पंचलाइट कहानी का सारांश /panchlight kahani ka saransh
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(1) 'पंचलाइट' की कथावस्तु या सारांश
'पंचलाइट' रेणु जी की आंचलिक कहानी है। कहानी में बिहार के एक पिछड़े गाँव के परिवेश का सुन्दर चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
महतो टोली में अशिक्षित लोग हैं। उन्होंने रामनवमी के मेले से पेट्रोमेक्स खरीदा, जिसे वे 'पंचलैट' कहते हैं। 'पंचलाइट' को ये सीधे-सादे लोग सम्मान की चीज समझते हैं। पंचलाइट को देखने के लिए टोली के सभी बालक, औरतें और मर्द इकट्ठे हो जाते हैं। सरदार अपनी पत्नी को आदेश देता है कि शुभ कार्य को करने से पहले वह पूजा-पाठ का प्रबन्ध कर ले। सभी उत्साहित हैं, परन्तु समस्या उठती है कि 'पंचलैट' जलाएगा कौन? सीधे-सादे लोग पेट्रोमेक्स को जलाना भी नहीं जानते।
इस टोली में गोधन नाम का एक युवक है। वह गाँव की मुनरी नामक एक युवती से प्रेम करता है। मुनरी की माँ ने पंचों से गोधन की शिकायत की थी कि वह उसके घर के सामने से सिनेमा का गाना गाता हुआ निकलता है। इस कारण पंचों ने उसे बिरादरी से निकाल रखा है। मुनरी को पता है कि गोधन पंचलाइट जला सकता है। वह चतुराई से यह बात पंचों तक पहुँचा देती है। पंच गोधन को पुनः बिरादरी में ले लेते हैं। वह 'पंचलाइट' को जला देता है। मुनरी की माँ गुलरी काकी प्रसन्न होकर गोधन को शाम के भोजन का निमन्त्रण देती है। पंच भी अति उत्साहित होकर गोधन को कह देते हैं-"तुम्हारा सात खून माफ। खूब गाओ सलीमा का गाना।" पंचलाइट की रोशनी में लोग भजन-कीर्तन करते हैं तथा उत्सव मनाते हैं।
कहानी का कथानक सजीव है। सीधे-सादे अनपढ़ लोगों की संवेदनाओं को वाणी देने में रेणु जी समर्थ रहे हैं। इस कहानी में आंचलिक जीवन की सजीव झाँकी प्रस्तुत की गयी है।
पंचलाइट कहानी की समीक्षा, आलोचना विशेषताएं-
फणीश्वरनाथ रेणु जी हिन्दी जगत के सुप्रसिद्ध आंचलिक कथाकार हैं। अनेक जनआन्दोलनों से वे निकट से जुड़े रहे, इस कारण ग्रामीण अंचलों से उनका निकट का परिचय है। उन्होंने अपने पात्रों की कल्पना किसी कॉफी हाउस में बैठकर नहीं की, अपितु वे स्वयं अपने पात्रों के बीच रहे हैं। बिहार के अंचलों के सजीव चित्र इनकी कथाओं के अलंकार है। 'पंचलाइट' भी बिहार के आंचलिक परिवेश की कहानी है। कहानी कला की दृष्टि से इस कहानी की समीक्षा (विशेषताएं निम्नवत है
1. शीर्षक- कहानी का शीर्षक 'पंचलाइट'; एक सार्थक और कलात्मक शीर्षक है। यह शीर्षक संक्षिप्त और उत्सुकतापूर्ण है। शीर्षक को पढ़कर ही पाठक कहानी को पढ़ने के लिए उत्सुक हो जाता है। 'पंचलाइट' का अर्थ है 'पेट्रोमेक्स' अर्थात् 'गैस की लालटेन' शीर्षक ही कथा का केन्द्र बिन्दु है।
2. कथानक - महतो- टोली के सरपंच पेट्रोमेक्स खरीद लाये हैं, परन्तु इसे जलाने की विधि वहां कोई नहीं जानता। दूसरे टोले वाले इस बात का मजाक बनाते है। महतो टोले का एक व्यक्ति पंचलाइट जलाना जानता है। और वह है- 'गोधन' किन्तु वह बिरादरी से बहिष्कृत है। वह 'मुनरी' नाम की लड़की का प्रेमी है। उसकी ओर प्रेम की दृष्टि रखने और सिनेमा का गीत गाने के कारण ही पंच उसे बिरादरी से बहिष्कृत कर देते हैं। मुनरी इस बात की चर्चा करती है कि गोधन पंचलाइट जलाना जानता है। इस समय जाति की प्रतिष्ठा का प्रश्न है, अतः गोधन को पंचायत में बुलाया जाता है। वह पंचलाइट को स्पिरिट के अभाव में गरी के तेल से ही जला देता है। अब न केवल गोधन पर लगे सारे प्रतिबन्ध हट जाते हैं, वरन् उसे मनोनुकूल आचरण की भी छूट मिल जाती है। पंचलाइट की रोशनी में गाँव में उत्सव मनाया जाता है।
प्रस्तुत कहानी में कहानीकार ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि आवश्यकता किसी भी बुराई को अनदेखा कर देती है। कथानक संक्षिप्त, रोचक, सरल, मनोवैज्ञानिक, आंचलिक और यथार्थवादी है। कौतूहल और गतिशीलता के अलावा इसमें मुनरी तथा गोधन का प्रेम-प्रसंग बड़े स्वाभाविक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
3. पात्र तथा चरित्र चित्रण - रेणु जी ने इस कहानी में सामान्य ग्रामीण वातावरण के सीधे-सादे लोगों को पात्रों के रूप में चुना है। कहानी के पात्र वर्गगत हैं। कहानीकार ने स्वयं ग्रामीण यथार्थ को भोगा है, इस कारण पात्र और चरित्र-चित्रण स्वाभाविक तथा सजीव है। कहानी के पात्र दो वर्ग के हैं, एक वर्ग में रूढ़िवाद, जातिवाद तथा ईर्ष्या आदि दोष व्याप्त है तो दूसरे वर्ग मे गोधन और मुनरी है। ये जाति-पांति या राग-द्वेष के चक्कर में नहीं पड़ते। गोधन निडर है, वह गाने गाकर तथा आँख मटकाकर अपने प्रेम को प्रदर्शित कर देता है, परन्तु मुनरी भोली-भाली लज्जाशील ग्रामीण बालिका है। लेखक ने पात्रों का चयन बड़ी चतुराई से किया है। इस कहानी के सभी पात्र सजीव प्रतीत होते हैं। कहानी में ग्रामवासियों की मनोवृत्ति का परिचय बड़े जीवन्त और यथार्थ रूप में प्रस्तुत किया गया है। ग्रामीण समूह के चरित्र को उभारने में लेखक को विशेष सहायता मिली है।
प्रस्तुत कहानी के संवाद संक्षिप्त, सरल तथा रोचक है। ग्रामीण परिस्थितियों और वातावरण के अनुसार स्वाभाविक संवादों की रचना की गयी है। बिहार के ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि पर लिखी इस कहानी में वहाँ के बोलचाल के शब्दों का प्रयोग करके रेणु जी संवादों को स्वाभाविकता को बढ़ा दिया है। संवादों को स्वाभाविकता का एक उदाहरण देखिए-
मुनरी ने चालाकी से अपनी सहेली कनेली के कान में बात डाल दी - कनेली ! …..चियो, चिध-ऽ-ऽ, चिन…...। कनेली मुस्कराकर रह गयी- गोधन…….. तो बन्द है। मुनरी बोली- तू कह तो सरदार से!
'गोधन जानता है पंचलैट जलाना।' कनेली बोली।
कौन, गोधन ? जानता है जलाना ? लेकिन….
ग्रामीणों का सीधापन भी संवादों में स्पष्ट झलकता है; यथा- "सरदार ने गोधन को बहुत प्यार से पास बुलाकर कहा- तुमने जाति की इज्जत रखी है। तुम्हारा सात खून माफ खूब गाओ सलीमा का गाना।"
गुलरी काकी बोली- आज रात में मेरे घर में खाना गोधन।
5. भाषा-शैली - फणीश्वरनाथ रेणु' की भाषा की विशेषता उनके द्वारा किये गये ग्रामीण शब्दों के सटीक प्रयोग में है। उन्होंने अंग्रेजी के शब्दों का आंचलिक प्रयोग बहुत सुन्दर रूप में प्रस्तुत किया है; जैसे- पंचलैट, सलीमा आदि। ग्रामीण मुहावरों का प्रयोग भी सुन्दर बन पड़ा है; जैसे- 'धुरखेल करना', 'सात खून माफ' इत्यादि। इस कहानी में व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग है। साथ ही चित्रात्मक, रमणीय और कलात्मक शैली के द्वारा आंचलिक रंग भरते हुए कहानी की रचना की गयी है। भाषा-शैली का एक उदाहरण द्रष्टव्य है- "सब किये-कराये पर पानी फिर रहा था। सरदार, दीवान और छड़ीदार के मुँह में बोली नहीं। पंचों के चेहरे उतर गये थे। किसी ने दबी आवाज में कहा- कल- कब्जे वाली चीज का नखरा बहुत बड़ा होता है।'
6- देश-काल और वातावरण- फणीश्वरनाथ रेणु' आंचलिक लेखक है। इन्होंने इस कहानी में बिहार के ग्रामीण जीवन का सजीव चित्रण किया है। 'पंचलाइट' के माध्यम से ग्रामीण वातावरण का चित्रण करते हुए ग्रामवासियों के मनोविज्ञान, ईर्ष्या, अन्धविश्वास और कुरीतियों का भी चित्रण हुआ है। पंचलाइट आने पर महतो टोली का गर्व, पंचलाइट की पूजा की तैयारी, जलाना न आने पर मान-अपमान का प्रश्न आदि तथ्य, ग्रामीण वातावरण को साकार कर देते हैं। ग्रामीणों में अशिक्षा, अन्धविश्वास और मिथ्या प्रदर्शन की भावना है। निश्चय ही देश-काल और वातावरण के सजीव चित्रण का सतत प्रयास किया गया है; जैसे- "टोले भर के लोग जमा हो गये, औरत-मर्द, बूढ़े बच्चे सभी काम-काज छोड़कर दौड़ आये - चल रे चल । अपना पंचलैट आया है, पंचलैट ! छड़ीदार अगनू महतो रह-रहकर लोगों को चेतावनी देने लगा-हाँ, दूर से, जरा दूर से छू-छा मत करो, ठेस न लगे।"
7. उद्देश्य- इस कहानी के द्वारा रेणु जी ने अप्रत्यक्ष रूप से ग्राम-सुधार को कोशिश की है। गोधन के द्वारा 'पेट्रोमेक्स' जलाने पर उसकी सभी गलतियाँ माफ कर दी जाती हैं, जिससे स्पष्ट है कि आवश्यकता बड़े-से बड़े रूढिगत संस्कार और परम्परा को व्यर्थ साबित कर देती है।
कहानी का आरम्भ, मध्य और अन्त मनोरंजक व कौतूहलवर्द्धक है। पाठक के मन में जिज्ञासा उत्पन्न होती है कि आगे क्या होगा ? रेणु जी की सभी कहानियाँ आंचलिक हैं, जिनमें निम्नवर्गीय ग्रामीणों के जीवन को साकार किया गया है। इनकी 'पंचलाइट' कहानी भी कहानी कला के सभी पहलुओं पर खरी उतरती है।
Q.पंचलाइट कहानी का सारांश क्या है?
यह कहानी बिहार के ग्रामीण परिवेश के गिर्द घूमती है । गाँव के एक युवक गोधन का मुनरी नामक लड़की से प्रेम है जिससे नाराज़ होकर पंचायत ने उसका बहिष्कार कर रखा है। एक दिन मेले से गाँव वाले सार्वजनिक उपयोग के लिये पेट्रोमैक्स (जिसे वहाँ के लोग अंगिका में पंचलाइट या पंचलैट कहते हैं) खरीद कर लाते हैं।
Q.पंचलाइट कहानी का मुख्य पात्र कौन है?
(1) योग्य युवक-'गोधन' 'पंचलाइट' कहानी का एक ऐसा पात्र है जो अशिक्षित होते हुए भी योग्य है। पेट्रोमैक्स जलाने के कार्य को उसकी बिरादरी का कोई भी व्यक्ति नहीं जानता, परन्तु वह उसे जला देता है। (2) गुणवान-गोधन अशिक्षित होते हुए भी गुणवान् है ।
Q.पंचलाइट को हिंदी में क्या कहते हैं?
पेट्रोमेक्स हैं- पेट्रोमेक्स जिसे गाँववाले पंचलाइट कहते हैं।
Q.पंचलाइट के लेखक का क्या नाम है?
फणीश्वर नाथ "रेणु"
फणीश्वर नाथ 'रेणु' एक हिन्दी भाषा के साहित्यकार थे। इनके पहले उपन्यास मैला आंचल को बहुत ख्याति मिली थी, जिसके लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
Q.पंचलाइट को कौन चलाता है?
मुनरी को पता है कि गोधन पंचलाइट जला सकता है। वह चतुराई से यह बात पंचों तक पहुँचा देती है। पंच गोधन को पुन: जाति में ले लेते हैं। वह 'पंचलाइट' को जला देता है।
Q.पेट्रोमैक्स को गांव वाले क्या कहते हैं?
सभी पंचायतों में दरी, जाजिम, सतरंजी और पेट्रोमेक्स हैं पेट्रोमेक्स, जिसे गाँव वाले पंचलैट कहते हैं ।
Q.गुलरी काकी की बेटी का नाम क्या है?
गुलरी काकी की बेटी मुनरी
जवाब देंहटाएंTulsidas Ka Jivan Parichay
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