सुभाष चंद्र बोस पर निबंध // Subhash Chandra Bose par nibandh in hindi
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"भारत मां के वीर सपूत की बस इतनी अमर कहानी है, हिंदी की शान के खातिर उसकी जान हुई बलिदानी है।"
देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व लुटा देने वाले लोगों में से एक सुभाष चंद्र बोस हैं, जिन्हें हम नेता जी के नाम से जानते हैं। नेताजी नेतृत्व करने में श्रेष्ठ वक्ता थे। नेता जी ने देश की आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
आज भी हमारे मन "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा" "दिल्ली चलो" तथा "जय हिंद" जैसे नारे आते हैं, जो नेता जी द्वारा गुलाम भारत में दिए गए थे। नेताजी निडर महान क्रांतिकारी थे।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक बहादुर नायक थे। वह एक महान व्यक्ति और बहादुर स्वतंत्रता सेनानी थे। भारत के इतिहास में स्वतंत्रता संघर्ष के लिए दिया गया उनका महान योगदान अविस्मरणीय है। वो वास्तव में भारत के एक सच्चे बहादुर हीरो थे जिन्होंने अपनी मातृभूमि के खातिर अपना घर और आराम त्याग दिया था।
वो हमेशा से अहिंसा पर कम ही भरोसा करते थे और ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता पाने के लिए उन्होंने सैन्य विद्रोह का रास्ता चुना।
सुभाष चंद्र बोस का शुरुआती जीवन -
उनका जन्म एक समृद्ध हिंदू परिवार में 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। उनके पिता जानकीनाथ बोस थे जो एक सफल बरिस्टर थे और मां प्रभावती देवी एक ग्रहणी थी। वह एक हिंदू कायस्थ परिवार से आते थे। वह कुल मिलाकर 14 भाई बहन थे। सुभाष चंद्र बोस नौवीं संतान थे। उन्हें उनके बड़े भाई शरद चंद्र से बहुत लगाव था। वह उनके माता-पिता की दो संतान थे। सुभाष चंद्र बोस उन्हें प्रेम से मेजदा कहते थे।
सुभाष चंद्र बोस की शिक्षा -
सुभाष चंद्र बोस ने 1909 में कटक के प्रोटेस्टेड स्कूल से अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की व इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने रेवेनशा कॉलेजिएट विद्यालय में दाखिला लिया।
वहां के प्रधानाध्यापक बेनीमाधव दास का उनके जीवन पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा। उन्हें पढ़ने का बहुत शौक था। 15 वर्ष की आयु में ही उन्होंने विवेकानंद साहित्य का पूर्ण अध्ययन कर लिया।
सन् 1915 में उन्होंने द्वितीय श्रेणी से इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण की। सन् 1916 में उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज में b.a. ऑनर्स में दाखिला ले लिया।
जहां शिक्षकों व विद्यार्थियों के बीच कुछ आंदोलन हो गए। जिसमें छात्रों का नेतृत्व सुभाष चंद्र बोस ने किया। जिसकी वजह से उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया। उसके बाद उन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज में दाखिला लिया। नेताजी 49वीं बंगाल रेजीमेंट में भर्ती होने के लिए गए। लेकिन उनकी आंखों में कुछ समस्या की वजह से उन्हें निकाल दिया गया।
उन्होंने आर्मी में भर्ती होने का इतना अधिक शौक था कि उसके बाद उन्होंने टेरिटोरियल आर्मी की भर्ती परीक्षा दी जिसे उन्होंने उत्तीर्ण कर लिया। उसके बाद उन्हें फोर्ट विलियम सेनालय में रंगरूट में दाखिला मिल गया।
उन्होंने अपनी बीए ऑनर्स की डिग्री 1919 में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। पिता की इच्छा पर उन्होंने आईएएस की तैयारी के लिए 15 सितंबर को इंग्लैंड चले गए।
एक बार उन्हें ब्रिटिश प्रिंसिपल्स के ऊपर हमले में शामिल होने के कारण कोलकाता प्रेसीडेंसी कॉलेज से निकाल दिया गया था।
उन्होंने प्रतिभाशाली ढंग से आईएएस की परीक्षा को पास किया था लेकिन उसको छोड़कर भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई से जुड़ने के लिए 1921 में असहयोग आंदोलन से जुड़ गए।
सुभाष चंद्र बोस जयंती क्यों मनाई जाती है -
भारत देश को आजाद होने में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का अहम योगदान है। उन्होंने अपने क्रांतिकारी कार्यों के तहत भारत में आजादी के ज्वलंत नेतृत्व की भावना को बनाए रखा था। उनके द्वारा बनाए गई आजाद हिंद फौज ने देश के विभिन्न हिस्सों को अंग्रेजी हुकूमत से मुक्त कराने का महत्वपूर्ण प्रयास किया था। अपने बेहतरीन कूटनीति के द्वारा उन्होंने यूरोप के कई देशों से संपर्क करके उनसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सहयोग देने का प्रस्ताव रखा था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, लाला लाजपत राय, भगत सिंह, चंद्र शेखर आजाद आदि जैसे प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक थे। भले ही देश की आजादी के लिए उन्होंने हिंसा का मार्ग चुना था, लेकिन उनके कार्यों का भारत की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान है। यही कारण है कि भारत की आजादी में उनके बहुमूल्य योगदान को देखते हुए 23 जनवरी को उनके जन्मदिन पर सुभाष चंद्र बोस जयंती को पूरे देश भर में उत्साह और देश भक्ति संग मनाया जाता है।
क्रांति का सूत्रपात -
सुभाष चंद्र बोस जी के मन में छात्र काल से ही क्रांति का सूत्रपात हो गया था। जब कॉलेज के समय में एक अंग्रेजी के अध्यापक ने हिंदी के छात्रों के खिलाफ नफरत भरे शब्दों का प्रयोग किया तो उन्होंने उसे थप्पड़ मार दिया, वहीं से उनके विचार क्रांतिकारी बन गए थे। असल में पक्के क्रांतिकारी रोलेट एक्ट और जलियांवाला बाग हत्याकांड से बने थे।
स्वतंत्रता संग्राम में प्रवेश -
स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ने के लिए दास बाबू के साथ काम करना चाहते थे। भारत आने के बाद रविंद्र नाथ टैगोर की सलाह पर वह सबसे पहले महात्मा गांधी जी से मिले।
गांधीजी ने उन्हें दास बाबू के साथ जुड़ने की सलाह दी। उस समय गांधी जी ने पूरे देश में असहयोग आंदोलन चला रखा था। दास बाबू बंगाल में इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। बहुत जल्द वह युवा नेता बन गए। स्वतंत्रता संग्राम में वह 11 बार जेल गए। उन्होंने जर्मनी में जाकर हिटलर तथा अन्य नेताओं से मिले। वहां उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की। उसके बाद उन्होंने जापान की मदद से अंडमान निकोबार दीप समूह को आजाद करवा लिया।
अपनी राष्ट्रवादी क्रियाकलापों के लिए उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा लेकिन वो इससे न कभी थके और ना ही निराश हुए। नेता जी कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुने गए थे। लेकिन कुछ राजनीतिक मतभेदों के चलते गांधी जी के द्वारा उनका विरोध किया गया था।
वो पूर्वी एशिया की तरफ चले गए जहां भारत को एक स्वतंत्र देश बनाने के लिए उन्होंने अपनी "आजाद हिंद फौज" को तैयार किया।
कांग्रेस से त्यागपत्र -
सुभाष चंद्र बोस क्रांतिकारी विचारधारा रखते थे इसलिए वह कांग्रेस के अहिंसापूर्ण आंदोलन में विश्वास नहीं रखते थे। इसलिए उन्होंने कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया।
सुभाष चंद्र बोस अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध छोड़कर देश को स्वाधीन करना चाहते थे। उन्होंने देश में हिंदू मुस्लिम एकता के लिए फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की। उनके तीव्र क्रांतिकारी विचारों और कार्यों से त्रस्त होकर अंग्रेजी सरकार ने उन्हें जेल भेज दिया। जेल में उन्होंने भूख हड़ताल कर दी। जिसकी वजह से देश में अशांति फैल गई थी, जिसके फलस्वरूप उनको उनके घर पर ही नजरबंद रखा गया था। सुभाष चंद्र बोस ने 26 जनवरी 1942 को पुलिस और जासूसों को चकमा दिया था।
सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु -
उनकी मृत्यु पर हमेशा से ही वाद-विवाद रहा है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक उनकी मृत्यु ताइहोकू नाम की जगह पर विमान दुर्घटनाग्रस्त में हो गई।
वह विमान 18 अगस्त 1945 को ताइहोकू के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसमें वह काफी अधिक जल गए। उन्हें ताइहोकू के सैनिक अस्पताल में भर्ती किया गया।
ऐसा माना जाता है कि एक विमान दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु हो गई। जहां उसी रात को 9:00 बजे उनका देहांत हो गया। इसकी सूचना 23 अगस्त 1945 को टोक्यो रेडियो में दी गई। जहां बताया गया कि सैगोन में उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। जिसमें उनकी मृत्यु हो गई। इस दुखद घटना ने भारत के लोगों को अंदर से हिलाकर रख दिया। नेताजी का साहसिक कार्य आज भी लाखों भारतीय युवाओं को देश के लिए कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित करता है।
उपसंहार - 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। इस आजादी को देखने के लिए सुभाष चंद्र बोस इस दुनिया में नहीं थे। लेकिन उन्होंने ही देश को स्वतंत्र करवाने की नींव रखी।
वह अंग्रेजी राज में एक उच्च पद पर थे। लेकिन भारत को आजाद करवाने के लिए उन्होंने वह पद छोड़ दिया। उनके द्वारा दिया गया ''जय हिंद" का नारा आज हमारा राष्ट्रीय नारा है।
उन्होंने ही "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा" का नारा भी दिया। भारत को आजाद करवाने में उनका योगदान अतुलनीय रहा है।
आज भी उनकी मृत्यु पर बहुत से लोग लड़ते हैं। वह भारत के एक सच्चे योद्धा थे। भारत उन्हें हमेशा याद रखेगा।
"देश प्रेम के खातिर नाम हुआ अमर,
नेताजी के त्याग और संघर्ष को शत शत मेरा नमन।"
Q.सुभाष चंद्र बोस के कितने बच्चे हैं?
Ans.1937 में दोनों ने शादी कर ली। 29 नवंबर 1942 को विएना में मिली ने एक बेटी को जन्म दिया। सुभाष ने अपनी बेटी का नाम अनीता बोस रखा।
Q.सुभाष चन्द्र बोस ने स्वतंत्रता संग्राम में क्या योगदान दिया?
Ans.जब सुभाष चंद्र बोस भारतीय प्रशासनिक सेवा को बीच में ही छोड़कर भारत आ गए। उन्होंने आंदोलन को मजबूती देने के लिए देश के बाहर जाकर आज़ादी के आंदोलन को मजबूती दी। उन्होंने आजाद हिंद फौज, आजाद हिंद सरकार और बैंक की स्थापना की और देश के बाहर हिंदुस्तान की आज़ादी के लिए अन्य देशों से समर्थन हासिल किया।
Q.सुभाष चंद्र बोस की विचारधारा क्या थी?
Ans.भारत की स्वतन्त्रता के सम्बन्ध में सुभाष चन्द्र बोस का विचार था कि भारत को पूर्ण स्वतन्त्रता मिले और शीघ्रातिशीघ्र मिले। इसके विपरीत कांग्रेस कमीटी के अधिकांश सदस्यों का विचार था कि भारत को पहले डोमिनियन का दर्जा मिले और फिर स्वतन्त्रता कई चरणों में मिले।
Q.सुभाष चन्द्र बोस की कौन सी जाति है?
Ans.बोस बंगाल में कायस्थ जाति के हैं। आंद्रे विंक के अनुसार बंगाली कायस्थ 5वीं / 6वीं शताब्दी ईस्वी और 11वीं/12वीं शताब्दी ईस्वी के बीच विकसित हुए, इसके घटक तत्व ख्यात क्षत्रिय और ज्यादातर ब्राह्मण थे। बोस को घोष, मित्र और गुहा के साथ गौतम गोत्र का
कुलिन कायस्थ माना जाता है।
Q.नेताजी नाम किसने दिया था?
Ans.बोस को 1942 में जर्मनी में भारतीय सेना के भारतीय सैनिकों और बर्लिन में भारत के लिए विशेष ब्यूरो के अधिकारियों द्वारा नेताजी की सम्मानजनक उपाधि दी गई थी।
Q.सुभाष चंद्र बोस शॉर्ट नोट में कौन है ?
Ans.सुभाष चंद्र बोस (जिन्हें नेताजी भी कहा जाता है) भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका के लिए जाने जाते हैं । असहयोग आंदोलन के एक भागीदार और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक नेता, वह अधिक उग्रवादी विंग का हिस्सा थे और समाजवादी नीतियों की वकालत के लिए जाने जाते थे।
Q.दिल्ली चलो का नारा किसका था?
Ans.नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने "दिली चलो" का नारा दिया। 5 जुलाई 1943 को, नेताजी ने सिंगापुर के टाउन हॉल के सामने "सुप्रीम कमांडर" के रूप में सेना को संबोधित किया, और "दिल्ली चलो" का नारा दिया। उन्होंने "जय हिंद" और "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा" का नारा भी दिया था।
Q.सुभाष चंद्र बोस ने भारत क्यों छोड़ा ?
Ans.1943 में, इस बात से मोहभंग होने के बाद कि जर्मनी भारत की स्वतंत्रता प्राप्त करने में किसी भी तरह की मदद कर सकता है, बोस जापान के लिए रवाना हो गए।
Q.गांधी बोस के खिलाफ क्यों थे?
Ans.बोस स्वराज के लिए एक साहसी सेनानी थे, जिनका दृढ़ विश्वास था कि केवल एक सशस्त्र विद्रोह ही भारत को अंग्रेजों के अत्याचार से मुक्त कर सकता है। बोस समाजवाद में विश्वास करते थे और जनता को पूर्ण क्रांति पर जाने के लिए तैयार मानते थे, जबकि गांधी जी अहिंसा में विश्वास करते थे।
Q.महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस में क्या अंतर है?
Ans.अहिंसा बनाम उग्रवादी दृष्टिकोण: गांधी अहिंसा और सत्याग्रह में दृढ़ विश्वास रखते थे, जबकि बोस गांधी की अहिंसा पर आधारित रणनीति भारत की स्वतंत्रता हासिल करने के लिए अपर्याप्त होगी। बोस के लिए, केवल हिंसक प्रतिरोध ही भारत से विदेशी साम्राज्यवादी शासन को बाहर कर सकता था।
Q.सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक गुरु कौन है?
Ans.भारत लौटने के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी के प्रभाव में आ गए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। गांधीजी के निर्देश पर, उन्होंने देशबंधु चितरंजन दास के अधीन काम करना शुरू किया, जिन्हें बाद में उन्होंने अपना राजनीतिक गुरु स्वीकार किया।
Q.बोस का क्या हुआ?
Ans.सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, सुभाष चंद्र बोस की मौत 18 अगस्त 1945 को एक विमान हादसे में हुई।
Q.देश नायक किसे कहते हैं?
Ans.व्याख्या: नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने राष्ट्र और इसके लोगों के लिए उनकी सेवा के लिए सुभाष चंद्र बोस को 'देश नायक' की उपाधि दी थी.
Q.नेताजी का दूसरा नाम क्या है?
Ans.नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन् 1897 को ओड़िशा के कटक शहर में हिन्दू कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे। पहले वे सरकारी वकील थे मगर बाद में उन्होंने निजी प्रैक्टिस शुरू कर दी थी।
Q. नेताजी की मृत्यु कैसे हुई ?
Ans.सुभाष चन्द्र बोस / मौत की वजह
यह व्यापक रूप से माना जाता है कि सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में एक हवाई दुर्घटना में हुई थी।
Q.सुभाष चंद्र बोस कितने पढ़े लिखे थे?
Ans.सुभाष चंद्र बोस की शिक्षा
बोस ने सन् 1915 में 12वीं सेकंड डीविजन से पास की और इसके बाद प्रेसिडेंसी कॉलेज में उन्होने ने B.A (ऑनर्स) में प्रवेश लिया था। बीए की पढ़ाई करते समय बोस और आध्यापकों के बीच झगड़ा हो गया। इस लिए बोस एक साल परीक्षा नहीं दे सके थे।
Q. नेताजी का जन्म कब हुआ था?
Ans.23 जनवरी 1897
सुभाष चन्द्र बोस / जन्म तारीख
Netaji Subhash Chandra Bose Birthday नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म आज ही के दिन 23 जनवरी 1897 हुआ था। ओडिशा के कटक में वह पैदा हुए।
Q.सुभाष चंद्र बोस की स्पेलिंग क्या है?
Ans.नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) का जन्म एक संपन्न हिंदू परिवार में हुआ था. नेताजी के पिता जानकीनाथ बोस शहर के एक मशहूर वकील थे तथा उनकी माता (प्रभावती देवी) एक कुशल गृहणी थीं, कुल 14 भाई बहनों में ये 9वीं संतान थे.
Q.भारत छोड़ो नारा किसका है?
Ans.भारत छोड़ो भाषण 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ते समय महात्मा गांधी द्वारा दिया गया भाषण है।
Q.सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी को क्या कहा था?
Ans. 4 जून 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी को 'देश का पिता' (राष्ट्रपिता) कहकर संबोधित किया।
Q.करो या मरो का नारा किसका है?
उत्तर महात्मा गांधी है। करो या मरो का नारा महात्मा गांधी से जुड़ा है। यह नारा गांधीजी द्वारा शुरू किए गए भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अस्तित्व में आया । नारा आधिकारिक तौर पर 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) द्वारा शुरू किया गया था।
Q.सुभाष चंद्र बोस को जेल क्यों जाना पड़ा?
Ans.भारत को गुलामी की बेड़ियों से आजाद कराने के लिए सुभाष चंद्र बोस ने कई आंदोलन किए जिसकी वजह से उन्हें जेल भी जाना पड़ा। अंग्रेजो के खिलाफ भारत की लड़ाई को और तेज करने के लिए नेताजी ने आजाद हिंद फौज का गठन किया था।
Q.सुभाष चंद्र बोस को जेल कब हुई थी ?
Ans.इधर कलकत्ता के प्रेसिडेंसी जेल में सुभाष चंद्र बोस कैद थे। उन्हें 2 जुलाई 1940 को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था। 29 नवंबर को बोस ने जेल में भूख हड़ताल शुरू की।
Q.सुभाष चंद्र बोस के विचार महात्मा गांधी से कैसे भिन्न थे?
Ans.गांधी हिन्दू शास्त्रों को शिक्षा के भाग के रूप में शामिल करना चाहते थे ताकि वे आत्म संयम और अनुशासन स्थापित कर सकें। सुभाष चंद्र बोस खासकर तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में उच्च शिक्षा के पक्षधर थे। गांधी जी तथा सुभाष चंद्र बोस अपनी अलग-अलग विचारधाराओं के बावजूद एक-दूसरे के प्रति गहन सम्मान रखते थे।
Q.नेता महात्मा गाँधी के कौन से विचारो से सहमत नही थे ?
Ans.सुभाषचंद्र बोस उनके विचारों से सहमत नही थे.
Q.सुभाष चंद्र बोस को कौन सी उपाधि दी गई?
Ans.गांधीजी ने रवींद्र नाथ टैगोर को गुरुदेव की उपाधि दी थी, खुद गांधी बापू की उपाधि सुभाष चंद्र बोस ने दी थी, और बोस को नेताजी की उपाधि हिटलर ने दी थी
Q.सुभाष चंद्र बोस ने क्या स्थापना की ?
Ans.आज़ाद हिन्द फौज का गठन पहली बार राजा महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा 29 अक्टूबर 1915 को अफगानिस्तान में हुआ था। मूल रूप से उस वक्त यह आजाद हिन्द सरकार की सेना थी, जिसका लक्ष्य अंग्रेजों से लड़कर भारत को स्वतंत्रता दिलाना था।
Q.सुभाष चंद्र जी की मृत्यु कब हुई थी ?
Ans.18 अगस्त 1945 के बाद का सुभाषचन्द्र बोस का जीवन और मृत्यु आज तक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है। 18 अगस्त 1945 को उनके अतिभारित जापानी विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। यह दुर्घटना जापान अधिकृत फोर्मोसा (वर्तमान ताइवान) में हुई थी। उसमें नेताजी मृत्यु से सुरक्षित बच गये थे या नहीं, इसके बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है।
Q.नेताजी की मूर्ति कितनी ऊँची थी?
Ans नेता जी मूर्ति लगभग दो फुट ऊँची थी।
Q.सुभाष चंद्र बोस ने स्वतंत्रता संग्राम में क्या योगदान दिया?
Ans.जब सुभाष चंद्र बोस भारतीय प्रशासनिक सेवा को बीच में ही छोड़कर भारत आ गए। उन्होंने आंदोलन को मजबूती देने के लिए देश के बाहर जाकर आज़ादी के आंदोलन को मजबूती दी। उन्होंने आजाद हिंद फौज, आजाद हिंद सरकार और बैंक की स्थापना की और देश के बाहर हिंदुस्तान की आज़ादी के लिए अन्य देशों से समर्थन हासिल किया।
Q.नेताजी का चश्मा क्या है?
Ans.नेताजी का चश्मा कहानी स्वयं प्रकाश जी द्वारा लिखी गई एक प्रसिद्ध कहानी है। इस कहानी में हालदार साहब अपनी कंपनी के कार्य से हर 15 दिन में एक बार एक कस्बे से गुजरते थे। कस्बा बहुत बड़ा नहीं था। उस कस्बे की नगरपालिका ने शहर के मुख्य बाजार के चौराहे पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा रखी थी।
Q.नेताजी नाम किसने दिया था?
Ans.बोस को 1942 में जर्मनी में भारतीय सेना के भारतीय सैनिकों और बर्लिन में भारत के लिए विशेष ब्यूरो के अधिकारियों द्वारा नेताजी की सम्मानजनक उपाधि दी गई थी।
Q.नेताजी के नाम से कौन जाने जाते थे?
Ans.सुभाष चंद्र बोस एक भारतीय राष्ट्रवादी थे, जिनकी निडर देशभक्ति ने उन्हें भारत में एक नायक बनाया था। उन्हें नेताजी के रूप में जाना जाता है।
Q.नेता जी की पत्नी का नाम क्या था?
Ans.एमिली शेंकल (जर्मन भाषा: Emilie Schenkl, जन्म: 26 दिसम्बर 1910 - मृत्यु: मार्च 1996) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता सुभाष चन्द्र बोस की सहयोगी (प्राइवेट सेक्रेटरी) थी जिसके साथ बाद में बोस ने आस्ट्रिया में भारतीय रीति- रिवाज़ से विवाह कर लिया। एमिली और बोस की एकमात्र जीवित सन्तान अनिता बोस फाफ है।
Q.23 जनवरी को किसका जन्मदिन है?
Ans.सुभाष चंद्र बोस, जिन्हें नेताजी के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक, ओडिशा में हुआ था। वह स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक थे।
Q.सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक गुरु कौन है?
Ans.भारत लौटने के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी के प्रभाव में आ गए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। गांधीजी के निर्देश पर, उन्होंने देशबंधु चितरंजन दास के अधीन काम करना शुरू किया, जिन्हें बाद में उन्होंने अपना राजनीतिक गुरु स्वीकार किया।
Q.भारत छोड़ो का दूसरा नाम क्या था?
Ans.भारत छोड़ो आंदोलन को 'अगस्त क्रांति' के नाम से भी जाना जाता है। इस आंदोलन का लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था।
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