जा सकता, परन्तु सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है। यदि आपको अपने घर से अपनी जीव विज्ञान प्रयोगशाला तक एक नमूना ले जाना हो, तो सूक्ष्मदर्शी की सहायता से इस नमूने से सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति को प्रदर्शित करना हो, तो किस प्रकार का नमूना आप अपने साथ ले जाएँगे और क्यों?


उत्तर – दही इसमें लैक्टिक अम्ल जीवाणु (उदाहरण-लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस) होते हैं।


प्रश्न 3. स्विस चीज़ पनीर में बड़े छिद्रों का कारण बताइए।

उत्तर – प्रोपिओनिबैक्टीरियम शेरमानी नामक जीवाणु की उपस्थिति के कारण स्विस चीज़ पनीर में बड़े-बड़े छिद्र होते हैं।


प्रश्न 4. यीस्ट का कोशिकाओं के किण्वन में क्या योगदान है?

उत्तर – यीस्ट में जाइमेज तथा इन्वर्टेज एन्जाइम होते हैं। इस कवक की कोशिकाएँ किण्वन की प्रक्रिया में शर्कराओं को तोड़ कर कार्बन डाइऑक्साइड तथा एल्कोहॉल बनाती हैं। ब्रेड एवं शराब बनाने में भी इसका मुख्य योगदान है।


प्रश्न 5. उस सूक्ष्मजीवों का नाम बताइए, जिनसे साइक्लोस्पोरिन-A (प्रतिरक्षा निषेधात्मक औषधि) को प्राप्त किया जाता है।

उत्तर – ट्राइकोडर्मा पॉलीस्पोरम


प्रश्न 6. कपड़े धोने के अपमार्जक (Detergent) में एन्जाइम की क्या भूमिका होती है? क्या ये एन्जाइम किसी विशेष सूक्ष्मजीव से उत्पादित होता है? 

उत्तर – लाइपेज एन्जाइम अपमार्जक (Detergent) के निर्माण (Formulations) में उपयोगी होता है। ये जाम साबुन उद्योग में तेलों के जल अपघटन में तथा लॉण्ड्री में वसा के दाग धब्बों को मिटाने में उपयोग किया जाता है। इस एन्जाइम का संश्लेषण कैन्डिडा लाइपोलाइटिका तथा जिओदाइकम जवानिकस द्वारा किया जाता है। 


प्रश्न 7. सिरका उत्पादन में किन जीवाणुओं का उपयोग होता है?

उत्तर – सिरका या एसीटिक अम्ल के निर्माण के लिए शर्करा के घोल का माइकोडर्मा एसीटी अथवा एसीटोबैक्टर एसीटी नामक जीवाणुओं द्वारा किण्वन कराया जाता है।


 प्रश्न 8. चाय उद्योग में चाय की पत्तियों का किण्वन किस सूक्ष्मजीव द्वारा किया जाता है? 

उत्तर – माइक्रोकोकस कैन्डीकेन्स द्वारा।


प्रश्न 9. पेनिसिलिन की खोज किसने की थी? यह किस सूक्ष्मजीव से प्राप्त होती है? 

उत्तर –पेनिसिलिन की खोज सन् 1929 में एलैक्जेण्डर फ्लेमिंग ने की थी। यह एक प्रतिजैविक है, जो पेनिसिलियम नीटेटम नामक कवक से प्राप्त होती है।


प्रश्न 10. क्लॉट बस्टर के रूप में किस जीवाणु का प्रयोग किया जाता है? इसकी कार्यविधि क्या है?

उत्तर – जीवाणु स्ट्रेप्टोकोकस की हीमोलाइटिक प्रजाति से स्ट्रेप्टोकाइनेज एन्जाइम का संश्लेषण किया जाता है। इसको टिश्यू प्लाज्मिनोजन एक्टिवेटर (Tissue Plasminogen Activator or TPA) भी कहा जाता है। इस एन्जाइम को आनुवंशिक रूप से रूपान्तरित करके, मायोकार्डियल इन्फ्रेक्शन Myocardial infraction) तथा अन्य हृदयं रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को रुधिर वाहिनियों में रुधिर के थक्कों को घुलनशील बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।


प्रश्न 11. वाहितमल क्या है? प्राथमिक तथा द्वितीयक वाहित मल उपचार के बीच मुख्य अन्तर लिखिए।

उत्तर शहरों, महानगरों एवं कस्बों से घरों एवं कार्यालयों से निकला मल-मूत्र युक्त 'अपशिष्ट जल जिसमें अपमार्जक, मिटटी कंकड़, आदि भी मौजूद होते हैं, वाहित मल कहलाता है।


प्रश्न 12. वाहित मल के जैविक उपचार में फ्लॉक्स क्यों महत्त्वपूर्ण है?

उत्तर फ्लॉक्स, जीवाणु तथा कवक तन्तुओं का जाल सदृश्य झुण्ड होता है। ये कार्बनिक पदार्थों का पाचन करते हैं, रोगकारकों को हटाते हैं और पोषकों को वाहितमल की बहिः धारा में छोड़ देते हैं।


प्रश्न 13. जैव उपचारण क्या है?

उत्तर – सूक्ष्मजीव अपशिष्ट पदार्थों जैसे-वाहित मल में उपस्थित जैव प्रदूषकों तथा कार्बनिक पदार्थों का अपघटन करके पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखते हैं, यह प्रक्रिया जैव उपचारण कहलाती है।


प्रश्न 14. जल मल किसे कहते हैं? इसके उपचार में प्रयुक्त लघु इकाइयों के नाम लिखिए।

अथवा वाहितमल प्रदूषण क्या है?

उत्तर – जल में व्यर्थ अपशिष्ट पदार्थों जैसे-मल-मूत्र, आदि के मिलने से जल प्रदूषित हो जाता है तथा यह वाहित मल कहलाता है। वाहित मल के उपचार में छनित्र, मलकुण्ड, सैप्टिक टैंक व ऑक्सीकरण तालाब, आदि लघु इकाईयाँ बनायी जाती है।


प्रश्न 15. बायोगैस क्या है?

अथवा बायोगैस की रासायनिक प्रकृति क्या है? बायोगैस का उत्पादन करने वाले एक सूक्ष्मजीव का नाम लिखिए।

अथवा बायोगैस के घटकों के नाम लिखिए।

उत्तर – बायोगैस विभिन्न गैसों का मिश्रण है, जो अवायवीय सूक्ष्म जीवों (मीथेनोजन) के द्वारा घरेलू तथा कृषि अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग करके उत्पन्न की जाती है। बायोगैस में 60-70% मीथेन, 30-40% CO₂तथा अल्प मात्रा में एथेन, प्रोपेन, ऐथिलीन एसीटिलीन हाइड्रोजन, नाइट्रोजन तथा H₂S पाई जाती है। 


प्रश्न 16. जैव उर्वरकों पर संक्षिप्त टिप्णी लिखिए।

अथवा जैव उर्वरक किसे कहते हैं? दो उदाहरण दीजिए।

अथवा कृषि में जैव उर्वरकों का महत्त्व लिखिए।

उत्तर –विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव (जीवाणु, कवक, आदि) अपनी जैविक क्रियाओं द्वारा मृदा में पोषक तत्वों की मात्रा में वृद्धि करते हैं, ये जैव उर्वरक कहते है। ये पादपों की वृद्धि के लिए उत्तरदायी होते हैं। उदाहरण - राइजोबियम, नॉस्टॉक) 


जैव उर्वरक निः शुल्क या सस्ते होते हैं। ये मृदा एवं जल को प्रदूषित नहीं करते हैं। तथा हमारे स्वास्थ्य पर इनका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।


रासायनिक उर्वरकों के अनियन्त्रित तथा अत्यधिक प्रयोग से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हमारे सम्मुख खड़ी हैं, जिसके परिणामस्वरूप जैविक खाद्य का प्रचलन बढ़ा है।


 प्रश्न 17. राइजोबियम नामक सूक्ष्मजीव का कृषि में क्या महत्त्व है? 

 उत्तर – यह जीवाणु लेग्यूम कुल के पादपों की जड़ों में सहजीवी रूप में पाया जाता है तथा वायुमण्डलीय स्वतन्त्र नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके विभिन्न यौगिकों का निर्माण कर उन्हें अपने पोषद् (Host) पादप को उपलब्ध कराता है।


     { लघु उत्तरीय प्रश्न 2 अंक }


प्रश्न 1. कुछ पारम्परिक भारतीय आहार, जो गेहूँ, चावल तथा चना ( उनके उत्पाद) से बनते हैं और उनमें सूक्ष्मजीवों का प्रयोग शामिल हो, उनके नाम बताइए।


उत्तर – पारम्परिक भारतीय आहार, जो गेहूं, चावल, चना से बनते है, जिनमें सूक्ष्मजीवों का प्रयोग शामिल है, उनके नाम निम्न है


आहार


सूक्ष्मजीव

(i)

डबलरोटी


(ii) टोस्ट


(iii) पाव

गेहूँ

सैफेरोमाइसीस सेरेविसी

(iv) इडली


(v) डोसा


(vi) ढोकला

चावल





चना


ल्यूकोनॉस्टॉक तथा स्ट्रेप्टोकोकस


प्रश्न 2. पेय पदार्थ तथा डबल रोटी बनाने में सूक्ष्मजीव किस प्रकार मदद करते हैं?

उत्तर – पेय पदार्थों के रूप में सामान्यतया 'एल्कोहॉल' का उत्पादन किया जाता है। विभिन्न भोज्य पदार्थों के (कवक) यीस्ट मैकेरोमाइसिस सेरेविसी द्वारा किण्वन किए जाने के फलस्वरूप एल्कोहॉल का निर्माण होता है। साथ में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) तथा कुछ मात्रा में अम्ल भी बनते हैं। एल्कोहॉल को 'आसवन द्वारा पृथक कर लिया जाता है। एल्कोहॉल युक्त पेय पदार्थ में बीयर, रम, व्हिस्की, वाइन, आदि सम्मिलित है, जिनमें अलग-अलग मात्रा में एल्कोहॉल होती है।


C₆H₁₂O₆   → 2C₂H₅OH + 2CO₂+ ऊर्जा


 डबल रोटी बनाने हेतु गुथे हुए आटे में बीस्ट वन हेतु डाली जाती है। यीस्ट कोशिकाएं श्वसन के दौरान CO₂ गैस मुक्त करती है, जिसके फलस्वरूप छिद्रों का निर्माण हो जाता है एवं बेड फूली हुई तथा हल्की हो जाती है।


प्रश्न 3. उपापचय के दौरान सूक्ष्मजीव गैसों का निष्कासन करते हैं. उदाहरण द्वारा सिद्ध कीजिए।


उत्तर - सैकेरोमाइसिस सेरेविसी (Saccharomyces cerevisiac) एक सामान्य पोस्ट (कवक) है। इस कवक का बेकरी उद्योग में अत्यधिक उपयोग है। इसको बेकर्स पोस्ट या बीवर्स यीस्ट (Brewer's yeast) भी कहते हैं। डबलरोटी निर्माण के दौरान यीस्ट को आटा, नमक, दूध या गर्म जल के साथ तब तक गुंथा जाता है, जब तक यह मुलायम न हो जाए, अब यह मिश्रण डो (Dough) या गुंथा हुआ आटा कहलाता है। डो को आकार में दोगुना होने के लिए कुछ समय तक छोड़ दिया जाता है। पोस्ट की क्रिया से मिश्रण से CO₂ गैस निकलती है तथा पावरोटी कोमल तथा छिद्रयुक्त हो जाती है।


प्रश्न 4. प्रतिजैविक किसे कहते हैं? मानव के लिए प्रतिजैविकों का क्या महत्त्व है?


अथवा सूक्ष्मजीवों के औषधीय उपयोग का वर्णन कीजिए।


अथवा प्रतिजैविक से आप क्या समझते हैं? किन्हीं दो प्रतिजैविकों के नाम लिखिए।

उत्तर – विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पन्न वे रासायनिक पदार्थ, जो दूसरे सुक्ष्मजीवों की वृद्धि को रोकते है, प्रतिजैविक (Antibiotic) कहलाते है। वर्तमान में लगभग 7000 प्रतिजैविकों की खोज हो चुकी है, सर्वप्रथम एलैक्जेण्डर फ्लेमिंग ने सन् 1929 में पेनिसिलिन नामक एण्टीबायोटिक की खोज की थी।

इसके लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार भी मिला। उदाहरण-


क्लोरैमफेनिकॉल – स्ट्रेप्टोमाइसिस वेनेजुएली


पेनिसिलिन।     – पेनिसिलियम नोटेटम


स्ट्रेप्टोमाइसिन    – स्ट्रेप्टोमाइसिस ग्रीसियास


उपयोग प्रतिजैविकों का उपयोग विभिन्न रोगों (मुख्यतया जीवाणु जनित) के उपचार में किया जाता है। ये औषधियाँ अन्य सूक्ष्मजीवों की वृद्धि का सन्दमन कर उनकी नष्ट कर देती हैं।


प्रश्न 5. उन सूक्ष्मजीवों के नाम लिखिए जिनसे साइक्लोस्पोरिन - A (प्रतिरक्षानिषेधात्मक औषधि) तथा स्टैटिन (रुधिर कोलेस्ट्रॉल लघुकरण कारक) को प्राप्त किया जाता है। 

 उत्तर इकार्डिया पोलिस्पोरम से साइक्लोस्पोरिन A तथा मोनैस्क्स परप्यूरियम से स्टैनिन को प्राप्त किया जाता है। 


प्रश्न 6. सूक्ष्मजीवों के ऊर्जा उत्पादन में उपयोग का वर्णन कीजिए। 

अथवा सूक्ष्मजीवों का प्रयोग ऊर्जा के स्रोतों के रूप में भी किया जा सकता है। यदि हाँ, तो किस प्रकार से इस पर विचार करेंगे?

उत्तर – हां सूक्ष्मजीवों का प्रयोग के स्रोतों के रूप में भी किया जा सकता है। सूक्ष्मजीवों के ऊर्जा उत्पादन में उपयोग निम्नवत् है


1. मनुष्यों तथा पशुओं के विविध कार्यों से पैदा हुए अवशेषों तथा उत्स जैवभारों से भी जैव ऊर्जा को प्राप्त किया जा सकता है। जैव भारों से प्राप्त ऊर्जा का स्रोत गैस के रूप में जैव गैस (Biogas) कहलाता है। अपशिष्ट जैव भार (Waste biomass) को मीथेनोजेनिक जीवाणुओं जैसे- मीथेनोबैक्टीरियम (Methanobacterium) द्वारा अनॉक्सी विघटन (Anaerobic Breakdown) से प्राप्त किया जाता है। इससे होने वाली जैव-गैस में मीथेन गैस की प्रचुर मात्रा होती है।


2. कुछ सूक्ष्मजीव विशिष्ट रूप से हरित शैवाल, प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) द्वारा उत्पादित पदार्थों के कुछ अंश को लैटेक्स में परिवर्तित कर देती हैं; उदाहरण-एक निवही शैवाल बोट्रियोकोकस ब्राउनी (Botryococcus braunii) वृद्धि के साथ लम्बी श्रृंखला (C 30-36) वाले हाइड्रोकार्बन्स स्रावित करती हैं। इन हाइड्रोकार्बन्स में कच्चे तेल (Crude oil) के समान चिपचिपापन होता है। इस शैवाल का लगभग 3% कोशिकीय शुष्क भार पेट्रोलियम होता है।


प्रश्न 7. प्राथमिक तथा द्वितीयक वाहितमल उपचार के बीच मुख्य अन्तर क्या है? 


अथवा प्राथमिक तथा द्वितीयक वाहितमल उपचार के बीच पाए जाने वाले मुख्य अन्तर कौन से हैं? 

 उत्तर – प्राथमिक तथा द्वितीयक वाहितमल उपचार के मुख्य अन्तर निम्न हैं 


प्राथमिक वाहितमल उपचार

द्वितीयक वाहितमल उपचार

यह उपचार की भौतिक विधि है।

यह उपचार की जैविक विधि है।

इसमें बड़े कणों और बहते हुए कूड़े करकट, जैसे-पत्तियाँ, कागज, ठोस पदार्थ जैसे मिट्टी, ग्रिट, आदि पदार्थों को अलग करते हैं।

इसमें निलम्बित और घुलित कार्बनिक पदार्थों को अलग किया जाता है।

अवसादन व निस्यन्दन की प्रक्रिया होती है।

इसमें वायवीय या अवायवीय इकाइयों उपयोग में ली जाती हैं। 

यह प्रक्रिया साधारण व कम समय लेती है।

यह प्रक्रिया जटिल व अधिक समय लेती है।


प्रश्न 8. गंगा-यमुना एक्शन प्लान क्या है?

उत्तर –भारत देश की प्रमुख नदियों गंगा एवं यमुना में भी वाहित मल प्रवाहित करने एवं औद्योगिक बहिश्रावो, इत्यादि सीधे ही नदियों में छोड़ने से प्रदूषण अपने उच्च स्तर पर पहुंच गया था। 


अतः पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से हमारे देश की दोनों प्रमुख नदियों में प्रदूषण कम करने के लिए 'गंगा एक्शन प्लान' तथा 'यमुना एक्शन प्लान' जैसी परियोजना को क्रमशः सन् 1985 में चरण 1 में व चरण 2 में प्रारम्भ किया। इन परियोजनाओं के अन्तर्गत बड़ी संख्या में वाहित मल उपचार संयन्त्रों को बनाने का प्रस्ताव है, जिससे मात्र उपचारित वाहितमल ही नदियों में प्रवाहित किया जाए।


प्रश्न 9. ऑक्सीकरण ताल का स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइए ।


 अथवा ऑक्सीकरण ताल क्या है? इसके महत्त्व को बताइए।


उत्तर




वाहित मल की गन्दगी का शैवालों द्वारा शुद्धिकरण एक विशेष प्रकार के खुले तालाबों में किया जाता है, इन तालाबों को ऑक्सीकरण ताल अथवा निरीक्षण ताल कहते हैं। 

वाहितमल शुद्धिकरण ताल (ऑक्सीकरण ताल की रूपरेखा )


प्रश्न 10. बायोगैस क्या है? ग्रामीण क्षेत्रों में बायोगैस के दो उपयोग बताइए।


अथवा बायोगैस की घटक गैसों के नाम लिखिए तथा इससे मनुष्य को होने वाले दो लाभ बताइए। 

उत्तर बायोगैस या गौवर गैस (Bibgas or Gobar gas) बायोगैस मीथेन की प्रचुरता वाली ईंधन गैस है। ये गैस जैवभार (Biomass) के अवायवीय विखण्डन या किण्वन से उत्पन्न होती है।


बायोगैस में 50-70% CH₄ (मीथेन), 30-40% CO₂ 1%H₂S तथा सूक्ष्म मात्रा  में H₂, N₂,O₂, तथा CO होती है।


 लाभ 


1. बायोगैस के निर्माण के बाद बचे अपशिष्ट का उपयोग खाद के रूप में खेतों में किया जाता है।


 2. इस गैस का उपयोग प्रकाश तथा खाना बनाने में भी किया जाता है।


प्रश्न11. धान के खेतों में सायनोबैक्टीरिया क्यों उपयोगी माना जाता है। 


अथवा भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में नील हरित शैवाल (सायनो बैक्टीरिया) की भूमिका का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।


अथवा सायनोबैक्टीरिया धान की खेती के लिए उपयोगी क्यों माना जाता है?


अथवा जैव-उवर्रक क्या हैं? किन्हीं दो जीवाणुओं के नाम लिखिए जो मृदा में वायुमण्डलीय नत्रजन (नाइट्रोजन) स्थिर करते हैं?


उत्तर – सायनोबैक्टीरिया; जैसे-नॉस्टॉक, एनाबीना, आदि मुक्त वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को नाइट्रेट में बदलकर मृदा की उर्वरता को बढ़ाते हैं। इसी कारण धान के खेतों में सायनोबैक्टीरिया को डाला जाता है। ये खेत में भरे जल में तेजी से वृद्धि करके नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कर मृदा की उर्वरता को बढ़ाते हैं।


प्रश्न 12. दलहनी पौधों की भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में भूमिका पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर राइजोबियम (Rhizobium) जीवाणु (ग्राम ऋणात्मक) लैग्यूमिनोसी कुल के पादपों (जैसे-दालें, आदि) की जड़ों में सहजीवी के रूप में निवास करते हैं। ये वायुमण्डलीय स्वतन्त्र नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके विभिन्न यौगिकों का निर्माण कर उन्हें अपने पोषक (Host) को उपलब्ध कराते हैं, जो उनकी वृद्धि में का एक बड़ा भाग मृदा में ही रह जाता है, जो मृदा की उर्वरक क्षमता को बढ़ाता सहायक होते हैं। साथ ही इन जीवाणुओं द्वारा निर्मित नाइट्रोजन के जटिल यौगिकों है, जो अगली फसल के लिए लाभदायक सिद्ध होता है।


          { लघु उत्तरीय प्रश्न-II 3 अंक }


प्रश्न 1.औद्योगिक स्तर पर शराब का निर्माण किस प्रकार होता है?

उत्तर – सूक्ष्मजीव जैसे जीवाणु (यीस्ट) आदि का उद्योगों में विभिन्न उत्पादों के संश्लेषण में प्रयोग किया जाता है। औद्योगिक उपयोग हेतु सूक्ष्मजीवों का व्यवसायिक उत्पादन नियन्त्रित स्थितियों में बड़े बर्तनों में किया जाता है, जो किण्वक (Fermentors) कहलाते हैं।


शराब उद्योग में यीस्ट कोशिकाएँ किण्वन (Fermentation) के द्वारा शर्करा के घोल को किण्वित पेय पदार्थ शराब में परिवर्तित कर देती हैं। इस क्रिया में अंगूर के रस में सैकेरोमाइसिस सेरेविसी (Saccharomyces cerevisiae) तथा सैकेरोमाइसिस एलिप्सोइडियस (Saccharomyces ellipsoideus) को डालते हैं, जिसके किण्वन से वाइन (Wine) बनती है। इसी प्रकार माल्ट या जौ के रस से बीयर तथा अन्य उत्पादो से व्हिस्की (किण्वित अनाज), रम व वोडका (आलू), आदि से निर्मित किए जाते हैं। शराब उत्पादन में यीस्ट (Yeast) द्वारा उत्पन्न

इन्वत्रेज एवं जाइमेज एन्जाइम भाग लेते हैं।


 C₁₂H₂₂O₁₁ +H₂O → C₆H₁₂O₆+C₆H₁₂O₆


                                (ग्लूकोस)   (फ्रक्टोस )

           जाहमेज

C₆H₁₂O₆ → 2C₂H₅OH + 2CO₂

(ग्लूकोस)       (एथिल एल्कोहॉल)


प्रश्न 2. औद्योगिक उत्पादों में सूक्ष्मजीवों के महत्त्व को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर - सूक्ष्मजीव जैसे जीवाणु, कवक (योस्ट), आदि का उद्योगों में विभिन्न उत्पादों के संश्लेषण में प्रयोग किया जाता है।


सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पादित मुख्य औद्योगिक उत्पादों का वर्णन निम्नलिखित हैं


 1. किण्वित पेय पदार्थ (Fermented beverages) 


2. सिरका या एसीटिक अम्ल (Acetic acid) के निर्माण के लिए शर्करा के घोल का माइकोडर्मा एसिटी (Mycoderma aceti) या एसोटोबैक्टर एसिटी (Acetobacter aceti) जीवाणुओं द्वारा किण्वन कराया जाता है।

(एथिल एल्कोहॉल)  एसीटोबैक्टर एसिटी

CH₃CH₂OH + O₂ → CH₃COOH + H₂O

                                  (एसीटिक अम्ल)

सिरके का उपयोग अचार बनाने में, पेय पदार्थों, दवाइयों, भोज्य पदार्थों में विशेष गन्ध हेतु तथा फल-सब्जियों के संरक्षक (Preservative) के रूप में किया जाता है।


3. तम्बाकू (Tobacco) उद्योग में तम्बाकू की पत्तियों में सुगन्ध एवं स्वाद बढ़ाने के लिए कुछ जीवाणुओं; जैसे-बैसिलस मेगाथीरियम (Bacillus megatherium) तथा माइक्रोकोकस कैन्डिडेन्स (Micrococcus candidans) का उपयोग करके किण्वन क्रिया कराई जाती है।


4. चाय उद्योग में चाय की पत्तियों पर माइक्रोकोकस कैन्डिडैन्स की किण्वन क्रिया द्वारा क्यूरिंग (Curing) कराई जाती है, जिससे चाय की पत्तियों में विशेष स्वाद आता है।


5. तालाबों या छोटे जल संग्रहण स्थानों (हौज) में जूट या पहुआ के पादपों को कुछ दिनों तक भिगोकर छोड़ देते हैं। इनके ऊपर कुछ पत्थर या अन्य वजनदार पदार्थ रख देते हैं, ताकि ये सम्पूर्णतया जल में डूबे रहें। जीवाणुओं की प्रतिक्रिया के कारण पोषवाह (Phloem) के रेशे तने के अन्य ऊतकों से अलग हो जाते हैं। इन रेशों को अलग एकत्रित करके स्वच्छ जल में पटक-पटक कर साफ करते हैं। इन रेशों का प्रयोग रस्सी एवं अन्य कई प्रकार के सामान बनाने में किया जाता है।


प्रश्न 3. किन्हीं तीन कवक प्रजातियों के नाम लिखिए, जिनका प्रयोग प्रतिजैविकों के उत्पादन में किया जाता है।

 अथवा प्रतिजैविक क्या है? किन्हीं दो कवक प्रजातियों के नाम लिखिए,जिनका प्रयोग प्रतिजैविकों के उत्पादन में किया जाता है। 


उत्तर प्रतिजैविक सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पादित रासायनिक पदार्थ हैं, जो रोगकारक तथा अन्य सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को संदमित करते हैं या उनको नष्ट कर देते हैं। विभिन्न प्रतिजैविक एक से अधिक रोगाणुओं के विरुद्ध कार्य करते हैं। प्रतिजैविक (Antibiotics) शब्द का प्रयोग, बॉक्समैन (Wakeman) ने सन् 1942 में किया। प्रतिजीवाणुक पदार्थ (Antimicrobial substance) का उत्पादन करने वाला सूक्ष्मजीव प्रतिवायोन्ट (Antibiont) कहलाता है।


कवको द्वारा संश्लेषित प्रमुख प्रतिजैविक


प्रतिजैविक

कवक

पेनिसिलिन

पेनिसिलियम नोटेटम, पेनिसिलियम क्राइसोजीनम

रेमाइसिन

म्यूकर रेमिनियनस

प्रोलिफेरिन

एस्पर्जिलस प्रोलिफेरेंस


प्रश्न 4. जैव ईंधन क्या हैं? इनके क्या लाभ हैं ?

उत्तर जैविक उत्पत्ति वाले ईंधन (Fuel) को जैव ईंधन कहते हैं। इनका प्रयोग ऊष्मा तथा अन्य प्रकार की ऊर्जा के उत्पादन के लिए किया जाता है। जैविक स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा को जैव ऊर्जा (Bioenergy) कहते हैं। लकड़ी, ईंधन, कोयला तथा बायोगैस जैव ऊर्जा के विभिन्न स्रोत हैं। जैविक रूप से उत्पन्न हाइड्रोजन, मीथेन, एथेनॉल, ब्यूटेनॉल तथा डीजल को क्रमश: जैव-हाइड्रोजन, जैव-मीथेन, जैव-एथेनॉल, जैव-ब्यूटेनॉल तथा जैव-डीजल कहते है। जैव-ईंधन से ऊर्जा प्राप्ति के लाभ निम्नलिखित हैं


1. जैव-ईंधन ऊर्जा के नवीनीकरण योग्य स्रोत हैं। 


2. ऊर्जा प्राप्ति के समय इनसे आंशिक रूप से कम हरितगृह गैसों (Greenhouse gases) का उत्सर्जन होता है। ।


3. जैविक ईंधन की प्राप्ति सामान्यतया घरेलू तथा नगरपालिका से विसर्जित व्यर्थ अपशिष्ट सामग्रियों के जैवभार (Biomass) से होती है, इस प्रकार यह प्रदूषण नियन्त्रण में भी सहायक है।


4. एथेनॉल (एथिल एल्कोहॉल) का प्रयोग स्वचालित वाहनों में पूर्ण स्वतन्त्र रूप में या 10-15% मात्रा में पेट्रोल के साथ मिलाकर किया जा सकता है। एथेनॉल के उत्पादन वाले पादपों की कृषि को ऊर्जा कृषि (Energy (cropping) कहते हैं; जैसे-गन्ना, मक्का, चुकन्दर तथा आलू, आदि। 


प्रश्न 5. जैव उर्वरक क्या हैं? कृषि में इनका क्या महत्त्व है?


अथवा जैव उर्वरक से आप क्या समझते हैं? इनके उत्पादन की विधि बताइए। गुण-दोष के आधार पर इनकी तुलना रासायनिक उर्वरकों से कीजिए।


अथवा जैविक खाद क्या है? यह रासायनिक खाद से ज्यादा क्यों पसन्द की जाती है?


अथवा जैविक खाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।


अथवा जैव उर्वरक से आप क्या समझते हैं? इनके स्रोतों एवं लाभ का वर्णन कीजिए।


अथवा जैव उर्वरक के रूप में सूक्ष्मजीव शीर्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।


अथवा रासायनिक उर्वरक व जैव उर्वरक में विभेद कीजिए। 


अथवा जैव उर्वरक किस प्रकार से मृदा की उर्वरकता को बढ़ाते हैं? 


उत्तर - विभिन्न प्रकार के जीव अपनी जैविक क्रियाओं के द्वारा मृदा में पोषक पदार्थों की मात्रा में वृद्धि करते हैं, जो पादपों की वृद्धि के लिए उत्तरदायी होते हैं इन्हें ही 'जैव उर्वरक' कहते हैं।


सूक्ष्मजीव वे जीव होते हैं, जो मृदा की उत्पादन शक्ति बढ़ाते हैं। ये फसल को अकार्बनिक पोषक पदार्थ उपलब्ध कराते हैं, जैसे- राइजोबियम, नॉस्टॉक आदि ये तीन प्रकार के होते हैं


1. नाइट्रोजन स्थिरीकारक जीवाणु व सायनोबैक्टीरिया ये स्वतन्त्रजीवी व सहजीवी सूक्ष्मजीवी होते हैं, जो मृदीय वायुमण्डल से स्वतन्त्र नाइट्रोजन प्राप्त करते हैं तथा इसे नाइट्रोजन के यौगिकों में बदल देती है। स्थिरीकृत नाइट्रोजन का एक भाग पादपों को तुरन्त उपलब्ध हो जाता है, जबकि शेष भाग उनकी मृत्यु के बाद उपलब्ध हो जाता है।


2. फॉस्फेट जीवाणु ये पादपों द्वारा अवशोषण के लिए अघुलनशील मृदीय फॉस्फेट को घोलने के लिए फॉस्फेटेज एंजाइम स्त्रावित करते हैं।


3. माइकोराइजा यह अधिकांश वनीय पादपों में होता है। यह कार्बनिक पदार्थ से पोषक पदार्थों के अवशोषण में भाग लेता है।


जैव उर्वरकों एवं रासायनिक उर्वरकों में तुलना


(i) रासायनिक उर्वरक महंगे होने के साथ-साथ मृदा के लिए हानिकारक होते हैं। ये मृदा की उर्वरा शक्ति को नष्ट कर उसे बंजर बनाते हैं। इसके विपरीत जैव-उवर्रक मृदा की उर्वरता बढ़ाते हैं तथा ये सस्ते या निःशुल्क होते हैं।


(ii) रासायनिक उर्वरकों के अधिक उपयोग से पारितन्त्र एवं मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है, जबकि जैव उर्वरक पारितन्त्र एवं मानव स्वास्थ्य हेतु हानिकारक नहीं होते हैं।


(iii) रासायनिक उर्वरकों के उत्पादन में कोयले व पेट्रोलियम के उपयोग से प्रदूषण में वृद्धि हो रही है।


प्रश्न 6. माइकोराइजा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 


उत्तर -माइकोराइजा एक सहजीवी कवक है, जो पर्वतीय क्षेत्रों में जिम्नोस्पर्म पादपों की जड़ो में सहजीवी (Symbiotic organism) के रूप में प्रमुखतया पाया जाता है। यह दो प्रकार का होता है


1. बाह्य माइकोराइजा (Ectomycorrhiza) यह अधिचर्म के बाहर जड़ के चारों ओर उपस्थित होता है, परन्तु अधिचर्म के अन्दर प्रवेश नहीं करता। 


2. अन्त: माइकोराइजा (Endomycorrhiza) यह अधिचर्म से अन्दर की ओर बल्कुट तक प्रवेश कर जाता है, परन्तु अन्त:चर्म (Endodermis) के बाहर तक सीमित रहता है। दोनों ही प्रकार के माइकोराइजा फॉस्फोरस एवं अन्य पोषक तत्वों को ख़ुदा से अवशोषित कर पादप को प्रदान करते हैं तथा बदले में पादप द्वारा निर्मित कार्बोहाइड्रेट प्राप्त कर लेते हैं। इसके अतिरिक्त माइकोराइजा परपोषी को जड़ के संक्रमण से होने वाले रोगों सूखे एवं लवणता से भी बचाता है।


प्रश्न 7. जैव नियन्त्रण में बैसिलस थ्यूरिन्जिएन्सिस जीवाणु की भूमिका का वर्णन कीजिए।


 अथवा Bt(बैसिलस थ्यूरिन्जिएन्सिस) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।


जैव नियन्त्रण कारक के रूप में सूक्ष्मजीवों का एक विवरण दीजिए।

उत्तर – कृषि में पादप रोगों एवं कीटों के नियन्त्रण हेतु जैव वैज्ञानिक विधि का प्रयोग, जैव नियन्त्रण कहलाता है। इस कार्य में बैसिलस थ्यूरिन्जिएन्सिस (Bacillus thuringiensis or Bt) नामक जीवाणु का प्रमुख स्थान है। यह जीवाणु Bt विष उत्पन्न करता है। इस जीवाणु की सहायता से उत्पन्न फसल Bt-फसल कहलाती है। इस जीवाणु का प्रयोग कीटों के कैटरपिल्लर लावों को नियन्त्रित करने में किया जाता है। इस जीवाणु के शुष्क बीजाणुओं को पानी में मिलाकर दोषपूर्ण पादपों तथा फलों, वृक्षों जिनकी पत्तियाँ लार्वा द्वारा खा ली जाती हो, पर छिड़का जाता है। इस प्रकार Bt-विष (Toxin) लार्वा की पाचन नली में चला जाता है। यह Bt-विष जीवाणु की आहारनाल को छिद्रित कर देता है तथा ऊतक द्रव भरने के कारण यह फट जाती है, जिससे लार्वा की मृत्यु हो जाती है। आनुवंशिकी अभियान्त्रिकी (Genetic engineering) की विधियों से इस जीवाणु के विषाक्त क्राई जीन (Gene) को पादपों में पहुँचा दिया जाता है, जिससे पादप पोड़क द्वारा किए गए आक्रमण के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं; उदाहरण-Br-कॉटन, Br-बैंगन, आदि।


       [ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 5 अंक ]


प्रश्न 1. मानव कल्याण के लिए सूक्ष्मजीवों के उपयोग का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।


अथवा मानव कल्याण में सूक्ष्मजीवों की भूमिका का संक्षेप में वर्णन कीजिए 


अथवा जीवाणुओं के आर्थिक महत्त्व का वर्णन कीजिए।


अथवा मानव कल्याण में सूक्ष्मजीवों के महत्त्व का संक्षेप में वर्णन कीजिए।


उत्तर सूक्ष्मजीव मानव कल्याण में निम्न प्रकार से सहायक होते हैं 


1. दुग्ध एवं डेरी उद्योग में दुग्ध के सूक्ष्मजीव किण्वन के द्वारा अनेक उत्पादों; जैसे-दही, बटर, मिल्क, चीज, क्यूमिस, केफिर, आदि का निर्माण करते हैं, किण्वन लैक्टोबैसिलस जीवाणुओं के द्वारा किया जाता है। ये जीवाणु दुग्ध में उपस्थित लैक्टोस शर्करा को लैक्टिक अम्ल में परिवर्तित कर देते हैं। दुग्ध क्रीम का उत्पादन स्ट्रेप्टोकोकस क्रीमोरिस या स्ट्रेप्टोकोकस लैक्टिस जीवाणु से होता है।


2. किण्वन में विभिन्न प्रकार की चटनी का निर्माण माँस के हेटेरोलैक्टिक अम्ल किण्वन के द्वारा होता है। पेक्टिनेज तथा प्रोटिएज बोतल रस को साफ करने के काम आते है।


3. डबल रोटी निर्माण डबल रोटी बनाने हेतु गुंथे हुए आटे में यीस्ट कोशिकाएँ किण्वन हेतु डाली जाती हैं। यीस्ट कोशिकाएँ श्वसन के दौरान CO₂है। गैस मुक्त करती है, जिसके फलस्वरूप छिद्रों का निर्माण हो जाता है।

4. एकल कोशिका प्रोटीन विश्व की बढ़ती जनसंख्या की खाद्य आपूर्ति के लिए बड़ी मात्रा में खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है। अतः वैकल्पिक रूप से इन सूक्ष्मजीवों की कोशिकाओं को उपचार के उपरान्त प्रोटीन स्रोत के रूप में उपयोग किया जाने लगा जो एकल कोशिका प्रोटीन' कहलाते हैं; उदाहरण- शैवाल, स्पाइरुलिना, क्लोरेला, जीवाणु, पोस्ट एवं कवक, आदि। यीस्ट कोशिका में 40-50% प्रोटीन होती है तथा इसकी वृद्धि दर भी अधिक होती है।


5. प्रतिजैविक निर्माण सूक्ष्मजीवों से विभिन्न प्रकार के 'एण्टीबायोटिक्स' उत्पन्न होते है, जो अन्य सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को रोकते हैं। ये प्रतिजैविक कवकों, जीवाणु, आदि से प्राप्त होते हैं। उदाहरण- पेनिसिलिन नियोमाइसिन, स्ट्रेप्टोमाइसिन, क्लोरैम्फेनिकोल, एरिथ्रोमाइसिन, आदि।


6. औद्योगिक महत्त्व विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव अपने एन्जाइमों की सहायता से किण्वन की प्रक्रिया द्वारा पदार्थों में रासायनिक परिवर्तन करके महत्त्वपूर्ण पदार्थों का निर्माण करते हैं। इनका उपयोग असंख्य जीवनोपयोगी दवाओं के निर्माण में किया जाता है, जो विभिन्न रोगों की रोकथाम व निदान में सहायक होती हैं। एण्टीबायोटिक, स्टोरॉइड, वैक्सीन, आदि इसके उदाहरण हैं। असंख्य मानव प्रोटीन ऐसे हैं, जिन्हें पुनर्योगज DNA तकनीक (Recombinant DNA

Technology) का उपयोग कर संश्लेषित किया जा रहा है।


7. ऊर्जा स्रोतों के रूप में सूक्ष्मजीवों के द्वारा संश्लेषित ईंधन (Synthetic fuel) विश्वभर में ऊर्जा की कमी पूरी करता है। मीथेन, एथेनॉल, हाइड्रोजन, बायोगैस, हाइड्रोकार्बन आदि ऐसे उदाहरण हैं, जिनका संश्लेषण सूक्ष्मजीवों द्वारा किया जाता है। बायोगैस संयन्त्र द्वारा उत्पन्न बायोगैस को सामान्यतया गोबर गैस (Gobar Gas) भी कहते है।


8. कृषि क्षेत्र में विभिन्न सूक्ष्मजीवों का उपयोग जैव उर्वरक (Biofertiliser)के रूप में किया जाता है। ये अपनी जैविक क्रियाओं के द्वारा पोषक पदार्थों की मात्रा में वृद्धि करके पादपों की वृद्धि के लिए उत्तरदायी होते हैं। नाइट्रोजनी जैव उर्वरक वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत कर देते हैं, जो पादपों द्वारा उपयोग की जाती है; उदाहरण- राइजोबियम, एजोटोबॅक्टर, एसीटोबॅक्टर, नील हरित शैवाल, एजोला ।

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