राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ,महापुरुषस्य जीवनम् पर संस्कृत में निबंध
Mahatma Gandhi sanskrit nibandh
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1.अस्माकं देशः वैदेशिकानां शासकानाम् आधिपत्ये स्थितः चिरकालं परतन्त्रतम् अतिष्ठत्।
2. राष्ट्रभक्ताः नेतारः देशस्य स्वतन्त्रतायै प्रयत्नम् अकुर्वन् देशं च स्वतन्त्रतम् अकारयन्।
3.तेषु महात्मा गाँधी मूर्धन्यः आसीत् ।
4.अस्य जन्म गुर्जर प्रदेशे पोरबन्दर नामके स्थाने अभवत्।
5. एतेन् भ्रशं पीडितः अयं देशस्य स्वतन्त्रतायै संकल्पम् अकरोत्।
6.देशस्य जनान् संगठितान् कृत्वा अहिंसात्मकम् स्वतन्त्रतान्दोलनम् अचालयत्।
7.अयं विदेशे विधि शिक्षां प्राप्य स्वदेशे प्राड्विवाक कर्म कर्तुम् आरभत्।
8.अयं शीघ्रमेव अन्वभवत् यत् वैदेशिकान् शासने स्थिताः भारतीयाः निरन्तरम् अपमानिताः उपेक्षिताश्च भवन्ति।
9.एतदर्थम् अयं बहुभिः सहयोगिभिः सह बहुवारं कारागारं प्रेषितः बहुशः पीड़ितश्च परं सत्यसंकल्पोऽयं महात्मा अगस्त मासस्य पंचदशे दिनांके 1947 वर्षे देशं स्वतन्त्रतम् अकारयत् ।
10. अतः एव अयं राष्ट्रपिता इति उच्यते।
11.अहिंसा सत्यापरिग्रहाः अस्य जीवनसिद्धान्ताः आसन् येषां पालनम् अयं सदा अकरोत् ।
12. अद्य अयं महात्मा अस्माकं मध्ये नास्ति परं देशवासिभ्यः सदा प्रेरणां ददाति।
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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, महापुरुषों के जीवन पर हिन्दी में निबंध
Mahatma Gandhi par hindi mein nibandh
1. हमारा देश लम्बे समय तक विदेशी शासकों के शासन में गुलाम रहा है।
2. देशभक्त नेताओं ने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया और देश को आजाद कराया।
3. महात्मा गांधी इनमें प्रमुख थे।
4. उनका जन्म गुर्जर क्षेत्र के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था।
5. इस भ्रष्टाचार से त्रस्त होकर उन्होंने देश की स्वतंत्रता का संकल्प लिया।
6. देश की जनता को संगठित किया और अहिंसात्मक स्वतन्त्रता आन्दोलन चलाया।
7. उन्होंने अपनी कानून की शिक्षा विदेश में प्राप्त की और अपने देश में एक न्यायाधीश के रूप में अभ्यास करना शुरू किया।
8. उन्हें जल्द ही पता चला कि विदेशी शासन के तहत भारतीयों को लगातार अपमानित और उपेक्षित किया जाता था।
9. इसके लिए उन्हें कई साथियों सहित कई बार जेल भेजा गया और कई कष्ट सहे लेकिन इन सच्चे निश्चयी महात्मा ने अगस्त के पन्द्रहवें दिन 1947 को देश को स्वतंत्र करा दिया।
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