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Class 12 chemistry chapter 06 p block elements p ब्लॉक के तत्व–II notes in hindi

 Class 12 chemistry chapter 06 p block elements in hindi


कक्षा 12वी रसायन विज्ञान अध्याय 06 p ब्लॉक के तत्व – II


class 12 chemistry full solutions notes in hindi







p ब्लॉक के तत्व – II



वर्ग-15(VA) के तत्व (नाइट्रोजन परिवार) आवर्त सारणी के दीर्घ रूप में वर्ग-15 में नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), आर्सेनिक (As), ऐन्टिमनी (Sb) तथा बिस्मथ (BI) तत्व सम्मिलित किए गए हैं। नाइट्रोजन व फॉस्फोरस अधातु, आर्सेनिक व ऐन्टिमनी उपधातु तथा बिस्मथ एक धातु है। इन्हें सम्मिलित रूप में निकोजन भी कहते हैं तथा इनके यौगिक निक्टाइड्स (Pnictides) कहलाते है।


उपलब्धता फॉस्फोरस के अतिरिक्त इस वर्ग के अन्य सभी तत्व प्रकृति में अत्यधिक मात्रा में पाये जाते हैं। भू-पर्पटी के खनिजों में यह तत्व सोडियम नाइट्रेट तथा पोटैशियम नाइट्रेट के रूप में पाया जाता है।


वर्ग-15 के तत्वों के सामान्य गुणधर्म


(i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास इन तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns²  np³ होता है।


(ii) आयनन ऊर्जा इस वर्ग के तत्वों की आयनन ऊर्जा, अर्द्ध-पूर्ण p-कक्षीय इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के अतिरिक्त स्थायित्व व छोटे आकार के कारण वर्ग-14 के संगत तत्वों से बहुत अधिक होती है।


(iii) ऑक्सीकरण अवस्था इन तत्वों की सामान्य ऑक्सीकरण अवस्थाएँ - 3, +3 तथा +5 होती हैं। नाइट्रोजन की अधिकतम सहसंयोजकता 4 होती है। 


(iv) हाइड्राइडों की प्रकृति इस वर्ग के तत्व MH3 प्रकार के हाइड्राइड बनाते हैं।


NH₃ > PH₃ > AsH₃> SbH₃> BiH₃ हाइड्राइडों के तापीय स्थायित्व का घटता क्रम


आबन्ध कोण का मान भी इसी क्रम में घटता है।


(v) हाइड्राइडों का अपचायक गुण


NH₃ < PH₃ < AsH₃ < SbH₃ < BiH₃


अपचायक गुण में वृद्धि का क्रम


हाइड्राइडों के क्वथनाकों में वृद्धि का क्रम निम्न प्रकार है PH₃ < AsH₃ <NH₃< SbH₃ < BiH₃




(vi) ऑक्साइडों की प्रकृति समूह 15 के तत्व ऑक्सीजन से संयोग करके विभिन्न होता प्रकार के ऑक्साइड बनाते हैं।


जैसे - N₂O, NO, N₂0₃, NO₂ N₂O₄.  N₂ O₅, आदि। वर्ग में नीचे जाने पर ऑक्साइडों का अम्लीय गुण घटता है। 


नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O) को हँसाने वाली गैस (हास्य गैस) भी कहते हैं। यह उदासीन प्रकृति की होती है। इसका लिटमस पत्र पर कोई प्रभाव नहीं होता है।


नाइट्रोजन का असंगत व्यवहार


नाइट्रोजन अत्यन्त छोटे आकार, उच्च आयनन ऊर्जा, उच्च विद्युतऋणात्मकता तथा संयोजी कक्ष में d कक्षकों की अनुपस्थिति के कारण असामान्य व्यवहार प्रदर्शित करता है। d-कक्षकों की अनुपस्थिति के कारण, नाइट्रोजन अपने अष्टक का प्रसार नहीं कर सकता। अतः NF₅ नहीं बनता है।


नाइट्रोजन


नाइट्रोजन समूह 15 का प्रथम तत्व है। वायु में इसकी लगभग 78 प्रतिशत मात्रा पायी जाती है यह द्विपरमाण्विक अणु (N₂) के रूप में होती है। इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s², 2s², 2p³



विरचन की विधियाँ प्रयोगशाला में नाइट्रोजन को सोडियम नाइट्राइट तथा अमोनियम क्लोराइड के सान्द्र विलयनों को गर्म करके बनाया जाता है।


NaNO₂ + NH₄Cl → N₂ + 2H₂O + NaCl                                                  


सोडियम नाइट्राइट अमोनियम क्लोराइड नाइट्रोजन



अमोनियम डाइक्रोमेट को गर्म करके भी नाइट्रोजन को बनाया जाता है

 (NH₄)₂ Cr₂O₇  → Cr₂0₃ + 4H₂0 + N₂


अमोनियम डाइक्रोमेट




गुणधर्म


(i) नाइट्रोजन एक रंगहीन, गन्धहीन, स्वादहीन तथा अविषैली गैस है।


 (ii) N ट्रिपल बॉन्ड N की उच्च आबन्ध ऊर्जा के कारण नाइट्रोजन कमरे के ताप पर अत्यधिक अक्रिय होती है।


नाइट्रोजन के उपयोग


नाइट्रोजन के प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं


(i) इसका प्रयोग क्रायोसर्जरी में होता है।


(ii) विद्युत लैम्पों में अक्रिय वातावरण उत्पन्न करने में इसे प्रयुक्त करते हैं।


नाइट्रोजन के यौगिक


(i) अमोनिया (NH₃)


बनाने की विधि अमोनिया को औद्योगिक रूप से हैबर विधि द्वारा बनाया जाता है। 


हैबर विधि N₂(g) + 3H₂(g) 2NH₃(g);

 ∆H = - 92.0 किलोजूल


NH₃ के उत्पादन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ ताप =~700K,दाब = 200 वायुमण्डलीय


उत्प्रेरक K₂0 तथा Al₂O₃, युक्त आयरन ऑक्साइड या Fe, Mo 


अमोनिया गैस को शुष्क करने के लिए बिना बुझे चूने (CaO) पर इसे प्रवाहित करते हैं, जिससे इस गैस की नमी दूर हो जाती है। इस गैस को शुद्ध करने के लिए सान्द्र H₂SO₄. निर्जल CaCl₂ या P₂O₅ का प्रयोग नहीं करते हैं, क्योंकि इन सभी अभिकर्मकों के साथ NH₃ क्रिया करती है।


भौतिक गुणधर्म अमोनिया एक तीखी गन्ध वाली, रंगहीन गैस है। यह जल में अत्यधिक विलेय है। OH- आयन बनने के कारण इसका जलीय विलयन दुर्बल क्षारीय होता है।


रासायनिक गुणधर्म


(a) अमोनिया की हैलोजन से क्रिया


क्लोरीन की क्रिया अमोनिया के आधिक्य से कराने पर अमोनिया क्लोराइड तथा नाइट्रोजन का निर्माण होता है।


8NH₃+ 3Cl₂ → 6NH₄Cl+ N₂ 

आधिक्य



अमोनिया, क्लोरीन के आधिक्य से अभिक्रिया कर विस्फोटक नाइट्रोजन ट्राइक्लोराइड का निर्माण करती है।


NH₃ + 3Cl₂ → NCI₃ + 3HCI


आधिक्य            नाइट्रोजन ट्राइक्लोराइड


(b) अमोनिया अपचायक का कार्य करती है। यह धातु ऑक्साइडों, जैसे- CuO को Cu में तथा PbO को Pb में अपचयित कर देती हैं।


3CuO + 2NH₃ रक्त तप्त → 3Cu + 3H₂O + N₂


(c) सिल्वर क्लोराइड (AgCI) का श्वेत अवत्प, अमोनियम हाइड्रॉक्साइड (अमोनिया का जलीय विलयन) मिलाने पर डाइऐमीन सिल्वर क्लोराइड नामक संकर लवण बनने के कारण घुल जाता है।


AgCl + 2NH₄OH → [Ag (NH₃)₂]CI + 2H₂0


सिल्वर क्लोराइड :अमोनियम साइड (आधिक्य में)


डाइऐमीन सिल्वर (I) क्लोराइड (संकर लवण)



नोट AgNO₃ की क्रिया HCI या CI- से कराने पर AgCI का श्वेत अवक्षेप प्राप्त होता है।


 HCI + AgNO₃ → AgCI + HNO₃



 (d) नेस्लर अभिकर्मक पोटैशियम मर्कयूरिक आयोडाइड का क्षारीय विलयन [K₂(Hgl₄) + NaOH / KOH] नेस्लर अभिकर्मक कहलाता है। इसका प्रयोग


अमोनियम आयन (NH₄+) की उपस्थिति की जाँच हेतु किया जाता है।


(i) नाइट्रिक अम्ल (HNO₃)


बनाने की विधियाँ


(a) प्रयोगशाला विधि

                        गर्म

NaNO₃ + H₂SO₄ →NaHSO₄+ HNO₃


(b) औद्योगिक स्तर पर इसे ओस्टवाल्ड प्रक्रम द्वारा बनाया जाता है।

                           Pi/Rh उत्प्रेरक

4NH₃(g) + 5O₂(g)→4NO + 6H₂O+21.6किलोकैलोरी

                        500K, 9 बार


2NO(g) + O₂ 2NO₂ (g)


6NO₂ (g) + 3H₂O (l) → 4HNO₃(aq) + 2NO(g)+ H₂O



भौतिक गुणधर्म यह रंगहीन संक्षारक द्रव है, जो त्वचा के सम्पर्क में आने पर फफोले उत्पन्न कर देता है।



रासायनिक गुणधर्म (i) यह एक प्रबल अम्ल है, जो गर्म करने पर अपघटित होकर भूरे रंग की गैस NO₂ देता है।


4HNO₃ →  4NO₂ + O₂+ 2H₂0


(ii) यह एक प्रबल ऑक्सीकारक है। यह आयोडीन को आयोडिक अम्ल (HIO₃) में, कार्बन को CO₂ में, सल्फर को H₂SO₄ में तथा फॉस्फोरस को फॉस्फोरिक अम्ल (H₂PO₄) में ऑक्सीकृत कर देता है।


I₂+ 10HNO₃ →  2HIO₃ + 10NO₂ + 4H₂0 


(iii) यह धातुओं से क्रिया करके उनके संगत नाइट्रेट बनाता है तथा स्वयं NH₄NO₃  NO₂. NO और N₂O में तथा H₂(Mg और Mn के साथ क्रिया करने पर) में अपचयित हो जाता है।


Mg + 2HNO₃ → Mg (NO₃)₂ + H₂↑

                     मैग्नीशियम नाइट्रेट


(iv) यह KI से अभिक्रिया करके I₂ मुक्त करता है। अतः यह स्टार्च आयोडाइड के पेपर को नीला कर देता है।


 (v) सान्द्र H₂SO₄ की उपस्थिति में यह FeSO₄ के जलीय विलयन के साथ भूरा वलय बनाता है (वलय परीक्षण-नाइट्रेट आयन की उपस्थिति ज्ञात करने के लिए)


 NO₃- + 3Fe²+ + 4H+ → NO + 3Fe³+ + 2H₂O


[Fe(H₂O)₆]²+  + NO → [Fe(H₂O)₅ (NO)]²+ + H₂0 (भूरा)


 नोट Hgs नाइट्रिक अम्ल से क्रिया नहीं करता है अर्थात् इसमें अविलेय है। 



सधूम्र नाइट्रिक अम्ल सान्द्र नाइट्रिक अम्ल जिसमें नाइट्रोजन के ऑक्साइड (NO तथा NO₂) घुले रहते हैं, सधूम्र नाइट्रिक अम्ल कहलाता है। ( 98% सान्द्र HNO₃) अम्लराज या 'ऐक्वारेजिया' आयतनानुसार 1 भाग सान्द्र नाइट्रिक अम्ल और 3 भाग सान्द्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को परस्पर मिलाने पर प्राप्त मिश्रण ऐक्वारेजिया कहलाता है।


प्लेटिनम की ऐक्वारेजिया से क्रिया


3Pt + 4HNO₃ + 12HCI → 3PtCI₄ + 4NO + 8H₂0 


प्लेटिनम नाइट्रिक हाइड्रोक्लोरिक नाइट्रिक जज्ञ



गोल्ड की ऐक्वारेजिया से क्रिया



Au + HNO₃ + 3HCI → AuCl₃+ NO + 2H₂0 नाइट्रिक अम्ल हाइड्रोक्लोरिक औरिक नाइट्रिक जल


अम्ल (सान्द्र) फ्लोराइड ऑक्साइड


AuCl₃ + HCI → H[AuCl₄] 

                        टेट्राक्लोरिको ऑरिक अम्ल



समूह-16 के तत्व (ऑक्सीजन परिवार)


समूह-16 में ऑक्सीजन (O), सल्फर (S), सेलेनियम (Se), टेल्यूरियम (Te) तथा पोलोनियम (Po) तत्व निहित हैं। इसे कैल्कोजन समूह के रूप में जाना जाता है।


उपलब्धता पृथ्वी पर ऑक्सीजन सबसे अधिक प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। भू-पर्पटी के द्रव्यमान का लगभग 46.6% भाग ऑक्सीजन के द्वारा निर्मित है। सेलेनियम तथा टेल्यूरियम, सल्फाइड अयस्कों में क्रमशः धातु सेलेनाइडों तथा टेल्यूराइडों के रूप में पाए जाते हैं।


वर्ग-16 के तत्वों के सामान्य गुणधर्म


 (i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समूह-16 के तत्वों के बाह्य कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns²  np⁴ होता है।


(ii) आयनन ऊर्जा वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर आकार में वृद्धि के कारण आयनन ऊर्जा के मान घटता है।


(iii) विद्युतऋणात्मकता अपने वर्ग के तत्वों में ऑक्सीजन की विद्युतॠणात्मकता सर्वाधिक है। वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर विद्युतॠणात्मकता का मान घटता है। 


(iv) ऑक्सीकरण संख्या ऑक्सीजन की सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था-2 होती है, जबकि वर्ग के अन्य सदस्य – 2 ,+ 2, + 4, + 6 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं।


 (v) हाइड्राइडों की प्रकृति इन तत्वों के हाइड्राइडों के अम्लीय गुण और अपचायक गुण (H₂O को छोड़कर) नीचे की ओर बढ़ते हैं।


ऑक्सीजन ( O₂)


विरचन (निर्माण) की विधि प्रयोगशाला में ऑक्सीजन युक्त लवणों जैसे-क्लोरेट, नाइट्रेट तथा परमैंगनेट को गर्म करके ऑक्सीजन प्राप्त की जाती है।


2KCIO₃ → 2KCI + 3O₂  

            MnO₂


व्यापक स्तर पर इसे जल के विद्युत अपघटन से भी बनाया जा सकता है।


गुणधर्म


 (i) आण्विक ऑक्सीजन अनुचुम्बकीय होती है।


(ii) यह कुछ धातुओं (Au ,Pt) तथा कुछ उत्कृष्ट गैसों को छोड़कर सभी धातुओं और अधातुओं से क्रिया करती है। 


(iii) ऑक्सीजन परमाणु, छोटे परमाणु आकार, अधिक विद्युतऋणात्मकता तथा संयोजी कक्ष में रिक्त d कक्षकों की अनुपस्थिति के कारण असामान्य व्यवहार प्रदर्शित करता है।


उपयोग


(i) श्वसन तथा दहन प्रक्रिया में। 


(ii) ऑक्सी ऐसीटिलीन वैल्डिंग में।


(iii) धातुओं के निष्कर्षण में।


(iv) पर्वतारोहण तथा अस्पतालों में ऑक्सीजन के सिलेण्डर के रूप में।


ऑक्सीजन के यौगिक


(i) ऑक्साइड


ऑक्सीजन का किसी अन्य तत्व के साथ द्विअंगी यौगिक, ऑक्साइड कहलाता है। सामान्यतया धातुओं के ऑक्साइड क्षारकीय और कुछ उभयधर्मी (ZnO. Al₂O₃) प्रकृति के होते हैं, जबकि अधातुओं के ऑक्साइड अम्लीय तथा कुछ उदासीन (NO, CO, N₂O) प्रकृति के होते हैं।


(ii) ओजोन (O₃)


विरचन (निर्माण) की विधि शुष्क ऑक्सीजन गैस, नीरव विद्युत विसर्जन से प्रवाहित करने पर ओजोन में परिवर्तित हो जाती है।


            नीरव विद्युत विसर्जन

3O₂             ⇔         2O₃ ↑


रासायनिक गुणधर्म ओजोन ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों के रूप में कार्य करती है।



 (i) ऑक्सीकारक गुण (a) यह सिल्वर तथा मर्करी को क्रमश: Ag₂O तथा Hg₂0 में ऑक्सीकृत कर देती है।


2Ag    +  O₃    →    Ag₂0 + O₂↑


O₃ +  2Hg  →  Hg₂0 +0₂↑



(b) ओजोन पोटैशियम परमैग्नेट (KMnO₄) से क्रिया नहीं करती है। 


(C) ओजोन शुष्क आयोडीन से अभिक्रिया नहीं करती है।


(d) यह नम I₂ से अभिक्रिया के फलस्वरूप आयोडिक अम्ल (HIO₃) बनाती है। 


I₂ + 5O₃ + H₂O   → 2HIO₃ + 5O₂↑


(ii) अपचायक गुण ओजोन अपचायक की भाँति कार्य करती है।


H₂O₂ + O₃ → 2O₂ + H₂O 


(iii) विरंजक गुण ओजोन का विरंजक गुण उसके ऑक्सीकारक गुण पर निर्भर करता है। यह सरलता से अपघटित होकर नवजात ऑक्सीजन [O] उत्पन्न करती है। 


O₃ →  O₂ + [O]: रंगीन पदार्थ + [O] → रंगहीन पदार्थ


उपयोग


(i) ऑक्सीकारक के रूप में।


(ii) कीटाणुनाशक के रूप में।


(iii) तेल, हाथी के दाँत तथा स्टार्च के विरंजन में।


ओजोन के परीक्षण


(i) ओजोन के ऐल्कोहॉलीय विलयन में बेन्जीडीन डालने पर विलयन का रंग भूरा हो जाता है।


 (ii) ऐल्कोहॉलीय टेट्रामेथिल क्षार के साथ यह बैंगनी रंग उत्पन्न करता है।


सल्फर


सल्फर मुक्त एवं संयुक्त दोनों अवस्थाओं में पाया जाता है। भू-पर्पटी में सल्फर की उपलब्धता केवल 0.03 से 0.1% है। संयुक्त अवस्था में निम्न रूपों में पायी जाती है।


 (i) सल्फेटों के रूप में उदाहरण- जिप्सम (CaSO₄. 2H₂O) एप्सम लवण (MgSO₄, 7H₂O), बेराइट (BaSO₄)।


(ii) सल्फाइडों के रूप में उदाहरण- गैलेना (PbS), जिंक ब्लैंड (ZnS), कॉपरपाइराइट (CuFeS₂ ) |


सल्फर की सूक्ष्म मात्रा ज्वालामुखी में हाइड्रोजन सल्फाइड के रूप में पाई जाती है। कार्बनिक पदार्थों; जैसे-अण्डे, प्रोटीन, लहसुन, प्याज, सरसों, बाल तथा

ऊन में सल्फर होती है।


सल्फर के उपयोग


सल्फर के प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं 


(i) SO₂. H₂SO₄  CS₂ गन पाउडर (सल्फर + चारकोल + KNO3), त्वचा औषधियों, सल्फर रंजकों के निर्माण में।


 (ii) माचिस उद्योग तथा पटाखों में।


सल्फर के यौगिक


(i) सल्फर डाइऑक्साइड (SO2)


विरचन (निर्माण) की विधि प्रयोगशाला में ताँबे की छीलन पर गर्म सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की क्रिया द्वारा सल्फर डाइऑक्साइड बनती है।


2Cu + 2H₂SO₄ → CuSO₄ + SO₂ + 2H₂0




भौतिक तथा रासायनिक गुणधर्म


(i) सल्फर डाइऑक्साइड तीखी गन्ध वाली रंगहीन गैस है। इसका जलीय विलयन अम्लीय होता है।


(ii) नम SO₂ अपचायक का कार्य करती है। यह अम्लीय KMnO₄, विलयन को रंगहीन कर देती है तथा HgCl₂ को Hg₂Cl₂ में अपचयित कर देती है।


(iii) SO₂ का विरंजन गुण अस्थायी तथा अपचयन के आधार पर होता है।


 SO₂ + 2H₂0      → H₂SO₄ + 2[H] नवजात हाइड्रोजन


रंगीन पदार्थ +  [H]    →  रंगहीन पदार्थ


 (iv) उत्प्रेरक की उपस्थिति में यह वायु द्वारा SO₃, में ऑक्सीकृत हो जाती है, जो जल में विलेय होती है।


उपयोग


(i) इसका उपयोग सल्फ्यूरिक अम्ल के निर्माण में किया जाता है।


(ii) इसे ऊन, रेशम आदि के विरंजन में प्रयुक्त करते है।


सल्फ्यूरिक अम्ल के भौतिक और रासायनिक गुणधर्म


(i) H₂SO₄ रंगहीन, गाढ़ा तेल जैसा द्रव है।


(ii) यह एक तीव्र संक्षारक अम्ल है, त्वचा के सम्पर्क में आने पर यह फफोले उत्पन्न कर देता है। 


(iii) लेड तथा बेरियम, आदि के लवणों के जलीय विलयन की क्रिया H₂SO₄ होने पर अविलेय सल्फेटों का निर्माण होता है, जो अवक्षेपित हो जाते हैं। H₂SO4 + Pb(NO₃)₂ → PbSO₄ + 2HNO₃


नोट cu²+ का जलीय विलयन नीला होता है।


(iv) यह एक प्रबल निर्जलीकारक है। अतः यह सुक्रोस लकड़ी, कागज, आदि पदार्थों को निर्जलीकरण विधि द्वारा कोक में बदल देता है।


              सान्द्र [H₂SO₄] 

C₁₂H₂₂O₁₁     →        12C + 11H₂O

                           काला पदार्थ


(v) गर्म सान्द्र H₂SO₄ एक मध्यम प्रबल ऑक्सीकारक है


 Cu+2H₂SO₄ ( सान्द्र) → CuSO₄ + SO₂ + 2H₂O


संरचना


सल्फ्यूरिक अम्ल में सल्फर परमाणु sp³- संकरित अवस्था में होता है। अत: सल्फ्यरिक अम्ल की संरचना चतुष्फलकीय होती है।







उपयोग


(i) पेट्रोलियम के शोधन तथा धातु कर्मीय प्रक्रमों में।


(ii) वर्णकों, प्रलेपों तथा रंजकों के उत्पादन में।


(iii) संचायक सेलों में तथा नाइट्रोसेलुलोस उत्पादों के उत्पादन में।


सल्फर के ऑक्सी-अम्ल


सल्फर के कुछ ऑक्सी-अम्ल निम्न हैं


(i) एक सल्फर परमाणु से युक्त अम्ल। जैसे-सल्फ्यूरस अम्ल (H₂SO₃) तथा सल्फ्यूरिक अम्ल (H₂SO₄)



(ii) दो या दो से अधिक सल्फर परमाणुओं से युक्त पॉलिअम्ल । जैसे-डाइसल्फ्यूरस अम्ल (H₂S₂O₅) तथा डाइसल्फ्यूरिक अम्ल (H₂S₂O₇)


(iii) सल्फर परमाणुओं द्वारा विस्थापित एक या अधिक ऑक्सीजन परमाणुओं से युक्त थायोअम्ला जैसे-डाइथायोन्स अम्ल (H₂S₂O₄) 


(iv) S - S आबन्धों से युक्त अम्ल जैसे-डाइथायोन्स अम्ल (H₂SO₄) डाइथायोनिक अम्ल (H₂S₂O₆) तथा पॉलिथायोनिक अम्ल (H₂SₙO₆)


 (v) परऑक्सी समूह से युक्त परऑक्सी अम्ल


जैसे-परऑक्सोमोनोसल्फ्यूरिक अम्ल (H₂SO₅) परऑक्सोडाइसल्फ्यूरिक अम्ल (H₂S₂O₈)



      बहुविकल्पीय प्रश्न      1 अंक



प्रश्न 1. निम्नलिखित में सर्वाधिक स्थायी है


(a) AsH₃


(c) PH₃


(b) SbH₃


 (d) NH₃



उत्तर (d) समूह में ऊपर से नीचे की ओर बढ़ने पर तत्वों के हाइड्राइड के स्थायित्व क्रमशः घटते हैं, अतः NH₃, सर्वाधिक स्थायी है।




प्रश्न 2. अमोनियम डाइक्रोमेट को गर्म करने पर गैस निकलती है


(a) ऑक्सीजन


(b) अमोनिया 


(c) नाइट्स ऑक्साइड


(d) नाइट्रोजन


उत्तर (d) अमोनियम डाइ कोमेट को गर्म करने पर नाइट्रोजन गैस उत्पन्न होती है।



प्रश्न 3. अमोनिया गैस को शुष्क करने के लिए निम्न में से कौन-सा पदार्थ उपयुक्त रहेगा?


(a) सान्द्र H₂SO₄


(b) P₂O₅


(c) निर्जल CaCl₂


(d) CaO


उत्तर (d) 


प्रश्न 4. निम्न में से विस्फोटक यौगिक है


(a) Mg₂Cl₂            (b) PCl₃


(c) NCl₃               (d) SbCl₃


उत्तर (c) 



प्रश्न 5. कौन-सा धनायन अमोनिया के साथ ऐमीन संकुल नहीं बनाता है?


(a) Ag+


(b) Al³ +


(c) Cd²+


(d) Cu²+



उत्तर (b) 


प्रश्न 6. एक अकार्बनिक लवण के जलीय विलयन में AgNO₃ मिलाया जाता है। सफेद अवक्षेप प्राप्त होता है, जो NH₄OH में विलेय है। लवण में उपस्थित ऋणायन है 


(a) Br-


(b) CI-


(c) I-


(d) S-


उत्तर (b) 


प्रश्न 7. नेस्लर अभिकर्मक है



(a) KHgl₄


(b) K₂HgI₄+ NH₄OH


(c) K [HgI₄ ] + KOH


(d) KHgl₄ +NH₄OH


उत्तर (c) 



प्रश्न 8. SO₂ अणु में सल्फर परमाणु का संकरण है।


  1. sp


(b) sp²


(c) sp³


 (d) sp³d


उत्तर (b) 



      अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 2 अंक




प्रश्न 1. सधूम्र नाइट्रिक अम्ल किसे कहते हैं? 


 उत्तर सान्द्र नाइट्रिक अम्ल, जिसमें नाइट्रोजन के ऑक्साइड (No तथा NO₂) घुले रहते हैं, सधूम्र नाइट्रिक अम्ल कहलाता है। (98% सान्द्र HNO₃ )



प्रश्न 2. उदाहरण देकर समझाइये कि कॉपर धातु HNO₃ के साथ अभिक्रिया करके किस प्रकार भिन्न उत्पाद दे सकती है? 



 उत्तर कॉपर धातु की HNO के साथ अभिक्रिया के उत्पाद, प्रयुक्त HNO₃ की प्रयोग की जाने वाली सान्द्रता पर निर्भर करते हैं।


 (i) कॉपर धातु, तनु HNO₃ के साथ अभिक्रिया करके नाइट्रोजन ऑक्साइड देता है।


3Cu+ 8HNO₃ (तनु) → 3Cu(NO₃)₂+ 2NO + 4H₂O


(ii) कॉपर धातु, सान्द्र HNO₃ के साथ अभिक्रिया करके नाइट्रोजन (IV) ऑक्साइड या नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) देता है।


 Cu + 4HNO₃ (सान्द्र) → Cu (NO₃)₂+ 2NO₂+2H₂O


प्रश्न 3. NO₂ तथा N₂O की अनुनादी संरचनाओं को लिखिए।


उत्तर





प्रश्न 4. ओजोन एक ऑक्सीकारक तथा अपचायक पदार्थ है। प्रत्येक का एक उदाहरण देते हुए कथन की पुष्टि कीजिए। 


 अथवा ओजोन की एक अभिक्रिया लिखिए जिसमें ओजोन अपचायक हो परन्तु स्वयं भी अपचयित होती हो।



उत्तर ओजोन ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों के रूप में कार्य करती हैं। ऑक्सीकारक गुण यह सिल्वर को Ag₂O में ऑक्सीकृत कर देती है।


2Ag + O₃ → Ag₂O + O₂


अपचायक गुण ओजोन अपचायक की भाँति कार्य करती है तथा H₂O₂ का अपचयन कर देती है


H₂O₂ +O₂ →  2O₂+ H₂O


प्रश्न 5. रासायनिक समीकरण देते हुए SO₂की विरंजक क्रिया का कारण समझाइए। 


-अथवा SO₂ विरंजक के रूप में किस प्रकार कार्य करता है? समझाइए।


 उत्तर SO₂अपचयन के आधार पर विरंजक गुण को व्यक्त करती है।


SO₂+ 2H₂0 → H₂SO₄ +2[H] 


नवजात हाइड्रोजन रंगीन पदार्थ + [H] रंगहीन पदार्थ


(रंगीन पुष्प, पत्तियाँ तथा वनस्पति) 


सल्फर डाइऑक्साइड का विरंजक गुण अस्थायी होता है।




         लघु उत्तरीय प्रश्न  3 अंक


प्रश्न 1. आवर्त सारणी के वर्ग 15 के तत्वों की हाइड्रोजन के प्रति क्रियाशीलता को समझाइए।


 उत्तर समूह 15 के तत्व हाइड्रोजन से क्रिया करके ट्राइहाइड्राइडो का निर्माण करते हैं


NH₃  PH₃   AsH₃    SbH₃     BiH₃




प्रश्न 2. गैसीय अवस्था में नाइट्रिक ऑक्साइड अनुचुम्बकीय है परंतु ठंडा करने पर उत्पन्न ठोस प्रतिचुम्बकीय है, क्यों?


उत्तर गैसीय अवस्था में, NO₂ एक प्रारूपी विषम इलेक्ट्रॉन अणु की भाँति व्यवहार करती है क्योंकि इसमें संयोजी इलेक्ट्रॉन विषम संख्या में होते हैं। (अर्थात् इसके पास एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है)। परंतु ठोस अवस्था में यह द्वितयीकृत हो जाती है जिसमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या सम है (अर्थात् सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित है)। यही कारण है कि NO₂गैस रूप में अनुचुम्बकीय तथा ठोस रूप में प्रतिचुम्बकीय है।


प्रश्न 3. नाइट्रोजन के तीन ऑक्सों-अम्लों के नाम दीजिए। नाइट्रोजन के उस ऑक्सो-अम्ल की असमानुपातित अभिक्रिया लिखिए जिसमें नाइट्रोजन की ऑक्सीकरण अवस्था + 3 है। 


उत्तर नाइट्रोजन के तीन ऑक्सों-अम्ल हैं। 


  1. HNO₂

  2. HNO₃

  3. हाइपोनाइट्स अम्ल, H₂ N₂  0₂


असमानुपातन HNO₂ में N की ऑक्सीकरण अवस्था +3 है।


असमानुपातित अभिक्रिया


3HNO₂    →     HNO₃+ H₂O+ 2NO



प्रश्न 4. NH₃ हाइड्रोजन बन्ध बनाती है। परन्तु PH₃नहीं बनाती क्यों?


उत्तर N तथा P की विद्युतऋणात्मकताओं के मान क्रमश: N = 3.0, P = 2.1, H = 2.1 है। नाइट्रोजन और हाइड्रोजन की विद्युतऋणात्मकताओं में अपेक्षाकृत अधिक अन्तर होने से इनके बीच बने सहसंयोजी बन्ध की प्रकृति ध्रुवीय है। यही कारण है कि NH₃ अणुओं के बीच H-आबन्ध बनता है। फॉस्फोरस तथा हाइड्रोजन की विद्युतॠणात्मकताएँ समान हैं यही कारण है कि P—H सहसंयोजी बन्ध अध्रुवीय होता है। अतः PH₃ अणुओं के बीच H-आबन्ध नहीं बनते हैं।


प्रश्न 5. प्रयोगशाला में SO₂ बनाने का रासायनिक समीकरण लिखिए तथा इसकी अम्लीय पोटैशियम परमैंगनेट विलयन से अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए।


उत्तर प्रयोगशाला में SO₂सोडियम सल्फाइट की सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया द्वारा प्राप्त करते है।।


Na₂SO₃ +H₂SO₄→ Na₂SO₄ + H₂O + SO₂

सोडियम सल्फाइट



इसकी अम्लीय पोटैशियम परमैंगनेट के अम्लीय विलयन में SO₂ गैस प्रवाहित करने पर पोटैशियम परमैंगनेट लवण रंगहीन पोटैशियम सल्फेट तथा मैंगनीज सल्फेट में उपचयित हो जाता है।


2KMnO₄ + 5SO₂+ 2H₂O → K₂SO₄ + 2MnSO₄ + 2H₂0 

मैंगनस सल्फेट


प्रश्न 6. सल्फ्यूरिक अम्ल एक ऑक्सीकारक एवं निर्जलीकारक है। इसका एक-एक उदाहरण दीजिए।



अथवा सल्फ्यूरिक अम्ल एक निर्जलीकारक है। समीकरण देकर स्पष्ट कीजिए।



उत्तर (i) ऑक्सीकारक के रूप में यह कार्बन को कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) में ऑक्सीकृत कर देता है।


C+2H₂SO₄  →   CO₂+ 2SO₂ + 2H₂O 


 (ii) निर्जलीकारक के रूप में यह चीनी से जल को अवशोषित करके उसे काला कर देता है।

                          सान्द्र H₂SO₄

C₁₂H₂₂0₁₁ शुक्रोस (चीनी)  → 12C + 11H₂O

                                   काला पदार्थ



प्रश्न 7 .ओजोन की मर्करी, शुष्क आयोडीन तथा स्टैनस क्लोराइड से अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए।




उत्तर (i) मर्करी से अभिक्रिया O₃+ 2Hg → Hg₂0 + O₂


(ii) शुष्क आयोडीन से अभिक्रिया ओजोन शुष्क आयोडीन के साथ कोई क्रिया नहीं देती है, जबकि नम आयोडीन के साथ यह आयोडिक अम्ल बनाती है।


I₂ + 5O₃ + H₂O → 2HIO₃+ 5O₂


(iii) स्टैनस क्लोराइड से अभिक्रिया 

3SnCl₂ + 6HCl+ O₃→ 3SnCl₄+ 3H₂O




         दीर्घ उत्तरीय प्रश्न    5 अंक

 



प्रश्न 1. हैबर प्रक्रम द्वारा अमोनिया के औद्योगिक निर्माण की विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। 


अथवा हैबर विधि द्वारा अमोनिया के औद्योगिक निर्माण विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। इसकी निम्न के साथ अभिक्रिया का समीकरण लिखिए:


अथवा अमोनिया का औद्योगिक उत्पादन हैबर विधि द्वारा कैसे किया जाता है? उन कारणों को लिखिए जिसकी वजह से अमोनिया का उत्पादन अधिक हो जाता है। अमोनिया के औद्योगिक उत्पादन का नामांकित चित्र भी दीजिए।



(i) AgCl


(ii) Cl₂


(iii) CuO 


 उत्तर अमोनिया का औद्योगिक उत्पादन नाइट्रोजन तथा हाइड्रोजन से हैबर प्रक्रम द्वारा किया जाता है।


सिद्धान्त नाइट्रोजन और हाइड्रोजन से अमोनिया का संश्लेषण निम्न उत्क्रमणीय अभिक्रिया पर आधारित है

                       Fe+ M₀

N₂ (g) + 3H₂ (g) 2NH₃(g)+ 22.4 किलोकैलोरी    200 वायु०, 500 ⁰C 



अमोनिया की अधिकतम मात्रा प्राप्त करने हेतु आवश्यक परिस्थितियाँ



यह एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है तथा यहाँ आयतन में कमी होती है। अतःला-शातेलिए के नियम के अनुसार, कम ताप और उच्च दाब पर अमोनिया अधिक मात्रा में बनेगी, परन्तु कम ताप पर अभिक्रिया धीरे-धीरे होती है। अतः दर को बढ़ाने के लिए उत्प्रेरक की आवश्यकता होती है। 


अमोनिया का संश्लेषण 500°C ताप तथा 200 वायुमण्डलीय दाब पर सूक्ष्म विभाजित आयरन तथा मॉलिब्डेनम के मिश्रण की उपस्थिति में किया जाता है। मॉलिब्डेनम के स्थान पर पोटेशियम ऑक्साइड और ऐलुमिनियम ऑक्साइड का मिश्रण (K₂O+ Al₂O₃) भी उत्प्रेरक वर्धक के रूप में प्रयोग में लिया जाता है। अभिक्रिया में उत्प्रेरक व वर्धक बहुत कम मात्रा में प्रयुक्त होते हैं। इन परिस्थितियों में अमोनिया की प्राप्ति 10% होती है।




विधि – इस विधि में वायुमण्डल से प्राप्त नाइट्रोजन गैस तथा भाप अंगार गैस से प्राप्त हाइड्रोजन को शुष्क अवस्था में 1:3 अनुपात में मिलाकर 500°C ताप तथा 200 वायुमण्डलीय दाब पर एक कक्ष में प्रवाहित किया जाता है। उत्प्रेरक कक्ष से निकली गैसों में 15 से 20% अमोनिया तथा डाइनाइट्रोजन व डाइहाइड्रोजन गैसे भी होती हैं। इन गैसों के मिश्रण को एक संघनन पाइप से गुजारते हैं, जहाँ अमोनिया गैस तो द्रवित हो जाती है, परन्तु डाइनाइट्रोजन तथा डाइहाइड्रोजन द्रवित नहीं होती हैं। इन गैसों को पुनः संचरित करते हैं। ये ताजे गैसीय मिश्रण के साथ मिलकर अमोनिया निर्माण में प्रयुक्त हो जाती हैं।



गुणधर्म


(i) क्लोरीन से अभिक्रिया जब अमोनिया का आधिक्य, CI₂ की कम मात्रा से अभिक्रिया करता है, तो N₂ गैस बनती है।


8NH₃ + 3Cl₂  →  N₂ + 6NH₄CI


आधिक्य


परन्तु, जब Cl₂ का आधिक्य, NH₃की कम मात्रा से अभिक्रिया करता है, तो नाइट्रोजन ट्राइक्लोराइड जैसा विस्फोटक उत्पाद बनता है।


Cl₂+ NH₃ → NCl₃ + 3HCI

आधिक्य   नाइट्रोजन ट्राइक्लोराइड (विस्फोटक)


(ii) अपचायक प्रकृति अमोनिया, भारी धातु ऑक्साइडों को संगत धातु में अपचयित कर देती है।


3CuO + 2NH₃   →  3Cu + N₂ + 3H₂O


(iii) सिल्वर क्लोराइड पर अमोनिया की अभिक्रिया जब सिल्वर क्लोराइड अमोनिया की अभिक्रिया होती है, तब डाइऐमीनो सिल्वर (I) लवण बनता है


AgCI (ठोस) + 2NH₃ (जलीय) → Ag[(NH₃)₂]+

 + CI- (जलीय)



उपयोग


 (i) द्रव अमोनिया प्रशीतक के रूप में प्रयोग की जाती है। 


(ii) अमोनिया का उपयोग कपड़ों से ग्रीस, चिकनाई, धब्बे, आदि हटाने में होता है।




प्रश्न 2. नाइट्रिक अम्ल के निर्माण की ओस्टवाल्ड विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। सम्बन्धित अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए। इससे अम्लराज किस प्रकार प्राप्त करेंगे?




अथवा ओस्टवाल्ड विधि द्वारा HNO₃के निर्माण का सचित्र वर्णन कीजिए। सम्बन्धित रासायनिक समीकरण भी दीजिए।


अथवा ओस्टवाल्ड विधि से नाइट्रिक अम्ल बनाने की विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। यह टिन धातु से किस प्रकार क्रिया करता है? सम्बन्धित अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए। इस अम्ल में नाइट्रेट मूलक (NO₃-) का परीक्षण कैसे करेंगे?


अथवा अमोनिया से नाइट्रिक अम्ल के निर्माण की विधि का सचित्र वर्णनकीजिए। इस अम्ल की पोटैशियम आयोडाइड विलयन से क्या क्रिया होती है? सम्बन्धित अभिक्रियाओं के समीकरण भी लिखिए। 



अथना ओस्टवाल्ड विधि द्वारा HNO₃के निर्माण का रासायनिक समीकरण एवं चित्र सहित वर्णन कीजिए। HNO₃ की फॉस्फोरस, सल्फर तथा आयोडीन के साथ अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए।


अथवा ओस्टवाल्ड विधि द्वारा नाइट्रिक अम्ल के निर्माण का सचित्र वर्णन रासायनिक अभिक्रियाओं सहित कीजिए। गर्म व सान्द्र HNO₃की आयोडीन से तथा ठंडे एवं तनु HNO₃से Zn की क्रिया का रासायनिक समीकरण दीजिए। 



 अथवा ऑस्टवाल्ड विधि द्वारा HNO₃के निर्माण का वर्णन रासायनिक अभिक्रियाएँ देते हुए कीजिए और निम्न के साथ HNO₃की होने वाली अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण लिखिए। 


(i) Cu की अभिक्रिया गर्म व सान्द्र HNO₃ के साथ 


(ii) फॉस्फोरस की अभिक्रिया सान्द्र HNO₃ के साथ


उत्तर

 ओस्टवाल्ड विधि सिद्धान्त ओस्टवाल्ड विधि में प्लेटिनम उत्प्रेरक की उपस्थिति में 700 से 800°C पर अमोनिया का वायु द्वारा नाइट्रिक ऑक्साइड में ऑक्सीकरण कराया जाता है। 

                   Ptजाली

     

4NH₃+5O₂     → 4NO + 6H₂O + 21.6         700-800 C     नाइट्रिक ऑक्साइड किलोकैलोरी


नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) का वायु की ऑक्सीजन द्वारा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) में ऑक्सीकरण करके इसे जल में अवशोषित करने पर तनु नाइट्रिक अम्ल बनता है।


2NO + O₂ →2NO₂ नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

नाइट्रिक ऑक्साइड



2NO₂ + H₂O → HNO₃+ HNO₂

                        नाइट्रिक अम्ल नाइट्स अम्ल


3HNO₂  →  HNO₃ + 2NO + H₂O


नाइट्रस अम्ल   नाइट्रिक अम्ल नाइट्रिक ऑक्साइड



 विधि -  इस विधि में अमोनिया तथा शुद्ध वायु (1: 9) के मिश्रण को 700 से 800°C पर प्लेटिनम उत्प्रेरक युक्त उत्प्रेरक कक्ष में प्रवाहित करते हैं। 95% अमोनिया का वायु द्वारा नाइट्रिक ऑक्साइड में ऑक्सीकरण हो जाता है। उत्प्रेरक कक्ष से निकलने वाली गैसों को एक ऑक्सीकारक टावर में प्रवाहित करते है, जहाँ नाइट्रिक ऑक्साइड वायु की ऑक्सीजन द्वारा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाती हैं। इसके पश्चात् NO₂अवशोषण टावर में जल में अवशेषित होकर तनु नाइट्रिक अम्ल बनाती है।






अम्लराज का निर्माण 1 भाग नाइट्रिक अम्ल और 3 भाग हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को परस्पर मिलाकर अम्लराज बनाया जाता है। 


HNO₃+3HCl  → NOCl  +  Cl2 + 2H₂O


नाइट्रिक हाइड्रोक्लोरिक नाइट्रोसिल क्लोरीन क्लोराइड (सान्द्र) जल




अभिक्रियाएँ


(i) टिन की तनु नाइट्रिक अम्ल के साथ क्रिया से अमोनियम नाइट्रेट तथा स्टैनस नाइट्रेट बनता है


4Sn + 10HNO₃ → 4Sn(NO₃)₂ + NH₄NO₃ + 3H₂O              स्टैनस नाइट्रेट अमोनियम नाइट्रेट


(ii) पोटैशियम आयोडाइड (KI) से नाइट्रिक अम्ल की अभिक्रिया


 6KI + 8HNO₃ → 3I₂+ 6KNO₃ + 2NO + 4H₂O                  पोटैशियम नाइट्रिक 


नाइट्रेट (NO₃-) मूलक का परीक्षण यदि लवण के विलयन में ताजा बना FeSO₄मिलाकर, बूँद-बूँद करके सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल मिलाने पर भूरे रंग का वलय बनता है, तो यह सिद्ध होता है कि विलयन में नाइट्रेट मूलक उपस्थित है।


NO₃- + 3Fe²+   + 4H   → 3Fe³+  + NO + 2H₂0



 [Fe(H2O)g]+ + NO→ [Fe (H_O)g (NO)]+ + H2O



HNO3 की अभिक्रियाएँ 


(i) फॉस्फोरस के साथ


P₄ + 20HNO₃  → 4H₃PO₄ + 4H₂O + 20NO₂    -                      फास्फोरिक अम्ल


(ii) सल्फर के साथ


S + 6HNO₃   →  H₂SO₄ + 6NO₂ + 2H₂O


(iii) आयोडीन के साथ


I₂ + 10HNO₃    →  2HIO₃+ 4H₂O + 10NO₂


(iv) जिंक (जस्ता) के साथ 


4Zn + 10HNO₃    →  4Zn(NO₃)₂+ N₂O + 5H₂O



(v)कॉपर के साथ गर्म और सान्द्र HNO₃ कॉपर से अभिक्रिया करके Cu(NO₃)₂, N₂तथा जल बनाता है।


5Cu + 12HNO₃ गर्म व सान्द्र → 5Cu(NO₃ )₂+ N₂ + 6H₂O कॉपर नाइट्रेट



प्रश्न 3. नाइट्रिक अम्ल का आर्क विधि द्वारा निर्माण का सचित्र वर्णन कीजिए। ठण्डे व सान्द्र नाइट्रिक अम्ल की आयरन से अभिक्रिया लिखिए। सम्बन्धित सभी अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण भी दीजिए। सधूम्र नाइट्रिक अम्ल क्या है तथा इसका क्या गुण है? 


अथवा नाइट्रिक अम्ल के औद्योगिक निर्माण की बर्कलैण्ड और आइड विधि का वर्णन रासायनिक समीकरण तथा नामांकित चित्र के साथ दीजिए।



अथवा आर्क विधि द्वारा नाइट्रिक अम्ल के निर्माण का सचित्र वर्णन कीजिए। टिन धातु और आयोडीन को सान्द्र HNO₃ के साथ गर्म करने पर होने अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण लिखिए।



 उत्तर नाइट्रिक अम्ल का औद्योगिक निर्माण (बर्कलैण्ड और आइड की विधि या ऑर्क विधि द्वारा) इस विधि में वायु की नाइट्रोजन और ऑक्सीजन का उपयोग करके नाइट्रिक अम्ल बनाया जाता है। वायु को एक ब्लोअर की सहायता से एक विद्युत भट्टी जिसका तापमान लगभग 3500°C होता है, में प्रवाहित किया जाता है, जिससे वायु में उपस्थित नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन संयोग करके नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) बनाती हैं।


N2 + 02   2NO; - 43.2 किलोकैलोरी    -   -  नाइट्रिक ऑक्साइड


यह अभिक्रिया उत्क्रमणीय तथा ऊष्माशोषी होती है, परन्तु इसके आयतन में कोई परिवर्तन नहीं होता है। अतः ला-शातेलिए नियम के अनुसार, उच्च ताप पर अधिक नाइट्रिक ऑक्साइड बनेगी।


विधि -  इस विधि में CO₂तथा जलवाष्प रहित वायु को एक विद्युत आर्क भट्टी में 3500°C पर प्रवाहित करने से नाइट्रिक ऑक्साइड बनता है। इस नाइट्रिक ऑक्साइड गैस तथा शेष वायु को ठण्डा करके एक ऑक्सीकारक कक्ष से प्रवाहित किया जाता है, जहाँ नाइट्रिक ऑक्साइड नाइट्रोजन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है


2NO + O₂  →  2NO नाइट्रोजन डाइऑक्साइड


नाइट्रिक ऑक्साइड






इसके पश्चात् ये गैसें अवशोषण स्तम्भ में पहुंचती है, जहाँ यह जल में अवशोषित होकर नाइट्रिक अम्ल बनाती है।


नाइट्रिक अम्ल की आयरन से अभिक्रिया


 (i) ठण्डे तथा अति तनु नाइट्रिक अम्ल (लगभग 5% ) के साथ अभिक्रिया


4Fe + 10HNO₃  → 4Fe(NO₃)₂ +NH₄NO₃ + 3H₂O               फेरम नाइट्रेट  अमोनियम नाइट्रेट


(ii) ठण्डे तथा तनु नाइट्रिक अम्ल (लगभग 20% ) के साथ अभिक्रिया


4Fe + 10HNO₃  → 4Fe(NO₃)₂ + N₂O + 5H₂O            फेरस नाइट्रेट नाइट्रस ऑक्साइड



 (iii) ठण्डे तथा सान्द्र नाइट्रिक अम्ल (लगभग 60%) के साथ अभिक्रिया


Fe + 6HNO₃   →  Fe(NO₃) फेरिक नाइट्रेट+ 3NO₂ + 3H₂O नाइट्रोजन


(iv) सान्द्र HNO₃ टिन धातु के साथ अभिक्रिया करके मेटास्टैनिक अम्ल व नाइट्रोजन डाइऑक्साइड बनाता है।


Sn + 4HNO₃ → H₂SnO₃ + 4NO₂ + H₂O  


(v) I₂ के साथ अभिक्रिया (Reaction with lodine) नाइट्रिक अम्ल तथा I₂की क्रिया द्वारा आयोडिक अम्ल निर्मित होता है।


I₂ + 10HNO₃ → 2HIO₃ + 10NO₂ + 4H₂O


                    आयोडिक अम्ल



प्रश्न 4. ओजोन के निर्माण की विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। लेड सल्फाइड से इसकी अभिक्रिया का समीकरण लिखिए। 


अथवा ओजोन गैस का निर्माण कैसे किया जाता है? प्रयुक्त संयन्त्र का नामांकित चित्र बनाइए। इसके दो रासायनिक परीक्षण भी दीजिए।



अथवा ब्रॉडी के ओजोनाइजर द्वारा ओजोन बनाने की विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। इसके दो मुख्य उपयोग भी लिखिए। 


अथवा ओजोन के निर्माण की किसी एक विधि का सचित्र वर्णन कीजिए एवं इसके प्रमुख गुणधर्म एवं उपयोग लिखिए। अथवा प्रयोगशाला में ओजोन बनाने का सचित्र वर्णन कीजिए। ओजोन के दो ऑक्सीकारक गुण भी लिखिए।



उत्तर प्रयोगशाला में ओजोन को बनाने के लिए ऑक्सीजन गैस में नीरव विद्युत विसर्जन किया जाता है, इससे ओजोन बनती है। इसके लिए जिस उपकरण का प्रयोग किया जाता है, उसे ओजोनाइजर कहते हैं।


     नीरव विद्युत विसर्जन

 

3O₂           →             2O₃



प्रयोगशाला में ओजोन के निर्माण में विद्युत विसर्जन के लिए सीमेन्स या ब्रॉडी का ओजोनाइजर प्रयुक्त किया जाता है। नलियों के बीच में निम्न ताप पर, शुष्क और शुद्ध ऑक्सीजन धीरे धीरे प्रवाहित की जाती है। नीरव विद्युत विसर्जन के प्रभाव से ऑक्सीजन, ओजोन में परिवर्तित हो जाती है। ओजोनाइजर से निकलने वाली गैस ओजोनित ऑक्सीजन होती है, जिसमें ओजोन की सान्द्रता 10% तक होती है। 



 सीमेन्स का ओजोनाइजर








ओजोन (O₃) के दो ऑक्सीकारक गुण



(i) यह लेड सल्फाइड को लेड सल्फेट में बदल देती है। PbS + 4O₃ →  PbSO₄ + 4O₂ 


लेड सल्फाइड      लैंड सल्फेट



 (ii) यह SO₂ को SO₃में ऑक्सीकृत कर देती है।




3SO₂   +O₃    → 3SO₃


परीक्षण (i) ओजोन बेन्ज़ीडाइन के ऐल्कोहॉलीय विलयन को भूरा कर देती है।


(ii) यह स्टार्च आयोडाइड पेपर को नीला कर देती है।


उपयोग (i) ऑक्सीकारक के रूप में।


(ii) कीटाणुनाशक के रूप में।




प्रश्न 5. सीमेन्स और हालस्के ओजोनाइजर द्वारा ओजोन के निर्माण का सचित्र वर्णन कीजिए तथा पोटैशियम फेरोसायनाइड और स्टैनस क्लोराइड पर इसकी अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण लिखिए। 


अथवा ओजोन के औद्योगिक निर्माण का सचित्र वर्णन कीजिए तथा इसके अपचायक गुण की पुष्टि हेतु एक रासायनिक अभिक्रिया दीजिए। 


उत्तर ओजोन का औद्योगिक निर्माण सीमेन्स और हालस्के के ओजोनाइजर की सहायता से किया जाता है। यह ओजोनाइजर लोहे का एक बक्सा होता है। इस बक्से में कांच या पार्सिलेन की कई बेलनाकार नलियों लगी होती हैं। इन कांच या पॉसिलेन की नलियों में ऐलुमिनियम की छड़े इलेक्ट्रोड का कार्य करती है। उपकरण को ठण्डा रखने के लिए बेलनाकार नलियों के चारों ओर ठण्डा जल प्रवाहित किया जाता है। छड़ और बेलन के बीच शुष्क वायु प्रवाहित की जाती है। लगभग 8000 से 10000 वोल्ट तक के विभवान्तर पर विद्युत विसर्ग प्रवाहित करने पर ऑक्सीजन ओजोन में बदल जाती है। लोहे के बक्से को भूसम्पर्कित करके रखा जाता है।





रासायनिक अभिक्रिया (समीकरण)




(i) 2K₄[ Fe(CN)₆ ] + O₃+ H₂O → 2K₃[ Fe(CN)₆ ] + 2KOH+ O₂


 (ii) 3SnCl₂ + 6HCI + O₃ →  3SnCl₄ + 3H₂O


ओजोन मण्डल ओजोन समुद्र तल में लगभग 20 किमी की ऊँचाई पर सूर्य से प्राप्त पराबैंगनी प्रकाश के प्रभाव में वहाँ उपस्थित ऑक्सीजन से बनती है इस स्तर को ओजोन मण्डल कहते हैं।


ओजोन मण्डल का महत्त्व यह ओजोन परत एक आवरण का कार्य करती है तथा हानिकारक पराबैंगनी विकिरण को पृथ्वी की सतह तक पहुँचने से रोकती है।


ओजोन का अपचायक गुण


H₂O₂ + O₃  →  2O₂ + H₂O



प्रश्न 6. शुद्ध ओजोन किस प्रकार प्राप्त करते हैं? SnCl₂ एवं KI के विलयनों के साथ इसकी अभिक्रियाएँ लिखिए।


अथवा शुद्ध ओजोन किस प्रकार प्राप्त करते हैं? अम्लीय FeSO₄तथा KI विलयन के साथ इसकी अभिक्रियाएँ लिखिए।



उत्तर ओजोनीकृत ऑक्सीजन से शुद्ध ओजोन पृथक् करने की विधि प्रयोगशाला विधि से प्राप्त ओजोन में ऑक्सीजन मिली होती है। ओजोन व ऑक्सीजन के मिश्रण को द्रव वायु द्वारा ठण्डी की गई नलियों में प्रवाहित करते हैं। इस प्रकार ओजोन 120°C पर तथा ऑक्सीजन-183°C पर द्रव अवस्था में परिवर्तित हो जाती है। द्रव वायु के ताप पर दोनों गैसें द्रव में बदल जाती हैं। यह नीला द्रव होता है। इस द्रव में द्रव ओजोन तथा द्रव ऑक्सीजन विलयन के रूप में उपस्थित रहते हैं। कम दाब पर इस द्रव का प्रभाजी आसवन करने पर ग्राही में ऑक्सीजन रंगहीन द्रव के रूप में तथा आसवन फ्लास्क में ओजोन गहरे नीले रंग के द्रव के रूप में शेष रह जाते हैं।


रासायनिक क्रिया



(i) ओजोन, स्टैनस क्लोराइड (SnCl₂) को तनु HCI की उपस्थिति में स्टैनिक क्लोराइड में ऑक्सीकृत कर देती है।


3SnCl₂+6HCl + O₃ → 3SnCl₄+3H₂O


इस अभिक्रिया में ऑक्सीजन नहीं निकलती है।


(ii) ओजोन, पोटैशियम आयोडाइड के उदासीन विलयन से आयोडीन मुक्त करती है।


2KI + H₂O + O₃ → 2KOH + I₂+O₂

 

(iii) ओजोन पोटैशियम आयोडाइड के क्षारीय विलयन को पोटैशियम आयोडेट (KIO₃ ) आर पोटैशियम परआयोडेट (KIO₄) में ऑक्सीकृत कर देती है।


KI+ 3O₃  → KIO₃ + 3O₂


KI + 4O₃ →  KIO₄ + 4O₂



प्रश्न 7. सल्फर डाइऑक्साइड के संश्लेषण की प्रयोगशाला विधि का रासायनिक समीकरण देते हुए वर्णन कीजिए। सल्फर डाइऑक्साइड की पोटैशियम परमैंग्नेट और चूने के पानी के साथ अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण दीजिए।


  1. H₂O

  2. अम्लीकृत K₂Cr₂O₇


अथवा सल्फर डाइऑक्साइड बनाने की प्रयोगशाला विधि का रासायनिक समीकरण लिखिए। निम्नलिखित पर इसकी अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण भी लिखिए।


उत्तर प्रयोगशाला विधि प्रयोगशाला में इसे सोडियम सल्फाइट व सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की अभिक्रिया द्वारा प्राप्त करते हैं।


Na₂SO₃ सोडियम सल्फाइट + H₂SO₄ सान्द्र → Na₂SO₄ + H₂O + SO₂


विधि एक गोल पेंदी के फ्लास्क में ताँबे की छीलन लेकर उपकरणों को चित्रानुसार सजाते हैं। इसके पश्चात् थिसिल कीप की सहायता से फ्लास्क में इतना सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल डालते हैं, जिससे कि थिसिल कीप का निचला सिरा अम्ल में डूब जाए। फ्लास्क को गर्म करने पर सल्फर डाइऑक्साइड गैस बनती है, इसे सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के भरे फ्लास्क में प्रवाहित करने पर इसमें उपस्थित नमी अवशोषित हो जाती है। अन्त में शुष्क गैस को वायु के ऊपरमुखी विधि द्वारा एकत्रित कर लेते हैं।




रासायनिक समीकरण


(i) सल्फर डाइऑक्साइड की पोटैशियम परमैग्नेट से क्रिया


 2KMnO₄ + 5SO₂ + 2H₂O → K₂SO₄+ 2MnSO₄ + 2H₂0


(ii) सल्फर डाइऑक्साइड की चूने के पानी से क्रिया मैग्नस सल्फेट


Ca(OH)₂+ SO₂ →  CaSO₃ ↓ + H₂O अविलेय 



H₂O + SO₂+CaSO₃ →   Ca(HSO₃)₂


(iii) SO₂ (g) + H₂O (g) → H₂SO₃ (aq)



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