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Reproductive health Class 12th pdf notes

 कक्षा 12वी जीव विज्ञान अध्याय 03 जनन स्वास्थ्य

Reproductive health Class 12th pdf notes


Class 12th biology chapter 3 reproductive health notes 

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जनन स्वास्थ्य REPRODUCTIVE HEALTH


नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेब साइट Subhansh classes.com पर यदि आप गूगल पर Class 12th biology Chapter 3 reproductive health notes सर्च कर रहे हैं तो आप बिलकुल सही जगह पर आ गए हैं हम आपको इस पोस्ट में जनन स्वास्थ्य से संबंधित सभी चीजों के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले है इसलिए आप पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें।



बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक


प्रश्न 1. हमारे देश में जननिक रूप से स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास आरम्भ हुए


(a) 1951 में 


(b) 1960 में


(c) 1980 में


(d) 1989 में


उत्तर (a) सन् 1951 में भारत में परिवार नियोजन स्वास्थ्य कार्यक्रमों क आरम्भ हुआ।


प्रश्न 2. किसी समष्टि में बढ़ी हुई शिशु मृत्यु दर (IMR) व घटी मातृ मृत्यु दर (MMR) इसे कैसे प्रभावित करेगी।


(a) वृद्धि दर में तीव्र बढ़ोतरी करेगी


(b) वृद्धि दर में कमी लाएगी


(c) वृद्धि दर में उल्लेखनीय परिवर्तन नहीं लाएगी


 (d) जनसंख्या विस्फोट का कारण बनेगी


उत्तर (c) वृद्धि दर में उल्लेखनीय परिवर्तन नहीं लाएगी।


प्रश्न 3. कॉपर-T क्या अवरुद्ध करता है?


(a) अण्डोत्सर्ग


(b) निषेचन


(c) भ्रूण का गर्भाशय भित्ति में रोपण


(d) जनन मार्ग को अवरुद्ध


 उत्तर (c) कॉपर-T गर्भाशयी गुहा में स्थापित किया जाता है, जो भ्रूण को गर्भाशय भित्ति में रोपण से रोकता है।


प्रश्न 4. हॉर्मोनल गोली का एक घटक है


(a) LH


(b) प्रोजेस्टेरॉन 


(c) FSH


(d) थायरॉक्सिन


 उत्तर (b) प्रोजेस्टेरॉन हॉर्मोनल गोली का एक प्रमुख घटक है।


प्रश्न 5. क्या पुरुष से सम्बन्धित है?


(a) वैसेक्टॉमी


(b) गोलियाँ


(c) ट्यूबैक्टॉमी


(d) इनमें से कोई नहीं


 उत्तर (a) वैसेक्टोमी या पुरुष नसबन्दी पुरुषों में परिवार नियोजन की स्थाई विधि है।


प्रश्न 6. नीचे सगर्भता के चिकित्सीय समापन (MTP) के बारे में कुछ कथन दिए गए हैं। नीचे दिए विकल्पों में से सही का चुनाव कीजिए 


(i) MTP सामान्यतया सगर्भता की प्रथम तिमाही में सुझायी जाती है। जाता है।


(ii) MTP को एक गर्भ निरोधक उपाय के रूप में प्रयोग किया


 (iii) MTP हमेशा शल्यक्रिया द्वारा सम्पन्न की जाती है।

(iv) MTP कराने के लिए योग्य चिकित्साकर्मी की सहायता आवश्यक होती हैं


(a) (ii) व (iii)


(b) (i) व (iii)


(c) (i) व (iv)


(d) (i) व (ii)


उत्तर (c) (i) व (iv) विकल्प सही है।


प्रश्न 7. नीचे दिए यौन संचरित रोगों में से उस रोग की पहचान कीजिए जो विशेष रूप से लैंगिक अंगों को ही प्रभावित नहीं करता


(a) सिफिलिस


(c) सूजाक (गोनोरिया)


(b) एड्स 


(d) लैंगिक मस्से


उत्तर (b) एड्स एक विषाणुजनित यौन संचरित रोग है, जो लैंगिक अंगों को प्रभावित नहीं करता है।


प्रश्न 8. सहायक जनन प्रौद्योगिकी की वह तकनीक जिसमें एक शुक्राणु को सीधे अण्डाणु में अन्तःक्षेपित (इन्जेक्ट) कर दिया जाता है 


(a) GIFT


(b) ZIFT


(c) ICSI


(d) ET


उत्तर (c) ICSI या अन्तःकोशिकीय शुक्राणु निक्षेपण तकनीक में एक शुक्राणु को सीधे अण्डाणु में अन्तःक्षेपित किया जाता है।


प्रश्न 9. सहायक जनन प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत, भ्रूण को 8- कोशिकीय अवस्था में फैलोपियन नलिका में स्थानान्तरण करने वाली विधि कहलाती है


(a) IUT


(b) GIFT


 (c) ZIFT 


(d) इनमें से कोई नहीं


उत्तर (c) ZIFT ( युग्मनज अन्तः फैलोपियन नलिका स्थानान्तरण) 


प्रश्न 10. एम्निओटिक द्रव की कोशिकाओं में निम्न में से किसकी उपस्थिति से भ्रूणीय शिशु का लिंग निर्धारण होता है?


(a) बार पिण्ड


(c) किएज्मेटा


(b) लिंग-गुणसूत्र


(d) प्रतिजन


उत्तर (b) लिंग-गुणसूत्र के द्वारा भ्रूणीय शिशु का लिंग निर्धारण होता है।


(अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 1 अंक)


प्रश्न 1. जनन स्वास्थ्य से क्या तात्पर्य है?

उत्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, जनन के सभी पहलुओं सहित एक सम्पूर्ण स्वास्थ्य अर्थात् शारीरिक, सामाजिक भावनात्मक तथा व्यवहारिक स्वास्थ्य 'जनन स्वास्थ्य' कहलाता है।


प्रश्न 2. जनन स्वास्थ्य के उन पहलुओं को सुझाएँ, जिन पर आज के परिदृश्य में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

 उत्तर – जनन स्वास्थ्य के तहत् जननांगों की जानकारी, किशोर अवस्था व उससे जुड़े बदलावों, सुरक्षित यौन प्रक्रिया, आर्तव चक्र में अनियमितताएँ एवं सगर्भता सम्बन्धी पहलू, प्रसव, चिकित्सकीय सगर्भता समापन, यौन रोग; जैसे—AIDS, STD, आदि के बारे में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।


प्रश्न 3. विश्व स्वास्थ्य दिवस कब मनाया जाता है?

उत्तर – वैश्विक रूप से स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता उत्पन्न करने के लिए प्रतिवर्ष 7 अप्रैल को 'विश्व स्वास्थ्य दिवस' के रूप में मनाया जाता है।


प्रश्न 4. विश्व जनसंख्या दिवस कब मनाया जाता है?

उत्तर– प्रतिवर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है।


प्रश्न 5. स्तनपान अनार्तव के गर्भनिरोधक विधि के रूप में कोई दो लाभ बताइए।

उत्तर (i) यदि शिशु के जन्म के 6 माह तक माँ पूर्णतया स्तनपान कराती है, तो अण्डोत्सर्जन नहीं होगा। अतः सगर्भता की सम्भावना कम होगी।

 (ii) स्तनपान अनार्तव एक प्राकृतिक विधि है। अतः इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं होंगे।


प्रश्न 6. प्रोजेस्टेरॉन-एस्ट्रोजन मिश्रण का गर्भनिरोधक उपाय के रूप में क्या. महत्त्व है?

 उत्तर – स्त्रियों द्वारा गर्भनिरोधक गोलियाँ (Oral contraceptive pills) खाकर अण्डोत्सर्जन तथा रोपण को रोका जाता है। इन गोलियों में प्रोजेस्टेरॉन (Progesterone) की अधिक मात्रा तथा एस्ट्रोजन (Oestrogen) की अल्प मात्रा होती है। इन हॉर्मोन्स के कारण पीयूष ग्रन्थि से FSH तथा LH का स्रावण बहुत घट जाता है, जिससे अण्डोत्सर्जन निष्क्रिय हो जाता है।


प्रश्न 7. 'इन्ट्रा यूटेराइन डिवाइस (JUD) किस प्रकार गर्भ निरोधक का कार्य करती है?

उत्तर–  अन्तः गर्भाशयी युक्ति (IUD) को योनि मार्ग के द्वारा गर्भाशयी गुहा में स्थापित किया जाता है। इस युक्ति से मुक्त हॉर्मोन या आयन, अण्डाणु तथा शुक्राणु के संयुग्मन में अवरोध उत्पन्न करके तथा गर्भाशय को रोपण हेतु अनुपयुक्त बनाकर गर्भधारण को रोकते हैं; उदाहरण—कॉपर मोचक IUD (Cu-T तथा मल्टीलोड 375) एवं हॉर्मोन मोचक IUD (LNG-20 प्रोजेस्टेसर्ट ) |

प्रश्न 8. परिवार नियोजन की स्थायी विधियाँ क्या हैं?

 उत्तर – पुरुष नसबन्दी (चैसेक्टॉमी) एवं महिला नसबन्दी (वैक्टॉमी)


प्रश्न 9. शुक्रवाहिका उच्छेदन (वैसेक्टोमी) पर टिप्पणी कीजिए। 

उत्तर – शुक्रवाहिका उच्छेदन या वैसेक्टोमी को पुरुष नसबन्दी भी कहते हैं। यह गर्भ निरोधन की स्थायी विधि है, जिसमें एक छोटे से ऑपरेशन द्वारा दोनों शुक्रवाहिकाओं को काट या बांध दिया जाता है जिससे वीर्य में शुक्राणु अनुपस्थित होते हैं।


प्रश्न 10. सहायक जनन प्रौद्योगिकी (ART)' कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य बताइए।

 उत्तर – 'सहायक जनन प्रौद्योगिकी (ART)' कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य विशिष्ट तकनीकों (जैसे-ZIFT. GIFT, ICSI, आदि) द्वारा उन बन्ध्य दम्पत्तियों को सन्तानोत्पत्ति में सहायता करना है, जिनका सामान्य उपचार सम्भव नहीं है।


प्रश्न 11. स्व पात्रे निषेचन क्या है?

अथवा स्व पात्रे निषेचन को संक्षेप में लिखिए। 

उत्तर –मादा के शरीर के बाहर मानक परिस्थितियों में प्रयोगशाला में शुक्राणुओं द्वारा अण्डाणुओं के कृत्रिम निषेचन की तकनीक को स्व-पात्रे निषेचन (In Vitro Fertilisation or IVF) कहते हैं।


प्रश्न 12. IVF तथा GIFT का पूरा रूप लिखिए।

उत्तर 


IVF –  In Vitro Fertilisation (अन्तः पात्रे निषेचन) 


GIFT-Gamete Intra Fallopian Transfer (युग्मक अन्त: अण्डवाहिनी स्थनान्तरण)


WHO – world health organization


         (लघु उत्तरीय प्रश्न  2 अंक)


प्रश्न 1. क्या विद्यालयों में यौन शिक्षा आवश्यक है? यदि हाँ तो क्यों?

उत्तर हाँ विद्यालयों में यौन शिक्षा को देना आवश्यक है, इसके निम्न लाभ हैं


 1. इससे बच्चों को अपने जननांगों के बारे में व समयानुसार उनमें होने वाले परिवर्तनों की सही जानकारी प्राप्त होगी। 


2. वे जनन अंगों की सफाई व देखभाल के प्रति सजग होंगे, जिससे रोगों से बचाव होगा।


3. वे STDs के बारे में जान पाएँगे।


4. वे यौवनावस्था में होने वाले शारीरिक, मानसिक व व्यवहारिक परिवर्तनों की सही जानकारी प्राप्त कर सकेगें।


5. बच्चे गलत रास्ते पर जाने व गलत धारणाओं से बचेंगे।


 6. वे परिवार नियोजन व स्वस्थ लैंगिक सम्बन्धों के बारे में जान पाएँगे।


7. विद्यार्थी जननात्मक रूप से स्वस्थ एवं सामाजिक रूप से जिम्मेदार समाज का निर्माण करने में अपना सहयोग दे सकेंगे।


प्रश्न 2. गर्भनिरोधक क्या है? मनुष्य के लिए दो गर्भनिरोधक उपायों का उल्लेख कीजिए।


अथवा गर्भनिरोधक किसे कहते हैं? स्त्रियों द्वारा प्रयोग किए जा सकने वाले दो गर्भनिरोधकों पर टिप्पणी कीजिए।


उत्तर– परिवार नियोजन के अन्तर्गत अपनाई गई विधियाँ जो शुक्राणुओं और अण्डाणुओं के मिलने में बाधा उत्पन्न करके निषेचन की क्रिया को नहीं होने देती हैं, गर्भ निरोधन कहलाती है। गर्भनिरोधन के लिए विभिन्न युक्तियों का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें गर्भ निरोधक कहते हैं 


प्रश्न 3. जनन ग्रन्थि को हटाना गर्भनिरोधकों का विकल्प नहीं माना जा सकता है। क्यों?


उत्तर गर्भनिरोधकों का उपयोग एक ऐच्छिक प्रक्रिया है, जिसमें दम्पत्ति अपनी इच्छा के अनुसार प्रयोग करके गर्भधारण से बचता है और जब आवश्यक न हो उसे न उपयोग करके सगर्भता में प्रवेश कर सकता है, परन्तु जनन ग्रन्थि को एक बारहटा देने पर शुक्राणु एवं अण्डाणु का निर्माण स्थाई रूप से समाप्त हो जाता है। तथा पुनः गर्भधारण कर पाना असम्भव हो जाता है। इसके अतिरिक्त जनन प्रन्थियों से स्वावित होने वाले लैंगिक हॉर्मोनों का शरीर में अभाव हो सकता है, जिससे अनेक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है।



प्रश्न 4. चिकित्सीय सगर्भता समापन पर टिप्पणी कीजिए। 


 अथवा किन परिस्थितियों में सगर्भता के चिकित्सकीय समापन की सलाह दी जाती है?

उत्तर – चिकित्सीय सगर्भता समापन (Medical Termination of Pregnancy or MTP) प्रक्रिया के अन्तर्गत, भ्रूणीय अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए, गर्भ अवधि पूर्ण होने से पूर्व गर्भ समापन (गर्भपात) करा दिया जाता है। इस प्रक्रिया को सन् 1971 में कानूनी स्वीकृति प्रदान की गई। यह प्रक्रिया गर्भ की प्रथम तिमाही (First trimester) अथवा 12 सप्ताह तक ही सुरक्षित होती है। विकसित होते हुए भ्रूण में उल्यवेधन जाँच के उपरान्त गुणसूत्रीय असामान्यताओं की पुष्टि की जाती है, तत्पश्चात् एक कुशल स्त्रीरोग विशेषज्ञ की देख-रेख में दवाइयों के उपयोग द्वारा गर्भसमापन प्रक्रिया अपनाई जाती है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य बलात्कार एवं असुरक्षित यौन सम्बन्ध से उत्पन्न अनचाहा गर्भ, शिशु में जन्मजात रोग, आदि दशाओं में गर्भ समापन करना होता है। हालांकि

आजकल लिंग परीक्षण के उपरान्त इस प्रक्रिया का दुरुपयोग कन्या भ्रूण हत्या में किया जाता है, जिसे सरकार ने गैर-कानूनी बताते हुए इस पर रोक लगाने का कानून बनाया है। 


प्रश्न 5. जनन अंगों के सभी संक्रमण (Reproductive Tract Infection (RTI) यौनजनित रोग होते हैं, लेकिन सभी यौनजनित रोग जननअंगों के संक्रमण (RTI) नहीं होते। कारण बताइए।


उत्तर यह कथन सही है। सभी यौनजनित रोग केवल जनन अंगों के संक्रमण नहीं होते हैं, किन्तु जनन अंगों के सभी संक्रमण यौनजनित ही होते हैं। उदाहरण के लिए सिफिलिस, गोनोरिया, जननांगों में मस्सा रोग आदि बीन अंगों के संक्रामक रोग है तथा ये यौनजनित रोग है। दूसरी ओर एड्स व हिपेटाइटिस B जैसे संक्रमण यौनजनित रोग तो है लेकिन ये


जनन अंगों के संक्रमण नहीं हैं अर्थात् इनका संक्रमण प्रमुखतः लैंगिक सम्पर्क के कारण होता है, लेकिन ये लैंगिक अंगों को प्रभावित नहीं करते हैं।


प्रश्न 6. यौन संचारित रोग से आप क्या समझते हैं? इससे बचने के लिए कुछ उपाय बताइए। 


अथवा किसी व्यक्ति को यौन संचारित रोगों के सम्पर्क में आने से बचने के लिए कौन से उपाय अपनाने चाहिए?


उत्तर – यौन संचारित रोगों से निम्नलिखित साधारण क्रिया-कलाप तथा अभ्यास से बचाव किया जा सकता है


1. अनजान तथा अनेक व्यक्तियों के साथ लैंगिक सम्पर्क या शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाने चाहिए।


2. मैथुन के समय अवरोध विधियों जैसे कण्डोम आदि का प्रयोग किया जाना चाहिए।


3. सदैव निर्जमीकृत (Sterilised) सुई एवं सिरिंजों का उपयोग किया जाना चाहिए तथा नशीली दवाओं के प्रयोग से बचकर रहना चाहिए। 


4. लोगों को यौन या लैंगिक संचारित रोगों के बारे में जागरुक करना चाहिए।


प्रश्न 7. IVF तकनीक पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए। अथवा परखनली शिशु पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर– परखनली शिशु अन्त्र: पात्रे निषेचन (In vitro Fertilisation, IVF) यह तकनीक उन दम्पत्तियों में प्रयुक्त की जाती हैं, जिनमें या तो स्त्री में गर्भ नहीं ठहरता या सक्रिय अण्डाणु या पुरुष के वीर्य में शुक्राणुओं की कम संख्या पाई जाती है। इस तकनीक में सहायक जनन प्रौद्योगिकी की सहायता से स्त्री या दाता के अण्डाणु को, पुरुष या दाता के शुक्राणु से मादा के शरीर के बाहर प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से निषेचित कराया जाता है।


इस प्रक्रिया को अन्त: पात्रे निषेचन ( IVF) तकनीक कहते हैं। इसके पश्चात् 8- कोशिकीय भ्रूण को फैलोपियन नलिका में स्थानान्तरित कर दिया जाता है जिसे युग्मनज अन्तः फैलोपियन स्थानान्तरण (ZIFT) कहते हैं। 8- कोशिकीय अवस्था से अधिक विकसित भ्रूण (32-कोशिकीय) को गर्भाशय में स्थानान्तरित कर दिया • जाता है, जिसे अन्तः गर्भाशयी स्थानान्तरण (Intra uterine transfer) कहते हैं। गर्भाविधि पूर्ण होने पर स्त्री सामान्य रूप से शिशु को जन्म देती हैं। इस प्रकार से प्राप्त शिशु को टेस्ट-ट्यूब बेबी या परखनली शिशु कहते हैं।


प्रश्न  8. उल्बवेधन पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर – उल्बवेधन (Amniocentesis) यह जन्म पूर्व जन्मजात / आनुवंशिक रोग के निदान की तकनीक है, जिसका उपयोग गर्भावस्था में भ्रूण की गुणसूत्रीय असामान्यता तथा उपापचयी अव्यवस्थाओं की जानकारी के लिए किया जाता है।


भ्रूण गर्भाशय में एम्निओटिक द्रव (Amniotic fluid) में तैरता है। इन्जेक्शन की सहायता से इस एम्निओटिक द्रव का नमूना लेकर इसमें उपस्थित कोशिकाओं का संवर्धन करके गुणसूत्र की असामान्यताओं का निरीक्षण किया जाता है, ताकि घातक रोग अथवा गम्भीर उपापचयी अव्यवस्थाओं से ग्रसित भ्रूण को नष्ट किया जा सके या इसको जीन उपचार द्वारा ठीक किया जा सके, परन्तु आजकल इस तकनीक का दुरूपयोग कन्या भ्रूण हत्या के लिए (लिंग गुणसूत्र के द्वारा लिंग का परीक्षण में) किया जाने लगा है। भारत सरकार ने लिंग परीक्षण को गैर-कानूनी घोषित कर दिया है।


प्रश्न 9. समाज में जनन स्वास्थ्य के महत्त्व के बारे में अपने विचार प्रकट कीजिए ।

उत्तर – जनन स्वास्थ्य का अर्थ व्यक्ति का जनन के सभी पहलूओं; जैसे-शारीरिक, भावनात्मक, व्यावहारिक एवं सामाजिक रूप से स्वस्थ होना एवं उपयुक्त प्रजनन सम्बन्धी जानकारी व आवश्यक चिकित्सा सहायता प्राप्त करने से है। एक स्वस्थ राष्ट्र के लिए सरकार स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्य योजनाएँ बनाकर उन्हें संचार व प्रिन्ट के माध्यम से लोगों में प्रचारित करती है, जिससे समाज में रह रहे सभी मनुष्यों का स्वास्थ्य सुधारा जा सके तथा मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके। भारत में 1951 में परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू किया गया, जिसमें परिवार नियोजन एवं बाल स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय है। मानव जनन स्वास्थ्य का उद्देश्य जनन एवं यौन संचारित रोगों से सम्बन्धित रोगी की देखभाल तथा परामर्श, व्यक्तिगत सम्बन्ध तथा जीवन में सुधार लाना है। इसके अतिरिक्त जनन अंगों से सम्बन्धित कार्य-प्रणाली, किशोरावस्था एवं सम्बन्धित परिवर्तन, सुरक्षित एवं संक्रमणरहित यौन सम्बन्धित क्रिया-कलाप, एड्स एवं अन्य यौन संचारित रोगों के सम्बन्ध में लोगों को जागरुक करना जनन स्वास्थ्य का प्रमुख भाग है।


प्रश्न 10. क्या आप मानते हैं कि पिछले 50 वर्षों के दौरान हमारे देश के जनन स्वास्थ्य में सुधार हुआ है? यदि हाँ, तो इस प्रकार के सुधार वाले कुछ क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।

उत्तर – हाँ, पिछले 50 वर्षों के दौरान निश्चित तौर पर हमारे देश के जनन स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। इस प्रकार के सुधार वाले कुछ क्षेत्र निम्नलिखित है


1. शिशु एवं मातृ मृत्यु दर घटी है। 

2. यौन संचारित रोगों की शीघ्र पहचान व उनका समुचित उपचार उपलब्ध हुआ है। 

3. बन्ध्य दम्पत्तियों को विभिन्न तकनीकों द्वारा सन्तान लाभ प्राप्त होने लगा है।


4. स्वास्थ्य सुविधाएँ एवं जीवन स्तर में बढ़ोत्तरी हुई है। 5. विभिन्न प्रकार के गर्भनिरोधकों की खोज व उपलब्धता सुलभ हुई है। 


6. चिकित्सीय सहायता युक्त सुरक्षित प्रसव, आदि की सुविधा में बढ़ोत्तरी हुई है।


7. छोटे परिवारों के महत्त्व के प्रति लोगों में जागरुकता आई है।


8. यौन सम्बन्धी मुद्दों पर बढ़ती हुई जागरुकता इसका प्रमाण है।


 9. बढ़ती जनसंख्या के नियन्त्रण हेतु सरकार एवं आम

जनता दोनों प्रयास कर रही है।


प्रश्न 11. एक आदर्श गर्भनिरोधक के आवश्यक गुणों पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर – परिवार नियोजन हेतु दम्पत्तियों द्वारा विभिन्न युक्तियों का उपयोग किया जाता है, जिन्हें गर्भनिरोधक युक्तियाँ (Contraceptive methods) कहते हैं।


यह जन्मदर कम करने का सबसे अच्छा व आसानी से स्वीकार्य उपाय है। एक आदर्श गर्भनिरोधक युक्ति में निम्न गुण होने चाहिए


 1. गर्भनिरोधक आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।


2. ये सस्ते या मुफ्त उपलब्ध होने चाहिए।


3. गर्भनिरोधक प्रभावी होना चाहिए।


4. गर्भनिरोधक के कोई अनुषंगी प्रभाव या दुष्प्रभाव (Side-effects) नहीं होने चाहिए।


5. गर्भनिरोधक के उपयोग से उपयोगकर्त्ता की कामेच्छा एवं मैथुन क्रिया पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए अर्थात् इसके उपयोग से उसे उसी मानसिक सन्तृप्ता की प्राप्ति होनी चाहिए, जैसी इसकी अनुपस्थिति में होती रही है। 


6. एक आदर्श गर्भनिरोधक प्रयोगकर्त्ताओं के सभी हितों की पूर्ति करने वाला होना चाहिए।


 प्रश्न 12. हॉर्मोनयुक्त गर्भनिरोधकों की क्रियाविधि तथा लाभ व हानि बताएँ।


अथवा हॉर्मोनल गर्भ निरोधन पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।


 उत्तर – हॉर्मोनल गर्भनिरोधक विधियों में हॉर्मोन के प्रयोग द्वारा गर्भधारण की सम्भावना को कम किया जाता है। हॉर्मोनल गर्भनिरोधकों के अन्तर्गत विभिन्न हॉर्मोॉन मोचक IUDs, गर्भनिरोधक गोलियाँ व अन्तरोंप आते हैं।


हॉर्मोनल गर्भनिरोधकों की क्रियाविधि हॉर्मोनल गर्भनिरोधकों में प्रायः प्रोजेस्टेरॉन या प्रोजेस्टेरॉन-एस्ट्रोजन के संयोजन का प्रयोग किया जाता है। ये हॉर्मोन PSH एवं LH के स्रावण को कम कर अण्डोत्सर्जन और रोपण को संदमित करने के साथ-साथ गर्भाशय ग्रीवा की श्लेष्मा की गुणवत्ता को भी बदल देते हैं। इससे गर्भाशय में शुक्राणुओं के प्रवेश पर रोक लग जाती है अथवा उनकी गति मन्द हो जाती है


हॉर्मोनल गर्भनिरोधक के लाभ


मैथुन के 72 घण्टे के भीतर ही प्रोजेस्टेरॉन या प्रोजेस्टेरॉन-एस्ट्रोजन संयोजनों के उपयोग को आपातकालिक गर्भनिरोधक के रूप में बहुत ही प्रभावी पाया गया है। इनका प्रयोग बलात्कार या असामान्य असुरक्षित यौन सम्बन्धों के कारण होने वाली सम्भावित सगर्भता से बचने के लिए किया जा सकता है।


हॉर्मोनल गर्भनिरोधक की हानियाँ


1. इनके अत्यधिक दुष्प्रभाव हो सकते हैं। 2. इसके कारण प्रत्युर्जता (Allency) उत्पन्न हो सकती है।


3. ये हॉर्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकती है, जिससे बाद में चाहने पर भी गर्भधारण नहीं हो पाता है।


प्रश्न 13. IUD क्या है? परिवार नियोजन में यह किस प्रकार उपयोगी है?


अथवा ताँबा आयन मोचक IUD, औषधिरहित IUD की अपेक्षा अधिक प्रभावी होती है। क्यों? 


उत्तर–  अन्तः गर्भाशयी यन्त्र (Intra Uterine Device or IUD) यह छोटा कुण्डलित (Coiled) यन्त्र होता है, जोकि ताँबे या प्लास्टिक या स्टील का बना होता है। यह गर्भधारण को रोकने के लिए चिकित्सक या नर्स द्वारा स्त्री के गर्भाशय की गुहा में स्थापित किया जाता है। वर्तमान में विभिन्न प्रकार की IUDs प्रचलित है, जो निम्नलिखित है


1. ताँबा मोचक IUDs (Copper releasing IUDs) इसमें ताँबे की T-आकृति का लूप प्रयुक्त होता है, जो गर्भाशय में Cu" आपनों को त करता है। Cu" आयन शुक्राणुओं की भक्षकाणुक्रिया को बढ़ा देते हैं तथा शुक्राणु की गतिशीलता को कम कर उनकी निषेचन क्षमता को घटा देते हैं। वर्तमान में अलग-अलग समयावधि की कॉपर-T (Copper-T) प्रचलित है; जैसे- कॉपर-T, कॉपर-7, मल्टीलोड 375, आदि।


2. औषधिरहित IUDs (Non-medicated IUDs) इसमें किसी भी प्रकार की औषधि या रसायन का उपयोग नहीं होता है। इसमें लूप्स की सहायता से अण्डवाहिनी में अण्डाणु व शुक्राणु को मिलने से रोका जाता है; उदाहरण- लिप्पेस लूप (Lippes loops)।


3. हॉर्मोन मोचक IUDs (Hormone releasing IUDs) ये हॉर्मोन्स पर आधारित होती हैं। ये अण्डोत्सर्ग की क्रिया को रोकती हैं व गर्भाशय की आन्तरिक भित्ति को रोपण (Implantation) के लिए अनुपयुक्त बनाते हैं;


जैसे- प्रोजेस्टासर्ट (Progestasert ), CNG-20, आदि।

ताँबा आयन मोचक IUD निम्न कारणों से औषधिरहित IUD की अपेक्षा अधिक प्रभावी है


(i) कॉपर (तांबा) आयन शुक्राणुओं को गतिशीलता व निषेचन क्षमता को कम करते हैं एवं गर्भाशय के अन्दर शुक्राणुओं की भक्षकाणुक्रिया (Phagocytosis) को बढ़ा देते हैं।


 (ii) यह एक सुरक्षित, प्रभावी, सरल, सस्तो दीर्घकालिक व अस्थायी गर्भ निरोधक विधि है।


(iii) ये स्तनपान कराने वाली महिलाओं द्वारा भी प्रयोग की जा सकती है।


प्रश्न 14. क्या गर्भनिरोधकों का उपयोग न्यायोचित है? कारण बताइए।

उत्तर –  हाँ, विकासशील देशों की बढ़ती जनसंख्या से पूरे विश्व में पर्यावरण के लिए खतरा बढ़ रहा है। जिन देशों की जनसंख्या बढ़ रही है, वहाँ मूलभूत सुविधाएँ: जैसे- खाद्य, कपड़ा, मकान, आदि का अभाव हो रहा है। अतः सरकारों पर दबाव बना हुआ है, कि जनसंख्या नियन्त्रित रखी जाए।


इस समस्या से निपटने के लिए सरकार परिवारों को छोटा रखने के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही है व इसके लिए उन्हें गर्भनिरोधक उपाय अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है। सरकार पोस्टर व ऑडियो-विजुअल के द्वारा ऐसे गर्भनिरोधक तरीके अपनाने की सलाह देती है, जो आसानी से उपलब्ध हों तथा जिनका कोई नुकसान नहीं होता है। ये गर्भनिरोधक साधन परम्परागत, टीका, मुँह से लेने वाली औषधि या अन्तरोप हो सकते हैं, जिनके उपयोग से जनसंख्या को नियन्त्रण में रखने के साथ-साथ पर्यावरण को भी शुद्ध व सन्तुलित रखा जा सकता है। इस प्रकार जनसंख्या वृद्धि को कम करके हम परिवार, समाज व देश की समृद्धि में सहयोग दे सकते हैं।


प्रश्न 15. शुक्रवाहिनी उच्छेदन (वैसेक्टॉमी) तथा डिम्बवाहिनी उच्छेदन ( ट्यूबैक्टॉमी) को चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए (वर्णन की आवश्यकता नहीं है)। 


अथवा बन्ध्याकरण से क्या तात्पर्य है 


उत्तर – बन्ध्याकरण या नसबन्दी में नर या मादा की जननवाहिनियों को किसी स्थान पर काटकर या बांधकर, जनदों से निकलने वाले युग्मक के मार्ग को अवरुद्ध कर देते हैं। यह जनन क्षमता को स्थाई रूप से अवरुद्ध करने की सर्वाधिक सफल विधियों है। ये विधियों निम्नवत है 


1. महिला का ऑपरेशन या महिला नसबन्दी ( Tubectomy) इस विधि में स्त्रियों की अण्डवाहिनी को काटकर बाँध दिया जाता है, जिससे अण्डाणु अण्डवाहिका नलिका (Fallopian tube) में आगे नहीं बढ़ पाते हैं तथा निषेचन की क्रिया नहीं हो पाती है तथा गर्भधारण रोक दिया जाता है। यह कार्य सन्तान उत्पत्ति के समय ही कराया जा सकता है, क्योंकि अण्डवाहिनी

को काटने के लिए उदर की शल्य क्रिय करनी पड़ती है।


2. पुरुष का ऑपरेशन या पुरुष नसबन्दी (Vasectomy) महिलाओं की नसबन्दी की तरह पुरुषों में शुक्रवाहिनी के ऑपरेशन से वीर्य में शुक्राणुओं की उपस्थिति को रोका जा सकता है। इसमें पुरुष की शुक्रवाहिनी को काटकर बाँध दिया जाता है। यह अत्यन्त सरल ऑपरेशन है, जो कभी भी कराया जा सकता है। इसका पुरुष की सम्भोग क्षमता पर कोई प्रभाव नहीं होता है।

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प्रश्न 16. मनुष्य में यौन सम्बन्धी उत्पन्न रोगों के लक्षण बताइए।

अथवा यौन संचारित रोग जनन स्वास्थ्य हेतु एक खतरा है। ऐसे किन्हीं दो रोगों का उल्लेख कीजिए एवं इन्हें रोकने के उपाय बताइए।


उत्तर – ऐसे रोग, जो यौन सम्बन्धों के कारण फैलते हैं, यौन संचारित रोग (Sexually Transmitted Diseases or STDs) अथवा रतिज या यौन रोग

(Venereal diseases) कहलाते है।


 ये निम्नलिखित प्रकार के होते हैं


1. सुजाक (Gonorrhoea) यह रोग नाइसैरिया गोनोरियाई (Neisseria gonorrhoeae) नामक जीवाणु द्वारा होता है।.


लक्षण (Symptoms) पुरुषों में इस रोग के संक्रमण से मूत्रमार्ग में सूजन आ जाती है। रोगी को मूत्र त्याग के समय अत्यन्त पीड़ा और जलन होती है। यह रोग ज्ञानेन्द्रियों को हानि पहुंचाता है। इसके प्रभाव से जोड़ों में सूजन और पीड़ा रहने लगती है।


2. उपदंश (Syphilis) यह रोग ट्रिपोनेमा पैलिडम (Treponema pallidum)नामक जीवाणु द्वारा फैलता है।

 लक्षण (Symptoms) इस जीवाणु के संक्रमण की प्रथम अवस्था में नर के शिश्न और मादा की योनि पर लाल रंग के दाने हो जाते हैं। परिपक्व अवस्था में यह जीवाणु हृदय, मस्तिष्क, यकृत, अस्थियों को भी प्रभावित करता है।


3. जननांगों की हर्पिस (Genital herpes) यह रोग सिम्पलैक्स विषाणु (Simplex virus) द्वारा फैलता है।


लक्षण (Symptoms) इस रोग में पुरुष के शिश्न में अत्यधिक दर्द होता तथा स्त्रियों की योनि में छाले बन जाते हैं और दर्द होता है।


4. क्लैमाइडिएसिस (Chlamydiasis) यह रोग क्लैमाइडोमोनास ट्रेकोमेटिस (Chlamydomonas trachomatis) द्वारा फैलता है।


लक्षण (Symptoms) स्त्रियों में योनि स्राव, मूत्र विसर्जन के दौरान जलन आर्तव चक्र में अत्यधिक रक्तस्राव, ज्वर, आदि इस रोग के लक्षण होते हैं। 


        दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 5 अंक


प्रश्न 1. जनसंख्या विस्फोट से क्या अभिप्राय है? जनसंख्या वृद्धि के कारण तथा नियन्त्रण का वर्णन कीजिए।


अथवा जनसंख्या विस्फोट एवं निवारण पर निबन्ध लिखिए। अथवा जनसंख्या विस्फोट एवं जन्म नियन्त्रण पर निबन्ध लिखिए।


उत्तर – जनसंख्या विस्फोट प्रायः मृत्युदर में कमी एवं कभी-कभी जन्मदर में तीव्र वृद्धि के कारण किसी स्थान विशेष की जनसंख्या में आकस्मिक तथा तीव्र विस्तार जनसंख्या विस्फोट कहलाता है। जनसंख्या में तीव्र गति से होने वाली यह वृद्धि उस स्थान विशेष की जलवायु, सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति, उत्तम स्वास्थ्य एवं खाद्य पदार्थों की उपलब्धता पर निर्भर करती है।


जनसंख्या वृद्धि के कारण


जनसंख्या वृद्धि के निम्नलिखित कारण हैं


1. निम्न सामाजिक स्तर (Low living status) हमारे देश की जनता का रहन-सहन का स्तर साधारण है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली अधिकांश जनता निर्धन है, जो इस बात में यकीन करती है कि यदि अधिक बच्चे होंगे, वे काम करके अधिक धन कमाएँगे। अतः गरीब परिवार के लोग जनसंख्या नियन्त्रण पर ध्यान नहीं देते।


2. निरक्षरता (Illiteracy) जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण निरक्षरता भी है, क्योंकि हमारे देश की अधिकांश जनता निरक्षर है। इस कारण से अज्ञानतावश अनवरत् सन्तानोत्पत्ति होती रहती हैं।


3. सामाजिक रीति-रिवाज (Social traditions) हमारे देश में पुत्र/पुत्री का विवाह एक आवश्यक धार्मिक कर्त्तव्य माना जाता है। परिवार में पुत्र का जन्म भी आवश्यक माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि वंश का नाम पुत्र से ही चलता है। अतः पुत्र प्राप्ति की कामना को लेकर लोग कई सन्तानों को जन्म देते हैं।


4. कम आयु में विवाह (Early marriage) ग्रामीण और अशिक्षित परिवारों में आज भी बाल-विवाह की प्रथा का प्रचलन है, जिसके कारण कम आयु में ही दम्पत्ति सन्तान उत्पन्न करने लगते हैं।


5. मृत्यु-दर में निरन्तर कमी (Decrease in mortality rate) आधुनिक चिकित्सा प्रणाली स्वास्थ्य कार्यक्रमों एवं बेहतर जीवन स्थिति के फलस्वरूप रोगों, अकाल, महामारी, कुपोषण से आदि से होने वाली मौतों व शिशु मृत्यु दर एवं मातृ मृत्यु दर में कमी आई है, लेकिन इसके विपरीत जन्म-दर में वांछित कमी नहीं आ पाई है।


जनसंख्या विस्फोट पर नियन्त्रण इसके लिए निम्नलिखित उपाए किए जा सकते हैं


1. परिवार नियोजन (Family planning) सन् 1951 में प्रारम्भ किया गया, परिवार नियोजन कार्यक्रम जनसंख्या वृद्धि दर के नियन्त्रण हेतु सरलतम एवं सर्वोत्तम उपाय है। इसके अन्तर्गत विभिन्न गर्भनिरोधकों के प्रयोग को प्रेरित किया जाता है।


2. कानूनी व्यवस्था (Legal system) संविधान के 12वें संशोधन में संसद और विधानसभाओं को जनसंख्या नियन्त्रण के लिए कानून बनाने के अधिकार प्रदत्त किए गए हैं। 


3. शिक्षा व्यवस्था (Education system) जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण और परिवार को सीमित करने के सम्बन्ध में जनता को शिक्षित करने के कार्यक्रम में वृद्धि की जानी चाहिए।


4. आर्थिक स्थिति में सुधार (Improvement in economic status) लोगों को योग्यतानुसार रोजगार और व्यवसाय के अवसर मिलने चाहिए, जिससे परिवार के आर्थिक स्तर में सुधार हो सके।


3. परिवार कल्याण सम्बन्धी कार्यक्रमों को बढ़ाना (To increase the family welfare programmes) परिवार को सीमित रखने के लिए कुछ ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे परिवार सीमित रखने के कार्यक्रमों में लोगों की रुचि बढ़े जैसे- निःशुल्क शिक्षा, मुफ्त इलाज की व्यवस्था आदि।


प्रश्न 2. जनसंख्या विस्फोट से आप क्या समझते हैं? जनसंख्या विस्फोट के परिणामों की विवेचना कीजिए।


 उत्तर 

जनसंख्या विस्फोट के परिणाम


1. खाद्य आपूर्ति की समस्या (Problem of food supply) जनसंख्या वृद्धि के कारण हमारे देश में खाद्य आपूर्ति की समस्या बनी हुई हैं। जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में खाद्य सामग्री का उत्पादन कम होने के कारण लोगों को उचित खाद्य सामग्री कम उपलब्ध हो रही हैं जिससे लोग कुपोषण (Malnutrition) का शिकार हो रहे हैं।


2. आवास की समस्या (Problem of accommodation) जनसंख्या वृद्धि के कारण लोगों को उपयुक्त आवास भी उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। लोगों को झुग्गी-झोपड़ियों एवं फुटपाथों पर रहना पड़ रहा है। प्रदूषित वातावरण में रहने से अनेक बीमारियाँ भी फैलती है।


3. शिक्षा व्यवस्था की समस्या (Problem of education system) शिक्षण संस्थाओं की संख्या कम होने से बढ़ी हुई आबादी के कारण बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रवेश मिलना कठिन हो गया है। विद्यालयों के कमरे, फर्नीचर और खेलने के लिए मैदान, आदि बच्चों के लिए पर्याप्त नहीं है, जिससे उनका शारीरिक और बौद्धिक विकास कम हो जाता है।


4. रोजगार की समस्या ( Problem of employment) जनसंख्या वृद्धि के कारण देश में बेरोजगारी में बढ़ोतरी हो गई है। बेरोजगारी के कारण युवाओं में अपराध की प्रवृत्ति में लगातार वृद्धि हो रही है।


5. स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवा समस्या (Problem of health and clinical services) देश में अस्पतालों की संख्या कम होने के कारण सभी को पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं।


6. प्राकृतिक संसाधनों की समस्या (Problem of natural resources) जनसंख्या वृद्धि के कारण प्राकृतिक संसाधनों का दोहन बहुत तेज गति से हो

रहा है, जिससे पृथ्वी का प्राकृतिक पर्यावरण भी प्रभावित हो रहा है।


जैसे सभी लोगों को साफ पेयजल भी उपलब्ध नहीं हो रहा है। 


प्रश्न 3. जनसंख्या वृद्धि पर कैसे नियन्त्रण किया जा सकता है? परिवार नियोजन की वैज्ञानिक विधियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।


अथवा परिवार नियोजन की आवश्यकता क्यों है? जनन नियन्त्रण के लिए प्रयोग होने वाले विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।


अपना भारत में परिवार नियोजन की आवश्यकता तथा इसकी विधियों का वर्णन कीजिए। 


उत्तर 

परिवार नियोजन की आवश्यकता परिवार नियोजन की आवश्यकताओं को हम निम्न प्रकार से समझ सकते हैं


1. छोटा परिवार सुखी परिवार (Small family happy family) प्रत्येकपरिवार में माता पिता को अपने बच्चों का लालन-पालन करना होता है।


अर्थात् बच्चों के लिए उचित भोजन, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा, वस्त्रों, आदि की व्यवस्था करनी पड़ती है। माता-पिता यह कार्य अपनी आय के अनुसार एक निश्चित सीमा में ही कर पाते है। यदि परिवार बड़ा होगा, तो बच्चों को सुविधाएँ कम प्राप्त होंगी तथा दम्पति का स्वास्थ्य अधिक परिश्रम एवं चिन्ताओं के कारण बिगड़ने लगेगा। यदि परिवार छोटा होगा, तो बच्चे को समुचित सुविधाएँ उपलब्ध होगी और परिवार स्वस्थ एवं सुखी होगा।


2. पालन पोषण का प्रभाव (Effect of development) प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तित्व अलग होता है। यह उसके पालन एवं पोषण पर निर्भर करता है। बड़े परिवार में निम्न स्तर के पालन-पोषण के कारण बच्चों के व्यक्तित्व का पूर्ण विकास नहीं हो पाता है। अतः उच्च स्तर के पालन-पोषण तथा अच्छे व्यक्तित्व विकास के लिए छोटे परिवार की आवश्यकता है। भारत सरकार ने इस योजना के क्रियान्वन के लिए 'हम दो हमारे दो' का नारा दिया। इसका प्रचार सरकार ने सभी क्षेत्रों जैसे-सड़कों, सिनेमाघरों, चलचित्र (Movie), रेडियो, टेलीविजन, आदि पर किया है, जिससे प्रत्येक परिवार में


सन्तानोत्पत्ति की दर दो सन्तानों तक ही सीमित हो जाए। जनन नियन्त्रण या परिवार नियोजन की वैज्ञानिक विधियाँ परिवार नियोजन की वैज्ञानिक विधियों (गर्भनिरोधको) को दो भागों में बाँटा गया है


1. अस्थाई गर्भनिरोधक विधियाँ


(i) प्राकृतिक विधि (Natural methods) इन विधियों का कोई दुष्प्रभाव नहीं है, किन्तु इनकी विश्वसनीयता कम है। ये विधियां निम्नलिखित हैं


आवर्ती विधि (Periodic Method) अण्डोत्सर्जन के समय मासिक चक्र के 10-17 वें दिन के दौरान सम्भोग न करना सम्भोग व्यवधान (Coitus Interruptus) वीर्य स्खलन से पूर्व लिंग को

योनि से निकाल लेना।


स्तनपान अनार्तव (Lactational Amenorrhoea) प्रसव पश्चात् 6 माह तक नवजात को स्तनपान करवाने पर अण्डोत्सर्जन नहीं होता है।


 (ii) रासायनिक विधियाँ (Chemical methods) परिवार नियोजन की रासायनिक विधियाँ निम्नलिखित हैं


• शुक्राणुनाशक (Spermicide) इस जैली या फोम युक्त पदार्थ को यौन सम्बन्ध से पूर्व योनि मार्ग में रख दिया जाता है, जो शुक्राणुओं का नाश करके सगर्भता को रोकता है: जैसे-नॉन ऑक्सीनॉल-9 (Non-oxinol-9)


• मिश्रित गोली या गर्भनिरोधक गोलियाँ (Mixed pill or Contraceptive pills) यह सर्वाधिक प्रभावी और आसान विधि है। इनमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन हॉर्मोन पाए जाते हैं। इन गोलियों के प्रभाव से FSH और LH का भावण नहीं होता है. जिससे ग्राफियन पुटिका परिपक्व नहीं होती है एवं डिम्बोत्सर्ग (Ovulation) की क्रिया रुक जाती है।


(iii) यान्त्रिक विधियां (Mechanical methods) परिवार नियोजन की यांत्रिक विधियों निम्नलिखित है


निरोध (Condom) यह सर्वाधिक लोकप्रिय विधि है, जिसका प्रयोग प्रायः पुरुषों द्वारा किया जाता है। मैथुन से पूर्व नर जननेन्द्रियों पर यह आवरण के रूप में प्रयोग किया जाता है, जो योनि में वीर्य स्खलन को रोकता है।


• डायाफ्राम एवं सर्विकल टोपी (Diaphragm or Cervical cap) डायाफ्राम को योनि में लगाया जाता है। स्त्री प्रजनन के बाद सुविधानुसार इसे योनि से अलग कर सकती है। इसी प्रकार रबड़ की बनी सर्विकल टोपी को गर्भाशय की ग्रीवा पर रखकर अण्डाणु के निषेचन को रोका जा सकता है 


अन्त:गर्भाशयी युक्ति (Intra Uterine Devices or IUDs) IUD को गर्भाशयी गुहा में कुशल स्त्रीरोग विशेषज्ञ द्वारा स्थापित किया जाता है। ये युक्तियाँ शुक्राणुओं की क्रियाशीलता और निषेचन क्षमता को कम करती हैं। तथा गर्भाशय को भ्रूण के रोपण हेतु अनुपयुक्त बनाती हैं; जैसे- ताँबा मोचक अन्तः गर्भाशयी युक्ति (Cu-T तथा मल्टीलोड) या हॉर्मोन मोचक अन्तः गर्भाशयी युक्ति (LNG-20, प्रोजेस्टेसर्ट)। हॉर्मोन मोचक अन्तःगर्भाशयी युक्ति प्रोजेस्टेरॉन का स्त्रावण करके अण्डोत्सर्जन को रोकती है।


अन्त:रोपित छड़ (Implanted rods) यह एक छोटा छड़नुमा उपकरण है, जिसे त्वचा के नीचे अन्तः रोपित कर दिया जाता है। यह संश्लेषित प्रोजेस्टेरॉन (Synthetic progesterone) की सूक्ष्म मात्रा का शरीर में स्रावण करता है, जो गर्भाशयी ग्रीवा से निकलने वाले श्लेष्म को गाढ़ा और चिपचिपा बना देता है, जिससे शुक्राणु आसानी से गति नहीं कर पाते हैं और अण्डाणु के साथ समेकित नहीं हो पाते हैं।


प्रश्न 4. सहायक जनन प्रौद्योगिकी क्या है? इसकी विभिन्न विधियों का उल्लेख कीजिए।


अथवा वे कौन-सी सहायक जनन प्रौद्योगिकी हैं, जिनका प्रयोग बन्ध्य दम्पत्तियों हेतु किया जाता है? किन्हीं तीन तकनीकों का वर्णन कीजिए।


अथवा बन्ध्य दम्पत्तियों को सन्तान पाने हेतु सहायता देने वाली कुछ विधियाँ बताइए |


उत्तर – सहायक जनन प्रौद्योगिकी (Assisted Reproductive Technique or ART) यह उत्कृष्ट तकनीक है, जिसके द्वारा दम्पति में बन्ध्यता का निवारण किया जाता है। यह तकनीक बन्ध्यता से पीड़ित दम्पत्तियों के लिए आशा की किरण है। जब बन्ध्यता के कारणों को उपचार द्वारा ठीक करना सम्भव नहीं होता है। तब इन विशेष तकनीकों द्वारा बन्ध्य दम्पतियों को सन्तान उत्पन्न करने में सहायता की जाती है। ये तकनीके सहायक जनन प्रौद्योगिकी कहलाती हैं।


सहायक जनन प्रौद्योगिकी की विधियाँ ये विधियाँ निम्न हैं


1. अन्त: पात्रे निषेचन (In Vitro Fertilisation or IVF) 


परपोषी मातृत्वता (Host mothering) या सरोगेट माँ (Surrogate mother) मादा में भ्रूण के विकास हेतु अनुपयुक्त गर्भाशय होने पर इस विधि में IVF द्वारा प्राप्त प्राक् भ्रूण को एक अन्य स्त्री धात्रेय माता (Foster mother) में स्थानान्तरित किया जाता है। धात्रेय माता में यह भ्रूण जन्म तक अथवा अस्थायी रूप से निश्चित समय तक परिवर्धित होता है। इस स्त्री को ही सेरोगेट माँ कहा जाता है।


2. अन्तः गर्भाशयी शुक्राणु सेचन (Intra Uterine Insemination or IUI) इस विधि का उपयोग उन स्त्रियों में किया जाता है, जिनके पति के वीर्य में शुक्राणु कम होते हैं या शुक्राणु कम सक्रिय होते हैं। इस अवस्था में प्रयोगशाला में नर के वीर्य से स्वस्थ शुक्राणु को पृथक् कर कृत्रिम रूप से मादा की योनि या गर्भाशय में स्थापित किया जाता है।


3. अन्तःकोशिकीय शुक्राणु निक्षेपण (Intra Cytoplasmic Sperm Injection or ICSI) प्रयोगशाला में भ्रूण बनाने की इस प्रक्रिया में शुक्राणु को सीधे अण्डाणु में अन्तः क्षेपित (Inject) कर दिया जाता है। यह तकनीक पुरुषों में शुक्राणुओं के अभाव, शुक्राणु का अण्डाणु में प्रवेश करने की अक्षमता (अण्डाणु की बाह्य परत जोना पेलुसिडा के भेदने में अक्षम) या असामान्य आकार के शुक्राणु जैसी स्थितियों में उपयोग की जाती है।


4. युग्मनज अन्तः अण्डवाहिनी स्थानान्तरण (Zygote Intra Fallopian Transfer or ZIFT) इसमें प्रयोगशाला में निषेचित किए गए युग्मनज को 24 घण्टे के पश्चात् या 8 कोरकपुटी (Blastopore) की अवस्था में मादा की अण्डवाहिनी में लैप्रोस्कोप (Laproscope) द्वारा अग्रिम परिवर्धन के लिए स्थानान्तरित किया जाता है।


5. युग्मक अन्तः अण्डवाहिनी स्थानान्तरण (Gamete Intra Fallopian Transfer or GIFT) इस विधि का प्रयोग उन स्त्रियों में किया जाता है, जिनमें अण्डाणु नहीं बनता है। इसमें एक दाता स्त्री से अण्डाणु को लेकर उस स्त्री की अण्डवाहिनी में स्थानान्तरित कर दिया जाता है।


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