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Class 10th Home science chapter 05 अशुद्ध जल से फैलने वाले रोग notes in hindi

Class 10th Home science chapter 05 अशुद्ध जल से फैलने वाले रोग notes in hindi

कक्षा 10वी गृह विज्ञान अध्याय 05 अशुद्ध जल से फैलने वाले रोग नोट्स इन हिन्दी 

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 { अध्याय 05 अशुद्ध जल से फैलने वाले रोग }



मानव शरीर में अशुद्ध जल के प्रयोग से अनेक हानियाँ एवं विकार हो जाते हैं। अशुद्ध जल की हानियाँ निम्नलिखित है 


1• अशुद्ध जल के सेवन से पाचन सम्बन्धी समस्या होने लगती हैं।


2.अशुद्ध जल के सेवन से विभिन्न प्रकार के रोग हो जाते हैं, उदाहरण- हैजा, अतिसार, पेचिश अन्य रोग भी हो सकते हैं, ये रोग मक्खियों द्वारा भी फैलते हैं। 


अशुद्ध जल से फैलने वाले रोगों के बारे में 

अशुद्ध जल के प्रयोग से निम्नलिखित रोग हो सकते हैं


1.हैजा या कॉलरा

हैजा रोग भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों, जैसे-बाजार, प्रदर्शनी स्थल, तीर्थस्थल आदि में तथा युद्ध क्षेत्र में अधिक फैलता है। मक्खियों की अधिकता वाले क्षेत्रों में भी हैजा फैलने की अधिक आशंका रहती है।


कारण(किस वजह से ये रोग होते हैं)

1.इस रोग का मुख्य कारक विब्रियो कॉलेरी नामक जीवाणु है। इसका आकार कुण्डलाकार या कौमा (,) के समान होता है, इसलिए इससे पहले इसे कॉमा बैसिलस के नाम से भी जाना जाता है।


2.जीवाणुओं का संवहन मुख्यतः मक्खियों द्वारा होता है। यह संक्रमण अशुद्ध जल एवं भोजन से फैलता है।


लक्षण(कैसे पहचान करते हैं)


वमन एवं पतले दस्त, निर्जलीकरण (शरीर में जल की कमी) के कारण शरीर में ऐंठन होती है।


बचाव एवं उपचार(इसकी रोकथाम कैसे करें)

1.हैजे के नियमित टीके लगवाएँ।

2.पानी एवं दूध उबालकर पिएँ।

3• मक्खियों को समाप्त करने एवं उनसे बचने के उपाय करें।

4.कटे हुए फल, बिना ढकी मिठाइयों का सेवन न करें।


2.अतिसार या डायरिया

यह रोग दूषित जल तथा भोजन के माध्यम से फैलता है। पाचन तन्त्र से सम्बन्धित यह रोग बरसात में अधिक फैलता है।


कारण(किस वजह से ये रोग होते हैं)


यह रोग इशचेरिचिया कोलाई नामक जीवाणु से होता है। रोग के प्रसार में मक्खियों की विशेष भूमिका होती है।


लक्षण(कैसे पहचान करते हैं)

पतले दस्त , हल्का ज्वर, शरीर में जल की कमी इस रोग के प्रमुख लक्षण है।


बचाव एवं उपचार

1• वर्षा ऋतु में जल के संक्रमण की बहुत संभावना रहती है, इसलिए विशेषकर वर्षा ऋतु में जल को उबालकर जरूर पीना चाहिए।


2• बच्चों को दूध या जूस साफ बर्तन से ही पिलाना चाहिए


3.रोगी को हल्का, तरल एवं सरलता से पचने वाले आहार ही देना चाहिए।


4.शरीर में जल की कमी को पूरा करने के लिए नमक एवं शक्कर का घोल, दही, मट्ठा, सोडा वाटर, अखरोट का पानी आदि पिलाना चाहिए।


3.पेचिश


पेचिश, कारक रोगाणुओं की मिन्नता के आधार पर दो प्रकार के होते हैं-बैसीलरी तथा अमीबायसिस।


कारण(किस वजह से ये रोग होते हैं)


रोग के रोगाणु (जीवाणु, प्रोटोजोआ आदि) दूषित जल में पनपते हैं। मक्खिया इस रोग के वाहक का कार्य करती हैं। संक्रमित रोगी का मल-मूत्र रोग फैलाने में सहायक होता है।


लक्षण(कैसे पहचान करते हैं)

बार-बार दस्त होते हैं। दस्त के साथ ऑव या श्लेष्म भी आता है। कभी-कभी श्राव भी होता है।


बचाव एवं उपचार

1• जल उबालकर पिएँ, भोजन की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।

2.मक्खियों से बचाव हेतु खाद्य सामग्री ढककर रखें।

3• रोग संक्रमण की आशंका पर तालाबों एवं कुओं में लाल दवा का प्रयोग करना चाहिए।


  [ बहुविकल्पीय प्रश्न Objective Questions ]


प्रश्न 1. कौन-सा रोग जल द्वारा फैलता है? अथवा अशुद्ध जल / दूषित जल से रोग हो जाता है।


(a) क्षय रोग


(b) चेचक


(c) हैजा


(d) इनमें से कोई नहीं


उत्तर (c) हैजा


प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन-सा रोग अशुद्ध जल से नहीं फैलता है? 


(a) हैजा


(b) अतिसार


(c) क्षय रोग (टी.बी.)


(d) मोतीझरा (टायफाइड)


उत्तर (c) क्षय रोग (टी.बी.)


प्रश्न 3. जल द्वारा फैलने वाले रोग कौन-से हैं?


(a) पेचिश


(b) अतिसार


(c) हैजा


(d) ये सभी


उत्तर (d) ये सभी


प्रश्न 4. मक्खियों द्वारा कौन सा रोग फैलता है?


(a) मलेरिया


(b) चेचक


(c) हैजा


(d) तपेदिक


उत्तर (c) हैजा


प्रश्न 5. हैजा किसके द्वारा फैलता है?


(a) वायु द्वारा


(b) अशुद्ध जल द्वारा


(c) भोजन द्वारा


(d) इनमें से कोई नहीं


उत्तर (b) अशुद्ध जल द्वारा


प्रश्न 6. हैजा किस जीवाणु द्वारा फैलता है?


 (a) विब्रियो कॉलेरी


(b) साल्मोनेला टाइफी 


(c) क्लॉस्ट्रिडियम टिटेनी


(d) एण्ट अमीबा हिस्टोलिटिका


 उत्तर (a) विब्रियो कॉलेरी


प्रश्न 7. निम्न में से कौन-सा रोग अशुद्ध जल व भोजन से होता है?


(a) क्षय रोग


(b) खसरा


(c) डेंगू


(d) हैजा


उत्तर (d) हैजा


प्रश्न 8. हैजा रोग का कारण है?


अथवा हैजा रोग फैलने का माध्यम है 


(a) रोगी व्यक्ति


(b) खाँसना व छींकना 


(c) दूषित भोजन व जल


 (d) मच्छर का काटना


उत्तर (c) दूषित भोजन व जल


प्रश्न 9. निर्जलीकरण का अर्थ है ?


(a) शरीर में खून की कमी


(b) शरीर में पानी की कमी 


(c) शरीर में कैल्सियम की कमी 


(d) इनमें से सभी


उत्तर (b) शरीर में पानी की कमी


प्रश्न 10. अतिसार रोग अधिक फैलता है।


(a) बरसात में 


(b) जाड़े में


(c) गर्मी में


(d) ये सभी


उत्तर (a) बरसात में


प्रश्न 11.अतिसार के रोगी को कैसा भोजन देना चाहिए?


(a) तला भोजन 


(b) तरल भोजन


(c) गरिष्ठ भोजन


 (d) कुछ नहीं


उत्तर (b) तरल भोजन


प्रश्न 12. अतिसार के रोगी को आहार देना चाहिए


(a) उच्च प्रोटीनयुक्त


(b) उच्च रेशेयुक्त 


(c) नरम व तरल


(d) इनमें से कोई नहीं


उत्तर (c) नरम व तरल


  { अतिलघु उत्तरीय प्रश्न Short Question }


प्रश्न 1. अशुद्ध जल द्वारा फैलने वाले रोगों के नाम लिखिए।

 अथवा अशुद्ध जल के प्रयोग से होने वाली दो हानियाँ लिखिए।


अथवा अशुद्ध जल के सेवन से उत्पन्न किन्हीं चार रोगों के नाम लिखिए।


अथवा जल से फैलने वाले रोगों के नाम लिखिए।


उत्तर अशुद्ध जल से होने वाली हानियों निम्नलिखित हैं 1. विभिन्न प्रकार के रोग जैसे- हैजा, अतिसार, पेचिश आदि हो जाते हैं।


2. अशुद्ध जल से पाचन सम्बन्धी विकार उत्पन्न हो जाता है।


प्रश्न 2. मक्खियों द्वारा फैलने वाले रोग बताइए।

उत्तर – मक्खियों से मुख्यत: हैजा, अतिसार तथा पेचिश जैसे रोग फैलते हैं।


 प्रश्न 3. अशुद्ध जल से होने वाले किसी एक रोग के बारे में लिखिए। 

उत्तर – अतिसार या डायरिया अशुद्ध जल से फैलने वाला रोग है। यह इशचेरिचिया कोलाई नामक जीवाणु से होता है। पाचन तन्त्र से सम्बन्धित यह रोग बरसात में अधिक फैलता है।


प्रश्न 4. भोजन के माध्यम से फैलने वाले दो रोगों के नाम लिखिए।

उत्तर – भोजन के द्वारा फैलने वाले दो रोग हैजा और पेचिश है।


प्रश्न 5. पेचिश रोग के लक्षण लिखिए।

उत्तर – पेचिश रोग के लक्षण है- बार-बार दस्त आना, पेट में ऐंठन, शौच के साथ आँत तथा कभी-कभी रक्त का स्राव होना, बार-बार शौच जाना, रोगी को तीव्र ज्वर (बुखार)होना इत्यादि।


प्रश्न 6. हैजा किस प्रकार फैलता है? इसके लिए उत्तरदायी सूक्ष्मजीव का नाम लिखिए।

 उत्तर – हैजा अशुद्ध जल एवं भोजन से फैलता है। इस रोग के जीवाणुओं का  संवहन मुख्यतः मक्खियों द्वारा होता है। यह रोग विब्रियो कॉलेरी नामक जीवाणु से फैलता है।


प्रश्न 7. हैजा किन किन क्षेत्रों में अधिक फैलता है? उत्तर हैजा भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों जैसे-मेला, तीर्थ स्थल, युद्ध आदि क्षेत्रों में अधिक फैलता है। मक्खियों की अधिकता वाले क्षेत्रों में भी हैजा फैलने की अधिक आशंका रहती है। 


प्रश्न 8. अतिसार रोग के बचाव के उपाय लिखिए।

 उत्तर – अतिसार रोग के बचाव के लिए रोगी को तुरन्त चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए, पूर्ण विश्राम करना चाहिए, जल को उबालकर पीना चाहिए तथा खाने में तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए।


प्रश्न 9. पेचिश रोग उत्पन्न करने वाले विषाणु का नाम लिखिए।

उत्तर – यह रोग दो प्रकार के ओं से उत्पन्न होता है। वैसीलरी जीवाणु द्वारा होने वाली पेचिश को वैसीलरी पेचिश तथा एटअमीबा हिस्टोलिटिका (प्रजीवाणु) द्वारा होने वाली पेचिश को अमीबियोसिस कहते हैं।


   { लघु उत्तरीय प्रश्न Question Answers }


प्रश्न 1. अशुद्ध जल से फैलने वाले मुख्य रोग कौन-कौन से हैं?

अथवा अशुद्ध जल से फैलने वाले रोगों के नाम लिखिए। किसी एक रोग के लक्षण एवं बचने के उपाय लिखिए ।


अथवा अतिसार रोग से बचाव के उपाय लिखें। 


उत्तर – अशुद्ध जल से फैलने वाले विभिन्न रोग; जैसे- हैजा, अतिसार, पेचिश आदि हैं। अतिसार रोग के लक्षण एवं बचने के उपाय निम्न प्रकार हैं।


अतिसार के लक्षण


अतिसार के लक्षण निम्न हैं।


1. बच्चों को अतिसार में होने वाले दस्त अत्यधिक पतले तथा प्रायः हरे रंग के होते हैं। 


2. दस्त अधिक आने पर कभी-कभी दस्त के साथ रक्त भी आता है। दस्तों की संख्या 25-30 तक हो सकती है। 


3. रोगी को हल्का-सा ज्वर भी रहता है।


4. दस्त न रुकने की स्थिति में रोगी के शरीर में जल की कमी भी हो सकती है।


अतिसार से बचाव के उपाय


अतिसार नामक संक्रामक रोग से बचने तथा रोग हो जाने की स्थिति में आवश्यक देखभाल व उपायों की जरूरत पड़ती है, जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नवत् है


1. तुरन्त चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।


2. रोगी को पूर्ण विश्राम करना चाहिए। 


3. जल को उबालकर पीना चाहिए।


4. वर्षा ऋतु में जल के संक्रमण की बहुत आशंका रहती है। अतः विशेषकर वर्षा ऋतु में जल को उबालकर पीना चाहिए।


5. बोतल से दूध पीने वाले बच्चों की बोतल समय-समय पर अच्छी तरह साफ करते रहना चाहिए।


6. भोज्य पदार्थों को मक्खियों से बचाने के लिए ढककर रखना चाहिए। 


7. रोगी को खाने में सोडा वाटर, मट्ठा तथा नमक एवं शक्कर का घोल आदि तरल पदार्थ देते रहना चाहिए।


प्रश्न 2. टिप्पणी लिखिए-अशुद्ध जल द्वारा रोगों का संक्रमण अथवा अशुद्ध जल का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर – रोगाणु विभिन्न माध्यमों से शरीर में प्रवेश करते हैं, इसमें एक माध्यम अशुद्ध जल भी है। प्राणियों द्वारा नियमित रूप से जल का सेवन किया जाता है। ऐसी स्थिति में अशुद्ध या संक्रमित जल हमारे शरीर को प्रभावित करता है। विभिन्न रोगों के रोगाणु अथवा बैक्टीरिया वातावरण से जल स्रोतो में पहुँचते है तथा इनके माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते है। शरीर में प्रवेश के उपरान्त ये रोगाणु बड़ी तेजी से बढ़ने लगते है तथा शीघ्र ही हमारे शरीर को सम्बन्धित रोगों का शिकार बना देते हैं। जल के माध्यम से फैलने वाले रोगों को अशुद्ध जल से फैलने वाले रोग माना जाता है। अशुद्ध जल से फैलने वाले रोगों में मुख्य रूप से पाचन तन्त्र से सम्बन्धित रोग होते है, जैसे टाइफाइड, अतिसार, हैजा, पीलिया, पेचिश


प्रश्न 3. मक्खियाँ किस प्रकार रोगों के वाहक का कार्य करती हैं? मक्खियों द्वारा कौन-कौन से रोग फैलते हैं?

उत्तर – मक्खियाँ अनेक रोगों की वाहक होती है। मक्खियों के पैर रोमयुक्त होते हैं। जब ये कूड़े-करकट, वमन, मल-मूत्र, थूक अथवा अन्य प्रकार की गन्दगी पर बैठती हैं, तो गन्दगी के साथ रोगाणु भी इनके पैरों पर चिपक जाते हैं। जब ये मक्खियों पेय व खाद्य पदार्थों पर बैठती हैं, तो गन्दगी के साथ चिपके रोगाणु इन भोज्य पदार्थों पर चिपक जाते हैं। इस प्रकार मक्खियों द्वारा भोज्य पदार्थ रोगाणुयुक्त हो जाते हैं तथा स्वस्थ व्यक्ति जब इस प्रकार के भोज्य पदार्थों का सेवन करता है, तो उसके शरीर में ये रोगाणु प्रवेश कर उसे रोगी बना देते हैं। मक्खियों से फैलने वाले मुख्य रोग है- हैजा, टायफाइड, पेचिश एवं अतिसार।


प्रश्न 4. पेचिश तथा अतिसार में क्या अन्तर है?

उत्तर – पेचिश तथा अतिसार में अन्तर



पेचिश

अतिसार

1. इस रोग को उत्पन्न करने वाले रोगाणु दो प्रकार के होते हैं।

(i) बैसीलरी पेचिश

 (ii) अमीबायसिस

इस रोग की उत्पत्ति प्रायः इशचेरिचिया कोलाई नामक जीवाणु द्वारा होती है।

2. यह रोग बड़ों, बच्चों किसी को भी हो सकता है।

बच्चों में अधिक पाया जाता है।

3. किसी भी मौसम में (वर्षभर भी) हो सकता है।

इसका प्रकोप वर्षा ऋतु में अधिक होता है।

4. दस्त पतले तथा पीले रंग के होते हैं। दस्तों के साथ श्लेष्म एवं रक्त स्राव होते हैं।

दस्त अत्यधिक पतले तथा हरे रंग के होते है।

5.इस रोग में हड्डियों में जकड़न होती है।

इस रोग में हल्का ज्वर होता है।


[ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न Long Question Answers]


प्रश्न 1. अशुद्ध जल और भोजन से कौन-कौन से रोग संवहित होते हैं? किसी एक रोग के कारण, लक्षण एवं उपचार बताइए। 

अथवा हैजा के लक्षण, उपचार और बचाव के उपाय लिखिए।

अथवा मक्खी द्वारा फैलने वाले रोग का नाम लिखिए। इस रोग के लक्षण और बचाव के उपाय का वर्णन कीजिए।


अथवा हैजा रोग कैसे फैलता है? इस रोग के लक्षणों, बचाव के उपायों तथा उपचार का सामान्य परिचय दीजिए। 


अथवा हैजा किस जीवाणु के संक्रमण से होता है? इसका उत्तर बताइए।


अथवा जल द्वारा फैलने वाले कौन-से रोग है? उनमें से किसी एक रोग के कारण, लक्षण एवं बचने के उपाय लिखिए।



उत्तर


रोग

कारक 

हैजा

विब्रियों कॉलेरी (जीवाणु)

टायफाइड

साल्मोनेला टाइफी (जीवाणु)

अतिसार (डायरिया)

इशचेरिचिया कोलाई (जीवाणु)

पेचिश (डिसेन्ट्री)

(क) बैसीलरी जीवाणु (ख) अमीबायसिस



हैजा (कॉलरा)


मक्खी द्वारा फैलने वाला रोग

हैजा एक भयंकर तथा शीघ्र फैलने वाला संक्रामक रोग है। यह रोग मक्खी द्वारा फैलता है। यह गर्मी तथा बरसात के मौसम में अधिक फैलता है। मेलों, तीर्थ स्थलों, युद्ध क्षेत्र आदि में जहाँ अधिक लोग एकत्र होते हैं, वहाँ यह रोग फैलता है।


फैलने के कारण


1. यह रोग विब्रियो कॉलेरी नामक जीवाणु द्वारा होता है।

 2. यह रोगाणु अतिसूक्ष्म होता है, इसके बैक्टीरिया पानी में अधिक पनपते हैं।


3. यह बैक्टीरिया एक स्थान से दूसरे स्थान पर मुख्यतः मक्खियों द्वारा पहुंचता है।


4. मक्खियों के रोगी के मल, वमन आदि पर बैठने के उपरान्त भोजन-जल आदि पर बैठने से यह बैक्टीरिया फैलता है।


5. मक्खियों के अतिरिक्त रोगी के सीधे सम्पर्क द्वारा अथवा उसकी वस्तुओं के प्रयोग से यह बैक्टीरिया फैलता है।


रोग के लक्षण


यह रोग संक्रमण के समय से लेकर कुछ घण्टों में ही विकराल रूप धारण कर सकता है। कभी-कभी 2 या 3 दिन का समय भी लग जाता है।


इसके अन्य लक्षण निम्नलिखित हैं।


1. व्यक्ति वमन या दस्त करने लगता है। 

2. हैजा के रोगी का दस्त चावल के माँड जैसा सफेद तथा पतला होता है।


3. रोगी के शरीर में ऐंठन होने लगती है।


4. आँखों के नीचे काले धब्बे पड़ जाते हैं।


5. शरीर में जल की कमी होने से रोगी की नाड़ी की गति मन्द हो जाती है।


6. उचित उपचार न मिलने पर रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।


उपचार एवं बचाव के उपाय

हैजा के प्रकोप से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए।


 1. हैजा के टीके नियमित रूप से अवश्य लगवाने चाहिए। मेले अथवा तीर्थ स्थलों पर जाते समय सभी व्यक्तियों को यह टीका लगवाना चाहिए। 


2. रोग के शिकार व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती करें तथा पृथक् कमरे में रखें।


3. तालाब, नदी तथा कुएँ आदि के पानी को उबालकर एवं छानकर पीना चाहिए। 


4. मक्खियों को समाप्त करने तथा उनसे बचने के उपाय करने चाहिए।


5. रोगी के मल-मूत्र, वमन तथा थूक आदि को मिट्टी के बर्तन में डालकर जमीन में गाड़ देना चाहिए। 


6. हैजा प्रकोप के दिनों में भीड़ वाले स्थलों; जैसे-रेलवे स्टेशन, बाजार, मेले आदि में जाने से बचना चाहिए।


 7. दूध एवं पानी को उबालकर पीना चाहिए।


8. बाजार से कटे फल, सब्जियाँ आदि नहीं लेनी चाहिए।


9. रोगी द्वारा प्रयुक्त बर्तनों को खौलते पानी में डालकर साबुन से धोना चाहिए।


 10. रोगी की योग्य चिकित्सक के परामर्श के अनुसार इलाज तथा देखभाल करनी चाहिए।


प्रश्न 2. अतिसार रोग के कारणों, लक्षणों एवं बचने के उपायों का वर्णन कीजिए।


अथवा अतिसार रोग से बचाव के उपाए लिखिए।


उत्तरअतिसार (डायरिया)

अतिसार एक संक्रामक रोग है। यह रोग जल तथा भोजन के माध्यम से फैलता है। यह रोग पाचन तन्त्र से सम्बन्धित है। इस रोग का प्रकोप वर्षा ऋतु में अधिक होता है। यह रोग मुख्य रूप से बच्चों में पाया जाता है। यह रोग बड़ों की अपेक्षा बच्चों को प्रभावित करता है।


रोग के कारण


इस रोग की उत्पत्ति प्रायः इशचेरिथिया कोलाई नामक जीवाणु द्वारा होती है। इस रोग के मुख्य कारण इस प्रकार हैं।


1. दूषित जल के सेवन से भी यह रोग हो सकता हैं।


2. इस रोग के संक्रमण में मक्खियों की विशेष भूमिका होती है। मक्खियों द्वारा रोग के जीवाणुओं का संक्रमण फैलता है।


3. वर्षा ऋतु में इस रोग के जीवाणु जल में अधिक पाए जाते हैं। 


4. निरन्तर अपच रहने से भी यह रोग हो सकता है।


5. असमय भोजन ग्रहण करने अर्थात् भोजन में अनियमितता होने पर यह रोग हो सकता है।


अतिसार के लक्षण


अतिसार के लक्षण निम्न है।


1. बच्चों को अतिसार में होने वाले दस्त अत्यधिक पतले तथा प्रायः हरे रंग के होते हैं।


2. दस्त अधिक आने पर कभी-कभी दस्त के साथ रक्त भी आता है। दस्तों की संख्या 25-30 तक हो सकती है।

3. रोगी को हल्का-सा ज्वर भी रहता है। 


4. दस्त न रुकने की स्थिति में रोगी के शरीर में जल की कमी भी हो सकती है।


अतिसार से बचाव के उपाय


अतिसार नामक संक्रामक रोग से बचने तथा रोग हो जाने की स्थिति में आवश्यक देखभाल व उपायों की जरूरत पड़ती है, जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नवत् है


1. तुरन्त चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।


2. रोगी को पूर्ण विश्राम करना चाहिए।


3. जल को उबालकर पीना चाहिए।


4. वर्षा ऋतु में जल के संक्रमण की बहुत आशंका रहती है। अतः विशेषकर वर्षा ऋतु में जल को उबालकर पीना चाहिए।


5. बोतल से दूध पीने वाले बच्चों की बोतल समय-समय पर अच्छी तरह साफ करते रहना चाहिए।


6. भोज्य पदार्थों को मक्खियों से बचाने के लिए ढककर रखना चाहिए। 


7. रोगी को खाने में सोडा वाटर, मट्ठा तथा नमक एवं शक्कर का घोल आदि तरल पदार्थ देते रहना चाहिए।


प्रश्न 3. पेचिश रोग के कारण एवं लक्षण स्पष्ट कीजिए। 

अथवा पेचिश नामक रोग के फैलने के कारणों, लक्षणों, उपचार एवं रोग से बचने के उपायों का वर्णन कीजिए। 

उत्तर –  पेचिश जल के माध्यम से संक्रमित होने वाला एक रोग है। इस रोग में व्यक्ति को बार-बार दस्त होते हैं तथा दस्त के साथ आँव या श्लेष्म भी आता है।


यह रोग जीवाणुओं एवं प्रजीवाणुओं (प्रोटोजोन्स) दोनों से उत्पन्न होता है। जीवाणु बैसिलस द्वारा होने वाली पेचिश को बैसिलरी पेचिश तथा प्रजीवाणु (एण्ट-अमीबा हिस्टोलिटिका) द्वारा होने वाली पेचिश को 'अमीबियोसिस' कहते हैं।


रोग के कारण


इस रोग के फैलने के मुख्य कारण निम्नलिखित है 


1. यह रोग जल संवहित है। दूषित जल (नदी, कुआँ, तालाब) में प्रायः जीवाणु व प्रजीवाणु दोनों पाए जाते हैं। 


2. मक्खियाँ इस रोग के वाहक का कार्य करती हैं तथा पेयजल एवं खाद्य पदार्थों

तक रोगाणुओं को पहुँचाती हैं।


 3. रोगी व्यक्ति के मल-मूत्र व अन्य प्रकार की गन्दगी इस रोग को व्यापक स्तर पर फैलाने में पर्याप्त योगदान देते हैं।


रोग के लक्षण


पेचिश के रोगाणु के संक्रमण के उपरान्त एक या दो दिन में ही रोग के लक्षण प्रकट होने लगते हैं; जैसे-


1. इस रोग की स्थिति में बार-बार दस्त होते हैं।


2. पेट में ऐंठन होती है।


3. शौच के साथ आँव तथा कभी-कभी रक्त का स्राव भी होता है।


4. कभी-कभी दिन में 20-25 बार तक शौच के लिए जाना पड़ता है।


5. रोगी को बहुत अधिक कमजोरी महसूस होती है।


6. कभी-कभी रोगी को 109°F से 104°F तक ज्वर भी हो जाता है।


7. प्रजीवाणु प्रायः आंतों की झिल्ली में घाव कर देते हैं।


रोग से बचाव के उपाय


पेचिश के रोग से बचाव तथा रोग हो जाने की स्थिति में उपचार के निम्नलिखित उपाय है 


1. जल को उबालकर पीना चाहिए तथा भोजन की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।


2. मक्खियों की रोकथाम के लिए खाद्य सामग्री को ढककर रखना चाहिए।


3. रोगी को अन्य व्यक्तियों से पृथक् रखना चाहिए। 


4. रोग संक्रमण की आशंका होने पर गाँव के तालाबों एवं कुओं में लाल दवा डालनी चाहिए।


 5. रोग के लक्षण प्रकट होने पर रोगी को हल्का तथा सुपाच्य भोजन करना चाहिए।


6. रोगी को समुचित औषधि के साथ पूर्ण विश्राम भी करना चाहिए।

FAQ.


Q.होम साइंस में क्या क्या पढ़ना होता है?

Ans.होम साइंस शिक्षा के अन्तर्गत पाक शास्त्र, पोषण, गृह अर्थशास्त्र, उपभोक्ता विज्ञान, बच्चों की परवरिश, मानव विकास,आन्तरिक सज्जा, वस्त्र एवं परिधान, गृह-निर्माण आदि का अध्ययन किया जाता है।


Q.गृह विज्ञान की 5 शाखाएं कौन सी हैं ?

Ans.गृह विज्ञान की निम्न शाखाएं – अन्तर्गत पाक शास्त्र, पोषण, गृह अर्थ शास्त्र, उपभोक्ता विज्ञान, मानव विकास, आंतरिक सज्जा, वस्त्र व परिधान, गृह निर्माण इत्यादि शाखाएं है।


Q.गृह विज्ञान का दूसरा नाम क्या है ?

Ans.अमेरिका में इसे 'गृह अर्थशास्त्र' (Home Economics) तथा इंग्लैण्ड व भारत में इसे 'गृह विज्ञान' (Home Science) के नाम से प्रचलित है। 


Q.गृह विज्ञान के जनक कौन है?

Ans.गृह विज्ञान का जनक जस्टस फ्रीहेर वॉन लीबिग को माना जाता हैं।


Q.गृह विज्ञान की शुरुआत कब हुई थी ?

Ans.भारत में गृह विज्ञान का अध्ययन सर्वप्रथम 1920 से 1940 तक ब्रिटिश काल से शुरू किया गया था। 


Q.गृह विज्ञान का पुराना नाम क्या है ?

Ans. गृह विज्ञान के पुराने कई नाम प्रचलित थे जैसे गृह शिल्प या घरेलू अर्थशास्त्र


Q.भारत में विज्ञान का जनक कौन है?

Ans. भारत में विज्ञान के  जनक सर जगदीश चंद्र बोस (1858 - 1937) माना जाता हैं 


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