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Class 10th home science chapter 4th जल स्त्रोत तथा उनके उपयोग ncert notes in hindi

 Class 10th home science chapter 4th जल स्त्रोत तथा उनके उपयोग ncert notes in hindi

जल स्त्रोत तथा उनके उपयोग कक्षा 10वी गृह विज्ञान नोट्स यूपी बोर्ड 

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         खण्ड ख : स्वास्थ्य रक्षा


04 जल स्त्रोत तथा उनके उपयोग


नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेब साइट subhanshclasses.com पर यदि आप गूगल पर class 10th home science ncert pdf notes in hindi सर्च कर रहे हैं तो आप बिलकुल सही जगह पर आ गए हैं हम आपको अपनी इस पोस्ट में कक्षा 10वी गृह विज्ञान नोट्स के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले है इसलिए आप पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें।

[ Short Introduction ]


जल

जल मनुष्य के जीवन का अनिवार्य तत्त्व है, जिसके बिना जीवन सम्भव नहीं है। सम्पूर्ण पृथ्वी के 3/4 भाग पर जल विद्यमान है। मानव के शरीर में जल की मात्रा 70-75% तक होती है, जो आयु के अनुसार घटती-बढ़ती रहती है।


जल का संघटन

जल एक यौगिक है, जिसका गठन दो तत्त्वों-हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन से मिलकर हुआ है। सर्वप्रथम जल के वैज्ञानिक विश्लेषण का कार्य इंग्लैण्ड के वैज्ञानिक कैवेण्डिश ने किया। जल का रासायनिक सूत्र H₂O है। जल में हाइड्रोजन के दो तथा ऑक्सीजन का एक अणु विद्यमान रहता है। जल भौतिक तथा शुद्ध रूप में स्वादरहित, गन्धरहित तथा रंगहीन द्रव होता है।


जल की उपयोगिता

मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जल आवश्यक तत्त्व है। मनुष्य को प्रतिदिन 5 लीटर जल की आवश्यकता होती है। जल के अभाव में प्राणी तथा वनस्पति-जगत का जीवन सम्भव नहीं है। जल मानवीय जीवन के विभिन्न क्रियाकलापों तथा दैनिक गतिविधियों के लिए अति आवश्यक है।


जल प्राप्ति के स्रोत

जल प्राप्ति के प्रमुख स्रोत वर्षा, समुद्र, नदियों, तालाब, झीलें, झरने एवं सोते और कुएँ हैं।


वर्षा


1• जल का एक व्यापक स्रोत वर्षा है। 

2.वर्षा का जल शुद्ध एवं मृदु होता है।

3.वर्षा का जल ही नदियों, तालाबों, झीलों एवं भूमिगत जल के रूप में उपलब्ध होता है।

4.सिंचाई हेतु वर्षा का जल उपयोगी होता है।


समुद्र


1.समुद्र जल का विशालतम भण्डार है।

2.पृथ्वी का लगभग दो-तिहाई भाग समुद्रीय जल से आच्छादित है।

3. समुद्र का जल लवणीय (खारा) होने के कारण प्रत्यक्षतः उपयोगी नहीं होता। 

4• समुद्र जल के वाष्पीकरण से वर्षा के रूप में उपयोगी जल प्राप्त होता है।


नदियाँ

1.वर्षा का जल तथा पहाड़ों पर विद्यमान बर्फ नदियों के जल का स्रोत है।

2.नदियों का जल शुद्ध एवं मृदु होता है।

3.नदियों का जल पीने एवं सिंचाई कार्यों के लिए उपयुक्त है। 

4• जल की आसान उपलब्धता के कारण अधिकांश नगर नदियों के किनारे बसे हैं।


तालाब

1• तालाब जल के स्थिर स्रोत हैं।

2.तालाबों में वर्षा का जल ही संगृहीत होता है।

3• तालाब दो प्रकार के होते हैं-कच्चे एवं पक्के


झीलें

1.झीलें, प्राकृतिक रूप में जल के स्थिर भण्डार हैं।

2.झील का पानी शुद्ध करके ग्रहण किया जा सकता है। 3• कुछ क्षेत्रों में झील का पानी सिंचाई के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है।


झरने एवं सोते

1.इनके माध्यम से शुद्ध एवं प्राकृतिक जल की प्राप्ति होती है।

2• इनका जल विशिष्ट औषधीय गुणों से युक्त हो सकता है।

3.भूमिगत जल कुछ क्षेत्रों में सतह को भेदकर बड़ी तेजी से बाहर निकलता है, उसे सोता कहते हैं। 

4.सोतों का जल मीठा व खारा दोनों प्रकार का हो सकता है।


कुएँ


1.भूमिगत जल को प्राप्त करने के लिए कुएँ खोदे जाते हैं।

2.कुएँ तीन प्रकार के होते हैं-उथले कुएँ, गहरे कुएँ तथा पातालतोड़ कुएँ। 

3.पातालतोड़ कुएँ मुख्य रूप से पठारी एवं पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाने वाले कुएँ होते हैं। इन कुँओं के निर्माण के लिए डायनामाइट का प्रयोग किया जाता है।

4• एक आदर्श कुआँ खोदने के लिए साफ एवं ऊँचे स्थान का चयन करना चाहिए

जहाँ भूमिगत जल का स्तर ऊपर हो। ये स्थान नाले या खड्डे से दूर होने चाहिए।


5.कुँओं का जल भी शुद्ध होता है, परन्तु कुछ बाह्य अथवा आन्तरिक कारणों से प्रदूषित हो जाता है। 

6.कुओं का जल शुद्ध करने के लिए पोटैशियम परमैंगनेट का प्रयोग किया जा सकता है।


शरीर एवं स्वास्थ्य के लिए जल का उपयोग / कार्य 


1.पेयजल के रूप में महत्त्वपूर्ण

2. शरीर की कोशिका निर्माण में योगदान

3• रक्त संगठन का प्रमुख भाग (रक्त को तरलता प्रदान करता है)

4.सुचारु पाचन क्रिया के लिए आवश्यक शारीरिक क्रिया संचालन हेतु महत्त्वपूर्ण

5.शारीरिक तापक्रम नियमन हेतु आवश्यक

6.शरीर की त्वचा की सुन्दरता हेतु आवश्यक

7.शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्त्वपूर्ण

8• शारीरिक सफाई एवं स्वच्छता हेतु महत्त्वपूर्ण

9.शरीर में उत्पन्न हानिकारक तत्त्वों के उत्सर्जन में सहायक


घरेलू स्तर पर जल नष्ट होने से बचाव के उपाय

1.मोटर वाहनों को गीले कपड़े से साफ करें। 

2.फर्श धोने की जगह पोछा लगाएँ।

3.केवल आवश्यकता होने पर ही नल खोलें, व्यर्थ पानी न बहने दें।


महत्त्वपूर्ण बिन्दु


1• त्वचा रोगियों के लिए गन्धकयुक्त जल बहुत लाभकारी होता है।

2. शरीर में जल की आवश्यक मात्रा का घट जाना निर्जलीकरण कहलाता है।

3. विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है।


[ बहुविकल्पीय प्रश्न Objective Questions ]


प्रश्न 1. पृथ्वी का कितना भाग जलीय है?


(a) 4/3


(b) 4/2


 (c) 3/4


(d) ⅔


उत्तर (b) 3/4


प्रश्न 2. मानव शरीर में जल का प्रतिशत है


अथवा हमारे शरीर में जल का भाग है


(a) 100% 


(b) 70 से 75%


(c) 80 से 20%


(d) 50 से 60%


उत्तर (b) 70 से 75%


प्रश्न 3. जल क्या है?


(a) मिश्रण 


(c) तत्त्व


(b) यौगिक


(d) ये सभी


उत्तर (b) यौगिक


प्रश्न 4. एक यौगिक के रूप में जल के वैज्ञानिक विश्लेषण का कार्य सर्वप्रथम किस वैज्ञानिक ने किया?


(a) न्यूटन 


(b) कैवेण्डिश


(c) फ्यूरी


(d) जॉन विक


उत्तर (b) कैवेण्डिश


प्रश्न 5. H₂O का तात्पर्य क्या है?


(a) विद्युत 


(b) पानी


(c) हवा


(d) आग


उत्तर (b) पानी


प्रश्न 6. जल का रासायनिक सूत्र है


(a) HO


(b) HO₂


(c) H₂O


(d) H₂O₂


उत्तर (c) H₂O


प्रश्न 7. मनुष्य को प्रतिदिन जल की आवश्यकता होती है।


(a) 5 लीटर


(b) 4 लीटर


 (c) 3 लीटर


(d) 2 लीटर 


उत्तर (a) 5 लीटर


प्रश्न 8. आवश्यकतानुसार जल ग्रहण करने से शरीर का तापमान


(a) बढ़ जाता है 


(b) घट जाता है। 


(c) नियमित रहता है।


(d) अप्रभावित रहता है


उत्तर (c) नियमित रहता है।


प्रश्न 9.जल प्राप्ति के मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं? 


(a) नदियाँ


(b) समुद्र


(c) वर्षा


(d) ये सभी


उत्तर (d) ये सभी 


प्रश्न 10.जल प्राप्ति का स्थिर स्रोत है 


(a) नदियाँ 


(b) तालाब


(c) झरना


(d) ये सभी


उत्तर (b) तालाब


प्रश्न 11. मनुष्य द्वारा बनाई जाने वाली झील होती है 


(a) प्राकृतिक झील


 (b) गहरी झील


(c) कृत्रिम झील


(d) ये सभी


उत्तर (c) कृत्रिम झील


प्रश्न 12.किस प्रकार का कुँआ अच्छा माना जाता है?


(a) कच्चा तथा उथला कुँआ


(b) गहरा एवं पक्का कुँआ


(C) पातालतोड़ कुंआ


 (d) नलकूप


उत्तर (b) गहरा एवं पक्का कुंआ


प्रश्न 13. पातालतोड कुँआ बनाने में प्रयुक्त होता है।


(a) कुल्हाडी 


(b) डायनामाइट 


(c) रेती


(d) रहट


उत्तर (b) डायनामाइट


प्रश्न 14. कुंओं का जल शुद्ध करने के लिए किसका प्रयोग किया जाता है?


(a) गन्धक


(b) पोटैशियम परमैंगनेट 


 (c) सोडियम


(d) कॉपर सल्फेट


उत्तर (b) पोटैशियम परमैंगनेट


[ अतिलघु उत्तरीय प्रश्न Short Question ]


प्रश्न 1. जल का संघटन एवं रासायनिक सूत्र बताइए।

 अथवा जल से आप क्या समझते हैं?

उत्तर – जल एक यौगिक है, जिसका संगठन दो तत्त्वों हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन द्वारा हुआ है। जल का रासायनिक सूत्र H₂O है। जल में हाइड्रोजन के दो तथा ऑक्सीजन का एक भाग विद्यमान रहता है। शुद्ध जल प्रायः रंगहीन, गन्धहीन एवं स्वादहीन होता है।


प्रश्न 2. जल की उपयोगिता बताइए।

अथवा हमारे लिए जल क्यों उपयोगी है?

 अथवा जल मनुष्य के लिए क्यों उपयोगी है?


उत्तर – मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जल आवश्यक तत्त्व है। मनुष्य को प्रतिदिन 5ली जल की आवश्यकता होती है। जल के अभाव में प्राणी तथा वनस्पति जगत का जीवन सम्भव नहीं है। जल मानवीय जीवन के विभिन्न क्रियाकलापों तथा दैनिक गतिविधियों के लिए अति आवश्यक है।


प्रश्न 3. जल प्राप्ति के साधनों के नाम लिखिए।

अथवा जल प्राप्ति के मुख्य स्रोत कौन कौन से हैं? अथवा प्राकृतिक जल के विभिन्न स्रोत लिखिए। 

उत्तर – प्राकृतिक जल के विभिन्न स्रोत निम्नलिखित हैं- 1. वर्षा 2. समुद्र 3 नदियाँ 4. तालाब 5. झीलें 6. झरने एवं सोते।


प्रश्न 4. कुएँ कितने प्रकार के होते हैं?


उत्तर – कुएँ तीन प्रकार के होते हैं।


1. उथले कुएं 2. पातालतोड़ कुएँ 3. गहरे कुएँ


प्रश्न 5. एक आदर्श कुआँ खोदने के लिए किस स्थान का चुनाव उपयुक्त होगा?

उत्तर – एक आदर्श कुआँ खोदने के लिए साफ एवं ऊँचे स्थान का चयन करना चाहिए, जहाँ भूमिगत जल का स्तर ऊपर हो। ये स्थान नाले या खड्डे से दूर होने चाहिए।


प्रश्न 6. घरेलू स्तर पर अधिक जल नष्ट (अपव्यय) होने से बचाने के दो उपाय लिखिए।

उत्तर –घरेलू स्तर पर अधिक जल नष्ट होने से बचाने के उपाय निम्नलिखित हैं। 

1. कार, मोटरसाइकिल आदि को गीले कपड़े से साफ करें।


2. केवल आवश्यकता होने पर ही नल खोलें, व्यर्थ पानी न बहने दें।


3. फर्श धोने की जगह पोछा लगाएँ।


प्रश्न 7. गन्धकयुक्त जल किसके लिए लाभकारी होता है?

उत्तर – त्वचा रोगियों के लिए गन्धकयुक्त जल बहुत लाभकारी होता है।


प्रश्न 8. विश्व जल दिवस कब मनाया जाता है? 

उत्तर – विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है।


[ लघु उत्तरीय प्रश्न Question Answers ]


प्रश्न 1. वर्षा के जल की क्या विशेषताएँ हैं?

उत्तर – वर्षा का जल, जल का एक व्यापक स्रोत है। पृथ्वी पर उपलब्ध जल स्रोतों का मुख्य आधार वर्षा का जल ही है। वर्षा के जल की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं


 1. वर्षा के माध्यम से पृथ्वी को जल की बहुत अधिक मात्रा प्राप्त होती है।


 2. भूतल पर विद्यमान जल स्रोतों (समुद्र, नदी, हिम, झील, झरने, तालाब आदि) का जल वाष्पीकृत होकर आकाश में पहुँचता है। यही वाष्प संघनित होकर वर्षां जल के रूप में पृथ्वी पर गिरती है।

3. भूमिगत जल स्रोतों को पुनः सम्भरित करने (भरने) में वर्षा का जल मुख्य भूमिका निभाता है।


4. वर्षा का जल पूर्णरूप से शुद्ध होता है, क्योंकि वाष्प द्वारा जल की अशुद्धियाँ जल स्रोत में ही रह जाती हैं।


5. वर्षा का जल तालाबों, झीलों आदि के जल का महत्त्वपूर्ण स्रोत है। वर्षा के जल को एकत्र कर कृत्रिम तालाब आदि बनाए जा सकते हैं।


6. कृषि कार्य में सिंचाई हेतु वर्षा का जल बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


7. वर्षा का जल मृदु होता है। यह खाना पकाने, वस्त्र धोने, स्नान करने आदि के काम आता है।


प्रश्न 2. नदियों के जल की क्या विशेषताएँ हैं? 

उत्तर – नदियों के जल की निम्नलिखित विशेषताएं हैं


1. पृथ्वी पर विद्यमान पेयजल स्रोतों में नदियों के जल की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।


2. नदियों के जल का मुख्य स्रोत वर्षा का जल तथा पहाड़ों पर विद्यमान बर्फ के पिघलने से उपलब्ध जल है। 


3. जल की आसान उपलब्धता के कारण अधिकांश नगर नदियों के किनारे बसे हैं।


4. नदियों का जल कृषि सिंचाई में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


5. नदियों का जल हल्का और शुद्ध होता है।


6. नदियों के जल में समुद्री जल के समान लवणों का मिश्रण नहीं होता। 


प्रश्न 3. तालाब का जल कैसे अशुद्ध होता है? उन्हें रोकने के उपाय लिखिए। 

अथवा तालाब के जल के विषय में लिखिए। आप तालाब के जल को दूषित होने से कैसे बचाएँगे? 


 उत्तर – तालाबों में मुख्यतः वर्षा का जल ही एकत्र होता है। यद्यपि वर्षा का जल एक सीमा तक शुद्ध होता है, किन्तु तालाबों में एकत्र होने के उपरान्त क्रमश: दूषित होने लगता है। तालाबों का जल विभिन्न माध्यमों से दूषित हो सकता है।


बाहरी कूड़ा-करकट, धूल-मिट्टी, घास पत्ते आदि हवा से उड़कर खुले तालाबों में गिरते है। ये पदार्थ धीरे-धीरे जल में सड़ते रहते हैं, जिसके कारण जल दूषित

होता रहता है। विभिन्न मानवीय क्रियाओं जैसे स्नान, थूकना, कपड़े धोना आदि से भी तालाब का जल दूषित हो जाता है। उल्लेखनीय है कि तालाब जल का एक

स्थिर स्रोत है। अतः यह बहते हुए जल की तुलना में अधिक दूषित होता है। इसमें काई, जीवाणु तथा अन्य जैविक कारक अधिक सक्रिय होते हैं।


तालाब के जल को दूषित होने से बचाने के उपाय

तालाब के जल को दूषित होने से बचाने के उपाय निम्नलिखित हैं। 

1. यथासम्भव पक्के तालाब बनवाएँ जाने चाहिए।


2. बाहरी गन्दगी से बचाव के लिए तालाब के चारों ओर पक्की एवं पर्याप्त ऊँची मुँडेर बनवानी चाहिए।


 3. पशुओं द्वारा जल दूषित होने से बचाने के लिए तालाब के चारों ओर काँटेदार तार लगवा देने चाहिए।


4. समय-समय पर तालाब की सफाई की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।


 5. जल में उगने वाले पौधों एवं घास को समय-समय पर उखाड़ते रहना चाहिए।


प्रश्न 4. आदर्श कुआँ किसे कहते हैं? इसकी विशेषताएँ भी बताइए।


अथवा आदर्श कुएँ की चार विशेषताएँ लिखिए। उत्तर – आदर्श कुआँ वह कुआँ कहलाता है, जो साफ व ऊँचे स्थान पर स्थित हो तथा उसका पानी स्वच्छ एवं मीठा हो। यह कुएँ सामान्य कुँओं से गहरे होते हैं। गहरे कुंओं का जल शुद्ध एवं स्वच्छ होता है। यदि गहरे कुएं को व्यवस्थित ढंग से बनाया जाए तथा उसका समुचित रख-रखाव किया जाए, तो उस कुएं को आदर्श कुआँ माना जाता है। आदर्श कुओं में भूमिगत जल का स्तर ऊपर होता है। आदर्श कुएं की विशेषताएं निम्नलिखित है


1. आदर्श कुओं की मुँडेर ऊँची होनी चाहिए तथा आस-पास ईंटों का पक्का फर्श भी होना चाहिए।


2. आदर्श कुआँ उसी भूमि में खोदना चाहिए, जहाँ की मिट्टी सामान्य हो। सामान्य से अधिक लवण या क्षार विद्यमान होने की स्थिति में कुएँ से अच्छा पानी प्राप्त नहीं हो सकता।


3. आदर्श कुएँ के ऊपर छतरीनुमा शेड होनी चाहिए, ताकि ऊपर से उड़कर कूड़ा-करकट कुएँ में न गिरे।


4. आदर्श कुएँ से जल प्राप्त करने के लिए साफ बर्तन का प्रयोग करना चाहिए।


 प्रश्न 5. शरीर के लिए जल क्यों उपयोगी है?

अथवा जल का मानव शरीर में क्या महत्त्व है?

अथवा मानव स्वास्थ्य के लिए जल का महत्त्व लिखिए।


उत्तर – शरीर के लिए जल की निम्न उपयोगिताएं है?


1. प्यास एक मूलभूत शारीरिक आवश्यकता है, जिसकी तृप्ति केवल जल द्वारा ही हो सकती है।


2. सुचारु पाचन क्रिया के लिए जल उपयोगी कारक है।


3. शरीर के तापक्रम के नियमन में जल की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। 


4. जल द्वारा रक्त को तरलता प्राप्त होती है।


5. शरीर की त्वचा की सुन्दरता एवं बाहरी स्वच्छता के लिए जल उपयोगी है।


प्रश्न 6. जल के कार्य लिखिए।

 उत्तर – जल के कार्य निम्नलिखित हैं।


1. घरेलू कार्य में विभिन्न घरेलू कार्य जैसे खाना पकाने कपड़े धोना, पर की साफ-सफाई व स्नान के लिए जल आवश्यक होता है।


2. औद्योगिक कार्यों में लौह इस्पात, कागज, वस्त्र आदि उद्योग में जल की उपयोगिता अपरिहार्य है। 


3. कृषि कार्य में विभिन्न फसलों एवं फल-सब्जियों के उत्पादन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


4. व्यवसाय में विभिन्न व्यवसाय; जैसे- अस्पताल, डेयरी, लॉण्ड्री एवं होटल आदि में भी जल का प्रयोग होता है।


5. जनहित कार्यों में शहर की स्वच्छता, अग्निशमन सेवाओं आदि क्षेत्रों में जल की आवश्यकता होती है।


6. शारीरिक कार्यों में सुचारु पाचन, शरीर के तापक्रम को सन्तुलित रखने के साथ विभिन्न बीमारियों में जल का महत्त्व सर्वव्यापी है।


    [ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न Long Question ]


प्रश्न 1. जल प्राप्ति के मुख्य स्रोतों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर – हमारी पृथ्वी का अधिकांश हिस्सा जल से आच्छादित है। जल मनुष्य, जीव-जन्तु, पेड़-पौधों आदि सभी के लिए जीवन का आधार है। जल प्राप्ति के मुख्य स्रोत वर्षा, समुद्र, नदियों, तालाब, झीलें, झरने, कुएं आदि है।


जल प्राप्ति के स्रोत


जल प्राप्ति के स्रोतों का संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित है


1. समुद्र

हमारे भूमण्डल के लगभग दो-तिहाई भाग पर जल तथा एक-तिहाई भाग पर स्थल है। आकार तथा मात्रा दोनों ही दृष्टियों से समुद्र ही जल का सबसे बड़ा स्रोत है। समुद्र का जल वाष्प में परिवर्तित होकर बादल का रूप ग्रहण कर पृथ्वी पर वर्षा करता है। वर्षा का जल ही नदियों, तालाबों तथा झीलों आदि के रूप में पृथ्वी पर उपलब्ध होता है। समुद्री जल हमारे लिए विशेष उपयोगी नहीं होता क्योंकि यह खारा होता है। यह जल पीने तथा सिंचाई के काम में नहीं लाया जा सकता।


2. वर्षा

वर्षा जल का एक व्यापक स्रोत है। वर्षा के माध्यम से ही पृथ्वी को जल  की बहुतअधिक मात्रा प्राप्त होती है। वर्षा का जल पूर्णरूप से शुद्ध होता है। वर्षा का जल नदियों, तालाबों, झीलों आदि के जल का महत्वपूर्ण स्रोत है। कृषि कार्य में हेतु यह बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


3. धरातलीय जल

इस प्रकार के जल प्राप्ति के स्रोत नदियों, झीले तालाब इत्यादि हैं। इन सभी श्रोतो की अपनी अलग-अलग विशेषताएँ एवं उपयोग है, जिनका वर्णन निम्नलिखित है

(i)नदियाँ पेयजल हेतु उपलब्ध स्रोतों में नदियों का जल विशेष महत्त्व रखता है। दिये के जल का प्रमुख स्रोत पहाड़ों की पिघली बर्फ तथा वर्षा का जल है। मानव सभ्यता के आदिकाल से ही मनुष्यों ने अपने स्थायी आवास नदियों के तटों के निकट स्थापित किए हैं। मैदानी भागों में अधिकांश नगर नदियों के किनारे ही बसे हुए हैं।


(ii) तालाब जल के स्थिर स्रोतों में तालाब प्रमुख हैं। ये भिन्न-भिन्न आकार तथा प्रकार के हो सकते हैं। तालाब का तल गहरा होने के कारण जल उसमें एकत्र होकर स्थिरता है। तालाबों में वर्षा का जल संगृहीत होता है। हमारे देश के अनेक क्षेत्रों में तालाबों के जल से ही मनुष्य अपनी तथा कृषि एवं पशुओं की जल सम्बन्धी समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। दक्षिण भारत में कुछ क्षेत्रों में बहुत बड़े-बड़े तालाब है।


(iii) झीलें यह जल प्राप्ति का एक अन्य स्थिर स्रोत है। तालाब सामान्य रूप से मनुष्य द्वारा बनाए जाते हैं, जबकि झील प्रकृति की देन होती है। झोल आस-पास के क्षेत्र से अधिक गहरे तथा चारों ओर प्राकृतिक कारकों (चट्टानों, पहाड़ियों आदि) द्वारा घिरे क्षेत्र को कहते हैं। झीलों में वर्षा के जल के अतिरिक्त निकटवर्ती किसी झरने अथवा सोते का जल एकत्र हो सकता है। पहाड़ी क्षेत्रों में तथा घाटियों में झीलें अधिक होती हैं।


(iv) झरने एवं सोते झरने एवं सोते जल के प्रकृति प्रदत्त स्रोत हैं। भूमिगत जल कुछ क्षेत्रों में किन्हीं कारणों से पृथ्वी की सतह को भेदकर बड़ी तेजी से निकलने लगता है। इस प्रकार के जल स्रोत को ही सोता कहा जाता है। कुछ सोतों का जल मीठा, खारा तथा कुछ का भिन्न स्वाद वाला होता है।


4. भूमिगत जल

वर्षा के जल का एक बड़ा भाग भूमि द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है तथा शेष भाग बहकर नदियों के माध्यम से समुद्र में पहुंचता है। भूमि द्वारा अवशोषित जल भूमि की आकर्षण शक्ति के कारण नीचे की ओर खिसकता रहता है। मार्ग में अभेद्य चट्टान आ जाने के कारण यह एकत्रित होकर भूमिगत जल स्तर का निर्माण करता है। भूमिगत जल स्तर तक भूमि को भेदकर कुओं, घरेलू नल, जेट पम्प आदि के माध्यम से यह जल प्राप्त किया जाता है।


(i) कुएँ

कुएँ निम्नलिखित प्रकार के होते हैं।


(a) उथले कुएँ भूमि की प्रथम अप्रवेश्य स्तर तक खुदाई करके इन कुओं का निर्माण किया जाता है। इनकी गहराई लगभग 30 फीट होती है। भूमि में उपस्थित लवणों के कारण उथले कुओं का जल प्रायः कठोर होता है।


(b) गहरे कुएँ गहरे कुओं को गहराई लगभग 100 फीट तक होती है। इनका जल मृदु तथा अशुद्धियों से मुक्त होता है। इन कुओं से लगभग सभी ऋतुओं में जल

प्राप्त किया जाता है।


(c) आटजन कुएं या पातालतोड़ कुएँ मुख्य रूप से पठारी एवं पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाने वाले कुओं को पातालतोड़ कुएँ कहते हैं। इन कुओं को खोदने के लिए डायनामाइट या बारूद का प्रयोग करना पड़ता है।


(ii) नलकूप

भूमिगत जल को प्राप्त करने के लिए भूमि में जलस्तर की गहराई तक छेद कर लोहे का पाइप डाल दिया जाता है। इस जल को ऊपर खींचने के लिए विद्युत मशीन का प्रयोग किया जाता है। नलकूपों का प्रयोग सिंचाई एवं पेयजल हेतु किया जाता है।


 प्रश्न 2. जल प्राप्ति के स्रोत कौन-कौन से हैं? जल प्रदूषण के कारण बताइए।

उत्तर – हमारी पृथ्वी का अधिकांश हिस्सा जल से आच्छादित है। जल मनुष्य, जीव-जन्तु, पेड़-पौधों आदि सभी के लिए जीवन का आधार है। जल प्राप्ति के मुख्य स्रोत वर्षा, समुद्र, नदियों, तालाब, झीलें, झरने, कुएं आदि है।


जल प्राप्ति के स्रोत


जल प्राप्ति के स्रोतों का संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित है


1. समुद्र

हमारे भूमण्डल के लगभग दो-तिहाई भाग पर जल तथा एक-तिहाई भाग पर स्थल है। आकार तथा मात्रा दोनों ही दृष्टियों से समुद्र ही जल का सबसे बड़ा स्रोत है। समुद्र का जल वाष्प में परिवर्तित होकर बादल का रूप ग्रहण कर पृथ्वी पर वर्षा करता है। वर्षा का जल ही नदियों, तालाबों तथा झीलों आदि के रूप में पृथ्वी पर उपलब्ध होता है। समुद्री जल हमारे लिए विशेष उपयोगी नहीं होता क्योंकि यह खारा होता है। यह जल पीने तथा सिंचाई के काम में नहीं लाया जा सकता।


2. वर्षा

वर्षा जल का एक व्यापक स्रोत है। वर्षा के माध्यम से ही पृथ्वी को जल  की बहुतअधिक मात्रा प्राप्त होती है। वर्षा का जल पूर्णरूप से शुद्ध होता है। वर्षा का जल नदियों, तालाबों, झीलों आदि के जल का महत्वपूर्ण स्रोत है। कृषि कार्य में हेतु यह बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


3. धरातलीय जल

इस प्रकार के जल प्राप्ति के स्रोत नदियों, झीले तालाब इत्यादि हैं। इन सभी श्रोतो की अपनी अलग-अलग विशेषताएँ एवं उपयोग है, जिनका वर्णन निम्नलिखित है

(i)नदियाँ पेयजल हेतु उपलब्ध स्रोतों में नदियों का जल विशेष महत्त्व रखता है। दिये के जल का प्रमुख स्रोत पहाड़ों की पिघली बर्फ तथा वर्षा का जल है। मानव सभ्यता के आदिकाल से ही मनुष्यों ने अपने स्थायी आवास नदियों के तटों के निकट स्थापित किए हैं। मैदानी भागों में अधिकांश नगर नदियों के किनारे ही बसे हुए हैं।


(ii) तालाब जल के स्थिर स्रोतों में तालाब प्रमुख हैं। ये भिन्न-भिन्न आकार तथा प्रकार के हो सकते हैं। तालाब का तल गहरा होने के कारण जल उसमें एकत्र होकर स्थिरता है। तालाबों में वर्षा का जल संगृहीत होता है। हमारे देश के अनेक क्षेत्रों में तालाबों के जल से ही मनुष्य अपनी तथा कृषि एवं पशुओं की जल सम्बन्धी समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। दक्षिण भारत में कुछ क्षेत्रों में बहुत बड़े-बड़े तालाब है।


(iii) झीलें यह जल प्राप्ति का एक अन्य स्थिर स्रोत है। तालाब सामान्य रूप से मनुष्य द्वारा बनाए जाते हैं, जबकि झील प्रकृति की देन होती है। झोल आस-पास के क्षेत्र से अधिक गहरे तथा चारों ओर प्राकृतिक कारकों (चट्टानों, पहाड़ियों आदि) द्वारा घिरे क्षेत्र को कहते हैं। झीलों में वर्षा के जल के अतिरिक्त निकटवर्ती किसी झरने अथवा सोते का जल एकत्र हो सकता है। पहाड़ी क्षेत्रों में तथा घाटियों में झीलें अधिक होती हैं।


(iv) झरने एवं सोते झरने एवं सोते जल के प्रकृति प्रदत्त स्रोत हैं। भूमिगत जल कुछ क्षेत्रों में किन्हीं कारणों से पृथ्वी की सतह को भेदकर बड़ी तेजी से निकलने लगता है। इस प्रकार के जल स्रोत को ही सोता कहा जाता है। कुछ सोतों का जल मीठा, खारा तथा कुछ का भिन्न स्वाद वाला होता है।


4. भूमिगत जल

वर्षा के जल का एक बड़ा भाग भूमि द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है तथा शेष भाग बहकर नदियों के माध्यम से समुद्र में पहुंचता है। भूमि द्वारा अवशोषित जल भूमि की आकर्षण शक्ति के कारण नीचे की ओर खिसकता रहता है। मार्ग में अभेद्य चट्टान आ जाने के कारण यह एकत्रित होकर भूमिगत जल स्तर का निर्माण करता है। भूमिगत जल स्तर तक भूमि को भेदकर कुओं, घरेलू नल, जेट पम्प आदि के माध्यम से यह जल प्राप्त किया जाता है।


(i) कुएँ

कुएँ निम्नलिखित प्रकार के होते हैं।


(a) उथले कुएँ भूमि की प्रथम अप्रवेश्य स्तर तक खुदाई करके इन कुओं का निर्माण किया जाता है। इनकी गहराई लगभग 30 फीट होती है। भूमि में उपस्थित लवणों के कारण उथले कुओं का जल प्रायः कठोर होता है।


(b) गहरे कुएँ गहरे कुओं को गहराई लगभग 100 फीट तक होती है। इनका जल मृदु तथा अशुद्धियों से मुक्त होता है। इन कुओं से लगभग सभी ऋतुओं में जल

प्राप्त किया जाता है।


(c) आटजन कुएं या पातालतोड़ कुएँ मुख्य रूप से पठारी एवं पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाने वाले कुओं को पातालतोड़ कुएँ कहते हैं। इन कुओं को खोदने के लिए डायनामाइट या बारूद का प्रयोग करना पड़ता है।


(ii) नलकूप

भूमिगत जल को प्राप्त करने के लिए भूमि में जलस्तर की गहराई तक छेद कर लोहे का पाइप डाल दिया जाता है। इस जल को ऊपर खींचने के लिए विद्युत मशीन का प्रयोग किया जाता है। नलकूपों का प्रयोग सिंचाई एवं पेयजल हेतु किया जाता है।


            { जल प्रदूषण के प्रमुख कारण }


1. घरेलू अपमार्जक घरों में अनेक ऐसे पदार्थों का दैनिक उपयोग किया जाता है, जिनसे जल प्रदूषित होता है। मक्खी, मच्छर, खटमल, दीमक, चूहे, कॉकरोच आदि छोटे जीवों को नष्ट करने के लिए विभिन्न पदार्थों जैसे- साबुन, सोडा, पेट्रोलियम उत्पाद, फैटी अम्ल, डी.डी.टी. फिनाइल आदि का उपयोग किया जाता है, जो नालियों के द्वारा नदियों, झीलों में प्रवाहित हो जाते हैं, जिससे जल अशुद्ध होता है।


2. घरेलू सीवेज मल-मूत्र, घरेलू गन्दगी तथा साफ-सफाई व कपड़े धोने के उपरान्त बचा जल घरेलू सीवेज होता है। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पन्न घरेलू सीवेज को इनके समीप प्रवाहित होने वाली नदियों में वहा दिया जाता है, जिससे जल अशुद्ध हो जाता है और जल में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।


3. उद्योगों के अपशिष्ट पदार्थ उद्योगों में विभिन्न रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया जाता है, जिनसे अनेक विषैले रासायनिक पदार्थों का उत्सर्जन होता है। इनमें अम्ल, क्षार, सायनाइड, चमड़े एवं कागज उद्योगों से उत्सर्जित पारे के यौगिक, सीसे के यौगिक आदि प्रमुख है। ये सभी पदार्थ जलस्रोतों को अत्यधिक अशुद्ध करते हैं।


4. ईंधन पदार्थों का जल में मिलना ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के ईंधन पदार्थों को जलाया जाता है; जैसे- कोयला, पेट्रोल, डीजल आदि। इनके जलने से उत्पन्न होने वाली विषैली गैसे, राख जल में मिश्रित होकर नदियों, तालाबों एवं भूमिगत जलस्रोतों को अशुद्ध करती हैं।


5. कृषिजन्य प्रदूषण वर्तमान समय में कृषि एवं वानिकी क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की खाद, जैसे-नाइट्रोजन एवं फॉस्फेट के यौगिक तथा कीटनाशक पदार्थ का प्रयोग किया जाता है। जब वर्षा होती है, तो मिट्टी की ऊपरी परत बहकर नदियों, झीलों एवं समुद्र में चली जाती है, जिस कारण जल अशुद्ध हो जाता है। 


6. रेडियोधर्मी पदार्थ नाभिकीय ऊर्जा संयन्त्रों एवं परमाणु परीक्षण से उत्सर्जित रेडियोधर्मी पदार्थ जल को दूषित करते हैं। रेडियोधर्मी पदार्थ जल के विभिन्न स्रोतों, नदियों, समुद्र आदि को अशुद्ध करते हैं।


 7. वायु प्रदूषण का जल प्रदूषण पर प्रभाव वायु प्रदूषण का प्रभाव जल प्रदूषण पर भी पड़ता है। वायु की अशुद्धियां पृथ्वी पर वर्षा जल के साथ आकर जलस्रोतों को प्रभावित करती है, जिससे जल अशुद्ध होता है।


8. शव विसर्जन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मृत व्यक्तियों के शवों एवं उनकी राख को नदियों में प्रवाहित कर दिया जाता है, जिससे जल अशुद्ध एवं दुर्गन्धयुक्त हो जाता है।


9. तेल द्वारा समुद्री प्रदूषण खनिज तेल का परिवहन जहाजों द्वारा किया जाता है। मुख्य रूप से तेलशोधक संस्थान समुद्र के किनारे होते हैं, जिनसे कभी-कभी तेल विसर्जन की घटनाएँ होती है, जिससे समुद्री जल अशुद्ध हो जाता है।

FAQ.


Q.होम साइंस में क्या क्या पढ़ना होता है?

Ans.होम साइंस शिक्षा के अन्तर्गत पाक शास्त्र, पोषण, गृह अर्थशास्त्र, उपभोक्ता विज्ञान, बच्चों की परवरिश, मानव विकास,आन्तरिक सज्जा, वस्त्र एवं परिधान, गृह-निर्माण आदि का अध्ययन किया जाता है।


Q.गृह विज्ञान की 5 शाखाएं कौन सी हैं ?

Ans.गृह विज्ञान की निम्न शाखाएं – अन्तर्गत पाक शास्त्र, पोषण, गृह अर्थ शास्त्र, उपभोक्ता विज्ञान, मानव विकास, आंतरिक सज्जा, वस्त्र व परिधान, गृह निर्माण इत्यादि शाखाएं है।


Q.गृह विज्ञान का दूसरा नाम क्या है ?

Ans.अमेरिका में इसे 'गृह अर्थशास्त्र' (Home Economics) तथा इंग्लैण्ड व भारत में इसे 'गृह विज्ञान' (Home Science) के नाम से प्रचलित है। 


Q.गृह विज्ञान के जनक कौन है?

Ans.गृह विज्ञान का जनक जस्टस फ्रीहेर वॉन लीबिग को माना जाता हैं।


Q.गृह विज्ञान की शुरुआत कब हुई थी ?

Ans.भारत में गृह विज्ञान का अध्ययन सर्वप्रथम 1920 से 1940 तक ब्रिटिश काल से शुरू किया गया था। 


Q.गृह विज्ञान का पुराना नाम क्या है ?

Ans. गृह विज्ञान के पुराने कई नाम प्रचलित थे जैसे गृह शिल्प या घरेलू अर्थशास्त्र


Q.भारत में विज्ञान का जनक कौन है?

Ans. भारत में विज्ञान के  जनक सर जगदीश चंद्र बोस (1858 - 1937) माना जाता हैं 


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