मकर संक्रांति पर निबंध Makar Sankranti par nibandh
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प्रस्तावना : मकर संक्रांति हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में शामिल है। यह त्योहार, सूर्य के उत्तरायन होने पर मनाया जाता है। इस पर्व की विशेष बात यह है कि यह अन्य त्योहारों की तरह अलग-अलग तारीखों पर नहीं, बल्कि हर साल 14 जनवरी को ही मनाया जाता है, जब सूर्य उत्तरायन होकर मकर रेखा से गुजरता है।
कब मनाया जाता है यह त्योहार : मकर संक्रांति का संबंध सीधा पृथ्वी के भूगोल और सूर्य की स्थिति से है। जब भी सूर्य मकर रेखा पर आता है, वह दिन 14 जनवरी ही होता है, अत: इस दिन मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है।
कभी-कभी यह एक दिन पहले या बाद में यानी 13 या 15 जनवरी को भी मनाया जाता है लेकिन ऐसा कम ही होता है।
कैसे मनाया जाता है मकर संक्रांति का त्योहार : इस दिन सुबह जल्दी उठकर तिल का उबटन कर स्नान किया जाता है। इसके अलावा तिल और गुड़ के लड्डू एवं अन्य व्यंजन भी बनाए जाते हैं। इस समय सुहागन महिलाएं सुहाग की सामग्री का आदान प्रदान भी करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे उनके पति की आयु लंबी होती है।
भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति के पर्व को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे संक्रांति कहा जाता है और तमिलनाडु में इसे पोंगल पर्व के रूप में मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में इस समय नई फसल का स्वागत किया जाता है और लोहड़ी पर्व मनाया जाता है, वहीं असम में बिहू के रूप में इस पर्व को उल्लास के साथ मनाया जाता है।
मकर संक्रांति की खासियत : हर प्रांत में इसका नाम और मनाने का तरीका अलग-अलग होता है। अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार इस पर्व के पकवान भी अलग-अलग होते हैं, लेकिन दाल और चावल की खिचड़ी इस पर्व की प्रमुख पहचान बन चुकी है। विशेष रूप से गुड़ और घी के साथ खिचड़ी खाने का महत्व है। इसके अलावा तिल और गुड़ का भी मकर संक्राति पर बेहद महत्व है।
धर्म - ज्योतिष की नजर से मकर संक्रांति : ज्योतिष की दृष्टि से देखें तो इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है और सूर्य के उत्तरायण की गति प्रारंभ होती है। सूर्य के उत्तरायण प्रवेश के साथ स्वागत-पर्व के रूप में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। वर्षभर में बारह राशियों मेष, वृषभ, मकर, कुंभ, धनु इत्यादि में सूर्य के बारह संक्रमण होते हैं और जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति होती है।
दान का महत्व : सूर्य के उत्तरायण होने के बाद से देवों की ब्रह्म मुहूर्त उपासना का पुण्यकाल प्रारंभ हो जाता है। इस काल को ही परा-अपरा विद्या की प्राप्ति का काल कहा जाता है। इसे साधना का सिद्धिकाल भी कहा गया है। इस काल में देव प्रतिष्ठा, गृह निर्माण, यज्ञ कर्म आदि पुनीत कर्म किए जाते हैं। मकर संक्रांति को स्नान और दान का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन तीर्थों एवं पवित्र नदियों में स्नान का बेहद महत्व है साथ ही तिल, गुड़, खिचड़ी, फल एवं राशि अनुसार दान करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं।
महाभारत के अनुसार : महाभारत में भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही माघ शुक्ल अष्टमी के दिन स्वेच्छा से शरीर का परित्याग किया था। उनका श्राद्ध संस्कार भी सूर्य की उत्तरायण गति में हुआ था। फलतः आज तक पितरों की प्रसन्नता के लिए तिल अर्घ्य एवं जल तर्पण की प्रथा मकर संक्रांति के अवसर पर प्रचलित है।
उपसंहार : इन सभी मान्यताओं के अलावा मकर संक्रांति पर्व एक उत्साह से जुड़ा है। इस दिन पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन कई स्थानों पर पतंगबाजी के बड़े- बड़े आयोजन भी किए जाते हैं। लोग बेहद आनंद और उल्लास के साथ पतंगबाजी करते हैं।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कई जगहों पर इसका महत्व कम होता जा रहा है। पतंगबाजी के समय मांझे की डोर से आकाश में उड़ रहे पक्षियों की असामायिक मौत हो जाती है, यह ध्यान देने योग बात है तथा घरों की छतों पर पतंग उड़ाते समय हमें खुद का और सभी का ध्यान रखना चाहिए ताकि हर परेशानी से बचा जा सकें।
मकर संक्रांति पर निबंध 10 लाइन | Makar Sankranti Essay in 10 Lines
1. Makar Sankranti जनवरी महीने की हर 14 या 15 तारीख को मनाया जाता है
2. मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है
3. मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायन होता है
4. मकर संक्रांति के दिन ही Sagittarius राशि से Capricorn राशि में सूर्य का प्रवेश होता है
5. मकर संक्रांति के दिन तिल गुड खाने का महत्व होता है।
6. मकर संक्रांति के दिन किया गया दान जिंदगी भर चलता है
7. मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से हजार गुणा पुण्य की प्राप्ति होती है
8. मकर संक्रांति के दिन गुजरात में International Kites Festival मनाया जाता है
9. मकर संक्रांति के दिन नए कार्य की शुरुआत करना शुभ माना जाता है
10. मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने से वह अपने भक्तों की हर संकट से रक्षा करते है।
FAQ's Makar Sankranti Essay in Hindi
Q. मकर संक्रांति कब आती है ?
Ans मकर संक्रांति का त्योहार जनवरी की 14 या 15 तारीख को आता है
Q. साल 2023 में मकर संक्रांति कौन सी तारीख और दिन को है ?
Ans- साल 2023 में 15 जनवरी दिन रविवार को मकर संक्रांति है।
Q.मकर संक्रांति कब आती है ?
Ans.मकर संक्रांति का त्योहार जनवरी की 14 या 15 तारीख को आता है
Q.साल 2023 में मकर संक्रांति कौन सी तारीख और दिन को है ?
Ans.साल 2023 में 15 जनवरी दिन रविवार को मकर संक्रांति है
Q.मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है निबंध ?
Ans.मकर संक्रांति : यह माना जाता है कि भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं और शनि मकर राशि के स्वामी है। इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। पवित्र गंगा नदी का भी इसी दिन धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए भी मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता हैं।
Q.मकर संक्रांति क्या महत्व है?
Ans. जब सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, जिसे "संक्रांति" कहा जाता है। इसी प्रकार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को "मकर संक्रांति" के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं, आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है, अंधकार का नाश व प्रकाश का आगमन होता है।
Q.मकर संक्रांति का त्योहार हमें क्या संदेश देता है?
Ans.संक्रांति प्रतीक है परिवर्तन का, सामाजिक समरसता का, एकता व बंधुता का प्रतीक है इस दिन तिल और गुड़, खिचड़ी का सेवन करते हैं
Q.मकर संक्रांति की शुरुआत कैसे हुई ?
Ans.मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। माना जाता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए खुद उनके घर आते हैं। इस वजह से इस खास दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
Q.मकर संक्रांति का रहस्य क्या है?
Ans.मकर संक्रांति: सूर्य जब मकर राशि में जाता है तो उत्तरायन ति करने लगता है। उत्तरायन अर्थात उस समय धरती का उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है तो उत्तर ही से सूर्य निकलने लगता है। पूर्व की जगह वह उत्तर से निकलकर गति करता है। इसे सोम्यायन भी कहते हैं।
Q.मकर संक्रांति में लोग क्या करते हैं?
Ans.इस दिन सूर्य की पूजा के बाद पंतगबाजी का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति को उत्तर प्रदेश में खिचड़ी पर्व कहते हैं। इस दिन गंगा, यमुना, सरस्वती के त्रिवेणी संगम में स्नान को सर्वोत्तम माना गया है। सुबह गंगा में स्नान कर लोग सूर्य को अर्घ्य देते हैं और दान-पुण्य करते हैं।
Q.संक्रांति का अर्थ क्या है?
Ans.संक्रांति (संस्कृत: संक्रान्ति संक्रांति या संक्रमण) का अर्थ भारतीय खगोल विज्ञान में सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में स्थानांतरण है ।
Q.मकर संक्रांति का नाम क्या है?
Ans.पंजाब और हरियाणा में मकर संक्रांति को माघी नाम से मनाया जाता है। वैसे पंजाब में इसे लोहड़ी के नाम से भी जाना जाता है। जिसे पंजाब में मकर संक्रांति के एक दिन पहले ही मनाया जाता है। राजस्थान और गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण कहते हैं। यहां मकर संक्रांति में पतंग उत्सव होता है और दो दिन का पर्व मनाया जाता है।
Q.मकर संक्रांति के दिन लोग खुश क्यों हो जाते हैं?
Ans.दरअसल, इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव के घर में प्रवेश करते हैं, यानि कि मकर राशि में प्रवेश करते हैं, और एक महीने तक रहते हैं, इस दौरान सूर्य देव की गति उत्तरायण होती है। जिसे दान और स्नान के लिए शुभ माना जाता है।
Q.मकर संक्रांति का नाम कैसे पड़ा ?
Ans.मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव से मिलने जाते हैं. ज्योतिष में शनिदेव को मकर राशि का स्वामी माना गया है इसलिए ही इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है.
Q.मकर संक्रांति के दिन किसकी पूजा की जाती है?
Ans.मकर संक्रांति के अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा का भी विधान है। शास्त्रों और पुराणों में कहा गया है कि माघ मास में नित्य तिल से भगवान विष्णु की पूजा करने वाला पाप मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है। अगर पूरे महीने तिल से नारायण की पूजा नहीं कर पाते हैं तो मकर संक्रांति के दिन नारायण की तिल से पूजा करनी चाहिए।
Q.भारत में संक्रांति क्यों मनाई जाती है?
Ans.मकर संक्रांति, जिसे माघी या मकर संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है और सूर्य की उत्तरी गोलार्ध में वापस यात्रा का जश्न मनाता है जिसे एक अत्यधिक सकारात्मक घटना माना जाता है। मकर संक्रांति पहले दिन का प्रतीक है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहा है, जिसे हिंदी में मकर भी कहा जाता है।
Q.संक्रांति की कथा क्या है?
Ans.किंवदंतियों के अनुसार, यह माना जाता है कि संक्रांति - जिसके नाम पर इस उत्सव का नाम पड़ा है- एक देवता थे, जिन्होंने संकरासुर नामक एक दुष्ट को अंजाम दिया था। मकर संक्रांति के अगले दिन को कारिदिन या किंक्रांत कहा जाता है। इसी दिन देवी ने खलनायक किंकारासुर का वध किया था।
Q.संक्रांति पर क्या नहीं करना चाहिए?
Ans.मकर संक्रांति के शुभ दिन बिना स्नान किए भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. घर पर पानी में काले तिल, हल्का गुड़ और गंगाजल मिलाने के बाद स्नान जरूर करना चाहिए. 1- मकर संक्रांति के दिन लहसुन, प्याज और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए. मकर संक्रांति का पर्व सादगी के साथ मनाना चाहिए-
Q.मकर संक्रांति की शुरुआत कब से हुई ?
Ans.राजा हर्षवर्द्धन के समय में यह पर्व 24
दिसम्बर को पड़ा था। मुगल बादशाह अकबर के शासन काल में 10 जनवरी को मकर संक्रांति थी। शिवाजी के जीवन काल में यह त्योहार 11 जनवरी को मनाया जाता था। पं मिश्रा के अनुसार सूर्य के धनु से मकर राशि में प्रवेश करने को मकर संक्रांति कहा जाता है।
Q.14 जनवरी को क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति ?
Ans.मकर संक्रांति का त्योहार उत्तर भारत में हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन से धरती पर अच्छे दिनों की शुरुआत मानी जाती है इसकी वजह यह है कि सूर्य इस दिन से दक्षिण से उत्तरी गोलार्ध में गमन करने लगते हैं। इससे देवताओं के दिन का आरंभ होता है।
Q.संक्रांति कितनी होती है?
Ans.संक्रान्ति का अर्थ है, 'सूर्य का एक राशि से अलगी राशि में संक्रमण (जाना)' । अतः पूरे वर्ष में कुल 12 संक्रान्तियाँ होती हैं।
Q.मकर संक्रांति शुभ दिन है?
Ans.मकर संक्रांति को हिंदुओं द्वारा सुख और समृद्धि का दिन माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करना शुभ होता है। भक्त सूर्य देव को भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी गर्म और चमकदार किरणों से हमें आशीर्वाद देने के लिए उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
Q.मकर संक्रांति पर हमें कौन सा रंग नहीं पहनना चाहिए?
Ans.अब काले रंग को आमतौर पर एक अशुभ रंग माना जाता है और किसी भी शुभ दिन पर नहीं पहना जाता है, यह मकर संक्रांति के लिए पसंद का रंग है। आप आश्चर्य क्यों करते हैं? यहाँ कारण है। यह वह दिन है जब सूर्य अपनी उत्तरी गति शुरू करता है, इसलिए यह दिन सर्दियों के अंत और वसंत की शुरुआत का प्रतीक है।
Q.संक्रांति के 3 दिन हम क्या करते हैं?
Ans.मकर संक्रांति के सामान्य अनुष्ठान
लोक गीत और अलाव के आसपास नृत्य, जिसे आंध्र प्रदेश में "भोगी", पंजाब में "लोहड़ी" और असम में "मेजी" कहा जाता है। नए धान और गन्ने जैसी फसलों की कटाई। लोग पवित्र नदियों, विशेषकर गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में स्नान करते हैं।
Q.मकर संक्रांति पर क्या उड़ाते हैं?
Ans.Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति का त्योहार आज 15 जनवरी दिन रविवार को धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस दिन पूजा-पाठ और दान, स्नान का जितना महत्व होता है उतना ही महत्व पतंग उड़ाने का भी है. कई जगह मकर संक्रांति को पतंग पर्व भी कहा जाता है. इस दिन लोग छत पर जाकर रंग-बिरंगी पतंग उड़ाते हैं.
Q.संक्रांति ने क्या खाया?
Ans.Makar Sankranti 2023 : मकर संक्रांति का त्योहार इस साल 15 जनवरी को यानी आज पूरे देश में मनाया जा रहा है. मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और दान करने का विशेष महत्व माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार खिचड़ी का संबंध अलग-अलग ग्रहों से है.
Q.मकर संक्रांति पर कौन सी मिठाई बनती है?
Ans.तिल और गुड के लड्डू उत्तर भारत में सकट चौथ और संक्रांति पर बनाए जाता हैं. मैने यह लड्डू सफेद तिल और गुड़ से बनाए हैं जो खाने में तो लाजवाब हैं ही साथ में स्वास्थ्य के लिए भी अच्छे हैं. सफेद तिल कई प्रकार के पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है, इसमें ख़ासतौर पर कैल्शियम बहुतायत में होता है.
Q.खिचड़ी क्यों बनाई जाती है?
Ans.चावल और दाल से बनी मुख्य खिचड़ी वास्तव में हिंदू भगवान गोरखनाथ का पसंदीदा खाना माना जाता है, जिनकी मूर्ति गोरखंथ के एक मंदिर में स्थापित है। मकर संक्रांति के दिन देवता को खिचड़ी का भोग परोसा जाता है। इस दिन भक्त मंदिर में आते हैं और भगवान को चावल, दाल और हल्दी चढ़ाते हैं और एक समृद्ध फसल के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
Q.मकर संक्रांति कौन बनाता है?
Ans.मकर संक्रांति पर्व मुख्यतः सूर्य पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़ के दूसरे में प्रवेश करने की सूर्य की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते हैं, चूँकि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इस समय को मकर संक्रांति कहा जाता है।
Q.खिचड़ी की खोज किसने की थी ?
Ans.मुगल बादशाह अकबर के वज़ीर, अबुल - फ़ज़ल इब्न मुबारक द्वारा लिखित 16वीं सदी के एक दस्तावेज़ आइन-ए-अकबरी में खिचड़ी की रेसिपी का उल्लेख है, जिसमें सात विविधताएँ हैं। अकबर बीरबल और खिचड़ी की एक कहानी है। एंग्लो-इंडियन व्यंजन केडगेरी को खिचड़ी से प्राप्त माना जाता है।
Q.क्या मकर संक्रांति पर चावल खा सकते हैं?
Ans.खिचड़ी बहुत ही कम मसालों के साथ चावल और दाल के संयोजन से बना सबसे बुनियादी व्यंजनों में से एक है जो भारतीय आहार के लिए सर्वोत्कृष्ट है। मकर संक्रांति 2023: त्योहार पर खाए जाने वाले सबसे प्रमुख खाद्य पदार्थों में से एक खिचड़ी है।
Q.खिचड़ी कब है गूगल?
Ans.मकर संक्रांति 2023: मकर संक्रांति का त्योहार इस साल 15 जनवरी को भी मनाया जाएगा। मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और दाने का विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, खिचड़ी का संबंध ग्रहों से है
Q.मकर संक्रांति कैसे बनाए जाते हैं?
Ans.यहां इस पर्व के दिन स्नान करने के बाद तिल दान करने की प्रथा है। कहा जाता है कि इसी दिन यशोदा जी ने श्रीकृष्ण की प्राप्ति के लिए व्रत रखा था। साथ ही इसी दिन मां गंगा भगीरथ के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए गंगा सागर में जा मिली थीं। यही वजह है कि हर साल मकर संक्रांति के दिन गंगा सागर में भारी भीड़ होती है।
Q.2023 की संक्रांति कब है?
Ans.Makar Sankranti 2023: सनातन धर्म में मकर संक्रांति को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी. साथ ही देश में ऐसे कई हिस्से हैं जहां मकर संक्रांति को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है.
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