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class 12 chemistry chapter 04 रासायनिक बलगतिकी chemical kinetics

  class 12 chemistry chapter 04 रासायनिक बलगतिकी chemical kinetics


कक्षा 12वी रसायन विज्ञान अध्याय 04 रासायनिक बलगतिकी का नोट्स

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 04 रासायनिक बलगतिकी chemical kinetics



रसायन विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत रासायनिक अभिक्रियाओं की दर तथा उनको प्रभावित करने वाले कारकों जैसे- सान्द्रता, ताप, दाब, उत्प्रेरक आदि का अध्ययन किया जाता है, रासायनिक बलगतिकी कहलाती है।


अभिक्रिया की दर या वेग


इकाई समय में किसी अभिकारक या उत्पाद की सान्द्रता में होने वाले परिवर्तन को रासायनिक अभिक्रिया की दर या वेग कहते हैं।


अभिक्रिया की दर या वेग 


= अभिकारक या उत्पाद की सान्द्रता में परिवर्तन /परिवर्तन में लगा समय 


उदाहरण अभिक्रिया, aA + bB  →cC + dD के लिए,


अभिक्रिया का वेग या दर = -1/a (d [A] /dt )



अभिक्रिया की दर के मात्रक


अभिक्रिया वेग के मात्रक मोल लीटर-¹ सेकण्ड-¹या मोल लीटर-¹ मिनट-¹ होते हैं। यदि क्रियाकारी पदार्थ गैसीय अवस्था में हो, तो अभिक्रिया वेग के मात्रक = वायुमण्डल सेकण्ड-¹ या वायुमण्डल मिनट-1 होते हैं।


1. औसत दर या अभिक्रिया वेग


"किसी निश्चित समय अन्तराल (At) में अभिकारक या उत्पाद की सान्द्रता में हुए परिवर्तन (AC) की दर को अभिक्रिया का औसत वेग या दर कहते हैं।" औसत अभिक्रिया वेग कोके द्वारा व्यक्त करते हैं। 



औसत वेग, rav = ±∆[R]/∆t      


= ∆ (P)/∆t



यहाँ, [R] = अभिकारकों की सान्द्रता, [P] = उत्पादों की सान्द्रता



2. तात्क्षणिक वेग


"किसी निश्चित समय (क्षण) पर अभिकारक या उत्पाद की सान्द्रता में होने वाले परिवर्तन की दर को उस अभिक्रिया का तात्क्षणिक वेग या दर कहते हैं।" इसे rᵢₙₛₜ के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।


तात्क्षणिक वेग अभिक्रिया का वास्तविक वेग कहलाता है।


अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक


अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक निम्न हैं


(i) अभिक्रिया की सान्द्रता


(ii) क्रियाकारकों का पृष्ठीय क्षेत्रफल


(iii) उत्प्रेरक


(iv) प्रकाश व ताप




वेग नियम


वह गणितीय व्यंजक जो अभिकारकों की मोलर सान्द्रता पर अभिक्रिया की दर की प्रायोगिक निर्भरता को दर्शाता है, वेग नियम कहलाता है।



 वेग स्थिरांक या विशिष्ट अभिक्रिया वेग


किसी अभिक्रिया का वेग स्थिरांक या विशिष्ट अभिक्रिया वेग उस समय अभिक्रिया के वेग के बराबर होता है, जब प्रत्येक अभिकारक की सान्द्रता इकाई हो। यदि अभिक्रिया में एक से अधिक अभिकारक हो, तो प्रत्येक अभिकारक की सान्द्रता इकाई होनी चाहिए।



 वेग स्थिरांक की इकाई


वेग स्थिरांक का मात्रक =

 (मोल¹-ⁿ लीटर¹-ⁿसेकण्ड -¹)


या        = ( वायुमण्डल )¹-ⁿ सेकण्ड -¹)


 ( यदि अभिक्रिया गैसीय हो अर्थात् क्रियाकारी पदार्थ गैसीय अवस्था में हो)


 जहाँ, n = वेग नियम में प्रयुक्त धातों का योग अभिक्रिया की कोटि = 0,1,2,3………




अभिक्रिया की कोटि


किसी अभिक्रिया की दर समीकरण में व्यक्त अभिकारकों के सान्द्रता पदों की घातों का योग, उस अभिक्रिया की कोटि कहलाती है।


उदाहरण अभिक्रिया, aA + bB उत्पाद,


के लिए वेग नियम से, दर = k[A]ˣ [B]ʸ


 अभिक्रिया की कोटि = x + y


x तथा y का मान a तथा b के समान भी हो सकता है तथा उनसे भिन्न भी। कोटि के आधार पर अभिक्रियाओं को शून्य, प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय कोटि की अभिक्रियाओं में वर्गीकृत किया जा सकता है। 


1. शून्य कोटि की अभिक्रिया


वह अभिक्रिया, जिसकी दर (वेग) अभिकारकों की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करती है, शून्य कोटि की अभिक्रिया कहलाती है।


उदाहरण


(i) H₂ + Cl₂  →   2HCI, दर = k [H₂]⁰ [CI₂]⁰= K



इन अभिक्रियाओं के लिए वेग स्थिरांक का मात्रक = मोल लीटर-¹ सेकण्ड -¹= वेग का मात्रक तथा वेग स्थिरांक का व्यंजक, K = x/ t


या


K= 1/t {[A]₀ - [A]} 


समी (i) शून्य कोटि की अभिक्रिया के समाकलित वेग समीकरण या समाकलित वेग नियम को व्यक्त करती है। 


शून्य कोटि की अभिक्रिया का अर्द्ध-आयुकाल अभिकारक की प्रारम्भिक सान्द्रता [A]₀ के समानुपाती होता है तथा इसे निम्न व्यंजक द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।


t₁/₂ ~ [A]₀ = [A]₀/ 2k₀




2. प्रथम कोटि की अभिक्रिया


वह अभिक्रिया, जिसकी दर एक अभिकारक की सान्द्रता की प्रथम घात के समानुपाती होती है, प्रथम कोटि की अभिक्रिया कहलाती है।


उदाहरण


(i) 2N₂0₅ → 4NO₂ + O₂  दर=K [N₂O₅]


स्थिरांक,k = वेग स्थिरांक = विशिष्ट अभिक्रिया दर 



इन अभिक्रियाओं के लिए वेग स्थिरांक का मात्रक = समय-¹ या सेकण्ड-¹ या मिनट-¹ या घण्टा-¹


तथा वेग स्थिरांक का व्यंजक,


 k =(2.303/ t ) log([A]₀/[A]) = 2.303/t log {a/(a-x)}


=(2.303/t)log (V₀/Vₜ)



जहाँ a = प्रारम्भिक सान्द्रता, (a-x) = t समय पश्चात् सान्द्रता ,V₀ = प्रारम्भिक आयतन 

Vₜ = समय पश्चात् आयतन


प्रथम कोटि की अभिक्रियाओं के लक्षण


(i) प्रथम कोटि की अभिक्रिया का अर्द्ध-आयुकाल अभिकारकों की प्रारम्भिक सान्द्रता (a) या [A]₀पर निर्भर नहीं करता है। इसे निम्न व्यजंक के द्वारा ज्ञात किया जा सकता है


t₁/₂={0.693 / k}


(ii) प्रथम कोटि की अभिक्रिया की सान्द्रता n गुना बढ़ाने पर अभिक्रिया का वेग भी n गुना अधिक हो जाता है, परन्तु वेग स्थिरांक के मान में कोई परिवर्तन नहीं होता है।


अभिक्रिया की आण्विकता


किसी अभिक्रिया की सन्तुलित रासायनिक समीकरण द्वारा व्यक्त प्रत्येक प्राथमिक पद में भाग लेने वाले अभिकारक अणुओं की कुल संख्या, अभिक्रिया की आण्विकता कहलाती है। आण्विकता के आधार पर अभिक्रियाओं को एकाणुक, द्विअणुक, त्रिअणुक के रूप में परिभाषित कर सकते हैं।


एकाणुक अभिक्रिया H₂O₂ → H₂O + +½ O₂


द्विअणुक अभिक्रिया 2HI(g) → H₂(g) + I₂(g)


त्रिअणुक अभिक्रिया: 2NO(g) + O₂(g) → 2NO₂




छद्म या आभासी एकाणुक अभिक्रियाएँ


वे अभिक्रियाएँ जिनकी कोटि एक, परन्तु आण्विकता एक से अधिक होती है, छद्म या आभासी एकाणुक अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। इस प्रकार की अभिक्रियाओं में एक अभिकारक आधिक्य में होता है। 


उदाहरण एथिल ऐसीटेट का जल अपघटन

                                  H+

CH₃COOC₂H₅ + H₂0 →  CH₃COOH + C₂H₅OH


एथिल ऐसीटेट        जल


इस अभिक्रिया की आण्विकता 2 तथा कोटि 1 है, क्योंकि जल आधिक्य में होता है, तथा दर निर्धारक पद में भाग नहीं लेता है।


दर = k[CH₃COOC₂H₅]




अभिक्रिया वेग पर ताप का प्रभाव 


अभिक्रिया के वेग पर ताप के प्रभाव को आर्हेनियस समीकरण द्वारा समझाया जा सकता है। आर्हेनियस समीकरण से,


[K = A.e-ᴱa/RT]


जहाँ, A = कम्पनावृत्ति गुणक है। यह किसी विशिष्ट अभिक्रिया के लिए ही स्थिरांक होता है, सभी प्रकार की अभिक्रियाओं के लिए नहीं। R गैस स्थिरांक एवं Eₐ सक्रियण ऊर्जा है।



In k और 1/T के बीच आरेख खींचने पर एक सीधी रेखा प्राप्त होती है, जिसकी ढलान =  - Eₐ / R और अंतः खण्ड In A के बराबर होता है। ताप में थोड़ी-सी वृद्धि होने पर ऐसे R अणुओं की संख्या अत्यधिक बढ़ जाती है, जिनकी ऊर्जा सक्रियण ऊर्जा से अधिक है। अतः ताप बढ़ने से अभिक्रिया का वेग अत्यधिक बढ़ जाता है।




      बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक


प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-सी अभिक्रिया शून्य कोटि की अभिक्रिया है? 


(a) CH₃COOC₂H₅ + NaOH → CH₃COONa +C₂H₅OH


(b) CH₃COOCH₃ + H₂O → CH₃COOH + CH₃OH 


(c) 2FeCl₃ + SnCl₂ → 2FeCl₂ + SnCl₄


(d) H₂+ Cl₂ → 2HCl



उत्तर (d) H₂ + Cl₂ → 2HCl यह एक शून्य कोटि अभिक्रिया है। इसमें अभिक्रिया का वेग (दर), अभिकारकों की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता है।


प्रश्न 2. एक शून्य कोटि की अभिक्रिया, A + B + C के लिए वेग दर है



(a) दर = k [A]⁰[B]⁰


(b) दर = [A]¹ [B]°


(c) दर = k [A]° [B]¹


(d) इनमें से कोई नहीं


उत्तर (a) A + B + C


वेग = k [A] ° [B] °


प्रश्न 3. dx/dt  समानुपाती [a]⁰ की अभिक्रिया की कोटि है 


(a) शून्य।          (c) द्वितीय


(b) प्रथम             (d) इनमें से कोई नहीं


उत्तर (a) 


प्रश्न 4. अभिक्रिया 2H₂O₂   → 2H₂O +O₂ के लिए [r] = k[H₂O₂] है। यह अभिक्रिया है।



(a) शून्य कोटि अभिक्रिया


 (b) प्रथम कोटि अभिक्रिया


(c) द्वितीय कोटि अभिक्रिया 


(d) तृतीय कोटि अभिक्रिया


उत्तर (b) H₂O₂का अपघटन एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया का उदाहरण है।



प्रश्न 5. प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक तथा अर्द्ध आयुकाल में सम्बन्ध है 


 (a) t₁/₂= 0.693/k


(b) k={ t₁/₂ } / 0.693


 (c) t₁/₂ = k/0.693


(d) t₁/₂=0.693 k




उत्तर (a) प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक तथाअर्द्ध- आयुकाल में सम्बन्ध निम्न होता है 


t₁/₂ = 0.693/ k


प्रश्न 6. प्रथम कोटि की अभिक्रिया के 90% पूर्ण होने में लगा समय होता है.


(a) अर्द्ध-आयु का 2.2 गुना 


(b) अर्द्ध आयु का 8.3 गुना


(c) अर्द्ध आयु का 1.1 गुना


(d) अर्द्ध-आयु का 4.4 गुना


उत्तर (b) 


प्रश्न 7. यदि किसी प्रथम कोटि की अभिक्रिया का 90%  90 मिनट में पूर्ण हुआ हो, तो इसके 50% पूर्ण होने में लगने वाला समय होगा



(a) 30 मिनट


(b) 36 मिनट


 (c) 50 मिनट


 (d) 27 मिनट 


उत्तर (d) 




प्रश्न 8. अभिक्रिया A →B में, अभिक्रिया की दर, अभिकारकों का सान्द्रण चार गुना बढ़ाने पर दो गुना बढ़ जाती है। अभिक्रिया की कोटि हैं।



(a) शून्य


(b) ½


(c) 2


(d) 4


उत्तर (c) 



प्रश्न 9. प्रथम कोटि की अभिक्रिया के 50% पूरा होने में लगा समय होता है




(a) t₁/₂का लगभग 1.1 गुना 


(b) t₁/₂का लगभग 2.2 गुना


(c ) t₁/₂ का लगभग 3.3 गुना


(d) t₁/₂ का लगभग 4.4 गुना


उत्तर – (a)



प्रश्न 10. यदि कोई अभिक्रिया निम्न समीकरण का पालन करती है


k ={ 2.303/t } log(a/a-x )

तो अभिक्रिया की कोटि होगी


 (a) शून्य


 (b) प्रथम 


(c) द्वितीय


(d) तृतीय



 उत्तर (b) 




प्रश्न 11. एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया की अर्द्ध-आयु 400 सेकण्ड है। इसका वेग स्थिरांक होगा 


(a) 1.73 x 10-³ सेकण्ड 


(b) 1.44 x 10-³ सेकण्ड 


(c) 1.72 x 10-³सेकण्ड 


(d) 1.88x103 सेकण्ड


उत्तर (a) 


प्रश्न 12. अभिक्रिया A + 2B → उत्पाद के लिए, वेग स्थिरांक R= [A] [B]² द्वारा व्यक्त किया जाता है, तो अभिक्रिया की कोटि है 


(a) 2


(b) 3


(c) 5


(d) 6


उत्तर (b) 


प्रश्न 13. शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिये वेग नियतांक का मात्रक है


(a) लीटर सेकण्ड-1


(b) लीटर मोल-¹ सेकण्ड-¹


(c) मोल लीटर-¹ सेकण्ड-¹


(d) मोल सेकण्ड-¹


उत्तर (d) 



प्रश्न 15. एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया का अर्द्ध समय 4 मिनट है, तो 99.9% अभिक्रिया कितने समय में पूर्ण हो जाएगी?


(a) 16 मिनट 


(b) 8 मिनट 


(c) 32 मिनट


(d) 40 मिनट


उत्तर (d) 




अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 2 अंक


प्रश्न 1. एक परिस्थिति बताइए जिसमें एक द्विअणुक अभिक्रिया बलगतिकी से प्रथम कोटि अभिक्रिया होती है।


उत्तर जब एक अभिकारक अधिक मात्रा में उपस्थित होता है, तो इस परिस्थिति में इसकी सान्द्रता नियत रहती है।


प्रश्न 2. 2A + B →C अभिक्रिया के लिए वेग समीकरण लिखिए, यदि अभिक्रिया की कोटि शून्य है। 


उत्तर वेग  =k[A]° [B]⁰=k


प्रश्न 3. निम्नलिखित अभिक्रिया 2NO(g) + 0₂ (g) →2NO₂ (g) के लिए आप वेग नियम को कैसे ज्ञात कर सकते हैं?


 उत्तर हम इस अभिक्रिया का वेग प्रारम्भिक सान्द्रताओं के रूप में, एक अभिकारक की सान्द्रता को नियत रखकर एवं अन्य अभिकारक की सान्द्रता को परिवर्तित करके अथवा दोनों अभिकारकों की सान्द्रता में परिवर्तन के द्वारा ज्ञात कर सकते हैं।


प्रश्न 4. किस प्रकार की अभिक्रियाओं के लिए कोटि तथा आण्विकता समान मान रखती है? 



उत्तर यदि अभिक्रिया एक प्राथमिक अभिक्रिया है। 




प्रश्न 5. R → P अभिक्रिया के लिए अभिकारक की सान्द्रता 0.06M से 20 मिनट में परिवर्तित होकर 0.02 M हो जाती है। औसत वेग की गणना कीजिए।


 उत्तर 


औसत वेग = (सान्द्रता में परिवर्तन/समय अन्तराल)



= [0.06M - 0.02M ]/20




=0.04/20 = 0.002 मोल ली-¹मिनट-¹


प्रश्न 6. एक अभिक्रिया में यदि अभिकारक A की सान्द्रता तीन गुनी है, तो अभिक्रिया का वेग 27 गुना हो जाता है। अभिक्रिया की कोटि क्या है?



उत्तर तीन; क्योंकि वेग = k [A]³



प्रश्न 7. शून्य कोटि की अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं? उदाहरण द्वारा समझाइए। इसके वेग स्थिरांक का व्यंजक लिखिए। 



अथवा शून्य कोटि की अभिक्रिया को उदाहरण द्वारा समझाइए । 


अथना शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक का मान तथा मात्रक ज्ञात कीजिए।




उत्तर

 शून्य कोटि की अभिक्रिया वह अभिक्रिया, जिसकी दर अभिकारकों की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करती है, शून्य कोटि की अभिक्रिया कहलाती है।


                          Au

 उदाहरण 2NO(g)→ 2N₂(g) + O₂(g)




इस अभिक्रिया की दर NGO की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करती।


वेग स्थिरांक का व्यंजकk = 1/t {[A₀] - [A]}


शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए, 


वेग स्थिरांक, k= x/t


k का मात्रक =x का मात्रक/tका मात्रक


k का मात्रक= मोल लीटर-¹ सेकण्ड-¹ 






प्रश्न 8. कारण सहित बताइए कि निम्न अभिक्रिया की कोटि क्या होगी?


 2FeCl₃ + SnCl₂ → SnCl₄+2FeCl₂


उत्तर उपरोक्त अभिक्रिया की आण्विकता तीन (2+1) होगी। प्रायोगिक आधार पर पाया गया कि उपरोक्त अभिक्रिया तृतीय कोटि की अभिक्रिया है। अतः उपरोक्त अभिक्रिया का वेग समीकरण निम्न प्रकार से होगा 


r=k [FeCl₃]² [SnCl₂]




प्रश्न 9. निम्न अभिक्रिया की कोटि को कारण सहित स्पष्ट कीजिए।


 अथवा अभिक्रिया की कोटि की व्याख्या निम्न अभिक्रिया द्वारा कीजिए। 

               प्रकाश

H₂ + Cl₂     ⇔     2HCI





उत्तर किसी अभिक्रिया की दर समीकरण में व्यक्त अभिकारकों के सान्द्रता पदों की घातों का योग, उस अभिक्रिया की कोटि कहलाती है। अभिक्रिया, H₂ + Cl₂ ⇔ 2HCI में H₂ तथा CI₂ का सान्द्रण अपरिवर्तित रहता है, अर्थात् अभिक्रिया का वेग H₂तथा CI₂ के सान्द्रण पर निर्भर नहीं करता है।


अर्थात्




dx/dt =  k[H₂]⁰[Cl₂]⁰


अतः यह अभिक्रिया शून्य कोटि की अभिक्रिया है।




प्रश्न 10. प्रथम कोटि की अभिक्रिया के वेग स्थिरांक की इकाई ज्ञात कीजिए।


k ={ 2.303/t }log(a/a-x)


= सेकण्ड-¹


या मिनट या (समय का मात्रक) -1




प्रश्न 11. किसी अभिक्रिया की आण्विकता से आप क्या समझते हैं? उदाहरण द्वारा अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।।



उत्तर 


अभिक्रिया की आण्विकता किसी अभिक्रिया की सन्तुलित रासायनिक समीकरण द्वारा व्यक्त प्रत्येक प्राथमिक पद में भाग लेने वाले अभिकारक अणुओं की कुल संख्या, अभिक्रिया  की आण्विकता कहलाती है। 


उदाहरण H₂O₂ →  H₂O+ O₂



चूँकि उपरोक्त अभिक्रिया में हाइड्रोजन परॉक्साइड का एक अणु भाग ले रहा अतः इस अभिक्रिया की आण्विकता एक है।




प्रश्न 12. डाइमेथिल ईथर के अपघटन से CH₄ H₂तथा CO बनते हैं। इस अभिक्रिया का वेग निम्न समीकरण द्वारा दिया जाता है


वेग = [CH₃OCH₃ ]3/2


अभिक्रिया के वेग का अनुगमन बंद पात्र में बढ़ते दाब द्वारा किया जाता है, अतः वेग समीकरण को डाइमेथिल ईथर के आंशिक दाब के पद में भी दिया जा सकता है। अतः वेग = k (PCH₃OCH₃)³/₂




यदि दाब को bar में तथा समय को मिनट में मापा जाये, तो अभिक्रिया के वेग एवं वेग स्थिरांक की इकाइयाँ क्या होंगी ?


उत्तर वेग की इकाई = bar min-¹ 



 k की इकाई =       (bar min-¹) / bar ³/₂


= bar -¹/₂ min-¹



प्रश्न 13. किसी अभिक्रियक के लिए एक अभिक्रिया द्वितीय कोटि की है। अभिक्रिया का वेग कैसे प्रभावित होगाः यदि अभिक्रियक की सान्द्रता


 (i) दोगुनी कर दी जाए


 (ii) आधी कर दी जाए 


उत्तर एक अभिक्रिया के लिए, A → उत्पाद


 वेग = k [A]² = ka²


(i) जब A की सान्द्रता दोगुनी कर दी जाए अर्थात्


[A] = 2a

 

वेग = k(2a)²


वेग = 4ka²

अतः अभिक्रिया का वेग चार गुना हो जाता है।


 (ii) जब A की सान्द्रता आधी कर दी जाए


अर्थात् [A] = ½ a


वेग = k (a/2)² = ¼ ka²


अतः अभिक्रिया का वेग ¼ गुना हो जाता है अर्थात् एक चौथाई घट जाता है।


प्रश्न 14. एक अभिक्रिया, A के प्रति प्रथम तथा B के प्रति द्वितीय कोटि की है।



(i) अवकलन वेग समीकरण लिखिए। 


(ii) B की सान्द्रता तीन गुनी करने से वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?


(iii) A तथा B दोनों की सान्द्रता दोगुनी करने से वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?


उत्तर (i) वेग = k [A] [B]²


(ii) वेग = k [A] [3B]² = 9k [A] [B]²


अतः अभिक्रिया का वेग 9 गुना हो जाता है।


(iii) वेग = k [2A] [2B]² = 8k [A] [B]² अतः 


अभिक्रिया का वेग 8 गुना हो जाता है।


प्रश्न 15. वेग स्थिरांक पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है? ताप के इस प्रभाव को मात्रात्मक रूप में कैसे प्रदर्शित कर सकते हैं?


 उत्तर एक अभिक्रिया का वेग स्थिरांक, ताप बढ़ने के साथ बढ़ता है और ताप में प्रत्येक 10 ⁰C वृद्धि पर लगभग दोगुना हो जाता है। ताप के इस प्रभाव को मात्रात्मक रूप में आर्हेनियस समीकरण द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं। k = Ae-(ᴱₐ/RT)


जहाँ, Eₐ अभिक्रिया को सक्रियण ऊर्जा है तथा A आवृत्ति गुणक को प्रदर्शित करता है।


प्रश्न 16. आभासी (छद्म) एकाणुक अभिक्रिया को उदाहरण देते हुए समझाइए।



अथवा आभासी एकाणुक अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं? एथिल ऐसीटेट जल-अपघटन का उदाहरण देते हुए अभिक्रिया की कोटि और आण्विकता में अन्तर स्पष्ट कीजिए



उत्तर 


छद्म या आभासी एकाणुक अभिक्रियाएँ वे प्रथम कोटि की अभिक्रियाएँ जिनकी आण्विकता एक से अधिक होती है, आभासी एकाणुक अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। इस प्रकार की अभिक्रियाओं में एक अभिकारक आधिक्य में होता है।


 उदाहरण एथिल ऐसीटेट का जल अपघटन


CH₃COOC₂H₅ + H₂O → CH₃COOH + C₂H₅OH



एथिल ऐसीटेट इस अभिक्रिया की आण्विकता 2 तथा कोटि 1 है, क्योंकि अभिक्रिया में दो अभिकारक (एथिल ऐसीटेट तथा जल) प्रयुक्त हो रहे हैं, जबकि सान्द्रण केवल एक अभिकारक का प्रेक्षणीय रूप से परिवर्तित हो रहा है।


 दर = k[CH₃COOC₂H₅]




लघु उत्तरीय प्रश्न 3 अंक


प्रश्न 1. अभिक्रिया की कोटि से आप क्या समझते हैं? शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक का मान तथा मात्रक ज्ञात कीजिए। 


उत्तर 


अभिक्रिया की कोटि किसी अभिक्रिया की दर समीकरण में व्यक्त अभिकारकों के सान्द्रता पदों की घातों का योग, उस अभिक्रिया की कोटि कहलाती है।


उदाहरण 

               hv

H₂ + Cl₂ 2HCI

               H₂O


शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए, 


वेग स्थिरांक,  k= x/t


=   x का मात्रक /  t का मात्रक



k = मोल लीटर-¹ सेकण्ड -¹


प्रश्न 2. अभिक्रिया की कोटि को परिभाषित कीजिए। यह आण्विकता से किस प्रकार भिन्न है? एक उदाहरण देकर समझाइए।



अथवा अभिक्रिया की कोटि एवं आण्विकता में क्या अन्तर है? एक उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।


अथवा उदाहरण देते हुए रासायनिक अभिक्रिया की कोटि तथा आण्विकता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।


उत्तर 


अभिक्रिया की कोटि किसी अभिक्रिया की दर, समीकरण में व्यक्त अभिकारकों के सान्द्रता पदों की घातों का योग, उस अभिक्रिया की कोटि कहलाती है। 



उदाहरण



               hv

H₂ + Cl₂ 2HCI

               H₂O



अभिक्रिया की आण्विकता तथा कोटि में अन्तर



अभिक्रिया की आण्विकता

अभिक्रिया की कोटि

यह एक सैद्धान्तिक मान होता है, जिसे अभिक्रिया के आधार पर ज्ञात किया जा सकता है।


यह एक प्रायोगिक मान होता है, जिसे वेग समीकरण में अभिकारकों की  सान्द्रताओं के घातों के योग द्वारा प्राप्त किया जाता है।

इसका मान शून्य नहीं हो सकता है।

इसका मान शून्य हो सकता है।

इसका मान सदैव एक पूर्ण संख्या 1, 2 अथवा 3 होती है।

इसका मान पूर्ण संख्या या भिन्नात्मक संख्या दोनों प्रकार का हो सकता है।


इसका मान सदैव धनात्मक होता है।

इसका मान धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनों प्रकार का हो सकता है।




उदाहरण 


CH₃COOCH₃ + H₂O CH₃COOH + CH₃OH 


मेथिल ऐसीटेट के अम्लीय माध्यम में जल-अपघटन की अभिक्रिया में जल आधिक्य में है अर्थात् इसमें जल के सान्द्रण में कोई परिवर्तन नहीं होता है। इस अभिक्रिया की कोटि 1 है, जबकि इस अभिक्रिया में जल तथा एथिल ऐसीटेट के एक-एक अणु भाग ले रहे हैं। अत: इसकी आण्विकता 2 है।





 प्रश्न 3. अभिक्रिया की कोटि समझाते हुए निम्न अभिक्रिया की कोटि कारण सहित बताइए C₁₂H₂₂O₁₁ + H₂O →C₆H₁₂O₆+ C₆H₁₂O₆



उत्तर 


अभिक्रिया की कोटि


C₁₂H₂₂O₁₁ + H₂O →C₆H₁₂O₆+ C₆H₁₂O₆



इस अभिक्रिया की रससमीकरणमिति के अनुसार, अभिकारकों के दो अणु रासायनिक अभिक्रिया में प्रयुक्त होते हैं, परन्तु अभिक्रिया का वेग केवल शर्करा (C₁₂H₂₂O₁₁) की सान्द्रता पर ही निर्भर करता है अर्थात् अभिक्रिया के फलस्वरूप केवल  C₁₂H₂₂O₁₁ की सान्द्रता में परिवर्तन होता है। इस अभिक्रिया में जल की मात्रा इतनी अधिक होती है कि अभिक्रिया के दौरान जल की सान्द्रता में कोई दर्शनीय परिवर्तन नहीं होता है। अत: अभिक्रिया को छद्म प्रथम कोटि की अभिक्रिया कहते हैं। 


अतः अभिक्रिया का वेग = k[C₁₂H₂₂O₁₁]


प्रश्न 4. अभिक्रिया की गति निम्नलिखित द्वारा कैसे प्रभावित होती है?


 (i) अभिकारक सान्द्रण के परिवर्तन पर


(ii) ताप के परिवर्तन पर


(iii) उत्प्रेरक की उपस्थिति पर




उत्तर (i) अभिकारकों की सान्द्रता निश्चित ताप पर अभिकारकों की सान्द्रता में वृद्धि करने पर अभिक्रिया की दर में भी वृद्धि होती है। इसका कारण यह है, कि रासायनिक अभिक्रिया अणुओं के मध्य परस्पर टक्करों के द्वारा सम्पन्न होती हैं तथा प्रति इकाई आयतन में अभिकारक अणुओं की संख्या में वृद्धि होने पर अणुओं के मध्य टक्करों की सम्भावना में वृद्धि हो जाती है। फलस्वरूप अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है।



अभिक्रिया का वेग =  kअभिकारकों का सान्द्रण


(ii) ताप सामान्यतया ताप वृद्धि पर अभिक्रिया की दर में भी वृद्धि होती है, क्योंकि ताप वृद्धि से सक्रियित अणुओं का अंश बढ़ता है। किसी अभिक्रिया के 10°C के अन्तराल वाले दो तापों पर वेग स्थिरांकों का अनुपात अभिक्रिया का ताप गुणांक कहलाता है, अर्थात्


ताप गुणांक (μ) ={ (t + 10⁰C) पर/ t⁰C } =k₃₅⁰C/k₂₅⁰C



अधिकांश समांगी अभिक्रियाओं में 10⁰C ताप बढ़ाने पर अभिक्रिया की दर लगभग दोगुनी हो जाती है।


(iii) उत्प्रेरक उत्प्रेरक की उपस्थिति में सामान्यतया अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है क्योंकि उत्प्रेरक की उपस्थिति में अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा (Eₐ) का मान कम हो जाता है, जिससे सक्रियित अणुओं का अंश बढ़ जाता है।


प्रश्न 5. हम एक अभिक्रिया की कोटि का निर्धारण सन्तुलित रासायनिक समीकरण द्वारा क्यों नहीं कर सकते हैं? 


उत्तर सन्तुलित रासायनिक समीकरण प्रायः गलत कोटि अथवा वेग नियम को बताती है। उदाहरण के लिए निम्नलिखित अभिक्रिया एक दसवी कोटि अभिक्रिया प्रतीत होती है।


KCIO₃ + 6FeSO₄ + 3H₂SO₄ → KCI + 3H₂O + 3Fe₂(SO₄)₃


 वास्तव में यह एक द्वितीय कोटि अभिक्रिया है। यह अभिक्रिया जटिल है तथा कई पदों में होती है। इस प्रकार की अभिक्रिया की कोटि का निर्धारण अभिक्रिया क्रियाविधि में सबसे मन्द पद द्वारा किया जाता है। अतः कोटि को प्रयोगात्मक रूप में ज्ञात किया जाता है तथा अभिकारकों की सान्द्रता पर प्रेक्षित अभिक्रिया के वेग की निर्भरता की सीमा को ज्ञात करते हैं।




            लघु उत्तरीय प्रश्न 4 अंक




प्रश्न 1. किसी रासायनिक अभिक्रिया के औसत वेग और तात्क्षणिक वेग से आपका क्या तात्पर्य है? अभिक्रिया के वेग पर ताप के प्रभाव को संक्षेप में समझाइए । 


अथवा अभिक्रिया का वेग क्या है? किसी रासायनिक अभिक्रिया के वेग को ताप किस प्रकार प्रभावित करता है?



उत्तर 


औसत दर या वेग "किसी निश्चित समय अन्तराल (∆t) में अभिकारक या उत्पाद की सान्द्रता में हुए परिवर्तन (∆c) की दर को अभिक्रिया का औसत वेग या दर कहते हैं।" औसत अभिक्रिया वेग को rₐᵥ द्वारा व्यक्त करते हैं। 




औसत वेग,


rₐᵥ = ±(∆c)/(∆t)

   


       = ± (c₂-c₁/t₁-t₂)


तात्क्षणिक वेग  "किसी निश्चित समय (क्षण) पर अभिकारक या उत्पाद की सान्द्रता में होने वाले परिवर्तन की दर को उस अभिक्रिया का तात्क्षणिक वेग या दर कहते हैं।" इसे  rᵢₙₛₜ के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। तात्क्षणिक वेग अभिक्रिया का वास्तविक वेग कहलाता है।




अभिक्रिया वेग की ताप पर निर्भरता सामान्यतया ताप में वृद्धि करने पर रासायनिक अभिक्रियाओं के वेग में भी वृद्धि होती है इसलिए किसी अभिक्रिया के लिए वेग किसी निश्चित ताप पर निर्धारित किए जाते हैं। यह पाया गया है, कि 10°C ताप बढ़ाने पर अभिक्रिया का वेग लगभग दोगुना हो जाता है अर्थात् अभिक्रिया का वेग स्थिरांक भी दोगुना हो जाता है। 


यदि 1°C पर वेग स्थिरांक kₜ हो और 10°C अधिक ताप पर वेग स्थिरांक kₜ+₁₀  हो, तो इनका अनुपात ताप गुणांक कहलाता है।


ताप गुणांक =( kₜ+₁₀)/kₜ =2



कुछ अभिक्रियाएँ, जैसे-2NO + 0₂ → 2NO₂


में ताप गुणांक एक से कम हो जाता है, जो यह दर्शाता है, कि अभिक्रियाओं का वेग ताप के बढ़ाने पर कम हो जाता है। सामान्यतया ताप बढ़ाने पर अणुओं के मध्य प्रति सेकण्ड होने वाली टक्करों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे अभिक्रिया का वेग भी बढ़ जाता है।


अर्थात्


अभिक्रिया वेग = kटक्करों की संख्या


लेकिन परिकलन से यह ज्ञात होता है, कि 10°C ताप बढ़ाने पर अणुओं के मध्य टक्करें केवल 2.0% से 3.0% के लगभग ही बढ़ती है, जबकि अभिक्रिया का

वेग 200% से 300% के लगभग बढ़ जाता है। 



प्रश्न 2. प्रथम कोटि की अभिक्रिया का उदाहरण देते हुए वेग स्थिरांक के व्यंजक का सूत्र तथा लक्षण लिखिए। 


अथवा प्रथम कोटि की अभिक्रिया को एक उदाहरण द्वारा समझाइए


अथवा प्रथम कोटि की अभिक्रिया के वेग स्थिरांक का मात्रक लिखिए एवं इन अभिक्रियाओं के दो प्रमुख लक्षण लिखिए।



उत्तर प्रथम कोटि की अभिक्रिया वह अभिक्रिया जिसकी दर एक अभिकारक की सान्द्रता की प्रथम घात के समानुपाती होती है, प्रथम कोटि की अभिक्रिया कहलाती है। 



उदाहरण- 

2N₂O₅ → 4NO₂+ O₂


दर =k[N₂O₅]



प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिराक का व्यंजक निम्न है वेग स्थिरांक, k= (2.303 /t)log(a/a-x )



k= वेग स्थिरांक


(a-x) =अभिकारक कीt समय पश्चात् सान्द्रता


a = अभिकारक की प्रारम्भिक सान्द्रता


x = t समय पश्चात् अपघटित पदार्थ की सान्द्रता




प्रश्न 3. प्रथम कोटि की अभिक्रिया के वेग स्थिरांक के लिए व्यंजक लिखिए तथा सन्निहित पदों को समझाइए सिद्ध कीजिए कि प्रथम कोटि की अभिक्रिया का अर्द्ध-आयुकाल अभिकारकों के प्रारम्भिक सान्द्रण पर निर्भर नहीं करता है। 



अथवा सिद्ध कीजिए कि एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया में अभिक्रिया की आधी मात्रा पूरा करने का समय अभिकारकों के प्रारम्भिक सान्द्रण पर निर्भर नहीं करता है। 


उत्तर प्रथम कोटि की अभिक्रिया वह अभिक्रिया जिसकी दर एक अभिकारक की सान्द्रता की प्रथम घात के समानुपाती होती है, प्रथम कोटि की अभिक्रिया कहलाती है।


उदाहरण 2N₂O₅ →  4NO₂+ O₂ प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक का व्यंजक निम्न है


वेग स्थिरांक, k = {2.303/t} log(a/a-x )


जहाँ, k = वेग स्थिरांक, a= अभिकारक की प्रारम्भिक सान्द्रता (a-x) = अभिकारक की t समय पश्चात् सान्द्रता x =t समय पश्चात् अपघटित पदार्थ की सान्द्रता



अर्द्ध- आयुकाल के व्यंजक की गणना अर्द्ध-आयुकाल वह समय होता है, जिसमें कोई पदार्थ अपनी प्रारम्भिक मात्रा का आधा हो जाता है। अतः यदि,


x =a/2 तो t = t½(अर्द्ध-आयुकाल) 


 वेग स्थिरांक समीकरण से,


k = 2.303/t½ {log(a/(a-a/2)}



k ={ 2.303/ t½ }  x .3010


( logo 2 = 0.3010)


k = 0.693/t½ या t½ = 0.693 k 


उपरोक्त सूत्र के अनुसार, प्रथम कोटि की अभिक्रिया का अर्द्ध आयुकाल अभिकारकों की प्रारम्भिक सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता है।



प्रश्न 4. निम्नलिखित की व्याख्या कीजिए।


(i) ताप गुणांक


(ii) प्रथम कोटि की अभिक्रिया 



उत्तर


(i) ताप गुणांक यदि t⁰C पर वेग स्थिरांक kₜ, हो और 10ᵒC अधिक ताप पर वेग स्थिरांक Rₜ+₁₀हो, तो इनका अनुपात ताप गुणांक कहलाता है। 


ताप गुणांक = (Rₜ+₁₀ᵒc) / kₜ      


 अर्थात् 10°C के अन्तराल वाले दो तापों पर दर स्थिरांकों का अनुपात ताप गुणांक कहलाता है।



 (ii) वे अभिक्रियाएँ जिनमें अभिक्रिया का वेग अभिकारक अणुओं की सान्द्रता के गुणनफल की प्रथम घात के समानुपाती होता है, प्रथम कोटि की अभिक्रियाएँ कहलाती हैं अर्थात् इन अभिक्रियाओं का वेग केवल एक अभिकारक अणु की एकल घात की सान्द्रता पर निर्भर करता है।



 उदाहरण 2N₂0₅   →    4NO₂ +0₂



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