महाकवि कालिदासः/संस्कृतस्य श्रेष्ठः कविः/ कविकुलगुरु : कालिदासः/उपमा कालिदासस्य/मम प्रेयान् कविः / कश्चिद् कविः/प्रियकविः पर संस्कृत में निबंध
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महाकवि कालीदास पर संस्कृत में निबंध
1.संस्कृत भाषा गीर्वाणवाणी अस्ति।
2.अस्याः भाषायाः बहवः कवयः सन्ति।
3.तेषु कवीषु महाकविः कालिदासः सर्वश्रेष्ठः मन्यते।
4.विश्वसाहित्यस्य चर्चायां प्रचलितायां महाकवेः कालिदासस्य नाम प्रथमकोटिककविसमवाये श्रद्धया प्रस्तूयते।
5.महाकविः कालिदासः प्रसन्नप्रतिभासमन्वितः नैकासु काव्यविधासु प्रावीण्यं वितनोति।
6.महाकवेः निर्मिताः सप्त इमे ग्रन्थाः विख्याताः सन्ति-ऋतुसंहारः, मेघदूतम्, कुमारसम्भवम्, रघुवंशम्, मालाविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्वशीयम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम् च।
7.कालिदासस्य काव्यानां भाषा प्रसादगुणसम्पन्ना।
8.अस्य काव्येषु वैदर्भी रीतिः समुज्जृम्भते।
9.कविनाऽनेन श्रृंगाररसप्रधानानि काव्यानि रचितानि, येषु यथायथम् अन्येषामपि रसानां निष्पत्तिः भवति।
10.बाणभट्रेन -
निर्गतासु न वां कस्य कालिदासस्य सूक्तिषु । प्रीतिर्मधुरसान्द्रासु मञ्जरीष्विव जायते ।।
11.कालिदासमधिकृत्य समालोचकैः कानिचन मानक वाक्यानि रचितानि यानि सहसैव अहमहमिकया कालिदासकाव्यप्रशंसकानां जिह्वाग्रेऽद्यापि समारोहन्ति- तथाहि - 'वैदर्भीरीतिसन्दर्भ कालिदासो विशिष्यते', 'उपमा कालिदासस्य', 'कविकुलगुरुः कालिदासो विलासः',' प्रायिकश्चोपमालङ्कारः
कालिदासोक्तकाव्यादौ' एवमादीनि ।
12.कालिदासकाव्य व्यख्याा मल्लिनाथेन कालिदासः अनेन श्लोकेन
उपश्लोकित -
कालिदासगिरां सारं कालिदासः सरस्वती। चतुर्मुखोऽथवा साक्षाद् विदुर्नान्ये तु मादृशाः।।
13. केनचित् कविना कालिदासस्य प्रशंसायामुक्तम् -
पुरा कवीनां गणना प्रसङ्गे कनिष्ठिकाधिष्ठिकालिदासा। अद्यापि तत्तुल्यकवेरभावादनामिका सार्थवती बभूव ।।
14. एवं कथनेन अतिशयोक्ति नास्ति यत् कालिदासस्य समं अद्यापि विश्वे कोऽपिः
15.कविः ना अभवत् न भविष्यति च।
16.कालिदासस्य नाम विश्वसाहित्यें स्वर्णाक्षरैः लिखितः अस्ति।
महाकवि कालिदास पर निबंध
1. संस्कृत एक प्राचीन भाषा है।
2. इस भाषा में अनेक कवि हैं।
3. उन कवियों में महाकवि कालिदास सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं।
4. विश्व साहित्य की चर्चा में प्रथम करोड़ कवियों में महाकवि कालिदास का नाम आदरपूर्वक लिया किया जाता है।
5. प्रसन्नचित स्वरूप के धनी महाकवि कालिदास काव्य की अनेक विधाओं में दक्षता प्रदर्शित करते हैं।
6. महान कवि द्वारा रचित ये सात प्रसिद्ध कृतियाँ हैं ऋतुसंहार, मेघदूतम, कुमारसंभवम, रघुवंशम, मालविकाग्निमित्र, विक्रमोर्वशीयम् और अभिज्ञान शाकुंतला।
7. कालिदास की कविताओं की भाषा शालीनता के गुणों से संपन्न है।
8. उनकी कविताओं में वैदर्भी शैली निखरती है।
9. कवि ने मुख्यतः सौन्दर्यात्मक रुचि की कविताएँ रचीं, जिनमें अन्य रुचियाँ भी विभिन्न प्रकार से व्यक्त हुई हैं।
10. बाणभट्रेन -
कालिदास का कौन सा उद्धरण आपमें से नहीं निकला है? प्रेम का जन्म फूलों की सघन मिठास में होता है।
11. आलोचकों ने कालिदास के बारे में कुछ मानक वाक्यांशों की रचना की है जो आज भी कालिदास की कविता के अचानक अहंकारी प्रशंसकों की जीभ पर मनाए जाते हैं: ' इत्यादि।
12. मल्लिनाथ कालिदास द्वारा कालिदास काव्य की व्याख्या इस श्लोक के साथ
उपश्लोकित -
कालिदास और सरस्वती के शब्दों का सार है कालिदास। मेरे जैसे अन्य लोग जानते हैं कि वह चार मुख वाला है या नहीं
13. किसी कवि ने कालिदास की प्रशंसा में कहा है- अतीत में कवियों की गिनती में कालिदास सबसे छोटे थे। आज भी उनके समकक्ष कोई कवि न होने के कारण नामिका सार्थक हो गयी।
14. यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि दुनिया में कालिदास के बराबर आज भी कोई नहीं है
15. उनके जैसा कवि न कभी हुआ है और न कभी होगा.
16.विश्व साहित्य में कालिदास का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।
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