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up board NCERT class 10 social science chapter 8 full notes in hindi//कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

 यूपी बोर्ड कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान अध्याय 8 का सम्पूर्ण हल     


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class 10 social science chapter खनिज तथा ऊर्जा संसाधन



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  खनिज तथा ऊर्जा संसाधन





याद रखने योग्य मुख्य बिन्दु


1.भू-पर्पटी (पृथ्वी की ऊपरी परत) विभिन्न खनिजों के योग से बनी चट्टानों से निर्मित है।


2.सामान्यतः खनिज अयस्कों में पाए जाते हैं। उत्तर पूर्वी भारत के अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में खनिजों का स्वामित्व व्यक्तिगत को प्राप्त है।


3. भारत में अधिकांश पेट्रोलियम की उपस्थिति टर्शियरी युग की शैल संरचनाओं के अपनति व भ्रंश ट्रैप में पाई जाती है। भारत में कुल पेट्रोलियम उत्पादन का 63 प्रतिशत भाग मुम्बई हाईवे से 18 प्रतिशत गुजरात से और 16 प्रतिशत असम से प्राप्त होता है।


4.भारत में कोयला दो प्रमुख भूगर्भिक युगों के शैल क्रम में पाया जाता है एक गोंडवाना जिसकी आयु 200 लाख वर्ष से अधिक है और दूसरा टर्शियरी निक्षेप जो

लगभग 55 लाख वर्ष पुराने हैं।


5.भारत में उड़ीसा (ओडिशा) मैंगनीज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। वर्ष 2015-16 में देश के कुल उत्पादन का एक-तिहाई भाग यहाँ से प्राप्त हुआ। मैंगनीज मुख्य रूप से इस्पात के विनिर्माण में प्रयोग किया जाता है। एक टन इस्पात बनाने में लगभग 10 किग्रा मैंगनीज की आवश्यकता होती है। इसका उपयोग ब्लीचिंग पाउडर, कीटनाशक दवाएँ व पेंट बनाने में किया जाता है।


6.अभ्रक एक ऐसा खनिज है जो प्लेटों अथवा पत्रण क्रम में पाया जाता है।



 7. भारत में बॉक्साइट के निक्षेप मुख्यतः अमरकंटक पठार, मैकाल, पहाड़ियों तथा बिलासपुर कटनी के पठारी प्रदेश में पाए जाते हैं।


• कोयला चार प्रकार का होता है- (1) एन्थ्रेसाइट (2) बिटुमिनस (3) लिग्नाइट (4) पीट कोयला


लोहा चार प्रकार प्रकार का होता है-


(1) मैग्नेटाइट (2) हेमेटाइट (3) साइडेराइट (4) लिमोनाइट।


8. नवीकरणीय योग्य ऊर्जा संसाधन: जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैविक ऊर्जा को ऊर्जा के गैर-परंपरागत साधन कहा जाता है।


9.यूरेनियम और थोरियम का प्रयोग परमाणु अथवा आणविक ऊर्जा के उत्पादन में किया जाता है। ये झारखण्ड और राजस्थान की अरावली पर्वत श्रृंखला में पाए जाते हैं।






महत्त्वपूर्ण शब्दावली


खनिज-भू-वैज्ञानिकों के अनुसार खनिज एक प्राकृतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्त्व है जिसकी एक निश्चित आंतरिक संरचना है। 



धात्विक खानेज – जिन खनिजों से धातु प्राप्त होती है, जिनमें चमक होती है तथा जिनको कूट-पीटकर चादरों के रूप में ढाला जा सकता है और तारों के रूप में खींचा जा सकता है, धात्विक खनिज कहलाते हैं, जैसे-लोहा, सोना आदि।


अधात्विक खनिज – इनसे धातु प्राप्त नहीं होती। इन खनिजों में चमक नहीं होती। ये कूटने-पीटने पर टूट जाते हैं जैसे-संगमरमर, कोयला, आदि



लौह खनिज – वे खनिज जिनमें लोहे का अंश अधिक होता है जैसे-लौह-अयस्क, मैंगनीज, निकल व कोबाल्ट आदि।



 अलौह खनिज–जिन खनिजों में लोहे का अंश नहीं होता या बहुत कम होता है, अलौह खनिज कहलाते हैं; जैसे-सोना, चाँदी, प्लेटिनम अभ्रक आदि।


खनिज अयस्क भूमि से निकाले गये अयस्क जो अपनी कच्ची अवस्था के रूप में मिलते हैं।


नवीकरणीय संसाधन–वे साधन जो एक बार प्रयोग करने से समाप्त नहीं होते तथा जिनका बार-बार प्रयोग किया जा सकता है, नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं; जैसे-सौर ऊर्जा, जल, पवन आदि।


अनवीकरणीय संसाधन-ऐसे साधन जो एक बार खनन करने तथा प्रयोग करने के बाद समाप्त हो जाते हैं, उन्हें अनापूर्ति साधन या अनवीकरणीय संसाधन कहा जाता है; जैसे-कोयला, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस आदि।


बायो गैस–बायो गैस झाड़-झंखाड़ों, कृषि के अवशिष्टों, जीव-जंतुओं और मानव के मल-मूत्र के उपयोग से पैदा की जाती है। यह गैस ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू उपयोग के काम आती है।


जल विद्युत – इसका उत्पादन गिरते हुए जल की शक्ति का प्रयोग करके टरबाइन को चलाने से होता है। इससे जल विद्युत का निर्माण होता है।


खनिज तेल –भूमि के नीचे से प्राप्त हाइड्रोकार्बन का मिश्रण जो द्रव्य रूप में होता है, जिसे हम पेट्रोलियम भी कहते हैं, खनिज तेल कहलाता है।


 खनिज ईंधन–अधात्विक पदार्थ जिन्हें ईंधन के रूप में काम में लाया जाता है; जैसे-कोयला और पेट्रोलियम


शक्ति साधन –वे सभी साधन जिनसे शक्ति प्राप्त होती है; जैसे-सूर्य, कोयला, खनिज तेल, पानी, हवा आदि। इन्हें ऊर्जा संसाधन भी कहते हैं।


भू-तापीय ऊर्जा पृथ्वी के आंतरिक भागों से ताप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को भू-तापीय ऊर्जा कहते हैं।



बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक


प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-सा खनिज अपक्षयित पदार्थ के अवशिष्ट भार को त्यागता हुआ चट्टानों के अपघटन से बनता है?


(क) कोयला


(ख) बॉक्साइट


 (ग) सोना


(घ) जस्ता


उत्तर-


(ख) बॉक्साइट




प्रश्न 2.झारखंड में स्थित कोडरमा निम्नलिखित से किस खनिज का अग्रणी उत्पादक है?



(क) बॉक्साइट


(ख) अभ्रक


(ग) लौह-अयस्क


(घ) ताँबा


उत्तर


(ख) अभ्रक


प्रश्न 3.निम्नलिखित चट्टानों में से किस चट्टान के स्तरों में खनिजों का निक्षेपण और संचयन होता है?


(क) तलछटी चट्टानें


(ख) आग्नेय चट्टानें


(ग) कायांतरित चट्टानें


(घ) इनमें से कोई नहीं



उत्तर-


(क) तलछटी चट्टानें


प्रश्न 4.झरिया प्रसिद्ध है


(क) लौह-अयस्क के लिए


(ख) कोयला के लिए


(ग) ताँबा के लिए


(घ) बॉक्साइट के लिए



उत्तर

(ख) कोयला के लिए



प्रश्न 5.निम्नलिखित में से कौन-सा गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत है


(क) कोयला


(ख) पेट्रोलियम


(ग) सौर ऊर्जा


(घ) प्राकृतिक गैस



उत्तर

 (ग) सौर ऊर्जा



प्रश्न 6.भारत में पवन ऊर्जा का विशाल केन्द्र कहाँ स्थित है?


(क) उत्तराखण्ड


(ख) तमिलनाडु


(ग) हिमाचल प्रदेश


(घ) राजस्थान


उत्तर- (ख) तमिलनाडु


प्रश्न 7.'अंकलेश्वर' किसके उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है?



(क) पेट्रोलियम


 (ख) ताँबा


(ग) जस्ता


(घ) यूरेनियम


उत्तर-


(क) पेट्रोलियम


प्रश्न 8."मुम्बई-हाई" प्रसिद्ध है



(क) तेल-शोधक कारखानों के लिए


(ख) फिल्मी सिटी के लिए 


(ग) गेट-वे ऑफ इंडिया के लिए


(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं


उत्तर-


(क) तेल-शोधक कारखानों के लिए


अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 2 अंक




प्रश्न 1. रैट होल खनन क्या है?


उत्तर- जोवाई व चेरापूँजी में कोयले का खनन परिवार के सदस्य द्वारा एक लंबी संकीर्ण सुरंग के रूप में किया जाता है, जिसे रैट होल खनन कहते हैं।


प्रश्न 2. पेट्रोलियम कौन-सी चट्टानों में पाया जाता है? पेट्रोलियम उत्पादन क्षेत्रों को बताइए। 


उत्तर पेट्रोलियम सरंध्र और असरंध्र चट्टानों के बीच भ्रंश ट्रैप में भी पाया जाता है। भारत में मुम्बई हाई, गुजरात और असम प्रमुख पेट्रोलियम उत्पदक क्षेत्र हैं।


प्रश्न 3. बायोगैस कैसे उत्पन्न होती है?


उत्तर- ग्रामीण इलाकों में झाड़ियों, कृषि अपशिष्ट, पशुओं और मानव जनित अपशिष्ट के उपयोग से घरेलू उपयोग हेतु बायोगैस उत्पन्न की जाती है।


प्रश्न 4. खेतड़ी कहाँ स्थित है? यह क्यों प्रसिद्ध है? 


उत्तर- खेतड़ी राजस्थान में स्थित है। यह ताँबा खनन के लिए प्रसिद्ध है।


प्रश्न 5. भारत को किस ऊर्जा में महाशक्ति का दर्जा प्राप्त है? भारत में यह ऊर्जा किस क्षेत्र में स्थापित है?


उत्तर भारत को अब विश्व में 'पवन महाशक्ति' का दर्जा प्राप्त है। भारत में पवन ऊर्जा फार्म के विशालतम पेटी तमिलनाडु में नागरकोइल से मदुरई तक अवस्थित है। इसके अतिरिक्त आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र और लक्षद्वीप में भी महत्त्वपूर्ण पवन ऊर्जा फार्म हैं।


प्रश्न 6 कोडरमा किस राज्य में स्थित है? यह किस खनिज से सम्बन्धित है?


 उत्तर कोडरमा झारखण्ड राज्य में स्थित है। यह अभ्रक से सम्बन्धित है।


प्रश्न 7. भारत के परमाणु संयंत्रों के नाम बताइए।


या भारत के दो आणविक ऊर्जा केन्द्रों के नाम लिखिए। 


उत्तर- भारत के प्रमुख परमाणु संयंत्रों में काकरापारा (गुजरात), तारापुर (महाराष्ट्र), रावतभाटा (राजस्थान), नरौरा (उत्तर प्रदेश), कैगा (कर्नाटक),कलपक्कम (तमिलनाडु) प्रमुख हैं।


प्रश्न 8. जल विद्युत और ताप विद्युत में दो अंतर बताइए। उत्तर- जल विद्युत और ताप विद्युत में दो अंतर


क्रम


ताप विद्युत

जल विद्युत

(i)यह प्रदूषण युक्त होती है।

यह प्रदूषण रहित होती है।

(ii) यह कोयला, खनिज तेल, यूरेनियम  के प्रयोग से बनाई जाती है।


इसका मुख्य साधन जल हैं, जिसे ऊँचाई से गिराकर विद्युत पैदा की जाती है।






प्रश्न 9. खनिज क्या हैं?


उत्तर- खनिज उन प्राकृतिक साधनों को कहते हैं जो शैलों से प्राप्त होते हैं। भू-वैज्ञानिकों के अनुसार खनिज एक प्राकृतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्त्व है जिसकी एक निश्चित आंतरिक संरचना है। खनिज प्रकृति में अनेक रूपों में पाए जाते हैं जिसमें कठोर, ठोस एवं नरम चूना तक शामिल है।


प्रश्न 10. धात्विक खनिज किसे कहते हैं? ऐसे दो खनिजों के नाम लिखिए।


उत्तर- जिन खनिजों से धातु प्राप्त होती है, जिनमें चमक होती है तथा जिनको कूट-पीटकर चादरों के रूप में ढाला जा सकता है और तारों के रूप में खींचा जा सकता है, धात्विक खनिज कहलाते हैं; जैसे—लोहा, सोना आदि।



प्रश्न 11. ऊर्जा के परम्परागत स्रोत किसे कहते हैं? भारत में खनिज तेल के दो क्षेत्रों के नाम दीजिए।


उत्तर ऊर्जा के वे स्रोत जिनका उपयोग प्राचीन काल से किया जा रहा है, उत्त ऊर्जा के परम्परागत स्रोत कहलाते हैं। इन स्रोतों में लकड़ी, उपले, कोयला, मैंगन पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा विद्युत आदि सम्मिलित हैं। भारत में मुम्बई हाई, गुजरात और असम प्रमुख खनिज तेल क्षेत्र हैं।


लघु उत्तरीय प्रश्न 3 अंक


प्रश्न 1. खनिजों के सतत् पोषणीय उपयोग से किन्हीं तीन मूल्यों की व्याख्या कीजिए।



उत्तर- खनिज सीमित मात्रा में पाए जाते हैं इसलिए इसका उपयोग करते समय सतत् पोषणीय उपयोग पर बल देना चाहिए। इसके लिए इन तीन मूल्यों पर ध्यान देना चाहिए


(i) उन्हीं खनिज संसाधनों का अधिक उपयोग करना चाहिए जिसका पुन: उपयोग किया जा सके; जैसे-लोहा, ताँबा, बॉक्साइट आदि।


(ii) खनिज संसाधनों का इस तरह से उपयोग किया जाना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ियों को दिक्कत का सामना न करना पड़े।


(iii) खनिज का किफायत से उपयोग किया जाना चाहिए, क्योंकि इसके एक बार खत्म होने पर इसे बनने में लाखों करोड़ों वर्ष लग जाते हैं।


 प्रश्न 2.भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बायोगैस उत्पन्न करने के महत्त्व के किन्हीं पाँच बिंदुओं को स्पष्ट कीजिए।


उत्तर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बायोगैस उत्पन्न करने के निम्नलिखित महत्त्व हैं।


(i) ग्रामीण इलाकों में झाड़ियों, कृषि अपशिष्ट, पशुओं और मानव जनित अपशिष्ट के उपयोग से घरेलू उपभोग हेतु बायोगैस उत्पन्न की जाती है।


(ii) जैविक पदार्थों के अपघटन से गैस उत्पन्न होती है, जिसकी तापीय सक्षमता मिट्टी के तेल, उपलों व चारकोल की अपेक्षा अधिक होती है।


(iii) बायोगैस संयंत्र नगरपालिका, सहकारिता तथा निजी स्तर पर लगाये जाते हैं।


(iv) पशुओं के गोबर से उत्पन्न बायो गैस से किसानों को दो तरह से लाभ मिलता है। एक ऊर्जा के रूप में और दूसरा उन्नत प्रकार के उर्वरक के रूप में।


(v) बायोगैस अब तक पशुओं के गोबर का प्रयोग करने में सबसे दक्ष है। यह उर्वरक की गुणवत्ता को बढ़ाता है और उपलों तथा लकड़ी को जलाने से होने वाले वृक्षों के नुकसान को रोकता है।





प्रश्न 3. धात्विक और अधात्विक खनिजों में अंतर स्पष्ट कीजिए।


उत्तर- धात्विक और अधात्विक खनिजों में अंतर


क्रम

धात्विक खनिज

अधात्विक खनिज

i

धात्विक खनिज विद्युत के सुचालक होते हैं

अधात्विक खनिज विद्युत के कुचालक होते हैं।

ii

धात्विक खनिज चमकदार होते हैं तथा उन पर पॉलिश की जा सकती है।


अधात्विक खनिज चमकदार नहीं होते और न ही उन पर पॉलिश होती है।

iii

धात्विक खनिज ठोस अवस्था में होते हैं।

अधात्विक खनिज ठोस, द्रव या गैस तीनों अवस्था में हो सकते हैं।



प्रश्न4. भारत में मैंगनीज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन-सा है? मैंगनीज के किन्हीं चार उपयोगों का उल्लेख कीजिए। 


उत्तर भारत में मैंगनीज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य उड़ीसा (ओडिशा) है।


मैंगनीज का उपयोग


(i) मैंगनीज मुख्य रूप से इस्पात के विनिर्माण में किया जाता है।


(ii) ब्लीचिंग पाउडर


(iii) कीटनाशक दवाएँ


(iv) रंग-रोगन और पेंट बनाने में इसका उपयोग किया जाता है।


प्रश्न5. भारत की सबसे दक्षिणी लौह-अयस्क की पेटी की कोई तीन विशेषताएँ लिखिए।


उत्तर भारत की सबसे दक्षिणी लौह अयस्क पेटी बेलारी-चित्रदुर्ग, चिकमंगलूर-तुमकूर पेटी है। इसकी तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं—


(i) कर्नाटक की इस पेटी में लौह-अयस्क की वृहत राशि संचित है।


 (ii) कर्नाटक में पश्चिमी घाट में अवस्थित कुद्रमुख की खानें शत-प्रतिशत निर्यात इकाई हैं।


(iii) कुद्रमुख निक्षेप संसार के सबसे बड़े निक्षेपों में से एक माने जाते हैं। 



प्रश्न 6. अधात्विक खनिज किसे कहते हैं? ऐसे दो खनिजों के नाम लिखिए।



उत्तर- वे खनिज जिनसे धातु प्राप्त नहीं होती है, अधात्विक खनिज कहलाते हैं। इन खनिजों में चमक नहीं होती है तथा कूटने-पीटने पर ये टूट जाते हैं। उदाहरण-अभ्रक, कोयला तथा संगमरमर आदि।


प्रश्न 7. भारत में पेट्रोलियम के वितरण का वर्णन कीजिए।


उत्तर भारत में अधिकांश पेट्रोलियम की उपस्थिति टर्शियरी युग की शैल संरचनाओं के अपनति व भ्रंश ट्रैप में पाई जाती है। वलन, अपनति और गुंबदों वाले प्रदेशों में यह वहाँ पाया जाता है जहाँ उद्धलन के शीर्ष में तेल ट्रैप हुआ होता है। तेल धारक परत सरंध्र चूना पत्थर या बालू पत्थर होता है जिसमें से तेल प्रवाहित हो सकता है। पेट्रोलियम सरंध्र और असरंध्र चट्टानों के बीच भ्रंश ट्रैप ह में भी पाया जाता है। भारत में कुल पेट्रोलियम उत्पादन का 63 प्रतिशत भाग मुंबई हाई से, 18 प्रतिशत गुजरात से और 16 प्रतिशत असम से प्राप्त होता है। अंकलेश्वर गुजरात का सबसे महत्त्वपूर्ण तेल क्षेत्र है। असम भारत का सबसे पुराना तेल उत्पादक राज्य है। डिगबोई, नहरकटिया और मोरन-हुगरीजन इस स राज्य के महत्त्वपूर्ण तेल उत्पादक क्षेत्र हैं।




प्रश्न 8. भू-तापीय ऊर्जा किसे कहते हैं? इसका प्रयोग कैसे किया जा सकता है?



उत्तर- पृथ्वी के आंतरिक भागों से ताप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को भू-तापीय ऊर्जा कहते हैं। भू-तापीय ऊर्जा इसलिए अस्तित्व में होती है, क्योंकि बढ़ती गहराई के साथ पृथ्वी प्रगामी ढंग से तप्त होती जाती है। जहाँ भी भू-तापीय प्रवणता अधिक होती है वहाँ उथली गहराइयों पर भी अधिक तापमान पाया जाता है। ऐसे क्षेत्रों में भूमिगत जल चट्टानों से ऊष्मा का अवशोषण कर तप्त हो जाता है। यह इतना तप्त हो जाता है कि यह पृथ्वी की सतह की ओर उठता है तो यह भाप में परिवर्तित हो जाता है। इसी भाप का उपयोग टरबाइन को चलाने और विद्युत उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। भू-तापीय ऊर्जा के दोहन के लिए भारत में दो प्रायोगिक परियोजनाएँ शुरू की गई हैं। एक हिमाचल प्रदेश में मणिकरण के निकट पार्वती घाटी में स्थित है तथा प्रश दूसरी लद्दाख में पूगा घाटी में स्थित है।



प्रश्न 9.'बॉम्बे हाई' क्यों प्रसिद्ध है? देश के आर्थिक विकास में इसका क्या योगदान है?


उत्तर  स्वाधीनता के पश्चात् अपतटीय क्षेत्रों में तेल तथा प्राकृतिक गैस मिलने की अपार सम्भावनाएँ व्यक्त की गईं। फलस्वरूप मुम्बई तट से 115 किमी दूर और वड़ोदरा से 80 किमी दक्षिण में अरब सागर में पेट्रोल के विशाल भण्डारों का पता चला जिसे तेल क्षेत्र में बॉम्बे (मुम्बई) हाई के नाम से जाना जाता है। यह भारत का सबसे बड़ा अपतटीय तेल क्षेत्र है, जो 143 हजार वर्ग किमी क्षेत्रफल में विस्तृत है। यहाँ तेल 1,416 मीटर की गहराई से निकाला जाता है तथा जापान से आयात किए गए सागर सम्राट नामक विशाल जलयान द्वारा सन् 1974 ई. से तेल का उत्पादन किया जा रहा है। ओएनजीसी के रिकॉर्ड के अनुसार यहाँ 125 कुओं से तेल का उत्पादन किया जा रहा है। यहाँ लगभग 262 लाख टन खनिज तेल का उत्पादन किया जाता है।


इस प्रकार तेल उत्पादन क्षेत्र में बॉम्बे हाई का देश के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।


प्रश्न 10. भारत में पाए जाने वाले लौह-अयस्क पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।


 उत्तर भारत में लौह-अयस्क के विशाल भंडार पाए जाते हैं। इसे तीन भागों में बाँटा जाता है


1. मैग्नेटाइट - यह सर्वोत्तम प्रकार का लौह-अयस्क है। इसमें 70 प्रतिशत लोहांश पाया जाता है। इसमें सर्वश्रेष्ठ चुम्बकीय गुण होते हैं जो विद्युत उद्योगों में विशेष रूप से उपयोगी हैं।


 2. हेमेटाइट – यह सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक लौह-अयस्क है।इसका अत्यधिक उपयोग होता है। इसमें लोहांश की मात्रा 50 से 60 प्रतिशत होती है। 


3. लिग्नेटाइट – यह अति निम्नकोटि का लौह-अयस्क है। इसमें लोहांश की मात्रा 30 से 40 प्रतिशत होती है। 


प्रश्न 11. निम्नलिखित में अंतर 30 शब्दों में बताइए


(क) लौह और अलौह खनिज,


 (ख) परंपरागत तथा गैर-परंपरागत ऊर्जा संसाधन



उत्तर- (क) लौह और अलौह खनिज-वे खनिज जिनमें लोहे का अंश अधिक होता है, लौह खनिज कहलाते हैं, 


जैसे— लौह-अयस्क, मैंगनीज, निकल व कोबाल्ट आदि। जिन खनिजों में लोहे का अंश नहीं होता या बहुत कम होता है, अलौह खनिज कहलाते हैं, जैसे- सोना, चाँदी, प्लेटिनम आदि ।



 (ख) परंपरागत तथा गैर-परंपरागत ऊर्जा संसाधन– कोयला, तेल और । प्राकृतिक गैस से उत्पन्न की गई ताप विद्युत, जल विद्युत और परमाणु शक्ति आदि ऊर्जा के परंपरागत साधन हैं। इन साधनों का नवीकरण नहीं किया जा न सकता। ये स्रोत सीमित तथा लगातार प्रयोग से समाप्त होने के कगार पर है। सूर्य, वायु, ज्वार-भाटे, जियो-थर्मल, बायो गैस, खेतों और पशुओं का कूड़ा करकट, मनुष्य का मलमूत्र आदि ऊर्जा के गैर, परंपरागत साधन हैं। ये साधन नवीकरण योग्य हैं। इनका बार-बार प्रयोग किया जा सकता है।



प्रश्न 12. आग्नेय तथा कायांतरित चट्टानों में खनिजों का निर्माण कैसे होता है?


उत्तर आग्नेय तथा कायांतरित चट्टानों में खनिज दरारों, जोड़ों, भ्रंशों व विवरों में मिलते हैं। छोटे जमाव शिराओं के रूप में और वृहत् जमाव परत के रूप में पाए जाते हैं। इनका निर्माण भी अधिकतर उस समय होता है जब ये तरल अथवा गैसीय अवस्था में दरारों के सहारे भू-पृष्ठ की ओर धकेले जाते हैं। ऊपर आते हुए ये ठंडे होकर जम जाते हैं। मुख्य धात्विक खनिज; जैसे— जस्ता, ताँबा, जिक और सीसा आदि इसी तरह शिराओं व जमावों के रूप में प्राप्त होते हैं।


प्रश्न 13. हमें खनिजों के संरक्षण की क्यों आवश्यकता है? 


या खनिज संरक्षण की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।


 उत्तर- वर्तमान औद्योगिक युग में विभिन्न प्रकार के खनिजों का भारी प्रयोग किया जाने लगा है। खनिज निर्माण की भूगर्भिक प्रक्रियाएँ इतनी धीमी हैं कि उनके वर्तमान उपभोग की दर की तुलना में उनके पुनर्भरण की दर अपरिमित रूप से थोड़ी है। इसलिए खनिज संसाधन सीमित तथा अनवीकरण योग्य हैं। ना समृद्ध खनिज निक्षेप हमारे देश की मूल्यवान संपत्ति हैं लेकिन ये अल्पजीवी हैं। र्ग अयस्क के सतत उत्खनन की गहराई बढ़ने के साथ उनकी गुणवत्ता घटती जाती है। इसलिए खनिजों के संरक्षण की आवश्यकता है। इसके लिए खनिजों का न सुनियोजित एवं सतत् पोषणीय ढंग से प्रयोग करना होगा।



 खनिज संरक्षण की विधि


(i) खनन तथा संसाधन की प्रक्रियाओं में होने वाली बर्बादी को कम-से-कम करने के प्रयत्न किए जाने चाहिए।


 (ii) खनिजों को बचाने के लिए उनके स्थान पर वस्तुओं के उपयोग के बारे में सोचना चाहिए।


(iii) उन खनिज संसाधनों का ही अधिक उपयोग किया जाना चाहिए जो पुन: उपयोगी हों और अधिक मात्रा में उपलब्ध हों; जैसे- लोहा आदि।




दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 6 अंक




प्रश्न 1. भारत में लौह-अयस्क के वितरण पर प्रकाश डालिए।


या भारत में लौह अयस्क के उत्पादन पर संक्षेप में लिखिए। 


उत्तर लौह-अयस्क एक महत्त्वपूर्ण खनिज है तथा औद्योगिक विकास की रीढ़ है। भारत में लौह-अयस्क के विपुल संसाधन विद्यमान हैं। मैग्नेटाइट सर्वोत्तम प्रकार का लौह-अयस्क है जिसमें 70% लोहांश पाया जाता है। हेमेटाइट सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक लौह-अयस्क है जिसका अधिकतम मात्रा में उपभोग हुआ है। भारत में लौह-अयस्क की पेटियाँ निम्नवत् हैं—


1. उड़ीसा झारखंड पेटी-उड़ीसा (अब ओडिशा) में उच्चकोटि का हेमेटाइट किस्म का लौह-अयस्क मयूरभंज व केंदूझर जिलों में बादाम पहाड़ी खदानों से निकाला जाता है। झारखंड के सिंहभूम जिले में हेमेटाइट-अयस्क का खनन किया जाता है।


2. दुर्ग- बस्तर- चन्द्रपुर पेटी-यह पेटी महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ राज्यों के अंतर्गत पाई जाती है। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में बेलाडिला पहाड़ी शृंखलाओं में अति उत्तमकोटि का हेमेटाइट पाया जाता है। इन खदानों का लौह-अयस्क विशाखापट्टनम् पत्तन से जापान तथा दक्षिण कोरिया को निर्यात किया जाता है।


3. बेलारी-चित्रदुर्ग, चिकमंगलूर-तुमकुर पेटी- कर्नाटक की इस पेटी में लौह-अयस्क की वृहत् राशि संचित है। कर्नाटक में पश्चिमी घाट में अवस्थित कुद्रेमुख की खानें शत-प्रतिशत निर्यात इकाइयाँ हैं।


4. महाराष्ट्र-गोआ पेटी-यह पेटी गोवा तथा महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरी जिले में स्थित है। यद्यपि यहाँ का लोहा उत्तम प्रकार का नहीं है तथापि इसका दक्षता से दोहन किया जाता है। मर्मागाओ पत्तन से इसका निर्यात किया जाता है।


प्रश्न 2. भारत में अलौह खनिजों के वितरण को समझाइए।


उत्तर अलौह खनिजों में ताँबा, बॉक्साइट, सीसा और सोना आते हैं। भारत में अलौह खनिजों की संचित राशि व उत्पादन अधिक संतोषजनक नहीं है। भारत में ताँबे के भंडार व उत्पादन न्यून हैं। ताप का सुचालक होने के कारण ताँबे का उपयोग मुख्यतः बिजली के तार बनाने, इलेक्ट्रॉनिक्स और रसायन उद्योगों में किया जाता है। मध्य प्रदेश की बालाघाट खदानें देश का लगभग 52 प्रतिशत ताँबा उत्पन्न करती हैं। झारखंड का सिंहभूम तथा राजस्थान की खेतड़ी खदानें भी ताँबे के लिए प्रसिद्ध थीं।


ऐलुमिनियम बॉक्साइट से प्राप्त होता है। यह एक महत्त्वपूर्ण धातु है क्योंकि यह लोहे जैसी शक्ति के साथ-साथ अत्यधिक हल्का एवं सुचालक भी होता है। भारत में बॉक्साइट के निक्षेप मुख्यतः अमरकंटक पठार, मैकाल पहाड़ियों तथा बिलासपुर-कटनी के पठारी प्रदेशों में पाए जाते हैं। ओडिशा भारत का सबसे बड़ा बॉक्साइट उत्पादक राज्य है। यहाँ कोरापुट जिले में पंचपतमाली निक्षेप राज्य के सबसे महत्त्वपूर्ण बॉक्साइट निक्षेप हैं।


प्रश्न 3. ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोतों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए। 


या ऊर्जा के गैर-परम्परागत चार स्रोतों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।



या ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्रोत किसे कहते हैं? भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य कैसा है?



उत्तर- ऊर्जा के वे साधन जो एक बार प्रयोग करने पर समाप्त नहीं होते और जिनकी पुन: पूर्ति संभव है, गैर-परंपरागत या नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं, 


जैसे—सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा तथा जैविक ऊर्जा आदि।


1. सौर ऊर्जा- भारत एक उष्ण कटिबंधीय देश है। यहाँ सौर ऊर्जा के दोहन की असीम संभावनाएँ हैं। फोटोवोल्टाइक प्रौद्योगिकी द्वारा धूप को सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जाता है। भारत के ग्रामीण तथा सुदूर क्षेत्रों में सौर ऊर्जा तेजी से लोकप्रिय हो रही है। भारत का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र भुज के निकट माधोपुर में स्थित है।


2. पवन ऊर्जा - पवन ऊर्जा का प्रयोग पानी बाहर निकालने, खेतों में सिंचाई करने और बिजली पैदा करने के लिए किया जाता है। वायु ऊर्जा का प्रयोग गुजरात, तमिलनाडु, ओडिशा और महाराष्ट्र में किया जाता है।


3. बायोगैस- ग्रामीण इलाकों में झाड़ियों, कृषि-अपशिष्ट, पशुओं और मानवजनित अपशिष्ट के उपयोग से घरेलू उपयोग हेतु बायोगैस उत्पन्न की जाती है। बायोगैस संयंत्र नगरपालिका, सहकारिता तथा निजी स्तर पर लगाए जाते हैं।


4. ज्वारीय ऊर्जा-महासागरीय तरंगों का प्रयोग विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है। सँकरी खाड़ी के आर-पार बाढ़ द्वार बनाकर बाँध बनाए जाते हैं। उच्च ज्वार में इस सँकरी खाड़ीनुमा प्रवेशद्वार से पानी भीतर भर जाता है और द्वार बंद होने पर बाँध में ही रह जाता है। बाढ़ द्वार के बाहर ज्वार उतरने पर बाँध के पानी को इसी रास्ते पाइप द्वारा समुद्र की ओर बहाया जाता है जो ऊर्जा उत्पादक टरबाइन की ओर ले जाता है। इससे विद्युत बनती है।



5. भू-तापीय ऊर्जा - पृथ्वी के आंतरिक भागों से ताप का प्रयोग कर मी उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को भू-तापीय ऊर्जा कहते हैं। भू-तापीय ऊर्जा के दोहन के लिए लद्दाख तथा हिमाचल प्रदेश में दो प्रायोगिक परियोजनाएँ शुरू की गई हैं।



6. जियो थर्मल ऊर्जा - हिमाचल प्रदेश में गर्म पानी के चश्मों से ये पैदा से की जाती है। इसका प्रयोग ठंडे भंडार केंद्रों में किया जाता है। 




प्रश्न 4. भारत में कोयले के वितरण का वर्णन कीजिए।



उत्तर- मानव के विकास में कोयले का विशेष महत्त्व है। कोयले के चार प्रकार हैं



1. पीठ- इसमें कम कार्बन, नमी की अधिक मात्रा व निम्न ताप क्षमता होती है।


2. लिग्नाइट-—यह निम्नकोटि का भूरा कोयला होता है। यह मुलायम होने के साथ अधिक नमीयुक्त होता है। 


3. बिटुमिनस-गहराई में दबे तथा अधिक तापमान से प्रभावित कोयले को बिटुमिनस कोयला कहा जाता है।


4. एंथेसाइट- यह सबसे उत्तम प्रकार का कोयला होता है जिसमें कार्बन की मात्रा 80 प्रतिशत से अधिक होती है। यह ठोस काला व कठोर होता कोयले के भारत में विस्तृत भंडार हैं। 



भारत में कोयला दो प्रमुख भूगर्भिक युगो के शैल क्रम में पाया जाता है। एक गोंडवाना जिसकी आयु 200 लाख वर्ष से कुछ अधिक हैं और दूसरा टर्शियरी निक्षेप जो लगभग 55 लाख वर्ष पुराने हैं। गोंडवाना कोयला, जो धातुशोधन कोयला है, के प्रमुख संसाधन दामोदर घाटी (प. बंगाल तथा झारखंड), झरिया, रानीगंज, बोकारो में स्थित हैं जो महत्त्वपूर्ण कोयला क्षेत्र हैं। गोदावरी, महानदी, सोन व वर्धा नदी घाटियों में भी कोयले के जमाव पाए जाते हैं। टर्शियरी कोयला क्षेत्र उत्तर-पूर्वी राज्यों-मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश व नागालैंड में पाया जाता है।



प्रश्न 5. भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल है। क्यों?


उत्तर भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य बहुत उज्ज्वल है जिसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं


(i) भारत एक उष्ण कटिबंधीय देश है। यहाँ सौर ऊर्जा के दोहन की असीम संभावनाएँ हैं। एक अनुमान के अनुसार यह लगभग 20 मेगावाट प्रति वर्ग किलोमीटर प्रतिवर्ष है।


(ii) भारत में फोटोवोल्टाइक तकनीक द्वारा धूप को सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जाता है।


(iii) भारत का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र भुज के निकट माधोपुर में स्थित है, जहाँ सौर ऊर्जा से दूध के बड़े बर्तनों को कीटाणुमुक्त किया जाता है।


(iv) सूर्य का प्रकाश प्रकृति का मुख्य उपहार है। इसलिए निम्न वर्ग के लोग आसानी से सौर ऊर्जा का लाभ उठा सकते हैं।


(v) कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि ऊर्जा के ऐसे स्रोत हैं जो एक बार प्रयोग के बाद दोबारा प्रयोग में नहीं लाए जा सकते, वही सौर ऊर्जा नवीकरणीय संसाधन हैं। इसे बार-बार प्रयोग में लाया जा सकता है।


(vi) ऐसी अपेक्षा है कि सौर ऊर्जा के प्रयोग से घरों में उपलों तथा लकड़ी पर निर्भरता को न्यूनतम किया जा सकेगा। फलस्वरूप यह पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगा और कृषि में भी खाद्य की पर्याप्त आपूर्ति होगी


(vii) सौर ऊर्जा का प्रयोग हम अनेक प्रकार से कर सकते हैं; जैसे-खाना बनाने, पंप द्वारा जल निकालने, पानी को गरम करने, दूध कीटाणुरहित बनाने तथा सड़कों पर रोशनी करने आदि के लिए।



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