यूपी बोर्ड कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान अध्याय 10 सत्ता की साझेदारी
class 10 social science chapter 10 full solution notes in hindi
सत्ता की साझेदारी(नागरिक शास्त्र)
याद रखने योग्य मुख्य बिन्दु
1. बेल्जियम यूरोप का एक छोटा देश है जो क्षेत्रफल में हमारे हरियाणा राज्य से भी छोटा है। इसकी सीमाएँ नीदरलैण्ड, फ्रांस, जर्मनी और लक्समबर्ग से लगती हैं। इसकी आबादी एक करोड़ से थोड़ी अधिक है यानी हरियाणा की आबादी से करीब आधी।
2. बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स है जहाँ 80 फीसदी लोग फ्रेंच बोलते हैं और 20 फीसदी लोग डच भाषा।
3.श्रीलंका एक द्वीपीय देश है जो तमिलनाडु के दक्षिणी तट से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसकी आबादी करीब दो करोड़ है यानी हरियाणा के बराबर।
4.श्रीलंका के सामाजिक समूह में 74 फीसदी सिंहलियों का है तथा तमिलों की संख्या 18 फीसदी है। श्रीलंका की आबादी में ईसाई लोगों का हिस्सा 7 फीसदी है और वे सिंहली और तमिल दोनों भाषाएँ बोलते हैं।
5.1948 में श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र बना। सिंहली समुदाय के नेताओं ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाना चाहा। 1956 में एक कानून बनाया गया जिसके तहत तमिल को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राज्यभाषा घोषित कर दिया गया।
6.विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता देने की नीति भी चली। नए संविधान में यह प्रावधान भी किया गया कि सरकार बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा देगी।
7.लेबनान में एक नियम के अनुसार देश का राष्ट्रपति मैरोनाइट पंथ का कोई कैथोलिक ही होना चाहिए। सिर्फ सुन्नी मुसलमान ही प्रधानमंत्री हो सकता है।
8.उपप्रधान मंत्री का पद आर्थोडॉक्स ईसाई और संसद के अध्यक्ष का पद शिया मुसलमान के लिए तय हुआ।
9.लोकतंत्र का एक बुनियादी सिद्धान्त है कि जनता ही सारी राजनीतिक शक्ति का स्रोत है।
10.उस लोकतंत्र को ही अच्छा माना जाता है जिसमें ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को राजनीतिक सत्ता में हिस्सेदार बनाया जाए।
महत्त्वपूर्ण शब्दावली
जातीय या एथनिक- ऐसा सामाजिक विभाजन जिसमें हर समूह अपनी-अपनी संस्कृति को अलग मानता है, अर्थात् साझी संस्कृति पर आधारित सामाजिक विभाजन है।
डिली-श्रीलंका में रहने वाला बहुसंख्यक प्रमुख जातीय समूह जो सिंहलियों का है और जिनकी आबादी कुल जनसंख्या का 74 प्रतिशत है।
सामुदायिक सरकार—यह एक ऐसी सरकार है जो बेल्जियम में काम करती है। इसका चुनाव एक ही भाषा बोलने वाले लोग करते हैं। डच, फ्रेंच और जर्मन बोलने वाले समुदायों के लोग चाहे वे जहाँ भी रहते हों, इस सरकार को चुनते हैं। इस सरकार को संस्कृति, शिक्षा और भाषा जैसे मसलों पर फैसला लेने का अधिकार है।
लोकतंत्र–एक ऐसी शासन व्यवस्था जिसके केन्द्र में लोग हो अर्थात् लोगों के द्वारा बनाई सरकार, जो लोगों के हितों के लिए काम करेगी तथा लोगों की इच्छा तक ही बनी रहेगी, लोकतंत्र कहलाती है।
सत्ता की साझेदारी किसी देश में शासन करने की शक्ति का समाज के अलग-अलग समुदायों वर्गों या लोगों में बँटवारा सत्ता की साझेदारी कहलाता है।
केंद्रीय सरकार—पूरे देश के लिए बनने वाली एक सामान्य सरकार को केंद्र सरकार या संघ सरकार कहते हैं।
दबाव समूह – जब विभिन्न आर्थिक हितों के संगठन अपने हितों की पूर्ति के लिए सरकार पर दबाव डालते हैं तो ये हित समूह, दबाव समूह कहलाते हैं। ये अपने हित में सार्वजनिक नीतियों को प्रभावित करने की चेष्टा करते हैं।
क्षैतिज वितरण शासन के विभिन्न अंगों, जैसे-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा होता है, जिसे सत्ता का क्षैतिज
वितरण कहते हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक
प्रश्न 1.बेल्जियम की राजधानी क्या है?
(क) ब्रूसेल्स
(ख) ब्राजील
(ग) बैंकाक
(घ) न्यूयॉर्क
उत्तर (क) ब्रूसेल्स
प्रश्न 2. बेल्जियम में किस प्रकार की सरकार है?
(क) सामूहिक सरकार
(ख) सामुदायिक सरकार
(घ) एकपक्षीय सरकार
(ग) राजतंत्र
उत्तर- (ख) सामुदायिक सरकार
प्रश्न 3.श्रीलंका एक ……... देश है।
(क) प्रायद्वीपीय
(ख) द्वीपीय
(ग) सीमान्त
(घ) प्रांतीय
उत्तर- (ख) द्वीपीय
प्रश्न 4. श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र कब घोषित हुआ?
(क) 1947 में
(ख) 1950 में
(ग) 1948 में
(घ) 1945 में
उत्तर
(ग) 1948 में
प्रथा 5. श्रीलंका ने 1956 में किस भाषा को कानून बनाकर एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया?
(क) सिंहली
(ख) तमिल
(ग) बंगाली
(घ) पंजाबी
उत्तर-
(क) सिंहली
प्रश्न 6. देश की अखण्डता तथा एकता के लिए क्या आवश्यक है?
(क) सत्ता की साझेदारी
(ख) सत्ता का विभाजन
(घ) इनमें से कोई नहीं
(ग) राजतंत्र
उत्तर
(क) सत्ता की साझेदारी
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 2 अंक
प्रश्न 1. 1956 में श्रीलंका में एक कानून बनाया गया। इस कानून के तहत तमिल लोगों के साथ किस तरह का भेदभाव किया गया?
उत्तर- श्रीलंका में एक कानून के तहत तमिल भाषा को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया। विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता दी गई। बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा दिया गया।
प्रश्न 2. बेल्जियम में सामुदायिक सरकार का चुनाव कैसे होता है?
उत्तर- डच, फ्रेंच और जर्मन बोलने वाले लोग चाहे जहाँ वे रहते हों अपनी भाषा के आधार पर सामुदायिक सरकार का चुनाव करते हैं।
प्रश्न 3. गृहयुद्ध से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- जिस देश में सरकार-विरोधी समूहों की हिंसक लड़ाई ऐसा रूप ले कि वह युद्ध-सा लगे तो उसे गृहयुद्ध कहा जाता है।
प्रश्न 4. एथनीक या जातीय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- ऐसा सामाजिक विभाजन जिसमें हर समूह अपनी-अपनी संस्कृति को अलग मानता है यानी यह साझी संस्कृति पर आधारित सामाजिक विभाजन है।
प्रश्न 5. सत्ता की साझेदारी से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- किसी देश में शासन करने की शक्ति का समाज के अलग-अलग समुदायों, वर्गों या लोगों में बँटवारा सत्ता की साझेदारी कहलाता है।
प्रश्न 6. बहुसंख्यकवाद से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- वह व्यवस्था जिसमें देश में रहने वाला बहुसंख्यक समुदाय अपने मनचाहे ढंग से शासन करे और इसके लिए वह अल्पसंख्यक समुदाय की जरूरत या इच्छाओं की अवहेलना करे बहुसंख्यकवाद कहलाता है।
प्रश्न 7. श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- श्रीलंका के सिंहली समुदाय के नेताओं ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाना चाहा। इस वजह से लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार ने सिंहली समुदाय की प्रभुता कायम करने के लिए अपनी बहुसंख्यक परस्ती के तहत कई कदम उठाए।
प्रश्न 8. वैध सरकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- वह सरकार जो जनता द्वारा चुनी जाती है, वैध सरकार कहलाती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न 3 अंक
प्रश्न 1. सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है? एक तर्क दीजिए।
उत्तर- सत्ता की साझेदारी जरूरी है क्योंकि विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है। ये सामाजिक टकराव हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेते हैं। इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है। बहुसंख्यक समुदाय की इच्छा को बाकी सभी पर थोपना देश की अखंडता के लिए घातक हो सकता है। इसलिए सत्ता की साझेदारी जरूरी है। सत्ता का बँटवारा लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के लिए ठीक है।
प्रश्न 2. युक्तिपरक और नैतिक तर्क में क्या अन्तर है?
उत्तर- युक्तिपरक तर्क को समझदारी का तर्क भी कहा जाता है। इसमें हानि-लाभ का सावधानीपूर्वक हिसाब लगाकर लिया गया फैसला युक्तिपरक तर्क कहलाता है जबकि नैतिक तर्क सत्ता के बँटवारे के अंतर्भूत महत्त्व को बताता है। इसमें विवेक या बुद्धि के आधार पर लाभ-हानि का हिसाब लगाकर फैसला नहीं किया जाता, केवल नैतिकता के आधार पर फैसला किया जाता है; जैसे— सत्ता की साझेदारी से सामाजिक समूहों के बीच टकराव खत्म होगा, ये सत्ता की साझेदारी के पक्ष में युक्तिपरक तर्क है तथा सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र के लिए जरूरी है या इससे लोकतंत्र स्थापित होता है। ये सत्ता की साझेदारी का नैतिक तर्क है।
प्रश्न 3. सामाजिक विविधताओं वाले शासन में सत्ता का बँटवारा किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर- सत्ता का बँटवारा विभिन्न सामाजिक समूहों, मसलन भाषायी और धार्मिक समूहों के बीच हो सकता है। कुछ देशों के संविधान और कानून इस बात का प्रावधान करते हैं कि सामाजिक रूप से कमजोर समुदाय और
महिलाओं को विधायिका और प्रशासन में हिस्सेदारी दी जाए ताकि ये लोग खुद को शासन से अलग न समझने लगे। अल्पसंख्यक समुदायों को भी इसी तरीके ह से सत्ता में उचित हिस्सेदारी दी जाती है। ऐसा करके विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच संभावित टकराव को दूर करने की कोशिश की जाती है। सत्ता के प्र बँटवारे के द्वारा समाज के विभिन्न समूहों में एकता स्थापित करने की कोशिश की जाती है।
प्रश्न 4. भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्तिपरक और एक नैतिक कारण बताइए।
उत्तर भारत में सत्ता का बँटवारा सरकार के विभिन्न स्तरों के बीच हुआ है; जैसे—केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय सरकार।
1. युक्तिपरक कारण-भारत एक घनी आबादी वाला देश है। पूरे देश के लिए एक ही सरकार के द्वारा कानून बनाना, शांति तथा व्यवस्था बनाना संभव नहीं है। इसलिए सरकार को विभिन्न स्तरों में बाँट दिया गया है और उनके बीच कार्यों का बँटवारा संविधान में लिखित रूप से कर दिया गया है, जिससे ये सरकारें बिना झगड़े देश के लोगों के हितों को ध्यान में रखकर शासन कर सकें।
2. नैतिक कारण– लोकतंत्रीय देश में सत्ता का बँटवारा जरूरी है। यदि एक ही प्रकार की सरकार होगी तो वह निरंकुश हो जाएगी, ज्यादा-से-ज्यादा लोगों की भागीदारी शासन में नहीं हो पाएगी जो कि लोकतंत्र के लिए जरूरी है। इसलिए भारत में विभिन्न स्तरों पर सरकारों का वर्गीकरण कर दिया गया है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 6 अंक
प्रश्न 1.श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद तथा इसके प्रभावों का वर्णन कीजिए
उत्तर- सन् 1948 में श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र बना। सिंहली समुदाय के नेताओं ने अपनी अधिक संख्या के बल पर शासन व सत्ता पर प्रभुत्व जमाना चाहा। नवनिर्वाचित लोकतांत्रिक सरकार ने सिंहली समुदाय की प्रभुता कायम करने के लिए कई कदम उठाए, जो इस प्रकार हैं
(i) 1956 में एक कानून बनाया गया जिसके तहत तमिल को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया।
(ii) विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता दी गई।
(iii) नए संविधान में यह प्रावधान भी किया गया कि सरकार बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा देगी।
प्रभाव - इन सरकारी फैसलों ने श्रीलंकाई तमिलों की नाराजगी और शासन के प्रति बेगानेपन को बढ़ाया। उन्हें लगा कि बौद्ध धर्मावलंबी सिंहलियों के नेतृत्व वाली सारी राजनीतिक पार्टियाँ उनकी भाषा और संस्कृति को लेकर असंवेदनशील हैं।
उन्हें लगा कि संविधान और सरकारी नीतियाँ उन्हें राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर रही हैं। नौकरियों आदि में भेद-भाव हो रहा है, उनके हितों की अनदेखी की जा रही है। परिणामत: तमिल और सिंहली समुदायों के संबंध बिगड़ते चले गए।
श्रीलंकाई तमिलों ने अपनी राजनीतिक पार्टियाँ बनाई और तमिल को राजभाषा व बनाने, क्षेत्रीय स्वायत्तता हासिल करने तथा शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की माँग को लेकर संघर्ष किया। 1980 के दशक तक उत्तर-पूर्वी श्रीलंका में स्वतंत्र तमिल ईलम बनाने की माँग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठन बने।
श्रीलंका के दो समुदायों के बीच टकराव ने गृहयुद्ध का रूप धारण कर लिया। परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के हजारों लोग मारे जा चुके हैं। अनेक परिवार अपने मुल्क से भागकर शरणार्थी बन गए हैं, कई गुना लोगों की रोजी-रोटी चौपट हो गई। इस प्रकार बहुसंख्यकवाद के कारण श्रीलंका जो आर्थिक विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में उच्च स्थान पर आता है किन्तु वहाँ के गृहयुद्ध ने मुल्क के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में काफी परेशानियाँ पैदा कर दीं। क हाल ही में एक सैनिक अभियान में लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण की मृत्यु के बाद यह गृहयुद्ध खत्म हो गया है।
प्रश्न 2, विभिन्न दबाव समूह और राजनीतिक दल किस प्रकार सत्ता बँटवारे में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं?
उत्तर- सत्ता के बँटवारे का एक रूप हम विभिन्न प्रकार के दबाव समूह और आंदोलनों द्वारा शासन को प्रभावित और नियंत्रित करने के तरीके में भी लक्ष्य कर सकते हैं। लोकतंत्र में लोग सत्ता के दावेदारों का चुनाव करने के लिए राजनीतिक दलों का गठन करते हैं। ये राजनीतिक दल सत्ता के लिए आपस में
प्रतिस्पर्धा करते हैं। पार्टियों की यह आपसी प्रतिद्वन्द्विता ही इस बात को सुनिश्चित कर देती है कि सत्ता एक व्यक्ति या समूह के हाथ में न रहे। विभिन्न लोकतंत्रीय देशों में सत्ता बारी-बारी से अलग-अलग विचारधारा और सामाजिक समूहों वाली पार्टियों के हाथ में आती-जाती रहती है। बहुदलीय प्रणाली वाले देशों में यह भागीदारी प्रत्यक्ष दिखती है क्योंकि दो या अधिक पार्टियाँ मिलकर सरकार भी बनाती हैं। इस प्रकार राजनीतिक दल सत्ता की भागीदारी में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
लोकतंत्र में हम व्यापारी, उद्योगपति, किसान और औद्योगिक मजदूर जैसे कई संगठित हित समूहों को भी सक्रिय देखते हैं। सरकार की विभिन्न समितियों में सीधी भागीदारी करके या नीतियों पर अपने सदस्य-वर्ग के लाभ के लिए दबाव बनाकर ये समूह भी सत्ता में भागीदारी करते हैं। अमेरिका, ब्रिटेन तथा भारत जैसे देशों में राजनीतिक दल तथा दबाव समूह सत्ता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 3. आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीके क्या हैं? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर
आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अनेक रूप हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं
1. शासन के विभिन्न अंगों के बीच बँटवारा-शासन के विभिन्न अंग;जैसे—विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा रहता है। इसमें सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी-अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं। इसमें कोई भी एक अंग सत्ता का असीमित प्रयोग नहीं करता, हर अंग दूसरे पर अंकुश रखता है। इससे विभिन्न संस्थाओं के बीच सत्ता का संतुलन बना रहता है। इसके सबसे अच्छे उदाहरण अमेरिका व भारत हैं। यहाँ विधायिका कानून बनाती है, कार्यपालिका कानून को लागू करती है तथा न्यायपालिका न्याय करती है। भारत में कार्यपालिका संसद के प्रति उत्तरदायी है, न्यायपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका करती है, न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के कानूनों की जाँच करके उन पर नियंत्रण रखती है।
2. सरकार के विभिन्न स्तरों में बँटवारा-पूरे देश के लिए एक सरकार होती है जिसे केंद्र सरकार या संघ सरकार कहते हैं। फिर प्रांत या क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग सरकारें बनती हैं, जिन्हें अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। भारत में इन्हें राज्य सरकार कहते हैं। इस सत्ता के बँटवारे वाले देशों में संविधान में इस बात का स्पष्ट उल्लेख होता है कि केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता का बँटवारा किस तरह होगा। सत्ता के ऐसे बँटवारे को ऊर्ध्वाधर वितरण कहा जाता है। भारत में केन्द्र और राज्य स्तर के अतिरिक्त स्थानीय सरकारें भी काम करती हैं। इनके बीच सत्ता के बँटवारे के विषय में संविधान में स्पष्ट रूप से लिखा गया है जिससे विभिन्न सरकारों के बीच शक्तियों को लेकर कोई तनाव न हो।
3. विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा—कुछ देशों के संविधान में इस बात का प्रावधान है कि सामाजिक रूप से कमजोर समुदाय और महिलाओं को विधायिका और प्रशासन में हिस्सेदारी दी जाए ताकि लोग स्वयं को शासन से अलग न समझने लगे। अल्पसंख्यक समुदायों को भी इसी तरीके से सत्ता में उचित हिस्सेदारी दी जाती है।बेल्जियम में सामुदायिक सरकार इस व्यवस्था का अच्छा उदाहरण है।
4. राजनीतिक दलों व दबाव समूहों द्वारा सत्ता का बँटवारा — लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्ता बारी-बारी से अलग-अलग विचारधारा और सामाजिक समूहों वाली पार्टियों के हाथ आती-जाती रहती है। लोकतंत्र में हम व्यापारी, उद्योगपति, किसान और औद्योगिक मजदूर जैसे कई संगठित हित समूहों को भी सक्रिय देखते हैं। सरकार की विभिन्न समितियों में सीधी भागीदारी करने या नीतियों पर अपने सदस्य वर्ग के लाभ के लिए दबाव बनाकर ये समूह भी सत्ता में भागीदारी करते हैं। अमेरिका इसका अच्छा उदाहरण है। वहाँ दो राजनीतिक दल प्रमुख हैं जो चुनाव लड़कर सत्ता प्राप्त करना चाहते हैं तथा दबाव समूह चुनावों के समय व चुनाव जीतने के बाद राजनीतिक दलों की आर्थिक मदद करके सार्वजनिक नीतियों को प्रभावित करके सत्ता में भागीदारी निभाते हैं।
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