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यूपी बोर्ड कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान अध्याय 20 उपभोक्ता अधिकार








4   उपभोक्ता अधिकार





याद रखने योग्य मुख्य बिन्दु


1.उपभोक्ताओं की भागीदारी बाजार में तब होती है, जब वे अपनी आवश्यकतानुसार वस्तुओं या सेवाओं को खरीदते हैं। उपभोक्ता के रूप में लोगों द्वारा उपभोग किये जानेवाली में अंतिम वस्तुएँ होती है।


2.अत्यधिक खाद्यकमी, जमाखोरी, कालाबाजारी खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेल में मिलावट के कारण भारत में 1960 के दशक में उपभोक्ता आंदोलन का उदय हुआ।


3.उपभोक्ता आन्दोलन के जन्मदाता रेलफ नाडर थे जिन्होंने उपभोक्ता आन्दोलन को 1962 ई. में शुरू किया था।



4. भारत सरकार ने 1986 ई. में उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम पारित किया, जिसे COPRA (कोपरा) कानून के नाम से जाना जाता है।


5." सन् 2005 के अक्टूबर में भारत सरकार ने एक कानून लागू किया जो 'RTI (राइट टू इनफॉरमेशन)' या 'सूचना पाने का अधिकार' के नाम से जाना जाता है. और जो अपने नागरिकों को सरकारी विभागों के कार्य-कलापों की सभी सूचनाएँ पाने के अधिकार को सुनिश्चित करता है।


6.जिला स्तर का न्यायालय ₹20 लाख तक के दावों से संबंधित मुकदमों पर विचार करता है, राज्य स्तरीय अदालते ₹20 लाख से ₹ 1 करोड़ तक और राष्ट्रीय स्तर की अदालते ₹1 करोड़ से ऊपर की दावेदारी से संबंधित मुकदमों को देखती हैं।


7.इलेक्ट्रिक सामान के लिए आई. एस. आई. शब्द चिह्न (लोगो) और खाद्य पदार्थ के लिए एगमार्क या हॉलमार्क के शब्द चिह्न (लोगो) को प्रमाणक चिह्न के रूप में जारी किया गया है जो वस्तुओं के अच्छी गुणवत्ता के प्रमाणक हैं।


8.24 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज देश में 700 से अधिक उपभोक्ता संगठन हैं जिनमें से केवल 20-25 ही अपने कार्यों के लिए पूर्ण संगठित और मान्यता प्राप्त हैं।


महत्त्वपूर्ण शब्दावली


उपभोक्ता-ऐसे व्यक्ति जो अपनी आवश्यकतानुसार वस्तुओं या सेवाओं को खरीदते हैं और उनका उपभोग करते हैं, उपभोक्ता कहलाते हैं।


 उत्पादक ऐसा व्यक्ति जो चीजों का निर्माण या उत्पादन करता है। 


उपभोक्ता इंटरनेशनल-सन् 1985 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने उपभोक्ता सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के दिशा-निर्देशों को अपनाया और उपभोक्ताओं को

शोषण से बचाने के लिए उपभोक्ता इंटरनेशनल का गठन किया। 


 कोपरा (COPRA) – सन् 1986 में भारत सरकार द्वारा एक बड़ा कदम उठाया गया। यह उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 कानून बनाया गया जो

'कोपरा' के नाम से प्रसिद्ध हैं।


सूचना का अधिकार (RT.I.)- सन् 2005 के अक्टूबर में भारत सरकार ने एक कानून बनाया जो सूचना के अधिकार के नाम से जाना जाता है। इसमें नागरिकों को सरकारी विभागों के कार्य-कलापों की सूचनाएँ पाने का अधिकार है।


राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस–24 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1986 को इसी दिन भारतीय संसद ने उपभोक्ता

सुरक्षा अधिनियम पारित किया था।


आई.एस.आई औद्योगिक और उपभोक्ता वस्तुओं के लिए मानक निर्धारित किया जाता है। इसके लिए उनकी गुणवत्ता की जाँच करके आई. एस. आई. की मोहर लगाई जाती है, जिसका अर्थ है-'भारतीय मानक संस्थान ।


बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक


प्रश्न 1.भारत में उपभोक्ता आंदोलन किस रूप में हुआ?


(क) उपभोक्ता जागरूकता


(ख) सामाजिक बल


(ग) अनैतिक व अनुचित व्यवसाय


(घ) उपरोक्त सभी


उत्तर-


(क) उपभोक्ता जागरूकता


प्रश्न 2. भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कब पारित किया गया?


(क) 1982


(ख) 1984


(ग) 1985


(घ) 1986


उत्तर-


(घ) 1986


प्रश्न 3. 'सूचना पाने का अधिकार अधिनियम कब पारित हुआ?


(क) अक्टूबर, 2005 में   (ख) मार्च, 2005 में


(ग) जनवरी, 2006 में     (घ) अप्रैल, 2007 में


उत्तर


(क) अक्टूबर, 2005 में


प्रश्न 4. एगमार्क किन वस्तुओं के लिए प्रामाणिक चिह्न है?


(क) उत्पादित सामान


(ख) स्वर्ण व चाँदी


(ग) उत्पादित मशीन


 (घ) खाद्य-पदार्थ


उत्तर-


(घ) खाद्य-पदार्थ


अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 2 अंक


प्रश्न 1. उपभोक्ता किसे कहते हैं?


उत्तर- ऐसे व्यक्ति जो अपनी आवश्यकतानुसार वस्तुओं या सेवाओं को खरीदते हैं और उनका उपभोग करते हैं, उन्हें उपभोक्ता कहते हैं।


प्रश्न 2. उपभोक्ता इंटरनेशनल क्या है?


उत्तर- सन् 1985 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने उपभोक्ता सुरक्षा के लिए संयुक्त को शोषण से बचाने राष्ट्र संघ के दिशा-निर्देशों को अपनाया और उपभोक्ताओं के लिए उपभोक्ता इंटरनेशनल का गठन किया।



प्रश्न 3. सूचना का अधिकार क्या है?


उत्तर- सन् 2005 के अक्टूबर में भारत सरकार ने एक कानून बनाया जो 'सूचना पाने के अधिकार' के नाम से जाना जाता है। इसमें नागरिकों को सरकारी विभागों के कार्य-कलापों की सूचनाएँ पाने का अधिकार है।


प्रश्न 4. कोपरा कानून क्या है?


उत्तर- सन् 1986 में भारत सरकार द्वारा एक बड़ा कदम उठाया गया। यह उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 कानून बनाया गया जो कोपरा के नाम से

प्रसिद्ध है।


प्रश्न 5. आई.एस.आई. किन वस्तुओं के लिए प्रमाणक चिह्न है? 


उत्तर- आई.एस.आई. इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक सामान का प्रमाणक चिह्न है।


प्रश्न 6. उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत किन कारणों से हुई?


 उत्तर- उपभोक्ताओं का विक्रेताओं और उत्पादकों द्वारा विभिन्न तरीकों से शोषण; जैसे—उपभोक्ता से अधिक कीमत वसूल करना, वस्तुओं में मिलावट करना, कम माप-तौल करना, असली के स्थान पर नकली वस्तुओं को देना आदि के कारण उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत हुई। है?


प्रश्न 7. एगमार्क किन वस्तुओं के लिए प्रमाणक चिह्न

 उत्तर- एगमार्क खाद्य पदार्थ के लिए प्रमाणक चिह्न है।


प्रश्न 8. राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? 


उत्तर 24 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया

जाता है। सन् 1986 को इसी दिन भारतीय संसद ने उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम पारित किया था।


प्रश्न 9. उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन कैसे कर सकते हैं?



उत्तर उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन उपभोक्ता दल बनाकर, उपभोक्ता आंदोलनों के द्वारा तथा उपभोक्ता सुरक्षा परिषदों को बनाकर कर सकते हैं।



लघु उत्तरीय प्रश्न 3 अंक



प्रश्न 1. उपभोक्ता सुरक्षा परिषदें' किस प्रकार उपभोक्ताओं की मदद करती हैं? तीन तरीके स्पष्ट कीजिए। 



उत्तर

उपभोक्ता सुरक्षा परिषदें निम्नलिखित प्रकार से उपभोक्ताओं की मदद करती है


(i) विक्रेताओं या उत्पादकों द्वारा शोषण होने पर उपभोक्ता सुरक्षा परिषद् या उपभोक्ता अदालत, उपभोक्ताओं द्वारा शिकायत करने पर सुनवाई करती है।


(ii) उपभोक्ता विवादों के निपटारे के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तरों पर एक त्रिस्तरीय न्यायिक तंत्र स्थापित किया गया है। 


(iii) जिला स्तर के न्यायालय ₹20 लाख तक के दावों से संबंधित मुकदमों पर विचार करते हैं, राज्य स्तरीय अदालतें ₹20 लाख से ₹1 करोड़ तक और राष्ट्रीय स्तर की अदालतें ₹1 करोड़ से ऊपर


प्रश्न 2.की दावेदारी से संबंधित मुकदमों को देखती हैं। हम बाजार में उत्पादक और उपभोक्ता के रूप में किस प्रकार भागीदारी करते हैं? तीन उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।


उत्तर- हम बाजार में उत्पादक और उपभोक्ता के रूप में निम्न प्रकार से भागीदारी करते हैं 


(i) अगर एक व्यक्ति किसी कार्यालय, उद्योग या अन्य क्षेत्रों में काम करता है तो वह सेवा का उत्पादक है।


(ii) जब कोई भी व्यक्ति विक्रेता या उत्पादक से वस्तुओं या सेवाओं को खरीदता है तो उसे उपभोक्ता कहा जा सकता है।


(iii) एक व्यक्ति किसी एक वस्तु या सेवा का उत्पादक है तो वह दूसरी वस्तु के लिए उपभोक्ता है। टाटा मोटर कार, नमक, चाय आदि के उत्पादक हैं, तो वहीं दूसरी ओर वे अनाज, सब्जी, तेल, घी को खरीदते हैं तो वह उसका उपभोक्ता है।


प्रश्न 3. मानकीकरण से क्या अभिप्राय है? कुछ

ऐसे उपायों के नाम बताइए,


उत्तर –जिनका मानकीकरण जरूरी है। मानकीकरण से अभिप्राय है-विभिन्न उत्पादों की गुणवत्ता देखकर उत्तर उनके लिए मानक या प्रमाण चिह्न निर्धारित करना । जब उपभोक्ता कोई वस्तु खरीदे तो ये प्रमाण चिह्न उन्हें अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित कराने में मदद करते हैं। कुछ उत्पाद जो उपभोक्ता की सुरक्षा और स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं या जिनका उपयोग बड़े पैमाने पर होता है, जैसे-एल.पी.जी. सिलेंडर्स, खाद्य रंग एवं उसमें प्रयुक्त सामग्री, सीमेंट, बोतलबंद पेयजल आदि। इनके उत्पादन के लिए यह जरूरी होता है कि उत्पादक इन संगठनों से प्रमाण प्राप्त करें।


प्रश्न 4. कोपरा (COPRA) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।


उत्तर- सन् 1986 में भारत सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया। सन् 1986 में उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 बनाया गया जो कोपरा (COPRA) के नाम से प्रसिद्ध है। इस अधिनियम के द्वारा उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए कई कदम उठाए गए। सर्वप्रथम- राष्ट्रीय राज्य और जिला स्तर पर तीन स्तरीय उपभोक्ता अदालतों का निर्माण किया गया। राष्ट्रीय स्तर पर इसे राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत कहते हैं। राज्य स्तर पर इसे राज्य आयोग तथा जिला स्तर पर इसे जिला मंच कहा जाता है।


प्रश्न 5.उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के निर्माण की ज़रूरत क्यों पड़ी?


उत्तर- बाज़ार में उपभोक्ता को शोषण से बचाने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी। लंबे समय तक उपभोक्ताओं का शोषण उत्पादकों तथा विक्रेताओं के द्वारा किया जाता रहा। इस शोषण से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए सरकार पर उपभोक्ता आंदोलनों के द्वारा दबाव डाला गया। यह वृहत् स्तर पर उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ और अनुचित व्यवसाय शैली को सुधारने के लिए व्यावसायिक कंपनियों और सरकार दोनों पर दबाव डालने में सफल हुआ। 1986 में भारत सरकार द्वारा एक बड़ा कदम उठाया गया। यह उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 कानून बनाया गया, जो कोपरा (COPRA) के नाम से प्रसिद्ध है।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 6 अंक


प्रश्न 1. उपभोक्ता की रक्षा के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों का वर्णन कीजिए।


या भारत में उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए सरकार द्वारा किन कानूनी मापदंडों को लागू करना चाहिए?


 उत्तर- सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं


1. कानूनी उपाय – उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए भारत सरकार ने सन् 1986 में उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम बनाया। इस कानून के द्वारा राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तर पर तीन स्तरीय उपभोक्ता अदालतों का निर्माण किया गया। राष्ट्रीय स्तर पर इसे राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, राज्य स्तर पर इसे राज्य आयोग तथा जिला स्तर पर इसे जिला मंच कहा जाता है। इस अधिनियम में 1991 और 1993 में संशोधन करके कानून को और कड़ा बनाया गया है ताकि उपभोक्ताओं की शिकायतों का जल्दी और बेहतर निपटारा हो सके।


सन् 2005 के अक्टूबर में भारत सरकार ने एक कानून बनाया जिसे 'सूचना पाने व अधिकार' के नाम से जाना जाता है। यह सभी नागरिकों को सरकारी विभागों के कार्य-कलापों की सभी सूचनाएँ पाने के अधिकार को सुनिश्चित करता है।


2. प्रशासनिक उपाय- सरकार ने आवश्यक वस्तुओं का वितरण सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा करके कालाबाजारी, जमाखोरी तथा मुनाफा वसूली को रोकने का प्रयास किया है जिससे उपभोक्ताओं का शोषण न हो।


3. तकनीकी उपाय- तकनीकी उपाय में सरकार द्वारा विभिन्न वस्तुओं का मानकीकरण करना शामिल है। इसमें विभिन्न चीजों की गुणवत्ता की जाँच करके एगमार्क व आई.एस.आई. की मोहर लगाई जाती है। अब उपभोक्ता के लिए विभिन्न उत्पादों की खरीद के समय इन प्रामाणिक चिह्नों को देखना संभव है।


इस प्रकार सरकार ने तकनीकी, प्रशासनिक तथा कानूनी उपाय अपनाकर उपभोक्ताओं को उत्पादकों, व्यापारियों तथा दुकानदारों के शोषण से बचाने में मदद की है।


प्रश्न 2.भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत किन कारणों से हुई? इसके विकास के बारे में पता लगाइए


या भारत में उपभोक्ता आंदोलन का आरम्भ करने के लिए उत्तरदायी कारणों की व्याख्या कीजिए।


 उत्तर उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत उपभोक्ताओं के असंतोष के कारण हुई क्योंकि विक्रेता कई अनुचित व्यवसायों में शामिल होते थे। बाज़ार में

उपभोक्ता को शोषण से बचाने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी। यह माना जाता था कि एक उपभोक्ता की जिम्मेदारी है कि वह एक वस्तु या सेवा को खरीदते समय सावधानी बरते। संस्थाओं को लोगों में जागरूकता लाने में भारत और पूरे विश्व में कई वर्ष लग गए। इन्होंने वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी विक्रेताओं पर भी डाल दी।


भारत में सामाजिक बल के रूप में उपभोक्ता आंदोलन का जन्म, अनैतिक और अनुचित व्यवसाय कार्यों में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता के फलस्वरूप हुआ। अत्यधिक खाद्य कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी, खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेल में मिलावट की वजह से 1960 के दशक में व्यवस्थित रूप में उपभोक्ता आंदोलन का उदय हुआ। 1970 तक उपभोक्ता संस्थाएँ बड़े पैमाने पर उपभोक्ता अधिकार से संबंधित आलेखों के लेखन और प्रदर्शन का आयोजन करने लगी। इसके लिए उपभोक्ता दल बनाए गए। भारत में उपभोक्ता दलों की संख्या में भारी वृद्धि हुई।


इन सभी प्रयासों के परिणामस्वरूप यह आंदोलन वृहत् स्तर पर उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ और अनुचित व्यवसाय शैली को सुधारने के लिए व्यावसायिक कंपनियों और सरकार दोनों पर दबाव डालने में सफल हुआ।


प्रश्न 3. कुछ ऐसे कारकों की चर्चा करें जिनसे उपभोक्ताओं का शोषण होता है।


या वे कौन-से विभिन्न कारक हैं जिनके द्वारा बाजार में उपभोक्ताओं का शोषण किया जाता है?


या उपभोक्ताओं का शोषण किस प्रकार किया जाता है? उदाहरण देकर समझाइए।


या तीन ऐसे कारकों को बताइए जिसमें उपभोक्ताओं का शोषण होता है।


या उपभोक्ता जागरुकता की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए। 


 उत्तर- व्यापारी, दुकानदार और उत्पादक कई तरीकों से उपभोक्ताओं का शोषण करते हैं। अतः उपभोक्ताओं का जागरूक होना अति आवश्यक है। उपभोक्ताओं को शोषित करने के कुछ प्रमुख तरीके निम्नलिखित हैं


1. घटिया सामान– कुछ बेईमान उत्पादक जल्दी धन एकत्र करने के उद्देश्य से घटिया किस्म का माल बाजार में बेचने लगते हैं। दुकानदार भी ग्राहक को घटिया माल दे देता है क्योंकि ऐसा करने से उसे अधिक लाभ होता है।


2. कम तोलना या मापना-बहुत-से चालाक व लालची दुकानदार ग्राहकों को विभिन्न प्रकार की चीजें कम तोलकर या कम मापकर उनको ठगने का प्रयत्न करते हैं।


3. अधिक मूल्य–जिन चीजों के ऊपर विक्रय मूल्य नहीं लिखा होता, वहाँ कुछ दुकानदारों का यह प्रयत्न होता है कि ऊँचे दामों पर चीजों को बेचकर अपने लाभ को बढ़ा लें।


4. मिलावट करना - लालची उत्पादक अपने लाभ को बढ़ाने के लिए खाने-पीने की चीजों; जैसे—घी, तेल, मक्खन, मसालों आदि में मिलावट करने से बाज नहीं आते। ऐसे में उपभोक्ताओं को दोहरा नुकसान होता है। एक तो उन्हें घटिया माल की अधिक कीमत देनी पड़ती है दूसरे, उनके स्वास्थ्य को भी नुकसान होता है।


5. सुरक्षा उपायों की अवहेलना-कुछ उत्पादक विभिन्न वस्तुओं को बनाते समय सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करते। बहुत-सी चीजें हैं जिन्हें सुरक्षा की दृष्टि से खास सावधानी की जरूरत होती है; जैसे—प्रेशर कुकर में खराब सेफ्टी वॉल्व के होने से भयंकर दुर्घटना हो सकती है। ऐसे में उत्पादक थोड़े-से लालच के कारण जानलेवा उपकरणों को बेचते हैं।


6. अधूरी या गलत जानकारी-बहुत-से उत्पादक अपने सामान की गुणवत्ता को बढ़ा-चढ़ाकर पैकेट के ऊपर लिख देते हैं जिससे उपभोक्ता धोखा खाते हैं। जब वे ऐसी चीजों का प्रयोग करते हैं तो उल्टा ही पाते हैं और अपने-आपको ठगा हुआ महसूस करते हैं।


7. असंतोषजनक सेवा- बहुत-सी वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिन्हें खरीदने के बाद एक लंबे समय तक सेवाओं की आवश्यकता होती है; जैसे -कूलर, , फ्रिज, वाशिंग मशीन, स्कूटर और कार आदि। परंतु खरीदते समय जो वादे उपभोक्ता से किए जाते हैं, वे खरीदने के बाद पूरे नहीं किए जाते। विक्रेता और उत्पादक एक-दूसरे पर इसकी जिम्मेदारी डालकर उपभोक्ताओं को परेशान करते हैं।


8. कृत्रिम अभाव – लालच में आकर विक्रेता बहुत-सी चीजें होने पर भी उन्हें दबा लेते हैं। इसकी वजह से बाजार में वस्तुओं का कृत्रिम अभाव पैदा हो जाता है। बाद में इसी सामान को ऊंचे दामों पर बेचकर दुकानदार लाभ कमाते हैं। इस प्रकार विभिन्न तरीकों द्वारा उत्पादक, विक्रेता और व्यापारी उपभोक्ताओं का शोषण करते हैं। उक्त कारणों से स्पष्ट है कि उपभोक्ता जागरुकता अति आवश्यक है।


प्रश्न 4. उपभोक्ता के अधिकारों की व्याख्या कीजिए। 


उत्तर- उपभोक्ताओं से सम्बन्धित मुख्य अधिकार निम्नलिखित हैं


1. सुरक्षा का अधिकार-(i) जब हम एक उपभोक्ता के रूप में बहुत-सी वस्तुओं और सेवाओं का उपयोग करते हैं, तो हमें वस्तुओं के बाजारीकरण और सेवाओं की प्राप्ति के खिलाफ सुरक्षित रहने का अधिकार होता है क्योंकि ये जीवन और संपत्ति के लिए खतरनाक होते हैं। 


(ii) उत्पादकों के लिए आवश्यक है कि वे सुरक्षा नियमों और विनियमों वे का पालन करें।


(iii) ऐसी बहुत सी वस्तुएँ और सेवाएँ हैं, जिन्हें हम खरीदते हैं तो सुरक्षा की दृष्टि से खास सावधानी की जरूरत होती है।


2. सूचना का अधिकार- उपभोक्ताओं को यह अधिकार दिया गया है कि वे वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य की मात्रा की गुणवत्ता के बारे में सूचना प्राप्त करें।


3. चुनने का अधिकार- उपभोक्ताओं को यह अधिकार है कि वह वस्तुओं तथा सेवाओं की किस्म तथा उचित मूल्य की जानकारी रखें और यदि एक ही विक्रेता है, तो उपभोक्ता को पूर्ण अधिकार है कि वह इच्छानुसार ठीक मूल्य पर सही वस्तु का चुनाव कर सके।



 4. सुनवाई का अधिकार - हर उपभोक्ता को यह अधिकार है कि उपभोक्ता के हितों से जुड़ी विभिन्न संस्थाएँ उन्हें यह आश्वासन दें कि उनकी समस्याओं का पूरा ध्यान दिया जाएगा।


5. शिकायतें निपटाने का अधिकार-हर उपभोक्ता को यह अधिकार है कि वह जब उत्पादकों द्वारा शोषित हो अथवा ठगा जाए तो उनकी शिकायत कर उसके हक में ठीक प्रकार से निपटारा हो।


 6. प्रतिनिधित्व का अधिकार-(i) कोपरा के अंतर्गत उपभोक्ता विवादों के निपटारे के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तरों पर एक त्रि-स्तरीय न्यायिक तंत्र स्थापित किया गया है।


 (ii) यदि कोई मुकदमा जिला स्तर के न्यायालय में खारिज कर दिया जाता है, तो उपभोक्ता राज्य स्तर के न्यायालय में और उसके बाद राष्ट्रीय स्तर के न्यायालय में भी अपील कर सकता है।


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