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Class 10th Home Science chapter 6th पर्यावरण तथा जनजीवन पर उसका प्रभाव pdf notes in hindi

 Class 10th Home Science chapter 6th पर्यावरण तथा जनजीवन पर उसका प्रभाव pdf notes in hindi


06 पर्यावरण तथा जनजीवन पर उसका प्रभाव


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             { Short Introduction }



पर्यावरण: अर्थ एवं परिभाषा

'पर्यावरण' दो शब्दों-परि तथा आवरण के योग से बना है। 'परि' शब्द से आशय है। चारों ओर तथा 'आवरण' से आशय है ढका हुआ। इस दृष्टि से पर्यावरण का अर्थ हुआ 'चारों ओर से ढके हुए' या 'घेरे हुए। इस प्रकार मनुष्य को जो कुछ भी चारों ओर से घेरे हुए है, वह उसका पर्यावरण है।


जिंसबर्ट के अनुसार, "पर्यावरण वह सब कुछ है. जो किसी वस्तु को चारों ओर से घेरे हुए है तथा उस पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालता है।"


पर्यावरण के प्रकार

पर्यावरण के व्यवस्थित अध्ययन के लिए इसका वर्गीकरण किया जाना अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि यह एक बहुपक्षीय अवधारणा है। सामान्यतः पर्यावरण के अध्ययन के दृष्टिकोण से उसे तीन भागों में विभाजित किया जाता है


1. प्राकृतिक या भौगोलिक पर्यावरण प्राकृतिक पर्यावरण के अन्तर्गत जलवायु,मौसम, वनस्पति, आकाश, पृथ्वी, वायु, पेड़-पौधों, भौगोलिक दशाओं तथा समस्त जीव-जन्तुओं को सम्मिलित किया जाता है। मनुष्य जीवन पर प्राकृतिक पर्यावरण का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है।


 2. सामाजिक पर्यावरण सामाजिक पर्यावरण के अन्तर्गत परिवार, पड़ोस, रिश्ते-नाते, खेल-साथी, समुदाय, विद्यालय, समाज एवं उसके प्रभावों को सम्मिलित किया जाता है।


3. सांस्कृतिक पर्यावरण सांस्कृतिक पर्यावरण में भौतिक तथा अभौतिक वस्तुओं को सम्मिलित किया जाता है। भौतिक घटक में आवास, औद्योगिक संस्थान, उपयोग के उपकरण एवं वस्तुएँ तथा मशीनें आदि तथा अभौतिक घटक में धर्म, संस्कृति, भाषा, लिपि, कानून एवं प्रथा आदि को सम्मिलित किया जाता है।


पर्यावरण का जनजीवन पर प्रभाव

जनजीवन पर पर्यावरण का मुख्य हानिकारक प्रभाव पर्यावरण प्रदूषण के माध्यम से पड़ता है। अतः पर्यावरण प्रदूषण को नियन्त्रित करके उसके हानिकारक प्रभावों को रोका जा सकता है।


पर्यावरण जनजीवन को दो प्रकार से प्रभावित करता है, जो निम्नलिखित है


जनजीवन पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष प्रभाव


1. जनजीवन पर प्रत्यक्ष प्रभाव जनसंख्या, मकान की बनावट, खान-पान, आवागमन के साधनों, शारीरिक लक्षणों एवं स्वास्थ्य तथा व्यवसाय पर पर्यावरण के प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ते हैं। 


2. जनजीवन पर अप्रत्यक्ष प्रभाव आर्थिक गतिविधियों, प्रजातीय गुणों, राजनीतिक स्थिति, सभ्यता, कला और साहित्य पर पर्यावरण के अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ते हैं।


पर्यावरण प्रदूषण से आशय

"पर्यावरण के किसी एक या सभी भागों का दूषित होना ही पर्यावरण प्रदूषण है।" यहाँ दूषित होने से आशय पर्यावरण के प्रकृति प्रदत्त रूप में इस प्रकार परिवर्तन होना है, जोकि मानव जीवन के लिए प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न करें।


पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण

1.वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा का बढ़ना

2.घरेलू अपमार्जकों का प्रयोग

3.वाहित मल का नदियों में गिरना

4.औद्योगिक अपशिष्ट तथा रासायनिक पदार्थों का विसर्जन

5.स्वचालित वाहन

6.रेडियोधर्मी पदार्थों का प्रदूषण

7. कीटाणुनाशक एवं अपतृणनाशक पदार्थों का अधिक प्रयोग


पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार

वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रकार हैं।


वायु प्रदूषण

कुछ बाहरी कारकों के समावेश से किसी स्थान की वायु में गैसों के प्राकृतिक अनुपात में होने वाले परिवर्तन को वायु प्रदूषण कहा जाता है। इससे श्वसन तन्त्र के विभिन्न रोग हो जाते हैं। वायु प्रदूषण से होने वाले रोग चेचक, तपेदिक, काली खाँसी, खसरा आदि हैं।


वायु प्रदूषण के कारण

 1. दहन कार्बनिक पदार्थों के दहन से कार्बन डाइऑक्साइड एवं कार्बन मोनो ऑक्साइड आदि गैसें उत्सर्जित होकर वायु को दूषित करती हैं।


2. औद्योगिक अपशिष्ट कल कारखाने, पेट्रोल शोधन संयन्त्र आदि भी वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं। 


3. वाहन स्वचालित वाहनों, जैसे- मोटर गाड़ी, ट्रक, बस आदि में डीजल, पेट्रोल के जलने से उत्पन्न अनेक हानिकारक गैसें वायु को प्रदूषित करती हैं।


4. धातुकमी प्रक्रम धातुकर्मी प्रक्रमों से सीसा, क्रोमियम आदि के कण वायु में मिलते हैं।


5. कृषि रसायन रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक वायु को प्रदूषित करते हैं।


 6. रेडियोधर्मी पदार्थ परमाणु विस्फोट एवं परीक्षण रेडियोधर्मी प्रदूषण के सम्भाव्य स्रोत हैं।


7. वनों एवं वृक्षों की अधिक कटाई वृक्ष ऑक्सीजन को विसर्जित कर तथा कार्बन डाइ-ऑक्साइड को सोखकर वातावरण को शुद्ध करते हैं। इनकी अनियमित कटाई से वायु के शुद्ध होने की दर घट जाती है। 


जल प्रदूषण

जल के मुख्य स्रोतों में अशुद्धियों तथा हानिकारक तत्त्वों का समाविष्ट हो जाना ही जल प्रदूषण है।


जल प्रदूषण के कारण 

1.औद्योगिक संस्थानों से विसर्जित अपशिष्ट पदार्थों से जल दूषित होता है।

2.नगरों में सीवेज तथा कूड़े का निस्तारण प्रायः जल स्रोतों में किया जाता है।

3.धार्मिक मान्यताओं के प्रभावस्वरूप शव, अस्थियों आदि का विसर्जन नदियों में होता है।

4.खेतों में प्रयुक्त कीटनाशक उर्वरक जल स्रोतों में विलय होकर उन्हें दूषित करते हैं। घरेलू वाहित मल के रूप में घरों में प्रयुक्त साबुन, शैम्पू तथा अन्य तत्त्व नालियों के माध्यम से जल स्रोतों में मिलते हैं। समुद्री यातायात के दौरान तेल रिसाव, गन्दगी के विसर्जन आदि से जल दूषित होता है। 

5• जल प्रदूषण की रोकथाम के लिए लाल दवा, क्लोरीन एवं ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग किया जाता है।


नोट औद्योगिक अपशिष्टों को जल में मिलने से रोकना, सीवेज ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट, जैव उर्वरक के प्रयोग आदि से जल प्रदूषण का निराकरण सम्भव है।


मृदा प्रदूषण

मिट्टी में पेड़-पौधों के लिए हानिकारक तत्त्वों का समावेश हो जाना ही मृदा प्रदूषण है।


मृदा प्रदूषण के कारण

जल एवं वायु प्रदूषण, औद्योगिक अपशिष्ट का उत्सर्जन, घरेलू अपमार्जक रासायनिक उर्वरक, फफूँदीनाशक, कीटनाशक आदि मृदा प्रदूषण के कारण हैं।


नोट मृदा प्रदूषण का सर्वाधिक प्रतिकूल प्रभाव फसलों पर पड़ता है, जिससे कृषि उत्पादन घटता है। इसके अतिरिक्त प्रदूषित मृदा में उत्पन्न भोज्य पदार्थ ग्रहण करने से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।


ध्वनि प्रदूषण

1.पर्यावरण में अनावश्यक तथा अधिक शोर व्याप्त होना ही ध्वनि प्रदूषण है। ध्वनि तीव्रता की माप करने वाली इकाई को डेसीबल' कहते हैं। 


2.पर्यावरण में 85 सीबल से अधिक तीव्रता वाली ध्वनि का व्याप्त होना ही ध्वनि प्रदूषण है।


ध्वनि प्रदूषण के कारण


1. बादलों की गड़गड़ाहट, बिजली का कड़कना , भूकम्प व ज्वालामुखी से उत्पन्न ध्वनियों आदि प्राकृतिक कारण हैं।


2.औद्योगिक मशीनों का शोर, परिवहन के साधन, सामाजिक क्रियाकलाप, मनोरंजन के साधन आदि कृत्रिम कारण हैं।


3. लाउडस्पीकर, मोटर-हॉर्न, सायरन आदि ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं, जो हमारे कानों को प्रभावित करता है।


अपशिष्ट (कचरा) प्रबन्धन

'कचरा' वर्तमान में एक गम्भीर पर्यावरण समस्या बनता जा रहा है, जिसका सम्बन्ध नवीन प्रौद्योगिकी से है। नई प्रौद्योगिकी से प्राप्त नवीन उपभोक्ता वस्तुओं जैसे-टी. वी.., फ्रिज, मोबाइल, सी.डी., ए.सी. आदि के बेकार होने पर फेंक दिए जाने के कारण कचरे का निर्माण होता है। ई-कचरे से निकलने वाले जहरीले तत्त्व और गैसें मिट्टी व पानी में मिलकर उन्हें बंजर और जहरीला बना देते हैं। पुनः यही तत्त्व फसलों और जल के द्वारा हमारे शरीर में पहुँचकर बिमारियों को जन्म देते हैं।


अपशिष्ट (कचरा) प्रबन्धन के स्रोत

1• कम्प्यूटर मॉनिटर, स्पीकर, प्रिण्टर एवं की-बोर्ड के अपशिष्ट संचार यन्त्रों जैसे मोबाइल तथा लैण्डलाइन फोनों से निकले अपशिष्ट मनोरंजन के लिए प्रयोग किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (जैसे-टी.वी., डी.वी.डी., तथा सी.डी. प्लेयर) से निकले अपशिष्ट ।


2.घरेलू कार्यों में प्रयोग होने वाले उपकरण जैसे वैक्यूम क्लीनर, माइक्रोवेव ओवन, वाशिंग मशीन तथा एयरकण्डिशनर से निकले अपशिष्ट श्रव्य एवं दृश्य साधन जैसे वी. सी. आर. तथा म्यूजिक सिस्टम आदि।


पर्यावरण संरक्षण

जीवों की समस्त जैविक एवं रासायनिक प्रक्रियाओं का संचालन पर्यावरण के माध्यम से ही होता है। अतः पर्यावरण का संरक्षण करना अत्यन्त आवश्यक है। वर्तमान समय में मानव ने अपने कार्यों के द्वारा पर्यावरण को काफी नुकसान पहुँचाया है। यही कारण है कि वर्तमान समय में जलाभाव, मृदाक्षरण, वन विनाश, जल प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण आदि समस्याएँ जटिल रूप धारण करती जा रही हैं। इन्हीं कारणों से वर्तमान समय में पारिस्थितिक असन्तुलन और जलवायु परिवर्तन जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है. इसलिए पर्यावरण संरक्षण वर्तमान परिस्थितियों के कारण अत्यन्त आवश्यक हो गया है।


महत्त्वपूर्ण बिन्दु

1• वृक्षारोपण से वायुमण्डल में सन्तुलन बना रहता है।

2• वायु प्रदूषण नियन्त्रित रहता है।

3• ऑक्सीजन की मात्रा सामान्य बनी रहती है।

4.पेड़-पौधे दिन के समय ऑक्सीजन गैस निकालते हैं तथा रात को कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकालते हैं। ऑक्सीजन द्वारा वातावरण का शुद्धिकरण होता है।

5.विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है। ऐसी व्यवस्था जिसमें शुद्ध वायु का कमरे में प्रवेश और अशुद्ध वायु का निराकरण किया जाता है, संवातन कहलाती है।

6.'अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाता है। 7• 'विश्व शौचालय दिवस' 19 नवम्बर को मनाया जाता है।


    {बहुविकल्पीय प्रश्न Objective Questions}


प्रश्न 1. पर्यावरण कहते हैं।


(a) प्रदूषण को


(b) वातावरण को


(c) पृथ्वी के चारों ओर के वातावरण को 


(d) उपरोक्त में से कोई नहीं


उत्तर (c) पृथ्वी के चारों ओर के वातावरण को


प्रश्न 2. पर्यावरण के प्रकार हैं


(a) प्राकृतिक पर्यावरण 


(b) सांस्कृतिक पर्यावरण


(c) सामाजिक पर्यावरण


(d) ये सभी


उत्तर (d) ये सभी


प्रश्न 3.भौगोलिक पर्यावरण में क्या-क्या शामिल होता है?

(a) वायु


(b) पेड़-पौधे


(c) आकाश


(d) ये सभी


उत्तर (d) ये सभी


प्रश्न 4. भोपाल दुर्घटना किसका उदाहरण है?


(a) वायु प्रदूषण


(b) जल प्रदूषण 


(C) ध्वनि प्रदूषण


(d) मृदा प्रदूषण


उत्तर (a) वायु प्रदूषण


प्रश्न 5. वायु प्रदूषण के कारण हैं।


(a) औद्योगीकरण


(b) वनों की अनियमित कटाई


(c) नगरीकरण


(d) ये सभी


उत्तर (d) ये सभी


प्रश्न 6. पर्यावरण प्रदूषित होता है।


अथवा पर्यावरण प्रदूषित होने का कारण है


(a) जनसंख्या वृद्धि 


(b) आधुनिकीकर


(c) सामाजिक रीति-रिवाज


 (d) ये सभी


उत्तर (d) ये सभी


प्रश्न 7. पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि करने वाला कारक है।

(a) औद्योगीकरण


(b) नगरीकरण


 (c) वाहनों का धुआँ


 (d) ये सभी


उत्तर (d) ये सभी


प्रश्न 8. पशुओं के गोबर से बनाई जाती है 


(a) बायोगैस


(b) पेट्रोलियम गैस 


(c) a व b दोनों


(d) इनमें से कोई नहीं


उत्तर (a) बायोगैस


प्रश्न 9. फेफड़ों का कैंसर फैलने का कारण है


(a) नाइट्रोजन के आक्साइड


 (b) सूक्ष्म कण


(c) क्लोरोफ्लोरो कार्बन 


(d) इनमें से कोई नहीं 


उत्तर (d) इनमें से कोई नहीं


प्रश्न 10. प्रदूषण से बचने के लिए किस प्रकार का ईंधन प्रयोग करना चाहिए?


(a) लकड़ी 


(b) कोयला


(c) गैस


 (d) सूखा पत्ता


उत्तर (c) गैस


प्रश्न 11. भूस्खलन का कारण है।


(a) औद्योगीकरण


(b) नगरीकरण 


(c) वनों की कटाई


(d) ये सभी


उत्तर (d) ये सभी


प्रश्न 12, वस्तुओं के जलने से कौन-सी गैस बनती है?


(a) ऑक्सीजन


(b) कार्बन डाइ ऑक्साइड


(c) नाइट्रोजन


(d) अमोनिया 


उत्तर (b) कार्बन डाइ ऑक्साइड


 प्रश्न 13. जल प्रदूषण को रोकने के लिए कौन-से रासायनिक पदार्थ का प्रयोग किया जाता है?


(a) सोडियम क्लोराइड


(b) कैल्शियम क्लोराइड


(c) ब्लीचिंग पाउडर 


 (d) पोटेशियम मेटाबाइसल्फाइट


उत्तर (c) ब्लीचिंग पाउडर


प्रश्न 14. लाउडस्पीकर की आवाज से किस प्रकार का प्रदूषण फैलता है?


(a) वायु प्रदूषण 


(b) ध्वनि प्रदूषण 


(c) मृदा प्रदूषण


(d) जल प्रदूषण


उत्तर (b) ध्वनि प्रदूषण


प्रश्न 15. ध्वनि प्रदूषण के कारण हैं।


(a) वाहनों के हॉर्न


(b) सायरन 


 (c) लाउडस्पीकर


(d) ये सभी


उत्तर (d) ये सभी


प्रश्न 16. पौधों से ऑक्सीजन प्राप्त होती है 


(a) रात में


(b) शाम को


(c) दिन में


(d) सभी समय पर


उत्तर (c) दिन में


प्रश्न 17. ऑक्सीजन कहाँ से प्राप्त होती है?


 (a) बन्द कमरे से


(b) पेड़-पौधों से


(c) नालियों से


(d) सीवेज से


उत्तर (b) पेड़-पौधों से


प्रश्न 18. प्रकृति में ऑक्सीजन का सन्तुलन बनाए रखते हैं 


(a) मनुष्य 


(b) कीट-पतंगे


 (c) वन्य जीव


 (d) पेड़-पौधे


उत्तर (d) पेड़-पौधे


प्रश्न 19. पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है?


(a) 1 जून


(b) 5 जून


(c) 12 जून


(d) 18 जून


उत्तर (b) 5 जून


प्रश्न 20. हमारे स्वास्थ्य के लिए किस प्रकार का प्रदूषण हानिकारक है?


(a) जल प्रदूषण 


(b) ध्वनि प्रदूषण


(c) वायु प्रदूषण


 (d) ये सभी


उत्तर (d) ये सभी


प्रश्न 21. 'अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस किस दिन मनाया जाता है?


(a) 21 जून 


(b) 20 जून 


(c) 25 जून


(d) 28 जून


उत्तर (a) 21 जून


प्रश्न 22. विश्व शौचालय दिवस कब मनाया जाता है?


(a) 19 जून को 


(b) 19 अगस्त को 


(c) 19 नवम्बर को


(d) 19 दिसम्बर को


उत्तर (c) 19 नवम्बर को


{ अतिलघु उत्तरीय प्रश्न Short Question }


प्रश्न 1. पर्यावरण से क्या तात्पर्य है?

अथवा पर्यावरण की एक परिभाषा लिखिए।

उत्तर – जिंसबर्ट के अनुसार, "पर्यावरण वह सब कुछ है, जो एक वस्तु को चारों ओर से घेरे हुए है तथा उस पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालता है।”


प्रश्न 2. जनजीवन पर पर्यावरण के हानिकारक प्रभाव को रोकने के बारे में लिखिए।

उत्तर –जनजीवन पर पर्यावरण का प्रमुख हानिकारक प्रभाव पर्यावरण प्रदूषण के माध्यम से पड़ता है। अतः पर्यावरण प्रदूषण को नियन्त्रित करके उसके हानिकारक

प्रभावों को रोका जा सकता है।


प्रश्न 3. पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते हैं?

उत्तर – पर्यावरण के किसी एक भाग अथवा सभी भागों का दूषित होना ही पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है।


प्रश्न 4. पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण क्या हैं? 

अथवा पर्यावरण प्रदूषण के चार प्रमुख कारण बताइए।

अथवा पर्यावरण प्रदूषित होने के कोई दो कारण लिखिए।


 उत्तर – पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण निम्न है


1. वायुमण्डल में कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा का बढ़ना। 


2. घरेलू अपमार्जकों का अधिकाधिक प्रयोग।


3. वाहित मल का नदियों में गिरना ।


4. औद्योगिक अपशिष्ट तथा रासायनिक पदार्थों का विसर्जन


प्रश्न 5. प्रदूषण के प्रकार लिखिए।

उत्तर · प्रदूषण के चार प्रकार हैं-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण व मृदा प्रदूषणः


प्रश्न 6. वायु प्रदूषण से होने वाली चार बीमारियों के नाम लिखिए। 


अथवा वायु प्रदूषण से फैलने वाले दो रोगों के नाम लिखिए। 

उत्तर – वायु प्रदूषण से चेचक, तपेदिक, खसरा, काली खांसी आदि रोग हो जाते हैं।


प्रश्न 7. पर्यावरण प्रदूषण के जनजीवन पर पड़ने वाले कोई चार हानिकारक प्रभाव लिखिए।

उत्तर – पर्यावरण प्रदूषण के जनजीवन पर पड़ने वाले चार हानिकारक प्रभाव निम्नलिखित हैं।:


1. पर्यावरण प्रदूषण से विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी बीमारियाँ जैसे- हैजा, टायफाइड आदि फैलती है।


2. पर्यावरण प्रदूषण से हानिकारक गैसों की मात्रा बढ़ रही है।


 3. प्रदूषित पर्यावरण द्वारा फसले प्रभावित होती हैं।


4. पर्यावरण प्रदूषण से व्यक्तियों की कार्य करने की क्षमता प्रभावित हो रही है।


प्रश्न 8. वायु प्रदुषण के चार प्रमुख कारण बताइए।


अथवा वायु प्रदुषण के कारण लिखिए।


उत्तर – वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण निम्न हैं।


1. वनों की अत्यधिक कटाई किया जाना।


2. कृषि रसायन वायु को प्रदूषित करते हैं।


3. औद्योगिक कारखानों के धुएँ से वायु प्रदूषण होता है। 


4. कार्बनिक पदार्थों के दहन से वायु प्रदूषण होता है।


प्रश्न 9. वायु के माध्यम से फैलने वाले कोई दो रोगों के नाम लिखिए।


उत्तर 1. अस्थमा


2. श्वसन सम्बन्धी रोग


प्रश्न 10. वृक्ष पर्यावरण को कैसे शुद्ध करते हैं?

उत्तर –  पेड़-पौधे वातावरण में ऑक्सीजन को विसर्जित करके उसे शुद्ध बनाए रखते हैं तथा वातावरण से हानिकारक कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं।


 प्रश्न 11. वृक्षारोपण से क्या लाभ हैं?

अथवा वृक्षारोपण के दो लाभ लिखिए।

 अथवा वृक्षारोपण क्यों आवश्यक है?

उत्तर – वृक्षारोपण के निम्न लाभ है।


 1. वायुमण्डल में सन्तुलन बना रहता है।


2. वायु प्रदूषण नियन्त्रित रहता है।


3. ऑक्सीजन की मात्रा सामान्य बनी रहती है।


 प्रश्न 12. कल-कारखानों से वातावरण कैसे प्रदूषित होता है?

उत्तर – कल-कारखानों से विसर्जित होने वाले अपशिष्ट पदार्थों (गन्दा जल, रसायन आदि) एवं गैसों (धुआँ) से जल प्रदूषण एवं वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है, इसके अतिरिक्त इनमें उत्पन्न उच्च ध्वनि से ध्वनि प्रदूषण में भी वृद्धि होती है।


 प्रश्न 13. जल प्रदूषण के कारण लिखिए।

अथवा जल प्रदूषण के दो कारण लिखकर उनके निवारण के उपाय लिखिए।

अथवा जल प्रदूषण के क्या कारण हैं?

 उत्तर – जल प्रदूषण के प्रमुख कारण जल स्रोतों में औद्योगिक अपशिष्टों एवं घरेलू वाहित मल का मिलना है। औद्योगिक अपशिष्ट को जल स्रोतों में मिलने से रोकना, सीवेज ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट, जैव उर्वरक के प्रयोग आदि से जल प्रदूषण का निवारण किया जा सकता है।


प्रश्न 14. मृदा प्रदूषण का जनजीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर – मृदा प्रदूषण से जनजीवन पर निम्न प्रभाव पड़ते हैं 


1. मृदा प्रदूषण का सर्वाधिक प्रतिकूल प्रभाव फसलों पर पड़ता है कृषि उत्पादन घटता है।


2. प्रदूषित मृदा में उत्पन्न भोज्य पदार्थ ग्रहण करने से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।


प्रश्न 15. ध्वनि की तीव्रता के मापन की इकाई क्या है?

उत्तर – ध्वनि की तीव्रता के मापन की इकाई डेसीबल है।


प्रश्न 16. ध्वनि प्रदूषण के कारण बताइए। 

उत्तर – सामान्यतः ध्वनि प्रदूषण के दो कारण होते हैं।

1. प्राकृतिक


2. कृत्रिम


प्रश्न 17. ध्वनि प्रदूषण क्या है?

उत्तर – ध्वनि प्रदूषण वायुमण्डल में उत्पन्न की गई वह अवांछनीय ध्वनि है, जिससे मानवीय स्वास्थ्य एवं श्रवण शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। विद्युत घण्टियाँ, अलार्म, मोबाइल फोन, जेट विमान, बस, ट्रक, वायुयान किट एवं विभिन्न प्रकार के युद्धक सामान इत्यादि पर्यावरण में ध्वनि प्रदूषण फैला रहे है।


प्रश्न 18. कचरा प्रबन्धन क्यों आवश्यक है?

उत्तर – कचरा प्रबन्धन इसलिए आवश्यक है, क्योंकि सफाई का एकमात्र उद्देश्य केवल घर को स्वच्छ करना ही नहीं वरन् कचरे को नष्ट करना भी है।


प्रश्न 19. अपशिष्ट (कचरा) प्रबन्धन के बारे में लिखिए।

उत्तर – कोई भी पदार्थ जो प्राथमिक उपयोग के बाद बेकार दोषपूर्ण होने के कारण छोड़ दिया जाता है, उसे कचरा (अपशिष्ट) कहते है। कचरे को एकत्रित कर उसके हेतु अपनाई गई प्रक्रिया कचरा प्रबन्धन है।


प्रश्न 20. पौधे कार्बन डाइ ऑक्साइड किस समय छोड़ते हैं?

 उत्तर – पौधे रात के समय कार्बन डाइ ऑक्साइड छोड़ते हैं। रात के समय श्वसन की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप यह प्रक्रिया होती है।


  { लघु उत्तरीय प्रश्न Question Answers }


प्रश्न 1. मानव के स्वास्थ्य पर पर्यावरण का क्या प्रभाव पड़ता है? 


 अथवा पर्यावरण प्रदूषण जनजीवन को कैसे प्रभावित करता है?


अथवा पर्यावरण प्रदूषण के जनजीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को लिखिए। 


अथवा व्यक्ति के स्वास्थ्य पर पर्यावरण प्रदूषण का क्या प्रभाव पड़ता है?


 अथवा प्रदूषण का क्या अर्थ है? प्रदूषण का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?


उत्तर – प्रदूषण का अर्थ प्राकृतिक पर्यावरण में उपस्थित विभिन्न घटकों अथवा तत्त्वों के सन्तुलन में वह बदलाव, जिसका मानव जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, प्रदूषण कहलाता है। पर्यावरण प्रदूषण वर्तमान समय में मानव के समक्ष उत्पन्न एक गम्भीर समस्या है। पर्यावरण प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पर पड़ता है। पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव को हम निम्नलिखित रूपों में स्पष्ट कर सकते हैं


            जन स्वास्थ्य पर प्रभाव


जन स्वास्थ्य पर प्रभाव निम्नलिखित हैं


1. प्रदूषण से विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी बीमारियाँ; जैसे- हैजा, टायफाइड आदि होती हैं।


2. ध्वनि प्रदूषण से सिर दर्द, चिड़चिड़ापन, रक्तचाप बढ़ना, उत्तेजना एवं हृदय की धड़कन बढ़ना आदि समस्याएं होती है।


3. जल प्रदूषण से टायफाइड, पेचिश, ब्लू बेबी सिण्ड्रोम, पाचन सम्बन्धी विकार (कब्ज) आदि समस्याएँ होती हैं।


4. वायु प्रदूषण से फेफड़े एवं श्वास सम्बन्धी, श्वसन-तन्त्र की बीमारियाँ होती है।


       व्यक्तिगत कार्यक्षमता पर प्रभाव


व्यक्तिगत कार्यक्षमता पर प्रभाव निम्नलिखित है


 1. पर्यावरण प्रदूषण व्यक्ति की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है।


2. इससे व्यक्ति की कार्यक्षमता अनिवार्य रूप से घटती है।


 3. प्रदूषित वातावरण में व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं रह पाता।


4. प्रदूषित वातावरण में व्यक्ति की चुस्ती, स्फूर्ति, चेतना आदि भी घट जाती है।


          आर्थिक जीवन पर प्रभाव


आर्थिक जीवन पर प्रभाव निम्नलिखित हैं


1. पर्यावरण प्रदूषण का गम्भीर प्रभाव जन सामान्य की आर्थिक गतिविधियों एवं आर्थिक जीवन पर पड़ता है


 2. कार्यक्षमता घटने से उत्पादन दर घटती है।


3. साधारण एवं गम्भीर रोगों के उपचार में अधिक व्यय करना पड़ता है।


4. आय दर घटने तथा व्यय बढ़ने पर आर्थिक संकट उत्पन्न होता है।


इस प्रकार पर्यावरण प्रदूषण मानव जीवन पर बहुपक्षीय, गम्भीर तथा प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न करता है। अतः इसके समाधान हेतु व्यक्ति एवं राष्ट्र दोनों को मिलकर कार्य करना चाहिए।


प्रश्न 2. मानव जीवन पर वायु प्रदूषण के प्रभाव लिखिए। 

 उत्तर – वायु प्रदूषण मानव जीवन को निम्नलिखित प्रकार से प्रभावित करता है।


1. वायु प्रदूषण से विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ होती है; जैसे—छाती एवं सांस सम्बन्धी बीमारियां तपेदिक, फेफड़े का कैंसर आदि।


2. वायु प्रदूषण से नगरों का वातावरण दूषित हो जाता है तथा अनेक प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।


3. वायु प्रदूषण से बच्चों को खाँसी तथा साँस फूलने की समस्या पैदा होती है।


4. वायु प्रदूषण महत्त्वपूर्ण स्मारकों, भवनों आदि के क्षरण में मुख्य भूमिका निभाता है; जैसे- ताजमहल।


5. वायु प्रदूषण से वायुमण्डल में हानिकारक गैसों की मात्रा बढ़ती है, इससे ओजोन परत का क्षरण होता है।


6. वायु प्रदूषण के कारण ओजोन क्षरण से पराबैंगनी किरणों का प्रभाव हमारे ऊपर अधिक पड़ता है, जिससे त्वचा कैंसर जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। 


7. वायु प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग का एक प्रमुख कारण है।


8. वायु प्रदूषण से कृषि एवं फसलों को नुकसान पहुंचता है। कृषि उत्पादन में कमी होती है।


9. वायु प्रदूषण अम्ल वर्षा का कारण बनता है, जिससे मानव, वनस्पति, भवन आदि सभी प्रभावित होते हैं।


प्रश्न 3. वायु प्रदूषण के कारण और रोकथाम के उपाय बताइए।

अथवा वायु प्रदूषण से क्या तात्पर्य है? वायु प्रदूषण किन कारणों से होता है? 

उत्तर –  कुछ बाहरी कारकों के समावेश से किसी स्थान को वायु में गैसों के प्राकृतिक अनुपात में होने वाले परिवर्तन को वायु प्रदूषण कहा जाता है। वायु प्रदूषण मुख्य रूप से धूलकण, धुआं, कार्बन-कण, सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂), सीसा, कैडमियम आदि घातक पदार्थों के वायु में मिलने से होता है। ये सब उद्योग, परिवहन के साधनों, घरेलू भौतिक साधनों आदि के माध्यम से वायुमण्डल में मिलते हैं, जिससे वायु प्रदूषित हो जाती है।


               वायु प्रदूषण के कारण


वायु प्रदूषण निम्नलिखित कारणों से फैलता है 


1. औद्योगीकरण एवं नगरीकरण के परिणामस्वरूप उत्पन्न विभिन्न गैसे, धुआँ आदि।


2. विभिन्न प्रकार के ईंधनों; जैसे- पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल आदि के दहन से उत्पन्न धुआँ एवं गैसें ।


 3. वनों की अनियमित और अनियन्त्रित कटाई।


4. रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों आदि का प्रयोग


       वायु प्रदूषण की रोकथाम के उपाय 


वायु प्रदूषण को रोकने हेतु निम्न उपाय किए जा सकते हैं


1. पदार्थों का शोधन करना।


2. घरेलू रसोई एवं उद्योगों आदि में ऊंची चिमनियों द्वारा धुएँ का निष्कासन । 


3. परिवहन के साधनों पर धुआंरहित यन्त्र लगाना।


4. ईंधन के रूप में सी.एन.जी., एल.पी.जी., बायो डीजल आदि का प्रयोग करना।


प्रश्न 4. जल प्रदूषण द्वारा मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन कीजिए।


अथवा जल प्रदूषण से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए। 


उत्तर – जल प्रदूषण से मानव जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं। 


1. प्रदूषित जल के सेवन से विभिन्न प्रकार के रोग फैलते हैं; जैसे—टायफाइड, हैजा, अतिसार, पेचिश


2. जल प्रदूषण से पेयजल का संकट उत्पन्न होता है।


3. प्रदूषित जल वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं को हानि पहुंचाता है।


4. प्रदूषित जल का कृषि उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। 


5. प्रदूषित जल के सेवन से दाँतों की समस्या, पेट की समस्या, कब्ज आदि बीमारियाँ भी फैलती हैं। उदाहरण, राजस्थान में प्रदूषित जल के सेवन से 'नारू' नामक रोग फैलने से लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। 


6. मत्स्य उत्पादन प्रभावित होता है।


प्रश्न 5. मानव जीवन में जल का क्या महत्त्व है?

उत्तर – जल सभी जीवन -जन्तु एवं वनस्पतियों के लिए अत्यन्त आवश्यक है। मानव के लिए तो 'जल ही जीवन है' ऐसा माना जाता है। जल का उपयोग केवल

पीने के पानी और कृषि के लिए ही नहीं होता, बल्कि जल के अन्य कई उपयोग हैं; जैसे—कल-कारखानों और इण्डस्ट्रीज क्षेत्रों में भी जल अत्यन्त आवश्यक है। घर बनाने से लेकर मोटरगाड़ी इत्यादि चलाने, यातायात के साधनों तक सभी चीजों में ही जल की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी घर में एक दिन पानी नहीं आता है, तो उस दिन उस घर का सारा काम बन्द हो जाता है; जैसे—खाना नहीं बन पाता, कपड़े नहीं धुल पाते, साफ-सफाई तथा स्नान आदि मुश्किल होता है। इसके अतिरिक्त जल की कमी के कारण कृषि सबसे अधिक प्रभावित होती है। फसलें नष्ट हो जाती हैं, जिससे बाजार में उपलब्ध अनाजों के दाम भी बढ़ जाते हैं। अतः जल मानव जीवन में हर क्षण महत्त्वपूर्ण है।'


प्रश्न 6. कचरा प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं? कचरा नष्ट करने के दो उपाय बताइए।

उत्तर – कचरा प्रबन्धन से तात्पर्य उस सम्पूर्ण श्रृंखला से है, जिसके अन्तर्गत अपशिष्ट के निर्माण से लेकर उसके संग्रहण व परिवहन के साथ प्रसंस्करण (Processing) एवं निस्तारण तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया को शामिल किया जाता है। कचरा प्रबन्धन तीन आर (3-R's) का अनुसरण करता है, जो न्यूनीकरण (Reduce), पुन: उपयोग (Reuse) और पुनर्चक्रण (Recycle) के रूप में सन्दर्भित किए जाते हैं।


कचरा नष्ट करने के उपाय निम्नलिखित हैं।

 जैव चिकित्सीय अपशिष्ट प्रबन्धन उपाय चिकित्सीय कार्यो; जैसे- निक्षन,उपचार और प्रतिरक्षा से उत्पन्न अपशिष्ट के साथ उपचार उपकरण जैसे सिरिंज और दवाओं से सम्बन्धित अपशिष्ट को शामिल किया जाता है। जैव चिकित्सीय अपशिष्ट प्रबन्धन के माध्यम से ऐसे अपशिष्ट को आसानी से नष्ट कर पर्यावरण को दूषित होने से बचाया जा सकता है।


ई-कचरा प्रबन्धन उपाय इसके अन्तर्गत अनुपयोगी कम्प्यूटर मॉनीटर, मदरबोर्ड, कैथोड रे ट्यूब, मुद्रित सर्किट बोर्ड, मोबाइल फोन, सीडी, हेडफोन इत्यादि को अत्याधुनिक तरीके से नष्ट कर, पर्यावरण न्यूनीकरण को संरक्षित किया जा सकता है। 


प्रश्न 7. ध्वनि प्रदूषण पर नियन्त्रण के उपाय लिखिए।

उत्तर – वर्तमान औद्योगीकरण एवं नगरीकरण के समय में ध्वनि प्रदूषण को पूरी तरह समाप्त किया जाना तो सम्भव नहीं है, फिर भी निम्न उपायों से ध्वनि प्रदूषण

पर नियन्त्रण किया जा सकता है.


1. आवासीय क्षेत्रों में उच्च ध्वनि वाले लाउडस्पीकरों पर कड़े प्रतिबन्ध लगाए जाने चाहिए।


2. उद्योगों में प्रयुक्त होने वाली मशीनों पर साइलेन्सर का प्रयोग करना चाहिए एवं उनका नवीनीकरण करते रहना चाहिए, जिससे ध्वनि प्रदूषण कम हो। 


3. ध्वनि प्रदूषण के लिए आवश्यक कानून बनाने चाहिए एवं कानूनों का सही तरीके से पालन किया जाना चाहिए। इसी प्रकार शान्तिपूर्ण वातावरण वाले

क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण पर प्रतिबन्ध होना चाहिए।


4. वाहनों पर भी साइलेन्सर लगाना चाहिए तथा अधिक शोर उत्पन्न करने वाले वाहनों को सड़कों पर चलने से रोकना चाहिए।


5. घने वृक्ष अधिक संख्या में लगाए जाने चाहिए, जिससे ध्वनि का अवशोषण हो। इसी प्रकार ध्वनि के रास्ते में ऐसे व्यवधानों का उपयोग किया जा सकता है, जो ध्वनि को अवशोषित कर लें।


6. उद्योगों के ध्वनि प्रदूषण पर नियन्त्रण के लिए मानक विधियों का निर्धारण किया जाना चाहिए।


7. जहाँ तक सम्भव हो, मकानों को ध्वनि अवरोधक बनाया जाए।


प्रश्न 8. ध्वनि प्रदूषण एवं वायु प्रदूषण में क्या अन्तर है?

उत्तर – 


ध्वनि प्रदूषण एवं वायु प्रदूषण में अन्तर


ध्वनि प्रदूषण

वायु प्रदूषण

1. पर्यावरण में अनावश्यक तथा अधिक शोर का व्याप्त होना ही ध्वनि प्रदूषण है।

कुछ बाहरी कारकों के समावेश से किसी स्थान की वायु में गैसों के प्राकृतिक अनुपात में होने वाला परिवर्तन वायु प्रदूषण कहलाता है।

2. ध्वनि प्रदूषण का कारण, लाउडस्पीकर, ट्रक, कार, फैक्टरियों आदि का शोर है।

वायु प्रदूषण का कारण औद्योगीकरण, नगरीकरण तथा परिवहन के साधनों आदि के कारण उत्सर्जित विभिन्न गैसें हैं।

3. ध्वनि प्रदूषण से क्रोध, चिड़चिड़ापन आदि समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

वायु प्रदूषण से टीवी, कैंसर आदि बीमारियाँ होती हैं।

4. ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य का कान प्रभावित होता है।


वायु प्रदूषण से हृदय, श्वास नली आदि सम्बन्धी बीमारियाँ होती हैं।

प्रश्न 9. पर्यावरण संरक्षण के लिए जनता को कैसे जागरूक किया जा सकता है?


अथवा पर्यावरण संरक्षण के उपाय लिखिए। अदना पर्यावरण असन्तुलन को नियन्त्रित करने के चार उपाय लिखिए।


उत्तर – पर्यावरण का मानव जीवन से घनिष्ठ सम्बन्ध है, पर्यावरण संरक्षण के लिए जनचेतना का होना बहुत आवश्यक है। पर्यावरण संरक्षण का लक्ष्य निम्नलिखित उपायों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। 


1. पर्यावरण शिक्षा द्वारा जनता में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाई जा सकती है। सामान्य जनता को पर्यावरण के महत्त्व, भूमिका तथा प्रभाव आदि से अवगत कराना आवश्यक है। 


2.वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कराना चाहिए जैसे स्टॉकहोम सम्मेलन (1972), रिचे- डि जेनेरिये सम्मेलन (1992)।


3. गांव, शहर, जिला प्रदेश, राष्ट्र आदि सभी स्तरों पर पर्यावरण संरक्षण में लोगों को शामिल करना चाहिए।


4. पर्यावरण अध्ययन से सम्बन्धित विभिन्न सेमिनार पुनश्चर्या, कार्य-गोष्ठियाँ, दृश्य-श्रव्य प्रदर्शनी आदि का आयोजन कराया जा सकता है।


 5. विद्यालय, विश्वविद्यालय स्तर पर 'पर्यावरण अध्ययन विषय को लागू करना एवं प्रौढ़ शिक्षा में भी पर्यावरण शिक्षा को स्थान देना महत्त्वपूर्ण उपाय है।


6. जनसंचार माध्यमों- रेडियो, दूरदर्शन तथा पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के प्रति जनजागरूकता बढ़ाना आवश्यक है।


7. पर्यावरण से सम्बन्धित विभिन्न राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करना महत्वपूर्ण प्रयास है जैसे-इन्दिरा गांधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार, वृक्ष मित्र पुरस्कार, महावृक्ष पुरस्कार, इन्दिरा गाँधी पर्यावरण पुरस्कार आदि। 


8. विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) का आयोजन जागरूकता लाने की दिशा में उठाया गया महत्त्वपूर्ण कदम है।


प्रश्न 10. वृक्षारोपण की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।

उत्तर – वृक्षारोपण से आशय वृक्षों को उगाने से है। वर्तमान में तीव्र गति से बढ़ते प्रदूषण पर रोक लगाने का एक प्रमुख उपाय वृक्षारोपण है। वृक्षारोपण की

आवश्यकता को निम्न बिन्दुओं द्वारा समझ सकते हैं।


1. वायु के शुद्धिकरण में पेड़-पौधों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा वायुमण्डल से कार्बन डाइ ऑक्साइड ग्रहण करते हैं तथा आक्सीजन छोड़ते हैं, जो पर्यावरण को सन्तुलित रखने में विशेष रूप से सहायक है।


2. वृक्षारोपण से मृदा के अपक्षय एवं अपरदन की सम्भावना कम रहती है, साथ ही बाढ़ सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं के नियन्त्रण में वृक्षारोपण विशेष रूप से सहायक हैं।


 3. वृक्षारोपण होने से प्रकृति का सौन्दर्य बढ़ता है तथा अनेक जीव-जन्तुओं को भी इससे लाभ होता है।


4. वृक्षारोपण द्वारा शाकाहारी जंगली जन्तुओं एवं पालतू पशुओं के भोजन की व्यवस्था होती है। इन्हीं शाकाहारी जीवों पर मांसाहारी जानवरों का जीवन निर्भर होता है। अतः इससे पारिस्थितिकी सन्तुलन बना रहता है।


[दीर्घ उत्तरीय प्रश्न Long Question Answers]


प्रश्न 1. पर्यावरण प्रदूषण से आप क्या समझते हैं? यह कितने प्रकार का होता है? स्पष्ट कीजिए। 


अथवा भूमि प्रदूषण की रोकथाम के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?


अथवा पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार बताइए तथा किन्हीं दो प्रकार के प्रदूषणों का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए। 


अथवा पर्यावरण प्रदूषण का क्या तात्पर्य है? ध्वनि प्रदूषण मानव जीवन के लिए क्यों हानिकारक है?


अथवा पर्यावरण से क्या तात्पर्य है? मृदा प्रदूषण के बारे में लिखिए। 


उत्तर – पर्यावरण प्रदूषण से आशय पर्यावरण के किसी एक या सभी भागों का दूषित होना है। यहाँ दूषित होने से आशय पर्यावरण के प्रकृति प्रदत्त रूप में इस प्रकार परिवर्तन होता है, जोकि मानव जीवन के लिए प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न करे। पर्यावरण प्रदूषण जल, मृदा, वायु तथा ध्वनि के रूप में हो सकता है। पर्यावरण के इन कारकों के आधार पर ही पर्यावरण प्रदूषण के चार रूप हैं


1. वायु प्रदूषण


2. जल प्रदूषण


3. मृदा प्रदूषण


4. ध्वनि प्रदूषण



                    जल प्रदूषण


जल के मुख्य स्रोतों में अशुद्धियों तथा हानिकारक तत्त्वों का समाविष्ट हो जाना ही जल प्रदूषण है। जल में जैव-रासायनिक पदार्थों तथा विषैले रसायनों, सीसा, कैडमियम, बेरियम, पारा, फॉस्फेट आदि की मात्रा बढ़ने पर जल प्रदूषित हो जाता है। इन प्रदूषकों के कारण जल अपनी उपयोगिता खो देता है तथा जीवन के लिए घातक हो जाता है। जल प्रदूषण दो प्रकार का होता है-दृश्य प्रदूषण एवं अदृश्य प्रदूषण।


              जल प्रदूषण के कारण 


जल प्रदूषण निम्नलिखित कारणों से फैलता है.


1. उद्योगों; जैसे- चमड़ा उद्योग, रसायन उद्योग आदि से निकलने वाला अवशिष्ट पदार्थ, गन्दा जल आदि जल स्रोतों को दूषित कर देता है। 


2. नगरीकरण के परिणामस्वरूप अवशिष्ट पदार्थों आदि का जल में मिलना।

यमुना नदी इस प्रकार के प्रदूषण का ज्वलन्त उदाहरण है।


 3. नदियों में कपड़े धोना अथवा उनमें नालों आदि का गन्दा जल मिलना।


4. कृषि में प्रयुक्त कीटनाशकों, अपमार्जकों आदि का वर्षा के माध्यम से जल स्रोतों में मिलना।


5. समुद्री परिवहन, तेल का रिसाव आदि से जल स्रोत का दूषित होना।


6. परमाणु ऊर्जा उत्पादन एवं खनन के परिणामस्वरूप विकिरण युक्त जल का नदी, समुद्र में पहुँचना


7. नदियों में अधजले शव, मृत शरीर आदि का विसर्जन । 


8. घरेलू पूजा सामग्री, मूर्तियों आदि का जल में विसर्जन


        जल प्रदूषण की रोकथाम के उपाय


जल प्रदूषण की रोकथाम हेतु निम्नलिखित उपाय सम्भव हैं


1. नगरों में अशुद्ध जल को ट्रीटमेण्ट के उपरान्त शुद्ध करके ही नदियों में छोड़ना।


 2. सीवर ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट एवं उद्योगों में ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट लगाकर अशुद्ध जल एवं अवशिष्ट सामग्री का शोधन करना। 


3. समुद्री जल में औद्योगिक गन्दगी आदि को न मिलने देना।


4. मृत जीव एवं चिता के अवशेष आदि नदियों में प्रवाहित न होने देना। 


5. नदियों, तालाबों की समय-समय पर सफाई करना।


6. नदियों, तालाबों के जल में कपड़े न धोना। 


7. नदियों में धार्मिक आयोजन के अवशिष्ट पदार्थों को न फेंकना।


8. कृषि में जैव उर्वरकों का प्रयोग करना। 


9. जल प्रदूषण नियन्त्रण हेतु जन-जागरूकता फैलाना एवं सहयोग के लिए प्रेरित करना।


                    वायु प्रदूषण


कुछ बाहरी कारकों के समावेश से किसी स्थान की वायु में गैसों के प्राकृतिक अनुपात में होने वाले परिवर्तन को वायु प्रदूषण कहा जाता है। वायु प्रदूषण मुख्य रूप से धूलकण, धुआं, कार्बन कण, सल्फर डाइ-ऑक्साइड (SO₂) शीशा, कैडमियम आदि घातक पदार्थों के वायु में मिलने से होता है। ये सब उद्योग, परिवहन के साधनों घरेलू भौतिक साधनों आदि के माध्यम से वायुमण्डल में मिलते हैं, जिससे वायु प्रदूषित हो जाती है।


             [ वायु प्रदूषण के कारण ]


वायु प्रदूषण निम्नलिखित कारणों से फैलता है


1. औद्योगीकरण एवं नगरीकरण के परिणामस्वरूप उत्पन्न विभिन्न गैसे, धुआँ आदि।


 2. विभिन्न प्रकार के ईंधनों, जैसे-पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल आदि के दहन से उत्पन्न धुआँ एवं गैसे। 


3. वनों की अनियमित और अनियन्त्रित कटाई


4. रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों आदि का प्रयोग। 


5. घरेलू अपशिष्ट, खुले में शौच, कूड़ा-करकट इत्यादि ।


6. रसोईघर तथा कारखानों से निकलने वाला धुँआ ।


7. खनिजों का अवैज्ञानिक खनन एवं दोहन


8. विभिन्न रेडियोधर्मी पदार्थों का विकिरण |


   [ वायु प्रदूषण की रोकथाम के उपाय ]


वायु प्रदूषण को रोकने हेतु निम्न उपाय किए जा सकते है 


1. पदार्थों का शोधन करना।


2. घरेलू रसोई एवं उद्योगों आदि में ऊँची चिमनियों द्वारा धुएँ का निष्कासन ।


3. परिवहन के साधनों पर धुआंरहित यन्त्र लगाना।


4. ईंधन के रूप में सी.एन.जी., एल.पी.जी., बायोडीजल आदि का प्रयोग करना।


5. वन तथा वृक्ष संरक्षण करना, सड़कों के किनारे पेड़ लगाना।


6. खुले में शौच न करना, बायोटॉयलेट का निर्माण करना। 


7. नगरों में मल-जल की निकासी का उचित प्रबन्ध करना।


8. सीवर लाइन टैंक आदि का निर्माण करना नगरों में हरित पट्टी का विकास करना।


10. प्रदूषण को रोकने के लिए जन-जागरूकता अभियान चलाना । 


11. स्कूलों में पर्यावरण शिक्षा के माध्यम से बच्चों में चेतना फैलाना।


12. उद्योगों, फैक्टरियों आदि को आवास स्थल से दूर स्थापित करना तथा उनसे निकलने वाले अपशिष्ट के निस्तारण का समुचित उपाय करना।



                मृदा प्रदूषण


मृदा प्रदूषण, पर्यावरण प्रदूषण का एक अन्य रूप है। मिट्टी में पेड़-पौधों के लिए हानिकारक तत्वों का समावेश हो जाना ही मृदा प्रदूषण है।


मृदा प्रदूषण के कारण


मृदा प्रदूषण के निम्नलिखित कारण होते हैं


1. मृदा प्रदूषण की दर को बढ़ाने में जल तथा वायु प्रदूषण का भी योगदान होता है। 


2. वायु में उपस्थित विषैली गैसे, वर्षा के जल में घुलकर भूमि पर पहुंचती है जिससे मृदा प्रदूषित होती है। 


3. औद्योगिक संस्थानों से विसर्जित प्रदूषित जल तथा घरेलू अपमार्जको आदि से युक्त जल भी मृदा प्रदूषण का प्रमुख कारण है।


4. इसके अतिरिक्त रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, फफूँदीनाशकों आदि का अनियन्त्रित उपयोग भी मृदा को प्रदूषित करता है।


     मृदा प्रदूषण की रोकथाम के उपाय


उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि मृदा प्रदूषण, वायु एवं जल प्रदूषण से अन्तर्सम्बन्धित है। अतः इसकी रोकथाम के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। आवश्यक है कि कृषि क्षेत्र में सतत् विकास को दृष्टि में रखते हुए, रासायनिक उर्वरको कीटनाशकों आदि का संयमित प्रयोग किया जाए।


                       ध्वनि प्रदूषण


ध्वनि प्रदूषण पर्यावरण प्रदूषण का ही एक रूप है। पर्यावरण में अनावश्यक तथा अधिक शोर का व्याप्त होना ही ध्वनि प्रदूषण है। वर्तमान युग में शोर अर्थात् ध्वनि प्रदूषण में अत्यधिक वृद्धि हुई है, इसका प्रतिकूल प्रभाव हमारे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। ध्वनि प्रदूषण की माप करने के लिए ध्वनि की तीव्रता की माप की जाती है। इसकी माप की इकाई को डेसीबल कहते हैं। वैज्ञानिकों का मत है कि 85 डेसीबल से अधिक तीव्रता वाली ध्वनि का पर्यावरण में व्याप्त होना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अतः पर्यावरण में 85 डेसीबल से अधिक तीव्रता वाली ध्वनियों का व्याप्त होना ध्वनि प्रदूषण है।


              ध्वनि प्रदूषण के कारण


ध्वनि प्रदूषण के सामान्यतः दो कारण है-1. प्राकृतिक 2. कृत्रिम


                प्राकृतिक कारण


1. बादलों की गड़गड़ाहट


 2. बिजली की कड़क


3. भूकम्प एवं ज्वालामुखी विस्फोट से उत्पन्न ध्वनि


 4. आँधी, तूफान आदि से उत्पन्न शोर


 कृत्रिम अथवा मानवीय कारण


 ध्वनि प्रदूषण फैलाने में मुख्यतः कृत्रिम कारकों का ही महत्त्वपूर्ण योगदान है।

इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं


1. परिवहन के साधनों से उत्पन्न शोर जैसे बस, ट्रक, मोटरसाइकिल, हवाई जहाज, पानी का जहाज आदि से उत्पन्न ध्वनियाँ ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाती हैं। 


2. उद्योगों, फैक्टरियों आदि का शोर फैक्टरियों, औद्योगिक संस्थानों आदि की विशालकाय मशीने, कल-पुर्जे इंजन आदि भयंकर शोर उत्पन्न करके ध्वनि प्रदूषण फैलाते है।


3. विभिन्न प्रकार के विस्फोट एवं सैनिक अभ्यास पहाड़ों को काटने की गतिविधियाँ एवं युद्ध क्षेत्र में गोला-बारूद आदि के प्रयोग से ध्वनि प्रदूषण फैलता है। 


4. मनोरंजन के साधन टीवी, म्यूजिक सिस्टम आदि मनोरंजन के साधन भी ध्वनिप्रदूषण फैलाते है।


5. विभिन्न लड़ाकू एवं अन्तरिक्ष यान वायुयान, सुपरसोनिक विमान व अन्तरिक्ष यान आदि ध्वनि प्रदूषण में योगदान करते हैं। 


6. उत्सवों का आयोजन विभिन्न उत्सवों आदि में प्रयुक्त लाउडस्पीकर, म्यूजिक सिस्टम, डी जे आदि द्वारा ध्वनि प्रदूषण फैलाया जाता है।


ध्वनि प्रदूषण मानव जीवन के लिए क्यों हानिकारक

ध्वनि प्रदूषण के मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं


 1. तीव्र ध्वनि से रक्त वाहिनियों में संकुचन उत्पन्न होता है, जिससे रक्त प्रवाह में बाधा हो जाती है तथा रक्तचाप बढ़ जाता है। 90-100 डेसीबल से अधिक तीव्र ध्वनि से हृदय की धड़कन बढ़ जाती है तथा दिल का दौरा पड़ने की सम्भावना बढ़ जाती है।


2. लम्बी अवधि तक तेज ध्वनि के सम्पर्क में रहने से कान के आन्तरिक भाग को हानि पहुँचती है तथा बहरे होने का खतरा बना रहता है। अत्यधिक तीव्र ध्वनि के निरन्तर सम्पर्क में रहने से स्थायी रूप से बहरापन उत्पन्न हो सकता है।


3. ध्वनि अन्तःस्रावी ग्रन्थियों को भी प्रभावित करती है। तेज ध्वनि से एड्रीनल अन्त: स्रावी ग्रन्धि के प्रभावित होने के कारण एड्रीनेलिन हार्मोन का स्राव शरीर में बढ़ जाता है, जिससे तन्त्रिका तन्त्र प्रभावित होता है, फलस्वरूप उत्तेजनशीलता बढ़ जाती है तथा शरीर में थकान एवं तनाव उत्पन्न होने लगता है। 120 डेसीबल से अधिक की ध्वनि मस्तिष्क तथा तन्त्रिका कोशिकाओं को प्रभावित करती है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति की स्मरण शक्ति घट जाती है। इस प्रकार तेज ध्वनि अथवा शोर व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यक्तित्व पर विपरीत प्रभाव डालता है।


4. तेज ध्वनि से निद्रा में विघ्न उत्पन्न होता है, जिससे व्यक्ति के व्यवहार में चिड़चिड़ापन आ जाता है तथा वह मानसिक तनाव से ग्रस्त हो जाता है। ध्वनि प्रदूषण के फलस्वरूप व्यक्ति में खिन्नता के व्यवहार का विकास होता है।


5. ध्वनि प्रदूषण से आंखों की पुतलियों फैल जाती हैं तथा पेशियों में तनाव बढ़ जाता है।


6. गर्भवती महिला तथा गर्भ में पल रहे शिशुओं के लिए 120 डेसीबल से अधिक तीव्र ध्वनि हानिकारक होती है। अधिक शोर से महिलाओं का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है तथा उनका मानसिक तनाव बढ़ जाता है। इसके परिणामस्वरूप प्रसवकाल के दौरान महिलाओं को अधिक पीड़ा होती है।


7. मानव में जठर रसों का स्राव ध्वनि प्रदूषण की वजह से कम हो जाता है, जिससे उदर में प्रवाहित होने वाले अन्य पाचक रसों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा उनका स्राव भी कम हो जाता है, जिस कारण व्यक्ति को पेप्टिक अल्सर तथा दमा जैसी खतरनाक बीमारी होने की सम्भावना बढ़ जाती है।


शोर या ध्वनि प्रदूषण पर नियन्त्रण / उपचार

ध्वनि प्रदूषण नियन्त्रित करने के कुछ उपाय निम्नलिखित हैं 


1. उद्योगों के शोर के नियन्त्रण के लिए कारखाने आदि में शोर अवरोधक दीवारें तथा मशीनों के चारों ओर मफलरों का कवच लगाना चाहिए।


2. कल-कारखानों को शहर से दूर स्थापित करना चाहिए।


3. मोटर वाहनों में बहुध्वनि वाले हॉर्न बजाने पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए।


 4. उद्योगों में श्रमिकों को कर्ण प्लग या कर्ण बन्धकों का प्रयोग अनिवार्य किया जाना चाहिए।


5. आवास गृहों, पुस्तकालयों, चिकित्सालयों, कार्यालयों आदि में उचित निर्माण सामग्री तथा उपयुक्त बनावट द्वारा शोर से बचाव किया जा सकता है।


6. अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर अधिकतम शोर सीमा का निर्धारण करना चाहिए। ध्वनिरोधक सड़को एवं ध्वनिरोधक भवनों का निर्माण करना अन्य उपाय है।

उपरोक्त उपायों द्वारा ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है। 


प्रश्न 2. वायु प्रदूषण क्या है? वाहन और कारखाने वातावरण को कैसे दूषित करते हैं।

उत्तर – 

                           वायु प्रदूषण


कुछ बाहरी कारकों के समावेश से किसी स्थान की वायु में गैसों के प्राकृतिक अनुपात में होने वाले परिवर्तन को वायु प्रदूषण कहा जाता है। वायु प्रदूषण मुख्य रूप से धूलकण, धुआं, कार्बन कण, सल्फर डाइ-ऑक्साइड (SO₂) शीशा, कैडमियम आदि घातक पदार्थों के वायु में मिलने से होता है। ये सब उद्योग, परिवहन के साधनों घरेलू भौतिक साधनों आदि के माध्यम से वायुमण्डल में मिलते हैं, जिससे वायु प्रदूषित हो जाती है।


                   वाहनों द्वारा प्रदूषण


वाहनों द्वारा मुख्यतः ध्वनि व वायु प्रदूषण होता है। स्वचालित वाहनों जैसे मोटर गाड़ी, ट्रक, बस, विमान तथा अन्य वाहनों में डीजल, पेट्रोल के जलने से कार्बन डाइ-ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, अदग्ध हाइड्रोकार्बन, सीसा व अन्य विषैली गैसें वायु में मिलकर उसे प्रदूषित करती हैं। विषैले वाहक निर्वात (Vehicular Exhausts) वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं।

वाहनों के इंजन प्रयोग व इत्यादि के उपयोग के कारण ध्वनि प्रदूषण होता है,जो मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक है।


                कारखानों द्वारा प्रदूषण


कारखानों की चिमनियों से निकले धुंए में सीसा, पारा, जिंक, कॉपर, कैडमियम, आर्सेनिक एवं एस्बेस्टस आदि के सूक्ष्मकण तथा कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, हाइड्रोजन- फ्लोराइड जैसी गैसे होती है, जो जीवधारियों के लिए अत्यधिक हानिकारक होती हैं। पैट्रोलियम रिफाइनरी वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं, जिनमें SO₂ (सल्फर डाइ-ऑक्साइड) तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड (CO₂) प्रमुख है। कारखानों से निकलने वाला सीवेज जल को दूषित करता है तथा कारखानों में मशीनों से होने वाले शोर से ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न होता है।


प्रश्न 3. पर्यावरण प्रदूषण से आप क्या समझते हैं? जल व वायु प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय लिखिए।


अथवा जल प्रदूषण क्या है? जल प्रदूषण के कारण एवं इनकी रोकथाम के उपाय लिखिए। 


उत्तर - पर्यावरण प्रदूषण – पर्यावरण प्रदूषण से आशय पर्यावरण के किसी एक या सभी भागों का दूषित होना है। यहाँ दूषित होने से आशय पर्यावरण के प्रकृति प्रदत्त रूप में इस प्रकार परिवर्तन होता है, जोकि मानव जीवन के लिए प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न करे। पर्यावरण प्रदूषण जल, मृदा, वायु तथा ध्वनि के रूप में हो सकता है। पर्यावरण के इन कारकों के आधार पर ही पर्यावरण प्रदूषण के चार रूप हैं


1. वायु प्रदूषण


2. जल प्रदूषण


3. मृदा प्रदूषण


4. ध्वनि प्रदूषण


वायु प्रदूषण


कुछ बाहरी कारकों के समावेश से किसी स्थान की वायु में गैसों के प्राकृतिक अनुपात में होने वाले परिवर्तन को वायु प्रदूषण कहा जाता है। वायु प्रदूषण मुख्य रूप से धूलकण, धुआं, कार्बन कण, सल्फर डाइ-ऑक्साइड (SO₂) शीशा, कैडमियम आदि घातक पदार्थों के वायु में मिलने से होता है। ये सब उद्योग, परिवहन के साधनों घरेलू भौतिक साधनों आदि के माध्यम से वायुमण्डल में मिलते हैं, जिससे वायु प्रदूषित हो जाती है।


             [ वायु प्रदूषण के कारण ]


वायु प्रदूषण निम्नलिखित कारणों से फैलता है


1. औद्योगीकरण एवं नगरीकरण के परिणामस्वरूप उत्पन्न विभिन्न गैसे, धुआँ आदि।


 2. विभिन्न प्रकार के ईंधनों, जैसे-पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल आदि के दहन से उत्पन्न धुआँ एवं गैसे। 


3. वनों की अनियमित और अनियन्त्रित कटाई


4. रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों आदि का प्रयोग। 


5. घरेलू अपशिष्ट, खुले में शौच, कूड़ा-करकट इत्यादि ।


6. रसोईघर तथा कारखानों से निकलने वाला धुँआ ।


7. खनिजों का अवैज्ञानिक खनन एवं दोहन


8. विभिन्न रेडियोधर्मी पदार्थों का विकिरण |


   [ वायु प्रदूषण की रोकथाम के उपाय ]


वायु प्रदूषण को रोकने हेतु निम्न उपाय किए जा सकते है 


1. पदार्थों का शोधन करना।


2. घरेलू रसोई एवं उद्योगों आदि में ऊँची चिमनियों द्वारा धुएँ का निष्कासन ।


3. परिवहन के साधनों पर धुआंरहित यन्त्र लगाना।


4. ईंधन के रूप में सी.एन.जी., एल.पी.जी., बायोडीजल आदि का प्रयोग करना।


5. वन तथा वृक्ष संरक्षण करना, सड़कों के किनारे पेड़ लगाना।


6. खुले में शौच न करना, बायोटॉयलेट का निर्माण करना। 


7. नगरों में मल-जल की निकासी का उचित प्रबन्ध करना।


8. सीवर लाइन टैंक आदि का निर्माण करना नगरों में हरित पट्टी का विकास करना।


10. प्रदूषण को रोकने के लिए जन-जागरूकता अभियान चलाना । 


11. स्कूलों में पर्यावरण शिक्षा के माध्यम से बच्चों में चेतना फैलाना।


12. उद्योगों, फैक्टरियों आदि को आवास स्थल से दूर स्थापित करना तथा उनसे निकलने वाले अपशिष्ट के निस्तारण का समुचित उपाय करना।


                      जल प्रदूषण


जल के मुख्य स्रोतों में अशुद्धियों तथा हानिकारक तत्त्वों का समाविष्ट हो जाना ही जल प्रदूषण है। जल में जैव-रासायनिक पदार्थों तथा विषैले रसायनों, सीसा, कैडमियम, बेरियम, पारा, फॉस्फेट आदि की मात्रा बढ़ने पर जल प्रदूषित हो जाता है। इन प्रदूषकों के कारण जल अपनी उपयोगिता खो देता है तथा जीवन के लिए घातक हो जाता है। जल प्रदूषण दो प्रकार का होता है-दृश्य प्रदूषण एवं अदृश्य प्रदूषण।


              जल प्रदूषण के कारण 


जल प्रदूषण निम्नलिखित कारणों से फैलता है.


1. उद्योगों; जैसे- चमड़ा उद्योग, रसायन उद्योग आदि से निकलने वाला अवशिष्ट पदार्थ, गन्दा जल आदि जल स्रोतों को दूषित कर देता है। 


2. नगरीकरण के परिणामस्वरूप अवशिष्ट पदार्थों आदि का जल में मिलना।

यमुना नदी इस प्रकार के प्रदूषण का ज्वलन्त उदाहरण है।


 3. नदियों में कपड़े धोना अथवा उनमें नालों आदि का गन्दा जल मिलना।


4. कृषि में प्रयुक्त कीटनाशकों, अपमार्जकों आदि का वर्षा के माध्यम से जल स्रोतों में मिलना।


5. समुद्री परिवहन, तेल का रिसाव आदि से जल स्रोत का दूषित होना।


6. परमाणु ऊर्जा उत्पादन एवं खनन के परिणामस्वरूप विकिरण युक्त जल का नदी, समुद्र में पहुँचना


7. नदियों में अधजले शव, मृत शरीर आदि का विसर्जन । 


8. घरेलू पूजा सामग्री, मूर्तियों आदि का जल में विसर्जन


        जल प्रदूषण की रोकथाम के उपाय


जल प्रदूषण की रोकथाम हेतु निम्नलिखित उपाय सम्भव हैं


1. नगरों में अशुद्ध जल को ट्रीटमेण्ट के उपरान्त शुद्ध करके ही नदियों में छोड़ना।


 2. सीवर ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट एवं उद्योगों में ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट लगाकर अशुद्ध जल एवं अवशिष्ट सामग्री का शोधन करना। 


3. समुद्री जल में औद्योगिक गन्दगी आदि को न मिलने देना।


4. मृत जीव एवं चिता के अवशेष आदि नदियों में प्रवाहित न होने देना। 


5. नदियों, तालाबों की समय-समय पर सफाई करना।


6. नदियों, तालाबों के जल में कपड़े न धोना। 


7. नदियों में धार्मिक आयोजन के अवशिष्ट पदार्थों को न फेंकना।


8. कृषि में जैव उर्वरकों का प्रयोग करना। 


9. जल प्रदूषण नियन्त्रण हेतु जन-जागरूकता फैलाना एवं सहयोग के लिए प्रेरित करना।


प्रश्न 4. आजकल की जीवनशैली व परिवेश को देखते हुए प्रदूषण पर एक निबन्ध लिखिए। 


 अथवा पर्यावरण की परिभाषा क्या है। पर्यावरण प्रदूषण नियन्त्रण के उपाय लिखिए। 


अथवा पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते हैं? पर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न कारण बताइए। 


 अथवा पर्यावरण प्रदूषण से आप क्या समझते हैं? पर्यावरण प्रदूषण के सामान्य कारकों का उल्लेख कीजिए तथा उसे नियन्त्रित करने के उपाय भी बताइए।


अथवा पर्यावरण प्रदूषण के कारणों का उल्लेख कीजिए। 


अथवा पर्यावरण प्रदूषण से क्या तात्पर्य है? प्रदूषण के कारण तथा मानव पर पड़ने वाले प्रभाव का वर्णन कीजिए। 


उत्तर – पर्यावरण प्रदूषण से आशय पर्यावरण के किसी एक या सभी भागों का दूषित होना है। यहाँ दूषित होने से आशय पर्यावरण के प्रकृति प्रदत्त रूप में इस प्रकार परिवर्तन होता है, जोकि मानव जीवन के लिए प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न करे। पर्यावरण प्रदूषण जल, मृदा, वायु तथा ध्वनि के रूप में हो सकता है। पर्यावरण के इन कारकों के आधार पर ही पर्यावरण प्रदूषण के चार रूप हैं


1. वायु प्रदूषण


2. जल प्रदूषण


3. मृदा प्रदूषण


4. ध्वनि प्रदूषण


पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण


 पर्यावरण प्रदूषण अपने आप में एक गम्भीर तथा व्यापक समस्या है। पर्यावरण प्रदूषण के लिए मुख्यतः मानव समाज ही जिम्मेदार है। विश्व में मानव ने जैसे-जैसे सभ्यता का बहुपक्षीय विकास किया है, वैसे-वैसे उसने प्राकृतिक पर्यावरण को प्रभावित किया है। पर्यावरण प्रदूषण के असंख्य कारण हैं, परन्तु उनमें से मुख्य एवं अधिक प्रभावशाली सामान्य कारण निम्नलिखित हैं.


1. औद्योगीकरण तीव्र औद्योगीकरण पर्यावरण प्रदूषण के लिए एक मुख्य कारक है। औद्योगिक संस्थानों में ईंधन जलने से वायु प्रदूषण होता है, वहीं औद्योगिक अपशिष्टों का उत्सर्जन जल एवं मृदा प्रदूषण तथा उद्योगों की मशीनों का शोर ध्वनि प्रदूषण फैलाने में सहायक है। विश्व में हर जगह तीव्र औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। 


2. नगरीकरण नगरीकरण के परिणामस्वरूप जनसंख्या के बड़े भाग का नगरीय क्षेत्रों में बसना प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। नगरीय क्षेत्रों में विभिन्न उद्योगों की स्थापना, पानी की अतिरेक खपत परिवहन साधनों के बढ़ते प्रयोग आदि ने प्रदूषण बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।


3. घरेलू जल-मल का अनियमित निष्कासन आवासीय क्षेत्रों में खुले में शौच,विभिन्न घरेलू अपशिष्ट आदि द्वारा वायु, जल एवं मृदा प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है। 


4. घरेलू अपमार्जकों का प्रयोग घर में प्रयुक्त अनेक अपमार्जक पदार्थ; जैसे- मक्खी, मच्छर, खटमल कॉकरोच, दीमक आदि को नष्ट करने के लिए विभिन्न दवाओं का प्रयोग, विभिन्न दवाइयाँ एवं साबुन, तेल आदि वायु अथवा जल के माध्यम से हमारे पर्यावरण में मिल जाते हैं तथा पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि करते हैं। 


5. दहन एवं धुआँ रसोईघर, उद्योगों, परिवहन के साधनों आदि द्वारा विभिन्न प्रकार की गैसों एवं धुएँ में वृद्धि से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जोकि हमारे 'पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है।


6. कृषि क्षेत्र में कीटनाशकों एवं रासायनिक उर्वरक का प्रयोग कृषि कार्य हेतु विभिन्न प्रकार के कीटनाशक एवं रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग द्वारा प्रदूषण में वृद्धि हुई है। विभिन्न लाभकारक कीटों को भी कीटनाशकों द्वारा समाप्त किया जाता है। कीटनाशक एवं उर्वरक वर्षा जल के माध्यम से नदियों में मिलकर एवं मृदा में मिलकर जल एवं मृदा प्रदूषण में योगदान करते हैं फीनोल, मेथाक्सीक्लोर आदि कीटनाशकों एवं उर्वरक के प्रमुख उदाहरण हैं।


7. वृक्षों को अत्यधिक कटाई /वन विनाश वन विनाश के परिणामस्वरूप वायुमण्डल में ऑक्सीजन की मात्रा में कमी आती है, क्योंकि वन/वृक्ष ही जहरीली कार्बन डाइ ऑक्साइड को सोखकर एवं प्राणदायक ऑक्सीजन प्रदान करके वायुमण्डल में ऑक्सीजन का सन्तुलन बनाए रखते हैं। अत: वन विनाश पर्यावरण प्रदूषण का एक प्रमुख कारक है।


8. विभिन्न भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि वर्तमान समय में प्रयुक्त एसी, फ्रिज, वाटरहीटर आदि से विभिन्न प्रकार की जहरीली गैसें निकलती हैं, जिसके कारण पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि होती है। ए.सी. से निकलने वाली सी.एफ.सी. गैस इसका प्रमुख उदाहरण है।


9. परिवहन के साधन वर्तमान समय में परिवहन के साधनों जैसे कार, ट्रक, मोटरसाइकिल, हवाई जहाज, पानी के जहाज आदि में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इन साधनों में पेट्रोल डीजल के दहन से विभिन्न जहरीली गैसें; जैसे—कार्बन डाइ ऑक्साइड, मीथेन आदि निकलती हैं, जिनसे वायु प्रदूषण होता है। इनके चलने से एवं हॉर्न से उत्पन्न शोर से क्रमशः ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।


10. रेडियोधर्मी पदार्थों द्वारा प्रदूषण परमाणु ऊर्जा, परमाणु परीक्षणों आदि से वातावरण में रेडियोधर्मी पदार्थों का समावेश होता है, जोकि पर्यावरण प्रदूषण का एक प्रमुख कारक है। इस कारक का पर्यावरण के जीव-जन्तुओं तथा वनस्पति पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।


पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम/ नियन्त्रण के उपाय 


पर्यावरण प्रदूषण एक गम्भीर समस्या है। वर्तमान समय में विश्व के समस्त देश इस समस्या को लेकर चिन्तित हैं तथा इसके समाधान हेतु प्रयासरत हैं। भारत एवं विश्व में इस समस्या के समाधान हेतु निम्नलिखित प्रमुख प्रयास किए जा रहे हैं।


1. उद्योगों एवं घरेलू स्तर पर धुएँ की निकासी हेतु ऊँची चिमनी का प्रयोग करना।


2. उद्योगों एवं फैक्टरियों से निकले अपशिष्ट पदार्थ, जल आदि को पूर्ण रूप से उपचारित करने के पश्चात् ही निष्कासित करना। 


3. फैक्टरियों एवं उद्योगों की स्थापना आवासीय क्षेत्र से दूर करना।


4. वाहन प्रदूषण की रोकथाम हेतु वाहनों की समय-समय पर जाँच करवाना। 


5. ईंधन की कम-से-कम खपत करना, अनावश्यक ईंधन व्यर्थ न करना।


6. कृषि में जैव उर्वरकों का प्रयोग करना। परिवहन ईंधन के रूप में सी. एन.जी., एल. पी. जी. आदि पर्यावरण हितैषी ईंधन को बढ़ावा देना। ग्रामीण क्षेत्रों में ईंधन हेतु एल.पी.जी. एवं गोबर गैस संयन्त्रों की स्थापना करना ।


 7. जन सामान्य को पर्यावरण के प्रति सचेत करना।


इन सभी उपायों को लागू करके पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को धीरे-धीरे कम किया जा सकता है, इसके लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा।


         जन स्वास्थ्य पर प्रभाव


जन स्वास्थ्य पर प्रभाव निम्नलिखित हैं।


1. प्रदूषण से विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी बीमारियाँ जैसे- हैजा, कॉलरा,टायफाइड आदि होती हैं।


2. ध्वनि प्रदूषण से सर दर्द, चिड़चिड़ापन, रक्तचाप बढ़ना, उत्तेजना, हृदय की धड़कन बढ़ना आदि समस्याएँ होती हैं।


3. जल प्रदूषण से टायफाइड, पेचिश, ब्लू बेबी सिण्ड्रोम, पाचन सम्बन्धी विकार (कब्ज) आदि समस्याएँ होती हैं।


4. वायु प्रदूषण से फेफड़े एवं स्वास सम्बन्धी, श्वसन-तन्त्र की बीमारियाँ होती है।



पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण


1.औद्योगीकरण


2.नगरीकरण


3.घरेलू जल-मल का अनियमित निष्कासन घरेलू 4.अपमार्जकों का प्रयोग


5• दहन एवं धुआँ


6.कृषि क्षेत्र में कीटनाशकों एवं रासायनिक उर्वरक का प्रयोग


7.वृक्षों की अत्यधिक कटाई वन विनाश 


8• विभिन्न भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि


9• परिवहन के साधन


10• रेडियोधर्मी पदार्थों द्वारा प्रदूषण


प्रश्न 5. पर्यावरण का अर्थ क्या है? वृक्ष पर्यावरण को कैसे शुद्ध करते हैं? पर्यावरण संरक्षण के लिए जनता को कैसे जागरूक किया जा सकता है?


उत्तर – पर्यावरण का अर्थ

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परि + आवरण। परि का अर्थ है, 'चारों ओर' तथा आवरण का अर्थ है, 'घेरा' अतः शाब्दिक अर्थ हुआ चारों ओर से घेरने वाले, जिसके अन्तर्गत पृथ्वी, आकाश, वनस्पति आदि सम्मिलित है।


वृक्षों द्वारा पर्यावरण की शुद्धि 

वृक्षों द्वारा पर्यावरण की शुद्धि निम्न प्रकार की जाती है


1. दूध पर्यावरण से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करके ऑक्सीजन नियुक्त करते है, जिससे पर्यावरण में सन्तुलन बना रहता है और पर्यावरण शुद्ध रहता है।


 2. वृक्ष ध्वनि प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण को नियन्त्रित करके पर्यावरण को बनाते हैं।


3. वृक्ष वर्षा के कारक होते हैं, क्योंकि वृक्षों के द्वारा पर्यावरण को शुद्ध किया जा सकता हैं।


4. अचानक आने वाली बाढ़ से वृक्ष सुरक्षा प्रदान करके पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखते हैं।


5. वृक्ष पर्यावरण में विद्यमान धूल कणों को अवशोषित करके पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखते हैं।


पर्यावरण संरक्षण के लिए जनता को जागरूक करने के उपाय 

पर्यावरण का मानव जीवन से घनिष्ठ सम्बन्ध है, पर्यावरण संरक्षण के लिए जनचेतना का होना बहुत आवश्यक है। पर्यावरण संरक्षण का लक्ष्य निम्नलिखित उपायों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है


1. पर्यावरण शिक्षा द्वारा जनता में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाई जा सकती है। सामान्य जनता को पर्यावरण के महत्त्व, भूमिका तथा प्रभाव आदि से अवगत कराना आवश्यक है।


2. वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कराना चाहिए; जैसे— स्टॉकहोम सम्मेलन (1972), रियो डि जेनेरियो सम्मेलन (1992)। 


3. गाँव, शहर, जिला, प्रदेश, राष्ट्र आदि सभी स्तरों पर पर्यावरण संरक्षण में लोगों को शामिल करना चाहिए। 


4. पर्यावरण अध्ययन से सम्बन्धित विभिन्न सेमिनार पुनश्चर्या, कार्य-गोष्ठियाँ,दृश्य-श्रव्य प्रदर्शनी आदि का आयोजन कराया जा सकता है। 


5. विद्यालय, विश्वविद्यालय स्तर पर 'पर्यावरण अध्ययन' विषय को लागू करना एवं प्रौढ़ शिक्षा में भी पर्यावरण शिक्षा को स्थान देना महत्त्वपूर्ण उपाय है।


6. जनसंचार माध्यमों- रेडियो, दूरदर्शन तथा पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के प्रति जनजागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। 


7. पर्यावरण से सम्बन्धित विभिन्न राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करना महत्त्वपूर्ण प्रयास है; जैसे- इन्दिरा गाँधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार, वृक्ष मित्र पुरस्कार, महावृक्ष पुरस्कार, इन्दिरा गाँधी पर्यावरण पुरस्कार आदि।


8. विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) का आयोजन जागरूकता लाने की दिशा में उठाया गया महत्त्वपूर्ण कदम है।

FAQ.


Q.होम साइंस में क्या क्या पढ़ना होता है?

Ans.होम साइंस शिक्षा के अन्तर्गत पाक शास्त्र, पोषण, गृह अर्थशास्त्र, उपभोक्ता विज्ञान, बच्चों की परवरिश, मानव विकास,आन्तरिक सज्जा, वस्त्र एवं परिधान, गृह-निर्माण आदि का अध्ययन किया जाता है।


Q.गृह विज्ञान की 5 शाखाएं कौन सी हैं ?

Ans.गृह विज्ञान की निम्न शाखाएं – अन्तर्गत पाक शास्त्र, पोषण, गृह अर्थ शास्त्र, उपभोक्ता विज्ञान, मानव विकास, आंतरिक सज्जा, वस्त्र व परिधान, गृह निर्माण इत्यादि शाखाएं है।


Q.गृह विज्ञान का दूसरा नाम क्या है ?

Ans.अमेरिका में इसे 'गृह अर्थशास्त्र' (Home Economics) तथा इंग्लैण्ड व भारत में इसे 'गृह विज्ञान' (Home Science) के नाम से प्रचलित है। 


Q.गृह विज्ञान के जनक कौन है?

Ans.गृह विज्ञान का जनक जस्टस फ्रीहेर वॉन लीबिग को माना जाता हैं।


Q.गृह विज्ञान की शुरुआत कब हुई थी ?

Ans.भारत में गृह विज्ञान का अध्ययन सर्वप्रथम 1920 से 1940 तक ब्रिटिश काल से शुरू किया गया था। 


Q.गृह विज्ञान का पुराना नाम क्या है ?

Ans. गृह विज्ञान के पुराने कई नाम प्रचलित थे जैसे गृह शिल्प या घरेलू अर्थशास्त्र


Q.भारत में विज्ञान का जनक कौन है?

Ans. भारत में विज्ञान के  जनक सर जगदीश चंद्र बोस (1858 - 1937) माना जाता हैं 




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