स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय | Swami Vivekananda Biography In Hindi
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स्वामी विवेकानंद भारतीय वैदिक सनातन संस्कृति की जीवंत प्रतिमूर्ति थे. जिन्होंने संपूर्ण विश्व को भारत की संस्कृति, धर्म के मूल आधार और नैतिक मूल्यों से परिचय कराया. स्वामी जी वेद, साहित्य और इतिहास की विधा में निपुण थे. स्वामी विवेकानंद को सयुंक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में हिन्दू आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार प्रसार किया. उनका जन्म कलकत्ता के के उच्च कुलीन परिवार में हुआ था. उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था. युवावस्था में वह गुरु रामकृष्ण परमहंस के संपर्क में आये और उनका झुकाव सनातन धर्म की और लगा.
गुरु रामकृष्ण परमहंस से मिलने के पहले वह एक आम इंसान की तरह अपना साधारण जीवन व्यतीत कर रहे थे. गुरूजी ने उनके अन्दर की ज्ञान की ज्योति जलाने का काम किया. उन्हें 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में दिए गए अपने भाषण के लिए जाना जाता हैं. उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत “मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनों" कहकर की थी. स्वामी विवेकानंद की अमेरिका यात्रा से पहले भारत को दासो और अज्ञान लोगों की जगह माना जाता था. स्वामी जी ने दुनिया को भारत के आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन कराये.
स्वामी विवेकानंद का जन्म और परिवार (Swami Vivekananda Birth and Family)
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के गौरमोहन मुखर्जी स्ट्रीट में हुआ. स्वामी जी के बचपन का नाम नरेन्द्र दास दत्त था. वह कलकत्ता के एक उच्च कुलीन परिवार के सम्बन्ध रखते थे. इनके पिता विश्वनाथ दत्त एक नामी और सफल वकील थे. वह कलकत्ता में स्थित उच्च न्यायालय में अटॉर्नी-एट-लॉ (Attorney-at-law) के पद पर पदस्थ थे. माता भुवनेश्वरी देवी बुद्धिमान व धार्मिक प्रवृत्ति की थी. जिसके कारण उन्हें अपनी माँ से ही हिन्दू धर्म और सनातन संस्कृति को करीब से समझने का मौका मिला.
स्वामी विवेकानंद का बचपन (Swami Vivekananda Childhood)
स्वामी जी आर्थिक रूप से संपन्न परिवार में पले और बढे. उनके पिता पाश्चात्य संस्कृति में विश्वास करते थे इसीलिए वह उन्हें अग्रेजी भाषा और शिक्षा का ज्ञान दिलवाना चाहते थे. उनका कभी भी अंग्रेजी शिक्षा में मन नहीं लगा. बहुमुखी प्रतिभा के धनी होने के बावजूद उनका शैक्षिक प्रदर्शन औसत था. उनको यूनिवर्सिटी एंट्रेंस लेवल पर 47 फीसदी, एफए में 46 फीसदी और बीए में 56 फीसदी अंक मिले थे.
माता भुवनेश्वरी देवी एक धार्मिक महिला थी वह नरेन्द्रनाथ (स्वामीजी के बचपन का नाम) के बाल्यकाल में रामायण और महाभारत की कहानियाँ सुनाया करती थी. जिसके बाद उनकी आध्यात्मिकता के क्षेत्र में बढते चले गयी. कहानियाँ सुनते समय उनका मन हर्षोल्लास से भर उठता था. रामायण सुनते-सुनते बालक नरेन्द्र का सरल शिशुहृदय भक्तिरस से भर जाता था. वे अक्सर अपने घर में ही ध्यानमग्न हो जाया करते थे. एक बार वे अपने ही घर में ध्यान में इतने तल्लीन हो गए थे कि घर वालों ने उन्हें जोर-जोर से हिलाया तब कहीं जाकर ध्यान टूटा.
स्वामी विवेकानंद का सफ़र
(Swami Vivekananda Life Journey)
वह 25 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपना घर और परिवार को छोड़कर संन्यासी बनने का निर्धारण किया. विद्यार्थी जीवन में वे ब्रह्म समाज के नेता महर्षि देवेंद्र नाथ ठाकुर के संपर्क में आये. स्वामी जी की जिज्ञासा को शांत करने के लिए उन्होंने नरेन्द्र को रामकृष्ण परमहंस के पास जाने की सलाह दी.
स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी दक्षिणेश्वर के काली मंदिर के पुजारी थे. परमहंस जी की कृपा से स्वामी जी को आत्मज्ञान प्राप्त हुआ और वे परमहंस जी के प्रमुख शिष्य हो गए.
1885 में रामकृष्ण परमहंस जी की कैंसर के कारण मृत्यु हो गयी. उसके बाद स्वामी जी ने रामकृष्ण संघ की स्थापना की. आगे चलकर जिसका नाम रामकृष्ण मठ व रामकृष्ण मिशन हो गया.
स्वामी विवेकानंद के प्रेरक प्रसंग (Swami Vivekananda Story in Hindi)
जब स्वामी जी की ख्याति पूरे विश्व में फैल चुकी थी. तब उनसे प्रभावित होकर एक विदेशी महिला उनसे मिलने आई. उस महिला ने स्वामी जी से कहा- “मैं आपसे विवाह करना चाहती हूँ.” स्वामी जी ने कहा- हे देवी मैं तो ब्रह्मचारी पुरुष हूँ, आपसे कैसे विवाह कर सकता हूँ? वह विदेशी महिला स्वामी जी से इसलिए विवाह करना चाहती थी ताकि उसे स्वामी जी जैसा पुत्र प्राप्त हो सके और वह बड़ा होकर दुनिया में अपने ज्ञान को फैला सके और नाम रोशन कर सके.
उन्होंने महिला को नमस्कार किया और कहा - "हे माँ, लीजिये आज से आप मेरी माँ हैं.” आपको मेरे जैसा पुत्र भी मिल गया और मेरे ब्रह्मचर्य का पालन भी हो जायेगा. यह सुनकर वह महिला स्वामी जी के चरणों में गिर गयी.
स्वामी विवेकानंद की मृत्यु (Swami Vivekananda Death)
4 जुलाई 1902 को स्वामी जी ने बेलूर मठ में पूजा अर्चना की और योग भी किया. उसके बाद वहां के छात्रों को योग, वेद और संस्कृत विषय के बारे में पढाया. संध्याकाल के समय स्वामी जी ने अपने कमरे में योग करने गए व अपने शिष्यों को शांति भंग करने लिए मना किया और योग करते समय उनकी मृत्यु हो गई.
मात्र 39 वर्ष की आयु में स्वामी जी जैसे प्रेरणा पुंज का प्रभु मिलन हो गया. स्वामी जी के जन्मदिवस को पूरे भारतवर्ष में “युवा दिवस" के रूप में मनाया जाता हैं.
स्वामी जी के अनमोल विचार (Swami Vivekananda's Quotes in Hindi)
•'उठो, जागो, स्वयं जागकर औरों को जगाओ. अपने मानव जन्म को सफल बनाओ और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न कर लो'
• हम ऐसी शिक्षा चाहते हैं जिससे चरित्र निर्माण हो. मानसिक शक्ति का विकास हो. ज्ञान का विस्तार हो और जिससे हम खुद के पैरों पर खड़े होने में सक्षम बन जाएं.
स्वामी जी की अमेरिका की यात्रा और शिकागो भाषण (Swami Vivekananda Chicago speech) -
सन् 1893 में विवेकानंद द्वारा शिकागो में दिया गया उनका भाषण भी अधिक प्रसिद्ध रहा था और इस भाषण के माध्यम से उन्होंने भारतीय संस्कृति को पहली बार दुनिया के सामने रखा था। शिकागो में हुए इस विश्व धर्म सम्मेलन में दुनिया भर से कई धर्मगुरु आए थे और अपने साथ अपनी धार्मिक किताबें लेकर आए थे। विवेकानंद जी इस सम्मेलन में धर्म का वर्णन करने के लिए श्री भगवत गीता अपने साथ लेकर आए थे। जैसे ही स्वामी विवेकानंद ने अपने अध्यात्म और ज्ञान के भाषण की शुरुआत की तब सभा में मौजूद हर व्यक्ति उनके भाषण को गौर से सुनने लगा और भाषण खत्म होते ही हर किसी ने तालियां बजानी शुरू कर दी।
दरअसल विवेकानंद ने अपने भाषण की शुरुआत अमेरिकी भाइयों और बहनों कहकर की थी और इसके बाद उन्होंने वैदिक दर्शन का ज्ञान दिया था और सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। विवेकानंद के इस भाषण से भारत की एक नई छवि दुनिया के सामने बनी थी और आज भी स्वामी जी की अमेरिका यात्रा और शिकागो भाषण को लोगों द्वारा याद रखा गया है।
स्वामी विवेकानंद का प्रभाव (Influence of Swami Vivekananda) -
स्वामी विवेकानंद एक ऐसी हस्ती थे जिनका प्रभाव कई ऐसे लोगों पर पड़ा जो स्वयं दूसरों को प्रभावित करने में पूर्णता सक्षम थे। इन लोगों में मुख्य रूप से शामिल है हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, क्रांतिकारी सुभाष चंद्र बोस, औरोबिंदो घोष, रविंद्र नाथ टैगोर, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, बाल गंगाधर तिलक, जमशेदजी टाटा, निकोला टेस्ला, एनी बेसेंट, नरेंद्र मोदी और अन्ना हजारे आदि।
स्वामी विवेकानंद के साहित्यकार कार्य (Swami Vivekanand literary works) -
बनाहट्टी के अनुसार स्वामी विवेकानंद एक अच्छे चित्रकार, लेखक और गायक थे। वे अपने आप में एक संपूर्ण कलाकार थे। उनके द्वारा लिखे गए निबंध रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन दोनों ही मैगजीन में छपे उनकी भाषा पर बहुत अच्छी पकड़ थी। जिसके कारण उनके द्वारा दिए गए लेक्चर और भी अधिक प्रभावी और समझने में आसान होते थे।
इनकी कुछ रचनाएं जो इनके जीवन काल में ही प्रकाशित (Published in his Lifetime) हुई उनका विवरण निम्नानुसार है-
विवेकानंद जी की जयंती (Swami Vivekanand Jayanti) -
विवेकानंद जी की जयंती हर साल 12 जनवरी को आती है और इनकी जयंती को हर वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस (National youth day) के रूप में मनाया जाता है। विवेकानंद जी ने जो योगदान हमारे देश को दिया है उसकी जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है।
विवेकानंद से जुड़ी अन्य जानकारी —
1.साल 1884 में स्वामी विवेकानंद के पिता श्री विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई थी। जिसके चलते पूरे परिवार की जिम्मेदारी विवेकानंद के ऊपर आ गई थी। अपने पिता की मृत्यु के तुरंत बाद ही विवेकानंद की तलाश में लग गए थे लेकिन वो असफल रहे।
2. विवेकानंद जी केवल गेरुआ रंग के वस्त्र पहनते थे। इन्होंने 25 वर्ष की आयु से ही इस रंग के वस्त्र पहनना शुरू कर दिया था।
3. इन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की थी।
4. विवेकानंद जी के कुल 9 भाई-बहन थे।
5. स्वामी विवेकानंद की रूचि पढ़ाई के अलावा व्यायाम और खेलों में की थी और यह बचपन में तरह-तरह के खेल खेला करते थे।
6. विवेकानंद ने अपने जीवन काल में कई देशों का दौरा किया था और दुनिया भर में हिंदू धर्म का प्रचार किया था और साल 1894 में इन्होंने न्यूयॉर्क में वेदांत सोसाइटी की स्थापना की थी।
7. ऐसा कहा जाता है कि विवेकानंद जी ने अपने जीवन की भविष्यवाणी करते हुए एक बार कहा था कि वह 40 साल से ज्यादा नहीं जियेंगे।
स्वामी विवेकानंद की किताबें (Swami Vivekananda Books) -
ज्योतिपुंज विवेकानंद जी द्वारा हिंदू, धर्म, योग एवं अध्यात्म पर लिखी गई सभी पुस्तकों के नाम नीचे दिए गए हैं–
1.कर्मयोग 2.ज्ञानयोग 3.भक्तियोग 4.प्रेमयोग 5.हिंदू धर्म, 6.मेरा जीवन तथा ध्येय 7.जाति, संस्कृति और समाजवाद 8. वर्तमान भारत 9. पवहारि बाबा 10. मेरी समर नीति 11. जागृति का संदेश 12. भारतीय नारी 13. ईशदूत ईसा 14. धर्मतत्व 15.शिक्षा 16. राजयोग 17. मरणोत्तर जीवन
Frequently asked question -
1. स्वामी विवेकानंद का जन्म कब हुआ?
उत्तर - स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन 1863 को हुआ। उनका घर का नाम नरेंद्र दत्त था। इनके पिता विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे। वे अपने पुत्र नरेंद्र को भी अंग्रेजी पढ़ा कर पाश्चात्य सभ्यता के ढंग पर ही चलाना चाहते थे।
2. हिंदी निबंध विषय स्वामी विवेकानंद का जीवन और कार्य आज के युवाओं के लिए कैसे प्रेरणादायक हो सकते हैं?
उत्तर - वर्तमान में भारत के युवा जिस महापुरुष के विचारों को आदर्श मानकर उनसे प्रेरित होते हैं, युवाओं के मार्गदर्शक और भारतीय गौरव हैं स्वामी विवेकानंद भारत की गरिमा को वैश्विक स्तर पर सम्मान के साथ बरकरार रखने के लिए स्वामी विवेकानंद के कई उदाहरण इतिहास में मिलते हैं स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन 1863 को हुआ।
3. स्वामी विवेकानंद ने कौन-कौन से कार्य किए?
उत्तर - स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मठ रामकृष्ण मिशन और वेदांत सोसाइटी की नींव रखी। 1893 में अमेरिका के शिकागो में हुए विश्व धार्मिक सम्मेलन में उन्होंने भारत और हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व किया था। हिंदुत्व को लेकर उन्होंने जो व्याख्या दुनिया के सामने रखी उसकी वजह से इस धर्म को लेकर काफी आकर्षण बढ़ा।
4. स्वामी विवेकानंद के जीवन से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर - स्वामी विवेकानंद के जीवन से मुझे धार्मिक कम अध्यात्मिक ज्यादा बना दिया उन्होंने ही सबसे पहले भारत से बाहर जाकर हिंदू धर्म की व्याख्या की। वह सभी धर्मों का सम्मान करते थे और सबसे बड़ी चीज यह थी कि वह किसी भी कर्मकांड या मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं रखते थे और अपने योग के बल पर ही दिव्य दृष्टि प्राप्त की थी।
5. स्वामी विवेकानंद जी का जन्म कब और कहां हुआ?
उत्तर - स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन 1863 (विद्वानों के अनुसार मकर संक्रांति संवत 1920) को कोलकाता में एक कुलीन कारस्थ परिवार में हुआ था उनके बचपन का घर का नाम वीरेंद्र ेश्वर रखा गया, किंतु उनका औपचारिक नाम नरेंद्रनाथ दत्त। पिता विश्वनाथ दत्त कोलकाता हाईकोर्ट में एक प्रसिद्ध वकील थे।
6. स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम क्या है?
उत्तर - स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त है।
7. स्वामी विवेकानंद के गुरु का क्या नाम है?
उत्तर - स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था।
8. स्वामी विवेकानंद ने शादी क्यों नहीं की?
उत्तर - क्योंकि सांसारिक भोग और विलासिता से ऊपर उठकर जीने की उनकी चेतना ने आकार लेना शुरू कर दिया था इसलिए शादी के प्रस्ताव पर "ना" ही करते रहे।
Q.स्वामी विवेकानंद क्यों प्रसिद्ध है?
Ans.स्वामी विवेकानंद तीन कारणों से प्रसिद्ध हैं। पहला वे श्रीरामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। दूसरा उन्होंने शिकागो में जो भाषण दिया था जिसके चलते वे लोकप्रिय हुए और तीसरा वे युवाओं के संन्यासी है। सबसे ज्यादा प्रसिद्धि उन्होंने शिकागो में दिए अपने भाषण से मिली।
Q.स्वामी विवेकानंद की मुख्य शिक्षाएं क्या हैं?
Ans.विवेकानंद ने नैतिकता को मन के नियंत्रण से जोड़ा, सत्य, पवित्रता और निःस्वार्थता को उन लक्षणों के रूप में देखा जो इसे मजबूत करते हैं। उन्होंने अपने अनुयायियों को पवित्र, निस्वार्थ और श्रद्धा रखने की सलाह दी। विवेकानंद ने ब्रह्मचर्य का समर्थन किया, इसे अपनी शारीरिक और मानसिक सहनशक्ति और वाक्पटुता का स्रोत मानते हुए।
Q.स्वामी विवेकानंद ने क्या लिखा?
Ans.मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है. हम सिर्फ़ सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही विश्वास नहीं करते बल्कि, हम सभी धर्मों को सच के रूप में स्वीकार करते हैं. मुझे गर्व है कि मैं उस देश से हूं जिसने सभी धर्मों और सभी देशों के सताए गए लोगों को अपने यहां शरण दी.
Q.स्वामी विवेकानंद के प्रमुख कार्य कौन से थे?
Ans.स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मठ, रामकृष्ण मिशन और वेदांत सोसाइटी की नींव रखी. 1893 में अमेरिका के शिकागो में हुए विश्व धार्मिक सम्मेलन में उन्होंने भारत और हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व किया था. हिंदुत्व को लेकर उन्होंने जो व्याख्या दुनिया के सामने रखी, उसकी वजह से इस धर्म को लेकर काफी आकर्षण बढ़ा.
Q.विवेकानंद जी का नारा क्या था ?
Ans.उठो, जागो और लक्ष्य की प्राप्ति होने तक रुको मत नारा स्वामी विवेकानंद द्वारा दिया गया था। उठो, जागो और लक्ष्य की प्राप्ति होने तक रुको मत, 19वीं सदी के अंत में भारतीय हिंदू भिक्षु स्वामी विवेकानंद द्वारा लोकप्रिय नारा है।
Q.स्वामी विवेकानंद का अनमोल वचन क्या है?
Ans.स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार
उठो और जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते।
जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी। एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ। पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान।
Q.स्वामी विवेकानंद का दिमाग तेज कैसे था?
Ans.जो लोग तेज याददाश्त चाहते हैं, उन्हें रोज ध्यान करना चाहिए और एकाग्र होकर पढ़ना चाहिए बात उन दिनों की है जब स्वामी विवेकानंद देश भ्रमण में थे। साथ में उनके एक गुरु भाई भी थे। स्वाध्याय, सत्संग और कठोर तप का अविराम सिलसिला चल रहा था।
Q.स्वामी विवेकानंद पढ़ने में कैसे थे?
Ans.स्वामी विवेकानंद अपनी विलक्षण बुद्धि एवं स्मरण शक्ति के लिए विख्यात थे.
(i)वे सैकड़ों पन्नों की किताबें कुछ ही घंटो में पढ़ लिया करते थे।
(ii) ध्यान और ब्रह्मचर्य
(iii)स्वामी विवेकानंद ने अपने विलक्षण मस्तिष्क का राज बताया है.
(iv) उनके अनुसार कोई भी व्यक्ति इसका पालन करेगा तो वह अपनी सीखने की क्षमता को बढ़ा सकता है.
Q.स्वामी विवेकानंद के अनुसार भक्ति क्या है?
Ans.भक्तियोग का एक बड़ा लाभ यह है कि वह हमारे चरम लक्ष्य (ईश्वर) की प्राप्ति का सबसे सरल और स्वाभाविक मार्ग है। पर साथ ही उससे एक विशेष भय की आशंका यह है कि वह अपनी निम्न या गौणी अवस्था में मनुष्य को बहुधा भयानक मतान्ध और कट्टर बना देता है।
Q.स्वामी विवेकानंद का प्रसिद्ध भाषण क्या है?
Ans.विवेकानंद का भाषण:
मैं आप सभी को दुनिया की सबसे पुरानी संत परंपरा की ओर से शुक्रिया करता हूं। मैं आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूं। ' उन्होंने कहा, 'मेरा धन्यवाद उन लोगों को भी है जिन्होंने इस मंच का उपयोग करते हुए कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार भारत से फैला है।
Q.धर्म क्या है स्वामी विवेकानंद ?
Ans.स्वामी जी अपने शिष्यों से अक्सर कहा करते थे- " धर्म का मूल उद्देश्य है मनुष्य को सुखी करना, किंतु परजन्म में सुखी होने के लिए इस जन्म में दुःख भोग करना कोई बुद्धिमानी का काम नहीं है। इस जन्म में ही, इसी मुहुर्त से सुखी होना होगा, जिस धर्म के द्वारा ये संपन्न होगा, वहीं मनुष्य के लिए उपयुक्त धर्म है।"
Q.विवेकानंद ने भारत के लिए क्या किया?
Ans.भारत में, विवेकानंद ने रामकृष्ण मठ की स्थापना की, जो भिक्षुओं और गृहस्थ भक्तों और रामकृष्ण मिशन के लिए दान, सामाजिक कार्य और शिक्षा प्रदान करने के लिए आध्यात्मिक प्रशिक्षण प्रदान करता है ।
Q.विवेकानंद ने भारतवासियों को क्या उपदेश दिया?
उत्तर: विवेकानंद ने भारत में भ्रमण करके भारतियों को भारतीय संस्कृति और तत्वज्ञान का सदुपदेश दिया और अंधविश्वासों तथा रुढियों को दूर हटाकर उन्हें समाज सेवा का उपदेश दिया।
Q.हमें स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श क्यों बनाना चाहिए?
Ans, भरतीय संस्कृति के शौर्य पुरुष, हिन्दुत्व के प्रणेता, भरतीय अस्मिता के रक्षक, राष्ट्रवादियों के अग्रदूत और अनेक विशेषताओं के कारण लोग उन्हें अपना आदर्श मानते हैं ।
Q.विवेकानंद का दूसरा नाम क्या था?
Ans.स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 (विद्वानों के अनुसार मकर संक्रान्ति संवत् 1920) को कलकत्ता में एक कुलीन कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके बचपन का घर का नाम वीरेश्वर रखा गया, किन्तु उनका औपचारिक नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था ।
Q.स्वामी विवेकानंद का सबसे प्रसिद्ध उद्धरण कौन सा है?
Ans.शक्ति ही जीवन है, दुर्बलता ही मृत्यु है। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु है। प्रेम जीवन है, घृणा मृत्यु है । " - स्वामी है। विवेकानंद" शक्ति ही जीवन है, दुर्बलता ही मृत्यु है।
Q.स्वामी विवेकानंद का सूत्र वाक्य क्या था?
Ans.विवेकानंद का कहना था कि जिस व्यक्ति में आत्म विश्वास नहीं होता वो बलवान होकर भी कमजोर ही बना रहता है। जबकि आत्म विश्वास से भरा हुआ व्यक्ति कमजोर होकर भी बलवान ही रहता है। स्वामी विवेकानंद के अनुसार दुनिया में व्यक्ति का सबसे बड़ा शिक्षक उसका अनुभव ही होता है, जिसके बल पर वो दुनिया को जीत सकता है।
Q.स्वामी विवेकानंद के अनुसार कर्तव्य क्या है?
Ans.स्वामी विवेकानन्द के शब्दों में; यदि किसी कर्म द्वारा ईश्वर की ओर बढ़ते हैं, तो वह सत्कर्म है और वह हमारा कर्तव्य है । परन्तु जिस कर्म द्वारा हम नीचे गिरते हैं, वह बुरा है, वह हमारा कर्तव्य नहीं है।
Q.विवेकानंद कितने घंटे ध्यान करते थे?
Ans.रात के वक्त उन्होंने तीन-चार घंटे तक ध्यान किया है।
Q.दिमाग को केंद्रित कैसे करें?
Ans.1. गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज करें जब आपको महसूस हो - कि मन अशांत हो गया है या दिमाग तनाव से ग्रस्त है तो आपको गहरी सांस लेने की कोशिश करनी चाहिए।
2. मन को शांत के लिए मैडिटेशन करें -
3. किसी शांत दृश्य पर अपना ध्यान केंद्रित करें -
4. रोजाना व्यायाम करें-
Q.विवेकानंद एक घंटे में कितने पेज पढ़ते हैं?
Ans.1 घंटे में 700 -> एक मिनट में लगभग 12 पन्ने -> हर 5 सेकंड में एक पन्ना
Q.क्या स्वामी विवेकानंद भगवान को मानते थे?
Ans.नहीं। वे उन्हें अत्यात्मविश्वासी मानते हैं जिन्हें कदाचित ज्ञात हो कि ईश्वर का अस्तित्व नहीं है।
Q.रामकृष्ण ने विवेकानंद से क्या कहा ?
Ans.रामकृष्ण ने उत्तर दिया कि विवेकानंद को देवी काली से धन मांगना चाहिए विवेकानंद ऐसा करने के लिए तैयार हो गए, लेकिन हर बार जब उन्होंने काली की मूर्ति को देखा, तो वे भौतिक संपत्ति के बारे में सब भूल गए, और पैसे नहीं मांगे।
Q.विवेकानंद ने किस भगवान की पूजा की थी?
Ans.देवी काली के एक उत्साही भक्त बनने के बाद, विवेकानंद कहेंगे कि काली "ब्रह्मांड की दिव्य माँ" थीं, जो "स्वयं में सन्निहित हैं, निर्माण और विनाश, प्रेम और आतंक, जीवन और मृत्यु । "
Q.विवेकानंद रामकृष्ण से कैसे मिले?
Ans.रामकृष्ण और विवेकानंद के बीच संबंध नवंबर 1881 में शुरू हुआ, जब वे सुरेंद्र नाथ मित्रा के घर पर मिले। रामकृष्ण ने नरेंद्रनाथ (विवेकानंद का पूर्व - मठवासी नाम) को गाने के लिए कहा। उनकी गायन प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्होंने उन्हें दक्षिणेश्वर आमंत्रित किया।
Q.विवेकानंद ने श्री रामकृष्ण से उनकी पहली मुलाकात में क्या पूछा था?
Ans.कोलकाता के दक्षिणेश्वर में रामकृष्ण से पहली ही मुलाकात में विवेकानंद ने पूछा- 'महाराज, क्या आपने ईश्वर को देखा है?' परमहंस ने कहा, 'हां, मैंने ईश्वर का दर्शन किया है, तुम लोगों को जैसे देख रहा हूं, ठीक वैसे ही बल्कि और भी स्पष्ट रूप से।
Q.विवेकानंद शिला का प्राचीन नाम क्या है?
Ans.चर्च ने उस शिला को विवेकानन्द शिला की बजाय 'सेंट जेवियर रॉक' नाम दे दिया और मिथक गढ़ा कि सोलहवीं शताब्दी में सेंट जेवियर इस शिला पर आये थे । शिला पर अपना अधिकार सिद्ध करने के लिए वहां चर्च के प्रतीक चिन्ह 'क्रॉस' की एक प्रतिमा भी स्थापित कर दी और चट्टान पर क्रॉस के चिन्ह बना दिए
Q.विवेकानंद शिष्य कौन थे?
Ans.स्वामी विवेकानंद की सबसे प्रमुख शिष्या 'मार्गरेट एलिजाबेथ नोबुल' थीं, वे एक ब्रिटिश - आइरिस सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, शिक्षक थीं।
Q.स्वामी विवेकानंद का दिमाग तेज क्यों था?
स्वामी विवेकानंद जी के तेज दिमाग का क्या रहस्य था ?
Ans. ध्यान और ब्रह्मचर्य का जो भी पालन करेगा उसका मस्तिष्क इतना तेज हो जाएगा कि वह सोच भी नहीं सकता। वह अपनी सीखने की क्षमता को बढ़ा सकता है। ध्यान करने से हमारी एकाग्रता बढ़ती है।
Q.विवेकानंद जी ने रामकृष्ण मिशन कब शुरू किया?
Ans.रामकृष्ण मिशन की स्थापना 1 मई सन् 1897 को रामकृष्ण परमहंस के परम् शिष्य स्वामी विवेकानन्द ने की। इसका मुख्यालय कोलकाता के निकट बेलुड़ में है। इस मिशन की स्थापना के केंद्र में वेदान्त दर्शन का प्रचार-प्रसार है। रामकृष्ण मिशन दूसरों की सेवा और परोपकार को कर्म योग मानता है जो कि हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त है।
Q.स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना क्यों की थी?
Ans.रामकृष्ण मिशन के प्रमुख उद्देश्य
स्वामी विवेकानन्द जी ने 1 मई 1897 को रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य जहां वेदान्त सम्बन्धी शिक्षा का प्रसार करना है। वहीं नि:स्वार्थ होकर हरिजन तथा निर्धनों की सेवा करना भी है। मानव सेवा और मानव कल्याण इसके परम धर्म है।
Q. स्वामी विवेकानन्द को अपने प्रश्न का समाधान कैसे मिला?
Ans. विवेकानंद जी अपना प्रश्न लेकर रामकृष्ण परमहंस के पास गए और उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस ने कहा "हाँ मैंने ईश्वर को देखा है ठीक वैसे ही जैसे कि मैं तुम्हें देख रहा हूं"
Q.रामकृष्ण परमहंस जी की मृत्यु कैसे हुई ?
Ans.सन् 1886 ई. में श्रावणी पूर्णिमा के अगले दिन प्रतिपदा को प्रातःकाल रामकृष्ण परमहंस ने देह त्याग दिया। 16 अगस्त का सवेरा होने के कुछ ही वक्त पहले आनन्दघन विग्रह श्रीरामकृष्ण इस नश्वर देह को त्याग कर महासमाधि द्वारा स्व-स्वरुप में लीन हो गये।
Q.स्वामी रामकृष्ण परमहंस के शिष्य कौन थे?
Ans.बीस वर्ष की उम्र से ही साधना करते-करते उन्होंने सिद्धि प्राप्त कर ली। विश्वास : रामकृष्ण के सबसे प्रिय शिष्य थे विवेकानंद। उन्होंने एक बार उनसे पूछा, महाशय ।
Q.क्या राम कृष्ण परमहंस मछली खाते थे?
Ans.स्वामी विवेकानंद व रामकृष्ण परमहंस मांसाहार नहीं करते थे।
Q.रामकृष्ण के उपासक कौन थे?
Ans.रामकृष्ण के परमप्रिय शिष्य स्वामी विवेकानन्द थे । रामकृष्ण महान योगी, उच्चकोटि के साधक थे। सेवा पथ को ईश्वरीय, प्रशस्त मानकर अनेकता में एकता का दर्शन करते थे। सेवा से समाज की सुरक्षा चाहते थे।
Q.स्वामी विवेकानंद का हिंदू धर्म में क्या योगदान था?
Ans.वह एक साधु और रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य थे। उन्होंने वेदांत और योग के भारतीय दर्शन को पश्चिमी दुनिया में पेश किया और 19 वीं शताब्दी के अंत में हिंदू धर्म को विश्व स्तर पर लाने के लिए अंतर - जागरूकता बढ़ाने का श्रेय दिया जाता है।
Q.विवेकानंद कितने समय तक जीवित रहे?
Ans.भारत की आध्यात्मिक विरासत का संदेश पूरे विश्व में फैलाने वाले स्वामी विवेकानंद मात्र 39 वर्ष के जीवन काल में स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से जूझते रहे और कम से कम 31 बीमारियों से जूझते रहे।
Q.विवेकानंद ने भारतवासियों को क्या उपदेश दिया?
Ans.विवेकानंद ने भारत में भ्रमण करके भारतियों को भारतीय संस्कृति और तत्वज्ञान का सदुपदेश दिया और अंधविश्वासों तथा रुढियों को दूर हटाकर उन्हें समाज सेवा का उपदेश दिया।
Q.स्वामी विवेकानंद कौन सा ध्यान करते थे?
Ans.ध्यान विधि: स्वामी विवेकानंद को उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस कहते थे 'ध्यानसिद्ध', पढ़ें ध्यान के विषय में स्वामी जी के विचार रामकृष्ण परमहंस उन्हें ध्यानसिद्ध कहते थे... स्वामी जी ने अपने व्याख्यानों में ध्यान के विभिन्न पहलुओं पर काफ़ी कुछ कहा, जो किताबों में संकलित है।
Q.स्वामी विवेकानंद रात में कितने घंटे सोते थे?
Ans. 2 घंटे ! स्वामी विवेकानंद दिन में केवल 1.5 - 2 घंटे ही सोते थे और हर चार घंटे के बाद 15 मिनट के लिए झपकी लेते थे।
Q.स्वामी विवेकानंद के गुरु का क्या नाम है ?
Ans.स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था।
Q.स्वामी विवेकानंद अमेरिका क्यों गए थे?
Ans.जब 'सपना' बना धर्म सम्मेलन में जाने की वजह
फिर विवेकानंद आए और वह पानी उन्होंने दुनिया के सारे लोगों पर छिड़का और उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ. शारदा देवी ने विवेकानंद के गुरुभाई से कहा कि उन्हें कहें कि यह उनके गुरु की इच्छा है कि वे विदेश जाएं.
Q.शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन कब हुआ था?
Ans.शिकागो की विश्व धर्म महासभा 1893 में अमेरिका के शिकागो नगर में जो विश्वधर्म महासभा हुई थी।
Q.क्या गांधी विवेकानंद से मिले थे?
Ans.वर्षों बाद, 1901 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन के लिए एक अज्ञात प्रतिनिधि के रूप में, एमके गांधी, स्वामी से मिलने की कोशिश करने के लिए बेलूर के मठ तक गए "यह असंभव था" गांधी ने बाद में लिखा "स्वामी विवेकानंद को देखे बिना संतुष्ट होना।
Q.स्वामी विवेकानंद का विचार क्या था?
Ans.स्वामी विवेकानंद कहते हैं कि जिस पल मुझे यह ज्ञात हो गया कि हर मानव के हृदय में भगवान हैं तभी से मैं अपने सामने आने वाले हर व्यक्ति में ईश्वर की छवि देखने लगा हूं और उसी पल मैं हर बंधन से छूट गया। हर उस चीज से जो बंद रखती है, धूमिल हो जाती है और मैं तो आजाद हूं। अपने ज्ञानमय विचारो से सभी को प्रभावित किया।
Q.स्वामी विवेकानंद ने क्या सिखाया?
Ans.मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है. हम सिर्फ़ सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही विश्वास नहीं करते बल्कि, हम सभी धर्मों को सच के रूप में स्वीकार करते हैं. मुझे गर्व है कि मैं उस देश से हूं जिसने सभी धर्मों और सभी देशों के सताए गए लोगों को अपने यहां शरण दी.
Q.क्या श्री रामकृष्ण अवतार थे?
Ans.रामकृष्ण के अनुयायी उन्हें एक अवतार या दैवीय अवतार के रूप में मानते थे, जैसा कि उनके समय के कुछ प्रमुख हिंदू विद्वानों ने किया था। "मैंने सभी धर्मों - हिंदू धर्म, इस्लाम, ईसाई धर्म का अभ्यास किया - है और मैंने विभिन्न हिंदू संप्रदायों के मार्गों का भी पालन किया है।
Q.स्वामी विवेकानंद इतने प्रसिद्ध क्यों हैं?
Ans.स्वामी विवेकानंद (1863-1902) संयुक्त राज्य अमेरिका में 1893 की विश्व धर्म संसद में अपने अभूतपूर्व भाषण के लिए जाने जाते हैं, जिसमें उन्होंने अमेरिका में हिंदू धर्म का परिचय दिया और धार्मिक सहिष्णुता और कट्टरता को समाप्त करने का आह्वान
किया।
Q.विवेकानंद ने युवाओं को कैसे प्रेरित किया?
Ans.विवेकानंद ने अपने विचारों को सीधे लोगों, खासकर युवाओं तक पहुंचाया। उनका संदेश जाति और पंथ की बेड़ियों को तोड़ता है और सार्वभौमिक भाईचारे की भाषा की बात करता है उन्होंने जो कहा वह आज हमारे देश में युवाओं के बीच उनके विचारों और आदर्शों के महान महत्व को दर्शाता है।
Q.विवेकानंद ने अपनी अंतिम सांस कब ली थी?
Ans.स्वामी विवेकानंद ने 4 जुलाई 1902 को बेलूर मठ में अंतिम सांस ली। उन्होंने घोषणा की कि वह 40 वर्ष की आयु तक नहीं पहुंचेंगे। उन्होंने 39 वर्ष की आयु में अपना नश्वर शरीर छोड़ा और 'महासमाधि' प्राप्त की। लोगों का कहना था कि वह 31 बीमारियों से ग्रसित हैं।
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