जैव विविधता एवं इसका संरक्षण Biodiversity and Its Conservation ncert pdf in hindi
जैव-विविधता एवं संरक्षण कक्षा 12वी नोट्स Biodiversity and Its Conservation notes in hindi
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{ Short Introduction of Biodiversity and Its Conservation }
जैव-विविधता
•किसी भी पारिस्थितिकी तन्त्र एवं वातावरण में पारस्परिक निर्भरता तथा अन्योन्य क्रियाएँ करते हुए पादपों, जन्तुओं एवं सूक्ष्मजीवों की विभिन्न जातियों (स्वभाव, संरचना, आकार एवं आकृति में भिन्न) का पाया जाना, जैव-विविधता (Biodiversity) कहलाता है।
•जैव-विविधता शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम रोजन (Rosen; 1985) ने किया था। एडवर्ड ओ. विल्सन (Edward 0 Wilson; 1985) को 'जैव-विविधता का जनक' (Father of Biodiversity) कहा जाता है।
•भारत की विविध जलवायुगत व स्थलाकृतिक (Topographic) विभिन्नताएँ इसे पारिस्थितिक भिन्नताओं से समृद्ध करती हैं। यहाँ के हिमालय में शीतोष्ण पारितन्त्र, दक्षिणी क्षेत्र में उष्णकटि धीय वर्षा वन, मध्य में मैदान व पर्णपाती वन, पश्चिम में मरुस्थल, आदि हैं। यहाँ अनेक नदियाँ, मैन्द्रोव, आर्द्र क्षेत्र, बड़ी तटीय रेखा भी है।
पारिस्थितिकीविद् सम्पूर्ण संसार में पाई जाने वाली जैव-विविधता का निर्धारण निम्न दो तरीकों द्वारा करते हैं
(i) अन्य जातियों की खोज की दर ज्ञात करना।
(ii) उष्ण कटिबन्धीय व शीतोष्ण क्षेत्रों के जातीय समृद्धि की सांख्यिकीय तुलना कीटों की खोजी गई जातियों से करके, पृथ्वी पर कुल जातियों का अनुमान लगाना।
नोट वन्य जीव वे जीव, जो अपने प्राकृतिक आवास में बाह्य परिवर्तन के बिना स्वतन्त्र रूप से निवास करते हैं।
जैव-विविधता को निम्नलिखित तीन स्तरों में विभक्त किया गया है-
1. आनुवंशिक विविधता
इस विविधता से तात्पर्य एक ही जाति में पाई जाने वाली विभिन्नता से है। यह विविधता वातावरणीय परिस्थितियों में अनुकूलन एवं स्वस्थ प्रजनन के लिए उपयोगी होती है। यह जातिकरण (Speciation) या नई जाति के उद्विकास में सहायता करती है।
2. जातीय (स्पीशीज) विविधता
किसी जाति की प्रति इकाई क्षेत्र संख्या को जाति प्रचुरता कहते हैं। जाति प्रचुरता जितनी अधिक होगी, जातीय विविधता भी उतनी ही अधिक होगी।
3. समुदाय एवं पारिस्थितिकीय विविधता
समुदाय विविधता जैवीय समुदाय (Biotic community) में विभिन्नता को दर्शाती है। पारिस्थितिक स्तर पर जीवों की विविधता को पारिस्थितिकीय विविधता कहते हैं। सामुदायिक
विविधता तीन प्रकार की होती हैं
(i) एल्फा-विविधता (ac-diversity)
(iii) गामा-विविधता (y-diversity)
(ii) बीटा-विविधता (B-diversity)
जैव-विविधता के प्रतिरूप (पैटर्न)
सम्पूर्ण पृथ्वी पर जैव-विविधता के निम्नलिखित प्रतिरूप पाए जाते हैं
1. अक्षांशीय प्रवणता
• सामान्यतया जैसे-जैसे हम भूमध्य रेखा से ध्रुवों और शीतोष्ण क्षेत्र (Temperate area) की ओर जाते हैं, तो जैव-विविधता कम होती जाती है।
उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में उच्च जैव-विविधता के निम्न कारण हैं
•उष्णकटिबन्धीय समुदाय, शीतोष्ण समुदाय की तुलना में अधिक पुराना है। इसी कारण उष्णकटिबन्धीय प्रजातियों में अधिक विशिष्टताएँ एवं अनुकूलन पाए जाते हैं।
•उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में टेम्परेट क्षेत्रों की तुलना में अधिक स्थाई वातावरण पाया जाता है। अतः इन क्षेत्रों में स्थानीय जातियाँ अधिक जीवित रहती हैं।
•स्थाई व गर्म तापक्रम एवं अधिक नमी युक्त वातावरण
2. तुंगीय प्रवणता
अक्षांशीय प्रवणता की भाँति ही मैदानी क्षेत्रों से पर्वतीय क्षेत्रों की ओर बढ़ने पर जातीय विविधता कम होती जाती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि 1000 मीटर की ऊँचाई पर सामान्यतया तापमान में 6.5° C की कमी आ जाती है।
3. जातीय क्षेत्र सम्बन्ध
एलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट (Alexander von Humboldt) के अनुसार, किसी भी दिए गए क्षेत्र की जातीय समृद्धि अन्वेषण (Explored) क्षेत्र के साथ केवल एक सीमा तक ही बढ़ सकती है। इनके अनुसार, जातीय समृद्धि (पक्षी, चमगादड़, मछलियाँ, आदि) के सम्बन्ध एक आयताकार अतिपरवलय (Rectangular hyperbola) के रूप में परिलक्षित होता है।
लघुगणकीय पैमाने (Logarithmic scale) पर यह सम्बन्ध एक सीधी रेखा के रूप में दर्शाया जा सकता है, जिसका समीकरण निम्नवत् है।
log S = logC + Z logA
इसमें S = जातीय समृद्धि (Species richness)
A = क्षेत्र (Area)
Z = समाश्रयन या रेखीय ढाल (Regression coefficient)
C = अन्तः खण्ड (Intercept)
जातीय विविधता का पारिस्थितिकी तन्त्र में महत्व जातियों की संख्या पारिस्थितिक तंत्र के लिए अत्याधिक महत्वपूर्ण होती है।
इसके कुछ महत्त्व निम्नलिखित है
1. किसी क्षेत्र में जितनी अधिक संख्या में जातियां उपस्थित होती है. उस क्षेत्र की उत्पादकता भी उतनी ही अधिक होती है।
2. उच्च जातीय विविधता वाला पारितन्त्र अधिक स्थाई होता है और लम्बे समय तक इस स्थिरता को बनाए रखने में सक्षम होता है।
3. पारिस्थितिकी तन्त्र में उच्च जातीय विविधता के कारण खाद्य श्रृंखला भी उच्च रूप से शाखित होती है। सभी जीवों की एक-दूसरे पर निर्भरता होती है एवं खाद्य श्रृंखला में प्रत्येक जीव का कार्य महत्त्वपूर्ण होता है।
नोट किसी जीव के आर्थिक महत्त्व के उत्पाद की आण्विक, आनुवंशिक व प्रजाति स्तरीय विविधता से सम्बंधित अनुसंधान बेयोप्रोस्टकिंग कहलाते है।
जैव-विविधता की क्षति
जैव-विविधता की क्षति के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
1. आवासीय क्षति तथा विखण्डन
ये जन्तुओं एवं पादपों के विलुप्तिकरण का मुख्य कारण है। उष्णकटिबन्धीय वर्षावनों के क्षेत्रफल में होने वाली आवासीय क्षति का सबसे अच्छा उदाहरण है। एक समय वर्षा वन पृथ्वी के 14% क्षेत्र में फैले थे, लेकिन अब 6% से अधिक क्षेत्र में नहीं है।
2. अतिदोहन
मानव हमेशा भोजन एवं आवास के लिए प्रकृति पर निर्भर रहा है, लेकिन अधिक की इच्छा रखने पर प्राकृतिक सम्पदा का अधिक दोहन आरम्भ हो जाता है। मानव द्वारा अतिदोहन से पिछले 500 वर्षों में कई जातियाँ जैसे-स्टीलर समुद्री गाय, पैसेंजर कबूतर आदि विलुप्त हुए है।
3. विदेशी जातियों द्वारा आक्रमण
जब बाहरी जातियाँ किसी भी लक्ष्य से एक क्षेत्र में लाई जाती है तब उनमें से कुछ आक्रामक होकर स्थानिक जातियों में कमी या उनकी विलुप्ति का कारण बन जाती हैं, उदाहरण जब नाइल पर्च (नील नदी की मछली) को पूर्वी अफ्रीका की विक्टोरिया झील में डाला गया, तब झील में रहने वाली पारिस्थितिक रूप से बेजोड़ सिचलिड मछलियों (Cichid fishes) की 200 से अधिक जातियाँ विलुप्त हो गई। अन्य उदाहरण पार्थेनियम, आइकोर्निया ।
4. सहविलुप्तता
जब एक जाति विलुप्त होती है, तब उस पर आधारित दूसरी जन्तु व पादप जातियाँ भी विलुप्त होने लगती है; जैसे-जब एक परपोषी मत्स्य जाति विलुप्त होती है, तब उसके ऊपर आश्रित विशिष्ट परजीवियों का भी वही भविष्य होता है।
रेड डाटा बुक
IUCN द्वारा जारी इस किताब में विलुप्त, संकटग्रस्त, दुर्लभ, अनाकलित जीव-जातियों का सूचीबद्ध वर्णन किया जाता है। पादपों में राउवोल्फिया सर्पेन्टाइना, सेन्टेलम अल्बम (चन्दन), साइकस बेडोनी, आदि भारत की आपदाग्रस्त प्रजातियाँ हैं। इस किताब में विभिन्न जीवों को उनकी वर्तमान स्थिति व उनके भविष्य के
आधार पर विभिन्न श्रेणियों में बाँटा गया है
• भारत में ग्रेट इण्डियन बस्टर्ड, एक सींग वाला गैंडा, कश्मीरी स्टैग (विकट संकटापन्न जातियाँ)।
• भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ, शेर (संकटग्रस्त जाति)। हिमालयन कुल, मॉरीशस की डोडो चिड़िया (विलुप्त जाति)।
• लाल पाण्डा, कस्तूरी मृग, भारतीय बब्बर शेर
(संकटग्रस्त जातियाँ) संकटग्रस्त जातियाँ इन श्रेणियों में उन जातियों को रखा गया है, जिनकी जनसंख्या बहुत तेजी से घटी है और भविष्य में इनके विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
जैव-विविधता का संरक्षण
• जैव-विविधता के संरक्षण का तात्पर्य जैवविविधता की वैज्ञानिक व्यवस्था एवं उन्नत करने से है।
•वन्यजीवो तथा पादप (वन)संरक्षण के उद्देश्य निम्न हैं।
(i) प्राकृतिक सन्तुलन को बनाए रखना।
(ii) संकटापन्न, दुर्लभ एवं सुभेद्य जातियों को हानि पहुँचाने वाले कारकों से सुरक्षा करना।
(iii) पादपों एवं जन्तुओं के जीन पूल को सुरक्षित रखना।
नोट वन्य जीव संरक्षण अधिनियम सन् 1972 में पारित किया गया।
संरक्षण की दो आधारभूत योजनाएँ हैं- स्व: स्थाने (in situ) और बाह्य स्थाने (Ex situ) I
1. स्व: स्थाने संरक्षण
• संरक्षण जिसमें जैव-विविधता को प्राकृतिक आवास में अथवा मानव-निर्मित पर्यावरण तन्त्र में ही संरक्षण किया जाता है, तो स्व: स्थाने संरक्षण कहलाता है।
• कन्वेनशन ऑन बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी (Convention on Biological Diversity or
CBD) के अनुसार, स्वः स्थाने संरक्षण के द्वारा ऐसे क्षेत्र स्थापित किए जाने चाहिए,जिनमें उपस्थित जैव सम्पदा को सुरक्षित रखने का विशेष प्रावधान हो, इसके तहत् बायोस्फीयर रिजर्व, राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभ्यारण्य, आदि बनाने चाहिए।
• तप्तस्थल (Hotspots) का विचार सर्वप्रथम नॉर्मन मेयर (Norman Mayer) ने सन् 1988 में दिया।
•वह भौगोलिक क्षेत्र जहाँ जैव-विविधता की अधिकता हो (वन्यजीव या वनस्पति) तथा इसके प्राकृतिक आवास को खतरा हो अर्थात् प्राकृतिक संसाधनों का अतिदोहन हो रहा हो, जैव-संवेदी क्षेत्र या 'तप्त-स्थल' कहलाते हैं।
•विश्व के 34 तप्तस्थल में से तीन भारत में पाए जाते हैं। ये पश्चिमी घाट व श्रीलंका, पूर्वी हिमालय, इण्डो-वर्मा क्षेत्र में स्थित हैं। ये क्षेत्र उच्च स्थानिकता (Endemism) की उच्च कोटि को प्रदर्शित करते हैं। इन क्षेत्रों में बहुत ही उच्च कोटि की जैव-विविधता पाई जाती है। इन सभी तप्त-स्थलों की जैव-विविधता लगभग 2% ही है, परन्तु 44% जातियाँ पाई जाती हैं।
नोट • कोरल रीफ अण्डमान निकोबार प्रायद्वीप, मेन्यूव वनस्पति पश्चिम बंगाल तथा नदमुख कर्नाटक के तटीय क्षेत्र में मिलते हैं।
• तप्त स्थलों को सुरक्षा प्रदान कर विलोपन की दर को 30% तक कम किया जा सकता है।
• पूर्वोत्तर भारत के वर्षा वनों में कई स्थानिक (Endemic) जातियाँ पाई जाती हैं।
जैसे- पादप में पिचर प्लाण्ट व जन्तुओं में एशियन हाथी, गिब्बन, आदि।
•राष्ट्रीय उद्यान वह क्षेत्र, जो वन्यजीवों के लिए पूर्णरूप से संरक्षित होता है तथा शिकार खेलना, पशु चराना, फसल बोना निषेध होता है, राष्ट्रीय उद्यान (National park) कहलाता है। इन क्षेत्रों में जन्तुओं या प्राणिजात (Fauna) तथा पादपों या वनस्पतिजात (Flora) दोनों का संरक्षण किया जाता है।
•जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान (Jim Corbett National Park) भारत का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है, जिसकी स्थापना सन् 1936 में हुई थी। यह अब उत्तराखण्ड में स्थित है।
•येलोस्टोन राष्ट्रीय उद्यान विश्व का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है, जिसकी स्थापना सन् 1872 में USA में हुई थी।
नोट •उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी सारस है।
• काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान असोम में एक सींग वाला गैंडा (राइनोसिस) विशिष्ट रूप से पाया जाता है, जो अत्यधिक शिकार के कारण विलुप्त हो रहा है।
• भारत के राष्ट्रीय जन्तु का नाम बाघ (Tiger) है, जो पश्चिम बंगाल के सुन्दरबन में पाए जाते हैं। इसके संरक्षण हेतु 'टाइगर प्रोजेक्ट' सन् 1972 में बनाया गया।
•एशियाई के लिए एक प्राकृतिक बास गिर राष्ट्रीय उद्यान गुजरात में स्थित है, जो काहियावाडा क्षेत्र में पाए जाते हैं।
• घाना राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर (राजस्थान) में स्थित है जो प्रवासी पक्षी प्रजाति साइबेरियन सारस के कारण प्रसिद्ध है।
• अभ्यारण्य वे सामूहिक आरक्षित क्षेत्र हैं, जहाँ पादप एवं जन्तुओं की स्थानीय जातियों तथा अभिगमन करके आई जातियों को अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान की जाती है।
● भारत में 18 जैव-मण्डल संरक्षित क्षेत्र, 120+ राष्ट्रीय उद्यान, 585 वन्यजीव अभ्यारण्य, 40 टाइगर रिजर्व, 37 बैट लैण्ड, 15 मैन्द्रोव तथा 4 प्रवाल भित्ति संरक्षित
क्षेत्र के रूप में मान्यता प्राप्त हैं।
2. बाह्य स्थाने संरक्षण
• इस प्रकार के संरक्षण में जीवों को उसके प्राकृतिक आवास से बाहर मानव निर्मित आवास में रखा जाता है। अतः इसे बाहा स्थाने संरक्षण कहते हैं।
• इसमें जर्मप्लाज्म शुक्राणु, बीजाणु, परागण, ऊतक संवर्धन हेतु जिस देश की विविधता है, उसी देश में शोध व संरक्षण हेतु धन की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
•इसके अन्तर्गत जन्तु उद्यान, वनस्पति उद्यान व वन्य जीव सफारी द्वारा पादपों व जीवों का संरक्षण किया जा रहा है। आज कई जन्तु जंगलों में खत्म हो गए हैं, किन्तु वह जन्तु उद्यानों में सुरक्षित व संरक्षित हैं।
•शीत परिरक्षण इसमें दुर्लभ तथा संकटग्रस्त जीवों के जर्मप्लाज्म का बहुत कम ताप (-196°C) पर नाइट्रोजन के साथ संग्रहण (Storage) किया जाता है। इस विधि में जैविक क्रियाएँ, विभाजन तथा आनुवंशिकी प्रभावित नहीं होती, यह विधि शीत परिरक्षण कहलाती है।
• पादपों का ऊतक संवर्धन द्वारा वर्धन किया जाता है। आर्थिक महत्त्व के बीजों की बीज बैंक में लम्बे समय तक रखना सम्भव है। जैव-विविधता के संरक्षण में अनेक देश प्रयासरत हैं क्योंकि जैव-विविधता विश्व (प्रकृति) की धरोहर है, जिसकी कोई राजनैतिक सीमा नहीं है व इसकी सुरक्षा सभी देशों की नैतिक जिम्मेदारी है।
नोट दुर्लभ संकटग्रस्त तथा वाँछित गुणों युक्त वन्य पादपों एवं प्राणियों की जीन को जिन सुरक्षित स्थानों में संरक्षित किया जाता है, उन्हें 'जीन बैंक' कहते हैं।
• इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु सन् 1992 में रियो डी जेनेरियो (ब्राजील) में जैव-विविधता का ऐतिहासिक सम्मेलन हुआ, जो पृथ्वी सम्मेलन (Earth summit) के नाम से जाना जाता है।
•इसी क्रम में सन् 2002 में 190 देशों ने दक्षिणी अफ्रीका के जोहन्सबर्ग में सतत् विकास (Sustainable development) पर विश्व सम्मेलन (World summit) के दौरान शपथ ली। इसमें सभी देशों ने 2010 तक जैव-विविधता में हो रही तीव्र क्षति को स्थानीय, प्रादेशिक व वैश्विक स्तर पर कम करने का प्रयास करने के लिए शपथ ली।
• विश्व भर में जैव-विविधता के संरक्षण हेतु जागरुकता उत्पन्न करने के लिए 22 मई को अन्तर्राष्ट्रीय जैवीय विविधता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
•इसके अतिरिक्त प्रतिवर्ष 1-7 अक्टूबर तक वन्यजीव सप्ताह मनाया जाता है।
•विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य पर्यावरण को संरक्षित रखना तथा मानव जाति के योगदान को सम्मिलित करना है, जिससे सभी संसाधन सुलभ रूप से उपलब्ध हो सकें। अनेक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन; जैसे- WHO, MAB, BRP, World Bank, आदि भी जैव-विविधता संरक्षण हेतु प्रयासरत हैं। .
{ Objective Questions of Introduction of Biodiversity and Its Conservation }
बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक
प्रश्न 1. उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में अधिक जैव-विविधता पाए जाने का मुख्य कारण है
(a) निम्न तापमान
(b) निम्न प्रकाश
(c) अधिक स्थाई वातावरण
(d) उर्वरकों की उपस्थिति
उत्तर (c) उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में टेम्परेट क्षेत्रों की तुलना में अधिक स्थाई वातावरण पाया जाता है। अतः इन क्षेत्रों में स्थानीय जातियाँ अधिक जीवित रहती है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन-सा स्तनी संकटग्रस्त नहीं है?
(a) लाल पाण्डा
(c) नील गाय
(b) कस्तूरी मृग
(d) भारतीय बब्बर शेर
उत्तर (c) नील गाय
3. निम्न में से कौन भारत का राष्ट्रीय पशु है?
(a) हाथी
(b) हिरण
(c) भालू
(d) बाघ
उत्तर (d) भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ है।
प्रश्न 4. उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी है।
(a) मोर
(b) सारस
(c) कबूतर
(d) गौरेया
उत्तर (b) सारस
प्रश्न 5. निम्न में से ज्ञौन-सा जैव-विविधता हॉटस्पॉट का मुख्य गुण नहीं है?
(a) प्रजातियों की बड़ी संख्या
(b) स्थानिक (एण्डेमिक) प्रजातियों की प्रचुरता
(c) बड़ी संख्या में बाह्य प्रजातियों
(d) पर्यावास का विनाश
उत्तर (c) बड़ी संख्या में बाह्य प्रजातियाँ
प्रश्न 6. निम्नलिखित में से कौन-सा भारतीय जैव-विविधता तप्तस्थल नहीं है?
(A) इण्डो-बर्मा
(b) पूर्वी हिमालय
(c) पश्चिमी घाट
(d) मेडागास्कर एवं हिन्द महासागर द्वीप एवं श्रीलंका
उत्तर (d) भारत के तीन जैव-विविधता तप्तस्थल पश्चिमी घाट और श्रीलंका, पूर्वी हिमालय एवं इण्डो-बर्मा क्षेत्र में है।
प्रश्न 7. निम्न में से कहाँ आपको पिचर प्लाण्ट मिल सकता है?
(a) पूर्वोत्तर भारत के वर्षा वन
(b) सुन्दरवन
(c) थार मरुस्थल
(d) पश्चिमी घाट
उत्तर (a) पूर्वोत्तर भारत के वर्षा वन
प्रश्न 8. एक सींग वाला गैंडा ( राइनोसिराँस) किस अभ्यारण्य / राष्ट्रीय पार्क में विशिष्ट रूप में पाया जाता है?
(a) बांदीपुर
(b) काजीरंगा
(c) कॉर्बेट पार्क
(d) कान्हा
उत्तर (b) काजीरंगा
प्रश्न 9. निम्न में से कौन-सी भारत की एक आपदाग्रस्त प्रजाति है?
(a) राउवोल्फिया सर्पेन्टाइना
(b) सेन्टेलम अल्बम (चन्दन
(c) साइकस बेडोमी
(d) ये सभी
उत्तर (d) ये सभी
प्रश्न 10. प्राकृतिक वासस्थान में जीवों का संरक्षण कहलाता है।
(a) उत्स्थाने संरक्षण
(b) स्व: स्थाने संरक्षण
(c) दोनों (a) व (b)
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (b) स्व: स्थाने संरक्षण
प्रश्न 11. भारत में अभ्यारण्यों की कुल संख्या है।
(a) 515
(b) 480
(c) 520
(d) 490
उत्तर (a) 515
प्रश्न 12. एशियाई शेरों के लिए एकमात्र प्राकृतिक वास गिर राष्ट्रीय उद्यान स्थित है
(a) उत्तराखण्ड
(b) गुजरात
(c) मध्य प्रदेश
(d) राजस्थान
उत्तर (b) गुजरात
प्रश्न 13. घाना राष्ट्रीय उद्यान किस प्रदेश में स्थित है
(a) सिक्किम
(b) असोम
(c) राजस्थान
(d) उत्तराखण्ड
उत्तर (c) राजस्थान
प्रश्न 14. भारत का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है।
(a) कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान
(b) काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान
(c) दुधवा राष्ट्रीय उद्यान
(d) कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
उत्तर (a) कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान
प्रश्न 15. दुधवा राष्ट्रीय उद्यान स्थित है
(a) उत्तर प्रदेश में
(b) असोम में
(c) झारखण्ड में
(d) राजस्थान में
'उत्तर (a) उत्तर प्रदेश में
प्रश्न 16. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत के किस राज्य में स्थित है?
(a) असोम
(b) गुजरात
(c) महाराष्ट्र
(d) पंजाब
उत्तर (a) असोम
प्रश्न 17. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम किस वर्ष में पारित किया गया ?
(a) 1986 में
(b) 1972 में
(c) 1991 में
(d) 1981 में
उत्तर (b) सन् 1972 में
प्रश्न 18. वन्यजीव सप्ताह मनाया जाता है
(a) 1-7 जनवरी
(b) 1-7 जुलाई
(c) 1-7 मार्च
(d) 1-7 अक्टूबर
उत्तर (d) वन्यजीव सप्ताह 1-7 अक्टूबर तक मनाया जाता है।
प्रश्न 19. घड़ियाल पुनर्वास केन्द्र कुकरैल स्थित है।
(a) प्रयागराज में
(b) लखनऊ में
(c) वाराणसी में
(d) लखीमपुर खीरी में
उत्तर (b) लखनऊ में
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 1 अंक
प्रश्न 1. जैव-विविधता को परिभाषित कीजिए। अथवा जैव-विविधता तथा वन्यजीव में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – किसी भी पारिस्थितिक तन्त्र तथा जीवोम में पारस्परिक निर्भरता करते हुए पादपों, जन्तुओं व सूक्ष्मजीवों की आकृति एवं आकार, स्वभाव एवं संरचना तथा अन्य लक्षणों में विभिन्न जातियों की उपस्थिति को जैव-विविधता (Biodiversity) कहते हैं।
वन्यजीव वे जीव, जो अपने प्राकृतिक आवास में बाह्य परिवर्तन के बिना स्वतन्त्र रूप से निवास करते हैं, वन्यजीव कहलाते हैं।
प्रश्न 2. पारिस्थितिकविद् सम्पूर्ण संसार (विश्व) में पाई जाने वाली जातियों का निर्धारण किस प्रकार करते हैं ?
उत्तर इसके लिए दो मुख्य तरीके है
1. अन्य जातियों की खोज की दर ज्ञात करना।
2. उष्ण कटिबन्धीय व शीतोष्ण क्षेत्रों के जातीय समृद्धि की सांख्यिकीय तुलना कीटों की खोजी गई जातियों से करके, पृथ्वी पर कुल जातियों का अनुमान लगाना।
प्रश्न 3. भारत में विशाल पारिस्थितिक भिन्नताओं का क्या कारण है?
उत्तर – भारत की विविध जलवायुगत व स्थलाकृतिक (Topographic) विभिन्नताएँ इसे पारिस्थितिक भिन्नताओं से समृद्ध करती है। यहाँ के हिमालय में शीतोष्ण पारितन्त्र, दक्षिणी क्षेत्र में उष्णकटिबन्धीय वर्षा वन, मध्य में मैदान व पर्णपाती वन, पश्चिम में मरुस्थल, आदि है। यहाँ अनेक नदियों, मैन्योव, आई क्षेत्र, बड़ी तटीय रेखा भी है।
प्रश्न 4. बायोप्रोस्पेक्टिंग शब्द को परिभाषित कीजिए।
उत्तर – किसी जीव के आर्थिक महत्व के उत्पाद की आण्विक, आनुवंशिक व प्रजाति स्तरीय विविधता से सम्बन्धित अनुसन्धान बायोप्रोस्पेक्टिंग कहलाते है।
प्रश्न 5. वॉन हम्बोल्ट द्वारा बनाए गए सिद्धान्त को केवल समीकरण द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर – वॉन हम्बोल्ट द्वारा बनाए गए सिद्धान्त की समीकरण निम्नलिखित हैं
log S = log C + Z log A
जहाँ, S जातीय समृद्धि, क्षेत्र =A
Z = रेखीय ढाल, C= अन्त: खण्ड
प्रश्न 6. समझाइए, किस तरह केवल जैव-विविधता के तप्त क्षेत्रों का संरक्षण जाति विलोपन की वर्तमान दर में 30% तक कभी ला सकता है?
उत्तर संसार में कुल 35 जैव-विविधता तप्तस्थल है। यद्यपि जैव-विविधता के सभी तप्तस्थल परस्पर मिलकर संसार का 2% से भी कम हैं, परन्तु इन क्षेत्रों में 44% जातियाँ पाई जाती है। अतः इन तप्तस्थलों को विशेष सुरक्षा प्रदान करके विलोपन की दर को 30% तक कम किया जा सकता है।
प्रश्न 7. वह स्थान बताइए, जहाँ जाकर हम कोरल रीफ, मैन्यूव वनस्पति और नदमुख का अध्ययन कर सकते हैं।
उत्तर – कोरल रीफ अण्डमान और निकोबार प्रायद्वीप।
मैन्यूव वनस्पति – पश्चिम बंगालः
नदमुख – कर्नाटक का तटीय क्षेत्रा
प्रश्न 8. कौन-सा जन्तु अत्यधिक शिकार के कारण भारत में विलुप्त हो रहा है?
उत्तर – एक सींग वाला गैंडा एवं ग्रेट इण्डियन बस्टर्ड (गोडावण) अत्यधिक शिकार के कारण विलुप्त हो रहा है।
प्रश्न 9. संकटग्रस्त जातियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा संकटग्रस्त स्पीशीज़ (विलुप्तप्राय प्रजातियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए |
उत्तर इन श्रेणियों में उन जातियों को रखा गया है, जिनकी जनसंख्या बहुत तेजी से घटी है और भविष्य में इनके विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
प्रश्न 10. भारत के राष्ट्रीय जन्तु का नाम लिखिए। इसके संरक्षण के लिए कौन-सी परियोजना प्रारम्भ की गई है?
उत्तर भारत के राष्ट्रीय जन्तु का नाम बाघ (Tiger) है। इसके संरक्षण हेतु 'टाइगर प्रोजेक्ट' वर्ष 1972 में बनाया गया।
प्रश्न 11. पादप (वन) संरक्षण के उद्देश्य लिखिए।
उत्तर पादप (वन) संरक्षण के उद्देश्य निम्न हैं।
1. प्राकृतिक सन्तुलन को बनाए रखना।
2. संकटापन्न, दुर्लभ एवं सुभेद्य जातियों को हानि पहुँचाने वाले कारकों से सुरक्षा करना।
3. पादपों एवं जन्तुओं के जीन पूल को सुरक्षित रखना
प्रश्न 12. तप्तस्थल (हॉटस्पॉट) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा जैव संवेदी क्षेत्र (Hotspota) क्या है? भारत के किन्हीं दो हॉटस्पॉट्स के नाम लिखिए।
अथवा भारतीय उपमहाद्वीप में कितने जैव-विविधता हॉटस्पॉट है?
अथवा जैव-विविधता हॉटस्पॉट से क्या आशय है?
उत्तर वह भौगोलिक क्षेत्र जहाँ जैव-विविधता की अधिकता हो (वन्यजीव या वनस्पति) तथा इसके प्राकृतिक आवास को खतरा हो अर्थात् प्राकृतिक संसाधनों का अतिदोहन हो रहा हो, जैव-संवेदी क्षेत्र या 'तप्तस्थल' कहलाते हैं। भारत में पूर्वी हिमालय तथा पश्चिमी घाट प्रमुख जैव-संवेदी क्षेत्र है। संसार में 34 हॉटस्पॉट हैं।
प्रश्न 13. राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना के दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर 1. वनों एवं वन्यजीवों का संरक्षण
2. संकटग्रस्त जातियों की संख्या में वृद्धि करने के लिए प्रयास करना।
प्रश्न 14. अभ्यारण्य क्या है?
उत्तर – वन्यजीव अभ्यारण्य प्राकृतिक क्षेत्र है, जहाँ पर केवल जन्तुओं को ही संरक्षण प्रदान किया जाता है। अभ्यारण्यों से वृक्षों का काटना उनके उत्पाद प्राप्त करना प्रतिबन्धित होता है। अभ्यारण्यों में मानव क्रियाकलाप की अनुमति उस सीमा तक ही होती है, जहाँ इनसे वन्य जीवों के जीवन में परेशानी नहीं आती। इस समय भारत में 565 अभ्यारण्य हैं।
प्रश्न 15. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी स्थित राष्ट्रीय उद्यान का नाम लिखिए।
उत्तर – दुधवा राष्ट्रीय उद्यान उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में स्थित है।
प्रश्न 1. निम्नलिखित प्राणी कहाँ पाए जाते हैं? (i) बब्बर शेर (ii) बाघ
उत्तर (i) बब्बर शेर गुजरात के काडियावाडा स्थित गिर जंगल में पाए जाते है।
(ii) बाघ पश्चिम बंगाल के सुन्दरवन में पाए जाते हैं।
प्रश्न 16. विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है? इसका क्या उद्देश्य है?
उत्तर विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य पर्यावरण को संरक्षित रखना तथा मानव जाति के योगदान को सम्मिलित करना है, जिससे सभी संसाधन सुलभ रूप से उपलब्ध हो सके।
{ लघु उत्तरीय प्रश्न. I 2 अंक }
प्रश्न 1. उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में सबसे उच्च स्तर की जाति-समृद्धि क्यों मिलती हैं? इसकी तीन परिकल्पनाएँ दीजिए।
उत्तर – उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में उच्च जैव-विविधता के निम्न कारण हैं
1. उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में उच्च शीतोष्ण क्षेत्रों की तुलना में अधिक स्थाई वातावरण पाया जाता है। इस कारण उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में स्थानीय जातियाँ अधिक जीवित रहती है, जबकि शीतोष्ण क्षेत्रों (Temperate region) में इन्हें इधर-उधर बिखरना पड़ता है।
2. उष्णकटिबन्धीय समुदाय, शीतोष्ण समुदाय की
तुलना में अधिक पुराना है।
अतः इन्हें विकास के लिए अपेक्षाकृत अधिक समय मिला। इसी कारण उष्णकटिबन्धीय प्रजातियों में अधिक विशिष्टताएं एवं अनुकूलन पाए जाते है।
3. गर्म तापक्रम एवं अधिक नमी युक्त वातावरण में उष्णकटिबन्धीय प्रजातियाँ आराम से रह सकती है, लेकिन शीतोष्ण क्षेत्रों में वे अधिक विषम परिस्थितियों के कारण जीवित नहीं रह पाती हैं।
प्रश्न 2. पादपों की जातीय विविधता (22%), जन्तुओं (72%) की अपेक्षा बहुत कम है। क्या कारण है, कि जन्तुओं में अधिक विविधता मिलती है?
उत्तर – जन्तुओं में पादपों की अपेक्षा अधिक विविधता पाई जाती है. इसके निम्नलिखित कारण हैं
1. पादपों में गतिशीलता नहीं होती है, जबकि जन्तु में गमन पाया जाता है, जिससे वे कठिन पारिस्थितिक स्थिति को छोड़कर दूसरी अनुकूलित जगह जा सकते
हैं या प्रवास करके अपने आप को बचा सकते हैं।
2. जन्तुओं में पाया जाने वाला तन्त्रिका तन्त्र उन्हें अधिक संवेदनशील बनाता है. जिससे वे अपने वातावरण में होने वाले परिवर्तन को अनुभव कर अपने आप को सतर्क कर सकते हैं और वातावरण में अपने आपको अनुकूलित कर लेते हैं। इन दोनों कारणों द्वारा जन्तुओं में शीघ्र ही नई जाति का विकास होता है।
प्रश्न 3. सहविलुप्तता क्या है? इसका एक उदाहरण लिखिए।
उत्तर – सहविलुप्तता (Coextinction) प्रकृति में कुछ अविकल्पी सहोपकारी सम्बन्ध पाए जाते हैं। जब उनमें से एक जाति विलुप्त होती है, तब उस पर आधारित दूसरी जन्तु एवं पादप जाति भी विलुप्त होने लगती है; उदाहरण-जब एक पोषद मत्स्य जाति विलुप्त होती है, तब उस पर आश्रित विशिष्ट परजीवियों का भी वहीं भविष्य होता है। इसी प्रकार का उदाहरण अविकल्पी परागणकारी (Pollinator) सहोपकारिता (Mutualism) का है। इसमें एक (पादप) का विलोपन दूसरे (कीट) के विलोपन के लिए उत्तरदायी होता है।
प्रश्न 4. क्या आप ऐसी स्थिति के बारे में सोच सकते हैं, जहाँ पर हम जानबूझकर किसी जाति को विलुप्त करना चाहते हैं? क्या आप इसे उचित समझते हैं?
उत्तर – जब कोई जीव जन्तु या पादप जाति स्थानीय पादपों/जन्तुओं को जोकि लाभप्रद होती है, हानि पहुँचाने लगे तब ऐसी जातियों को नष्ट कर दिया जाता है; उदाहरण-मत्स्यपालन में जो घरेलू मछलियाँ व्यावसायिक रूप से लाभप्रद थी. वे अफ्रीकन कैटफिश के आने पर प्रतिस्पर्धा के कारण समाप्त होने लगी, तब अफ्रीकन कैटफिश को समाप्त करना आवश्यक हो गया। इस प्रकार आवश्यक होने पर ही नकारात्मक प्रभाव वाली पादप या जन्तु जाति को नष्ट किया जाता है। यदि कोई जाति किसी दूसरी जाति के लिए खतरा उत्पन्न करती है, तो उस जाति को किसी दूसरे सुरक्षित स्थान पर स्थानान्तरित कर देना चाहिए।
अतः किसी जाति को नष्ट करना उचित नहीं है। उसका हमारे लिए आर्थिक नहीं हो, तब भी हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है, कि हम उनकी देखभाल करें। और विश्व की जैविक धरोहर को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखें । मूल्य
प्रश्न 5. रेड डाटा बुक से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयोगिता बताइए। अथना रेड डाटा बुक पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर – रेड डाटा बुक IUCN द्वारा जारी एक विशेष किताब, जिसमें विलुप्त,संकटग्रस्त, क्षतिआशंकित, दुर्लभ सुभेद्य तथा अनाकलित, जीव-जातियों का
सूचीबद्ध विवरण दिया जाता है, रेड डाटा बुक कहलाती है।
इसकी उपयोगिता निम्न प्रकार से हैं
1. ये पुस्तक सुप्त हो रही जीव प्रजातियों की जानकारी देती है।
2. इससे हमें संकटग्रस्त जातियों के आश्रय स्थल की स्थिति की जानकारी मिलती है।
3. ये हमें वर्तमान में उपलब्ध जीवों की संख्या उपलब्ध कराती है।
4. ये पुस्तक आँकड़ों के माध्यम से लोगों को जीव संरक्षण के लिए प्रेरित करती है।
प्रश्न 6. वन्य जीवन क्या है? इसकी परिभाषा दीजिए।
अथवा वन्यजीव क्या है? कॉर्बेट नेशनल पार्क किस राज्य में स्थित है?
उत्तर – प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले जीवों की दिनचर्या एवं उनका सामंजस्य वन्य जीवन कहलाता है। वे जीव जो अपने प्राकृतिक आवास में स्वतन्त्रतापूर्वक बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के रहते हैं, वन्य जीव कहलाते हैं। कॉर्बेट नेशनल पार्क उत्तराखण्ड में स्थित है।
प्रश्न 7. पादप संरक्षण पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर मानव ने खेती करने, उद्योग लगाने, जनसंख्या वृद्धि के कारण नए आवासों के निर्माण करने व विकास के कारण प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की है। इससे पादपों के विलोपन की स्थिति बन गई है। इससे लगभग 1000 पादप जातियाँ विलुप्त होने के कगार पर है। ऐसी संकटग्रस्त पादप जातियों को विलुप्त होने से बचाने तथा अन्य दुर्बल जातियों को इस प्रक्रिया में सम्मिलित होने से रोकना ही, पादप संरक्षण कहलाता है। इन पादपों का संरक्षण आवश्यक है, क्योंकि पादप किसी-न-किसी रूप में मानव के लिए हितकारी होते हैं।
प्रश्न 8. पर्यावरण को सन्तुलित रखने में वृक्षों का क्या योगदान है?
अथवा पौधों का मानव के लिए क्या महत्व है?
उत्तर – वृक्ष पर्यावरणीय सन्तुलन को स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते है। ये पर्यावरण प्रदूषण को कम करते हैं तथा जैव-विविधता बनाए रखते हैं। वृक्ष बाढ़ नियन्त्रण में भी सहायक होते हैं। ये बाढ़ के जल की तीव्रता को कम कर देते हैं। वृक्षों की जड़े मिट्टी के कणों को बांधे रखती है, जिससे वर्षा के दौरान भू-क्षरण या मृदा अपरदन नहीं होता है। वन वर्षा को आकर्षित करते हैं, - जिससे पारितन्त्र में जल चक्र के द्वारा जल की पर्याप्तता सुनिश्चित होती है।
प्रश्न 9. भारत में वन्य प्राणियों के स्वः स्थाने (In sittu) और बाह्य स्थाने (Exitu) संरक्षण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा उत्स्थाने एवं स्वस्थाने जैव संरक्षण में विभेद कीजिए।
उत्तर – स्व:स्थाने और बाह्य स्थाने (Ex situ) संरक्षण
में अन्तर निम्नलिखित है।
प्रश्न 10. सिन्ध-गंगा क्षेत्र का विस्तार से वर्णन कीजिए तथा इसमें पाए जाने वाले दो वन्यजीवों का उल्लेख कीजिए
उत्तर भारत के भू-भाग सिन्ध-गंगा प्रदेश में सबसे प्रसिद्ध एवं समृद्ध जैव-विविधता पाई जाती है। यहाँ पर पक्षी एवं सरीसृप की अंसख्य प्रजातियाँ पाई जाती हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इन वनों में अभी भी कम-से-कम 2 लाख कीट जातियों की खोज तथा पहचान शेष है।
प्रश्न 11. उत्तरी भारत में स्थित किन्हीं चार राष्ट्रीय उद्यानों के नाम लिखिए।
अथवा राष्ट्रीय उद्यान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा राष्ट्रीय उद्यान से आप क्या समझते हैं? भारत के प्रथम राष्ट्रीय उद्यान का नाम लिखिए।
उत्तर –वह क्षेत्र, जो वन्यजीवों के लिए पूर्णरूप से संरक्षित होता है तथा जहाँ शिकार खेलना, पशु चराना, फसल बोना निषेध होता है, राष्ट्रीय उद्यान कहलाता है। इन क्षेत्रों में जन्तुओं या प्राणिजात (Fauna) तथा पादपों या वनस्पतिजात (Flora) दोनों का संरक्षण किया जाता है। भारत में 120+ राष्ट्रीय उद्यान है, जिनका अनुमानित क्षेत्र 38029.18 वर्ग किमी है। यह भारत के भौगोलिक क्षेत्र का 1.16% है।
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान (Jim Corbett National Park) भारत का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है, जिसकी स्थापना सन् 1936 में हुई थी। यह अब उत्तराखण्ड में स्थित है। ये उद्यान टाइगर प्रोजेक्ट पर भी कार्य कर रहा है। भारत के राष्ट्रीय उद्यान है-केवलादेव (भरतपुर), रणथम्भौर (सवाई माधोपुर), सुन्दरवन (पश्चिम बंगाल), काजीरंगा (आसोम), बांधवगढ़ (मध्य प्रदेश)।
प्रश्न 12. अभ्यारण्य से आप क्या समझते हैं? भारत में कितने अभ्यारण्य हैं?
उत्तर वन्यजीव अभ्यारण्य वे प्राकृतिक क्षेत्र है, जहाँ पर केवल जन्तुओं को ही संरक्षण प्रदान किया जाता है। अभ्यारण्यों में वृक्षों का काटना उनके उत्पाद प्राप्त
करना प्रतिबन्धित होता है। अभ्यारण्यों में मानव क्रियाकलाप की अनुमति उस सीमा तक ही होती है, जहाँ इनसे वन्य जीवों के जीवन में परेशानी नहीं आती। इस समय भारत में 585 अभ्यारण्य है। भारत में सबसे अधिक वन अभ्यारण्य अण्डमान और निकोबार में है। भारत में राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय उद्यान तथा अभ्यारण्यों का समान रूप से निर्धारण तथा उनका प्रबन्धन सन् 1972 में वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 बनने के बाद ही प्रारम्भ हुआ। इन अभ्यारण्यों तथा उद्यानों का नियन्त्रण और देख-रेख प्रदेश के मुख्य वन्यप्रतिपालक (Chief wildlife warden) द्वारा की जाती है।
प्रश्न 13. उस प्रदेश तथा राष्ट्रीय उद्यान का नाम लिखिए जहाँ भारतीय गैंडे संरक्षित हैं। राष्ट्रीय उद्यान और प्राणि विहार में अन्तर बताइए।
उत्तर काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान आसोम में स्थित है। यहाँ भारतीय डे सुरक्षित किए गए हैं।
राष्ट्रीय उधान और प्राणि बिहार में अन्तर निम्नलिखित है-
प्रश्न 14. राष्ट्रीय पार्कों या अभ्यारण्यों का सीमांकन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर – वन्यजीवों को सुरक्षित आवास उपलब्ध कराने हेतु केन्द्र सरकार राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना करती है। इन उद्यानों में किसी भी प्रकार का मानवीय हस्तक्षेप मना होता है। इन उद्यानों में उपस्थित सम्पदाओं को व्यावसायिक निष्कर्षण के लिए उपयोग नहीं किया जाता है।
इनके संरक्षित भाग तीन अनुक्षेत्रों में बंटे होते हैं
1. केन्द्रीय अनुक्षेत्र (Core zone) इसमें किसी भी प्रकार की मानव-क्रियाओं की अनुमति नहीं होती है।
2. बफर अनुक्षेत्र (Buffer zone) इसमें मानव क्रियाकलापों की सीमित अनुमति होती है।
3. कुशल योजना अनुक्षेत्र (Manipulation zone) इसमें पारितन्त्र के लिए उपयोगी मानव क्रियाओं की अनुमति होती है। प्रायः इस क्षेत्र में आदिवासी वन्यजीवों के साथ रहते हैं।
प्रश्न 15. बाघ परियोजना का वर्णन कीजिए।
उत्तर – टाइगर प्रोजेक्ट (Tiger project) भारत में बाघों की संख्या में तीव्र गति से होने वाली कमी को देखते हुए सन् 1972-73 में भारतीय वन्य प्राणी संरक्षण बोर्ड (IBWL) की संस्तुति पर टाइगर प्रोजेक्ट प्रारम्भ किया गया। इस परियोजना के अन्तर्गत 17 राज्यों में 28 टाइगर रिजर्व बनाए गए। इसके फलस्वरूप बाघों की संख्या, जो सन् 1972 में 268 थी, सन् 2007 में बढ़कर 7000 से अधिक हो गई। बाघ (Tiger) राष्ट्रीय प्राणी घोषित किया गया है।
प्रश्न 16. पवित्र उपवन क्या है? इनकी संरक्षण में क्या भूमिका है?
उत्तर – पवित्र वन (Sacred Forests) ये जंगलों के कुछ ऐसे भाग हैं, जिन्हें जन-जातियों द्वारा जैव-विविधता की सुरक्षा के उद्देश्य से परम्परागत युक्तियों द्वारा संरक्षित रखा जाता है। पवित्र वनों की पारिस्थितिक स्थिति का घनिष्ठ सम्बन्ध उनकी रक्षा करने वाली जनजाति से होता है। जनजातियों को उनके दैनिक उपयोग की अनेक आवश्यक वस्तुएँ; जैसे-ईंधन, औषधियों किसी अन्य क्षेत्र से उपलब्ध हो जाते हैं। अतः वे इन वनों का उपयोग किसी को नहीं करने देते हैं। इसके अतिरिक्त अनेक जलकुण्डों व तालाबों को भी विभिन्न समाजों द्वारा पवित्र घोषित कर दिया जाता है, जो जलीय पादपों व जन्तुओं के संरक्षण में सहायक होते हैं।
प्रश्न 17. वन्य जीव संरक्षण के लिए कार्यरत् दो अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के नाम लिखिए।
अथवा IUCN तथा WWF का पूरा नाम लिखिए। उत्तर 1. IUCN इन्टरनेशनल यूनियन फॉर द कन्जर्वेशन ऑफ नेचर एवं नेचुरल रिसोर्सेस संगठन की स्थापना सन् 1948 में स्विट्जरलैण्ड में की गई थी। यह संगठन दुर्लभ एवं विलुप्त जातियों के सम्बन्ध में जानकारी देता है।
2. WWF वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फण्ड या विश्व वन्य जीवन कोष इस संगठन की स्थापना सन् 1962 में स्विट्जरलैण्ड में की गई थी। इसके अन्तर्गत वन्य जन्तुओं के संरक्षण के साथ उनके संरक्षण हेतु धन का भी एकत्रीकरण किया जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न-II 3 अंक
प्रश्न 1. जातीय क्षेत्र सम्बन्ध समाश्रयन (रिग्रेशन) की ढलान का क्या महत्त्व है?
उत्तर – एलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट (Alexander von Humboldt) नामक जर्मनी के प्रसिद्ध प्रकृतिविद् (Naturalist) व भूगोलशास्त्री ने दक्षिणी अमेरिका के वनों में काफी समय तक अध्ययन किया व शोध के पश्चात् यह बताया कि किसी भी दिए गए क्षेत्र की जातीय समृद्धि अन्वेषण (Explored) क्षेत्र के साथ केवल एक सीमा तक ही बढ़ सकती है। इनके अनुसार, जातीय समृद्धि के मध्य सम्बन्ध एक आयताकार अतिपरवलय (Rectangular hyperbola) के रूप में परिलक्षित होता है।
लघुगणकीय पैमाने (Logarithmic scale) पर यह सम्बन्ध एक सीधी रेखा के रूप में दर्शाया जा सकता है, जिसकी समीकरण निम्नवत् हैं
log S = log C + Z log A
इसमें S = जातीय समृद्धि ( Species richness)
A = क्षेत्र (Area)
Z= समाश्रयन या रेखीय ढाल (Regression coefficient)
C= अन्तः खण्ड (Intercept
पारिस्थितिक वैज्ञानिकों (Ecologists) के अनुसार, Z का मान 0.1- 0.2 परास में होता है। यह वर्गिकी समूह या क्षेत्र पर निर्भर नहीं करता है; उदाहरण- न्यूयॉर्क के मोलस्क, कैलिफोर्निया के पक्षी या इंग्लैण्ड के पादप सभी के लिए Z का मान 0.1-0.2 ही रहेगा तथा इनकी रेखीय ढलान समान ही होगी। इसके विपरीत अगर हम किसी बहुत बड़े क्षेत्र जैसे पूरे महाद्वीप (Continent) के जातीय क्षेत्र सम्बन्धों का विश्लेषण करते हैं, तो Z का मान 0.6-1.2 होता है; उदाहरण-विभिन्न महाद्वीपों के उष्णकटिबन्धीय जंगलों के फल खाने वाले पक्षियों च स्तनधारियों की रेखीय ढलान की माप 1.15 होती है।
प्रश्न 2. कुछ विलुप्त वन्य प्राणियों के विलुप्त होने के कारण लिखिए।
अथवा 'वन्य प्राणी उत्पादों के लिए मानवों का लोभ पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर – वन्य जीवों की विलुप्ति आज हमारे पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा ख बनती जा रही है। इनकी विलुप्ति के कारण जैव श्रृंखला में असन्तुलन उत्पन्न हो रहा है।
1. चमड़ा तथा फर प्राप्त करने के लिए हिम तेन्दुओं, वीवर्स, ऊदबिलावों का बघ किए जाने के कारण, ये प्राणी संकटग्रस्त जातियों की श्रेणी में आ गए है।
2. स्मारक चिन्हों के लिए हाथी दांत तथा मृत प्राणियों का उपयोग किए जाने के कारण प्रजातियाँ संकटग्रस्त स्थिति में आ गई हैं।
3. मॉरीशस का पक्षी डोडो भोजन के रूप में बहुतायत में प्रयोग किए जाने के कारण विलुप्त हो गया है।
4. पालतू पशुओं की सुरक्षा हेतु अनेक वन्य प्राणियों को घेरकर मार दिया जाता है। इसके फलस्वरूप शेर, बाघ, तेन्दुआ, भेड़िया आदि विलुप्त होने की स्थिति में पहुंच गए हैं।
5. पर्वतीय क्षेत्रों के विकास हेतु सड़क और बाँध बनाए जाने के कारण वन्य जीवो के आवासीय क्षेत्र सीमित होते जा रहे हैं। इससे अनेक वन्य प्रजातियाँ संकटग्रस्त स्थिति में आ गई है।
6. व्हेल की वसा का प्रयोग सौन्दर्य प्रसाधनों तथा साबुन में किया जाता है; जिससे इनकी संख्या निरन्तर कम हो रही है।
प्रश्न 3. संकटग्रस्त वन्य प्राणियों से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
अथवा 'भारत में वन्य प्राणियों की संकटग्रस्त जातियाँ पर टिप्पणी लिखिए।
अथवा संकटग्रस्त जातियाँ किन्हें कहते हैं? किन्हीं दो संकटग्रस्त जातियों के उदाहरण दीजिए।
अथवा संकटग्रस्त जाति क्या है? संकटग्रस्त पादप एवं जन्तु का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर – वे वन्य जीव जातियाँ, जिनका अस्तित्व पृथ्वी पर मानव द्वारा इनके आवास स्थानो या स्वयं इनके सदस्यों के व्यापक विनाश के कारण लगभग अनिश्चित है, संकटग्रस्त जातियाँ कहलाती है। IUCN की लाल किताब (Red Data Book) में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए, इन्हें निम्नलिखित श्रेणियों में बाँटा है
1. विकट संकटापन्न जातियाँ (Critically endangered species) इसके अन्तर्गत आने वाली जातियाँ विलुप्तता की कगार पर हैं, जो आगामी भविष्य में किसी भी क्षण विलुप्त हो सकती है। भारत में विकट संकटापन्न जातियों में लगभग 18 जन्तु व 44 पादप हैं;
जैसे-सस साल्वेनियस (Sus salvanius), बरबेरिस नीलगिरिएन्सिस (Berberis nilghiriensis), आदि।
2. संकटग्रस्त जातियाँ (Endangered species) इस श्रेणी में उन जातियों को रखा गया है, जिनकी जनसंख्या बहुत तेजी से घटी है और भविष्य में इनके विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
3. सुभेद्य जातियाँ (Vulnerable species) इस श्रेणी में उन जातियों को रखा गया है, जिनकी संख्या अभी तो पर्याप्त है, लेकिन उचित संरक्षण न होने पर निकट भविष्य में ये संकटग्रस्त जातियों की श्रेणी में आ जाएंगी मगरमच्छ, हिमालयन कस्तूरी हिरन, हिमालयन छछूंदर इसी श्रेणी के जन्तु है।
4. दुर्लभ जातियाँ (Rare species) इस श्रेणी में उन जातियों को रखा गया है, जिनकी पहले से ही संसार में कम संख्या है और इनके आवास सीमित हैं। निकट भविष्य में इनके विलुप्त होने की सम्भावना तो नहीं है, लेकिन कम संख्या होने के कारण इनके जीवन को खतरा हो सकता है; जैसे--हाथी. जंगली भैसा आदि
5. विलुप्त जातियाँ (Extinct species) इस श्रेणी में उन जातियों को रखा गया है, जिनका अस्तित्व सजीव रूप में इस पृथ्वी से समाप्त हो चुका है या ये जातियां विलुप्त हो चुकी है। भारत की हिमालयन कुयैल तथा गुलाबी सिर वाली बत्तख विलुप्त जातियाँ हैं। मॉरीशस की डोडो चिड़िया विलुप्त पक्षी है।
6. संकटमुक्त जातियाँ (Out of danger species) इस क्षेत्र में वे जातियाँ आती हैं, जो पहले संकटग्रस्त या दुर्लभ की श्रेणी में थीं, लेवि संरक्षण किए जाने से इनकी संख्या में इतनी बढ़ोत्तरी हो गई है कि अब लुप्त होने का खतरा समाप्त हो गया है।
प्रश्न 4. बायोस्फीयर रिजर्व पर टिप्पणी लिखिए। अथवा जैव-मण्डल आरक्षित क्षेत्र पर एक टिप्पणी लिखिए।
अथवा जैव-मण्डल आरक्षित क्षेत्र क्या है? किन्हीं दो भारतीय संरक्षित जैव मण्डल के नाम लिखिए।
उत्तर – यह संरक्षित क्षेत्रों की एक विशेष श्रेणी है। जैव-मण्डल आरक्षित क्षेत्र में एक सीमा तक मानव गतिविधियाँ जारी रहती है, लेकिन इन गतिविधियो से जैव सम्पदा को कोई नुकसान नहीं पहुंचने दिया जाता। जैव-मण्डल आरक्षित क्षेत्र का विचार सन् 1975 में यूनेस्को (UNESCO) द्वारा दिया गया। यूनेस्को ने इसी वर्ष मानव तथा जैव-मण्डल कार्यक्रम (Man and Biosphere orMAB Programme) प्रारम्भ किया। मई, 2002 तक 94 देशों में 408 जैकण्ड आरक्षित क्षेत्र घोषित किए जा चुके हैं।
इनमें से प्रमुख हैं
(i) नन्दा देवी (उत्तराखण्ड)
(ii) पंचमढ़ी (मध्य प्रदेश)
(iii) सुन्दरवन (पश्चिम बंगाल)
जैव-मण्डल आरक्षित क्षेत्र तीन भागों में बंटा होता है ।
(a) परिचालन क्षेत्र (Manipulation or Transition zone) यह जैव-मण्डल आरक्षित क्षेत्र का बाहरी क्षेत्र है। इस क्षेत्र में मानव वस्ती होती है। इसलिए यह मानव सक्रियता वाला क्षेत्र होता है।
(b) प्रतिरोधक क्षेत्र (Buffer zone) परिचालन के अन्दर का क्षेत्र प्रतिरोधक क्षेत्र कहलाता है। इस क्षेत्र में मानव वस्तियाँ तो नहीं होती, लेकिन सीमित मानव क्रियाय होती है।
(c) केन्द्रीय क्षेत्र (Core zone) यह जैव-मण्डल का केन्द्रीय भाग है। यह भाग पूरी तरह वन्य जीवों के लिए संरक्षित होता है और इस भाग में मानव पूर्ण प्रतिबोते है।
प्रश्न 5. टाइगर प्रोजक्ट तथा क्रोकोडाइल प्रोजेक्ट पर टिप्पणी कीजिए।
अथवा घड़ियाल परियोजना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर – क्रोकोडाइल प्रोजेक्ट (Crocodile project) घड़ियाल और मगरमच्छ की संख्या में होने वाली गिरावट को देखते हुए सन् 1975 में खाद्य एवं कृषि संगठन के तत्वावधान में क्रोकोडाइल प्रोजेक्ट प्रारम्भ किया गया। पहला क्रोकोडाइल प्रोजेक्ट ओडिशा में सन् 1975 में दूसरा उत्तर प्रदेश के कतनीघाट एवं कुकरैल में सन् 1976 में प्रारम्भ किया गया।
[ Biodiversity and Its Conservation Long Question Answers ]
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 5 अंक
प्रश्न 1. जैव-विविधता के स्तरों को कितने भागों में विभक्त किया गया है? वर्णन कीजिए।
उत्तर – जैव-विविधता को निम्नलिखित तीन स्तरों में विभक्त किया गया है
1. आनुवंशिक विविधता इससे तात्पर्य एक ही जाति में पाई जाने वाली विभिन्नता से है; उदाहरण- हिमालय पर पाए जाने वाले राऊवोल्फिया वोमीटोरिया (Rauwolfia vomitoria) नामक औषधीय पादप से रेसरपीन (Reserpine) नामक एल्केलॉइड प्राप्त होता है। हिमालय की विभिन्न श्रेणियों में इस पादप की रेसरपीन निर्माण की क्षमता सान्द्रता में विभिन्नता
पाई जाती है, जिससे आनुवंशिक विविधता का प्रदर्शन होता है। आनुवंशिक विविधता वातावरणीय परिस्थितियों में अनुकूलन एवं स्वस्थ प्रजनन के लिए उपयोगी होती है। यह जातिकरण (Speciation) या नई जाति के उद्विकास में सहायता करती है। यह विजातिय प्रजनन (Out breeding) को रोककर दो सम्बन्धित जातियों के जीन कोशों (Gene pools) को एक-दूसरे से पृथक रखती है।
2. जातीय विविधता यह एक क्षेत्र में उपस्थित जातियों की संख्या एवं प्रचुरता का प्रकार है। जाति प्रचुरता जितनी अधिक होगी उतनी ही जातीय विविधता अधिक होती है। प्रति इकाई क्षेत्र में जातियों की संख्या को जाति प्रचुरता (Species richness) कहते हैं। विभिन्न जातियों के जीवों की संख्या जातीय एकरूपता (Species evenness) को प्रदर्शित करती हैं। समुदाय जहाँ विभिन्न जातियों में जीवों की संख्या लगभग समान होती है, समानता (Evenness) दर्शाते हैं।
जहाँ एक या अधिक जाति में दूसरी जातियों की अपेक्षा अधिक जीव पाए जाते हैं, वे प्रभाविता या असमानता प्रदर्शित करते हैं; उदाहरण- पश्चिमी घाट पर उपस्थित उभयचरों की प्रजातियों में जैव-विविधता पूर्वी घाट पर उपस्थित उभयचरों से अधिक होती है।
3. समुदाय एवं पारिस्थितिकीय विविधता समुदाय विविधता जैवीय समुदाय में विभिन्नता को दर्शाती है। पारिस्थितिक स्तर पर जीवों की विविधता को पारिस्थितिकीय विविधता कहते हैं; उदाहरण- भारत में रेगिस्तान, वर्षा वन, प्रवाल भित्ति (Coral reefs), आर्द्र भूमि, पतझड़ वन, ज्वारनद मुख (Betunries), मैन्डोव वन आदि परिस्थितिकी तन्त्रों की विविधता नावे (Norway) से अधिक है।
सामुदायिक स्तर पर विविधता निम्नलिखित प्रकार की होती हैं
(i) एल्फा-विविधता (a-diversity) इसके अन्तर्गत किसी एक ही समुदाय या आवास में रहने वाले विभिन्न जीवों में पाई जाने वाली विभिन्नता को सम्मिलित किया जाता है।
(ii) बीटा-विविधता (β-diversity) इसके अन्तर्गत अलग-अलग प्रव के समुदायों या आवासों में पाई जाने वाली विभिन्नता को दर्शाया जाता है।
(iii) गामा-विविधता (λ-diversity) इसे क्षेत्रीय विविधता भी कहते इसमें एक क्षेत्र में पाए जाने वाले विभिन्न आवासों की जैव विविधत को सम्मिलित किया जाता है।
प्रश्न 2. जैव-विविधता को परिभाषित कीजिए तथा इसके महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर –जैव-विविधता का महत्त्व जैव-विविधता के महत्व को निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत समझा जा सकता है
(i) कृषि में महत्त्व अनेक उपयोगी कृषि फसलों के जंगली सम्बन्धी कई रोगों,नाशकों, आदि के प्रति प्रतिरोधकता दशति हैं। इनसे वांछित जीन के स्थानान्तरण द्वारा या संकरण द्वारा वांछित गुणसूत्र वाले फसली पादपों को प्राप्त किया जा सकता है; जैसे- धान व गेहूँ की रोग प्रतिरोधक किस्में ।
(ii) खाद्य में महत्त्व पादपों की अनेक जातियों का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है। वर्तमान समय में 80-90% खाद्य सामग्री पादपों की केवल 10-12 जातियों से प्राप्त होती है। बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए पादप जातियों में से नए खाद्य स्रोतों की तलाश आवश्यक है। ग्रामीण समुदाय प्रायः पादपों की जंगली जातियों से भोजन प्राप्त करते हैं; जैसे-ऑडीसिया (उत्तर-पूर्व भारत), सेरोपेजिया बल्बोसा (मध्य भारत)। अनेक जीव जैसे-मछली, झींगा, मुर्गी, आदि का प्रयोग भोजन के रूप में होता है। पशुओं से हमें दूध, अण्डा,
मांस प्राप्त होता है।
(iii) औषधि में महत्त्व वर्तमान में भी लगभग 70% औषधियाँ प्राकृतिक उत्पादों से प्राप्त की जाती है; जैसे-सर्पगन्धा, अश्वगंधा, आदि। चन्दन, नीम, महुआ, आदि तेलों के उत्पादन में वनों का काफी महत्त्व है।
(iv) पारिस्थितिक में महत्त्व पारिस्थितिक सन्तुलन बनाए रखने में जैव-विविधता का विशेष महत्त्व है। हरे पादप प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के द्वारा समस्त जीवों हेतु प्राणदायक ऑक्सीजन का निर्माण करते हैं। जैव-भू-रासायनिक चक्र पारिस्थितिक तन्त्र की भरण-पोषण क्षमता को बढ़ाते हैं।
(v) उद्योगों में महत्त्व पादप व जन्तु अनेक उद्योगों के लिए कच्चा माल प्रदान करते हैं; जैसे- गोंद, रबड़, ऊन, चमड़ा, आदि।
प्रश्न 3. जैव-विविधता क्या है? इसे हम कैसे संरक्षित कर सकते हैं?
जैव-विविधता की क्षति के कारण दीजिए।
अथवा जैव-विविधता क्या है? इसके संरक्षण की दो विधियों का उल्लेख कीजिए।
अथवा वन्य जीवन के संरक्षण की दो विधियों को समझाइए ।
अथवा जैव-विविधता से आप क्या समझते हैं? जैव-विविधता की क्षति के क्या कारण है? जैव-विविधता संरक्षण की दो विधियों को समझाइए |
अथवा किसी भौगोलिक क्षेत्र में जाति क्षति के मुख्य कारण क्या है?
अथवा संकटग्रस्त जातियों से आप क्या समझते हैं? संरक्षण के लिए किए गए विभिन्न प्रकार के उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – किसी भी पारिस्थितिक तन्त्र अथवा जीवोम में पारस्परिक निर्भरता तथा अन्तः क्रियाएँ करते हुए पादप, जन्तुओं व सूक्ष्मजीवों की विभिन्न जातियों का पाया जाना, जैव-विविधता कहलाता है। जैव-विविधता शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम रोजन (Rosen; 1985) ने किया था। जैव-विविधता की विलुप्ति के कारण निम्नलिखित है
1. प्राकृतिक आवासों का नाश (Habitat destruction) मानव जनसंख्या में वृद्धि के कारण तथा प्राकृतिक क्षेत्रों में मानवीय हस्तक्षेप के कारण जीवों के प्राकृतिक आवासों का नाश हुआ है, जिसके कारण जैव-विविधता में कमी आई है। आवासीय क्षेत्रों, कृषि क्षेत्रों, औद्योगिक क्षेत्रों में निरन्तर वृद्धि के कारण वर्षा वनों का क्षेत्रफल 18% से घटकर बहुत कम रह गया है।
2. बड़े प्राकृतिक आवासों को टुकड़ों में बांटना (Habitat fragrmintation) कृषि, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, सड़कों तथा रेलो के निर्माण आदि के कारण जीवों के बड़े प्राकृतिक छोटे-छोटे टुकड़ों बंट गए हैं, जिस कारण विभिन्न जीव-जातियों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर निवास करना तथा उनका फैलाव एक निश्चित स्थान तक सीमित होकर रह गया है।
3. प्रदूषण pollution) जीवों के प्राकृतिक आवासों में आई कमी के साथ प्रदूषण भी एक मुख्य कारण है, जिसके कारण किसी समुदाय में उपस्थित बहुत- सी जातियाँ प्रभावित होती हैं।
4. विदेशी जातियों का आक्रमण या आगमन (Introduction of alien or Exotic pecies) बहुत-सी विदेशी जातिर्यां, अपने आपको बदलती पर्यावरणीय दशाओं में आसानी से अनुकूलित कर लेती है तथा ये उस पर्यावरण में उपस्थित प्राकृतिक जातियों (Native species) का भक्षण करके उन्हें समाप्त कर देती हैं।
5. सहविलुप्तता (Coextinction) एक जाति के विलुप्त होने से उस पर आधारित दूसरी जन्तु व पादप जातियाँ भी विलुप्त होने लगती हैं; उदाहरण-
जब एक परपोषी मत्स्य जाति विलुप्त होती है, तब उसके विशिष्ट परजीवी भी विलुप्त होने लगते हैं।
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