रवीन्द्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय।। Rabindranath Tagore Biography
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श्री रवीन्द्रनाथ जी (बांग्ला साहित्य के महान् कवि) का स्थान अंग्रेजी साहित्य में शेक्सपियर के समान, हिन्दी साहित्य में तुलसीदास के समान व संस्कृत साहित्य में 'कविकुलगुरु कालिदास' के समान है। उनका नाम आधुनिक भारतीय कलाकारों में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। वे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि रचनात्मक साहित्यकार के रूप में भी विख्यात हैं। श्री रवीन्द्रनाथ जी दीन और दलित वर्ग की हीन दशा के महान् सुधारक थे। श्री रवीन्द्रनाथ का जन्म कलकत्ता नगर में 7 मई, 1861 को एक धनाढ्य परिवार में हुआ था। इनके पास बहुत अचल सम्पत्ति थी। इनकी माता का नाम श्रीमती शारदा देवी व पिता का नाम देवेन्द्रनाथ था। इनका जीवन नौकर-चाकरों की देखरेख में व्यतीत हुआ। खेल और स्वच्छन्द विहार का समय न मिलने से इनका मन उदास रहता था। शिक्षा के क्षेत्र में 'विश्वभारती' का निर्माण इनकी अनुपम और अमर रचना है। इसमें प्राचीन भारत की आश्रम पद्धति से शिक्षा दी जाती है। आज विश्वभारती संस्था स्वतन्त्र विश्वविद्यालय के समान कार्य करके शिक्षा के प्रचार-प्रसार के रूप में अपनी कीर्ति को सर्वत्र बिखेरकर संसार को आलोकित करने में लगी है। रवीन्द्रनाथ जी की मृत्यु 7 अगस्त, 1949 में हुई, परन्तु उनका काव्य आज भी जन-जन में लोकप्रिय है।
शिक्षा
रवीन्द्रनाथ की प्रारम्भिक शिक्षा घर में ही हुई। वे घर पर गणित, विज्ञान और संस्कृत पढ़ते थे। इसके बाद उन्होंने कलकत्ता के ओरिएण्टल सेमिनार स्कूल और नॉर्मल स्कूल में प्रवेश लिया, लेकिन वहाँ अध्यापकों के स्वेच्छाचरण और सहपाठियों की हीन मनोवृत्तियों और अप्रिय स्वभाव को देखकर उनका मन नहीं लगा। 1873 ई. में पिता देवेन्द्रनाथ, रवीन्द्रनाथ जी को अपने साथ हिमालय पर ले गए। सत्रह वर्ष की आयु में रवीन्द्रनाथ अपने भाई सत्येन्द्रनाथ के साथ कानून की शिक्षा प्राप्त करने के लिए लन्दन गए, परन्तु वहाँ वे बैरिस्टर की उपाधि न प्राप्त कर सके और दो वर्ष बाद कलकत्ता लौट आए।
कृतियाँ
इन्होंने शैशव संगीत, प्रभात संगीत, सान्ध्य संगीत, नाटकों में रुद्रचण्ड, वाल्मीकि प्रतिभा, विसर्जन, राजर्षि, चोखेरवाली, चित्रांगदा, कौड़ी ओकमल, गीतांजलि आदि अनेक कृतियों की रचना की।
सांस्कृतिक क्षेत्र में योगदान
श्री रवीन्द्रनाथ जी का योगदान केवल शिक्षा क्षेत्र में ही नहीं, अपितु सांस्कृतिक क्षेत्र में भी इन्होंने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। सांस्कृतिक क्षेत्र में इन्होंने भारतीय एवं पाश्चात्य शैलियों का समन्वय करके संगीत की नई शैली का आविष्कार किया। यह शैली 'रवीन्द्र संगीत' के नाम से प्रसिद्ध है।
नोबेल पुरस्कार विजेता
श्री रवीन्द्रनाथ जी का बांग्ला तथा अंग्रेजी भाषा पर समान अधिकार था, इसलिए दोनों ही भाषाओं में इन्होंने साहित्य की रचना की। बांग्ला भाषा में रचित विश्वप्रसिद्ध कृति 'गीतांजलि' पर इन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
प्रकृति प्रेमी
श्री रवीन्द्रनाथ जी को प्रकृति से अत्यधिक प्रेम था। इनके भवन के पीछे एक सुन्दर सरोवर था। उसके दक्षिणी किनारे पर नारियल के पेड़ थे और पूर्वी तट पर एक बड़ा वट का पेड़ था।
रवीन्द्रनाथ जी अपने भवन की खिड़की में बैठकर इस दृश्य को देखकर प्रसन्न होते थे। ये सरोवर में स्नान करने के लिए आने वालों की चेष्टाओं और वेशभूषा को देखते रहते थे। शाम के समय सरोवर के किनारे बैठे बगुलों, हंसों और जलमुर्गियों के स्वर को बड़े प्रेम से सुनते थे।
स्वाभाविक प्रतिभा के धनी
रवीन्द्रनाथ में साहित्य रचना की स्वाभाविक प्रतिभा थी। उनके परिवार में घर पर प्रतिदिन गोष्ठियाँ, चित्रकला की प्रदर्शनी, नाटक-अभिनय और देश सेवा के कार्य होते रहते थे। उन्होंने अनेक कथाएँ और निबन्ध लिखकर उनको भारती, साधना, तत्त्वबोधिनी आदि पारिवारिक पत्रिकाओं में प्रकाशित कराया।
महात्मा गाँधी के प्रेरणास्रोत
रवीन्द्रनाथ महात्मा गाँधी के प्रेरणास्रोत थे। अंग्रेजों की हिन्दू जाति के विभाजन की नीति के विरुद्ध गाँधीजी जेल में आमरण अनशन करना चाहते थे। उन्होंने इसके लिए रवीन्द्रनाथ जी से ही अनुमति माँगी और उनका समर्थन प्राप्त करके आमरण अनशन किया।
Q.रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
Ans.रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को वर्तमान कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था।
Q.रवींद्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार कब और क्यों मिला था?
Ans.1913 में, रवींद्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. रवीन्द्रनाथ टैगोर को यह पुरस्कार उनके काव्य-संग्रह गीतांजलि के लिए मिला, जो उनका सबसे अच्छा काव्य-संग्रह था।
Q- कौन थे रविंद्रनाथ टैगोर ?
Ans- रविंद्रनाथ टैगोर कवि, साहित्यकार, नाटककार, संगीतकार और चित्रकार थे।
Q- रविंद्रनाथ टैगोर को किसके लिए मिला था नोबेल पुरस्कार?
Ans- गीतांजली के लिए उन्हें 1913 मिला था नोबेल पुरस्कार।
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