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Up board class 10 science chapter 2 acide ,bases and salt अम्ल, क्षार और लवण

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यूपी बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 2 अम्ल, क्षार और लवण

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     अध्याय 2 अम्ल, क्षार, लवण


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बहुविकल्पीय प्रश्न                            1 अंक


प्रश्न 1. सिट्रस फल (नींबू, संतरा आदि) में ……..उपस्थित होता है, जिसके कारण ये स्वाद में खट्टे होते हैं।


 (a) ऐसीटिक अम्ल


(b) सिट्रिक अम्ल


(c) टार्टरिक अम्ल उत्तर


(d) इनमें से कोई नहीं


उत्तर

 (b) सिट्स फल (नीबू, संतरा आदि) खट्टे फलों में सिट्रिक अम्ल उपस्थित होता है।


प्रश्न 2. अम्लीय विलयन का pH मान है। 



(a) 7


(b) 7 से कम 


(c) 7 से अधिक 


(d) शून्य



उत्तर (b) अम्लीय विलयन का pH मान सदैव 7 से कम होता है।


प्रश्न 3. सल्फ्यूरिक अम्ल में अम्लीय हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या है


(a) 2


(b) 1


(c) 3


(d) शून्य


उत्तर (a) परमाणुओं की संख्या 2 है।




प्रश्न 4. क्षारक के साथ हल्दी का रंग होता है


(a) पीला 


(b) नारंगी


(c) भूरा लाल


(d) अपरिवर्तित रहता है 


उत्तर (c) क्षारक के साथ हल्दी का रंग भूरा-लाल होता है।



प्रश्न 5. सल्फर डाइऑक्साइड का जलीय विलयन होता है


(a) अम्लीय


(b) क्षारीय


(c) उदासीन


(d) उभयधर्मी 


उत्तर (a) सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का जलीय विलयन अम्लीय होता है। इसका pH मान 7 से कम होगा।


प्रश्न 6. ऐसीटिक अम्ल की क्षारकता होती है 


अथवा


ऐसीटिक अम्ल में अम्लीय हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या है 


(a) एक 


(b) दो


(c) तीन


(d) चार 



उत्तर (a) ऐसीटिक अम्ल में अम्लीय हाइड्रोजन की संख्या 1 है। 


प्रश्न 7. ऐसीटिक अम्ल एक दुर्बल अम्ल है, क्योंकि 



(a) इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है


(b) इसमें आयनन की मात्रा कम होती है


 (c) यह एक कार्बनिक अम्ल है


(d) यह एक अकार्बनिक अम्ल है


उत्तर (b) दुर्बल अम्ल जल में पूर्णतया आयनित या वियोजित नहीं होते हैं, अर्थात् इनके आयनन की मात्रा कम होती है।


प्रश्न 8. क्षारीय विलयन का pH है


(a) शून्य


(b) 7

 

(c) 7 से कम


(d) 7 से अधिक



उत्तर (d) क्षारीय विलयन का pH मान सदैव 7 से अधिक होता है।



प्रश्न 9. अम्लीय वर्षा के जल का सम्भावित pH मान है 



(a) 5.2


(b) 6.2 


(c) 7.2


(d) 8.2


उत्तर (a) अम्लीय वर्षा के जल का सम्भावित pH मान 5.2 है।


प्रश्न 10. H₂SO₄, विलयन का pH मान है।




(a) 0


(b) 7


(c) 7 से कम


(d) 7 से अधिक


उत्तर (c) H₂SO₄, विलयन एक अम्लीय विलयन है तथा अम्लीय विलयन का pH मान सदैव 7 से कम होता है।


प्रश्न  11. शुद्ध जल का pH मान है।


(a) 0


(b) 1


(c) 7


(d) 14


उत्तर (c) शुद्ध जल उदासीन होता है तथा उदासीन विलयन का pH मान 7 होता है।


प्रश्न 12. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्व तनु अम्ल के साथ संयोग करके हाइड्रोजन गैस निकालता है? 


(a) क्लोरीन 


(b) ताँबा


(c) जस्ता (जिंक)


 (d) सल्फर


उत्तर (c) जस्ता (जिंक)



प्रश्न 13. क्षारीय विलयन में फीनॉल्फ्थैलीन सूचक का रंग होता है 


(a) लाल


 (b) पीला


 (c) नीला


(d) रंगहीन


उत्तर (a) लाल


प्रश्न 14. धोने के सोडा का रासायनिक सूत्र है 


(a) NaHCO₃


(b) Na₂CO₃ .10H₂O


(c) CaOCl₂


(d) NaCH


उत्तर (b) NaCO₃. 10H₂0


धोने का सोडा या सोडियम कार्बोनेट का रासायनिक सूत्र Na₂CO₃·10H₂0 है।


प्रश्न 15. निम्नलिखित में अम्लीय लवण है



(a) NaCl


(b) NaHSO₄


(c) Na₂SO₄


(d) KCN


उत्तर (b) विस्थापनीय H की उपस्थिति के कारण NaHSO₄एक अम्लीय लवण है। शेष समस्त लवण सामान्य लवण हैं।


प्रश्न 16. सोडियम कार्बोनेट के जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस अधिकता से प्रवाहित करने पर प्राप्त होने वाला पदार्थ है।



 (a) NaOH


(b) Na 2 CO3-10H20


(c) NaHCO3 


(d) Na2 CO3 H20


उत्तर (c) सोडियम कार्बोनेट के ठण्डे जलीय विलयन में CO₂गैस को प्रवाहित करने पर सोडियम बाइकार्बोनेट प्राप्त होता है।


NaHCO₃ सोडियम कार्बोनेट



प्रश्न 17. बेकिंग पाउडर को गर्म करने से कौन-सी गैस निकलती है


(a) CO 


(b) Na₂CO₃


(c) CO₂


(d) O₂


उत्तर (C) CO₂




प्रश्न

अम्ल किसे कहते हैं इसके रसायनिक गुण तथा उदाहरण



अम्ल

वे पदार्थ जिनका स्वाद खट्टा होता है तथा जो नीले लिटमस पेपर को लाल कर देते हैं, अम्ल कहलाते हैं। अम्ल शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द 'ऐसीड्स' से हुई है जिसका अर्थ होता है 'खट्टा'। अतः वे पदार्थ जिनमें अम्ल उपस्थित होते हैं, खट्टे होते हैं। 


उदाहरण सिरका, सिट्रस फल (नींबू, संतरा, आदि) तथा इमली में क्रमश: ऐसीटिक, सिट्रिक तथा टार्टरिक अम्ल उपस्थित होते हैं, जिसके कारण ये स्वाद में खट्टे होते हैं।



आर्हेनियस के अनुसार अम्ल किसे कहते हैं



आर्हेनियस सिद्धान्त के अनुसार, वे पदार्थ जो जलीय विलयन में वियोजित होकर केवल हाइड्रोजन आयन (H+) देते हैं तथा हाइड्रोजन आयन (H+) के अतिरिक्त कोई अन्य धनायन नहीं देते, अम्ल कहलाते हैं। अतः स्पष्ट है कि सभी अम्लों में हाइड्रोजन तत्व उपस्थित होता है।


प्राकृतिक स्रोत                             अम्ल


सिरका                                   ऐसीटिक अम्ल


नींबू एवं संतरा                        सिट्रिक अम्ल


 इमली                                  टार्टरिक अम्ल


टमाटर                              ऑक्सेलिक अम्ल


दही                                  लैक्टिक अम्ल




अम्लों के रासायनिक गुण


(i) धातुओं से अभिक्रिया अम्ल विभिन्न सक्रिय धातुओं जैसे-जिंक (Zn), सोडियम (Na), मैग्नीशियम (Mg) आदि से क्रिया द्वारा हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।


धातु + तनु अम्ल   →   लवण +हाइड्रोजन गैस


जैसे- Zn(s) + 2HCI → ZnCl₂+ H₂(g) ↑



(ii) धातु कार्बोनेटों तथा हाइड्रोजन कार्बोनेटों से अभिक्रिया चूना पत्थर (lime stone), खड़िया (chalk) एवं संगमरमर (marble) कैल्सियम कार्बोनेट के विविध रूप हैं।


सभी धातुएँ-कार्बोनेट ( CO₃²⁻) तथा हाइड्रोजन कार्बोनेट (HCO⁻₃) अम्ल के साथ संगत लवण, कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल बनाते हैं।


धातु कार्बोनेट / धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट + अम्ल


लवण + कार्बन डाइऑक्साइड + जल


जैसे- CaCO₃ + 2HCI→ CaCl₂ + CO₂ + H₂O


(iii) धातु-ऑक्साइडों के साथ अभिक्रिया अम्ल, धातु ऑक्साइडों से क्रिया करके लवण एवं जल बनाते हैं।


धातु ऑक्साइड + अम्ल →   लवण + जल 


CaO + 2HCl — CaCl₂ + H₂O



प्रश्न.

क्षार , क्षारक , भस्म किसे कहते हैं परिभाषा रसायनिक गुण




क्षारक या भस्म


वे पदार्थ, जिनका स्वाद तीखा तथा कड़वा होता है तथा स्पर्श साबुन जैसा चिकना होता है, क्षारक कहलाते हैं। ये लाल लिटमस को नीला कर देते हैं।


प्रश्र

आर्हेनियस क्षार किसे कहते हैं परिभाषा



आर्हेनियस के आयनिक सिद्धान्त के अनुसार, क्षार वे पदार्थ हैं, जो जलीय विलयन में वियोजित अथवा आयनित होकर ऋणावेशित आयनों के रूप में केवल हाइड्रॉक्साइड आयन (OH⁻) देते हैं।


नोट वे क्षारक, जो जल में घुलनशील होते हैं, क्षार कहलाते हैं। 


अतः सभी क्षार, क्षारक होते हैं किन्तु सभी क्षारक, क्षार नहीं होते।




क्षारों के रासायनिक गुण


(i) धातुओं से अभिक्रिया प्रबल क्षार क्रियाशील धातुओं से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करते हैं। अतः इन्हें सक्रिय धातुओं के पात्र में नहीं रखा जाता है।


धातु + क्षार   →   लवण + हाइड्रोजन गैस 


Zn (s) + 2NaOH (aq) →Na₂ZnO₂ (aq) + H₂ 




(ii) अधातुओं-ऑक्साइडों से अभिक्रिया अधातु ऑक्साइडों (अम्लीय ऑक्साइड) से अभिक्रिया के परिणामस्वरूप लवण व जल प्राप्त होता है। इस अभिक्रिया से सिद्ध होता है, कि अधातु के ऑक्साइड अम्लीय प्रकृति के होते हैं।



 क्षार + अधातु- ऑक्साइड  → लवण जल


Ca(OH)₂ (aq) + CO₂ (g) → CaCO₃(s)+ H₂O 


बुझा चूना  कार्बन डाइऑक्साइड  कैल्सियम कार्बोनेट




अम्लो/क्षारो के जलीय विलयन


जल की उपस्थिति में अम्ल H⁺ आयन देते हैं, परन्तु ये स्वतन्त्र अवस्था में नहीं रह सकते। अतः H⁺ आयन जल के अणुओं से संयुक्त होकर H₃⁺O(हाइड्रोनियम आयन) का निर्माण करते हैं। अतः यह कहा जा सकता है, कि जलीय विलयन में अम्ल, H⁺ आयन या (H₃O) आयन देते हैं,


उदाहरण


HCI + H₂O  →    H₃O+ + CI⁻


H⁺ + H₂0 → H₃O⁺


इसी प्रकार, क्षार जलीय विलयन में OH⁻ आयन देते हैं।


उदाहरण


NaOH(s).    H₂0 → Na⁺(aq) + OH⁻ (aq)




अम्लों तथा क्षारों के मध्य अभिक्रिया


अम्ल, क्षारों से क्रिया करके उनके प्रभाव को नष्ट कर देते हैं तथा लवण व जल का निर्माण करते हैं। लवण व जल बनने की यह अभिक्रिया उदासीनीकरण अभिक्रिया कहलाती है।


अम्ल + क्षार    → लवण + जल 





अम्लों तथा क्षारों की प्रबलता -


जिन अम्लों तथा क्षारों के आयनन की मात्रा अधिक होती है, उन्हें क्रमशः प्रबल अम्ल तथा प्रबल क्षार कहते

हैं।


इसी प्रकार, जिन अम्लों तथा क्षारों के आयनन की मात्रा कम होती है, उन्हें क्रमशःदुर्बल अम्ल तथा दुर्बल क्षार कहते हैं।


अम्ल या क्षार पर तनुता का प्रभाव  किसी अम्ल या क्षार की जल के साथ अभिक्रिया तनुकरण कहलाती है, जिससे प्रति एकांक आयतन में उपस्थित (H₃O⁺/OH⁻) आयन की सान्द्रता में कमी हो जाती है।




सूचक


वे पदार्थ, जिनका उपयोग किसी अनुमापन में अन्तिम बिन्दु या उदासीन बिन्दु को निर्धारित करने के लिए किया जाता है, सूचक कहलाते हैं।


सूचक निम्न प्रकार के होते हैं


(i) प्राकृतिक सूचक


(ii) संश्लेषित सूचक


(iii) गन्धयुक्त सूचक


 (iv) सार्वत्रिक सूचक


 उदाहरण लिटमस पेपर, फीनॉल्फ्थैलीन, मेथिल ऑरेन्ज, आदि।



प्रश्न

pH मान की परिभाषा उदाहरण सहित


pH मान


सोरेन्सन ने बताया कि, किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन सान्द्रता के ऋणात्मक लघुगणक को उस विलयन का pH मान कहते हैं।




pH = -log₁₀ [H⁺] = log₁₀(1/(H⁺)



अर्थात् किसी विलयन का pH मान उसमें उपस्थित हाइड्रोजन आयनों के ग्राम आयन (या मोल) प्रति लीटर में सान्द्रण के ऋणात्मक लघुगणक के बराबर होता है या अन्य शब्दों में, pH मान हाइड्रोजन आयन सान्द्रण के व्युत्क्रम का लघुगणक होता है।


यदि pH>7, तब विलयन क्षारीय होगा।


यदि pH<7, तब विलयन अम्लीय होगा। .


• यदि pH=7, तब विलयन उदासीन होगा।



दैनिक जीवन में pH का महत्त्व में


(i) पौधों एवं जन्तुओं की pH के प्रति संवेदनशीलता - जीव जगत् में जीव, न्यून pH मान क्षेत्र परास में ही जीवित रह पाते हैं। सामान्यतया इनका शरीर 7.0 से 7.8 pH परास के मध्य ही कार्य करता है। वर्षा जल के pH का मान 5.6 से कम होने पर यह अम्लीय वर्षा कहलाती है। जब अम्ल नदी के जल में मिल जाता है तो उसका pH मान कम हो जाता है, जिससे जलीय प्राणियों का अस्तित्व कठिन हो जाता है।


(ii) मिट्टी की pH - पौधे के प्रत्येक भाग की उत्तम वृद्धि के लिए उचित pH परास की आवश्यकता होती है। उचित pH परास ज्ञात करने के लिए, मिट्टी के नमूने की जाँच करके pH का मान ज्ञात किया जाता है। पौधे की प्रकृति के अनुसार pH मान का निर्धारण किया जाता है।



(iii) हमारे पाचन तंत्र का pH हमारे उदर में स्थित HCI अम्ल भोजन के पाचन में सहायक होता है, अधिक मात्रा में HCI का उत्पादन, उदर में गंभीर दर्द व जलन उत्पन्न कर देता है। जिससे मुक्त होने के लिए प्रतिअम्ल (antacid) लेना पड़ता है। यह HCI की अधिक मात्रा को अभिक्रिया द्वारा उदासीन कर देता है। मिल्क ऑफ मैग्नीशिया (मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड) प्रतिअम्ल का एक अच्छा उदाहरण है।


(iv) pH परिवर्तन के कारण दंत-क्षय मुँह के pH का मान 5.5 से कम अर्थात अधिक अम्लीय होने पर दाँतों का क्षय प्रारंभ हो जाता है। दाँतों की सुरक्षा के लिए, दाँतों पर कैल्सियम फॉस्फेट का इनैमल होता है, जिसका pH, 5.5 से कम होने पर संक्षारण हो जाता है। उचित दंतमंजन (क्षारीय प्रकृति का होने के कारण) के प्रयोग द्वारा दंत-क्षय को रोका जा सकता है।



 (v) पशुओं एवं पौधों द्वारा उत्पन्न रसायनों से आत्मरक्षा - मधुमक्खी के डंक में अम्ल होता है, जो इसके द्वारा काटने पर यह हमारे शरीर में प्रविष्ट कर जाता है, जिससे हमें जलन व दर्द का अनुभव होता है। डंक मारे गए स्थान पर बेकिंग सोडा जैसे दुर्बल-क्षार लगाने से आराम मिलता है। इसी प्रकार कई अन्य जंतुओं से हम उचित उपचार द्वारा आत्मरक्षा कर सकते हैं।



 (vi) पौधों में pH कई पौधों से हानिकारक अम्लों का स्राव होता है। जैसे-नेटल एक शाकीय पौधा है। इसके पत्तों में डंकनुमा बाल होते हैं जो जंतु के शरीर से छू जाने पर डंक जैसा दर्द देते हैं। क्योंकि इसके बालों से मेथेनॉइक अम्ल का स्राव होता है।) इससे उत्पन्न दर्द को दूर करने के लिए ढाक के पौधे के पत्ते (रगड़ कर) का प्रयोग किया जा सकता है।





लवण


किसी अम्ल तथा क्षार की उदासीनीकरण अभिक्रिया से प्राप्त आयनिक यौगिक को लवण कहते हैं।


 आर्हेनियस सिद्धान्त के अनुसार, लवण को जल में घोलने पर यह अपने अवयवी आयनों में वियोजित हो जाता है तथा लवण के जलीय विलयन में धनायन व ऋणायन उपस्थित होते हैं।


धनायनों को भास्मिक या क्षारीय मूलक तथा ऋणायनों को अम्लीय मूलक कहा जाता है क्योंकि लवण का धनायन क्षार से एवं ऋणायन अम्ल से प्राप्त होता है। लवणों के जल- अपघटन द्वारा प्राप्त विलयन की प्रकृति इसके द्वारा प्राप्त अम्ल तथा क्षारों की प्रबलता पर निर्भर करती हैं। लवण सामान्यतः अवाष्पशील, गन्धहीन तथा विद्युतसंयोजक होते हैं।



1. साधारण नमक


रासायनिक नाम सोडियम क्लोराइड अणुसूत्र NaCl 


HCI एवं NaOH की अभिक्रिया से उत्पन्न लवण सोडियम क्लोराइड (NaCl) कहलाता है।


HCl + NaOH   →   NaCl + H2O



साधारण नमक


यह एक उदासीन लवण है। साधारण नमक (NaCl) द्वारा कई उपयोगी पदार्थ जैसे-सोडियम हाइड्रॉक्साइड, बेकिंग सोडा, वाशिंग सोडा, विरंजक चूर्ण आदि प्राप्त किए जा सकते हैं। इसे खनिज नमक भी कहा जाता है।


2. कॉस्टिक सोडा


रासायनिक नाम- सोडियम हाइड्रॉक्साइड अणु सूत्र-NaOH सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाह द्वारा, NaCI वियोजित NaOH प्रदान करता है। यह प्रक्रिया क्लोर-क्षार प्रक्रिया कहलाती है।


2NaCl(aq) + 2H₂O(1) → 2NaOH (aq) + Cl₂(g) + H₂(g)


उपयोग सोडियम हाइड्रॉक्साइड का उपयोग धातुओं से ग्रीज हटाने में, साबुन तथा अपमार्जक, कागज निर्माण में, कृत्रिम फाइबर आदि के निर्माण में होता है।



3. विरंजक चूर्ण


रासायनिक नाम कैल्सियम क्लोरोहाइपोक्लोराइट अथवा क्लोराइट ऑफ लाइम 


सामान्य नाम – ब्लीचिंग पाउडर – अणुसूत्र Ca(OCI)Cl अथवा CaOCl₂



निर्माण की विधि औद्योगिक स्तर पर इसे हेसन-क्लेवर अथवा बैचमैन विधियों द्वारा शुष्क बुझे चूने पर क्लोरीन गैस की क्रिया द्वारा प्राप्त करते हैं। 


 Ca(OH)2 + Cl₂ → CaOCl₂ + H₂0.




उपयोग इसका उपयोग सूती तथा लिनेन वस्त्रों तथा लकड़ी की लुग्दी के विरंजन, पेयजल के शोधन (जीवाणुनाशक के रूप में), क्लोरोफॉर्म के निर्माण, यौगिकों के ऑक्सीकरण तथा चीनी को सफेद करने हेतु आदि में किया जाता है।


नोट विरंजक चूर्ण मिश्रण है, इसका अणुसूत्र तथा अणुभार नहीं होता है।


4. खाने का सोडा/बेकिंग सोडा


रासायनिक नाम सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट अथवा सोडियम बाइकार्बोनेट    


  अणु सूत्र NaHCO      अणुभार 84


निर्माण की विधि प्रयोगशाला में इसे सोडियम कार्बोनेट के ठण्डे जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित करके बनाया जाता है।


Na₂CO₃ + H₂O + CO₂ →2NaHCO₃


सोडियम कार्बोनेट       सोडियम बाइकार्बोनेट



उपयोग इसे बेकिंग पाउडर (बेकिंग सोडा तथा पोटैशियम हाइड्रोजन टारट्रेट का मिश्रण), झागयुक्त पेय पदार्थों, आमाशय की अम्लता को दूर करने वाली औषधि (प्रतिअम्ल के रूप में) के निर्माण में, चर्म रोग के निदान में, कच्चे दूध के फटने के समय को बढ़ाने हेतु तथा आग बुझाने वाले यन्त्रों आदि में प्रयुक्त किया जाता है।



5. धावन सोडा/धोने का सोडा


रासायनिक नाम सोडियम कार्बोनेट डेकाहाइड्रेट 


सामान्य नाम सोडा ऐश या क्रिस्टलीय सोडियम कार्बोनेट


अणुभार   286    अणु सूत्र Na₂CO₃.10H₂0


निर्माण की विधि धावन सोडा, बेकिंग सोडा को गर्म करके पुनः जलीय-क्रिस्टलीकरण द्वारा प्राप्त किया जाता है।


Na₂CO₃ (S) + 10H₂O () →Na₂CO₃.10H₂O (s)


सोडियम कार्बोनेट   सोडियम कार्बोनेट डेकाहाइड्रेट


उपयोग इसे कपड़े धोने के सोडे के रूप में, जल की कठोरता दूर करने में, काँच, कागज, कॉस्टिक सोडा, डिटर्जेन्ट पाउडर आदि के निर्माण में, प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में, आँखों की दवाई में, जीवाणुनाशक तथा रोगाणुरोधकों के रूप में प्रयोग किया जाता है।


6. प्लास्टर ऑफ पेरिस


रासायनिक नाम- कैल्सियम सल्फेट


अणु सूत्र CaSO4 ½H2O


सामान्य नाम - प्लास्टर ऑफ पेरिस 


अणुभार 136.134


निर्माण की विधि जब कैल्सियम सल्फेट डाइहाइड्रेट (अर्थात् जिप्सम) को 373K ताप पर गर्म किया जाता है, तो निर्जलीकरण के द्वारा प्लास्टर ऑफ पेरिस का निर्माण होता है।


CaSO₄. 2H₂0    → CaSO₄.½ H₂O




उपयोग


• इसका उपयोग टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए प्लास्टर चढ़ाने में किया जाता है।


• इसका उपयोग सामान जैसे- मूर्तियों व खिलौनों के निर्माण में किया जाता है।


 • इसका उपयोग दन्त चिकित्सा, दीवारों को चिकना बनाने तथा उन पर अलंकरण कार्य करने में भी किया जाता है।


. इसे अग्निरोधक पदार्थ के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।




क्रिस्टलन-जल


लवण के इकाई सूत्र में स्थित, जल के निश्चित अणुओं की संख्या को क्रिस्टल का जल कहते हैं। 


जैसे-कॉपर सल्फेट के इकाई सूत्र में पाँच अणु जल के उपस्थित होते हैं। अर्थात् CuSO₄.5H₂O नीला थोथा। इसी प्रकार, NaCO₃.10H₂O होता है। उपरोक्त सूत्र की सहायता से ज्ञात कर सकते हैं, कि अणु आर्द्र है अथवा नहीं। जिप्सम लवण में दो अणु क्रिस्टलन-जल पाया जाता है-CuSO₄ 2H₂0 


जल के निकल जाने पर अणु ऐनहाइड्राइड अणु कहलाता है।



अतिलघु उत्तरीय प्रश्न      2 अंक


प्रश्न 1. अम्ल और क्षारक की आधुनिक अवधारणा क्या है? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए। सम्बन्धित रासायनिक समीकरण भी लिखिए।


अथवा अम्ल तथा क्षार की आधुनिक अवधारणा स्पष्ट कीजिए 


अथवा अम्ल तथा भस्म की आधुनिक अवधारणा दीजिए। एक प्रबल अम्ल तथा एक दुर्बल भस्म का नाम भी लिखिए।



उत्तर अम्ल वे पदार्थ हैं, जो जलीय विलयन में वियोजित अथवा आयनित होकर हाइड्रोजन आयन (H⁺) अथवा हाइड्रोनियम आयन (H₃O⁺) देते हैं।


उदाहरण HCI, H₂SO₄आदि।


HCl(aq)  ⇔ H⁺ + Cl⁻


क्षार वे पदार्थ हैं, जो जलीय विलयन में वियोजित अथवा आयनित होकर हाइड्रॉक्साइड आयन (OH⁻) देते हैं।


 उदाहरण NaOH, KOH, NH₄OH आदि।


NaOH (aq)   ⇔ Na⁺ + OH⁻




प्रबल अम्ल HCI, H₂SO₄, HNO₃


 दुर्बल क्षार (भस्म) NH₄OH


प्रश्न 2. किसी प्रबल अम्ल तथा प्रबल क्षार की उदासीनीकरण ऊष्मा स्थिर होती है। क्यों?




उत्तर प्रबल अम्ल तथा प्रबल क्षार तनु विलयन में पूर्णतया आयनित होकर H⁺ (हाइड्रोजन आयन) तथा OH⁻(हाइड्रॉक्साइड आयन) देते हैं, जो संयोग करके H₂O (जल) बना लेते हैं, अतः प्रबल अम्ल तथा प्रबल क्षार की उदासीनीकरण ऊष्मा वास्तव में H⁺ तथा OH⁻आयनों द्वारा जल (H₂O) की सम्भवन ऊष्मा है, जिसका मान सदैव - 13.7 किलोकैलोरी होता है। यही कारण है कि प्रबल अम्ल तथा प्रबल क्षार की ऊष्मा का मान सदैव स्थिर (अर्थात् - 13.7 किलोकैलोरी) होता है।


प्रश्न 3. आसवित जल विद्युत का चालक क्यों नहीं होता, जबकि वर्षा का जल होता है?



 उत्तर वर्षा के जल में घुलित लवणों के कारण आयन उपस्थित होते हैं, जो उसे विद्युत का सुचालक बनाते हैं, जबकि आसवित जल में कोई आयन उपस्थित नहीं

होते, अतः यह विद्युत का चालक नहीं होता। 



प्रश्न 4. जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्यों नहीं होता है?


उत्तर अम्ल के अणुओं के आयनीकरण के लिए जल की उपस्थिति आवश्यक है।


HA+ H₂O → H₃O⁺ + A⁻ अम्ल


आयनीकरण के पश्चात् उत्पन्न H₃O⁺ आयन ही अम्लीय गुण प्रदर्शित करते हैं। शुष्क अवस्था में आयनों की अनुपस्थिति होने के कारण अम्ल अम्लीय व्यवहार प्रदर्शित नहीं करते।


प्रश्न 5. हाइड्रोजन आयन सान्द्रण से क्या तात्पर्य है? उदासीन विलयन में हाइड्रोजन आयन सान्द्रण का मान कितना होता है ?


 

उत्तर हाइड्रोजन आयन सान्द्रण किसी जलीय विलयन के एक लीटर आयतन में उपस्थित हाइड्रोजन के ग्राम-आयनों (मोलो) की संख्या को उस विलयन का हाइड्रोजन आयन सान्द्रण कहते हैं। इसे [H] द्वारा प्रदर्शित करते हैं। उदासीन विलयन में हाइड्रोजन आयन सान्द्रण का मान 1x10⁻⁷ मोल प्रति लीटर होता है।


प्रश्न 6. जल का आयनिक गुणनफल क्या है? 25°C पर इसका मान लिखिए।


अथवा जल का आयनिक गुणनफल क्या है? स्पष्ट करें



उत्तर जल का आयनिक गुणनफल यह स्थिर ताप पर जल में उपस्थित हाइड्रोजन आयनों के सान्द्रण [H⁺] तथा हाइड्रॉक्साइड आयनों के सान्द्रण [OH⁻ ] के गुणनफल के बराबर होता है। इसे Kω से प्रदर्शित करते हैं। अर्थात्


Kω = [H⁺]  [OH ⁻] 


25°C पर जल के आयनिक गुणनफल का मान लगभग 1x10⁻¹⁴ होता है। 



प्रश्न 7. ताजे दूध के pH का मान 6 होता है। दही बन जाने पर इसके pH के मान में क्या परिवर्तन होगा? अपना उत्तर समझाइए।


उत्तर जब दूध से दही का निर्माण होता है, तो दूध में उपस्थित शर्करा लैक्टोस लैक्टिक अम्ल में परिवर्तित हो जाती है। अतः दूध (pH = 6) का pH मान दही

(pH < 6) बनने पर अपेक्षाकृत कम हो जायेगा।



प्रश्न 8. उदासीनीकरण अभिक्रिया क्या है? दो उदाहरण दीजिए।


 उत्तर किसी अम्ल की किसी क्षारक से अभिक्रिया के फलस्वरूप लवण तथा जल के निर्माण की क्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं। 



उदाहरण


NaOH   +  HCI  →NaCl +H₂O


Ca(OH)2   +  2HCI → CaCl₂ +H₂O





प्रश्न 9. खाने का सोडा बनाने की विधि का रासायनिक समीकरण लिखिए। इस पर ताप का प्रभाव भी लिखिए। 


अथवा खाने का सोडा बनाने की विधि लिखिए। इसे धावन सोडे में कैसे परिवर्तित करेंगे? सम्बन्धित समीकरण भी लिखिए। 


अथवा खाने के सोडे का रासायनिक नाम तथा अणुसूत्र लिखिए। इसके बनाने की विधि का केवल रासायनिक समीकरण लिखिए।


उत्तर खाने के सोडे का रासायनिक नाम सोडियम बाइकार्बोनेट  (NaHCO₃) होता है।


बनाने की विधि प्रयोगशाला में इसे सोडियम कार्बोनेट के ठण्डे जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित करके बनाया जाता है।


Na₂CO₃ + CO₂ + H₃O → 2NaHCO₃


सोडियम कार्बोनेट             सोडियम बाइकार्बोनेट


                                        (खाने का सोडा)



ताप का प्रभाव (100°C से उच्च ताप) 


2NaHCO₃ → Na₂CO₃ + H₂O + CO₂


(100°C से उच्च ताप)   सोडियम कार्बनिट 


                                    (धावन सोडा)



प्रश्न 12. बेकिंग सोड़ा बनाने की दो विधियाँ रासायनिक समीकरण सहित लिखिए।



उत्तर (i) सोडियम बाइकार्बोनेट (NaHCO₃) का निर्माण सोडियम कार्बोनेट (Na₂CO₃) के संतृप्त जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) गैस प्रवाहित करने पर होता है।


Na₂CO₃ + CO₂ → 2NaHCO₃


सोडियम कार्बोनेट        सोडियम बाइकार्बोनेट



(ii) सोडियम क्लोराइड की अभिक्रिया, अमोनिया, जल व कार्बन डाइऑक्साइड से करवाने पर बेकिंग सोडा (सोडियम बाइकार्बनिट) प्राप्त होता है। 


NaCl + H₂O+CO₂+NH₃—, NaHCO₃+NH₄Cl




प्रश्न 13. धावन सोडा बनाने का रासायनिक समीकरण तथा इसका एक उपयोग भी लिखिए।


उत्तर धावन सोडा बनाने की रासायनिक अभिक्रिया 2NaOH + CO₂ → Na₂CO₃ + H₂0


उपयोग जल की कठोरता दूर करने में।


प्रश्न 14. धावन सोडा का रासायनिक नाम तथा अणु सूत्र लिखिए। इसके बनाने की विधि का केवल रासायनिक समीकरण लिखिए।


उत्तर धावन सोडा का रासायनिक नाम सोडियम कार्बोनेट डेकाहाइड्रेट


अणु सूत्र Na₂CO₃. 10H₂O



बनाने की विधि 

2NaOH + CO₂→ Na₂CO₃+ H₂O



प्रश्न 15. प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाने की एक विधि लिखिए तथा इसकी जल के साथ रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।


अथवा प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाने की विधि तथा एक उपयोग लिखिए। 



उत्तर निर्माण की विधि जब कैल्सियम सल्फेट डाइहाइड्रेट (अर्थात् जिप्सम) को 120°C ताप पर गर्म किया जाता है, तो निर्जलीकरण के द्वारा प्लास्टर ऑफ

पेरिस का निर्माण होता है।

                       120°C

CaSO₄ 2H2O    →CaSO₄.½ H₂O+3/2 H₂O


जिप्सम                  प्लास्टर ऑफ पेरिस


जल से क्रिया  इसकी जल से अभिक्रिया कराने पर जिप्सम का निर्माण होता है। इसे प्लास्टर ऑफ पेरिस का जमना (Setting of plaster of Paris) कहते हैं। यह क्रिया ऊष्माक्षेपी होती है।


CaSO₄.½ H₂O + 3/2H₂O  → CaSO₄ 2H₂0 


अथवा


(CaSO₄)₂ .2H2O + 3H₂O→ 2CaSO₄. 2H₂0


प्लास्टर ऑफ पेरिस                   जिप्सम





प्लास्टर ऑफ पेरिस के जमने से आयतन में प्रसार होता है।


उपयोग इसका उपयोग टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए प्लास्टर चढ़ाने में किया जाता है।


प्रश्न 16. प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्रता-रोधी बर्तन में क्यों रखा जाना चाहिए? इसकी व्याख्या कीजिए।


उत्तर जल के संपर्क में आने पर प्लास्टर ऑफ पेरिस जल के साथ संयुक्त होकर एक कठोर पदार्थ जिप्सम बनाता है, जिसमें प्लास्टर ऑफ पेरिस वाले गुण नहीं होते।


CaSO₄.1/2 H₂O + 1-½ H₂O प्लास्टर ऑफ पेरिस → CaSO₄ .2H₂O जल जिप्सम


अतः प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्रतारोधी बर्तन में रखना अधिक सुरक्षित है। 



प्रश्न 17. पीतल एवं ताँबे के बर्तनों में दही तथा खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखने चाहिए?


उत्तर खट्टे पदार्थों (जैसे- दही, नींबू का रस, इमली का रस, अचार, आदि) में उपस्थित अम्ल तांबे अथवा पीतल से अभिक्रिया करके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक लवण उत्पन्न करता है। अतः इन्हें पीतल या ताँबे के बर्तनों में न रखकर, काँच अथवा चीनी मिट्टी के बर्तनों में रखना चाहिए।


प्रश्न 18. धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर सामान्यतः कौन-सी गैस निकलती है? एक उदाहरण के द्वारा समझाइए। इस गैस की उपस्थिति की जाँच आप कैसे करेंगे?


उत्तर सामान्यतया जब कोई धातु तनु अम्लो (HCI अथवा H₂SO₄आदि) से अभिक्रिया करती है, तो हाइड्रोजन गैस उत्पन्न होती है। इस गैस अर्थात् हाइड्रोजन के परीक्षण हेतु एक जलती हुई मोमबत्ती परखनली के मुँह के पास लाने पर वह धड़ाके (पॉप) की आवाज के साथ जलती है।


 उदाहरण


Mg(s) + 2HCl(aq)   →  MgCl₂ (aq) + H₂ (g)


 Mg(s) + H2SO (aq) → MgSO₄ (aq) + H₂(g)


              तनु


प्रश्न 19. अम्ल का जलीय विलयन विद्युत का चालन क्यों करता है?



उत्तर अम्ल को जल में मिलाने पर यह आयनीकृत हो जाता है। जब इस जलीय विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो इसमें उपस्थित आयन ही विद्युत का चालन करते हैं।



प्रश्न 20. शुष्क हाइड्रोजन क्लोराइड गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को क्यों नहीं परिवर्तित करती?


उत्तर शुष्क हाइड्रोजन क्लोराइड गैस का आयनीकरण नहीं होता है। जब इसका जलीय विलयन बनाते हैं, तब ही इसमें H₃O+ तथा CI⁻ आयन उत्पन्न होते हैं। इसी अवस्था में इसमें उपस्थित H₃O+ आयनों के कारण नम हाइड्रोजन क्लोराइड गैस या हाइड्रोक्लोरिक अम्ल शुष्क लिटमस पत्र को नीले से लाल कर देते हैं। अर्थात् अम्लीय गुण प्रदर्शित करते हैं, जबकि शुष्क हाइड्रोजन क्लोराइड गैस आयनों की अनुपस्थिति के कारण ऐसा नहीं करती है। 


प्रश्न 21. अम्ल को तनुकृत करते समय यह क्यों अनुशंसित करते हैं कि अम्ल को जल में मिलाना चाहिए, न कि जल को अम्ल में? 



उत्तर अम्ल की तनुकरण अभिक्रिया अत्यंत ही ऊष्माक्षेपी क्रिया है, अर्थात् जब अम्ल में जल मिलाया जाता है, तो अभिक्रिया में बहुत अधिक ऊष्मा उत्पन्न होने के कारण मिश्रण आस्फलित होकर पात्र से बाहर आ सकता है। इससे जो व्यक्ति वहाँ उपस्थित हैं, उन्हें क्षति हो सकती है। किन्तु इसके विपरीत जब एक पात्र में जल लेकर उसमें दूसरे पात्र से धीरे-धीरे दीवार के सहारे से अम्ल मिलाते हैं, तो ऊष्मा धीरे-धीरे उत्पन्न होती है व अभिक्रिया अनियंत्रित नहीं होती। अतः अम्ल 

को जल में मिलाया जाना उचित है, इसका विपरीत नहीं। 



प्रश्न 22. H⁺(aq) आयन की सांद्रता का विलयन की प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है? 


उत्तर H⁺(aq) आयन की सांद्रता विलयन की अम्लीय प्रकृति के समानुपाती होती है। इसका अर्थ है कि H⁺आयन सांद्रता के बढ़ने के साथ-साथ विलयन की अम्लीय प्रकृति बढ़ती है और H⁺ आयन सांद्रता कम होने के साथ-साथ अम्लीय प्रकृति घटती है। 


प्रश्न 23. क्या क्षारकीय विलयन में Ht (aq) आयन होते हैं? अगर हाँ, तो यह क्षारकीय क्यों होता है?


उत्तर हाँ, क्षारकीय विलयन में H⁺ (aq) आयन भी होते हैं परंतु इनकी सांद्रता OH⁻(aq) आयनों की सांद्रता की अपेक्षा कम होती है। इसका कारण यह है कि ये विलयन क्षारक तथा जल के मिलने से बनते हैं।


H₂O    ⇔  H⁺+ OH⁻


 [ जल एक ध्रुवीय विलायक है।


क्षारक    ⇔ धनायन + OH⁻


इसलिये ये विलयन क्षारकीय होते हैं। 



प्रश्न 24. कोई किसान खेत की मृदा की किस परिस्थिति में बिना बुझा हुआ चूना (कैल्सियम ऑक्साइड), बुझा हुआ चूना (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) या चॉक (कैल्सियम कार्बोनेट) का उपयोग करेगा? 


उत्तर ये तीनों यौगिक, कैल्सियम ऑक्साइड बुझा हुआ चूना तथा चॉक क्षारकीय प्रकृति के हैं। अत: इनका उपयोग अम्लीय प्रकृति की मिट्टी को कम अम्लीय करने, उदासीन अथवा कुछ क्षारकीय करने हेतु किया जाना उचित है। इसका निर्णय उन फसलों के चयन पर भी निर्भर करता है, जिन्हें वहाँ उगाया जाना है।



           लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1. अम्लों तथा क्षारकों में अन्तर बताइए।


उत्तर


अम्लों तथा क्षारकों में अन्तर





अम्ल

क्षारक

अम्लों का स्वाद खट्टा होता है।

क्षारकों का स्वाद कड़वा होता है।


ये नीले लिटमस को लाल कर देते हैं।

ये लाल लिटमस को नीला कर देते हैं।

इनकी प्रकृति संक्षारक होती है अर्थात् इनके सम्पर्क में लकड़ी, कपड़ा, त्वचा, आदि आने पर नष्ट हो जाते हैं।


इनकी प्रकृति भी संक्षारक होती है। परन्तु ये प्रबल अम्लों की अपेक्षा कम संक्षारक होते हैं।


जब ये अम्लों के साथ क्रिया करते हैं, तो क्षारीय गुण विलुप्त हो जाता है।


जब ये क्षारों के साथ क्रिया करते हैं, तो अम्लीय गुण विलुप्त हो जाता है।

ये जल में विलेय होकर H⁺आयन देते हैं।

ये जल में विलेय होकर OH⁻आयन देते हैं।

उदाहरण HCI, H₂SO₄. HCIO₄. आदि।

उदाहरण KOH, NaOH, Ca(OH)₂ आदि












प्रश्न 4. सूचक क्या हैं? एक उदाहरण की सहायता से अम्ल-क्षार सूचकों के अम्लीय तथा क्षारीय माध्यम में रंग परिवर्तन को स्पष्ट कीजिए।


 

रंग भिन्न-भिन्न होता है। अत: pH मान में उचित परिवर्तन के साथ इनके रंग में परिवर्तन हो जाता है। उदाहरण लिटमस पेपर, मेथिल ऑरेन्ज, फीनॉल्फ्थैलीन, आदि।


उत्तर सूचक ये वे रंजक (Dye) हैं, जो किसी अम्ल अथवा क्षार के सम्पर्क में आने पर अपना रंग परिवर्तित कर लेते हैं। इनका अम्लीय तथा क्षारीय माध्यमों में रंग भिन्न-भिन्न होता है। अत: pH मान में उचित परिवर्तन के साथ इनके रंग में परिवर्तन हो जाता है। 


उदाहरण लिटमस पेपर, मेथिल ऑरेन्ज, फीनॉल्फ्थैलीन, आदि।



प्रयोगशाला में अम्लों तथा क्षारों के परीक्षण के लिए लिटमस पेपर सूचक का प्रयोग किया जाता है। यह निम्नलिखित दो प्रकार का होता है।


(i) नीला लिटमस पेपर


(ii) लाल लिटमस पेपर


अम्ल नीले लिटमस पेपर को लाल कर देते हैं तथा लाल लिटमस पेपर पर कोई प्रभाव नहीं डालते हैं। क्षार लाल लिटमस पेपर को नीला कर देते हैं तथा नीले लिटमस पेपर पर कोई प्रभाव नहीं डालते हैं।



प्रश्न 6. एक ग्वाला ताजे दूध में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाता है।


 (i) वह ताजे दूध के pH मान को 6 से बदल कर थोड़ा क्षारीय क्यों बना देता है?


(ii) इस दूध को दही बनने में अधिक समय क्यों लगता है? 



उत्तर (i) जब दूध खट्टा होता है तो उसमें अम्ल उत्पन्न होता है। बेकिंग सोडा (क्षारीय) मिलाने से यह उत्पन्न होने वाले अम्ल को उदासीन कर देता है तथा दूध खट्टा होने से बच जाता है। अत: pH को बढ़ाकर क्षारीय

बना देते हैं, जिससे दूध जल्दी नहीं फटता।


(ii) दूध से दही बनते समय दूध की लैक्टोस शर्करा लैक्टिक अम्ल में बदल जाती है। परन्तु बेकिंग सोडे की उपस्थिति में दूध अपेक्षाकृत क्षारीय होता है, जिससे उत्पन्न होने वाला अम्ल उदासीन हो जाता है।


अतः इससे दही बनने में अधिक समय लगता है।


प्रश्न 7. धोने के सोडा एवं विरंजक चूर्ण के दो-दो प्रमुख उपयोग बताइए।



उत्तर धोने के सोडे के उपयोग


(i) इसका उपयोग जल की स्थायी कठोरता को दूर करने के लिए किया जाता है। 


(ii) सोडियम कार्बोनेट का उपयोग काँच, साबुन आदि उद्योगों में किया जाता है।


विरंजक चूर्ण के उपयोग




(i) विरंजक चूर्ण का उपयोग जीवाणुनाशक के रूप में तथा जल के शुद्धिकरण में किया जाता है।


(ii) विरंजक चूर्ण का उपयोग ऑक्सीकारक के रूप में तथा चीनी सफेद करने में किया जाता है।


प्रश्न 8. निम्नलिखित पर ताप का प्रभाव लिखिए (केवल रासायनिक समीकरण लिखिए)


 (i) प्लास्टर ऑफ पेरिस


(ii) सोडियम बाइकार्बोनेट


उत्तर (i) प्लास्टर ऑफ पेरिस पर ताप का प्रभाव यदि कैल्सियम सल्फेट डाइहाइड्रेट या कैल्सियम सल्फेट अर्द्ध-हाइड्रेट को 120°C से अधिक ताप पर गर्म किया जाता है, तो निर्जलीय प्लास्टर प्राप्त होता है। इसे

मृत तापित प्लास्टर कहा जाता है। 


                      120C

CaSO₄ .2H₂0    →     CaSO₄ + 2H₂O


CaSO₄.½H₂O  →   CaSO₄ +½H₂O


400°C से अधिक ताप पर गर्म करने पर कैल्सियम सल्फेट का अपघटन हो जाता है। जिसके फलस्वरूप कैल्सियम ऑक्साइड प्राप्त होता है तथा SO₂

और 0₂ गैसें  मुक्त होती हैं।


2CaSO₄ → 2CaO+ 2S0₂ ↑ + 0₂ > 400C


(ii) 2NaHCO₃ → NaCO₃ + CO₂ + H₂O 



        विस्तृत उत्तरीय प्रश्न



प्रश्न 1. (i) प्रबल एवं दुर्बल अम्ल क्या है? अम्लों की निम्नलिखित सूची से प्रबल अम्लों को दुर्बल अम्लों से पृथक् कीजिए।


हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, साइट्रिक अम्ल, ऐसीटिक अम्ल, नाइट्रिक अम्ल, फॉर्मिक अम्ल, सल्फ्यूरिक अम्ल 


(ii) ऊष्मण के द्वारा आप बेकिंग पाउडर तथा धावन सोडा में विभेद कैसे करोगे?



उत्तर (i) प्रबल अम्ल वे अम्ल जो अपने जलीय विलयन में पूर्णतया आयनित होकर अत्यधिक मात्रा में हाइड्रोजन आयन (H⁺ या हाइड्रोनियम आयन (H₃O⁺) उत्पन्न करते हैं, प्रबल अम्ल कहलाते हैं।



दुर्बल अम्ल वे अम्ल जो अपने जलीय विलयन में पूर्णतया आयनित नहीं होते तथा विलयन में कम हाइड्रोजन आयन (H⁺) या हाइड्रोनियम आयन (H₃O⁺) प्रदान करते हैं, दुर्बल अम्ल कहलाते है।


सूची में दिए गए अम्लों में 


प्रबल अम्ल हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCI), नाइट्रिक अम्ल (HNO₃,), सल्फ्यूरिक अम्ल (H₂SO₄


दुर्बल अम्ल ऐसीटिक अम्ल (CH₃COOH), फॉर्मिक अम्ल (HCOOH)


(ii) बेकिंग सोडा (NaHCO₃) को गर्म करने पर कार्बन डाइऑक्साइड गैस (CO₂) उत्पन्न होती है जिसे चूने के पानी में प्रवाहित करने पर वह दूधिया हो जाता है।


2NaHCO₃ बेकिंग सोडा  ऊष्मा → Na₃CO₃ + H₂O+ CO₂




घावन सोडा (Na₂CO₃ .10H₂0) को गर्म करने पर गैस नहीं निकलती है।


Na₂ CO₃.10H₂0. → Na₂CO₃+ 10H₂O 




प्रश्न 2. बेकिंग पाउडर का रासायनिक नाम तथा अणु सूत्र क्या है? इसको बनाने की विधि तथा दो प्रमुख रासायनिक गुण समीकरण देते हुए लिखिए। 




उत्तर बेकिंग पाउडर सोडियम बाइकार्बोनेट (बेकिंग सोडा) तथा पोटैशियम हाइड्रोजन टारट्रेट का मिश्रण बेकिंग पाउडर कहलाता है। 


(i) बेकिंग सोडे का रासायनिक नाम सोडियम बाइकार्बोनेट अथवा सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट 



(ii) अणु सूत्र NaHCO₃ 


निर्माण विधि इसे प्रयोगशाला में धावन सोडे (सोडियम कार्बोनेट) के जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित करके प्राप्त किया जाता है।


Na₂CO₃ + H₂O + CO₂  → 2NaHCO₃


 इसके प्रमुख रासायनिक गुण निम्नलिखित हैं


 (i) इसे 100°C से अधिक ताप तक गर्म करने पर यह अपघटित होकर सोडियम कार्बोनेट बनाता है।


                  100°C


2NaHCO₃     →    Na₂CO₃ + H₂O + CO₂


सोडियम बाइकार्बनेट         सोडियम कार्बनेट


(ii) यह अम्लों के साथ क्रिया करके सोडियम लवण, जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त करता है।


NaHCO₃ + HCI  → NaCl + H₂O + CO₂  सोडियम बाइकार्बोनेट         सोडियम लवण




                आंकिक प्रश्न


प्रश्न 1. pH4 मान के विलयन में H⁺ आयनों की सान्द्रता बताइए। इस विलयन की प्रकृति बताइए।


 हल


[H⁺ | =10⁻pH




[H⁺ ] = 10⁻⁴मोल/लीटर क्योंकि इस विलयन का pH मान 7 से कम है, अत: विलयन की प्रकृति अम्लीय होगी।





       क्या होता है जब ?


केवल रासायनिक समीकरण दीजिए।



डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित


(i) सोडियम कार्बोनेट के विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित करते हैं। 


(ii) सोडियम बाइकार्बोनेट पर ताप पर प्रभाव।


 अथवा  खाने के सोहे अथवा सोडियम बाइकार्बोनेट को गर्म करते हैं। 


 (iii) सोडियम बाइकार्बोनेट तनु सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया करता है।


(iv) ब्लीचिंग पाउडर कार्बन डाइऑक्साइड से अभिक्रिया करता है। 


 (v) ब्लीचिंग पाउडर को तनु ऐसीटिक अम्ल के साथ गर्म करते हैं। 


(vi) अमोनियम क्लोराइड (नौसादर) को बुझे चूने (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) के साथ गर्म करते हैं।


(vii) अमोनियम क्लोराइड (नौसादर) को गर्म करते हैं।


(viii) प्लास्टर ऑफ पेरिस को गर्म किया जाता है।


 (ix) विरंजक चूर्ण की क्रिया तनु सल्फ्यूरिक अम्ल से करायी जाती है।


(x) जिप्सम को 373 K पर गर्म किया जाता है।


(xi) बुझे हुए चूने में क्लोरीन गैस प्रवाहित की जाती है। 


(xii) कार्बन डाइऑक्साइड गैस को चूने के पानी में प्रवाहित किया जाता है।



उत्तर (i) Na₂CO₃ + H₃O + CO2 →2NaHCO₃



                                      सोडियम बाइकार्बोनेट


(ii) 2NaHCO3       →  Na₂CO₃+ CO2 +H2O

 सोडियम बाइकार्बोनेट (100°C से उच्च ताप) सोडियम बाइकार्बोनेट


(iii) 2NaHCO₃+ H₂SO₄ → Na₂SO₄ + 2H₂O + 2CO₂


(तनु) सोडियम बाइकार्बोनेट  सल्फ्यूरिक अम्ल       सोडियम  सल्फेट


(iv) CaOCl₂ + CO₂→ CaCO₃ + Cl₂ ↑


विरंजक चूर्ण        कैल्सियम कार्बोनेट  क्लोरीन 


(v) CaOCl₂ + 2CH₃COOH    →(CH3COO)₂Ca + H₂O + Cl₂


 ब्लीचिंग पाउडर ऐसीटिक अम्ल कैल्सियम ऐसीटेट


(vi) 2NH₄Cl + Ca(OH)₂→CaCl₂ +2H₂O+2NH₃ अमोनिया


नौसादर बुझा चूना


कैल्सियम क्लोराइड




(vii) NH₄CI → NH₃(g) + HCl(g) अमोनियम


क्लोराइड (नौसादर)   अमोनिया   हाइड्रोजन गैस क्लोराइड


(viii) CaSO₄.2H₂O 120°C→ CaSO₄+ H₃O


प्लास्टर ऑफ पेरिस       कैल्सियम        सल्फेट



(ix) CaOCl2 विरंजक चूर्ण +H2SO4→CaSO4 + H2O + Cl₂ ↑



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