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12th chemistry biomolecules notes in hindi//कक्षा 12 रसायन विज्ञान चैप्टर 14 जैव अणु नोट्स

 Class 12 chemistry chapter 14 biomolecules (जैव अणु)Notes in hindi 


क्लास 12th रसायन विज्ञान चैप्टर 14. जैव अणु नोट्स पीडीएफ 


क्लास 12th रसायन विज्ञान चैप्टर 14. जैव अणु नोट्स 


जैव अणु नोट्स | Chemistry class 12 chapter 14 notes in Hindi


Class 12 chemistry chapter 14 biomolecule notes in Hindi 

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                   14 जैव अणु


जैव अणु

सन्तुलित भोजन के मुख्य घटक कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन तथा खनिज लवण हैं। ये जैव शरीर की संरचना के आधारभूत अवयव हैं। अतः इन्हें जैव अणु भी कहते हैं। हॉर्मोन तथा न्यूक्लिक अम्ल भी जैव अणु के अन्तर्गत आते हैं।


कार्बोहाइड्रेट


कार्बोहाइड्रेट वृहत् बहुलक अणु हैं। रासायनिक रूप से पॉलिहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड या पॉलिहाइड्रॉक्सी कीटोन तथा वे पदार्थ जो जल-अपघटन पर हाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड एवं हाइड्रॉक्सी कीटोन देते हैं, कार्बोहाइड्रेट कहलाते हैं। कार्बोहाइड्रेट कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन द्वारा संगठित होते हैं।



शर्करा ये वे रंगहीन, क्रिस्टलीय व जल में विलेय ठोस कार्बोहाइड्रेट हैं, जिनका स्वाद मीठा होता है। उदाहरण ग्लूकोस, फ्रक्टोस, माल्टोस, आदि।


मॉलिश परीक्षण


पदार्थ के जलीय विलयन (2 मिली) में 2 मिली मॉलिश अभिकर्मक (एल्फा-नैफ्थॉल का एथिल ऐल्कोहॉल में 10% विलयन) डालकर परखनली को बिना हिलाये बहुत सावधानी से परखनली की दीवार के सहारे बूँद-बूँद करके H2SO4 डालने पर दो पर्तों के बीच में लाल या भूरे रंग का छल्ला बनता है, जो कुछ समय बाद बैंगनी रंग का हो जाता है, तो पदार्थ में कार्बोहाइड्रेट की उपस्थिति निश्चित है।



फ्रक्टोस


यह ग्लूकोस के साथ मीठे फलों व शहद में पाया जाता है। औद्योगिक स्तर पर, फ्रक्टोस को इनुलिन का तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल द्वारा जल-अपघटन करके बनाया जाता है।



                       तनु HCI गर्म

(C₆H₁₀O₅)ₙ + nH₂O →nC₆H₁₂O₆

                                         फ्रक्टोस


प्रोटीन


प्रोटीन, उच्च अणुभार वाले नाइट्रोजन युक्त जटिल कार्बनिक यौगिक हैं। ऐमीनो अम्ल प्रोटीन की आधारभूत इकाई हैं। ये वनस्पतियों तथा जन्तुओं में प्रचुरता से पाए जाते हैं। दूध, दही, पनीर, माँस, अण्डा, मछली, आदि जन्तु प्रोटीनों के मुख्य स्रोत हैं। दालें, अनाज, मटर, फली, मूँगफली और सोयाबीन वनस्पति प्रोटीन के मुख्य स्रोत हैं।


प्रोटीन का महत्त्व


हमारे भोजन के अवयवों में प्रोटीन सबसे महत्त्वपूर्ण है। शरीर की वृद्धि व क्षतिग्रस्त कोशिकाओं और ऊतकों का सुधार करने के लिए शरीर को 'आवश्यक ऐमीनो अम्लों' की बहुत आवश्यकता होती हैं। इन ऐमीनो अम्लों का संश्लेषण शरीर द्वारा नहीं होता है। अतः भोजन में प्रोटीन के रूप में इन ऐमीनो अम्लों की उपस्थिति बहुत आवश्यक है। प्रोटीन हमारे शरीर में पाए जाने वाले रक्त आदि की pH को भी बनाए रखती है।


प्रोटीन के कार्य


प्रोटीनों के कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य निम्न हैं


(i) पेशियों का निर्माण 


(ii) शरीर की वृद्धि तथा क्षतिग्रस्त कोशिकाओं तथा ऊतकों का सुधार


(iii) एन्जाइम तथा हॉर्मोनों का संश्लेषण


(iv) रक्त व शरीर के अन्य द्रवों की pH पर नियन्त्रण 


(v) एन्टीबॉडीज के रूप में शरीर की सुरक्षा


(vi) आनुवांशिक लक्षणों के विकास एवं गति आदि का नियन्त्रण


प्रोटीन के परीक्षण


(i) प्रोटीन को सान्द्र नाइट्रिक अम्ल के साथ गर्म करने पर वह पीला रंग देती है। (जेन्थ्रोप्रोटिक परीक्षण ) |


(ii) ऐमाइड आबन्ध (पेप्टाइड आबन्ध) युक्त यौगिकों में कॉपर सल्फेट का अति तनु विलयन डालने पर लाल या बैंगनी रंग उत्पन्न होता है। यह परीक्षण बाइयूरेट परीक्षण कहलाता है।


न्यूक्लिक अम्ल


न्यूक्लिक अम्ल अति उच्च अणुभार वाले वृहत् अणु हैं। ये मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं- डीऑक्सीराइबोस न्यूक्लिक अम्ल (DNA) तथा राइबोस न्यूक्लिक अम्ल (RNA)I इन्हें पॉलिन्यूक्लिओटाइड भी कहते हैं, क्योंकि ये न्यूक्लिओटाइडों की लम्बी श्रृंखला वाले बहुलक होते हैं। दोनों प्रकार के न्यूक्लिक अम्लों के तीन मूल घटक होते हैं-पेन्टोस शर्करा, कार्बनिक क्षारक तथा फॉस्फेट समूह।


RNA अणुओं में राइबोस शर्करा होती है, जबकि DNA अणुओं में डीऑक्सी राइबोस शर्करा होती है। DNA में चार क्षारक ऐडेनीन (A), ग्वानीन (G), साइटोसीन (C) तथा थाइमीन (T) होते हैं। RNA के प्रथम तीन क्षारक समान हैं, परन्तु चतुर्थ क्षारक यूरेसिल होता है।


न्यूक्लिक अम्ल जीवों की कोशिकाओं के नाभिक में उपस्थित होते हैं। जीवों की आनुवांशिक सूचना न्यूक्लिक अम्लों में संचित होती है।



बहुविकल्पीय प्रश्न    1 अंक


प्रश्न 1. दूध में शर्करा (डाइ-सैकेराइड) होती है



(a) सुक्रोस


(b) माल्टोस


(c) ग्लूकोस


(d) लैक्टोस


उत्तर (d) 



प्रश्न 2. सबसे मीठी शर्करा है


(a) ग्लूकोस


(b) माल्टोस


(c) फ्रक्टोस


(d) सूक्रोज


उत्तर (c) सबसे मीठी शर्करा फ्रक्टोस है।


प्रश्न 3. यौगिकों का युग्म, जिसमें दोनों यौगिक टॉलेन अभिकर्मक के साथ धनात्मक परीक्षण देते हैं, वह है



(a) ग्लूकोस तथा सुक्रोस


(b) फ्रक्टोस तथा सुक्रोस 


(c) ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस


(d) ये सभी


उत्तर (c) 


प्रश्न 4. कौन-सा डाइसैकेराइड है?


(a) ग्लूकोज


(b) फ्रक्टोज


(c) सुक्रोज


(d) जाइलोज 


उत्तर (c) 



प्रश्न 5. सेलुलोस के पूर्ण जल-अपघटन से प्राप्त होता है


(a) L ग्लूको 


(b) D फ्रक्टोस


(c) D राइबोस


(d) D ग्लूकोस


उत्तर (d) 


प्रश्न 6. निम्नलिखित में से कौन-सी अभिक्रिया एन्जाइम पेप्सिन द्वारा जल अपघटित होती है?


(a) प्रोटीन से ऐमीनों अम्ल


(b) वसा (fats) से वसा अम्ल (fatty acids)


 (c) ग्लूकोज से एथिल ऐल्कोहॉल


(d) पॉलीसैकेराइड से मोनोसैकेराइड


उत्तर (a) 



प्रश्न 7. डी. एन. ए. में कौन-सा क्षारक नहीं होता है? 


(a) थायमीन 


(b) साइटोसीन


(c) यूरेसिल


(d) ऐडेनीन


उत्तर (c) 



अतिलघु उत्तरीय प्रश्न   2 अंक


प्रश्न 1. एक डाइसैकेराइड का सूत्र व नाम लिखिए।


उत्तर सुक्रोस एक डाइसैकेराइड है। इसका सूत्र C₁₂H₂₂O₁₁ होता है।


प्रश्न 2. मॉलिश परीक्षण क्या है?


अथवा कार्बोहाइड्रेट का परीक्षण किस प्रकार किया जाता है? 


उत्तर पदार्थ के जलीय विलयन (2 मिली) में 2 मिली मॉलिश अभिकर्मक (एल्फा-नैफ्थॉल का एथिल ऐल्कोहॉल में 10% विलयन) डालकर परखनली को बिना हिलाये बहुत सावधानी से परखनली की दीवार के सहारे बूँद-बूँद करके H₂SO₄डालने पर दो पर्तों के बीच में लाल या भूरे रंग का छल्ला बनता है, जो कुछ समय बाद बैंगनी रंग का हो जाता है, तो पदार्थ में कार्बोहाइड्रेट की उपस्थिति निश्चित है।


प्रश्न 3. कैसे सिद्ध करोगे, कि ग्लूकोस में पाँच - OH समूह हैं?


अथवा रासायनिक समीकरण देते हुए सिद्ध कीजिए, कि ग्लूकोस में पाँच -OH समूह हैं।



उत्तर ग्लूकोस की क्रिया PCI₅ के 5 अणुओं के साथ कराने पर पेन्टाक्लोरो ग्लूकोस प्राप्त होता है, जिससे यह सिद्ध होता है, कि ग्लूकोस में पाँच समूह उपस्थित हैं।

प्रश्न 4. D (+) और L(-) ग्लूकोस की संरचना लिखिए।



प्रश्न 5. इनुलिन से फ्रक्टोस कैसे प्राप्त करते हैं? समीकरण दीजिए


उत्तर फ्रक्टोस को इनुलिन का तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) द्वारा जल-अपघटन करके बनाया जाता है।


                      तनु HCl गर्म

(C₆H₁₀O₅)ₙ + nH₂O → nC₆H₁₂O₆ 


प्रश्न 6. फ्रक्टोस फेहलिंग विलयन को अपचयित कर देता है, जबकि उसमें कीटोन समूह होता है, क्यों?


उत्तर फ्रक्टोस, टॉलेन अभिकर्मक तथा फेहलिंग विलयन द्वारा ऑक्सीकृत होकर क्रमश: रजत दर्पण तथा लाल अवक्षेप बनाता है। इसका कारण यह है, कि दोनों अभिकर्मकों में उपस्थित क्षार की उपस्थिति में फ्रक्टोस का ग्लूकोस में पुनर्विन्यास हो जाता है। इस प्रकार प्राप्त ग्लूकोस की टॉलेन अभिकर्मक तथा फेहलिंग विलयन से अभिक्रिया के फलस्वरूप क्रमश: रजत दर्पण तथा लाल अवक्षेप प्राप्त होते हैं।



प्रश्न 7. किस बैक्टीरिया की सहायता से पशु सेलुलोस को पचाते हैं?


उत्तर 


(i) फाइब्रोबैक्टर सक्सिनोजिनस (Fibrobactor succinoginus) 


(ii) रूमिनोकस फ्लेवी फेशियन्स (Ruminocus flavifuciuns)




प्रश्न 8. अण्डे को उबालने पर उसमें उपस्थित जल कहाँ चला जाता है?


उत्तर जब अण्डे को उबाला जाता है तो इसकी गोलीय या ग्लोब्यूलर प्रोटीन विकृत हो जाती है। उपस्थित जल सम्भवतः विकृतीकरण के दौरान अवशोषित अथवा अधिशोषित हो जाता है तथा लुप्त हो जाता है।


प्रश्न 9. (i) ऐमीनो अम्लों की उभयधर्मी प्रकृति की व्याख्या कीजिए।


 (iii) न्यूक्लिक अम्लों के दो प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।



उत्तर (i) ऐमीनो अम्ल में कार्बोक्सिलिक समूह व ऐमीन समूह दोनों पाए जाते हैं। दोनो समूहों की उपस्थिति के कारण जलीय विलयन में ऐमीनो अम्ल अम्लीय व क्षारीय दोनों व्यवहार दर्शाता है।


(ii) न्यूक्लिक अम्लों के दो प्रमुख कार्य निम्न हैं


 (a) द्विगुणन


(b) प्रोटीन संश्लेषण



प्रश्न 10. भोजन का कौन-सा अवयव शरीर की वृद्धि में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण योगदान देता है?


 उत्तर भोजन में मुख्य अवयव प्रोटीन होता है, जो वृद्धि के लिए आवश्यक होता है।



लघु उत्तरीय प्रश्न    4 अंक


प्रश्न 1. कार्बोहाइड्रेट क्या होते हैं? इनका वर्गीकरण कीजिए तथा प्रत्येक वर्ग के एक कार्बोहाइड्रेट का नाम व सूत्र लिखिए। 


अथवा मोनोसैकेराइड तथा पॉलिसैकेराइड से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए ।



उत्तर कार्बोहाइड्रेट वृहत् बहुलक अणु हैं। रासायनिक रूप से पॉलिहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड और पॉलिहाइड्रॉक्सी कीटोन तथा वे पदार्थ जो जल-अपघटन पर पॉलिहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड एवं पॉलिहाइड्रॉक्सी कीटोन देते हैं, कार्बोहाइड्रेट कहलाते हैं। 


जल-अपघटन के आधार पर इन्हें तीन मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। 


(i) मोनोसैकैराइड 


(ii) ओलिगोसैकैराइड 


(iii) पॉलिसैकैराइड 


(i) मोनोसैकैराइड वे शर्कराएँ जो पुनः लघु अणुओं में जल अपघटित नहीं होती हैं, मोनोसैकेराइड कहलाती हैं। इनका सामान्य सूत्र CₙH₁₂Oₙहोता है।


 उदाहरण ग्लूकोस (C₆H₁₂O₆), फ्रक्टोस (C₆H₁₂O₆), गैलेक्टोस (C₆H₁₂O₆), मैनोस (C₆H₁₂O₆), आदि। 


(ii) ओलिगोसैकेराइड ये जल-अपघटित करने पर मोनोसैकेराइडों के दो से दस तक अणु देते हैं।


ये डाइसैकेराइड, ट्राइसैकेराइड आदि प्रकार के होते हैं।


उदाहरण सुक्रोस (C₁₂H₂₂O₁₁), माल्टोस (C₁₂H₂₂O₁₁), लैक्टोस (C₁₂H₂₂O₁₁) आदि।


                    तनु H₂SO₄

C₁₂H₂₂O₁₁ + H₂O → C₆H₁₁O₆ +C₆H₁₂O₆     सुक्रोस                          ग्लूकोस     फ्रक्टोस



(iii) पॉलिसैकेराइड  वे कार्बोहाइड्रेट जो जल-अपघटित होकर मोनोसैकेराइड अणुओं की बड़ी संख्या (दस से अधिक) देते हैं, पॉलिसैकेराइड कहलाते हैं।


उदाहरण स्टार्च, सेलुलोस, आदि। 



                        तनु HCI 

(C₆H₁₀O₅)ₙ +nH₂O → nC₆H₁₂O₆

 स्टार्च


स्टार्च की पहचान स्टार्च, आयोडीन (I₂) के KI में बने जलीय विलयन के साथ बैंगनी रंग उत्पन्न करता है।


प्रश्न 2. ग्लूकोस से सॉर्बिटॉल तथा हेक्सेन के बनाने की विधि को रासायनिक समीकरण देते हुए लिखिए। 


उत्तर 


(i) ग्लूकोस का H₂ – Ni द्वारा अपचयन 

H₂– Ni (उत्प्रेरक), सोडियम अमलगम, सोडियम बोरोहाइड्राइड आदि अपचायक ग्लूकोस को सॉर्बिटॉल (Sorbitol) में अपचयित कर देते हैं।



(ii) ग्लूकोस का हाइड्रोआयोडिक अम्ल और लाल फॉस्फोरस द्वारा अपचयन ग्लूकोस का सान्द्र HI और लाल फॉस्फोरस द्वारा 100°C पर अपचयन करने पर 2-आयोडोहेक्सेन और n हेक्सेन का मिश्रण बनता है। इन दोनों यौगिकों का बनना ग्लूकोस अणु में 6- कार्बन परमाणुओं की ऋजु-शृंखला की पुष्टि करता है।



प्रश्न 3. ग्लाइकोजन क्या होता है तथा ये स्टार्च से किस प्रकार भिन्न है


उत्तर


 ग्लाइकोजन एक पॉलिसैकेराइड (कार्बोहाइड्रेट) है जो प्राणी शरीर में संग्रहित रहता है। यह यकृत, माँसपेशियों तथा मस्तिष्क में उपस्थित रहता है। जब शरीर को ग्लूकोस की आवश्यकता होती है, एन्जाइम ग्लाइकोजन को ग्लूकोस में तोड़ देते हैं। 


स्टार्च एक पॉलिसैकेराइड है, जो पौधों में संग्रहित रहता है। यह दो घटकों ऐमिलोस तथा ऐमिलोपेक्टिन से मिलकर बना होता है। ऐमिलोस जल में विलेय है तथा स्टार्च का 15-20% भाग निर्मित करता है। ऐमिलोपेक्टिन जल में अविलेय है तथा स्टार्च का 80-85% भाग निर्मित करता है। ग्लाइकोजन संरचना में मुख्यतः ऐमिलोपेक्टिन के सदृश है। ग्लाइकोजन तथा ऐमिलोपेक्टिन दोनों ग्लूकोस के शाखित बहुलक है किन्तु ग्लाइकोजन ऐमिलोपेक्टिन से अधिक शाखित होता है। ग्लाइकोजन श्रृंखला में 10-14 ग्लूकोस इकाइयों को रखता है जबकि ऐमिलोपेक्टिन शृंखलाएँ 20-25 ग्लूकोस इकाइयों को रखता है। 




प्रश्न 4. ग्लूकोस से ग्लूकोसाजोन तथा सॉर्बिटॉल कैसे बनता है? रासायनिक समीकरण दीजिए।


अथवा ग्लूकोसाजोन, ग्लूकोनिक अम्ल एवं सॉर्बिटॉल को ग्लूकोज से कैसे प्राप्त करेंगे?



उत्तर


 (i) ग्लूकोस से सॉर्बिटॉल




प्रश्न 5. DNA तथा RNA में कोई चार अन्तर लिखिए।



उत्तर DNA तथा RNA में अन्तर


DNA

RNA

यह केन्द्रक में पाए जाने वाले क्रोमोसोम (गुणसूत्र) में पाया जाता है।

यह मुख्यतया कोशिकाद्रव्य (साइटोप्लाज्म)में पाया जाता है।

इसमें डीऑक्सीराइबोस शर्करा होती है।

इसमें राइबोस शर्करा होती है।

इसकी द्विकुण्डलित संरचना होती है।

इसकी एक सूत्री कुण्डली संरचना होती है।

यह आनुवांशिक गुणों के स्थानान्तरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यह प्रोटीन संश्लेषण में मदद करता है।


प्रश्न 6. डी एन ए फिंगरप्रिन्टिंग क्या है? इसके अनुप्रयोग बताइए।


उत्तर 


डी एन ए फिंगरप्रिन्टिंग प्रत्येक व्यक्ति का एक निश्चित DNA पैटर्न क्रम होता है, जो किसी अन्य व्यक्ति से भिन्न होता है। प्रत्येक व्यक्ति के DNA अणुओं में क्षारकों का अनुक्रम, अद्वितीय होता है। व्यक्ति की पहचान के लिए DNA अंगुली छापन (फिंगरप्रिन्टिंग) काम में लेते हैं। अतः किसी व्यक्ति के DNA पैटर्न के सम्बन्ध में सूचना उसका डी एन ए फिंगर प्रिन्ट कहलाता है और इस तकनीक को डी एन ए फिंगरप्रिन्टिंग कहते हैं। 



अनुप्रयोग


(i) अपराधी का दोष सिद्ध करना।


(ii) भूकम्प, बाढ़ आदि महाविपदाओं द्वारा मारे गए व्यक्तियों की पहचान करने में सहायक।


(iii) बच्चों का पितृत्व निर्धारित करने और उन्हें मान्यता दिलाने में।



प्रश्न 7. न्यूक्लिओसाइड तथा न्यूक्लिओटाइड में क्या अन्तर होता है?


उत्तर


न्यूक्लिओसाइड

न्यूक्लिओटाइड

यह क्षारक तथा शर्करा का संयोजन होता है।

यह न्यूक्लिओसाइड तथा फॉस्फोरिक अम्ल का संयोजन होता है।

उदाहरण.

(a) ऐडेनोसाइन = ऐडेनीन + राइबोस


उदाहरण.

(a) ऐडेनाइलिक अम्ल = ऐडेनोसाइन + फॉस्फोरिक अम्ल



दीर्घ उत्तरीय प्रश्न    5 अंक


प्रश्न 1. कार्बोहाइड्रेटों का वर्गीकरण किस प्रकार किया गया है? इनके उपयोग एवं रासायनिक परीक्षण की विधि लिखिए।


अथवा कार्बोहाइड्रेट क्या है? उपयुक्त उदाहरण सहित इनका वर्गीकरण कीजिए।



उत्तर 


उपयोग


(i) कार्बोहाइड्रेट शरीर के लिए काफी महत्त्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि इनके मन्द दहन से उत्पन्न ऊर्जा हमारे शरीर में कार्य करने के लिए प्रयुक्त होती है।


(ii) कार्बोहाइड्रेटों का प्रयोग भोज्य पदार्थों में मिठास उत्पन्न करने के लिए। किया जाता है।


(iii) ग्लूकोस का उपयोग एथेनॉल, औषधि के निर्माण में, फलों के परिरक्षण में, अपचायक के रूप में होता है।


(iv) फ्रक्टोस का प्रयोग चीनी के विकल्प के रूप में, मधुमेह रोगियों हेतु शर्करा के रूप में, औषधियों के निर्माण आदि में होता है।


(v) सुक्रोस पदार्थों का प्रयोग मधुरक के रूप में तथा शीतल पेय पदार्थों में होता है। 


(vi) स्टार्च का प्रयोग आहार के रूप में सूती कपड़ा उद्योग में होता है।


(vii) सेलुलोस का प्रयोग कपड़ा उद्योग में, गन पाउडर जैसे-विस्फोटक बनाने में, पेन्ट बनाने में होता है।




प्रश्न 2. मोनोसैकेराइड, डाइसैकेराइड तथा पॉलीसैकेराइड से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए। ग्लूकोज तथा स्टार्च में किस प्रकार विभेद किया जाता है?



उत्तर 

ग्लूकोज तथा स्टार्च में विभेद




ग्लूकोज

स्टार्च

ग्लूकोस एक मोनोसैकेराइड, ऐल्डोहेक्सोस तथा अपचायक शर्करा है। यह पके हुए अंगूरों शहद तथा अधिकांश मीठे फलों में पाया जाता है। [अतः इसे अंगूर की शर्करा (Grape-sugar) भी कहते हैं] यह रक्त का एक सामान्य अवयव है तथा मधुमेह से पीड़ितों के मूत्र में उपस्थित होता है। रक्त में सामान्यतया प्रति 100 मिली 65 से 100 मिग्रा ग्लूकोस उपस्थित होता है अत: इसे रक्त शर्करा (Blood sugar) भी कहते हैं। संयुक्त अवस्था में यह ग्लूकोसाइडस,डाइसैकेराइड तथा पॉलिसैकेराइड में पाया जाता है। फ्रक्टोस फलों का मुख्य अवयव होता है अतः इसे फलों की शर्करा (Fruit sugar) कहा जाता है।

स्टार्च को ऐमाइलम (Amylum) भी कहते हैं। यह आलू, मक्का, जौ, चावल, गेहूँ, आदि में पाया जाता है। स्टार्च हमारे भोजन का मुख्य घटक है। आमाशय में स्टार्च का अम्लीय माध्यम में जल-अपघटन होने से ग्लूकोस बनता है, जिसका एन्जाइमों द्वारा अपघटन होने से एथिल ऐल्कोहॉल बनता है।


स्टार्च -ग्लूकोस से बना होता है तथा इसमें दो घटक -ऐमिलोस (a-amylose) तथा β-ऐमिलोस या ऐमिलोपेक्टिन (Amylopectin) हैं।





प्रश्न 3. निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए।


(i) ग्लूकोस तथा सुक्रोस।


(ii) स्टार्च तथा सुक्रोस।


अथवा ग्लूकोस तथा सुक्रोस में विभेद करने वाली दो रासायनिक समीकरण लिखिए।



उत्तर (i) ग्लूकोस तथा सुक्रोस में विभेद




परीक्षण

ग्लूकोस

सुक्रोस

पदार्थ के जलीय विलयन में फेहलिंग विलयन डालकर गर्म करने पर

क्यूप्रस ऑक्साइड का लाल अवक्षेप बनता है।

लाल अवक्षेप नहीं बनता है।

पदार्थ के जलीय विलयन में टॉलेन अभिकर्मक (अमोनियामय सिल्वर नाइट्रेट) डालकर गर्म करने पर

सिल्वर दर्पण या सिल्वर का काला अवक्षेप बनता है।

सिल्वर दर्पण या सिल्वर का काला अवक्षेप नहीं बनता है।



(ii) स्टार्च तथा सुक्रोस में विभेद




परीक्षण

सुक्रोस

स्टार्च

पदार्थ के जलीय विलयन में फेहलिंग विलयन डालकर गर्म करने पर।

लाल अवक्षेप नहीं बनता है।

लाल अवक्षेप नहीं बनता है।

जल-अपघटन


ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस का समअणुक मिश्रण देता है

डायस्टेस की उपस्थिति में माल्टोस प्राप्त होता है जो पुनः जल-अपघटन पर ग्लूकोस में परिवर्तित हो जाता है।


प्रश्न 4. प्रोटीन क्या होते हैं? इनके प्रमुख स्रोत लिखिए। प्रोटीन की प्राथमिक संरचना लिखिए। हमारे शरीर में प्रोटीन के मुख्य कार्य भी लिखिए।


अथवा प्रोटीन का प्रमुख कार्य बताइये।



उत्तर प्रोटीन प्रोटीन नाइट्रोजन युक्त जटिल अणु हैं। ये जीव जगत के विकास, वृद्धि तथा शरीर के रख-रखाव के लिए अतिआवश्यक होते हैं। इनका अणुभार सामान्यतया 10000 से अधिक होता है।


वास्तव में प्रोटीन बहुलक होते हैं, जिनकी एकलक इकाइयाँ a-ऐमीनो अम्ल होते हैं। ऐमीनो अम्ल इकाइयाँ एक-दूसरे से पेप्टाइड बन्ध द्वारा जुड़ी होती हैं।


अतः इन्हें बहुलीकृत ऐमीनो अम्ल ऐमाइड भी कहा जाता है। प्रमुख स्त्रोत प्रोटीनों के मुख्य स्रोत दालें, दूध, पनीर, अण्डा, मूँगफली, माँस,मछली, आदि हैं।



प्रोटीन की प्राथमिक संरचना किसी प्रोटीन के पॉलिपेप्टाइड में ऐमीनो अम्लों के जुड़ने का एक विशिष्ट क्रम प्रोटीन की प्राथमिक (1⁰) संरचना कहलाता है। प्रोटीन के कार्य प्रोटीन हमारे भोजन का आवश्यक अवयव है। अण्डे, मछली, माँस मनुष्य को आवश्यक प्रोटीन देते हैं।


(i) पेशियों का निर्माण।


(ii) शरीर की वृद्धि तथा क्षतिग्रस्त कोशिकाओं तथा ऊतकों का सुधार 


(iii) एन्जाइम तथा हॉर्मोनों का संश्लेषण।


(iv) रक्त व शरीर के अन्य द्रवों की pH का नियन्त्रण।


(v) एन्टीबॉडीज के रूप में शरीर की सुरक्षा।


(vi) आनुवंशिक लक्षणों के विकास एवं गति आदि का नियन्त्रण।


प्रश्न 5. प्रोटीनों की संरचना का सविस्तार वर्णन कीजिए।



अथवा प्रोटीन की द्वितीयक संरचना से आप क्या समझते हैं? व्याख्या कीजिए। प्रोटीन की संरचना को स्थायित्व प्रदान करने वाले कारकों को लिखिए।


उत्तर प्रोटीनों की संरचना तथा आकृति का अध्ययन चार भिन्न स्तरों पर किया जाता है


(i) प्रोटीन की प्राथमिक संरचना किसी प्रोटीन के पॉलिपेप्टाइड में ऐमीनो अम्लों के जुड़ने का एक विशिष्ट क्रम प्रोटीन की प्राथमिक (1°) संरचना कहलाता है।


(ii) प्रोटीन की द्वितीयक संरचना किसी प्रोटीन की द्वितीयक (2°) संरचना का सम्बन्ध उस आकृति से है, जिसमें पॉलिपेप्टाइड शृंखला पायी जाती है। ये संरचनाएँ दो प्रकार की होती हैं: a-हैलिक्स तथा β-प्लीटेड शीट संरचना।


(a) a-हैलिक्स संरचना में पॉलिपेप्टाइड शृंखला दक्षिणावर्ती पेंच के समान मुड़ी रहती हैं। इसमें प्रत्येक ऐमीनो अम्ल अवशिष्ट का – NH समूह, कुण्डली के अगले मोड़ पर स्थित (>C=O) समूह के साथ हाइड्रोजन आबन्ध बनाता है। a-हैलिक्स संरचना को 3-6₁₃ हैलिक्स भी कहते हैं, क्योंकि हैलिक्स के प्रत्येक घुमाव में 3-6 ऐमीनो अम्ल अवशेष रहते हैं। हैलिक्स विभिन्न भागों में >C =O तथा – NH समूहों के मध्य H-आबन्ध द्वारा 13 सदस्यीय वलय बनाता है। बालों व ऊन जैसी रेशेदार प्रोटीनों की संरचना निम्न प्रकार की होती है।


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(b) β - प्लीटेड शीट संरचना इस प्रकार की संरचना में सभी पॉलिपेप्टाइड शृंखलाएँ खुली हुई अवस्था में एक-दूसरे के पार्श्व में स्थित होती हैं तथा परस्पर अन्तराण्विक हाइड्रोजन आबन्धों द्वारा जुड़ी होती हैं। अतः इस प्रकार की संरचना वाली प्रोटीन मुलायम होती हैं। रेशम की संरचना इसी प्रकार की होती है। 


(iii) प्रोटीन की तृतीयक संरचना प्रोटीन की द्वितीयक संरचना में और अधिक वलन के फलस्वरूप तृतीयक संरचना प्राप्त होती है। ये दो प्रकार की होती है: रेशेदार तथा गोलिकाकार। 


(iv) प्रोटीन की चतुष्क संरचना कुछ प्रोटीनों की चतुष्क संरचना भी होती है, जिसमें दो या दो से अधिक एकल प्रोटीन परस्पर मिलकर एक पुँज बना लेती हैं।



प्रोटीन को स्थायित्व प्रदान करने वाले कारक


प्रोटीनों को स्थायित्व प्रदान करने वाले प्रमुख कारक निम्न हैं


(a) आयनिक आबन्ध या लवण आबन्ध


(b) हाइड्रोजन आबन्ध


(c) हाइड्रोफोबिक आबन्ध (जलविरोधी बन्ध)


(d) डाइसल्फाइड आबन्ध



प्रश्न 6. प्रोटीन क्या हैं? इनको कैसे वर्गीकृत करते हैं? प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक प्रोटीनों की संरचनाएँ लिखिए। 



उत्तर 


प्रोटीन का वर्गीकरण 



I. आण्विक संरचना के आधार पर प्रोटीन निम्न प्रकार की होती हैं


(i) रेशेदार या फाइबर प्रोटीन वे प्रोटीन जिनमें रेशे के सामान अणु पास-पास स्थित होकर रेशा बनाते हैं, रेशेदार प्रोटीन कहलाते हैं। ये जल में अविलेय होते हैं। उदाहरण - किरैटिन (बालों, नाखून तथा त्वचा में), फाइब्रियॉन (रेशम) आदि।


(ii) गोलीय या ग्लोब्यूलर प्रोटीन इस प्रकार के प्रोटीन में पॉलिपेप्टाइड शृंखला अपने चारों ओर इस प्रकार लिपटी होती है, कि सम्पूर्ण प्रोटीन अणु गोलाकार हो जाती है। ये जल में विलेय होते हैं।


उदाहरण - एन्जाइम, हॉर्मोन, एन्टीबॉडी आदि ।


II. जल-अपघटन के उत्पाद के आधार पर प्रोटीन निम्न प्रकार की होती हैं 


(i) सरल प्रोटीन सरल प्रोटीन वे प्रोटीन हैं, जिनके जल-अपघटन से केवल a-ऐमीनो अम्ल प्राप्त होते हैं।


उदाहरण- प्रोलेमिन, ग्लूटेनिन, ऑक्सीजेनिन आदि।


(ii) संयुग्मी प्रोटीन संयुग्मी प्रोटीन के जल-अपघटन से a-ऐमीनो अम्ल के अतिरिक्त अप्रोटीनीय भाग (प्रोस्थेटिक समूह) भी प्राप्त होते हैं। उदाहरण – न्यूक्लिआप्रोटीन (प्रोस्थैटिक समूह = न्यूक्लिक अम्ल) आदि।


(iii) व्युत्पन्न प्रोटीन ये सरल अथवा संयुग्मी प्रोटीनों के अम्ल, क्षार अथवा एन्जाइम द्वारा आंशिक जल अपघटन की प्रक्रिया से प्राप्त होती हैं।


उदाहरण- प्रोटिओस, पेप्टोन आदि।


III. कार्य के आधार पर प्रोटीनों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है 


(i) संरचनात्मक प्रोटीन ये रेशेदार प्रोटीन जैसे- कैल्कोजन (चमड़ी, कार्टिलेज एवं अस्थि) हैं।


(ii) संकुचित प्रोटीन ये माँसपेशियों में उपस्थित होती हैं।


उदाहरण – मायोसिन, ऐक्टीन आदि ।


 (iii) एन्जाइम प्रोटीन के ये समूह जैवीय उत्प्रेरक होते हैं।


उदाहरण- ट्राइसीन, पेप्सीन, आदि।


(iv) हॉर्मोन्स प्रोटीन के ये समूह वाहक का कार्य करते हैं। उदाहरण- इन्सुलिन ।


(v) एण्टीबॉडी या रक्षक प्रोटीन जब शरीर पर रोगाणु स्पीशीज आक्रमण करती है, जो बाहरी प्रोटीन या ऐन्टीजन, ऐन्टीबॉडी उत्पन्न करती है, जो आक्रमणकारी स्पीशीज को शरीर से हटाता है। उदाहरण- रक्त में उपस्थित गामा ग्लोब्यूलिन ।


(vi) रक्त प्रोटीन ये प्रोटीन रक्त में उपस्थित होती हैं। उदाहरण– ऐल्बुमिन, हीमोग्लोबिन एवं फाइब्रिनोजन (Fibrinogen), आदि । 


(vii) टॉक्सिन ये विषैली प्रकृति की होती हैं। उदाहरण-साँप के विष में।



प्रश्न 7. प्रोटीन क्या है? इसके मुख्य स्रोत एवं मानव शरीर के लिए इसकी उपयोगिता लिखिए। प्रोटीन के विकृतीकरण से क्या तात्पर्य है? समझाइए?



उत्तर 


प्रोटीन का विकृतीकरण भौतिक तथा रासायनिक परिवर्तनों के कारण प्रोटीनों में हाइड्रोजन आबन्धों में अव्यवस्था उत्पन्न हो जाती है, जिसके कारण प्रोटीन की तृतीयक संरचना भंग हो जाती है। गोलिका (ग्लोब्यूल) खुल जाती है तथा हेलिक्स अकुण्डलित हो जाता है। अत: प्रोटीन अपनी जैविक सक्रियता खो देती है। इसे प्रोटीनों का विकृतीकरण कहते हैं।


उदाहरण-अण्डे को उबालने पर ऐल्बुमिन का अविलेय रेशेदार प्रोटीन में परिवर्तन। दही का जमना जो दूध में उपस्थित बैक्टीरिया द्वारा लैक्टिक अम्ल उत्पन्न होने के कारण होता हैं।



प्रश्न 8. (i) DNA की द्विकुण्डली संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए। 


(ii) कौन-सा विटामिन ऐस्कॉर्बिक अम्ल कहलाता है? इसके स्रोत तथा इसकी कमी से होने वाले रोग लिखिए।


(iii) ग्लूकोस में – CHO समूह होने के अतिरिक्त यह शिफ परीक्षण नहीं देता, ना ही सोडियम बाइसल्फाइड तथा अमोनिया से क्रिया करता है। कारण सहित व्याख्या कीजिए। 


अथवा DNA संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए।



उत्तर 


(i) DNA की द्विकुण्डली संरचना वाटसन और क्रिक (1953) ने DNA की द्विकुण्डली संरचना प्रस्तुत की। DNA अणु दो दीर्घ पॉलिन्यूक्लिओटाइड शृंखलाओं (दो DNA स्ट्रैण्डों) से बना होता है। दोनों स्ट्रैण्ड एक-दूसरे के चारों ओर लिपटकर द्विकुण्डली (व्यास 2 नैनोमी) बनाते हैं। प्रत्येक सर्पिल कुण्डली दक्षिणावर्ती है और प्रत्येक घूम में 10 न्यूक्लिओटाइड हैं, दो घूमों के बीच की दूरी 3.4 नैनोमी होती है। DNA स्ट्रैण्ड विपरीत दिशा में आगे बढ़ते हैं, जिससे एक स्ट्रैण्ड में C-3, C-5 अनुक्रम और दूसरे स्ट्रैण्ड में C-5, C-3 अनुक्रम होता है। दोनों स्ट्रैण्ड एक-दूसरे से रेखीय H-आबन्धों द्वारा जुड़े होते हैं। एक स्ट्रैण्ड का ऐडीनीन (A) सदैव दूसरे स्ट्रैण्ड के थाइमीन (T) से तथा इसी प्रकार ग्वानीन (G) सदैव साइटोसीन (C) से H-आबन्धों द्वारा जुडा । होता है। ये दोनों स्ट्रैण्ड समरूप नहीं होते, लेकिन एक-दूसरे के पूरक होते हैं। 


(ii) ऐस्कॉर्बिक अम्ल विटामिन C का रासायनिक नाम ऐस्कॉर्बिक अम्ल (C₆H₈O₆) है।


विटामिन C के मुख्य स्त्रोत आँवला, हरी एवं पत्तेदार सब्जियाँ, सिट्स फल (नींबू, नारंगी), टमाटर, मिर्च, गाजर आदि।


विटामिन C की कमी से होने वाले रोग इसके अभाव से स्कर्वी रोग हो जाता है, हड्डियाँ भंगुर होने लगती हैं तथा दाँतों व मसूड़ों में खून आता है। 



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