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Essay on Indian farmer in Sanskrit//किसान पर संस्कृत में निबंध

 Essay on Indian farmer in Sanskrit//किसान पर संस्कृत निबंध

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 के बारे में जानकारी देने वाले है इसलिए आप इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें यदि आपको पोस्ट पसन्द आए तो अपने दोस्तो को भी शेयर करें यदि आपको कोई प्रश्न पूछना है तो आप हमारे youtube chennal Subhansh classes पर कॉमेंट करके ज़रूर पूछ लीजिएगा


भारतीय कृषकः


यः कृषिः करोति सः कृषकः इति उच्यते । भारतं कृषिप्रधान देशः अस्ति अत्रत्या भूमि: सुजला, सुफला, शस्यश्यामला च अस्ति । कृषिकर्मणि पशूनां विशेषं महत्त्वम् अस्ति । वृषभाः हलं शकटं च कर्षन्ति गावः दुग्धं ददाति । तेषां गोमयेन 'खादः ' भवति पश्च अन्नोत्पादने सहायकः भवति । तस्मादेव कारणात् कृषकः भूमिं पशून् च भृशम् अर्चयति ।


पुरा कृषि: हलवृषभाश्रिता एवं आसीत् परमद्य नवीनानि कृषियन्त्राणि निर्मितानि येषां साहाय्येन अल्पेन कालेन विपुलं कार्यं सम्पद्यते कर्षणाय हलानि, सिंचनाय ट्यूबवेलयन्त्राणि, कीटनाशाय कीटनाशकौषधानि, उत्पादन वृद्धये रासायनिकानि उर्वरकाणि च सन्ति, येषां साहाय्येन विपुलम् अन्नम् उत्पद्यते कृषकाः च समृद्धिं गच्छन्ति । उपर्युक्तानि कृषियन्त्राणि बहुमूल्यानि सन्ति येन न सामान्यः अपितु मध्यमवर्गीयः अपि कृषकः एता

आणि क्रेतुम् असमर्थः । अतः अद्यापि भारतीय कृषकः विपुलं श्रमं कृत्वापि अभावग्रस्तः एव अस्ति ।


अतः भारतीयकृषकाणां विकासाय आवश्यकम् अस्ति यत् कृषि सहायकोपकरणानि अल्पमूल्यानि सुलभानि च स्युः येन साधारणोऽपि कृषकः तानि क्रेतुम् उपयोक्तुं च समर्थः भवेत् तदैव कृषकाणां विकासः भविष्यति, देशे च धन-धान्य-समृद्धिः भविष्यति।


हिंदी में अर्थ 


जो व्यक्ति खेती करता है उसे किसान कहते हैं।  भारत एक कृषि प्रधान देश है।भूमि अच्छी तरह से सिंचित, उपजाऊ और फसलों से समृद्ध है।  कृषि में पशुओं का विशेष महत्व है।  बैल हल और गाड़ी खींचते हैं और गायें दूध देती हैं।  उनका गोबर 'उर्वरक' बन जाता है और बाद में खाद्य उत्पादन में मदद करता है।  इसलिए किसान भूमि और पशुओं की इतनी पूजा करता है।


पहले कृषि हल और बैलों पर निर्भर थी आज कृषि के ऐसे नए यन्त्र विकसित हो गए हैं जो बहुत कम समय में बहुत से कार्य कर सकते हैं।  उपर्युक्त कृषि यंत्र मूल्यवान है जिससे न केवल आम बल्कि मध्यमवर्गीय किसान भी ईटा को लाभ पहुँचा सकते हैं

और खरीद नहीं पा रहा है।  इसलिए भारतीय किसान को उसकी कड़ी मेहनत के बावजूद आज भी जरूरत है।


इसलिए,भारतीय किसानों के विकास के लिए यह आवश्यक है कि कृषि आदान सस्ते और सुलभ हों ताकि एक सामान्य किसान भी उन्हें खरीद सके और उनका उपयोग कर सके।

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