मातृभूमिः पर संस्कृत निबंध /essay on matrabhumi in sanskrit
sanskrit essay on mathrbhumi
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मातृभूमिः पर संस्कृत निबंध
भारतम् अस्माकं देश: भारतभूमिः अस्माकं मातृभूमिः । यथा उक्तम् माता भूमि:, अहं पृथिव्याः इति जन्मभूमिः अस्माकं जननी अस्ति । यतो हि अस्याः एव क्रोडे पुत्रः क्रीडित्वा वयम् स्वशैशवम् अतिक्रम्य यौवनम् प्राप्ताः । इयं मातृभूमिः स्वर्गात् अपि श्रेष्ठा । यत्र वयं सुखेन वसामः विविधान् भोगान् च अनुभवामः ।
अस्माकं मातृभूमिः सुफला, सुजला, शस्यश्यामला अस्ति । सागरः अस्याः चरणौ प्रक्षालयति हिमालयः अस्याः शुभं किरीटम्, विन्ध्याद्रिः च अस्याः कटिः अस्ति । विविधाः नद्यः अमृततुल्येन जलेन इमां सिञ्चति सूर्यः प्रतिदिनं प्रातः इमां प्रणमति खगाश्च कलश्वनैः इमां स्तुवन्ति ।
अतएव देवाः अपि अत्र जन्म ग्रहीतुम उत्सुकाः तिष्ठन्ति गायन्ति च
गायन्ति देवाः किल गीतकानि
धन्यास्तु ये भारत-भूमि-भागे
स्वर्गापवर्गास्पद - मार्ग भूते
भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात् ॥
यस्मिन् देशे वयं जन्मधारणं कुर्मः स हि अस्माकं देशः जन्मभूमिः वा भवति। जननी इव जन्मभूमिः पूज्या आदरणीया च भवति।
अस्याः यशः सर्वेषां देशवसिनां यशः भवति। अस्याः गौरवेण एव देशवसिनां गौरवम् भवति।
ये जनाः स्वाभ्युदयार्थ देशस्याहितं कुर्वन्ति ते अधमाः सन्ति। देशभक्तिः सर्वासु भक्तिषु श्रेष्ठा कथ्यते।
अनया एव देशस्य स्वतंत्रतायाः रक्षा भवति। अनया एव प्रेरिताः बहवः देशभक्ताः भगत सिंघः, चन्द्रशेखर आजाद प्रभृतयः आत्मोत्सर्गम् अकुर्वन्।
झाँसीश्वरी लक्ष्मीबाई, राणाप्रताप मेवाड़केसरि, शिववीरः च प्रमुखाः देशभक्ताः अस्माकं देश जाता। देशभक्तिः व्यक्ति-समाज -देशकल्याणार्थ परमम् औषधम् अस्ति।
हिंदी अर्थ
भारत हमारा देश है भारत की भूमि हमारी मातृभूमि है। जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, धरती मां, मैं धरती का हूं, हमारी मां है। क्योंकि इसी गर्भ में हमारा बेटा खेला और हम अपने बचपन को पार कर यौवन तक पहुंच गए। यह मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है। यह एक ऐसी जगह है जहां हम खुशी से रहते हैं और विभिन्न सुखों का आनंद लेते हैं।
हमारी मातृभूमि उपजाऊ, अच्छी तरह से पानी और फसलों के साथ अंधेरा है। समुद्र उसके पैर धोता है, हिमालय उसका शुभ मुकुट है, और विंध्य पर्वत उसकी कमर है। विभिन्न नदियाँ इसे अमृत के समान जल से सींचती हैं, प्रतिदिन प्रातः सूर्य उन्हें प्रणाम करता है और पक्षी घड़े से उसकी स्तुति करते हैं।
इसलिए देवता भी यहां जन्म लेने और खड़े होकर गाने के लिए उत्सुक हैं
देवता गीत गा रहे हैं
धन्य हैं वे जो भारत भूमि में हैं
स्वर्ग और मोक्ष का मार्ग, प्राणी
वे अधिक से अधिक पुरुष बनते हैं क्योंकि वे देवता हैं।
जिस देश में हम पैदा होते हैं वह हमारा देश या जन्मस्थान होता है। मां की तरह मातृभूमि की पूजा और सम्मान किया जाता है।
उनकी प्रसिद्धि देश के सभी निवासियों की प्रसिद्धि है। उनकी मर्यादा से ही देशवासियों को गर्व है।
अपनी समृद्धि के लिए देश का भला करने वाले सबसे कम हैं। देशभक्ति को सभी भक्तिों में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है।
देश की स्वतंत्रता की रक्षा करने का यही एकमात्र तरीका है। उनसे प्रेरित होकर, भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद जैसे कई देशभक्तों ने अपना बलिदान दिया।
झानेश्वरी लक्ष्मीबाई, राणा प्रताप मेवार्केसरी और शिववीर हमारे देश के प्रमुख देशभक्त थे। देशभक्ति व्यक्ति, समाज और देश के कल्याण के लिए अंतिम दवा है।
essay on matrabhumi in english
India is our country, the land of India is our motherland. As mentioned above, mother earth, I belong to the earth, our mother. Because in this womb our son played and we crossed our childhood and reached puberty. This motherland is better than heaven. It is a place where we live happily and enjoy various pleasures.
Our homeland is fertile, well watered and dark with crops. The sea washes his feet, the Himalayas is his auspicious crown, and the Vindhya mountain is his waist. Various rivers water it with water like nectar, every morning the sun salutes him and birds praise him with pitchers.
That's why even the gods are eager to take birth here and stand and sing
Deities singing songs Blessed are those who are in the land of Bharat, the path to heaven and salvation, beings become more and more men because they are gods.
The country in which we are born is our country or birthplace. The motherland is worshiped and respected like a mother. His fame is the fame of all the inhabitants of the country. The countrymen are proud of their dignity. Those who do good to the country for their prosperity are the least. Patriotism is said to be the best among all devotees. This is the only way to protect the freedom of the country. Inspired by him, many patriots like Bhagat Singh and Chandrashekhar Azad sacrificed their lives.
Zhaneshwari Lakshmibai, Rana Pratap Mewarkesari And Shivveer was the main patriot of our country.Patriotic welfare of individual, society and country The last medicine for
मातृभूमि पर कविता हिन्दी में
हे मातृ भूमि तेरे वीर सपूतों की गाथा मैं यूंहि गाऊंगा तेरी मिटटी में जन्म लिया तेरा कर्ज में कैसे चुकाऊंगा ॥
दुश्मन की छाती माँ मैं रौंद कर दिखलाऊंगा,
तेरी तरफ कोई ऊंगली कर दे, माँ हाथ उसका उखाड में लाऊंगा, तेरे चरणों की शौगंध है माँ मुझे, तेरी मिट्टी में जन्म लिया.
मैं तेरी शान को नीचे नही झुकाऊंगा ॥
गर्मी शर्दी ओर बरसात माँ तेरी सल्तनत में मिलती, मैं हर मौसम हर जंग हर लड़ाई से लड़ता जाऊंगा। तेरी हिफाजत में मैं माँ शूली पर भी चढ़ जाऊंगा, पर तेरे नाम को माँ मैं सोने की तरह चमकाऊंगा ॥ तेरी मिट्टी में जन्म लिया....
तेरी खातिर माँ मैं अपना शीश भी कटवाऊंगा, हंसते हंसते भारत माँ तेरे लिए मैं फाँसी पर भी चढ़ जाऊंगा। पर दुश्मन की गोली माँ मैं सीने में ही खाऊंगा, जंग में माँ मैं कभी अपनी पीठ ना दिखाऊँगा ॥ तेरी मिट्टी में जन्म लिया
लड़ता रहूँगा मरता रहूँगा अपने तिरंगें की खातिर, हर बार उस माँ की कोख से जन्म लूँगा, तेरी ईज्जत की खातिर । हे माँ तेरा सदा सत्कार रहें, तेरा मुझ पर सदा अधिकार रहें, तेरे अभिमान में वन्दे मातरं वन्दे मातरं गाता जाऊंगा तेरी मिट्टी में जन्म लिया.
भारत माँ का वीर सपूत मैं तेरे ही गुण गाऊंगा, भारत माँ की जय, भारत माँ की जय, इस घोष का जयकारा में लगाऊगाँ। हे मां मै तेरी रणभूमि में लडता-लडता मर जाऊंगा, अपने तिरंगे में लिपटकर माँ में वीरगति को पाऊंगा,
इस तरह हे माँ मैं तेरी मिट्टी का कर्ज चुकाऊंगा हे मातृ भूमि तेरे वीर सपूतों की गाथा में यूंहि गाऊंगा दासता में यूहि सुनाऊंगा ।।
2.मातृभूमि की माटी चंदन
आओ तिलक लगायें । इस माटी में जन्म मिला यह सोच के हम इतरायें ।
राम कृष्ण ने जन्म लिया खेले गौतम गांधी । वीर भगत सिंह यहीं थे जन्मे चढ़ गये हँस कर फाँसी । वीरों की पावन धरती को आओ शीश झुकायें इस माटी में जन्म मिला यह सोच के हम इतरायें ।
3.चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ, चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ, चाह नहीं, सम्राटों के शव पर, हे हरि, डाला जाऊँ चाह नहीं, देवों के सिर पर, चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ! मुझे तोड़ लेना वनमाली ! उस पथ पर देना तुम फेंक, मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जावें वीर अनेक।
4.मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ पर देना तुम फेंक मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ पर जाए वीर अनेक।
ہندوستان ہمارا ملک ہے، ہندوستان کی سرزمین ہماری مادر وطن ہے۔ جیسا کہ اوپر ذکر کیا گیا ہے، ماں دھرتی، میں زمین سے تعلق رکھتا ہوں، ہماری ماں۔ کیونکہ اس پیٹ میں ہمارا بیٹا کھیلتا تھا اور ہم اپنا بچپن پار کر کے بلوغت کو پہنچے تھے۔ یہ مادر وطن جنت سے بہتر ہے۔ یہ وہ جگہ ہے جہاں ہم خوشی سے رہتے ہیں اور مختلف لذتوں سے لطف اندوز ہوتے ہیں۔
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